15-03-2019, 10:59 PM
पूनम सुबह सोकर जागी तो पूरा प्लानिंग कर रही थी की कैसे कैसे क्या करना है। वो आज उतनी ही एक्साइटेड थी जितना पहली बार अमित के साथ डेट पर जाते वक़्त थी। पूनम नहाने के लिए बाथरूम में घुसी और अपने चुत को चिकनी बना दी। आज उसके चुत की प्रदर्शनी होनी थी। हेयर रिमूवर से बालों को हटाने के बाद वो फेसिअल क्रीम को चुत, कमर, गांड और चुच्ची पर लगाकर अच्छे से मसाज की। अब उसका बदन पूरा चमक रहा था। खास कर उसकी चुत। इतनी तयारी तो पूनम अमित से चुदवाने लिए भी नहीं की थी।
नहाने के बाद पूनम को याद आया की उसे पैंटी तो पहनना ही नहीं है। वो सोची की बिना पैंटी के जाना ठीक रहेगा की नहीं, लेकिन फिर उसे लगा की पैंटी तो उतारनी ही है और जब वो बोला है तो बिना पहने ही जाती हूँ। वो रेगुलर ब्रा की जगह टीशर्ट ब्रा पहन ली। उसे पता था कि उसकी चूचियाँ भी ब्रा से बाहर निकलेगी ही और अगर फिर कल रात की तरह ब्रा का हुक नहीं लगा, तो झमेला हो जाना है। इसलिए वो टीशर्ट ब्रा पहनी। वैसे भी गुड्डू ने उसे ऐसे कपड़े पहनने को कहा था जिसे खोलना उतारना आसान हो। कपड़े ऐसे हो की वो आसानी से उसके पुरे बदन को छु पाए। इस ब्रा से चुच्ची बाहर निकलना आसान था, इसे उतारना और पहनना आसान था और इस के ऊपर से भी अगर वो उसकी चुच्ची मसलता तो ऐसा लगता जैसे बिना ब्रा के चुच्ची मसल रहा हो।
अब पूनम उसी वन पीस को पहन ली और आईने में खुद को देखने लगी। सच में उसकी चूचियाँ एकदम गोल गोल दिख रही थी। लेकिन नीचे से उसे खुला खुला लग रहा था। पूनम पहली बार बिना पैंटी पहने घर से बाहर जाने वाली थी और ये ड्रेस घुटने से भी थोड़ा ऊपर ही था। उसे अजीब सा लग रहा था। वो अपनी ड्रेस को थोड़ा सा ऊपर उठायी तो उसकी जांघें चमक उठी और वो फिर थोड़ा और ऊपर उठाई तो उसकी नंगी चुत चमक उठी। पूनम शर्मा गयी। इसलिए तो गुड्डू ने उसे ये ड्रेस पहनकर आने को कहा था की तुरंत उसकी चुत तक पहुँच पाए।
पूनम को याद आ गया कि कल रात गुड्डू कैसे उसके बदन के साथ खेल रहा था और कितनी जल्दी उसका हाथ पूनम की चुत पर पहुँच गया था। आज तो उसे इस ड्रेस में 2 सेकंड भी नहीं लगने थे। वो उसके करीब आएगा और तुरंत वन पीस को ऊपर उठकर उसकी नंगी चिकनी चुत को सहलाने लगेगा। पूनम पीछे घूम गयी और आईने में अपनी गांड देखी। उसकी गोरी गांड चमक रही थी जिसे गुड्डू को आज मसलना था।
पूनम रूम में इधर उधर चल कर देखने लगी। उसे अजीब लग रहा था। उसे यही ड्रेस पहनकर पहले ऑफिस जाना था और फिर दोपहर में गुड्डू से मिलना था। बिना पैंटी के इस ड्रेस में उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो नीचे से नंगी ही हो। दिनभर इसी तरह रहना मुश्किल काम था। वो इसे बदल लेने के लिए सोची, लेकिन अगली समस्या यह थी वो कौन सी ड्रेस पहने जिसमे गुड्डू आसानी से उसकी चुत चुच्ची को नंगी देख पाए और मसल पाए।
