15-03-2019, 03:21 PM
(This post was last modified: 03-07-2020, 11:01 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मॉम के इंस्ट्रक्शंस
उनके जाने के बाद मेरी आँख लग गयी , रत जगे का असर.
सोते सोते मैं सोच रही थी , मेरी पूरी कोशिश है की उसके ऊपर जो झूठे वैल्यूज का सो काल्ड संस्कारों का बोझ उसके मायकेवालों ने लाद दिया था , वो सारे बड़े बड़ेपत्थर मैं किसी तरह ठेल ठाल के उसे मुक्त करा दूँ , जिससे ही शुड बी ट्रू टू हिज पर्सनाल्टी , वो खुल के जिंदगी का मजा ले सके , जो भी चीजें उसे बचपन से अच्छीलगती थीं , लेकिन जिसका मजा वो नहीं ले पाया। मुझे कल रात जिस तरह उसने अपनी ममेरी बहन समझ के हचक हचक के , और सबसे मजेदार तो जिस तरहआज आफिस जाते समय उसने मुझे चैलेन्ज किया ,
" ब्रेकफास्ट तो नहीं खिलाया न। "
मैंने मन ही मन बुदबुदाया , घबड़ा मत मुन्ना , वो भी मिलेगा और बहुत जल्द मिलेगा।
मैं मुश्किल से आधे घंटे नींद में थी की मम्मी के फोन से नींद खुल गयी।
वैसे भी ये रोज का समय उनके आफिस जाने के बाद का मम्मी बेटी संवाद का होता था। मैंने पहले भी कई बार कहा है की मॉम से मैं कुछ नहीं छिपाती थी।
और वो खोद खोद के सब बात पूछ भी लेती थीं।
जब मैंने उन्हें बताया की कैसे कल रात अपनी ननद बन के मैं चुदी और उनके मन की सब बातें बाहर अ गयीं , तो वो खूब खिलखिलायीं और बोली
"मैं तुझसे पहले ही कह रही थी चल पहले तू उसे पक्का बहनचोद बना और फिर मैं उसे मादरचोद बना के ही छोडूंगी। "
" अरे मम्मी आप के मुंह में घी शक्कर , वो तो बहुत खुश हो जाएंगे , "
मैंने भी हँसते हुए उनकी हाँ में हाँ लेकिन दलबदलने में मम्मी मेरी ,नेताओं के कान काटती थीं ,खास तौर से अगर उनकै जमाई राजा का मामला हो। पैदा उन्होंनेमुझे किया लेकिन झट्ट से पाला बदल के अपने दामाद के सपोर्ट में आ जाती थीं।
जैसे मैंने उनसे 'बेडटी और ब्रेकफास्ट ' की बात की , एकदम से वो मेरे ऊपर अलफ्फ , और अपने दामाद की ओर से बोलने लगीं ,
" सही तो कह रहा था वो , मेरा मुन्ना। ब्रेकफास्ट तो कराना चाहिए था ना , और थोड़ा सा क्यों पूरा कराती पेट भर। "
लेकिन मैं भी तो अपनी मम्मी की बेटी थी ,पलट के जवाब दिया मैंने ,
" सब कुछ बीबी ही सीखा देगी तो सास क्या करेंगी आके , अब बाकी काम आपके जिम्मे। "
वो जोर से खिलखिलायीं और चैलेन्ज स्वीाकार करते बोलीं,
" आने दे मुझे तू बिंचारे मेरे मुन्ने को जरा से ब्रेकफास्ट के लिए तड़पा रही है ,मैं तो उसे लंच डिनर सब करूंगी भर पेट और नहीं मानेगा तो जबरदस्ती।"
" एकदम मॉम ,वैसे भी वो आपके पिछवाड़े के दीवाने हैं , " मैंने मम्मी को मक्खन लगाया , लेकिन बात सच भी थी।
" मुझे मालूम है ," खुश हो के मम्मी बोलीं , और जोड़ा , " लेकिन मैं भी उसके पिछवाड़े की दीवानी हूँ। "
" मम्मी उनके पिछवाड़े का भी कुछ करना पडेगा , वो दरवाजा अभी तक बंद है। "
मैंने बोला और फिर हाल खुलासा सुनाया की कैसे कब वो १४ साल के थे तो चुदते चुदते रह गए थे और उस के बाद पांच छ बार बाल बाल बचे। "
" ये तो बहुत जुल्म है , माखन ऐसी गांड , ऐसा चिकना लौंडा , …चल अब तूने बोल दिया है तो उसका भी कुछ प्लान करते हैं। "
मॉम बोली।
फिर उन्होंने टॉपिक चेंज कर दिया उनके ड्रेस के बारे.
