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Adultery लवली फ़ोन सेक्स चैट
#66
मैंने दरवाजा खोला और अन्दर से बंद करके मैं अंशिका की तरफ मुड़ा, तो उसे देखकर मैं दंग सा रह गया, वो बेड के ऊपर लाल साडी में सजी हुई, दुल्हन की भाँती बैठी थी, जैसे मैं उसका दूल्हा, सुहागरात वाले दिन, कमरे में आया हूँ. वो अपने साथ साडी और ये सब सामान भी लायी थी, यानी वो ये सब करना चाहती थी, और जब मैं पहले भी कमरे में आया था तो उसने अपने ऊपर रजाई ले रखी थी, इसलिए शायद मैं उसके कपडे देख नहीं पाया था. लाल साडी, बिंदी, लिपिस्टिक और हाथो में चुडा, जो ब्याहता लडकिय पहनती है, मैं तो उसके रंग रूप को देखकर मंत्र्मुघ्ध सा रह गया.

मैं धीरे-धीरे चलकर बेड के पास पहुंचा, वो उठी और मेरे पैरो को हाथ लगाने लगी, मैंने उसे बीच में ही पकड़ लिया.

मैं: अरे अंशिका, ये क्या..कर रही हो..?
अंशिका: वही...जो एक शादीशुदा लड़की करती है, शादी के बाद.

मैं: देखो अंशिका...इन सबकी कोई जरुरत नहीं है. मैं वो सब तो कर ही रहा हूँ न तुम्हारे साथ .

मेरा मतलब चुदाई से था. जो वो समझ गयी और उसके चेहरे पर हल्का सा गुस्सा आ गया.

अंशिका: विशाल...तुम ये बात कभी नहीं समझ सकते, की मेरे दिल में इस समय क्या चल रहा है. मैं जानती हूँ और तुम भी की हमारी शादी कभी नहीं हो सकती, पर सच मानो, मैंने जब से तुमसे फिसिकल रिलेशन बनाया है, हर लड़की की तरह, मैंने भी तुम्हे अपनी जिन्दगी और दिल का शेह्जादा माना है और यही कारण है की यहाँ आकर मैंने तुमसे हसबेंड और वाईफ की तरह रहने को कहा, और इन सब के बीच मैंने सोचा की क्यों न अपनी जिन्दगी की सुहागरात भी मैं यही मना लू, तुम्हारे साथ. मुझे मालुम है की अब तुम्हारे लिए इन सबका कोई मतलब नहीं है, पर मेरे लिए ये बहुत मायने रखता है.

ये सब कहते-कहते उसकी आँखों में आंसू आ गए थे..

और सच कहू, आज पहली बार मेरे दिल में एक तीस सी उभरी थी, ये सोचकर की मेरी शादी अंशिका के साथ क्यों नहीं हो सकती. इतना प्यार करने वाली मुझे और कहाँ मिलेगी, हम दोनों एक दुसरे को कितना समझते हैं, एक दुसरे को हर तरह का शारीरिक सुख तो दिया ही है..पर क्या मैंने कभी अंशिका की तरह उसके आगे भी सोचा है. सेक्स के अलावा मैंने क्या कभी अंशिका को अपने प्यार, अपने महबूब की नजर से देखा है. नहीं...ऐसा कभी नहीं किया मैंने. मैं तो हमेशा से सेक्स के पीछे ही भागता रहा और अंशिका ने भी मुझे कभी मना नहीं किया और आज जब उसके मन में इस तरह के विचार आ रहे है तो मुझे भी उसकी भावनाओ को समझना चाहिए और उसका साथ देना चाहिए..

मैंने उसे गले से लगा लिया. भरी भरकम साडी में लिप्त उसका बदन मेरी बाहों में आते ही बेकाबू सा हो गया और वो फूट-फूट कर रोने लगी.

अंशिका: ओह्ह्ह.....विशाल.....तुम नहीं समझ सकते...मैं तुम्हारे बारे में क्या सोचती हूँ. उनहू.....उनहू....

मैंने उसका चेहरा अपने हाथो में पकड़ा और उसके आंसूओ के ऊपर मैंने जीभ फेरकर उन्हें पी लिया.

मैं: अपनी सुहागरात वाले दिन तुम रो रही हो. लगता है तुम्हे डर लग रहा है की मैं कहीं चुदाई करते वक़्त तुम्हे तकलीफ न पहुँचाऊ...है न..

मेरी बात सुनकर उसके रोते हुए चेहरे पर हंसी आ गयी.

मैं: मैं वादा करता हूँ अंशिका, मैं तुम्हारे साथ सिर्फ सेक्स नहीं. बल्कि प्यार से भी प्यारा, प्यार करूँगा. जैसा आजतक किसी ने भी नहीं किया होगा.

