15-10-2020, 09:46 PM
(This post was last modified: 15-10-2020, 10:12 PM by sanskari_shikha. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
स्नेहा: सुनो, अन्दर गेम रूम में चलते हैं, वहां बिलियर्ड टेबल है, मैंने आज तक नहीं खेला वो, मुझे सिखाओ न..
स्नेहा की बात किट्टी मैम ने भी सुन ली थी, वो बोली: हाँ हाँ...विशाल, इसे सिखा दो न बिलियर्ड्स. हमेशा बोलती रहती है.
मैं स्नेहा को लेकर अन्दर चला गया, वहां एक बड़ा सा रूम था, जिसमे हर तरह के खेल, जैसे केरम, टेबल टेनिस, बिलियर्ड्स, वगेरह थे, मैंने बाल्स को सेट किया और स्टिक लेकर मैं खड़ा हो गया.
स्नेहा को मैंने अपने पास बुलाया और उसके हाथ में स्टिक पकड़ाकर मैं उसके पीछे खड़ा हो गया. उसकी मोटी गांड मेरे लंड वाले हिस्से को छु रही थी. मैंने स्टिक को पकड़ा हुआ था, और स्नेहा ने मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया.
मैं: स्नेहा, मेरे हाथ को नहीं, स्टिक को पकड़ो.
स्नेहा: मुझे ये स्टिक नहीं, ये स्टिक पकडनी है.
उसने अपना हाथ मेरे लंड के ऊपर रखकर उसे धीरे से दबा दिया. मैंने घबराकर बाहर की तरफ देखा, जहाँ किट्टी मैम और दूसरी टीचर्स बैठी थी, पर अन्दर सिर्फ टेबल के ऊपर लाईट होने की वजह से, हम दोनों को बाहर से नहीं देखा जा सकता था.
स्नेहा: डरो मत. मम्मी को मैंने पहले ही कह दिया था, और वैसे भी मेरे बाद मम्मी का ही नंबर है. उन्हें भी नहीं तो नींद नहीं आएगी आज की रात.
मैं किट्टी मैम की नहीं बल्कि अंशिका की चिंता कर रहा था, जो अपने कमरे में किसी नव विवाहित दुल्हन की तरह मेरा वेट कर रही थी. मुझे जल्दी ही इन दोनों की प्यास बुझानी होगी, वर्ना अंशिका को शक हो गया और वो यहाँ आ गयी तो मैं तो काम से गया फिर.
मैंने अपनी जिप खोली और स्नेहा के हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया. उसे शायद उम्मीद नहीं थी की मैं इतनी जल्दी मान जाऊंगा. पर अपने सामने लंड को पाकर वो ये भी भूल गयी की वो इस समय खड़ी कहाँ पर है, वो पलटी और मेरे लंड को हाथ में लेकर जोर से हिलाने लगी. मेरी नजर बाहर की तरफ ही थी, किट्टी मैम का चेहरा हमारी तरफ था और बाकी की तीनो टीचर्स की पीठ थी इस कमरे की तरफ, अगर किट्टी मैम देख भी लेती है तो कोई परेशानी वाली बात नहीं है, पर किसी और ने देख लिया तो गड़बड़ हो जायेगी.
मैंने भी सोचा की ऐसा रोमांच और कब मिलेगा, इसलिए खुले कमरे में मैंने अपना लंड निकाल कर स्नेहा के सामने रख दिया था. स्नेहा मेरे सामने बैठ गयी और मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर जोर से चूसने लगी. उसने लॉन्ग स्कर्ट और टी-शर्ट पहनी हुई थी, अपने दुसरे हाथ को अपनी स्कर्ट के अन्दर डाला और अपनी गीली चूत के अन्दर अपनी दो फिंगर डालकर हिलाने लगी.
बड़ा ही अजीब सा एहसास था वो, कमरे में पूरा अँधेरा था, सिर्फ टेबल के ऊपर की लाईट जल रही थी, हम उसे बंद भी नहीं कर सकते थे, क्योंकि बाहर बैठी हुई दूसरी टीचर्स को शक न हो जाए, और किट्टी मैम से डरने की कोई जरुरत नहीं थी, वो तो खुद ही लंडखोर थी.
