15-03-2019, 03:20 PM
(This post was last modified: 03-07-2020, 10:25 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बेड टी
सुबह की पहली किरण , अँधेरे की चादर उठा के झाँक रही थी , हलकी सुनहली रोशनी पूरब की ओर से परदे को उठा के आ रही थी।
सुबह की पहली सुनहली किरण मेरी देह को हलके हलके छेड़ रही थी।
मैंने अपनी निगाह नीचे की ,मखमली अँधेरे को कच्ची धूप हलके हलके सहला रहा थी और उसके बीच , मेरे लम्बे घने बाल आगे मेरे पथरीले कड़े उरोजों को थोड़ाछिपाते , थोड़ा दिखाते , उनपे नाख़ून और दांत के निशान और खूब कड़े इंच भर के कांच के कंचे ऐसे निपल ,
नीचे पतली सिंहनी सी कमर , गहरी नाभी , जहाँ हलकी हलकी पसीने की बूंदे झलक चमक रही थीं।
और उसके ठीक नीचे जाकर मेरी निगाह ठिठक कर अटक गयी ,
मेरी गुलाबी परी के अधखिले होंठ,अधखुले जैसे सुबह की किरन ने छेड़ के किसी सोती कली को अभी जगाया हो ,
और उन अधखुले गुलाबी होंठों के बीच रात की गाढ़ी थक्केदार रबड़ी मलाई का एक कतरा ,जैसे अब निकला तब निकला।
मेरे अधखुले , फड़कते भगोष्ठ उन के प्यासे नदीदे होंठों से मुश्किल से इंच दो इंच भर दूर रहे होंगे। और उन का चेहरा मेरी जाँघों के बीच कस के दबा ,भींचा , सुनहली धूप का एक शरारती टुकड़ा आके मेरे गुलाबी भगोष्ठों के बीच में आके बैठ गया था।
मैंने अपने रसीले निचले होंठ थोड़ा और नीचे किया और वो तड़प उठे ,
" प्लीज दो न , दो न प्लीज "
[i
मैं कौन होती अपने प्यासे साजन को तरसाने वाली , … मैंने दो उँगलियों से अपने तितली की तरह फड़कते अधखुले निचले होंठों को खोल के ,… और अबउनकेप्यासे भूखे होंठों के बीच मेरे रसीले होंठ।
वो दुष्ट ,उसने अपनी जीभ से पहले एक लकीर सी खींची मेरे दोनों फड़कते तड़पते भगोष्ठों के चारो ओर , और मैं और तड़प उठी।
फिर वो दुष्ट जोभ सीधे मेरे तिलस्म के बटन पे , मेरी पिंकी को फ्लिक करने लगी , और मैं जोर जोर से सिसकियाँ भर उठी।
लेकिन कुछ देर में क्या कोई खेला खाया लंड घुसेगा , जिस तरह से उनकी जीभ मेरी तड़पती चूत में घुस गयी और कोई कोना न बचा होगा ,रात की मलाई का एकएक कतरा ,
" साल्ला पक्का कम स्लट बन गया है , एकदम चूत चटोरा। इसकी उस बिचारी ममेरी बहन की क्या हालत होगी जब उसकीकच्ची चूत इससे मैं चटवाउंगी , "
और जैसे उन्होंने मेरे मन की बात सुन ली हो और खुश हो के वो ,खूब जोर जोर से चूसने चाटने लगे.बीच बीच में मेरी क्लिट पे भी ,जोर जोर से वो चूसता औरकभी चूसने के साथ जीभ से क्लिट को प्रेस भी कर देता।
मेरी हालत खराब थी ,मेरी आँखे कब की मूँद चुकी थीं , जांघे खूब फैली बस लग रहा था अब गयी ,तब गयी ,एक जोर का प्रेशर जाँघों के बीच बन रहा था और मैंने अपने को अपने बालम के हवाले कर दिया था . उसके दोनों तगड़े हाथ भी अब मेरे कमर पे थे और मुझे जोर जोर से अपनी ओर खींच रहे थे ,
मैं एकदम झड़ने के कगार पे थी और मुझसे ज्यादा वो ये बात जान रहा था।
लेकिन तभी एक और प्रेशर चालू हो गया। सुबह का टाइम था और ये टाइम ही था , … फिर कल रात मैंने कई वाइन के पेग और उस के बाद इत्ती उनकी बनायीकॉकटेल ,
मेरी अपनी चूत की मसल्स पर बहुत कंट्रोल था , मैं रेगुलर केजेल एक्सरसाइज करती थी लेकिन इस समय प्रेशर बहुत बढ़ रहा था। मैंने छुड़ाने की कोशिश करते हुएकहा ,प्लीज छोडो , बाथरूम , बस , छोडो न।
उसकी आँखों में अजब की शरारत छा गयी और हाथों में न जाने कहाँ से बला की ताकत आ गयी। उसने खूब जोर से मेरे कमर को अपनी ओर खींच लिया और जैसेकोई तितली पंख फड़फड़ाये , मेरे क्लिट और चूत के होंठों पे उसकी जुबान ,
" छोड़ो न ,प्लीज ," मैं अब बेताब हो रही थी , किसी भी पल ,
" उंहु , बिन बोले उसने सर हिला के मना किया।
[
" प्लीज , सुसु आ रही है बस अभी कर के आती हूँ जाने दो वरना यहीं हो जायेगी , छोडो न " झुंझला के मैं बोलीं।
" तो हो जाने दो न " बिना रुके अबकी उसने बोला और पूरी क्लिट मुंह में दबा के जोर जोर से चूसने लगा।
मेरी आँखों के सामने कितनी गोल्डन शावर की मूवीज नाच गयीं ,जो हमने साथ देखी थीं , फीमेल डॉमिनेटिंग फोर्सफुली मेकिंग , ....