थोड़ी देर तक सोच विचार करने के बाद पूनम अपनी उसी लॉन्ग स्कर्ट को निकाल ली जिसे पहनकर वो पहली बार अमित को अपना बदन छूने दी थी। इसमें भी चुत तक पहुँचना उतना ही आसान था। अमित ने भी उसकी पैंटी को उतार दिया था और उसकी चुत को नंगी देखा था। फिर वो बिना पैंटी के ही अमित के दोस्त के घर पर गयी थी और अपनी जवानी अमित पर लुटा दी थी। इसी लॉन्ग स्कर्ट को उतारकर अमित ने पूनम की सील को तोड़ा था।
पूनम को अमित की याद आ गयी और वो उस लॉन्ग स्कर्ट के साथ उसी टॉप को पहनी जो उस दिन पहनी हुई थी। उसे लगा की शायद ये ड्रेस इसी के लिए बना है कि इसे पहनकर वो नंगी होने और चुदवाने के लिए जाये। अमित का ख्याल आते ही उसका मन उदास हो गया और वो कुछ से कुछ सोचने लगी। उसके मन में जितने भी विचार आ रहे थे वो सबको झटकी और 'जो होता है होने दो' सोचती हुई मेकअप करने लगी। ज्यादा मेकअप वो कभी नहीं करती थी, लेकिन आज उसके चेहरे पे नूर चमक रहा था। उसकी जवानी और खिलने वाली थी।
पूनम तैयार हो गयी और ऑफिस के लिए निकल पड़ी। वो लॉन्ग स्कर्ट पहनी हुई थी जो उसके सैंडल तक को ढंके हुए था, फिर भी उसे लग रहा था जैसे वो नीचे से नंगी हो। पूनम को हमेशा पैंटी पहने रहने की आदत थी और ये लॉन्ग स्कर्ट पूरा ढीला ढाला था, तो उसे लग रहा था कि कमर के नीचे कोई कपड़ा है ही नहीं उसके बदन पर। और कोई दूसरा कपड़ा वो पहन भी नहीं सकती थी।
पूनम घर से बाहर आ गयी और सामने रोड पर ही दोनों दोस्त खड़े थे और आज पूनम को देखते ही दोनों के चेहरे पर भी रौनक आ गयी। उनका शिकार हलाल होने के लिए तैयार था। दोनों उसे ऐसे देख रहे थे जैसे पूनम कोई कपड़ा पहनी ही नहीं हो और पूरी नंगी हो। उन दोनों को देखकर पूनम की शर्म और बढ़ गयी की उसी के लिए वो बिना पैंटी के इस ड्रेस में घर से बाहर निकली है। वो रोड की तरफ बढ़ती जा रही थी और उसके चेहरे पे मुस्कान बिना उसके इज़ाज़त के फैलते जा रही थी। वो अपने सर को झुका ली और इधर उधर देख कर अपनी हँसी को छुपाने की नाकाम कोशिश करती रही।
रोड पर आने के बाद पूनम की नज़र उन दोनों की तरफ पड़ गयी और नज़र मिलते ही उसकी हँसी और बढ़ गयी। गुड्डू और विक्की दोनों उसे देखकर मुस्कुरा रहे थे। पूनम शर्मा रही थी, लेकिन उसकी हँसी कम हो ही नहीं रही थी। विक्की ने उसे इशारे में कहा कि बहुत मस्त लग रही हो और गुड्डू ने उसे इशारा किया कि कल तय हुए समय और जगह पर मिलते हैं।