मैंने किट्टी मैम की तरफ देखा, और पाया की उनकी नजर अब अन्दर की तरफ ही चिपकी हुई थी, वो शायद अपनी बेटी को ढूंढने की कोशिश कर रही थी, पर इतनी दूर से उन्हें साफ़-साफ़ नहीं दिख रहा था की उनकी लाडली तो मेरा लोलीपोप चूस रही है. पर मेरे हिलते हुए शरीर की वजह से उन्हें अंदाजा होने लगा था की अन्दर का एक्शन शुरू हो चूका है. अब किट्टी मैम का भी ध्यान हमारी तरफ ज्यादा और अपनी सहेलियों की तरफ कम था.
मैंने नीचे हाथ करके स्नेहा की टी-शर्ट को सर से घुमा कर उतार दिया, नीचे उसने सफ़ेद रंग की ब्रा पहनी हुई थी, जिसके ऊपर क्रिस्टल लगे हुए थे. मैंने उसके ब्रा स्ट्रेप्स नीचे कर दिया और उसके दोनों मुम्मे बाहर की तरफ निकाल कर उन्हें हिलते हुए देखने लगा. उसके मुम्मो के ऊपर लगे हुए क्रिस्टल भी चमक रहे थे.
स्नेहा से अपनी चूत की गर्मी ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुई, उसने मेरे लंड को अपने मुंह से बाहर निकाला और खड़ी होकर मेरे होंठो को चूसने लगी पागलो की तरह. हलकी रौशनी हम दोनों के शरीर पर पड़ रही थी, जिसकी वजह से बाहर बैठी हुई किट्टी मैम को अब अपनी बेटी साफ़-साफ़ मेरे होंठो को चुस्ती हुई दिखाई दे रही थी और वो भी टोपलेस होकर.
किट्टी मैम ने ज्यादा देर तक बाहर बैठना उचित नहीं समझा, क्योंकि दूसरी टीचर्स का ध्यान कभी भी हमारी तरफ आ सकता था, इसलिए उन्होंने सभी को गुड नाईट बोलकर अन्दर चलने को कहा और फिर उन्हें ये कहकर की आप चलो मैं स्नेहा और विशाल को भी बुला कर लाती हूँ, हमारी तरफ आने लगी.
अन्दर आते ही किट्टी मैम की साँसे मुझे साफ़-साफ़ सुनाई देने लगी. आज पहली बार दोनों माँ-बेटी एक दुसरे के सामने मेरे साथ चुदने को तैयार थे, घर पर तो सिर्फ किट्टी मैम ने मुझसे अकेले में ही चुदवाया था और एक बार ही उन्होंने मुझे और स्नेहा को रंगे हाथो पकड़ा भी था, पर आज पहली बार था शायद जब वो अपनी जवान लड़की के सामने नंगी होकर मुझसे चुदवाने को तैयार थी.
स्नेहा ने जब देखा की उसकी मम्मी भी अन्दर आ चुकी है तो उसके उत्साह में दुगना इजाफा हो गया. वो टेबल के ऊपर की तरफ झुकी और अपनी स्कर्ट को नीचे खिसका दिया, नीचे उसने चड्डी नहीं पहनी हुई थी, साली मदर्जात नंगी होकर खड़ी थी अब वो मेरे और अपनी माँ के सामने. आजकल की ये एडवांस लड़कियां अपने माँ बाप से भी नहीं शर्माती.
वो टेबल के ऊपर बैठ गयी और अपनी टाँगे हवा में फेला कर मुझे अपनी तरफ खीचा, मैंने भी आनन-फानन में अपनी जींस को खोला और अंडरवीयर समेत नीचे खिसका दिया और अपने लोहे की रोड जैसे लंड को सीधा उसकी चूत में लगा कर एक जोरदार धक्का मारा.
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल.........म्मम्मम......
उसकी चूत का गीलापन इतना अधिक था की टेबल के ऊपर भी फेलने लगा था वो. उसकी हिलती हुई दोनों बाल्स और मेरे धक्को से हिलते हुए टेबल के ऊपर रखी हुई बाल्स, मेरे हर धक्के से नाच नाचकर अपनी ख़ुशी प्रकट कर रहे थे.