उसकी आँखों में शरारत नाच रही थी ,एक पल रुक के वो बोला ,
" हो जाने दो न ,मेरी बेड टी हो जायेगी ,"
" लेकिन बेडटी रोज पीनी पड़ती है। "
मैंने भी शरारत से मुस्करा के कहा। अब मैं भी मूड में आ गयी थी।
उसके होंठ अब सीधे यूरेथ्रा ( योनि का मूत्र -छिद्र ) पर आ गए थे ( बहुत कम मर्द होंगे जिन्हे उसकी लोकेशन भी मालूम होगी ). जोर जोर से सीधे अब वो उसी कोचूस रहे थे , एक पल के लिए रुक के बोले ,
" एकदम और सिर्फ एक बार नहीं , चाहे जितनी बार चाहो उतनी बार। तू नहीं देगी तो जबरदस्ती पी लूंगा। "
और ये कह के उन्होंने ' वहां' बहुत हलके से दांत लगा दिया ,
अब मेरे लिए रुकना मुश्किल था। एक बर्निंग सेंसेशन हो रहा था , प्रेशर बहुत ज्यादा हो रहा था मैं क्यों पीछे रहती शरारतों में उनसे और मैंने अपनी एक शर्त औरलगा दी,
" सिरफ बेड टी से काम नहीं चलेगा , फिर ब्रेकफास्ट भी कराऊंगी , "
मैंने झुक के उनकी आँखों में झांकते हुए साफ साफ कहा और उनकी नाचती मुस्कराती आँखों ने हामी भर दी।
और अब इस प्रेशर को रोकना मुश्किल हो गया।
उनके दोनों होंठ जोर से मेरी चूत दबोचे हुए थे और पूरी ताकत से चूस रहे थे , जीभ मूत्र छिद्र को छेड़ रही थी , अब किसी भी पल ,
" एक भी बूँद अगर बाहर गिरी न तो बहुत पीटूंगी "
मैं बोली और उस के ही साथ ,
आई हैड क्रास्ड प्वाइंट आफ नो रिटर्न एंड इट स्टार्टेड ,
पहले तो एक दो बूँद , फिर ट्रिकल ,
सुनहली धूप में वो सुनहली धार साफ़ दिख रही थी।
और मैंने आँख बंद कर ली। उसके बाद तो जैसे बाँध टूट पड़ा , कुछ देर बाद बस इतनी रिलीफ मिली और जब मैंने अपनी आँख खोली ,
वो अपने वादे के पक्के थे , एक भी बूँद बाहर नहीं गयी , सब ,…
और उसके बाद बिना रुके जिस तरह से उन्होंने ' उससे ' पूरी तरह भीगी गीली मेरी चूत को चूसना शुरू किया, बस मेरी जान नहीं निकली। मैंने पूरी ताकत से अपनेलम्बे लाल नेल पालिश से रंगे नाखून उनके कंधो में पैबस्त कर रखे थे। क्या कोई सक्शन पम्प सक करेगा , और बीच में मेरी क्लिट पे कभी जीभ से फ्लिक कभीदांत से हलके से , कुछ ही देर बाद एक के बाद एक वेव्स मेरी देह में उठनी शुरू हो गयीं , एक लहर खत्म नहीं होती की दूसरी चालू हो जाती।
मेरी पूरी देह पिघल रही थी।
मैं बिलकुल आपा खो चुकी थी , पता नहीं कब तक ये चलता रहा ,
मैं बस ये कह सकती हूँ की मेरा अबतक का ये बेस्ट आर्गाज्म था।
और उस के बाद मैं एक बार फिर बिस्तर पे जैसे बेहोंश पड़ गयी और थोड़ी देर बाद आँखे खुली ,उन की आवाज से ,
" बेड टी। "
सुबह की पहली किरण , अँधेरे की चादर उठा के झाँक रही थी , हलकी सुनहली रोशनी पूरब की ओर से परदे को उठा के आ रही थी।
सुबह की पहली सुनहली किरण मेरी देह को हलके हलके छेड़ रही थी।
मैंने अपनी निगाह नीचे की ,मखमली अँधेरे को कच्ची धूप हलके हलके सहला रहा थी और उसके बीच , मेरे लम्बे घने बाल आगे मेरे पथरीले कड़े उरोजों को थोड़ाछिपाते , थोड़ा दिखाते , उनपे नाख़ून और दांत के निशान और खूब कड़े इंच भर के कांच के कंचे ऐसे निपल ,
नीचे पतली सिंहनी सी कमर , गहरी नाभी , जहाँ हलकी हलकी पसीने की बूंदे झलक चमक रही थीं।
और उसके ठीक नीचे जाकर मेरी निगाह ठिठक कर अटक गयी ,
मेरी गुलाबी परी के अधखिले होंठ,अधखुले जैसे सुबह की किरन ने छेड़ के किसी सोती कली को अभी जगाया हो ,