जब पूनम रोड पे थोड़ी दूर आ गयी तो उसे खुद पे बहुत गुस्सा आ रहा था की 'क्या जरूरत थी हँसने की। सब देख रहे थे और पता नहीं क्या क्या सोच रहे होंगे।' लेकिन पहले की ही तरह अब गुस्सा या अफ़सोस करने से कोई फायदा नहीं होना था।
पूनम सोचने लगी की 'मैं तो तब अपनी हँसी नहीं रोक पाती थी जब मैं इनसे कोई मतलब नहीं रखना चाहती थी और इनसे नफरत करती थी। और आज तो मैं उससे मिलने वाली हूँ और अपने नंगे बदन को उसे दिखने वाली हूँ। मेरी पैंटी उसके पास है जिसे वो मेरी चुत से उतार कर ले गया था और मैं लाइफ में पहली बार बिना पैंटी के घर से निकली हूँ ताकि वो आसानी से मेरी नंगी चुत को छू पाए। तो अब अगर मेरी हँसी नहीं रुकी तो क्या होगया। शायद यही होना था इसीलिए तो पहले भी उनलोगों को देखकर मैं मुस्कुरा देती थी।''
रास्ते भर गुड्डू के बारे में ही सोचती रही और ऑफिस पहुँचते पहुँचते पूनम की चुत गीली हो गयी थी। उसे लगा की पैंटी तो पहनी नहीं हूँ, तो कहीं चुत का रस स्कर्ट पे न लग जाये। वो बाथरूम गयी और अपनी चुत को पोछ ली। लेकिन आज उसकी चुत का लीकेज रूक ही नहीं रहा था। अगर थोड़ी देर के लिए रुक भी जाता जब पूनम काम में व्यस्त होती थी तब, लेकिन तभी गुड्डू का कोई नॉनवेज मैसेज आ जाता और लीकेज फिर से बढ़ जाता। पूनम को थोड़ी थोड़ी देर पर बाथरूम जाना पड़ रहा था और अपनी चुत को पोछना पड़ रहा था।
पूनम को बहुत डर भी लग रहा था कि 'वो सही कर रही है या नहीं। कहीं किसी ने देख लिया या पहचान लिया तो क्या होगा। कहीं पापा मम्मी को पता चल गया तो क्या होगा। अमित के साथ तो ये था कि अगर उन्हें पता चल भी गया तो बोल देती की अमित से प्यार करती हूँ और इसीके साथ शादी करुँगी। लेकिन गुड्डू के बारे में क्या बोलूँगी, की इसे मुझे चोदना है, इसलिए यहाँ इससे मिलने आयी हूँ।' कई बार उसके मन में ये ख्याल आया की नहीं मिलती हूँ गुड्डू से, लेकिन गुड्डू की कल की ज़िद और अभी तक जो जो हो चूका है उसके साथ, वो मिलना टाल नहीं पायी।
लंच टाइम हुआ और पूनम अपने ऑफिस से निकल गयी अपने नंगे बदन की नुमाइश करने। वो बाहर आई ही थी की गुड्डू का फ़ोन आ गया तो पूनम उसे बता दी की आ रही हूँ। रेस्टुरेंट उसके ऑफिस से नज़दीक ही था और वो तुरंत ही वहाँ पहुँच गयी। वहाँ पहुँचते ही पूनम शॉक्ड हो गयी। गुड्डू और विक्की दोनों रेस्टुरेंट के बाहर खड़े थे और गुड्डू उसे देखते ही उसकी ओर बढ़ा। पूनम को बहुत डर लगने लगा। विक्की को यहाँ देख कर उसे डर लगने लगा था और वो सोची की यहाँ से चली जाती हूँ।
तब तक गुड्डू उसके नज़दीक आ चुका था और वो सोची की अब बाहर में कुछ भी बोलने से या बात बढ़ाने से और झमेला ही बढ़ेगा। वो धीरे से बोली "विक्की क्यों आया है। और तुम बाहर क्यों खड़े हो और मेरे नज़दीक क्यों आ रहे हो! किसी ने देख लिया बस!"
