15-03-2019, 11:02 PM
ड्डू बोला "क्या हुआ? विक्की चला गया। वो ऐसा ही है। लेकिन मेरा भाई है, मेरा जान है।" गुड्डू की आवाज़ सुनकर पूनम अपने ख्यालों के भँवर से बाहर निकली। गुड्डू खड़ा हो गया। बोला "आजा मेरी जान, लग जा सीने से। तेरी ये ड्रेस भी मज़ेदार है। पैंटी नहीं पहनी है न अंदर में।" पूनम थोड़ी देर तो कुछ नहीं बोली, फिर बोली "मैं जा रही हूँ।" गुड्डू को बुरा लगा लेकिन वो हँस कर बोला "ऐसे मत बोल। मुझे बुरा लगेगा यार। रात से लण्ड टाइट है तेरे लिए।" पूनम कुछ नहीं बोली, लेकिन उसका गुस्सा कम हो गया था।
गुड्डू हाथ बढाकर पूनम का हाथ पकड़ा और उसे उठने का इशारा किया। पूनम का मूड खराब हो गया था। गुड्डू बोला "देख इस तरह मूड खराब मत कर।" फिर वो हँस कर बोला "देख तो लेने दे की पैंटी पहनी है कि नहीं, निप्पल कैसे हैं तेरे। फिर तो तू 10 दिन दिखेगी नहीं।" गुड्डू ने पूनम के हाथ को हल्का सा खिंच कर उठने का इशारा किया और फिर उसका हाथ छोड़ कर बाहें फैलाये खड़ा हो गया तो अब पूनम अपनी जगह से धीरे से अनमने से उठी और उसके सीने से लग गयी। गुड्डू इसी के लिए खड़ा था। उसने पूनम को खुद में दबा लिया। पूनम को पता था कि अब क्या क्या होना है।
पूनम की चूचियाँ गुड्डू के सीने से दब रही थी और उसे ऐसा लगा जैसे पूनम बिना ब्रा के आयी है। गुड्डू का लण्ड करवट बदलने लगा। उसने शीतल के चेहरे को ऊपर उठाया और होठों को चूमने लगा। पूनम कोई विरोध नहीं की। वो इसी के लिए यहाँ आई थी और अब विरोध करने का कोई मतलब नहीं था। गुड्डू का हाथ पूनम की गांड पे आया और उसने अंदाज़ा लगाया कि उसकी रण्डी बिना पैंटी के आयी है कि नहीं।
इसमें गुड्डू ने देरी नहीं किया और एक सेकंड के अंदर उसका हाथ स्कर्ट के अंदर था और पूनम की नंगी गांड को सहला रहा था। उसे अच्छा लगा की उसकी रण्डी बिना पैंटी पहने उससे मिलने आयी है। उसने पूनम के गांड को पकड़ कर अपनी तरफ खिंचा और उसका बदन खुद से सटा लिया। पूनम की चुत गुड्डू के लण्ड के पास थी। अब गुड्डू का दूसरा हाथ सामने आया और सामने से स्कर्ट के अंदर घुस गया।
पूनम उसकी सारी बात मानी थी। बिना पैंटी के भी आई थी और चुत को भी चिकनी करके आयी थी। गुड्डू ने हाथ को अच्छे से स्कर्ट के अंदर डाल दिया। गुड्डू का दोनों हाथ आगे और पीछे से पूनम की स्कर्ट के अंदर था और वो अच्छे से गांड और चुत सहला रहा था। शीतल की चुत पिघलने लगी। स्कर्ट कमर से नीचे होकर जाँघ पर अटकी हुई थी। वो गुड्डू को कुछ भी मना नहीं की थी और न ही उसे रोकी थी। उसे पता था कि गुड्डू ये सब करेगा ही और वो इसी के लिए यहाँ आयी है।
गुड्डू ने उसके होठ को छोड़ दिया और सामने वाला हाथ जल्दी से टॉप और ब्रा को ऊपर किया और पूनम की दोनों गोल मुलायम चूचियाँ बाहर आज़ादी की साँस लेने लगी। गुड्डू ने एक निप्पल को मुँह में भरा और दूसरे चुच्ची को इतने जोर से मसला की पूनम के मुँह से दर्द भरी सिसकारी निकल पड़ी। गुड्डू का सामने वाला हाथ फिर से नीचे आ गया और पूनम की चुत को दबाने, सहलाने लगा। चुत अब और गीली होने लगी थी और पूनम पे वासना का नशा चढ़ने लगा था।
गुड्डू का हाथ पूनम की दोनों जाँघों के बीच में था और गीले चुत के छेद को रगड़ रहा था। उसने वहीँ हाथ से पैर फ़ैलाने का इशारा किया। पूनम तो नंगी हो जाना चाहती थी, लेकिन उसे डर लग रहा था। वो लोग अभी आये ही थे। अभी तक तो वेटर मेनू देने और पानी लेकर भी नहीं आया था और पूनम आधी नंगी हो गयी थी।
लेकिन वो अपने दोनों पैर फैला दी और तुरंत ही गुड्डू की बीच वाली ऊँगली उसकी गर्म चुत के अंदर थी। वो गुड्डू के सर पर धीरे से हाथ फेरते हुए बोली "आह... मम्मम्म.... क्या कर रहे हो। वेटर आ रहा होगा अभी।" गुड्डू अब दूसरे निप्पल को चूस रहा था और उसकी ऊँगली गर्म गीली चुत के अंदर थी और वो उसे अंदर में ही चारो तरफ गोल गोल घुमा रहा था। पूनम की कमर ऊपर उठने लगी और वो "आह आह" करते हुए अपने बदन का भार गुड्डू के कंधे पर दे दी। उसके पैर अपने आप और फ़ैल गए थे। उसका चेहरा लाल हो गया था और वो दूसरी दुनिया में पहुँच गयी थी।
तभी गेट पे आवाज़ आयी "गुड्डू भाई, आ जाऊँ अंदर?" आवाज़ सुनते ही गुड्डू पे तो कोई असर नहीं पड़ा, पूनम होश में आ गयी। वो जल्दी से अपने कमर को पीछे की जिससे गुड्डू की ऊँगली उसकी चुत से बाहर निकल जाये और वो अपने स्कर्ट को ठीक कर पाए, लेकिन जितना वो कमर पीछे की, गुड्डू का हाथ उतना ही आगे आया। पूनम गुड्डू का हाथ पकड़ी तब उसकी चुत से गुड्डू का ऊँगली बाहर निकला। पूनम जल्दी से स्कर्ट ऊपर की और चुच्ची को ब्रा के अंदर करके टॉप को नीचे की और चेयर पर बैठ गयी। उसकी चुत और गीली हो गयी थी और उसे डर लग रहा था कि कहीं उसके स्कर्ट पे दाग न लग जाये।
गुड्डू हँसता हुआ सामने की चेयर पर बैठ गया और वेटर को बोला "आ जा।" पूनम सर झुकाए बैठी हुई थी। उसे अपनी चुत के अंदर अभी भी गुड्डू की ऊँगली घूमती हुई महसूस हो रही थी। उसे बहुत अच्छा लगा था और अजीब सा एहसास हुआ था। उसका चेहरा लाल था और उसे गुस्सा आ रहा था कि वेटर अभी क्यों आया, 2 मिनट बाद आता। उतने देर में तो गुड्डू उसकी चुत से झरना बहा देता।