"मैं सोच रही हूँ अबकी आउंगी तो तेरे लिए कुछ साड़ियां ले आऊं " वो बोलीं।
मन ही मन मैं सोचा ,नेकी और पूछ पूछ लेकिन उन्हें चिढ़ाते बोली ,
" और अपने उस चाहने वाले कम दामाद के लिए कुछ नहीं लाइयेगा क्या ,मुंह फुलाकर बैठ जाएगा। "
" एकदम लाऊंगी , उस के लिए तो मैं चुन चुन कर अपनी वो पुरानी साड़ियां ला रही हूँ जो मैंने खूब पहनी हैं और अब एकदम घिस गयीं हैं ,मेरी देह की महक औररस से भरपूर। हरदम सास की महक आती रहेगी उसे। लेकिन तुमने उस की लिए कुछ नए कपडे सिलवाये की नहीं उसके नाप के। "
और अब मुझे डांट पड़ गयी।
बात मॉम की सही थी।
थोड़ी देर तक हम दोनों इसी बारे में बात करते रहे , और फिर ऐज यूजुअल , बात उनकी समधन या मेरी सास के बारे में चालू हो गयी।
" मैं चढ़ा तो दूँगी उसे तेरी सास के ऊपर , लेकिन उसे तैयार करने का काम , छेड़ने का काम , मन में आग सुलगाने का काम तेरा भी है , वो बोलीं फिर उन्होंने कुछहिंट्स भी दिए।
घंटे बाहर माँ बेटी संवाद चलता रहा ,और जैसे ही मैंने फोन रखा मैंने देखा , मिसेज खन्ना की मिस्ड काल थी , गनीमत थी सिर्फ पांच मिनट पहले की।
उनके जाने के बाद मेरी आँख लग गयी , रत जगे का असर.
सोते सोते मैं सोच रही थी , मेरी पूरी कोशिश है की उसके ऊपर जो झूठे वैल्यूज का सो काल्ड संस्कारों का बोझ उसके मायकेवालों ने लाद दिया था , वो सारे बड़े बड़ेपत्थर मैं किसी तरह ठेल ठाल के उसे मुक्त करा दूँ , जिससे ही शुड बी ट्रू टू हिज पर्सनाल्टी , वो खुल के जिंदगी का मजा ले सके , जो भी चीजें उसे बचपन से अच्छीलगती थीं , लेकिन जिसका मजा वो नहीं ले पाया। मुझे कल रात जिस तरह उसने अपनी ममेरी बहन समझ के हचक हचक के , और सबसे मजेदार तो जिस तरहआज आफिस जाते समय उसने मुझे चैलेन्ज किया ,
" ब्रेकफास्ट तो नहीं खिलाया न। "
मैंने मन ही मन बुदबुदाया , घबड़ा मत मुन्ना , वो भी मिलेगा और बहुत जल्द मिलेगा।
मैं मुश्किल से आधे घंटे नींद में थी की मम्मी के फोन से नींद खुल गयी।
वैसे भी ये रोज का समय उनके आफिस जाने के बाद का मम्मी बेटी संवाद का होता था। मैंने पहले भी कई बार कहा है की मॉम से मैं कुछ नहीं छिपाती थी।
और वो खोद खोद के सब बात पूछ भी लेती थीं।
जब मैंने उन्हें बताया की कैसे कल रात अपनी ननद बन के मैं चुदी और उनके मन की सब बातें बाहर अ गयीं , तो वो खूब खिलखिलायीं और बोली
"मैं तुझसे पहले ही कह रही थी चल पहले तू उसे पक्का बहनचोद बना और फिर मैं उसे मादरचोद बना के ही छोडूंगी। "
" अरे मम्मी आप के मुंह में घी शक्कर , वो तो बहुत खुश हो जाएंगे , "