मैं कहता जा रहा था और उसकी गर्दन और गालो पर किस्स देता जा रहा था. उसका शरीर कांपने सा लगा...ऐसा लग रहा था की जैसे ये सब उसके साथ पहली बार हो रहा है. मेरा लंड भी अपने रूप में आने लगा था. मैंने उसकी साडी का पल्लू नीचे गिरा दिया और उसकी साडी को खींच कर निकालने लगा, वो साडी के निकलने के साथ-साथ घुमती जा रही थी. और अंत में मैंने उसकी भारी भरकम साडी को निकाल कर एक तरफ रख दिया. लाल रंग के ब्लाउस में से उफन कर बाहर आते हुए उसके गोरे-चिट्टे मुम्मे देखकर तो मैं उनकी सुन्दरता में खो सा गया. मैंने आज पहली बार गोर से देखा की उसके गोरे मुम्मे के ऊपर एक छोटा सा तिल है, जो शायद उन्हें बुरी नजर से बचने के लिए ही बनाया गया है और नीचे उसका हल्का सा थुलथुला और गोरा पेट था, जिसके अन्दर घुसी हुई उसकी नाभि बड़ी ही दिलकश सी लग रही थी और नीचे था उसका पेटीकोट, जो इतना टाईट था की उसकी गांड और जांघो की ऊँचाईया अलग ही चमक रही थी.

इतनी सेक्सी मैंने अंशिका को आज तक नहीं देखा था. मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी और अपने पायजामे को भी उतार कर साईड में रख दिया, अब मैं सिर्फ जोक्की में खड़ा था, अपनी तोप को उसकी तरफ ताने हुए.

मैंने अंशिका से कहा: याद है, मैंने कहा था की तुम्हे नैनीताल में जाकर मेरी हर बात माननी होगी. अब उसका टाईम आ गया है..

अंशिका: वो बात तुमने ना भी कही होती, तो भी मैं तुम्हारी किसी बात को मना नहीं करती आज..बोलो क्या करू, जिससे तुम खुश हो जाओ.

मैं सोफे के किनारे पर बैठ गया और आधा पीछे की तरफ लेट कर उसकी आँखों में देखकर मैंने कहा: अपने बचे हुए कपडे उतारो एक-एक करके और साथ-ही-साथ नाचती भी रहो...धीरे-धीरे .

अंशिका मेरी बात सुनकर मुस्कुरा उठी. पर कुछ न बोली. और अगले ही पल उसकी गजब सी कमर ने मटकना शुरू कर दिया. वो इतने सिडक्टिव तरीके से अपने बदन को हिला रही थी की मुझे अपने ऊपर सबर करना मुश्किल सा हो रहा था..मन कर रहा था की अभी अंशिका को बेड पर पटक कर उसे चोद डालू. पर आज कुछ अलग करना था. इसलिए मैंने अपने आप पर काबू पाया.

अंशिका ने अपने हाथ आगे किये और ब्लाउस के हूक खोलने शुरू कर दिए और जल्दी ही उसने ब्लाउस को खोल दिया और अपने हाथ ऊपर करके उसे निकाल कर मेरे मुंह के ऊपर फेंक दिया. उसकी बगलों से निकले पसीने की महक को सूंघकर मेरे लंड ने बगावत का एलान कर दिया. उसके बाद उसने अपने इलास्टिक वाले स्ट्रेचेबल पेटीकोट को भी खींच कर नीच गिरा दिया. उसकी मोटी-मोटी जांघे और सुदोल पिंडलिया देखकर मेरा मन उन्हें चूमने को करने लगा. अंशिका ने पिंक कलर की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी और वो भी जाली वाली. मैंने ये सेट उसके ऊपर पहले कभी नहीं देखा था. लगता है, ये अपनी "सुहागरात" के लिए स्पेशल लेकर आई है. और फिर उसने धीरे-धीरे डांस करते हुए अपनी ब्रा और पेंटी भी खोल कर मेरी तरफ उछाल दी. उसकी पेंटी के गीलेपन को देखकर ही मुझे उसकी चूत से उफान मार रहे मीठे शहद का आभास हो गया था.
आज उसके निप्पल कुछ ज्यादा ही चमक रहे थे. अंशिका ने मुझे उसके निप्पलस को घूरते देखकर कहा: क्या देख रहे हो. मैंने इनपर तुम्हारे लिए कुछ लगाया है. छुकर देखो जरा इन्हें अपने होंठो से. वो मेरी तरफ कमर मटकाती हुई आई और मेरे ऊपर आधी लेटकर अपने मोटे मुम्मे को पकड़कर मेरे मुंह के अन्दर धकेल दिया. सच में...उसने अपने निप्पलस के ऊपर कुछ लगाया था, जिसकी वजह से वो चमकने के साथ-साथ मीठे भी लग रहे थे. मन कर रहा था की मैं उन्हें चूसता ही जाऊ, चूसता ही जाऊ.