किट्टी मैम ने भी अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए थे, उन्होंने एक पायजामा और लॉन्ग और लूस सी टी-शर्ट पहनी हुई थी. जिसे उन्होंने उतार दिया था, फिर अपनी ब्रा भी खोल कर गिरा दी..नीचे उन्होंने भी अपनी बेटी की तरह कुछ नहीं पहना था. वो टेबल के पास आई और अपनी बेटी के पास जाकर खड़ी हो गयी और उसके हिलते हुए मुम्मो को देखकर अपनी चूत में ऊँगली डालकर हिलाने लगी.
ओह्ह्ह्ह मम्मी...... इतना मजा आता है इसके लंड से.... अह्ह्ह्हह्ह...... देखो न..... कैसे जा रहा है बिलकुल अन्दर तक. अह्ह्ह्हह्ह...... ओह्ह्ह्ह मम्मा........ आअज...... तो...... अह्ह्ह्ह..... मजा...... अह्ह्हह्ह........ गया....... अह्हह्ह्हह्ह्ह्यी.....
और उसके कहते-कहते ही उसकी चूत से रस निकल कर बाहर की तरफ आने लगा और मेरे लंड ने भी उसकी चूत का साथ देने के लिए वहीँ पर अपने रस का त्याग कर दिया..
मैंने अपना लंड जैसे ही बाहर खींचा, किट्टी मैम जल्दी से आगे आई और अपने मुंह में मेरे लंड को भरकर जोर से चूसने लगी, और अपने एक हाथ को उन्होंने अपनी बेटी की चूत के ऊपर पंजे समेत जमा दिया, ताकि उसका रस बाहर निकल कर नीचे न गिर जाए, मेरे लंड को साफ़ करने के बाद उन्होंने अपनी बेटी की चूत की तरफ रुख किया और अपना उन्ह वहां पर लगाकर जोर जोर से अपनी बेटी की चूत चूसने लगी, और अन्दर जमा हुआ मेरा और स्नेहा का मिला जुला रस पीने लगी.
माँ बेटी का ऐसा प्यार देखकर मेरे लंड ने फिर से अपना सर उठाना शुरू कर दिया, मुझे अपने ऊपर विशवास था की एक बार में मैं लगातार तीन या चार बार चुदाई कर सकता हूँ, एक स्नेहा की हो गयी, किट्टी मैम के बाद अपनी अंशिका के लिए भी तो कुछ बचा कर रखना था न.
अपनी बेटी की चूत को साफ़ करने के बाद किट्टी मैम मेरी तरफ घूमी, उनकी हालत देखकर मैं तो सिर्फ एक ही बात सोच रहा था की आज ये मोटी मुझे छोड़ेगी नहीं. चल बेटा चढ़ जा इसके ऊपर भी.
जैसे ही किट्टी मैम मेरी तरफ घूमी, मेरी नजर सीधा उनके बेशुमार दोलत से भरे हुए उभारो पर पड़ी, ये वही उभार थे जिनको देखकर मेरे मन में न जाने कितनी बार इन्हें चोदने का ख्याल आया था, वैसे तो इनकी गांड भी उतनी ही दौलतमंद थी पर सामने जो दिखता है उसकी बात ही कुछ और होती है. वो मेरे पास आई और मेरे सर को पकड़ कर बड़ी ही बेरहमी से अपनी छाती पर दे मारा.
मुझे तो ज्यादा नहीं, पर जिस अंदाज में उन्होंने मेरा सर मारा था अपने स्तन पर, उन्हें बड़ा दर्द हुआ होगा. पर दर्द होने के बावजूद उनके मुंह से दर्द के बजाये एक मीठी सी सिसकारी निकली, मानो मेरा लंड डाल लिया हो अपनी चूत में.
मैंने अपनी जीभ निकाल कर उनके मोटे निप्पल के ऊपर फिरानी शुरू की, ये दुनिया के सबसे मोटे निप्पल थे मेरे लिए, क्योंकि इनसे बड़े और मोटे तो मैंने आज तक नहीं देखे थे. मेरे मुंह में आकर वो ऐसे लग रहे थे मानो छेना मुर्गी का मीठा दाना, उतना हो मोटा और उतना ही मीठा. मेरे दांत हलके-हलके उनके निप्पल को काट भी रहे थे. किट्टी मैम मचल सी रही थी, उनकी गांड बिलियर्ड टेबल के साथ सटी हुई थी, वो उचक कर उसके ऊपर बैठ गयी, अब उनके आधे शरीर पर ऊपर से आती हुई रौशनी पड़ रही थी, जो उनके खुले हुए योवन को और भी चमका कर मेरी और स्नेहा की आँखों के सामने ला रही थी.