पूनम जल्दी जल्दी चलती हुई रेस्टुरेंट के अंदर आ गयी एक खाली केबिन में बैठ गयी। उसकी साँस तेज़ चल रही थी। एक तो वो जल्दी जल्दी चल कर आई थी और दूसरा उसे डर लग रहा था। गुडु भी तुरंत उसी केबिन में आ गया। पूनम सर झुकाए चुपचाप बैठी हुई थी। उसे गुस्सा भी आ रहा था और डर भी लग रहा था। ये बात उसके दिमाग में आया ही नहीं था कि दोनों यहाँ होंगे। गुड्डू उसे हमेशा बोला था कि दोनों उसे चोदेंगे लेकिन आज के लिए वो मानसिक तौर पर तैयार नहीं थी।
केबिन में बीच में टेबल लगा हुआ था और दोनों साइड दो दो आदमियों के बैठने लायक सिंगल कुर्सी लगी हुई थी। केबिन का गेट दो पल्लों वाला था स्लाइड होकर बंद होते थे। दोनों गेट पूरा बंद नहीं होता था और बीच में कुछ जगह खाली बचती थी, लेकिन उस जगह पर पर्दा लगाया जा सकता था। गुड्डू पूनम के सामने की कुर्सी पर बैठ गया और बोला "थैंक्स जान, मेरे से मिलने आने के लिए। तुम आज बहुत मस्त लग रही हो।" पूनम कुछ नहीं बोली। गुड्डू फिर पूछा "क्या हुआ? अपसेट क्यों हो।"
पूनम पहले तो कुछ नहीं बोली, फिर बोली "विक्की यहाँ क्यों आया है?" गुड्डू बोला "वो तो बस मुझे यहाँ पहुँचाने आया था। वो तो चला भी गया होगा।" पूनम बोली "अगर वो आएगा तो मैं चली जाऊँगी। मैं उसके साथ कुछ भी नहीं करने वाली।" गुड्डू बोला "आज कुछ मत करना। उसे ऐसे जगह पर कुछ करने में मज़ा भी नहीं आता है। लेकिन चोदेगा वो भी, ये याद रखना।" पूनम कुछ नहीं बोली।
तभी गेट पर विक्की प्रकट हुआ। पूनम उसे शॉक्ड होकर देख रही थी और सोच रही थी की 'वो क्या करे। विक्की को भी अपने बदन से खेलने दे या यहाँ से चली जाए।' विक्की पूनम को देखता हुआ बोला "हाय.... तुम बहुत खूबसूरत हो।" पूनम कुछ नहीं बोली। वो नीचे ही देखते रही। विक्की फिर बोला "तुम हमारे घर पे क्यों नहीं आयी? यहाँ क्या मज़ा आएगा जो मज़ा घर पे आता। पूरी नंगी होकर चुदवाती वहाँ।" पूनम फिर कुछ नहीं बोली। वो अपने आपको तैयार कर रही थी अभी के हालात के लिए। विक्की थोड़ा जोर से फिर बोला "हेल्लो, मैं तुमसे बोल रहा हूँ। काम सुनती हो क्या।" उसकी आवाज़ में हल्का गुस्सा था। पूनम डर गयी। बोली "आं.. हाँ... वो मैं अभी तुरंत चली जाऊँगी, इसीलिए। घर पे फिर कभी .... बाद में...."
विक्की बोला "अरे जितनी ही देर रहती, वहाँ पूरी मस्ती होती। नहीं चुदवाना होता तो नहीं चुदवाती, लेकिन जो भी करती फुर्सत में और मज़े में करती। यहाँ तो वो आते हैं जिनके पास जगह नहीं है मिलने की।" पूनम कुछ नहीं बोली। गुड्डू बोला "आएगी घर पर भी। लौट कर आएगी शादी से तो वहाँ आएगी। पुरे दिन के लिए। तू जा अभी।" विक्की बोला "असली मज़ा तभी आता है जब पुरे दिन नंगे रहकर चुदाई हो। यहाँ क्या टाइम पास करना है, ये चुम्मा चाटी तो बचपने की चीज़ है। बाँकी जैसी तुम्हारी मर्ज़ी। करो जो करना है।" गुड्डू बोला "चुत भी चुदवाएगी और गांड भी मरवायेगी। लेकिन अब तू जा यहाँ से।"