और उन अधखुले गुलाबी होंठों के बीच रात की गाढ़ी थक्केदार रबड़ी मलाई का एक कतरा ,जैसे अब निकला तब निकला।
मेरे अधखुले , फड़कते भगोष्ठ उन के प्यासे नदीदे होंठों से मुश्किल से इंच दो इंच भर दूर रहे होंगे। और उन का चेहरा मेरी जाँघों के बीच कस के दबा ,भींचा , सुनहली धूप का एक शरारती टुकड़ा आके मेरे गुलाबी भगोष्ठों के बीच में आके बैठ गया था।
मैंने अपने रसीले निचले होंठ थोड़ा और नीचे किया और वो तड़प उठे ,
" प्लीज दो न , दो न प्लीज "
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मैं कौन होती अपने प्यासे साजन को तरसाने वाली , … मैंने दो उँगलियों से अपने तितली की तरह फड़कते अधखुले निचले होंठों को खोल के ,… और अबउनकेप्यासे भूखे होंठों के बीच मेरे रसीले होंठ।
वो दुष्ट ,उसने अपनी जीभ से पहले एक लकीर सी खींची मेरे दोनों फड़कते तड़पते भगोष्ठों के चारो ओर , और मैं और तड़प उठी।
फिर वो दुष्ट जोभ सीधे मेरे तिलस्म के बटन पे , मेरी पिंकी को फ्लिक करने लगी , और मैं जोर जोर से सिसकियाँ भर उठी।
लेकिन कुछ देर में क्या कोई खेला खाया लंड घुसेगा , जिस तरह से उनकी जीभ मेरी तड़पती चूत में घुस गयी और कोई कोना न बचा होगा ,रात की मलाई का एकएक कतरा ,
" साल्ला पक्का कम स्लट बन गया है , एकदम चूत चटोरा। इसकी उस बिचारी ममेरी बहन की क्या हालत होगी जब उसकीकच्ची चूत इससे मैं चटवाउंगी , "
और जैसे उन्होंने मेरे मन की बात सुन ली हो और खुश हो के वो ,खूब जोर जोर से चूसने चाटने लगे.बीच बीच में मेरी क्लिट पे भी ,जोर जोर से वो चूसता औरकभी चूसने के साथ जीभ से क्लिट को प्रेस भी कर देता।
मेरी हालत खराब थी ,मेरी आँखे कब की मूँद चुकी थीं , जांघे खूब फैली बस लग रहा था अब गयी ,तब गयी ,एक जोर का प्रेशर जाँघों के बीच बन रहा था और मैंने अपने को अपने बालम के हवाले कर दिया था . उसके दोनों तगड़े हाथ भी अब मेरे कमर पे थे और मुझे जोर जोर से अपनी ओर खींच रहे थे ,
मैं एकदम झड़ने के कगार पे थी और मुझसे ज्यादा वो ये बात जान रहा था।
लेकिन तभी एक और प्रेशर चालू हो गया। सुबह का टाइम था और ये टाइम ही था , … फिर कल रात मैंने कई वाइन के पेग और उस के बाद इत्ती उनकी बनायीकॉकटेल ,
मेरी अपनी चूत की मसल्स पर बहुत कंट्रोल था , मैं रेगुलर केजेल एक्सरसाइज करती थी लेकिन इस समय प्रेशर बहुत बढ़ रहा था। मैंने छुड़ाने की कोशिश करते हुएकहा ,प्लीज छोडो , बाथरूम , बस , छोडो न।
उसकी आँखों में अजब की शरारत छा गयी और हाथों में न जाने कहाँ से बला की ताकत आ गयी। उसने खूब जोर से मेरे कमर को अपनी ओर खींच लिया और जैसेकोई तितली पंख फड़फड़ाये , मेरे क्लिट और चूत के होंठों पे उसकी जुबान ,
" छोड़ो न ,प्लीज ," मैं अब बेताब हो रही थी , किसी भी पल ,
" उंहु , बिन बोले उसने सर हिला के मना किया।
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" प्लीज , सुसु आ रही है बस अभी कर के आती हूँ जाने दो वरना यहीं हो जायेगी , छोडो न " झुंझला के मैं बोलीं।
" तो हो जाने दो न " बिना रुके अबकी उसने बोला और पूरी क्लिट मुंह में दबा के जोर जोर से चूसने लगा।
मेरी आँखों के सामने कितनी गोल्डन शावर की मूवीज नाच गयीं ,जो हमने साथ देखी थीं , फीमेल डॉमिनेटिंग फोर्सफुली मेकिंग , ....