किट्टी मैम: ओह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल........जोर से काट न......अखरोट नहीं खाए क्या कभी, इन्हें अखरोट की तरह से तोड़ दे...साले जब भी किसी जवान लंड को देखते है, कमीनो की तरह खड़े हो जाते हैं. अह्ह्हह्ह....बड़े ही धोखेबाज निप्पलस है ये मेरे, मेरी तो बात ही नहीं सुनते कभी भी, बीच बाजार में खड़े होकर दुनिया को अपने खड़े होने का एहसास कराते हैं, रोज क्लास में भी लडको को देखकर मचल उठते हैं. इन्हें आज इतना काट की ये ऐसा कभी न करे. सजा दे इन्हें...काट डाल....चबा डाल...अह्ह्हह्ह......ओह्ह्ह्ह....हाआन्न्न.....ऐसे.....ही ओफ्फ्फफ्फ्फ़....कुत्ते........साले.....धीईएरे.....अह्ह्हह्ह्ह्ह... अबे खून निकालेगा क्या.....म्मम्मम्मम.......अह्ह्ह्ह ...आआन्हाअ........ओह......
अपनी मम्मी की गन्दी बाते सुनकर स्नेहा भी अपने निप्पलस को अपने हाथो से मसलने लगी, वो शायद देख रही थी की उसके निप्पल अपनी माँ से कितने छोटे हैं.
स्नेहा को अपने निप्पलस को मसलता पाकर किट्टी मैम उससे बोली: बेटी, अपने दाने रोज मसला कर तू भी, अगर मेरे जैसे मोटे बनाने है तो, इन्हें अपने मुंह में लेकर तेरे पापा को भी बड़ा मजा आता है और मेरे साथ के सभी लोंडो को भी. तू ब्रा कम पहना कर. इन्हें खुला छोड़ा कर और जब भी मौका मिले इन्हें दबाने लग जाया कर और इन्हें ज्यादा से ज्यादा चुसवाया कर...तभी फूलेंगे ये...मेरी तरह. समझी.
अपनी माँ की ज्ञान भरी बाते सुनकर स्नेहा हां में हां मिलाये जा रही थी.
किट्टी मैम फिर वहीँ टेबल पर लेट गयी. उनके पैर अभी भी नीचे की तरफ लटके हुए थे. उन्होंने मुझे भी अपने ऊपर खींच लिया. मैंने ऊपर जाते ही अपना मुंह फिर से उनके मोटे स्तन पर लगा दिया और उन्हें पीने लगा.
अह्ह्ह्हह्ह....विशाल......तुझे तो चुसना बड़ी अच्छी तरह से आता है.....लगता है तुझे काफी प्रेक्टिस है....ह्न्न्नन्न्न्न........है न.......बोल.....साले....बोल....
मैं क्या बोलता... की अंशिका के मुम्मे चूस कर ही सीखा हूँ. पर उनकी नजर में तो मैं उसका कजिन था. मैं चुप चाप उनका दूध पीने में लगा रहा.
तभी स्नेहा अपनी जगह से हिली और अपनी मम्मी की टांगो के बीच आकर खड़ी हो गयी. किट्टी मैम समझ गयी की उनकी बेटी की चूत में फिर से खुजली होने लगी है. पर उन्हें तो पहले अपनी खुजली मिटानी थी, इसलिए उन्होंने अपनी टाँगे ऊपर उठाई, स्नेहा के कंधे पर रखी और उसे अपनी तरफ खींचा और अगले ही पल उनकी बेटी किट्टी मैम की रसीली चूत के रस को सोखने का काम करने लगी.
ऐसा लग रहा था जैसे उसके मुंह को किसी शरबत से भरे कटोरे में डाल दिया गया है, इतना रस उनकी चूत से निकल रहा था, जितना स्नेहा पी रही थी उससे ज्यादा निकलता चला जाता और उसके पुरे मुंह को चमकीले और गीले रस ने भिगो कर रख दिया था.