मैंने भी हँसते हुए उनकी हाँ में हाँ लेकिन दलबदलने में मम्मी मेरी ,नेताओं के कान काटती थीं ,खास तौर से अगर उनकै जमाई राजा का मामला हो। पैदा उन्होंनेमुझे किया लेकिन झट्ट से पाला बदल के अपने दामाद के सपोर्ट में आ जाती थीं।
जैसे मैंने उनसे 'बेडटी और ब्रेकफास्ट ' की बात की , एकदम से वो मेरे ऊपर अलफ्फ , और अपने दामाद की ओर से बोलने लगीं ,
" सही तो कह रहा था वो , मेरा मुन्ना। ब्रेकफास्ट तो कराना चाहिए था ना , और थोड़ा सा क्यों पूरा कराती पेट भर। "
लेकिन मैं भी तो अपनी मम्मी की बेटी थी ,पलट के जवाब दिया मैंने ,
" सब कुछ बीबी ही सीखा देगी तो सास क्या करेंगी आके , अब बाकी काम आपके जिम्मे। "
वो जोर से खिलखिलायीं और चैलेन्ज स्वीाकार करते बोलीं,
" आने दे मुझे तू बिंचारे मेरे मुन्ने को जरा से ब्रेकफास्ट के लिए तड़पा रही है ,मैं तो उसे लंच डिनर सब करूंगी भर पेट और नहीं मानेगा तो जबरदस्ती।"
" एकदम मॉम ,वैसे भी वो आपके पिछवाड़े के दीवाने हैं , " मैंने मम्मी को मक्खन लगाया , लेकिन बात सच भी थी।
" मुझे मालूम है ," खुश हो के मम्मी बोलीं , और जोड़ा , " लेकिन मैं भी उसके पिछवाड़े की दीवानी हूँ। "
" मम्मी उनके पिछवाड़े का भी कुछ करना पडेगा , वो दरवाजा अभी तक बंद है। "
मैंने बोला और फिर हाल खुलासा सुनाया की कैसे कब वो १४ साल के थे तो चुदते चुदते रह गए थे और उस के बाद पांच छ बार बाल बाल बचे। "
" ये तो बहुत जुल्म है , माखन ऐसी गांड , ऐसा चिकना लौंडा , …चल अब तूने बोल दिया है तो उसका भी कुछ प्लान करते हैं। "
मॉम बोली।
फिर उन्होंने टॉपिक चेंज कर दिया उनके ड्रेस के बारे.
"मैं सोच रही हूँ अबकी आउंगी तो तेरे लिए कुछ साड़ियां ले आऊं " वो बोलीं।
मन ही मन मैं सोचा ,नेकी और पूछ पूछ लेकिन उन्हें चिढ़ाते बोली ,
" और अपने उस चाहने वाले कम दामाद के लिए कुछ नहीं लाइयेगा क्या ,मुंह फुलाकर बैठ जाएगा। "
" एकदम लाऊंगी , उस के लिए तो मैं चुन चुन कर अपनी वो पुरानी साड़ियां ला रही हूँ जो मैंने खूब पहनी हैं और अब एकदम घिस गयीं हैं ,मेरी देह की महक औररस से भरपूर। हरदम सास की महक आती रहेगी उसे। लेकिन तुमने उस की लिए कुछ नए कपडे सिलवाये की नहीं उसके नाप के। "
और अब मुझे डांट पड़ गयी।
बात मॉम की सही थी।
थोड़ी देर तक हम दोनों इसी बारे में बात करते रहे , और फिर ऐज यूजुअल , बात उनकी समधन या मेरी सास के बारे में चालू हो गयी।
" मैं चढ़ा तो दूँगी उसे तेरी सास के ऊपर , लेकिन उसे तैयार करने का काम , छेड़ने का काम , मन में आग सुलगाने का काम तेरा भी है , वो बोलीं फिर उन्होंने कुछहिंट्स भी दिए।
घंटे बाहर माँ बेटी संवाद चलता रहा ,और जैसे ही मैंने फोन रखा मैंने देखा , मिसेज खन्ना की मिस्ड काल थी , गनीमत थी सिर्फ पांच मिनट पहले की।