उसकी आँखों में शरारत नाच रही थी ,एक पल रुक के वो बोला ,
" हो जाने दो न ,मेरी बेड टी हो जायेगी ,"
" लेकिन बेडटी रोज पीनी पड़ती है। "
मैंने भी शरारत से मुस्करा के कहा। अब मैं भी मूड में आ गयी थी।
उसके होंठ अब सीधे यूरेथ्रा ( योनि का मूत्र -छिद्र ) पर आ गए थे ( बहुत कम मर्द होंगे जिन्हे उसकी लोकेशन भी मालूम होगी ). जोर जोर से सीधे अब वो उसी कोचूस रहे थे , एक पल के लिए रुक के बोले ,
" एकदम और सिर्फ एक बार नहीं , चाहे जितनी बार चाहो उतनी बार। तू नहीं देगी तो जबरदस्ती पी लूंगा। "
और ये कह के उन्होंने ' वहां' बहुत हलके से दांत लगा दिया ,
अब मेरे लिए रुकना मुश्किल था। एक बर्निंग सेंसेशन हो रहा था , प्रेशर बहुत ज्यादा हो रहा था मैं क्यों पीछे रहती शरारतों में उनसे और मैंने अपनी एक शर्त औरलगा दी,
" सिरफ बेड टी से काम नहीं चलेगा , फिर ब्रेकफास्ट भी कराऊंगी , "
मैंने झुक के उनकी आँखों में झांकते हुए साफ साफ कहा और उनकी नाचती मुस्कराती आँखों ने हामी भर दी।
और अब इस प्रेशर को रोकना मुश्किल हो गया।
उनके दोनों होंठ जोर से मेरी चूत दबोचे हुए थे और पूरी ताकत से चूस रहे थे , जीभ मूत्र छिद्र को छेड़ रही थी , अब किसी भी पल ,
" एक भी बूँद अगर बाहर गिरी न तो बहुत पीटूंगी "
मैं बोली और उस के ही साथ ,
आई हैड क्रास्ड प्वाइंट आफ नो रिटर्न एंड इट स्टार्टेड ,
पहले तो एक दो बूँद , फिर ट्रिकल ,
सुनहली धूप में वो सुनहली धार साफ़ दिख रही थी।
और मैंने आँख बंद कर ली। उसके बाद तो जैसे बाँध टूट पड़ा , कुछ देर बाद बस इतनी रिलीफ मिली और जब मैंने अपनी आँख खोली ,
वो अपने वादे के पक्के थे , एक भी बूँद बाहर नहीं गयी , सब ,…
और उसके बाद बिना रुके जिस तरह से उन्होंने ' उससे ' पूरी तरह भीगी गीली मेरी चूत को चूसना शुरू किया, बस मेरी जान नहीं निकली। मैंने पूरी ताकत से अपनेलम्बे लाल नेल पालिश से रंगे नाखून उनके कंधो में पैबस्त कर रखे थे। क्या कोई सक्शन पम्प सक करेगा , और बीच में मेरी क्लिट पे कभी जीभ से फ्लिक कभीदांत से हलके से , कुछ ही देर बाद एक के बाद एक वेव्स मेरी देह में उठनी शुरू हो गयीं , एक लहर खत्म नहीं होती की दूसरी चालू हो जाती।
मेरी पूरी देह पिघल रही थी।
मैं बिलकुल आपा खो चुकी थी , पता नहीं कब तक ये चलता रहा ,
मैं बस ये कह सकती हूँ की मेरा अबतक का ये बेस्ट आर्गाज्म था।
और उस के बाद मैं एक बार फिर बिस्तर पे जैसे बेहोंश पड़ गयी और थोड़ी देर बाद आँखे खुली ,उन की आवाज से ,
" बेड टी। "