दरवाजा खुला और वेटर मेनू कार्ड और पानी लेकर अंदर आ गया। पूनम यहाँ 8-10 बार अमित के साथ आ चुकी थी और 2-3 वेटर को वो शक्ल से पहचानती थी। लेकिन आज जो वेटर आया था ये वही वेटर था जो उस दिन था जिस दिन अमित वो काम कर रहा था जो आज गुड्डू कर रहा था। उस दिन भी वो बीच में आया था तो पूनम इसी तरह जल्दी से अपने कपड़े ठीक की थी और उतेजना से उसका चेहरा लाल था। गुड्डू ने मेनू कार्ड को वेटर को वापस दे दिया और बोला "2 कोल्ड ड्रिंक ले आ और जो तेरा मन हो वो ले आना।"
वेटर "जी भाई" बोलकर मेनू वापस ले लिया और बाहर जाने लगा। पूनम को बहुत शर्म आ रही थी की वेटर क्या सोच रहा होगा की उस दिन उस लड़के के साथ कर रही थी और आज इसके साथ कर रही है। वो वेटर को जाता देखी तो उसे राहत मिला। गुड्डू पूछा "कितनी देर में आएगा" वेटर तुरंत रुक गया और बोला "कोल्डड्रिंक तो तुरंत लेकर आता हूँ। बाँकी चीज़ बाद में लाऊँगा।" गुड्डू ने उसे आदेशात्मक टोन में कहा "जल्दी से भाग कर ले कर आ।"
वेटर के जाते ही गुड्डू ने गेट सटा दिया और पूनम से पूछा "क्या हुआ? ऐसे क्यों बैठी हो?" पूनम कुछ नहीं बोली और बस ना में सर हिलायी। तुरंत ही गेट पर आवाज़ सुनाई दी "गुडु भाई, आ जाऊँ अंदर?" गुड्डू ने गेट खोल दिया और वेटर टेबल पे कोल्डड्रिंक का गिलास रखने लगा। गुड्डू बोला "जा, अब आधे एक घंटे बाद आना।" वेटर मुस्कुराता हुआ "जी भाई" बोलकर बाहर जाने लगा जब पूनम ऊपर देखी और उसकी नज़र वेटर से मिल गयी। पूनम शर्म से लाल हो गयी की 'वेटर सोच रहा होगा की इस आधे एक घंटे में गुड्डू मेरे साथ क्या क्या करेगा।'
गुड्डू ने गेट को वापस से सटा दिया और पर्दा भी ठीक कर दिया। अब एक घंटे के लिए पूनम उसकी मिलकियत थी। वो पूनम के बगल में आ बैठा और उसकी तरफ हाथ बढ़ाया तो पूनम उसका हाथ पकड़ ली और बोली "नहीं, अब हो गया, अब रहने दो।" उसके मन में चल रहा था कि 'वेटर ने उसे पहचान लिया होगा। वो सोच रहा होगा की मैं भी रण्डी टाइप की लड़की हूँ और कभी इसके साथ तो कभी उसके साथ ये सब करती हूँ। वैसे भी वो गुड्डू को जानता है तो जानता ही होगा की उसके साथ कैसी लड़की लोग आती है। गुड्डू तो कई लड़कियों और औरतों को लेकर आया होगा यहाँ, आज मुझे भी ले आया। इससे तो अच्छा था इसके घर चली जाती। जो भी होता लेकिन ये वेटर तो नहीं देखता।'
गुड्डू भला क्यों उसके रोकने से रुकता। बोला "अभी तो देखने का वक़्त ही आया है और तू रोक रही है।" उसने पूनम का हाथ साइड किया और उसके टॉप को ऊपर करने लगा। पूनम विरोध नहीं की। कोई फायदा नहीं था। अपना बदन दिखाने का वादा करके ही वो यहाँ आयी थी। गुड्डू ने टॉप को चुच्ची के ऊपर कर दिया और फिर ब्रा को भी ऊपर कर दिया। टीशर्ट ब्रा आसानी से ऊपर हो गया और गुड्डू अच्छे से दोनों गोलाइयों को निहारने लगा। गुड्डू को इस तरह देखता देख पूनम शर्मा रही थी, लेकिन वो कुछ की नहीं, बस अपने हाथ से कुर्सी की सीट को पकड़े बैठी रही। उसका हाथ चुच्ची को ढकने के लिए छटपटा रहा था लेकिन पूनम जानती थी की वो ढक नहीं सकती है।
गुड्डू ने पूनम की पीठ को दीवाल से सटा दिया और अब और अच्छे से उसकी चुच्ची को देखने लगा। अब पूनम से बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो चुच्ची ढकने की कोशिश करती हुई बोली "ऐसे क्या देख रहे हो। अब हो गया बस। बहुत देख लिए।" गुड्डू ने उसके हाथ को पकड़ लिया और बोला "देखने दे अच्छे से।" पूनम रुक गयी। वो और कर भी क्या सकती थी। उसे चुच्ची दिखाने में कोई परेशानी नहीं थी, बस उसे ये लग रहा था कि जो जो करना है जल्दी करे, बस देखता ही नहीं रहे। वो यहाँ से जल्दी निकल जाना चाहती थी।
गुड्डू दोनों हाथ आगे बढ़ाया और दोनों चुच्ची को एक एक हाथ में ऐसा पकड़ा जैसे नाप ले रहा हो की उसकी गोलाई कितनी है और फिर धीरे धीरे ऐसे दबाया जैसे हॉर्न बजा रहा हो। पूनम को अच्छा लगने लगा। इसी लिए तो वो आयी थी यहाँ, ताकि गुड्डू उसे पूरी मस्ती कराये। गुड्डू ने अब दोनों निप्पल को पकड़ा और अपनी तरफ खिंचने लगा। फिर वो निप्पल को पकड़े हुए ही चुच्ची को गोल गोल घुमाने लगा। पूनम को अच्छा लग रहा था, लेकिन उसे और ज्यादा मज़ा चाहिए था।
वो गुड्डू को बोली "आह... क्या कर रहे हो।" गुड्डू जोर से दोनों चुचियों को मसला और बोला "मज़ा" पूनम दर्द से आह करती हुई गुड्डू के कंधे को पकड़ कर उसपे झुक गयी। गुड्डू ने पूनम को खड़ा कर दिया। अब पूनम की चुच्ची गुड्डू के मुँह के सामने थी। गुड्डू ने पूनम की पीठ पे हाथ रखकर उसे अपनी तरफ झुकाया। अब पूनम की चुच्ची झूलकर गुड्डू के मुँह के सामने थी और वो निप्पल को मुँह में भरकर जोर जोर से ऐसे चूसने लगा जैसे भूखा बच्चा दूध ख़त्म हो जाने के बाद भी और दूध निकालने के लिए चूसता है।
गुड्डू दोनो झूलते हुए चुच्ची को दोनों हाथों से पकड़े हुए था और दोनों को निचोड़ता हुआ दोनों को चूस रहा था। अगर पूनम का 5 साल का भी बच्चा होता तो गुड्डू उसके थनों से दूध की कुछ बूँदें जरूर निकाल लेता। गुड्डू ने एक हाथ अब पूनम की पीठ पर कर दिया आउट स्कर्ट को पीछे से नीचे खींचने लगा। पूनम एक बार सोची की वो स्कर्ट पकड़े, लेकिन अभी कुछ ही देर पहले उसकी स्कर्ट नीचे थी तो अब रोकने से क्या फायदा था। गुड्डू ने स्कर्ट को घुटने तक नीचे कर दिया और आराम से चुच्ची चूसता हुआ पूनम की नंगी गांड और जाँघों को सहलाने लगा। स्कर्ट गिरने वाला था लेकिन पूनम उसे घुटने पे किसी तरह रोकी।