मेरे हाथ अपने आप उसकी गांड के ऊपर चले गए और उन्हें दबाने लगे. पर मेरा खेल अभी ख़त्म नहीं हुआ था. मैंने अंशिका को पीछे किया और कहा: तुम्हे मैंने अभी और कुछ करने को नहीं कहा. पहले तुम मेरे सामने अपनी चूत के साथ खेलो. अंशिका मेरी बात सुनकर मुझे सवालिया नजरो से देखने लगी. पर वादे के मुताबिक कुछ न बोली और वही मेरे बेड के ऊपर, मेरे दोनों तरफ टाँगे करके वो खड़ी हो गयी. उसकी गीली चूत मुझे नीचे लेटे हुए साफ़ नजर आ रही थी. मैंने भी अपने जोक्की को एक झटके में नीचे कर दिया और अपने तने हुए लंड को हाथ में लेकर ऊपर की तरफ देखते हुए उसे हिलाने लगा.

अंशिका ने अपनी चूत के ऊपर अपनी उंगलिया रखी और उसे मसलने लगी. उसकी चूत से छिटक कर एक-दो रस की बूंदे मेरे पेट के ऊपर गिरी, जिसे मैंने हाथ से समेट कर अपने लंड के ऊपर मल दिया. वो मुझे देखकर अजीब से मुंह बना रही थी, मानो कुछ सोच रही थी, और अपने होंठो को गोल करके अजीब तरीके से आवाजे निकालने लगी..

आग्ग्गग्ग्ग्घ.......विशाल्लल्ल्ल्ल.......ओह माय लव.......म्मम्म.....स्सस्सस्स.....यु आर.....माय लाईफ.....ओह्ह्ह्ह.. ...म्मम्मम्म...... ओह्ह्ह्ह गोड.......म्मम्मम....

मेरे लंड ने तो थोड़ी देर पहले ही दो बार पानी छोड़ा था, इसलिए उसे दोबारा डिस्चार्ज होने में टाइम लगना था. पर अंशिका का ये पहला मौका था, इसलिए सिर्फ पांच मिनट के अन्दर ही वो बुरी तरह से हांफती हुई, मेरे ऊपर मीठे रस की बारिश करने लगी. अह्ह्ह्हह्ह विशाल्ल्ल्ल.....आई एम कमिंग......

उसने कमिंग बाद में बोला पर उसके रस ने मुझे पहले से ही भिगो दिया था. वो निढाल सी होकर मेरे ऊपर गिरने सी लगी, मैंने उसकी मोटी गांड को पकड़ा और सीधा अपने खड़े हुए रोकेट के ऊपर लेंड करवा दिया. .जैसे ही मेरे लंड ने उसकी गीली चूत को छुआ, वो उसके अन्दर तक घुसता चला गया और फिर उसे वापिस आसमान की सेर कराने चल दिया.

अह्ह्हह्ह्ह्ह फक्क्क्कक्क्क.......अंशिका......यु आर.....सो गुडडडडडडडडड....

मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर किसी पिस्टन की तरह से चलने लगा, इतनी स्लिपरी चूत तो आज तक नहीं दिखी थी उसकी. वो अपने मुम्मे मेरे मुंह के ऊपर बुरी तरह से पिस रही थी, जिन्हें मैं अपने दांतों से और होंठो से काटने और चूसने में लगा था. मैंने एक ऊँगली उसकी गांड के छेद में डाल दी और वो झनझनाती हुई सी एक बार और मेरे लंड के ऊपर झड़ने लगी. मैंने अंशिका को अपने हाथो में उठाया, लंड अभी भी उसकी चूत में ही था, और मैंने उसे बेड पर पीठ के बल लिटाया और खुद उसके ऊपर आ गया, और फिर उसकी टांगो को फेलाया और दे दना दन उसकी चूत के अन्दर धक्के मारने लगा. उसने अपने हाथ अपने सर के ऊपर करे हुए थे, और उसके मोटे चुचे मेरे हर धक्के से बुरी तरह से हिल रहे थे. पुरे कमरे में फचा फच और उसकी सिस्कारियों की आवाजे गूँज रही थी. पलंग भी बुरी तरह से हिल रहा था और फिर जब मुझे महसूस हुआ की मेरा रस निकलने वाला है, मैंने अपने लंड को बाहर निकाला, पर तभी उसने मेरे पीछे टांग बांधकर मुझे फिर से अपनी चूत के अन्दर खींच लिया और मेरे होंठो को चूसने लगी और बीच में रुक कर बोली: मेरे अन्दर ही करो......आज की रात मैं तुम्हे पूरी तरह से महसूस करना चाहती हूँ.

मुझे उसकी इस बात पर क्या एतराज हो सकता था. मेरे लंड ने एक के बाद एक कई पिचकारिया उसकी चूत के अन्दर तक मारनी शुरू कर दी.

और जब तूफ़ान थमा तो मैंने और अंशिका ने एक साथ बाथरूम में जाकर एक दुसरे के शरीर को पूरी तरह से साफ़ किया और वापिस बेड पर आकर, नंगे ही एक दुसरे की बाहों में लेट गए. और उस रात दो बार और मैंने उसकी चूत और गांड का बेंड बजाया और वो भी एक आज्ञाकारी दुल्हन की तरह मुझसे चुदती रही. आज की रात मैं अपनी जिन्दगी में कभी नहीं भूलूंगा.

पूरी रात चुदाई करने के बाद मैं और अंशिका बुरी तरह से थक चुके थे.