पूनम चुप ही बैठी थी। वो लोग ऐसे बात कर रहे थे जैसे पूनम कोई अच्छी लड़की नहीं, उनकी रण्डी हो। पूनम फ़ोन पे ये सब सुनी थी और बोली भी थी, लेकिन आज पहली बार उसके सामने दो लड़के इस भाषा में बात कर रहे थे, वो भी उसी के बारे में। पूनम को बुरा लग रहा था। विक्की बोला "मैं तो जा ही रहा हूँ। मुझे ये सब में मज़ा नहीं आता। जिस दिन चुदवायेगी उस दिन मज़ा करूँगा मैं।"
विक्की गेट सटा कर पर्दा लगा दिया और चला गया। अब बाहर से किसी को कुछ नहीं दिखना था। पूनम अभी भी सर झुकाए बैठी थी। वैसे विक्की चला गया था तो अब उसे थोड़ा ठीक लग रहा था। लेकिन उसे बुरा अभी भी लग रहा था। उसे लग रहा था कि 'मुझे यहाँ आना ही नहीं चाहिए था और इन दोनों से दूर ही रहना चाहिए।'
नहाने के बाद पूनम को याद आया की उसे पैंटी तो पहनना ही नहीं है। वो सोची की बिना पैंटी के जाना ठीक रहेगा की नहीं, लेकिन फिर उसे लगा की पैंटी तो उतारनी ही है और जब वो बोला है तो बिना पहने ही जाती हूँ। वो रेगुलर ब्रा की जगह टीशर्ट ब्रा पहन ली। उसे पता था कि उसकी चूचियाँ भी ब्रा से बाहर निकलेगी ही और अगर फिर कल रात की तरह ब्रा का हुक नहीं लगा, तो झमेला हो जाना है। इसलिए वो टीशर्ट ब्रा पहनी। वैसे भी गुड्डू ने उसे ऐसे कपड़े पहनने को कहा था जिसे खोलना उतारना आसान हो। कपड़े ऐसे हो की वो आसानी से उसके पुरे बदन को छु पाए। इस ब्रा से चुच्ची बाहर निकलना आसान था, इसे उतारना और पहनना आसान था और इस के ऊपर से भी अगर वो उसकी चुच्ची मसलता तो ऐसा लगता जैसे बिना ब्रा के चुच्ची मसल रहा हो।
अब पूनम उसी वन पीस को पहन ली और आईने में खुद को देखने लगी। सच में उसकी चूचियाँ एकदम गोल गोल दिख रही थी। लेकिन नीचे से उसे खुला खुला लग रहा था। पूनम पहली बार बिना पैंटी पहने घर से बाहर जाने वाली थी और ये ड्रेस घुटने से भी थोड़ा ऊपर ही था। उसे अजीब सा लग रहा था। वो अपनी ड्रेस को थोड़ा सा ऊपर उठायी तो उसकी जांघें चमक उठी और वो फिर थोड़ा और ऊपर उठाई तो उसकी नंगी चुत चमक उठी। पूनम शर्मा गयी। इसलिए तो गुड्डू ने उसे ये ड्रेस पहनकर आने को कहा था की तुरंत उसकी चुत तक पहुँच पाए।
पूनम को याद आ गया कि कल रात गुड्डू कैसे उसके बदन के साथ खेल रहा था और कितनी जल्दी उसका हाथ पूनम की चुत पर पहुँच गया था। आज तो उसे इस ड्रेस में 2 सेकंड भी नहीं लगने थे। वो उसके करीब आएगा और तुरंत वन पीस को ऊपर उठकर उसकी नंगी चिकनी चुत को सहलाने लगेगा। पूनम पीछे घूम गयी और आईने में अपनी गांड देखी। उसकी गोरी गांड चमक रही थी जिसे गुड्डू को आज मसलना था।
पूनम रूम में इधर उधर चल कर देखने लगी। उसे अजीब लग रहा था। उसे यही ड्रेस पहनकर पहले ऑफिस जाना था और फिर दोपहर में गुड्डू से मिलना था। बिना पैंटी के इस ड्रेस में उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो नीचे से नंगी ही हो। दिनभर इसी तरह रहना मुश्किल काम था। वो इसे बदल लेने के लिए सोची, लेकिन अगली समस्या यह थी वो कौन सी ड्रेस पहने जिसमे गुड्डू आसानी से उसकी चुत चुच्ची को नंगी देख पाए और मसल पाए।