स्नेहा का और मेरा मुंह तो किट्टी मैम की सेवा करने की वजह से बंद था. पर किट्टी मैम अपने भारी भरकम शरीर पर दो-दो गीले मुंह लगाकर पुरे उत्साह के साथ मजे लेने में लगी हुई थी.
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़........सने..........हाआआ.........मेरी बच्ची........अह्ह्ह्ह........चूस बेटा.....चूस....अह्ह्ह्ह.....अपनी मम्मी....की...चाशनी.......पी.....ले......रीईइ........ और तभी उनकी चूत में जैसे धमाका हुआ. उसमे से एक अजीब तरह का प्रेशर निकला जिसकी वजह से स्नेहा के मुंह को भी झटका लगा और वो पीछे हो गयी और फिर किट्टी मैम की चूत से रस का फव्वारा निकलना शुरू हुआ जिसने सामने खड़ी हुई स्नेहा को पूरी तरह से भिगो दिया. रस के ख़त्म होने के बाद शायद उनके अन्दर का पेशाब भी निकल कर सविता को भिगोने लगा था. पहले तो स्नेहा भोचक्की रह गयी. पर फिर उसके कांपते हुए शरीर पर गिरती बोछारो ने जब उसके शरीर को एक नया एहसास देना शुरू किया तो वो भी अपनी आँखे बंद करे अपनी माँ के आशीर्वाद को अपने ऊपर महसूस करने लगी. जैसे-जैसे फव्वारा कम होता गया, स्नेहा का शरीर आगे की तरफ खिसकता चला गया, वो उनके रसिलेपन को आखिरी क्षण तक अपने ऊपर महसूस करना चाहती थी और जैसे ही उसके स्लिपरी मुम्मे अपनी माँ की जांघो से टकराए, किट्टी मैम ने फिर से उसको अपनी टांगो के मोहपाश में बाँध लिया और उसे फिर से अपनी चूत के ऊपर दबा कर उसे अपनी चूत के रस का मजा देने लगी.
उनकी चूत से उठ रही मादक स्मेल को महसूस करके मैं भी उस तरफ घूम गया, मेरे चूतडो के नीचे किट्टी मैम के दोनों विशाल मुम्मे थे, ऐसा लग रहा था की मैं किसी गद्देदार कुर्सी पर बैठा हुआ हूँ.
मैंने अपना सर झुकाया और अपना मुंह किट्टी मैम की चूत पर लगा कर वहां से निकल रहा अमृत पीने लगा. किट्टी मैम ने भी मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरे लंड को सीधा करके बड़ी मुश्किल से अपने मुंह में डाल कर चूसने लगी.
स्नेहा का रस से भीगा हुआ मुंह मेरे मुंह के बिलकुल सामने था. जैसे ही मेरे होंठ वहां पहुंचे स्नेहा ने मुझे थोड़ी जगह देकर अपनी माँ की चूत को मुझे चूसने के लिए दे दिया, पर काफी देर तक भी जब मैंने मुंह नहीं हटाया तो वो अपनी जीभ से मेरे होंठो को हटाने का असफल प्रयास करने लगी. पर मुझे इतना मजा आ रहा था की मैंने उसे वापिस वहां पर मुंह पगाने का कोई मौका नहीं दिया.
पर वो भी कहाँ मानने वाली थी, उसने अपने होंठो को सीधा मेरे होंठो पर लगा दिया और उन्हें किसी पागल कुतिया की तरह से चूसने लगी. इतना मीठापन था उसके होंठो में और इतनी तड़प थी उसकी सकिंग में की थोड़ी देर तक तो मैं उसकी माँ की चूत को भी भूल गया. और इसका फायेदा उसने बखूबी उठाया. मेरे होंठो को एकदम से चुसना छोड़कर उसने फिर से किट्टी मैम की चूत को चुसना शुरू कर दिया.