गुड्डू पूनम की चिकनी चुत को सहला रहा था और अंदाज़ा लगा रहा था कि कितनी मस्त चुत है पूनम की। अब उसने पूनम को गोद में उठाया और टेबल पर बिठा दिया और फिर उसके सीने पर दबा कर उसे लेटने का इशारा किया। पूनम अब टेबल पर लेटी हुई थी और उसकी नंगी चुत गुड्डू की आँखों के सामने चमक रही थी।
गुड्डू ने स्कर्ट को पैरों से निकाल दिया और कुर्सी पर रख दिया। पूनम अब नीचे से नंगी होकर रेस्टुरेंट में टेबल पर लेटी हुई थी। उस लड़के के सामने जिससे वो नफरत करती थी और जो उसकी नज़रों में बहुत बुरा आदमी था। लेकिन उस बुरे आदमी ने उसे अपने वश में कर लिया था। गुड्डू अच्छे से चुत को देख रहा था और सहला रहा था और उसके चिकनेपन का मज़ा ले रहा था।
गुड्डू को इस तरह अपने नंगे बदन को देखता हुआ देख कर उसे बहुत शर्म आ रही थी। गुड्डू को तो वो रोक नहीं सकती थी, तो शर्म से पूनम अपनी ऑंखें बंद कर ली थी। उसे डर भी लग रहा था कि वेटर कभी भी आ जायेगा, लेकिन एक तो वेटर पूछ कर आ रहा था और दूसरा की अभी बहुत देर तक नहीं आनेवाला था।
गुड्डू चुत को फैला कर दबा कर ऐसे देख रहा था जैसे उसकी जाँच कर रहा हो। पूनम को गुदगुदी हो रही थी और वो चाहती की 'गुड्डू चुत चुसे या ऊँगली करे और अगर उसका मन लण्ड डालने का है तो चोद ले मुझे।' गुड्डू ने पूनम के दोनों पैरों को फैला दिया और साथ ही साथ चुत के दोनों होठ भी खुल गए। गुड्डू चुत के छेद को एक हाथ से फैलाया और दूसरे हाथ की बीच वाली ऊँगली को सीधा अंदर डाला।
"आह" ऊँगली फिर से अंदर जाते ही पूनम की सिसकारी निकली। गुड्डू चुत फैलाये हुए था और 5-7 पहले तो उसने ऊँगली अंदर बाहर किया और फिर जो ऊँगली चुत के अंदर थी, उससे चुत को नीचे की तरफ खींच कर वो चुत पे अपना मुँह लगा दिया। पूनम का बदन ऐंठने लगा था। उसे बहुत मज़ा आ रहा था। गुड्डू चुत के ऊपरी हिस्से में निकले हुए भाग को मुँह में लेकर चूसता हुआ खींच रहा था और साथ ही साथ ऊँगली भी अंदर बाहर कर रहा था।
पूनम आनंद के सागर में गोते लगा रही थी। गुड्डू दोनों हाथ से चुत को फैलाये हुए था और जीभ की नोक से चुत को चाट रहा था। गुड्डू की जीभ पूनम के चुत के अंदर के हिस्से को छू रही थी और उसे इतना अच्छा लग रहा था की न चाहते हुए भी उसके मुँह से 'आह ऊह मम्मम' की सिसकारी निकल रही थी। फिर गुड्डू ने अपनी बीच वाली ऊँगली को चुत के अंदर डाल दिया और अंदर ही इधर उधर घुमाता हुआ अंदर बाहर करने लगा। पूनम की कमर हिलने लगी। अब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और फिर वो अपने हाथ से अपनी चुत को जोर से दबाई और उसकी चुत के अंदर का बांध टूट गया।
गुड्डू को अपनी उँगली पर चारो तरफ से पानी की बौछार महसूस हुआ। उसने पूनम के हाथ को हटाया और चुत चूसने लगा। पूनम के पैर अभी भी फैले हुए थे और गुड्डू अंदर से बहकर आती हुई हर बूँद को चुस रहा था। पूनम तो दूसरी दुनिया में था। पूनम चुत से पानी निकलने तक का तो मज़ा ली थी, लेकिन उसके बाद भी चुत चुसवाने में उसे बहुत मज़ा आ रहा था और उसकी चुत से ढेर सारा पानी निकलता जा रहा था।
आखिरी बून्द तक चुस लेने के बाद गुड्डू खड़ा हो गया। पूनम ऑंखें बंद किये हुए टेबल पर ही लेटे हुई थी। जब उसे लगा की गुड्डू उससे अलग हो गया है तो आँख खोली। गुड्डू उसे देखकर मुस्कुरा रहा था तो पूनम शर्मा गयी। उसका उठने का मन नहीं हो रहा था, लेकिन वो घर में नहीं रेस्टुरेंट में थी और नीचे से नंगी थी। गुड्डू ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया जिसका सहारा लेकर वो उठ कर खड़ी हो गयी। गुड्डू ने उसे बाँहों में दबा लिया और धीरे से पूछा "कैसा लगा।"
पूनम शर्माती मुस्कुराती हुई नीचे देखने लगी और बोली "बहुत ख़राब।" गुड्डू उसकी नंगी गांड को दबाता हुआ खुद में चिपकाये रहा और होठ चूमते हुए बोला "अभी और भी बहुत ख़राब लगने वाला है।" पूनम भी किस में उसमे साथ दे रही थी। थोड़ी देर होठों का रस चूसने के बाद गुड्डू ने पूनम को छोड़ दिया और वो अपनी स्कर्ट पहनने लगी।
गुड्डू मुस्कुराता हुआ बोला "चुत चूसने के बाद होठ चूसने में ज्यादा मज़ा आता है।" पूनम शर्मा गयी। वो स्कर्ट पहन चुकी थी। बोली "हो गया? सब देख लिए? सब कुछ कर लिए। अब मैं जाऊँ?" गुड्डू ने अपने जीन्स के बटन को ढीला किया और अपने लण्ड को बाहर निकालता हुआ बोला "अभी तो बहुत कुछ बाँकी है मेरी जान" और उसने पूनम के हाथ को पकड़ कर उसे अपना लण्ड पकड़ा दिया।
लण्ड देखते ही पूनम की ऑंखें फटी रह गयी। लण्ड अभी ढीला ही था और ऐसा लग रहा था जैसे कोई काला साँप लटक रहा हो वहाँ। पूनम की चुत फिर से गीली होने लगी। असली लण्ड ऐसा होता है, उसे आज समझ आ रहा था। अमित का लण्ड तो इसके सामने कुछ नहीं था। हाथ लगाते ही पूनम को बहुत अच्छा सा लगा और लण्ड अपना आकार बदलने लगा।
पूनम अभी थोड़ा सा सहलाई ही थी की लण्ड तन कर उसके सामने खड़ा हो गया था। अब पूनम लण्ड को गौर से देख रही थी। पूरा काला, बहुत लंबा, बहुत मोटा। सामने कोई चमड़ा नहीं था और उसका टोपा पूरा चमक रहा था। गुड्डू पूनम को इस तरह देखता देखा तो मुस्कुराता हुआ गर्व से पूछा "कैसा लगा?" पूनम अभी तक आश्चर्यचकित सी थी। बोली "ये तो बहुत बड़ा है।"