थोड़ी देर तक सोच विचार करने के बाद पूनम अपनी उसी लॉन्ग स्कर्ट को निकाल ली जिसे पहनकर वो पहली बार अमित को अपना बदन छूने दी थी। इसमें भी चुत तक पहुँचना उतना ही आसान था। अमित ने भी उसकी पैंटी को उतार दिया था और उसकी चुत को नंगी देखा था। फिर वो बिना पैंटी के ही अमित के दोस्त के घर पर गयी थी और अपनी जवानी अमित पर लुटा दी थी। इसी लॉन्ग स्कर्ट को उतारकर अमित ने पूनम की सील को तोड़ा था।
पूनम को अमित की याद आ गयी और वो उस लॉन्ग स्कर्ट के साथ उसी टॉप को पहनी जो उस दिन पहनी हुई थी। उसे लगा की शायद ये ड्रेस इसी के लिए बना है कि इसे पहनकर वो नंगी होने और चुदवाने के लिए जाये। अमित का ख्याल आते ही उसका मन उदास हो गया और वो कुछ से कुछ सोचने लगी। उसके मन में जितने भी विचार आ रहे थे वो सबको झटकी और 'जो होता है होने दो' सोचती हुई मेकअप करने लगी। ज्यादा मेकअप वो कभी नहीं करती थी, लेकिन आज उसके चेहरे पे नूर चमक रहा था। उसकी जवानी और खिलने वाली थी।
पूनम तैयार हो गयी और ऑफिस के लिए निकल पड़ी। वो लॉन्ग स्कर्ट पहनी हुई थी जो उसके सैंडल तक को ढंके हुए था, फिर भी उसे लग रहा था जैसे वो नीचे से नंगी हो। पूनम को हमेशा पैंटी पहने रहने की आदत थी और ये लॉन्ग स्कर्ट पूरा ढीला ढाला था, तो उसे लग रहा था कि कमर के नीचे कोई कपड़ा है ही नहीं उसके बदन पर। और कोई दूसरा कपड़ा वो पहन भी नहीं सकती थी।
पूनम घर से बाहर आ गयी और सामने रोड पर ही दोनों दोस्त खड़े थे और आज पूनम को देखते ही दोनों के चेहरे पर भी रौनक आ गयी। उनका शिकार हलाल होने के लिए तैयार था। दोनों उसे ऐसे देख रहे थे जैसे पूनम कोई कपड़ा पहनी ही नहीं हो और पूरी नंगी हो। उन दोनों को देखकर पूनम की शर्म और बढ़ गयी की उसी के लिए वो बिना पैंटी के इस ड्रेस में घर से बाहर निकली है। वो रोड की तरफ बढ़ती जा रही थी और उसके चेहरे पे मुस्कान बिना उसके इज़ाज़त के फैलते जा रही थी। वो अपने सर को झुका ली और इधर उधर देख कर अपनी हँसी को छुपाने की नाकाम कोशिश करती रही।
रोड पर आने के बाद पूनम की नज़र उन दोनों की तरफ पड़ गयी और नज़र मिलते ही उसकी हँसी और बढ़ गयी। गुड्डू और विक्की दोनों उसे देखकर मुस्कुरा रहे थे। पूनम शर्मा रही थी, लेकिन उसकी हँसी कम हो ही नहीं रही थी। विक्की ने उसे इशारे में कहा कि बहुत मस्त लग रही हो और गुड्डू ने उसे इशारा किया कि कल तय हुए समय और जगह पर मिलते हैं।
जब पूनम रोड पे थोड़ी दूर आ गयी तो उसे खुद पे बहुत गुस्सा आ रहा था की 'क्या जरूरत थी हँसने की। सब देख रहे थे और पता नहीं क्या क्या सोच रहे होंगे।' लेकिन पहले की ही तरह अब गुस्सा या अफ़सोस करने से कोई फायदा नहीं होना था।