मैं उसकी चतुरता देखकर दंग रह गया. पर मैंने भी हार नहीं मानी. मैं एकदम से उठा, अपने लंड को बड़ी मुश्किल से किट्टी मैम के मुंह से छुड़ाया, और नीचे आ गया. अब मेरे सामने किट्टी मैम की चूत को चूस रही स्नेहा खड़ी थी. मैंने उसकी उठी हुई गांड को अपने हाथो से दबाना शुरू कर दिया. उसकी गांड अभी भी कुंवारी थी. पर आज उसकी गांड मारने का मौका नहीं था, अगर उसकी चीख बाहर निकल गयी तो गड़बड़ हो जायेगी. इसलिए मैंने अपना हाथ थोडा नीचे किया और उसकी चूत का जाएजा लिया, जिसे मैंने अभी थोड़ी देर पहले ही मारा था, पर उसके अन्दर की गर्मी देखकर लग रहा था की वो फिर से तैयार है. मैंने उसकी चूत के आगे अपना लंड लगाया, और एक तेज धक्का मारकर अपने सुपाड़े को अन्दर धकेल दिया.
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ममम्म्म्मी............ चुदते हुए उसकी मम्मी इतने पास थी, ये बड़ा ही सोभाग्य था उसके लिए.
मेरे धक्के से वो अपनी माँ की चूत को चुसना भूल गयी और उसने अपने दोनों हाथ उनकी जांघो पर रख दिए और अपनी आँखे बंद करके अगले धक्के का इन्तजार करने लगी. जैसे ही अगला धक्का आया, उसकी चूत ने मेरे लंड को पूरी तरह से अपने अन्दर उतार लिया और उसका शरीर भी थोडा आगे खिसक कर लगभग अपनी माँ के ऊपर तक आ गया. मैंने तीन-चार धक्के और मारे तो वो उछल कर अपनी माँ के ऊपर चढ़ गयी. और सीधा जाकर अपने मुंह में इकठ्ठा किया हुआ शहद वापिस उन्हें पिलाने लगी.
म्मम्मम्म......ओह्ह्ह्ह....स्नेहा.......म्मम्मम....
वो दोनों इतनी बुरी तरह से एक दुसरे के होंठो को नोच रहे थे मानो उन्हें जड़ से उखाड़ देना चाहते हो. मेरे लंड के चारो तरफ स्नेहा की चूत थी और उसके थोडा सा नीचे ही उसकी माँ की भी. मैंने अपने लंड को पूरा बाहर निकाल लिया और नीचे की तरफ पड़ी हुई किट्टी मैम की चूत के ऊपर रखकर एक तेज शोट मारा.
अह्ह्हग्ग्ग्गघ्ह्ह्ह.............साले......बता तो देता.....अह्ह्हह्ह....की डाल रहा है.....म्मम्मम्मम........ओह्ह्ह्ह विशाल.......कितना बड़ा लंड है तेरा.....अम्म्म्मम्म..........जोर से चोद मुझे अब........जोर से.....अह्ह्ह्ह.....
उसकी बोलती जुबान को स्नेहा ने अपने होंठो से फिर से बंद कर दिया. फिर तो मैंने जो धक्के मारे किट्टी मैम की चूत में. उनका हिसाब ही नहीं था.....उनकी मोटी टांगो ने मेरी कमर को अपने जाल में बाँधा हुआ था. ऐसा लग रहा था की वो मुझे अपनी चूत में खींच रही है. मैंने हाथ आगे किये और अपनी माँ के ऊपर लेती हुई स्नेहा के गीले शरीर पर फिराने लगा और उसके मुम्मो को दबाने लगा. मेरे हाथ उसके और उसकी माँ के मुम्मो के बीच पिस गए थे और मुझे दोनों तरफ से गुदगुदेपन का एहसास करा रहे थे. किट्टी मैम का शरीर अकड़ने सा लगा. उन्होंने अपनी कमर को हवा में उठाना शुरू कर दिया, जैसे कोई प्लेन हवा में उडता है, उनके ऊपर लेटी हुई स्नेहा को तो फ्री में झूले मिलने लगे थे. किट्टी मैम अपनी चूत को मेरे लंड के ऊपर बुरी तरह से दबा रही थी. मुझे लगा की मेरे लंड ने उनकी चूत के अन्दर की उन परतो को भी खोल दिया है, जहाँ आज तक कोई और नहीं गया.
ओह्ह्ह्हह्ह फक्क्कक्क्क.........म्मम्मम......विशाल्ल्ल्ल....ययु आआर.......टू गुड......
