27-10-2020, 07:48 PM
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चंपा रानी ने ये सपने में भी नही सोचा था, वो तो यहाँ और खून चूसने के इरादे से आई थी, लेकिन यहाँ तो उल्टे बाँस बरेली लद गये… !
फिर भी उसने आखरी कोशिश की.. उठ कर दूध का ग्लास ले आई और बोली…
ठीक है जेठ जी.. मे आपसे अब आगे कुच्छ नही माँगूंगी… प्लीज़ आप नाराज़ मत होइए.. लीजिए दूध पी लीजिए, मे आपके लिए बादाम वाला दूध लाई थी…
बाबूजी – नही पीना तेरा ये जहर… क्या पता इसी से कोई टोना करती हो तू मेरे उपर..?
चंपा – कैसी बातें कर रहे हैं आप…? मे भला आपके उपर टोना-टोटका क्यों करूँगी… आप तो मेरे अपने हैं….!
बाबूजी – ऐसा है तो तू ही पी इसे मेरे सामने… और दफ़ा हो जा यहाँ से…
जब कुच्छ देर उसने कोई जबाब नही दिया तो उन्होने वो ग्लास उसके हाथ से छीन लिया और जबर्जस्ती उसे पिला दिया…!
खाली ग्लास उसके हाथ में थमा कर उसे गेट से बाहर धक्का दे दिया और दरवाजा बंद करके अपने बिस्तर पर बैठ गये…!
अपने सर को दोनो हाथों के बीच लेकर वो कुच्छ देर सोचते रहे.. फिर भर्राई आवाज़ में बोले –
मुझे माफ़ कर देना विमला… मे तेरे बच्चों के साथ न्याय नही कर पाया..
शायद भाभी की बातों ने उन्हें अपने कर्तव्य से भटकने से बचा लिया था..
पश्चाताप की आग में जलते हुए उन्होने अपने सर को दोनो हाथों में लेकर आँसू बहाते रहे..
हम दोनो की आँखें भी भीग गयी.. कुच्छ देर बाद वो बिस्तर पर लेट गये…
फिर उन्हें उसी अवस्था में छोड़ कर हम दोनो भी वहाँ से उठकर सोने चले गये….
मेने खेतों की देखभाल में बाबूजी का हाथ बटाना शुरू कर दिया था, उनकी हक़ीकत मेरे और भाभी के अलावा, हमने किसी और को पता नही चलने दी थी…
अब मे बाबूजी के लिए चिंतित रहने लगा…6 साल से विधुर का जीवन व्यतीत कर रहे आदमी के शरीर की ज़रूरतें उसे भटकने पर मजबूर कर ही सकती हैं…
जब मेने अपने आपको उनकी जगह रख कर देखा तो मुझे लगा कि बाबूजी ग़लत नही थे..
लेकिन जिस तरह से चंपा चाची ने उनकी भावनाओं को भड़का कर उनका फ़ायदा उठाया, वो ग़लत था…!
क्या मे बाबूजी के लिए कुच्छ कर सकता हूँ ? मेरे मन में ये विचार कोंधा…,
लेकिन क्या..?
ज़्यादा सोचने पर मुझे एक विचार सूझा… लेकिन उसे समय पर छोड़ कर अपने काम में लग गया..
इधर मेरे और छोटी चाची के बीच दिन में कम से कम एक बार खाट-कबड्डी ज़रूर ही हो जाती थी, वो दिनो-दिन खुलती ही जा रही थी मेरे साथ…
ऐसे ही एक दिन जब हम चुदाई कर रहे थे, चाची को मे एक बार टाँगें चौड़ा कर गान्ड के नीचे डबल तकिये रख कर जबरदस्त तरीके से चोद्कर झडा चुका था….
फिर कुच्छ देर बाद वो मेरे उपर आकर खुदसे गान्ड पटक पटक कर चुदने लगी…मेने उनकी मस्त गान्ड को मसलते हुए कहा…
मे – अच्छा चाची ! मान लो आप प्रेग्नेंट हो गयी तो मुझे क्या दोगि..?
चाची – अगर मगर की तो अब कोई गुंजाइश ही नही रही लल्ला…! मुझे तो पक्का यकीन है कि मे माँ बन ही गयी हूँ… अब तुम बताओ, तुम्हें क्या चाहिए…?
ये जान तो अपने बच्चे के लिए ज़ीनी है मुझे.. उसके अलावा जो मेरे बस में होगा वो सब तुम्हारा..
मे – ठीक है.. समय आने पर माँग लूँगा… और हां वो देना आपके बस में होगा.. ये मे अभी से कह सकता हूँ..
चाची – मे उस दिन का इंतेज़ार करूँगी…! अपने होनेवाले बच्चे के बाप को अगर मे खुच्छ खुशी दे पाई, तो वो मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी होगी…….
अगले महीने रश्मि चाची को पीरियड नही आए, जब ये बात उन्होने मुझे बताई.. तो पता नही मुझे अंदर से एक अंजानी सी खुशी महसूस हुई…
दो दिन बाद उन्हें उल्टियाँ शुरू हो गयी, चाचा मेरे साथ उन्हें डॉक्टर के यहाँ दिखाने ले गये, तो ये बात कन्फर्म भी हो गयी की वो माँ बनने वाली हैं…
चंपा रानी ने ये सपने में भी नही सोचा था, वो तो यहाँ और खून चूसने के इरादे से आई थी, लेकिन यहाँ तो उल्टे बाँस बरेली लद गये… !