सुबह आठ बजे मेरी नींद खुली, मुझे बड़ी ही तेज पेशाब आया था, मैं नंगा ही बाथरूम की तरफ भागा. सुबह-सुबह मेरा लंड अपने पुरे शबाब में था, मैंने अपने हाथ धोये और वापिस बेड के पास आया.

अंशिका बेसुध सी होकर सो रही थी. उसके ऊपर से रजाई हट चुकी थी और उसकी नंगी पीठ और नीचे की तरफ के मोटे और गद्देदार चुतड बड़े ही दिलकश से लग रहे थे. मेरे लंड को सुबह-सुबह और क्या चाहिए था, मैं उसके साथ ही बेड पर लेट गया और उन्हें सहलाने लगा. वो नींद में कुनमुनाई और फिर दूसरी तरफ मुंह करके सो गयी. आज उसकी मोटी गांड को मैं गोर से देख पा रहा था, क्या गांड थी यार, और उसके ऊपर कमर से जुड़ता हुए हिस्से का घुमाव वाला हिस्सा तो इतना मजेदार था की मैंने अपने हाथ उस मोड़ के ऊपर आगे पीछे करने शुरू कर दिए. अपने लंड को मैंने उसकी गांड के साथ दबा दिया और उसकी टांग को उठा कर उसकी गर्म जांघो के बीच फंसा दिया.

आज बड़ा ही प्यार आ रहा था मुझे अंशिका पर..

कल रात को जिस तरह से उसने एक पत्नी की तरह मुझे प्यार दिया था, उसे पाकर मेरे मन में भी उसके लिए एक अजीब तरह की लगन पैदा हो चुकी थी. मैं उसके बालो में उंगलिया फेरा कर उसे देख रहा था की तभी अंशिका का मोबाइल बजने लगा. मैंने झट से उसे सायलेंट पर कर दिया ताकि उसकी नींद न खुल जाए.

वो कनिष्का का फोन था.

मैंने फोन उठा लिया. मेरी आवाज सुनते ही वो खुश हो गयी.

कनिष्का: वाह...क्या बात है...दीदी के फोन को आपने उठाया..सुबह-सुबह..लगता है एक ही बेड पर हो तुम दोनों.
मैं: ठीक कहा और वो भी नंगे..हा हा..
कनिष्का: उनहू....यार...ये गलत बात है. एक तो मुझे नहीं लेकर गए. ऊपर से मुझे चिड़ा भी रहे हो. ईट इस नोट फेयर.

मैं धीरे-धीरे बात कर रहा था. ताकि अंशिका की नींद न खुल जाए.

कनिष्का: अच्छा विशाल. बताओ न. क्या किया तुमने रात को.
मैं: अब तुम्हारी बहन जैसी सेक्सी लड़की मेरे साथ होगी तो क्या करूँगा मैं. पूरी रात चुदाई की उसकी.
कनिष्का: वाव....की...कितनी बार.

उसकी तेज धडकनों के बीच रुकी-रुकी सी आवाज आई. मैं समझ गया की अपनी बहन की चुदाई की बात सुनकर वो एक्साइटेड हो रही है और उसकी ऐसी हालत के बारे में सोचते ही मेरा लंड एक इंच और बाहर निकल आया और सामने सो रही अंशिका की सोती हुई चूत के दरवाजे को धकेल कर अन्दर दाखिल हो गया..

अंशिका की नींद खुल गयी. मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के अन्दर फंस चूका था. वो हेरानी से मुझे अपने पीछे लगे हुए देखने लगी और वो भी उसके फोन पर बात करते हुए. मैंने उसे चुप करने का इशारा किया और होंठ हिला कर बताया की कनिष्का का फोन है. अंशिका सीधी हो चुकी थी, और अपनी पीठ के बल लेट गयी और अपनी एक टांग उठा कर मेरी कमर के ऊपर रख दी...ताकि मेरा लंड सीधा उसकी चूत के अन्दर तक जाए.

मैं कनिष्का से बाते करता रहा..

वो पूछती रही की मैंने कल रात को कैसे और क्या-क्या किया. मैं बताता रहा. अंशिका को शायद उम्मीद नहीं थी की मैं वो सारी बाते उसकी छोटी बहन को ज्यो की त्यों बता दूंगा. पर अपनी चूत में लंड और मेरे चुप करने की वजह से वो बस अपनी गोल आँखों से मुझे बोलते और अपनी चूत को चुदते हुए देखती रही. मैंने अब तेज धक्के मारने शुरू कर दिए थे और उसकी वजह से मुझे बात करने में मुश्किल हो रही थी. मैंने एक हाथ से फोन भी पकड़ा हुआ था. मैंने फोन को स्पीकर मोड पर कर दिया और उसे अंशिका के मुम्मो के बीच रख दिया. अंशिका की तेज साँसे सीधा फोन के ऊपर पड़ रही थी और उतनी ही तेज साँसे दूसरी तरफ से कनिष्का की भी आ रही थी. क्योंकि कल रात की चुदाई की कहानी सुनकर शायद वो भी नंगी-पुंगी होकर अपनी चूत के अन्दर अपनी उंगलियों को डालकर अपना तेल निकलने में लगी हुई थी और तभी अंशिका के मुंह से रसीली सिस्कारियां निकलने लगी. वो इतनी देर से अपने मुंह को बंद करे बैठी थी पर अब उससे सहन नहीं हुआ और वो सीत्कार उठी मेरे लंड की टक्कर अपनी चूत के अन्दर तक पाकर. अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह स्स्स्सस्स्स्स.......म्मम्मम्म.....विशाल्लल्ल्ल......