पूनम सोचने लगी की 'मैं तो तब अपनी हँसी नहीं रोक पाती थी जब मैं इनसे कोई मतलब नहीं रखना चाहती थी और इनसे नफरत करती थी। और आज तो मैं उससे मिलने वाली हूँ और अपने नंगे बदन को उसे दिखने वाली हूँ। मेरी पैंटी उसके पास है जिसे वो मेरी चुत से उतार कर ले गया था और मैं लाइफ में पहली बार बिना पैंटी के घर से निकली हूँ ताकि वो आसानी से मेरी नंगी चुत को छू पाए। तो अब अगर मेरी हँसी नहीं रुकी तो क्या होगया। शायद यही होना था इसीलिए तो पहले भी उनलोगों को देखकर मैं मुस्कुरा देती थी।''
रास्ते भर गुड्डू के बारे में ही सोचती रही और ऑफिस पहुँचते पहुँचते पूनम की चुत गीली हो गयी थी। उसे लगा की पैंटी तो पहनी नहीं हूँ, तो कहीं चुत का रस स्कर्ट पे न लग जाये। वो बाथरूम गयी और अपनी चुत को पोछ ली। लेकिन आज उसकी चुत का लीकेज रूक ही नहीं रहा था। अगर थोड़ी देर के लिए रुक भी जाता जब पूनम काम में व्यस्त होती थी तब, लेकिन तभी गुड्डू का कोई नॉनवेज मैसेज आ जाता और लीकेज फिर से बढ़ जाता। पूनम को थोड़ी थोड़ी देर पर बाथरूम जाना पड़ रहा था और अपनी चुत को पोछना पड़ रहा था।
पूनम को बहुत डर भी लग रहा था कि 'वो सही कर रही है या नहीं। कहीं किसी ने देख लिया या पहचान लिया तो क्या होगा। कहीं पापा मम्मी को पता चल गया तो क्या होगा। अमित के साथ तो ये था कि अगर उन्हें पता चल भी गया तो बोल देती की अमित से प्यार करती हूँ और इसीके साथ शादी करुँगी। लेकिन गुड्डू के बारे में क्या बोलूँगी, की इसे मुझे चोदना है, इसलिए यहाँ इससे मिलने आयी हूँ।' कई बार उसके मन में ये ख्याल आया की नहीं मिलती हूँ गुड्डू से, लेकिन गुड्डू की कल की ज़िद और अभी तक जो जो हो चूका है उसके साथ, वो मिलना टाल नहीं पायी।
लंच टाइम हुआ और पूनम अपने ऑफिस से निकल गयी अपने नंगे बदन की नुमाइश करने। वो बाहर आई ही थी की गुड्डू का फ़ोन आ गया तो पूनम उसे बता दी की आ रही हूँ। रेस्टुरेंट उसके ऑफिस से नज़दीक ही था और वो तुरंत ही वहाँ पहुँच गयी। वहाँ पहुँचते ही पूनम शॉक्ड हो गयी। गुड्डू और विक्की दोनों रेस्टुरेंट के बाहर खड़े थे और गुड्डू उसे देखते ही उसकी ओर बढ़ा। पूनम को बहुत डर लगने लगा। विक्की को यहाँ देख कर उसे डर लगने लगा था और वो सोची की यहाँ से चली जाती हूँ।
तब तक गुड्डू उसके नज़दीक आ चुका था और वो सोची की अब बाहर में कुछ भी बोलने से या बात बढ़ाने से और झमेला ही बढ़ेगा। वो धीरे से बोली "विक्की क्यों आया है। और तुम बाहर क्यों खड़े हो और मेरे नज़दीक क्यों आ रहे हो! किसी ने देख लिया बस!"
पूनम जल्दी जल्दी चलती हुई रेस्टुरेंट के अंदर आ गयी एक खाली केबिन में बैठ गयी। उसकी साँस तेज़ चल रही थी। एक तो वो जल्दी जल्दी चल कर आई थी और दूसरा उसे डर लग रहा था। गुडु भी तुरंत उसी केबिन में आ गया। पूनम सर झुकाए चुपचाप बैठी हुई थी। उसे गुस्सा भी आ रहा था और डर भी लग रहा था। ये बात उसके दिमाग में आया ही नहीं था कि दोनों यहाँ होंगे। गुड्डू उसे हमेशा बोला था कि दोनों उसे चोदेंगे लेकिन आज के लिए वो मानसिक तौर पर तैयार नहीं थी।