गुड्डू पूनम के सर को पकड़ कर अपने लण्ड के नज़दीक लाता हुआ बोला "तभी तो तेरी टाइट चुत में पूरा अंदर तक घुस कर उसे फाड़ेगा।" गुड्डू ने एक हाथ से अपने लण्ड को पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ से पूनम के सर को लण्ड के सामने ले आया और पूनम के मुँह के सामने कर दिया। पूनम अपना मुँह खोल दी और लण्ड को मुँह में लेने की कोशिश करने लगी। लेकिन ये अमित का छोटा लण्ड नहीं था। उसे पूरा मुँह खोलना पड़ा और लण्ड का बस सामने वाला थोड़ा सा हिस्सा ही उसके मुँह में जा पाया।
पूनम और अपना मुँह बड़ा की और जितना लण्ड हो सकता था उतना मुँह में भरकर चूसने लगी। वो सोचने लगी की जब ये लण्ड मुँह में नहीं जा रहा तो पता नहीं फिर चुत में कैसे जाता होगा। लण्ड के ऊपर कुछ बूँदें आने लगी थी जिसका टेस्ट पूनम के मुँह में जा रहा था और उसे अच्छा लग रहा था। वो आइसक्रीम की तरह गुड्डू का लण्ड चूस रही थी। गुड्डू का लण्ड और टाइट हो गया था। उसने शीतल को खड़ा किया और फिर से टेबल पे लिटा दिया।
पूनम को समझ नहीं आया लेकिन वो लेटी रही। गुड्डू उसके स्कर्ट को ऊपर उठा दिया और फिर से उसकी नंगी चुत चमक उठी। पूनम पूछी "क्या कर रहे हो" गुड्डू बिना कोई जवाब दिए पूनम की चुत को सहलाने लगा और ऊँगली अंदर करके चुत फ़ैलाने लगा। पूनम की चुत गीली ही थी तो ऊँगली तुरंत अंदर बाहर होने लगा। पूनम गर्म तो थी ही, गुड्डू के इस हरकत से और गरमा गई।
अब गुड्डू पूनम के सामने खड़ा हो गया और अपना टाइट लण्ड पूनम की चुत से रगड़ने लगा। पूनम समझ गयी की वो अभी चुदने वाली है। पूनम के पैर अपने आप फ़ैल गए। लण्ड सटते ही उसकी चुत और गीली हो गयी थी और उसे लगा की गुड्डू जल्दी से लण्ड अंदर डाल दे और उसे मसल दे। उसके मन ये डर भी था कि वो लोग अभी घर में नहीं रेस्टुरेंट में हैं और यहाँ कभी भी कोई भी आ सकता है और यहाँ की सारी आवाज़ बाहर जायेगी। गुड्डू ने तो कहा ही था कि यहाँ चोदेगा तो पूरा रेस्टुरेंट समझ जायेगा की पूनम सक्सेना की चुदाई हो रही है।
दूसरा डर ये भी था कि ये मूसल लण्ड उसकी चुत में जायेगा भी की नहीं और अगर ये अंदर घुस गया तो पता नहीं उसकी क्या हालत होगी। अमित का लण्ड जो इसका आधा भी नहीं था, वो अंदर जाता था तब तो उतना दर्द हुआ था, ये तो सच में मेरी चुत को फाड़ ही डालेगा और कहीं फिर से खून वुन न निकलने लगे। लेकिन न तो वो खुद रुकना चाहती थी और न ही गुड्डू को रोकना चाहती थी।
गुड्डू ने लण्ड को छेद पर लगाया और एक धक्का लगाया, लेकिन उस धक्के के साथ ही पूनम भी "उइई माँ...." चीखते हुए पीछे खिसक गयी। पूनम का बदन दर्द से सिहर उठा था। वो डर गयी। गुड्डू ने फिर से उसे अपनी तरफ खींचा और फिर से लण्ड को चुत के छेद पर लगा दिया। पूनम को डर हुआ की कितना दर्द होगा और लोग उसकी चीख सुन चुके होंगे।
बोली "आह प्लीज़ अंदर मत डालो।" लेकिन गुड्डू अब कहाँ सुनने वाला था। उसने ठीक से चुत के छेद पर लण्ड रखा और पूनम को कंधे से पकड़ कर धक्का लगाया। पूनम पहले से ही डरी हुई थी और दर्द होगा, तो वो हटने के लिए तैयार थी। गुड्डू के धक्का लगाते ही पूनम को तेज़ दर्द हुआ और वो फिर से "आआआ..." करते हुए अपनी कमर को किनारे कर ली।
इस बार उसकी आवाज़ थोड़ी धीमी थी। वो तुरंत उठ बैठी और टेबल से उतरने लगी। गुड्डू ने उसे पकड़ लिया और बोला "उठ कहाँ रही है। रुक, अभी लण्ड अंदर जायेगा।" पूनम रोती हुई सी बोली "नहीं जायेगा। तुम्हारा बहुत बड़ा है और मुझे बहुत दर्द हो रहा है। सब लोग सुन रहे होंगे। तुमने कहा था कि चोदुंगा नहीं, बस देखूँगा। अब देख लिए। अब मुझे जाने दो।"
गुड्डू बोला "लेकिन मेरे लण्ड का पानी तो निकला ही नहीं। उसे निकाले बिना नहीं जाने दूँगा।" पूनम कुछ नहीं बोली। गुड्डू की बात तो सही थी। वो लण्ड पकड़ी और आगे पीछे करने लगी और फिर मुँह में लेकर चूसने लगी। गुड्डू उसके सर को पकड़ लिया और अपने लण्ड पे दबा कर आगे पीछे करने लगा। पूनम की साँस रुक रही थी। वो ताकत लगा कर अपने सर को पीछे की और बोली "ऐसे मत दबाओ, मैं चूस रही हूँ न।"
गुड्डू कुर्सी पर बैठ गया और पूनम के टॉप ब्रा को ऊपर कर दिया और उसकी पीठ चुच्ची को सहलाने लगा और पूनम उसका लण्ड चूस रही थी। थोड़ी देर बाद फिर गुड्डू खड़ा हो गया और पूनम के सर को पकड़ को आगे पीछे करने लगा। फिर उसने पूनम के सर को अपने लण्ड पर दबा लिया और उसका लण्ड झटके मारने लगा।
लण्ड पूरा मुँह में दबा हुआ था और गर्मा गर्म ताज़ा ताज़ा वीर्य पूनम के मुँह में गिरा और जब तक वो समझती तब तक वो उसे निगल चुकी थी। वीर्य इतनी तेजी से गिर रहा था कि वो ठीक से निगल भी नहीं पा रही थी। गुड्डू ने लण्ड बाहर निकाल लिया और पूनम के मुँह पर वीर्य गिराने लगा। पूनम को बहुत मज़ा आ रहा था। अगर वो रेस्टुरेंट में नहीं होती तो ख़ुशी ख़ुशी चुदवाती। वो वीर्य को मुँह पे गिरने दी।
गुड्डू ने फिर से लण्ड मुँह में दे दिया और पूनम उसे चूस कर साफ कर दी। गुड्डू अपने लण्ड को पैंट में रख लिया और सामने के कुर्सी पर बैठ गया। पूनम कोल्डड्रिंक उठाकर 2-3 घूँट पियी। वीर्य उसके गले में अटका हुआ था। फिर वो अपने टॉप ब्रा को ठीक कर ली और टिश्यू पेपर से चेहरा को पोछ ली।