और जैसे ही कनिष्का ने सुना. वो भी हैरान सी होकर बोल पड़ी: दी.....दीदी....अआप क्या अभी भी.....मेरा मतलब है...विशाल क्या तुम अभी मेरी दीदी को चोद रहे हो.

मैं: हूँ....हाँ....कन्नू......तेरी दीदी की गरमा गरम चूत के अन्दर है मेरा साड़े छह इंच का लम्बा लंड. और वो भी बड़े मजे ले लेकर मुझसे चुद रही है.

कनिष्का की तो आवाज ही आनी बंद हो गयी. तब अंशिका बोली: कन्नू.....अह्ह्हह्ह......बेबी......काश तू भी यहाँ होती आज.

कनिष्का तो अपनी बहन का प्यार देखकर फूली नहीं समायी....: ओह्ह्ह....दीदी...मैं भी तो येही कह रही थी अभी विशाल से.....काश मैं भी होती वहां....आपकी चूत के अन्दर...विशाल का लम्बा लंड जाते हुए देखती और और ...अपनी जीभ से वहां पर चाटती और...अपनी पुससी को आपके मुंह के ऊपर रखकर.....ओह्ह्ह्ह दीदी.....अह्ह्हह्ह.....ये सोचकर....ही...मेरे अन्दर......का.....ज्वालामुखी......फूट रहा है....अह्ह्हह्ह....ओह्ह्ह फक्क्क्कक.......आयी एम कमिंग......दीदी....आई एम कमिंग....ओन यूर फेस......अह्ह्हह्ह.....

अंशिका की आँखे तो बंद सी होने लगी. अपनी छोटी बहन की चूत को अपने मुंह के ऊपर झड़ता हुआ सोचकर. मैंने आगे बढकर अंशिका के निप्पल को मुंह में भरा और उनमे से शहद की बूंदे निचोड़ने लगा..

अब अंशिका का नंबर था चीखने का. अह्ह्ह्हह्ह.......विशाल.......जोर से करो. और तेज....हां......ऐसे ही.....येस्स्स्स........म्मम्मम......आई केन फील यु कन्नू.....ओन माय फेस.....येस्स्स्स.... और अंशिका ने मेरे मुंह को पकड़कर अपनी ब्रेस्ट के ऊपर और तेजी से दबा दिया. और फिर मेरे चेहरे को अपनी तरफ खींचकर मुझे जोर-जोर से स्मूच करने लगी. मानो आज के बाद कोई दिन नहीं निकलेगा. जो करना है, आज ही कर ले. हम दोनों के नंगे जिस्मो के बीच पीसकर अंशिका का फोन कब बंद हो गया..पता ही नहीं चला और अंशिका के चूसने से मेरे लंड का पानी निकल कर कब उसकी चूत के अन्दर शिफ्ट हो गया. मुझे भी पता नहीं चला. मैं तो धक्के मारता गया और तब रुका जब लंड में दर्द सा होने लगा और तब महसूस हुआ की लंड का रस निकल चूका है. मैं भी हांफता हुआ उसके पहाड़ो की चोटियों के ऊपर गिर पड़ा. आज जैसा ओर्गास्म मुझे कभी नहीं हुआ था.

अब तक 9 बज चुके थे..अंशिका उठी और बाथरूम में जाकर क्लीन करने लगी. वो बाहर आई. नंगी और शीशे के सामने खड़े होकर अपने पुरे शरीर को घूम घूमकर देखने लगी. मैंने उसे ऐसा करते देखकर सीटी मारी.

अंशिका: बदमाश हो तुम एक नंबर के. देखो, तुमने मेरी ब्रेस्ट को दबा-दबाकर कितना बड़ा कर दिया है.
मैं: अरे मैं तो इन्हें इसलिए दबाता हूँ की ये अन्दर घुस जाए. पर पता नहीं ये हर बार बड़े क्यों होते चले जा रहे है. पर पता है. येही है तुम्हारा असली एट्रेक्शन. जो मुझे खींच लाता है तुम्हारे पास.

वो मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दी.

अंशिका: अच्छा चलो अब बहुत हो गया. उठो और जल्दी नहा लो. आज हमें घुमने जाना है. नोकुचिया ताल और उसके आस पास के और भी ताल देखने.