स्नेहा भी अपनी माँ के ऊपर से हट गयी और मेरी तरफ मुंह करके खड़ी हो गयी.
अब किट्टी मैम टेबल पर लेटी थी और मैं नीचे खड़ा होकर उनकी चूत मार रहा था, और उनकी बेटी टेबल पर मेरी तरफ मुंह करके खड़ी थी. मुझे पता था की वो क्या चाहती है, पर मैंने अपनी तरफ से कोई पहल नहीं की और किट्टी मैम की चूत मारने में लगा रहा. उससे और सहन नहीं हुआ और उसने मेरे सर के पीछे हाथ रखकर होले से अपनी चूत को मेरे मुंह से लगा दिया और एक तेज सिसकारी मारकर, अपनी आँखे बंद करके, अपने पंजो के बल, मेरे मुंह के ऊपर बैठ सी गयी. अह्ह्ह्हह्ह स्स्स्सस्स्स्स......म्मम्मम्म......
मैंने भी अपनी जीभ पूरी तरह से बाहर निकाल ली थी जो उसकी चूत के लिए उस समय पार्ट टाईम लंड का काम कर रही थी, मेरी तनी हुई जीभ के ऊपर वो अपनी चूत को डुबकियाँ दिलवा रही थी, और अपने शरीर को गिरने से बचने के लिए मेरे सर के ऊपर अपने हाथो को रखकर बेलेंस बना रही थी..
अह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह्ह....विशाल......म्मम्मम...ओह्ह्हह्ह गोड.....म्मम्म....सक......सक्क्क्क माय पुस्स्सी......फक्क्क्क माय पुस्स्सी......विद ......यूर टंग........म्मम्मम्म.....ओह माय गोड.....ओह माय गोड......आई एम् कमिंग......कमिंग......कमिंग.......ओह्ह्ह्ह फक्क्क्क........यु मदर फकर.....अह्ह्ह....
साली, मुझे माँ की गाली दे रही थी. जबकि उसकी माँ को मैं चोद रहा था. अपनी चूत से उसने अपनी माँ की ही तरह शहद का झरना खोल दिया. मेरे मुंह से टकराकर वो झरना नीचे की तरफ गिरने लगा. अपनी बेटी के गर्म रस का एहसास अपने ऊपर पाते ही किट्टी मैम की चूत के अन्दर से भी अपनी बेटी की ही तरह एक और तूफ़ान निकलने लगा.. और मैं उन दोनों माँ बेटियों के रस में नहाकर अपने आप को गोर्वान्वित महसूस कर रहा था.
जब तूफ़ान थमा तो उसे मैंने अपने मुंह से उतारा और वहीँ टेबल पर उसकी माँ के पास लिटा दिया. दोनों ने एक दुसरे को चूमना चाटना शुरू कर दिया. मैंने सोचा की इन्हें यही छोड देना चाहिए, मेरा इन्तजार जो हो रहा था.
फिर मैंने पास ही पड़े हुए टोवल से अपने शरीर को पोंछा और अपने कपडे पहन कर अपने कमरे की तरफ भागा. वहां मेरी "बीबी" अंशिका मेरा इन्तजार जो कर रही थी. और आज उसके लिए मेरे पास एक नया तरीका था, जिसे मैंने अभी माँ-बेटी को चोदते हुए ही सोचा था.
जैसे ही मैं अपने कमरे के पास पहुंचा, मेरा फ़ोन फिर से बजने लगा, ये वोही अनजान नंबर था.
मैं: हेल्लो..
आवाज: बड़े मजे ले रहे हो तुम तो. किट्टी मेडम और उनकी बेटी दोनों को एक साथ ही चोद डाला तुमने तो
मैं उसकी बात सुनकर हैरान रह गया. इसका मतलब वो मुझे देख रही थी. उसकी आवाज में एक अजीब सा भूखापन था, यानी जब वो ये बात बोल रही थी, मानो अफ़सोस के साथ कह रही थी की ये सब उसके साथ क्यों नहीं हुआ.
मैंने भी अँधेरे में तीर मारा: तुम हम सब को देख रही थी और मैं तुम्हे देख रहा था.
अब हैरान होने की बारी उसकी थी.
आवाज: यानी...यानी...तुमने मुझे पहचान लिया.
