15-03-2019, 07:41 PM
सलहज की मीठी गारियाँ
मम्मी ने बोला रीतू को बोलना , खाना खा के जायेगी।
और खाते समय भी वो चालु रहीं ,
और अबकी मम्मी के पीछे पड़ गयीं।
लेकिन उसके साथ ही उन्होंने जम के खाते समय अपने ननदोई और मेरे 'उनको ' गालियां सुनायी
और मेरी छोटी बहनों से भी साथ में दिलवायीं।
' अरे नंदोई जी कोने में न बैठों ,
कोने में लगे ततैया ,
तोहरे अम्मा कि बुर में बहिनों की बुर में ,
बैल को सींग , भैंस को चूतर , बैलगाड़ी को पहिया। '
,…
नंदोई जी तुम्हरी अम्मा के भोंसड़े में , तोहरी बहिनी कि बुरिया में
का का जाए , अरे का का समाये ,
हमारे ननंदोई जाए , उनके सारे जाएँ , सारे के भी सारे जायं ,
घोडा जाय , गदहा जाय , ऊंट बिचारा गोता खाय।
,…
मैं बैठी मुस्करा रही थी और बीच बीच में अपनी ननदों और सास का नाम भी रीतू भाभी को बता दे रही थी।
और मम्मी के पीछे तो , … मम्मी 'इनके' बाएं बैठ गयीं ,
बस रीतू भाभी चालू हो गयीं।
" नंदोई जी , देखिये आपके बाएं कौन बैठा है , बस छोड़ियेगा मत आज , पुराने चावल का मजा ले के रहिएगा। "
और वो भी न , बोले
' अरे सलहज जी मेरी हिम्मत की जो सलहज का हुकुम टालूँ। '
फिर मम्मी ने परोसते हुए एक बार बोल दिया ,
ले लो न ,
बस फिर रीतू भाभी , मम्मी के पीछे ,
' अरे आप दे रही हैं , तो लेने से कौन मना कर सकता है , और वैसे मैं राज की बात बताऊँ ,
ये होली सास से होली खेलने आये हैं , साली , सलहज तो बहाना है "
और वो कुछ मम्मी की थाली में डालने लगे तो फिर रीतू भाभी ,
" अरे नंदोई जी पूरा डालिये , हमारी और आपकी सास को आधे तिहे में मजा नहीं आता "
और मम्मी भी एकदम खुल गयी थी वो भी बोली ,
" हमारे दामाद को समझती क्या हो , वो पूरा ही डालता है , वो भी एक बार में। लेकिन तूने डलवाया की नहीं। "
रीतू भाभी को उन्होंने भी छेड़ा।
" क्या करूँ , वो पांच दिन वाली 'आंटी ' एकदम गलत मौके पे आ गयीं हैं लेकिन आज उनकी टाटा बाई बाई , फिर कल देखियेगा , एकदम निचोड़ के रख दूंगी , एक बूँद नहीं छोड़ूंगी। "
लेकिन फिर वो मम्मी को छेड़ने पे आ गयीं ,
" इसलिए कह रही हूँ , आज जो मलायी वलाई गड़पनी हो , आज रात छोड़ियेगा मत , मुश्किल से होली की रात ऐसा गबरू दामाद मिलता है। "
मझली को रीतू भाभी के साथ जाना ही था।
रीतू भाभी की एक नन्द थी वो उसे , मैथ्स में हेल्प करती थी। दो ही दिन बाद तो पेपर था। तो तय ये हुआ था कि आज रात और कल दिन वो उन्ही के साथ रह के पढ़ेगी , जिससे जो होली में डिस्टर्ब हुआ था वो बराबर हो जाय। कल दिन में भी होली का हंगामा होना ही था।
वो हम लोगों के जाने के पहले आ जायेगी।
छुटकी बोली की वो भी भाभी के साथ चली जायेगी , और कलसुबह ही वो और भाभी आ जाएंगी।
उसकी सहेलियां तो दस बजे आनी थीं जीजू से होली खेलने।
मम्मी ने हामी भर दी।
और उन लोगो के जाने के बाद घर में सिर्फ हम तीन लोग बचे थे , मैं , ये