मैं जल्दी से अन्दर गया और नहा धोकर एक जींस और टी-शर्ट पहन कर जल्दी से तैयार हो गया. अंशिका भी नहाई और तैयार होकर हम दोनों नीचे आ गए. सभी नाश्ता कर रहे थे. मेरी नजरे तो रीना को तलाश रही थी, जिसे मैंने रात को प्यासा छोड़ दिया था. जल्दी ही मुझे रीना मिल गयी, वो टेबल पर बैठी हुई नाश्ता कर रही थी और उसके साथ बैठी थी वोही सेक्सी लड़की...सिमरन.

अंशिका अपनी प्लेट लेकर किट्टी मैम के पास चली गयी, मैंने भी ब्रेड ओम्लेट लिया और रीना की टेबल की तरफ चल दिया. रीना ने जैसे ही मुझे आता हुआ देखा, सिमरन को हाथ मारकर इशारा किया की मुझे देखे और जैसे ही उस सेक्सी ने मुझे देखा, उसकी आँखों में लाल डोरे तेर गए, मुझे देखते ही शायद रीना ने सिमरन को मेरे बारे में बताया होगा, की रात को मैंने उसके साथ क्या-क्या किया. पर मुझे नहीं पता था की रीना सिमरन की दोस्त है. शायद यहाँ आकर दोनों में दोस्ती हुई है.

मैं: हाय रीना. सिमरन...क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ.
रीना: हाँ..हाँ...क्यों नहीं विशाल. अभी मैं सिमरन से तुम्हारी ही बात कर रही थी.
मैं: अच्छा जी. कोई बुराई तो नहीं की न मेरी.
रीना: बुराई ही कर रही थी. अच्छा तो किया नहीं तुमने मेरे साथ.

वो इतनी बेबाकी से मुझसे कल रात की बात कर रही थी और वो भी सिमरन के सामने. मैंने रीना को देखा और फिर सिमरन को.

रीना: मैंने इसे सब बता दिया है और तुम्हे फोन करने का आईडिया भी इसने ही दिया था मुझे कल सुबह. हम दोनों काफी अच्छे दोस्त बन चुके हैं.

मैं समझ गया की ये दोनों दोस्त बनकर मेरी इज्जत लूटने के मूड में हैं. पर मेरा नाम भी विशाल है. पिछले दो महीनो में मैंने इतनी बार लडकियों को चोदा है जितनी इनकी उम्र भी नहीं होगी.

मैं: कोई बात नहीं. मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है. वैसे भी एक से भले दो और दो से भले तीन...है न..

मैंने सिमरन की तरफ देखकर आँख मार दी. वो शर्मा गयी. यार...क्या स्माईल थी उसकी. उसके होंठ इतने मोटे थे. जैसे वो है न...प्रियंका चोपड़ा. उसकी तरह...मन कर रहा था, ओम्लेट छोड़कर उसके होंठ खा जाऊ.

रीना ने मुझे उसकी तरफ घूरते पाकर कहा: वैसे....तुमने काम अधूरा मेरे साथ छोडा था. न की इसके साथ. वो शायद सोच रही थी की उसकी जैसी साधारण लड़की को छोड़कर मैं अब सिमरन जैसी सेक्सी लड़की के पीछे पड़ गया हूँ, और उसका पत्ता कट गया.

मैं: अरे रीना तुम क्यों परेशान हो. हम वही से शुरू करेंगे..जहाँ छोडा था.

मैंने एक हाथ बढाकर उसकी जांघ पर रख दिया और धीरे से दबा दिया. वो मुस्कुरा उठी. चुदाई की बात सुनकर हर लड़की मुस्कुराने क्यों लग जाती है. मैं सोचने लगा और सामने बैठी हुई सिमरन भी शायद मेरे लंड के बारे में सुनकर अपने सपनो में खोयी हुई थी.

तभी किट्टी मैम की आवाज आई की सभी लोग बस में जाकर बैठे. हम बस निकलने ही वाले है. अन्दर जाकर अंशिका इस बार भी किट्टी मैम के साथ आगे जाकर बैठी और मैं सबसे पीछे वाली लम्बी सीट पर रीना और सिमरन के साथ.

अंशिका ने बीच में खड़े होकर आज के स्केडुल के बारे में बताया. सब उसकी बाते सुन रहे थे. पर रीना के हाथ मेरे लंड के ऊपर थिरक रहे थे. लगता है आज ये बस के अन्दर ही कुछ करके रहेगी.

मैंने जेकेट पहनी हुई थी, बस के अन्दर ठण्ड कम थी और रीना भी मेरे लंड के ऊपर हाथ फेरा रही थी, इसलिए मैंने जेकेट को उतारा, और अपनी गोद में रख दिया ताकि रीना का हाथ क्या कर रहा है, वो सब छुप जाए और दुसरे कोने में बैठी हुई दो लड़कियां न देख पाए की हम क्या कर रहे हैं. वैसे तो सिमरन भी अपने आपको आगे करके बैठी थी ताकि उन दोनों लडकियों को इस कोने में होता हुआ कुछ न दिखाई दे, पर फिर भी डर तो लगता ही है न. मेरे जेकेट के डालने से तो रीना और भी बेशर्मी पर उतर आई, उसने मेरी पेंट की जिप खोली और अपने नन्हे हाथ अन्दर डाल कर मेरे मोटे लंड को पकड़ कर मसलने लगी और जल्दी ही उसे बाहर निकाल कर पूरी तरह से उसकी सेवा करने लगी.