गुड्डू बोला "चल" और वो बाहर निकल गया। पूनम भी तुरंत बाहर निकली। वो काउंटर पर कुछ पैसा दिया और जबतक पूनम वहाँ पहुँची गुड्डू बाहर निकल गया। पूनम बिना इधर उधर किसी को देखे सीधा बाहर निकल गयी। उसे पता था कि सब उसे ही देख रहे होंगे और क्या सोच रहे होंगे।
गुड्डू हाथ बढाकर पूनम का हाथ पकड़ा और उसे उठने का इशारा किया। पूनम का मूड खराब हो गया था। गुड्डू बोला "देख इस तरह मूड खराब मत कर।" फिर वो हँस कर बोला "देख तो लेने दे की पैंटी पहनी है कि नहीं, निप्पल कैसे हैं तेरे। फिर तो तू 10 दिन दिखेगी नहीं।" गुड्डू ने पूनम के हाथ को हल्का सा खिंच कर उठने का इशारा किया और फिर उसका हाथ छोड़ कर बाहें फैलाये खड़ा हो गया तो अब पूनम अपनी जगह से धीरे से अनमने से उठी और उसके सीने से लग गयी। गुड्डू इसी के लिए खड़ा था। उसने पूनम को खुद में दबा लिया। पूनम को पता था कि अब क्या क्या होना है।
पूनम की चूचियाँ गुड्डू के सीने से दब रही थी और उसे ऐसा लगा जैसे पूनम बिना ब्रा के आयी है। गुड्डू का लण्ड करवट बदलने लगा। उसने शीतल के चेहरे को ऊपर उठाया और होठों को चूमने लगा। पूनम कोई विरोध नहीं की। वो इसी के लिए यहाँ आई थी और अब विरोध करने का कोई मतलब नहीं था। गुड्डू का हाथ पूनम की गांड पे आया और उसने अंदाज़ा लगाया कि उसकी रण्डी बिना पैंटी के आयी है कि नहीं।
इसमें गुड्डू ने देरी नहीं किया और एक सेकंड के अंदर उसका हाथ स्कर्ट के अंदर था और पूनम की नंगी गांड को सहला रहा था। उसे अच्छा लगा की उसकी रण्डी बिना पैंटी पहने उससे मिलने आयी है। उसने पूनम के गांड को पकड़ कर अपनी तरफ खिंचा और उसका बदन खुद से सटा लिया। पूनम की चुत गुड्डू के लण्ड के पास थी। अब गुड्डू का दूसरा हाथ सामने आया और सामने से स्कर्ट के अंदर घुस गया।
पूनम उसकी सारी बात मानी थी। बिना पैंटी के भी आई थी और चुत को भी चिकनी करके आयी थी। गुड्डू ने हाथ को अच्छे से स्कर्ट के अंदर डाल दिया। गुड्डू का दोनों हाथ आगे और पीछे से पूनम की स्कर्ट के अंदर था और वो अच्छे से गांड और चुत सहला रहा था। शीतल की चुत पिघलने लगी। स्कर्ट कमर से नीचे होकर जाँघ पर अटकी हुई थी। वो गुड्डू को कुछ भी मना नहीं की थी और न ही उसे रोकी थी। उसे पता था कि गुड्डू ये सब करेगा ही और वो इसी के लिए यहाँ आयी है।
गुड्डू ने उसके होठ को छोड़ दिया और सामने वाला हाथ जल्दी से टॉप और ब्रा को ऊपर किया और पूनम की दोनों गोल मुलायम चूचियाँ बाहर आज़ादी की साँस लेने लगी। गुड्डू ने एक निप्पल को मुँह में भरा और दूसरे चुच्ची को इतने जोर से मसला की पूनम के मुँह से दर्द भरी सिसकारी निकल पड़ी। गुड्डू का सामने वाला हाथ फिर से नीचे आ गया और पूनम की चुत को दबाने, सहलाने लगा। चुत अब और गीली होने लगी थी और पूनम पे वासना का नशा चढ़ने लगा था।
गुड्डू का हाथ पूनम की दोनों जाँघों के बीच में था और गीले चुत के छेद को रगड़ रहा था। उसने वहीँ हाथ से पैर फ़ैलाने का इशारा किया। पूनम तो नंगी हो जाना चाहती थी, लेकिन उसे डर लग रहा था। वो लोग अभी आये ही थे। अभी तक तो वेटर मेनू देने और पानी लेकर भी नहीं आया था और पूनम आधी नंगी हो गयी थी।
लेकिन वो अपने दोनों पैर फैला दी और तुरंत ही गुड्डू की बीच वाली ऊँगली उसकी गर्म चुत के अंदर थी। वो गुड्डू के सर पर धीरे से हाथ फेरते हुए बोली "आह... मम्मम्म.... क्या कर रहे हो। वेटर आ रहा होगा अभी।" गुड्डू अब दूसरे निप्पल को चूस रहा था और उसकी ऊँगली गर्म गीली चुत के अंदर थी और वो उसे अंदर में ही चारो तरफ गोल गोल घुमा रहा था। पूनम की कमर ऊपर उठने लगी और वो "आह आह" करते हुए अपने बदन का भार गुड्डू के कंधे पर दे दी। उसके पैर अपने आप और फ़ैल गए थे। उसका चेहरा लाल हो गया था और वो दूसरी दुनिया में पहुँच गयी थी।
तभी गेट पे आवाज़ आयी "गुड्डू भाई, आ जाऊँ अंदर?" आवाज़ सुनते ही गुड्डू पे तो कोई असर नहीं पड़ा, पूनम होश में आ गयी। वो जल्दी से अपने कमर को पीछे की जिससे गुड्डू की ऊँगली उसकी चुत से बाहर निकल जाये और वो अपने स्कर्ट को ठीक कर पाए, लेकिन जितना वो कमर पीछे की, गुड्डू का हाथ उतना ही आगे आया। पूनम गुड्डू का हाथ पकड़ी तब उसकी चुत से गुड्डू का ऊँगली बाहर निकला। पूनम जल्दी से स्कर्ट ऊपर की और चुच्ची को ब्रा के अंदर करके टॉप को नीचे की और चेयर पर बैठ गयी। उसकी चुत और गीली हो गयी थी और उसे डर लग रहा था कि कहीं उसके स्कर्ट पे दाग न लग जाये।
गुड्डू हँसता हुआ सामने की चेयर पर बैठ गया और वेटर को बोला "आ जा।" पूनम सर झुकाए बैठी हुई थी। उसे अपनी चुत के अंदर अभी भी गुड्डू की ऊँगली घूमती हुई महसूस हो रही थी। उसे बहुत अच्छा लगा था और अजीब सा एहसास हुआ था। उसका चेहरा लाल था और उसे गुस्सा आ रहा था कि वेटर अभी क्यों आया, 2 मिनट बाद आता। उतने देर में तो गुड्डू उसकी चुत से झरना बहा देता।
दरवाजा खुला और वेटर मेनू कार्ड और पानी लेकर अंदर आ गया। पूनम यहाँ 8-10 बार अमित के साथ आ चुकी थी और 2-3 वेटर को वो शक्ल से पहचानती थी। लेकिन आज जो वेटर आया था ये वही वेटर था जो उस दिन था जिस दिन अमित वो काम कर रहा था जो आज गुड्डू कर रहा था। उस दिन भी वो बीच में आया था तो पूनम इसी तरह जल्दी से अपने कपड़े ठीक की थी और उतेजना से उसका चेहरा लाल था। गुड्डू ने मेनू कार्ड को वेटर को वापस दे दिया और बोला "2 कोल्ड ड्रिंक ले आ और जो तेरा मन हो वो ले आना।"