और मम्मी।
मम्मी ने बोला रीतू को बोलना , खाना खा के जायेगी।
और खाते समय भी वो चालु रहीं ,
और अबकी मम्मी के पीछे पड़ गयीं।
लेकिन उसके साथ ही उन्होंने जम के खाते समय अपने ननदोई और मेरे 'उनको ' गालियां सुनायी
और मेरी छोटी बहनों से भी साथ में दिलवायीं।
' अरे नंदोई जी कोने में न बैठों ,
कोने में लगे ततैया ,
तोहरे अम्मा कि बुर में बहिनों की बुर में ,
बैल को सींग , भैंस को चूतर , बैलगाड़ी को पहिया। '
,…
नंदोई जी तुम्हरी अम्मा के भोंसड़े में , तोहरी बहिनी कि बुरिया में
का का जाए , अरे का का समाये ,
हमारे ननंदोई जाए , उनके सारे जाएँ , सारे के भी सारे जायं ,
घोडा जाय , गदहा जाय , ऊंट बिचारा गोता खाय।
,…
मैं बैठी मुस्करा रही थी और बीच बीच में अपनी ननदों और सास का नाम भी रीतू भाभी को बता दे रही थी।
और मम्मी के पीछे तो , … मम्मी 'इनके' बाएं बैठ गयीं ,
बस रीतू भाभी चालू हो गयीं।
" नंदोई जी , देखिये आपके बाएं कौन बैठा है , बस छोड़ियेगा मत आज , पुराने चावल का मजा ले के रहिएगा। "
और वो भी न , बोले
' अरे सलहज जी मेरी हिम्मत की जो सलहज का हुकुम टालूँ। '
फिर मम्मी ने परोसते हुए एक बार बोल दिया ,
ले लो न ,
बस फिर रीतू भाभी , मम्मी के पीछे ,
' अरे आप दे रही हैं , तो लेने से कौन मना कर सकता है , और वैसे मैं राज की बात बताऊँ ,
ये होली सास से होली खेलने आये हैं , साली , सलहज तो बहाना है "
और वो कुछ मम्मी की थाली में डालने लगे तो फिर रीतू भाभी ,
" अरे नंदोई जी पूरा डालिये , हमारी और आपकी सास को आधे तिहे में मजा नहीं आता "
और मम्मी भी एकदम खुल गयी थी वो भी बोली ,
" हमारे दामाद को समझती क्या हो , वो पूरा ही डालता है , वो भी एक बार में। लेकिन तूने डलवाया की नहीं। "
रीतू भाभी को उन्होंने भी छेड़ा।
" क्या करूँ , वो पांच दिन वाली 'आंटी ' एकदम गलत मौके पे आ गयीं हैं लेकिन आज उनकी टाटा बाई बाई , फिर कल देखियेगा , एकदम निचोड़ के रख दूंगी , एक बूँद नहीं छोड़ूंगी। "
लेकिन फिर वो मम्मी को छेड़ने पे आ गयीं ,
" इसलिए कह रही हूँ , आज जो मलायी वलाई गड़पनी हो , आज रात छोड़ियेगा मत , मुश्किल से होली की रात ऐसा गबरू दामाद मिलता है। "
मझली को रीतू भाभी के साथ जाना ही था।
रीतू भाभी की एक नन्द थी वो उसे , मैथ्स में हेल्प करती थी। दो ही दिन बाद तो पेपर था। तो तय ये हुआ था कि आज रात और कल दिन वो उन्ही के साथ रह के पढ़ेगी , जिससे जो होली में डिस्टर्ब हुआ था वो बराबर हो जाय। कल दिन में भी होली का हंगामा होना ही था।
वो हम लोगों के जाने के पहले आ जायेगी।
छुटकी बोली की वो भी भाभी के साथ चली जायेगी , और कलसुबह ही वो और भाभी आ जाएंगी।
उसकी सहेलियां तो दस बजे आनी थीं जीजू से होली खेलने।
मम्मी ने हामी भर दी।
और उन लोगो के जाने के बाद घर में सिर्फ हम तीन लोग बचे थे , मैं , ये
और मम्मी।