मुझे पता नहीं था की उसने पहले कभी लंड हाथ में लिया है या नहीं पर उसके चेहरे को देखकर तो लगता था की वो काफी अचरज में है. शायद मेरे लंड के साईज को देखकर. वो अपनी गांड को सीट पर बैठे हुए हिला रही थी, शायद नीचे की तरफ से आते हुए घिस्से उसे मजा दे रहे थे.

तभी मैंने अंशिका को पीछे की तरफ आते हुए देखा, मैंने जल्दी से रीना का हाथ अपने लंड से हटाया और जेकेट से अपने नंगे लंड को छुपा लिया. अंशिका पीछे तक आई और मुझे रीना और सिमरन के साथ बैठा हुआ पाकर वो मुस्कुराने लगी..

अंशिका: अरे विशाल...तुम पीछे बोर तो नहीं हो रहे न..
मैं: नहीं अंशिका. मुझे यहाँ नए दोस्त मिल गए हैं. बस टाईम पास हो ही जाएगा आज का.

अंशिका ने आँखे निकाल कर मुझे देखा, मानो कोई बीबी अपने पति को बाहर की औरतों को देखने के लिए मना कर रही हो.

तभी रीना बीच में बोल पड़ी: अरे मैम...आप फिकर मत करो. हम विशाल का अच्छी तरह से ध्यान रखेंगे..

शायद अंशिका सोच रही होगी, इसी बात का तो डर है. मैं उसकी मनोदशा भांपकर हंस दिया.

अंशिका आगे चली गयी और रीना का हाथ फिर से मेरे बिल में घुस गया और सो चुके लंड महाराज को उठाने का काम करने लगा और वो जल्दी उठ भी गया और इस बार दुगने जोश के साथ. रीना ने साईड में होकर दोनों लडकियों को देखा, रास्ता घुमावदार था, शायद उन्हें चक्कर आ रहे थे.इसलिए कोने में बैठी लड़की ने अपनी आँखे बंद कर रखी थी, शायद सो रही थी वो और उसके साथ बैठी हुई लड़की ने उसकी गोद में सर रखा हुआ था और वो भी सोने की कोशिश कर रही थी. रीना ने जैसे ही ये देखा, उसके दिमाग में भी आईडिया आया, उसने सिमरन के कान में कुछ कहा और फिर मेरी तरफ मुड़कर अपने सर को मेरी गोद में रख दिया और मेरी जेकेट को उठा कर अपने सर के ऊपर ओढ़ लिया.

मेरी तो हालत ही खराब हो गयी. उसने मेरे मोटे सांप को अपने मुंह के अन्दर निगल लिया..पूरा का पूरा. देखने में तो उसका चेहरा काफी छोटा था, पर अन्दर से उसका मुंह काफी बड़ा था. मेरे लंड को वो किसी लोलीपोप की तरह से चूस रही थी, मानो उसकी सारी मिठास आज वो निकाल कर रहेगी. मैंने उसकी पीठ पर हाथ रखा और उसके गुदाज जिस्म को सहलाने लगा और सहलाते हुए मेरा हाथ उसकी गांड की तरफ चला गया. उसने लॉन्ग स्कर्ट पहनी हुई थी और उसके ऊपर स्वेटर. मैंने एक हाथ उसके स्वेटर के अन्दर दाल दिया, नीचे उसने कुछ भी नहीं पहना हुआ था. सिर्फ ब्रा के स्ट्रेप हाथ में आ रहे थे. मैंने उसकी गांड के चीरे पर अपनी ऊँगली रखकर नीचे खिसकानी शुरू कर दी. उसकी गांड काफी दमदार थी, उसकी घाटी के अन्दर मेरी ऊँगली फिसलती चली गयी.

पूरी बस में हमारी तरफ ध्यान देने वाला कोई नहीं था.

रीना अपने मुंह से मेरे लंड को चूस चूसकर मजा दे रही थी और सिमरन. उसकी तरफ तो मेरा ध्यान गया ही नहीं. मैंने सिमरन को देखा. उसकी आँखे गुलाबी हो चुकी थी और उसकी नजरे रीना के ऊपर थी, जो मेरी जेकेट के नीचे घुसकर मेरे लंड को नोच खा रही थी. मैंने सिमरन को भी अपने लंड का गुलाम बनाने की सोची और मैंने एक झटके से अपनी जेकेट को रीना के सर के ऊपर से हटा दिया. जैसे ही जेकेट हटी, रीना हडबडा कर मेरे लंड को छोड़कर उठ बैठी और जैसे ही उसने मेरे लंड को अपने मुंह से निकला, वो अपनी सुन्दरता बिखेरता हुआ सिमरन की नंगी आँखों के सामने लहराने लगा.