फिर भी उसने आखरी कोशिश की.. उठ कर दूध का ग्लास ले आई और बोली…
ठीक है जेठ जी.. मे आपसे अब आगे कुच्छ नही माँगूंगी… प्लीज़ आप नाराज़ मत होइए.. लीजिए दूध पी लीजिए, मे आपके लिए बादाम वाला दूध लाई थी…
बाबूजी – नही पीना तेरा ये जहर… क्या पता इसी से कोई टोना करती हो तू मेरे उपर..?
चंपा – कैसी बातें कर रहे हैं आप…? मे भला आपके उपर टोना-टोटका क्यों करूँगी… आप तो मेरे अपने हैं….!
बाबूजी – ऐसा है तो तू ही पी इसे मेरे सामने… और दफ़ा हो जा यहाँ से…
जब कुच्छ देर उसने कोई जबाब नही दिया तो उन्होने वो ग्लास उसके हाथ से छीन लिया और जबर्जस्ती उसे पिला दिया…!
खाली ग्लास उसके हाथ में थमा कर उसे गेट से बाहर धक्का दे दिया और दरवाजा बंद करके अपने बिस्तर पर बैठ गये…!
अपने सर को दोनो हाथों के बीच लेकर वो कुच्छ देर सोचते रहे.. फिर भर्राई आवाज़ में बोले –
मुझे माफ़ कर देना विमला… मे तेरे बच्चों के साथ न्याय नही कर पाया..
शायद भाभी की बातों ने उन्हें अपने कर्तव्य से भटकने से बचा लिया था..
पश्चाताप की आग में जलते हुए उन्होने अपने सर को दोनो हाथों में लेकर आँसू बहाते रहे..
हम दोनो की आँखें भी भीग गयी.. कुच्छ देर बाद वो बिस्तर पर लेट गये…
फिर उन्हें उसी अवस्था में छोड़ कर हम दोनो भी वहाँ से उठकर सोने चले गये….
मेने खेतों की देखभाल में बाबूजी का हाथ बटाना शुरू कर दिया था, उनकी हक़ीकत मेरे और भाभी के अलावा, हमने किसी और को पता नही चलने दी थी…
अब मे बाबूजी के लिए चिंतित रहने लगा…6 साल से विधुर का जीवन व्यतीत कर रहे आदमी के शरीर की ज़रूरतें उसे भटकने पर मजबूर कर ही सकती हैं…
जब मेने अपने आपको उनकी जगह रख कर देखा तो मुझे लगा कि बाबूजी ग़लत नही थे..
लेकिन जिस तरह से चंपा चाची ने उनकी भावनाओं को भड़का कर उनका फ़ायदा उठाया, वो ग़लत था…!
क्या मे बाबूजी के लिए कुच्छ कर सकता हूँ ? मेरे मन में ये विचार कोंधा…,
लेकिन क्या..?
ज़्यादा सोचने पर मुझे एक विचार सूझा… लेकिन उसे समय पर छोड़ कर अपने काम में लग गया..
इधर मेरे और छोटी चाची के बीच दिन में कम से कम एक बार खाट-कबड्डी ज़रूर ही हो जाती थी, वो दिनो-दिन खुलती ही जा रही थी मेरे साथ…
ऐसे ही एक दिन जब हम चुदाई कर रहे थे, चाची को मे एक बार टाँगें चौड़ा कर गान्ड के नीचे डबल तकिये रख कर जबरदस्त तरीके से चोद्कर झडा चुका था….
फिर कुच्छ देर बाद वो मेरे उपर आकर खुदसे गान्ड पटक पटक कर चुदने लगी…मेने उनकी मस्त गान्ड को मसलते हुए कहा…
मे – अच्छा चाची ! मान लो आप प्रेग्नेंट हो गयी तो मुझे क्या दोगि..?
चाची – अगर मगर की तो अब कोई गुंजाइश ही नही रही लल्ला…! मुझे तो पक्का यकीन है कि मे माँ बन ही गयी हूँ… अब तुम बताओ, तुम्हें क्या चाहिए…?
ये जान तो अपने बच्चे के लिए ज़ीनी है मुझे.. उसके अलावा जो मेरे बस में होगा वो सब तुम्हारा..
मे – ठीक है.. समय आने पर माँग लूँगा… और हां वो देना आपके बस में होगा.. ये मे अभी से कह सकता हूँ..
चाची – मे उस दिन का इंतेज़ार करूँगी…! अपने होनेवाले बच्चे के बाप को अगर मे खुच्छ खुशी दे पाई, तो वो मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी होगी…….
अगले महीने रश्मि चाची को पीरियड नही आए, जब ये बात उन्होने मुझे बताई.. तो पता नही मुझे अंदर से एक अंजानी सी खुशी महसूस हुई…
दो दिन बाद उन्हें उल्टियाँ शुरू हो गयी, चाचा मेरे साथ उन्हें डॉक्टर के यहाँ दिखाने ले गये, तो ये बात कन्फर्म भी हो गयी की वो माँ बनने वाली हैं…