वेटर "जी भाई" बोलकर मेनू वापस ले लिया और बाहर जाने लगा। पूनम को बहुत शर्म आ रही थी की वेटर क्या सोच रहा होगा की उस दिन उस लड़के के साथ कर रही थी और आज इसके साथ कर रही है। वो वेटर को जाता देखी तो उसे राहत मिला। गुड्डू पूछा "कितनी देर में आएगा" वेटर तुरंत रुक गया और बोला "कोल्डड्रिंक तो तुरंत लेकर आता हूँ। बाँकी चीज़ बाद में लाऊँगा।" गुड्डू ने उसे आदेशात्मक टोन में कहा "जल्दी से भाग कर ले कर आ।"
वेटर के जाते ही गुड्डू ने गेट सटा दिया और पूनम से पूछा "क्या हुआ? ऐसे क्यों बैठी हो?" पूनम कुछ नहीं बोली और बस ना में सर हिलायी। तुरंत ही गेट पर आवाज़ सुनाई दी "गुडु भाई, आ जाऊँ अंदर?" गुड्डू ने गेट खोल दिया और वेटर टेबल पे कोल्डड्रिंक का गिलास रखने लगा। गुड्डू बोला "जा, अब आधे एक घंटे बाद आना।" वेटर मुस्कुराता हुआ "जी भाई" बोलकर बाहर जाने लगा जब पूनम ऊपर देखी और उसकी नज़र वेटर से मिल गयी। पूनम शर्म से लाल हो गयी की 'वेटर सोच रहा होगा की इस आधे एक घंटे में गुड्डू मेरे साथ क्या क्या करेगा।'
गुड्डू ने गेट को वापस से सटा दिया और पर्दा भी ठीक कर दिया। अब एक घंटे के लिए पूनम उसकी मिलकियत थी। वो पूनम के बगल में आ बैठा और उसकी तरफ हाथ बढ़ाया तो पूनम उसका हाथ पकड़ ली और बोली "नहीं, अब हो गया, अब रहने दो।" उसके मन में चल रहा था कि 'वेटर ने उसे पहचान लिया होगा। वो सोच रहा होगा की मैं भी रण्डी टाइप की लड़की हूँ और कभी इसके साथ तो कभी उसके साथ ये सब करती हूँ। वैसे भी वो गुड्डू को जानता है तो जानता ही होगा की उसके साथ कैसी लड़की लोग आती है। गुड्डू तो कई लड़कियों और औरतों को लेकर आया होगा यहाँ, आज मुझे भी ले आया। इससे तो अच्छा था इसके घर चली जाती। जो भी होता लेकिन ये वेटर तो नहीं देखता।'
गुड्डू भला क्यों उसके रोकने से रुकता। बोला "अभी तो देखने का वक़्त ही आया है और तू रोक रही है।" उसने पूनम का हाथ साइड किया और उसके टॉप को ऊपर करने लगा। पूनम विरोध नहीं की। कोई फायदा नहीं था। अपना बदन दिखाने का वादा करके ही वो यहाँ आयी थी। गुड्डू ने टॉप को चुच्ची के ऊपर कर दिया और फिर ब्रा को भी ऊपर कर दिया। टीशर्ट ब्रा आसानी से ऊपर हो गया और गुड्डू अच्छे से दोनों गोलाइयों को निहारने लगा। गुड्डू को इस तरह देखता देख पूनम शर्मा रही थी, लेकिन वो कुछ की नहीं, बस अपने हाथ से कुर्सी की सीट को पकड़े बैठी रही। उसका हाथ चुच्ची को ढकने के लिए छटपटा रहा था लेकिन पूनम जानती थी की वो ढक नहीं सकती है।
गुड्डू ने पूनम की पीठ को दीवाल से सटा दिया और अब और अच्छे से उसकी चुच्ची को देखने लगा। अब पूनम से बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो चुच्ची ढकने की कोशिश करती हुई बोली "ऐसे क्या देख रहे हो। अब हो गया बस। बहुत देख लिए।" गुड्डू ने उसके हाथ को पकड़ लिया और बोला "देखने दे अच्छे से।" पूनम रुक गयी। वो और कर भी क्या सकती थी। उसे चुच्ची दिखाने में कोई परेशानी नहीं थी, बस उसे ये लग रहा था कि जो जो करना है जल्दी करे, बस देखता ही नहीं रहे। वो यहाँ से जल्दी निकल जाना चाहती थी।
गुड्डू दोनों हाथ आगे बढ़ाया और दोनों चुच्ची को एक एक हाथ में ऐसा पकड़ा जैसे नाप ले रहा हो की उसकी गोलाई कितनी है और फिर धीरे धीरे ऐसे दबाया जैसे हॉर्न बजा रहा हो। पूनम को अच्छा लगने लगा। इसी लिए तो वो आयी थी यहाँ, ताकि गुड्डू उसे पूरी मस्ती कराये। गुड्डू ने अब दोनों निप्पल को पकड़ा और अपनी तरफ खिंचने लगा। फिर वो निप्पल को पकड़े हुए ही चुच्ची को गोल गोल घुमाने लगा। पूनम को अच्छा लग रहा था, लेकिन उसे और ज्यादा मज़ा चाहिए था।
वो गुड्डू को बोली "आह... क्या कर रहे हो।" गुड्डू जोर से दोनों चुचियों को मसला और बोला "मज़ा" पूनम दर्द से आह करती हुई गुड्डू के कंधे को पकड़ कर उसपे झुक गयी। गुड्डू ने पूनम को खड़ा कर दिया। अब पूनम की चुच्ची गुड्डू के मुँह के सामने थी। गुड्डू ने पूनम की पीठ पे हाथ रखकर उसे अपनी तरफ झुकाया। अब पूनम की चुच्ची झूलकर गुड्डू के मुँह के सामने थी और वो निप्पल को मुँह में भरकर जोर जोर से ऐसे चूसने लगा जैसे भूखा बच्चा दूध ख़त्म हो जाने के बाद भी और दूध निकालने के लिए चूसता है।
गुड्डू दोनो झूलते हुए चुच्ची को दोनों हाथों से पकड़े हुए था और दोनों को निचोड़ता हुआ दोनों को चूस रहा था। अगर पूनम का 5 साल का भी बच्चा होता तो गुड्डू उसके थनों से दूध की कुछ बूँदें जरूर निकाल लेता। गुड्डू ने एक हाथ अब पूनम की पीठ पर कर दिया आउट स्कर्ट को पीछे से नीचे खींचने लगा। पूनम एक बार सोची की वो स्कर्ट पकड़े, लेकिन अभी कुछ ही देर पहले उसकी स्कर्ट नीचे थी तो अब रोकने से क्या फायदा था। गुड्डू ने स्कर्ट को घुटने तक नीचे कर दिया और आराम से चुच्ची चूसता हुआ पूनम की नंगी गांड और जाँघों को सहलाने लगा। स्कर्ट गिरने वाला था लेकिन पूनम उसे घुटने पे किसी तरह रोकी।
गुड्डू पूनम की चिकनी चुत को सहला रहा था और अंदाज़ा लगा रहा था कि कितनी मस्त चुत है पूनम की। अब उसने पूनम को गोद में उठाया और टेबल पर बिठा दिया और फिर उसके सीने पर दबा कर उसे लेटने का इशारा किया। पूनम अब टेबल पर लेटी हुई थी और उसकी नंगी चुत गुड्डू की आँखों के सामने चमक रही थी।