रीना ने जब देखा की कोई नहीं है तो वो जल्दी से वापिस नीचे झुकी और मेरे गीले लंड को अपने मुंह में डालकर फिर से चूसने लगी और इतनी देर तक सिमरन की हालत बुरी हो चुकी थी. उसने मेरे लंड की एक एक नस देख ली थी इतनी देर में. और उसकी साँसे तेजी से चलने लगी थी और तब उसने अपनी लाल आँखे उठा कर मेरी तरफ देखा. जैसे ही उसकी नजरे मुझसे मिली. मैंने उसे आँख मार दी. वो शर्मा गयी.

मैंने रीना के सर के ऊपर जेकेट फिर से डाल दी. सिमरन समझ चुकी थी की मैंने ये सब उसे अपना लंड दिखाने के लिए ही किया है. मेरा एक हाथ अभी भी रीना की गांड कुरेदने में लगा हुआ था. सिमरन का हाल बुरा हो चला था. उसकी टी-शर्ट में से मुझे उसके निप्पल साफ़ दिखाई देने लगे थे और उसके मोटे-मोटे होंठ दांतों के नीचे दबने से लाल सुर्ख हो चुके थे.

मैंने रीना की गांड से हाथ निकाला और सिमरन की तरफ बड़ा दिया. सिमरन वैसे भी रीना को छुपाने के लिए लगभग उससे सट कर बैठी हुई थी. मेरा हाथ सीधा उसके पेट पर गया..ठीक उसके मोटे और झूलते हुए मुम्मो के नीचे. उसके बदन में करंट सा लगा..मैंने अपने हाथो को उसके नर्म पेट पर फेरना शुरू कर दिया और थोडा ऊपर किया और उसके लटकते हुए मुम्मे के नीचे वाली हिस्से पर अपनी उंगलियों को छुआ दिया. उसके मुंह से एक मादक सी आवाज निकल गयी.

अह्ह्हह्ह्ह्ह......

पर बस की तेज आवाज की वजह से वो दब कर रह गयी. पर उसकी आवाज सुन कर मुझे डर लगने लगा. अगर किसी ने नोट कर लिया की मैं बस के पीछे बैठ कर दो-दो लडकियों से मजे ले रहा हूँ तो अंशिका की कितनी बदनामी होगी, यहाँ तो सभी को यही मालुम है की मैं उसका कजन हूँ..

मैंने अपना हाथ वापिस रीना की गांड की तरफ कर दिया. मेरी बेरुखी देखकर सिमरन मेरी तरफ देखने लगी, उसे शायद मजा आ रहा था और वो भी अपने जिस्म के ऊपर मेरे हाथो को महसूस करके खुश थी. मैंने उसे इशारा किया की बाद में उसका ही नंबर है. तो वो बुरा सा मुंह बनाकर फिर से रीना और मेरी पहरेदारी करने लगी.

अब मेरे लंड का पारा भी गर्म हो चला था. वो कभी भी फट सकता था. मैंने अपने हाथ को रीना की गांड से हटा कर उसकी स्वेटर के अन्दर डाल दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसके सुदोल सी बेस्ट को दबाकर उनका मर्दन करने लगा और जल्दी ही वो लम्हा आ गया जिसके लिए रीना इतनी मेहनत कर रही थी और जैसे ही मेरे लंड की पहली पिचकारी उसके मुंह में गयी, उसने मेरे लंड को अपने गले तक लेजाकर वहीं छोड़ इया, ताकि उसके बाद निकलने वाली सारी पिचकारिया सीधा उसके पेट के अन्दर तक जाए.

इतनी अन्दर तक मैंने आज तक अपना लंड नहीं घुसाया था. किसी के मुंह में. और चलती बस में अपने लंड को किसी अनजान लड़की से चुस्वाने का ये रोमांच भी बड़ा ही सुखद था.

मेरे लंड को चूसने के बाद रीना ऊपर उठी, उसका चेहरा पसीने से भीगा हुआ था, और होंठो पर अभी भी मेरे लंड से निकला सफ़ेद रस लगा हुआ था. जिसे वो अपनी जीभ से इकठ्ठा करके चूसने में लगी हुई थी.

उठने के बाद वो बोली: विशाल. इतना स्वादिष्ट रस तो मैंने आज तक नहीं पिया और फिर उसने जो किया मैं और सिमरन दोनों हैरान रह गए..

उसने अपने मुंह के कोने में जमा किया हुआ मेरा वीर्य अपनी ऊँगली के सिरे पर इकठ्ठा किया और सिमरन के मुंह के अन्दर वो ऊँगली डाल दी.

सिमरन अपनी फटी हुई आँखों से रीना को देखती रही. पर रस पीने से मना न कर पायी और जैसे ही उसने वो रस अपने गले से नीचे उतारा उसे और भी ज्यादा पीने की इच्छा होने लगी. रीना ने उसे कहा की आते हुए तुम विशाल के पास बैठना और जी भरकर इसका जूस पीना.
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RE: लवली फ़ोन सेक्स चैट - by playboy131 - 19-03-2020, 10:40 PM
RE: लवली फ़ोन सेक्स चैट - by sanskari_shikha - 16-10-2020, 01:31 PM



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