केबिन में बीच में टेबल लगा हुआ था और दोनों साइड दो दो आदमियों के बैठने लायक सिंगल कुर्सी लगी हुई थी। केबिन का गेट दो पल्लों वाला था स्लाइड होकर बंद होते थे। दोनों गेट पूरा बंद नहीं होता था और बीच में कुछ जगह खाली बचती थी, लेकिन उस जगह पर पर्दा लगाया जा सकता था। गुड्डू पूनम के सामने की कुर्सी पर बैठ गया और बोला "थैंक्स जान, मेरे से मिलने आने के लिए। तुम आज बहुत मस्त लग रही हो।" पूनम कुछ नहीं बोली। गुड्डू फिर पूछा "क्या हुआ? अपसेट क्यों हो।"
पूनम पहले तो कुछ नहीं बोली, फिर बोली "विक्की यहाँ क्यों आया है?" गुड्डू बोला "वो तो बस मुझे यहाँ पहुँचाने आया था। वो तो चला भी गया होगा।" पूनम बोली "अगर वो आएगा तो मैं चली जाऊँगी। मैं उसके साथ कुछ भी नहीं करने वाली।" गुड्डू बोला "आज कुछ मत करना। उसे ऐसे जगह पर कुछ करने में मज़ा भी नहीं आता है। लेकिन चोदेगा वो भी, ये याद रखना।" पूनम कुछ नहीं बोली।
तभी गेट पर विक्की प्रकट हुआ। पूनम उसे शॉक्ड होकर देख रही थी और सोच रही थी की 'वो क्या करे। विक्की को भी अपने बदन से खेलने दे या यहाँ से चली जाए।' विक्की पूनम को देखता हुआ बोला "हाय.... तुम बहुत खूबसूरत हो।" पूनम कुछ नहीं बोली। वो नीचे ही देखते रही। विक्की फिर बोला "तुम हमारे घर पे क्यों नहीं आयी? यहाँ क्या मज़ा आएगा जो मज़ा घर पे आता। पूरी नंगी होकर चुदवाती वहाँ।" पूनम फिर कुछ नहीं बोली। वो अपने आपको तैयार कर रही थी अभी के हालात के लिए। विक्की थोड़ा जोर से फिर बोला "हेल्लो, मैं तुमसे बोल रहा हूँ। काम सुनती हो क्या।" उसकी आवाज़ में हल्का गुस्सा था। पूनम डर गयी। बोली "आं.. हाँ... वो मैं अभी तुरंत चली जाऊँगी, इसीलिए। घर पे फिर कभी .... बाद में...."
विक्की बोला "अरे जितनी ही देर रहती, वहाँ पूरी मस्ती होती। नहीं चुदवाना होता तो नहीं चुदवाती, लेकिन जो भी करती फुर्सत में और मज़े में करती। यहाँ तो वो आते हैं जिनके पास जगह नहीं है मिलने की।" पूनम कुछ नहीं बोली। गुड्डू बोला "आएगी घर पर भी। लौट कर आएगी शादी से तो वहाँ आएगी। पुरे दिन के लिए। तू जा अभी।" विक्की बोला "असली मज़ा तभी आता है जब पुरे दिन नंगे रहकर चुदाई हो। यहाँ क्या टाइम पास करना है, ये चुम्मा चाटी तो बचपने की चीज़ है। बाँकी जैसी तुम्हारी मर्ज़ी। करो जो करना है।" गुड्डू बोला "चुत भी चुदवाएगी और गांड भी मरवायेगी। लेकिन अब तू जा यहाँ से।"
पूनम चुप ही बैठी थी। वो लोग ऐसे बात कर रहे थे जैसे पूनम कोई अच्छी लड़की नहीं, उनकी रण्डी हो। पूनम फ़ोन पे ये सब सुनी थी और बोली भी थी, लेकिन आज पहली बार उसके सामने दो लड़के इस भाषा में बात कर रहे थे, वो भी उसी के बारे में। पूनम को बुरा लग रहा था। विक्की बोला "मैं तो जा ही रहा हूँ। मुझे ये सब में मज़ा नहीं आता। जिस दिन चुदवायेगी उस दिन मज़ा करूँगा मैं।"
विक्की गेट सटा कर पर्दा लगा दिया और चला गया। अब बाहर से किसी को कुछ नहीं दिखना था। पूनम अभी भी सर झुकाए बैठी थी। वैसे विक्की चला गया था तो अब उसे थोड़ा ठीक लग रहा था। लेकिन उसे बुरा अभी भी लग रहा था। उसे लग रहा था कि 'मुझे यहाँ आना ही नहीं चाहिए था और इन दोनों से दूर ही रहना चाहिए।'