गुड्डू ने स्कर्ट को पैरों से निकाल दिया और कुर्सी पर रख दिया। पूनम अब नीचे से नंगी होकर रेस्टुरेंट में टेबल पर लेटी हुई थी। उस लड़के के सामने जिससे वो नफरत करती थी और जो उसकी नज़रों में बहुत बुरा आदमी था। लेकिन उस बुरे आदमी ने उसे अपने वश में कर लिया था। गुड्डू अच्छे से चुत को देख रहा था और सहला रहा था और उसके चिकनेपन का मज़ा ले रहा था।
गुड्डू को इस तरह अपने नंगे बदन को देखता हुआ देख कर उसे बहुत शर्म आ रही थी। गुड्डू को तो वो रोक नहीं सकती थी, तो शर्म से पूनम अपनी ऑंखें बंद कर ली थी। उसे डर भी लग रहा था कि वेटर कभी भी आ जायेगा, लेकिन एक तो वेटर पूछ कर आ रहा था और दूसरा की अभी बहुत देर तक नहीं आनेवाला था।
गुड्डू चुत को फैला कर दबा कर ऐसे देख रहा था जैसे उसकी जाँच कर रहा हो। पूनम को गुदगुदी हो रही थी और वो चाहती की 'गुड्डू चुत चुसे या ऊँगली करे और अगर उसका मन लण्ड डालने का है तो चोद ले मुझे।' गुड्डू ने पूनम के दोनों पैरों को फैला दिया और साथ ही साथ चुत के दोनों होठ भी खुल गए। गुड्डू चुत के छेद को एक हाथ से फैलाया और दूसरे हाथ की बीच वाली ऊँगली को सीधा अंदर डाला।
"आह" ऊँगली फिर से अंदर जाते ही पूनम की सिसकारी निकली। गुड्डू चुत फैलाये हुए था और 5-7 पहले तो उसने ऊँगली अंदर बाहर किया और फिर जो ऊँगली चुत के अंदर थी, उससे चुत को नीचे की तरफ खींच कर वो चुत पे अपना मुँह लगा दिया। पूनम का बदन ऐंठने लगा था। उसे बहुत मज़ा आ रहा था। गुड्डू चुत के ऊपरी हिस्से में निकले हुए भाग को मुँह में लेकर चूसता हुआ खींच रहा था और साथ ही साथ ऊँगली भी अंदर बाहर कर रहा था।
पूनम आनंद के सागर में गोते लगा रही थी। गुड्डू दोनों हाथ से चुत को फैलाये हुए था और जीभ की नोक से चुत को चाट रहा था। गुड्डू की जीभ पूनम के चुत के अंदर के हिस्से को छू रही थी और उसे इतना अच्छा लग रहा था की न चाहते हुए भी उसके मुँह से 'आह ऊह मम्मम' की सिसकारी निकल रही थी। फिर गुड्डू ने अपनी बीच वाली ऊँगली को चुत के अंदर डाल दिया और अंदर ही इधर उधर घुमाता हुआ अंदर बाहर करने लगा। पूनम की कमर हिलने लगी। अब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और फिर वो अपने हाथ से अपनी चुत को जोर से दबाई और उसकी चुत के अंदर का बांध टूट गया।
गुड्डू को अपनी उँगली पर चारो तरफ से पानी की बौछार महसूस हुआ। उसने पूनम के हाथ को हटाया और चुत चूसने लगा। पूनम के पैर अभी भी फैले हुए थे और गुड्डू अंदर से बहकर आती हुई हर बूँद को चुस रहा था। पूनम तो दूसरी दुनिया में था। पूनम चुत से पानी निकलने तक का तो मज़ा ली थी, लेकिन उसके बाद भी चुत चुसवाने में उसे बहुत मज़ा आ रहा था और उसकी चुत से ढेर सारा पानी निकलता जा रहा था।
आखिरी बून्द तक चुस लेने के बाद गुड्डू खड़ा हो गया। पूनम ऑंखें बंद किये हुए टेबल पर ही लेटे हुई थी। जब उसे लगा की गुड्डू उससे अलग हो गया है तो आँख खोली। गुड्डू उसे देखकर मुस्कुरा रहा था तो पूनम शर्मा गयी। उसका उठने का मन नहीं हो रहा था, लेकिन वो घर में नहीं रेस्टुरेंट में थी और नीचे से नंगी थी। गुड्डू ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया जिसका सहारा लेकर वो उठ कर खड़ी हो गयी। गुड्डू ने उसे बाँहों में दबा लिया और धीरे से पूछा "कैसा लगा।"
पूनम शर्माती मुस्कुराती हुई नीचे देखने लगी और बोली "बहुत ख़राब।" गुड्डू उसकी नंगी गांड को दबाता हुआ खुद में चिपकाये रहा और होठ चूमते हुए बोला "अभी और भी बहुत ख़राब लगने वाला है।" पूनम भी किस में उसमे साथ दे रही थी। थोड़ी देर होठों का रस चूसने के बाद गुड्डू ने पूनम को छोड़ दिया और वो अपनी स्कर्ट पहनने लगी।
गुड्डू मुस्कुराता हुआ बोला "चुत चूसने के बाद होठ चूसने में ज्यादा मज़ा आता है।" पूनम शर्मा गयी। वो स्कर्ट पहन चुकी थी। बोली "हो गया? सब देख लिए? सब कुछ कर लिए। अब मैं जाऊँ?" गुड्डू ने अपने जीन्स के बटन को ढीला किया और अपने लण्ड को बाहर निकालता हुआ बोला "अभी तो बहुत कुछ बाँकी है मेरी जान" और उसने पूनम के हाथ को पकड़ कर उसे अपना लण्ड पकड़ा दिया।
लण्ड देखते ही पूनम की ऑंखें फटी रह गयी। लण्ड अभी ढीला ही था और ऐसा लग रहा था जैसे कोई काला साँप लटक रहा हो वहाँ। पूनम की चुत फिर से गीली होने लगी। असली लण्ड ऐसा होता है, उसे आज समझ आ रहा था। अमित का लण्ड तो इसके सामने कुछ नहीं था। हाथ लगाते ही पूनम को बहुत अच्छा सा लगा और लण्ड अपना आकार बदलने लगा।
पूनम अभी थोड़ा सा सहलाई ही थी की लण्ड तन कर उसके सामने खड़ा हो गया था। अब पूनम लण्ड को गौर से देख रही थी। पूरा काला, बहुत लंबा, बहुत मोटा। सामने कोई चमड़ा नहीं था और उसका टोपा पूरा चमक रहा था। गुड्डू पूनम को इस तरह देखता देखा तो मुस्कुराता हुआ गर्व से पूछा "कैसा लगा?" पूनम अभी तक आश्चर्यचकित सी थी। बोली "ये तो बहुत बड़ा है।"
गुड्डू पूनम के सर को पकड़ कर अपने लण्ड के नज़दीक लाता हुआ बोला "तभी तो तेरी टाइट चुत में पूरा अंदर तक घुस कर उसे फाड़ेगा।" गुड्डू ने एक हाथ से अपने लण्ड को पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ से पूनम के सर को लण्ड के सामने ले आया और पूनम के मुँह के सामने कर दिया। पूनम अपना मुँह खोल दी और लण्ड को मुँह में लेने की कोशिश करने लगी। लेकिन ये अमित का छोटा लण्ड नहीं था। उसे पूरा मुँह खोलना पड़ा और लण्ड का बस सामने वाला थोड़ा सा हिस्सा ही उसके मुँह में जा पाया।
पूनम और अपना मुँह बड़ा की और जितना लण्ड हो सकता था उतना मुँह में भरकर चूसने लगी। वो सोचने लगी की जब ये लण्ड मुँह में नहीं जा रहा तो पता नहीं फिर चुत में कैसे जाता होगा। लण्ड के ऊपर कुछ बूँदें आने लगी थी जिसका टेस्ट पूनम के मुँह में जा रहा था और उसे अच्छा लग रहा था। वो आइसक्रीम की तरह गुड्डू का लण्ड चूस रही थी। गुड्डू का लण्ड और टाइट हो गया था। उसने शीतल को खड़ा किया और फिर से टेबल पे लिटा दिया।
पूनम को समझ नहीं आया लेकिन वो लेटी रही। गुड्डू उसके स्कर्ट को ऊपर उठा दिया और फिर से उसकी नंगी चुत चमक उठी। पूनम पूछी "क्या कर रहे हो" गुड्डू बिना कोई जवाब दिए पूनम की चुत को सहलाने लगा और ऊँगली अंदर करके चुत फ़ैलाने लगा। पूनम की चुत गीली ही थी तो ऊँगली तुरंत अंदर बाहर होने लगा। पूनम गर्म तो थी ही, गुड्डू के इस हरकत से और गरमा गई।
अब गुड्डू पूनम के सामने खड़ा हो गया और अपना टाइट लण्ड पूनम की चुत से रगड़ने लगा। पूनम समझ गयी की वो अभी चुदने वाली है। पूनम के पैर अपने आप फ़ैल गए। लण्ड सटते ही उसकी चुत और गीली हो गयी थी और उसे लगा की गुड्डू जल्दी से लण्ड अंदर डाल दे और उसे मसल दे। उसके मन ये डर भी था कि वो लोग अभी घर में नहीं रेस्टुरेंट में हैं और यहाँ कभी भी कोई भी आ सकता है और यहाँ की सारी आवाज़ बाहर जायेगी। गुड्डू ने तो कहा ही था कि यहाँ चोदेगा तो पूरा रेस्टुरेंट समझ जायेगा की पूनम सक्सेना की चुदाई हो रही है।
दूसरा डर ये भी था कि ये मूसल लण्ड उसकी चुत में जायेगा भी की नहीं और अगर ये अंदर घुस गया तो पता नहीं उसकी क्या हालत होगी। अमित का लण्ड जो इसका आधा भी नहीं था, वो अंदर जाता था तब तो उतना दर्द हुआ था, ये तो सच में मेरी चुत को फाड़ ही डालेगा और कहीं फिर से खून वुन न निकलने लगे। लेकिन न तो वो खुद रुकना चाहती थी और न ही गुड्डू को रोकना चाहती थी।
गुड्डू ने लण्ड को छेद पर लगाया और एक धक्का लगाया, लेकिन उस धक्के के साथ ही पूनम भी "उइई माँ...." चीखते हुए पीछे खिसक गयी। पूनम का बदन दर्द से सिहर उठा था। वो डर गयी। गुड्डू ने फिर से उसे अपनी तरफ खींचा और फिर से लण्ड को चुत के छेद पर लगा दिया। पूनम को डर हुआ की कितना दर्द होगा और लोग उसकी चीख सुन चुके होंगे।
बोली "आह प्लीज़ अंदर मत डालो।" लेकिन गुड्डू अब कहाँ सुनने वाला था। उसने ठीक से चुत के छेद पर लण्ड रखा और पूनम को कंधे से पकड़ कर धक्का लगाया। पूनम पहले से ही डरी हुई थी और दर्द होगा, तो वो हटने के लिए तैयार थी। गुड्डू के धक्का लगाते ही पूनम को तेज़ दर्द हुआ और वो फिर से "आआआ..." करते हुए अपनी कमर को किनारे कर ली।
इस बार उसकी आवाज़ थोड़ी धीमी थी। वो तुरंत उठ बैठी और टेबल से उतरने लगी। गुड्डू ने उसे पकड़ लिया और बोला "उठ कहाँ रही है। रुक, अभी लण्ड अंदर जायेगा।" पूनम रोती हुई सी बोली "नहीं जायेगा। तुम्हारा बहुत बड़ा है और मुझे बहुत दर्द हो रहा है। सब लोग सुन रहे होंगे। तुमने कहा था कि चोदुंगा नहीं, बस देखूँगा। अब देख लिए। अब मुझे जाने दो।"
गुड्डू बोला "लेकिन मेरे लण्ड का पानी तो निकला ही नहीं। उसे निकाले बिना नहीं जाने दूँगा।" पूनम कुछ नहीं बोली। गुड्डू की बात तो सही थी। वो लण्ड पकड़ी और आगे पीछे करने लगी और फिर मुँह में लेकर चूसने लगी। गुड्डू उसके सर को पकड़ लिया और अपने लण्ड पे दबा कर आगे पीछे करने लगा। पूनम की साँस रुक रही थी। वो ताकत लगा कर अपने सर को पीछे की और बोली "ऐसे मत दबाओ, मैं चूस रही हूँ न।"
गुड्डू कुर्सी पर बैठ गया और पूनम के टॉप ब्रा को ऊपर कर दिया और उसकी पीठ चुच्ची को सहलाने लगा और पूनम उसका लण्ड चूस रही थी। थोड़ी देर बाद फिर गुड्डू खड़ा हो गया और पूनम के सर को पकड़ को आगे पीछे करने लगा। फिर उसने पूनम के सर को अपने लण्ड पर दबा लिया और उसका लण्ड झटके मारने लगा।
लण्ड पूरा मुँह में दबा हुआ था और गर्मा गर्म ताज़ा ताज़ा वीर्य पूनम के मुँह में गिरा और जब तक वो समझती तब तक वो उसे निगल चुकी थी। वीर्य इतनी तेजी से गिर रहा था कि वो ठीक से निगल भी नहीं पा रही थी। गुड्डू ने लण्ड बाहर निकाल लिया और पूनम के मुँह पर वीर्य गिराने लगा। पूनम को बहुत मज़ा आ रहा था। अगर वो रेस्टुरेंट में नहीं होती तो ख़ुशी ख़ुशी चुदवाती। वो वीर्य को मुँह पे गिरने दी।
गुड्डू ने फिर से लण्ड मुँह में दे दिया और पूनम उसे चूस कर साफ कर दी। गुड्डू अपने लण्ड को पैंट में रख लिया और सामने के कुर्सी पर बैठ गया। पूनम कोल्डड्रिंक उठाकर 2-3 घूँट पियी। वीर्य उसके गले में अटका हुआ था। फिर वो अपने टॉप ब्रा को ठीक कर ली और टिश्यू पेपर से चेहरा को पोछ ली।
गुड्डू बोला "चल" और वो बाहर निकल गया। पूनम भी तुरंत बाहर निकली। वो काउंटर पर कुछ पैसा दिया और जबतक पूनम वहाँ पहुँची गुड्डू बाहर निकल गया। पूनम बिना इधर उधर किसी को देखे सीधा बाहर निकल गयी। उसे पता था कि सब उसे ही देख रहे होंगे और क्या सोच रहे होंगे।