मैं: हाँ, पहचान भी गया और जान भी गया. तुम्हारे चेहरे के एक्सप्रेशन मैं अँधेरे में भी साफ़ देख पा रहा था. शीशे में से.
मैंने ये इसलिए कहा क्योंकि उस कमरे से बाहर की तरफ देखने का एकमात्र साधन वो खिड़की ही थी, जिसपर शीशा लगा हुआ था.
वो मेरे जाल में फंस सी गयी..
मैं अब कल तक का इन्तजार करने का टाइम नहीं है मेरे पास, मैं अभी नीचे वापिस आ रहा हूँ, जल्दी से तुम भी आ जाओ. समझी.
वो कुछ न बोली और फोन रख दिया.
मैंने कमरे में झांककर देखा, अंशिका सो रही थी, मेरा इन्तजार करते-करते उसकी आँख लग चुकी थी, उसने अपने पुरे शरीर पर रजाई ओढ़ रखी थी, और उसका सुन्दर सा चेहरा बड़ा हो मोहक लग रहा था, उसने शायद थोडा मेकअप भी कर रखा था, पर इस समय मैं नीचे खड़ी उस लड़की के बारे में सोच रहा था, इसलिए मैंने दरवाजा बंद किया और वापिस नीचे की तरफ भागा.
किट्टी मैम और स्नेहा वापिस जा चुके थे, कमरे की लाईट भी बंद हो चुकी थी.
मैं पार्क में जाकर एक बेंच पर बैठ गया, तभी दूसरी तरफ से एक लड़की आती हुई दिखाई दी. काफी अँधेरा था वहां पर. पर जैसे-जैसे वो पास आती जा रही थी, उसका चेहरा साफ़ होता जा रहा था. वो एक छोटे से कद की लड़की थी, वैसे भी जिस लड़की सिमरन के बारे में मैं सोच रहा था वो तो शाम को ही स्नेहा के साथ बैठी थी, इसलिए उसके बारे में अंदाजा लगाना तो मैंने पहले ही छोड़ दिया था. ये लड़की तो काफी सिंपल सी लग रही थी, चेहरे पर चश्मा था, रंग गोरा था, ब्रेस्ट भी ज्यादा बड़ी नहीं थी, कद भी पांच फूट दो इंच के आस पास था, कुल मिला कर काफी साधारण सी थी वो.
मेरे पास आकर वो खड़ी हुई तो मैंने हेरानी से पूछा: तुम थी वो...??
मेरी बात सुनकर वो मुझे आश्चर्य से देखने लगी: इसका मतलब, तुमने मुझे नहीं देखा था. ओह माय गोड. मतलब तुमने मुझे झूठ कहा था की तुमने मेरा चेहरा देखा अभी.
मैं मुस्कुरा दिया. उसका चेहरा उतर सा गया था. वैसे जैसे भी थी वो, उसकी आवाज सुनते ही मेरे पुरे शरीर में करंट सा दोड़ने लगा, इतनी गहरी आवाज थी उसकी की मन कर रहा था की वो मेरे कानो के पास खड़ी होकर बोलती रहे.
मैं: अब तुमने मुझे चेलेंज जो किया था, और चेलेंज मैंने पूरा कर दिया. अब जो मैं चाहूँगा, वोही करना होगा तुम्हे.
उसके चेहरे के रंग बदलने लगे.
मैं समझ गया की ये एक जवानी की देहलीज पर कदम रख रही वो लड़की है जिसने अपने आस पास हो रही हलचल को महसूस करके अपने ख्वाब बुने है, किसी लड़के के साथ मजे लेने के. पर शायद उसका चेहरा और शरीर ऐसा नहीं था जो आजकल के लडको को लुभा सके, आजकल के लडको को तो बस मोटी-मोटी ब्रेस्ट और अपने सुन्दर शरीर और चेहरे से घायल करने वाली लड़कियां ही पसंद है, और ये लड़की उस केटागिरी में नहीं आती. और शायद मुझे देखकर और मेरे अंदाज को देखकर इसने सोचा होगा की मेरे साथ कुछ पंगा लिया जाए इसलिए वो मुझे फोन कर रही थी. वो तो मेरा दिमाग चल गया और ये मेरी बातो में आकर मेरे सामने आ गयी, वर्ना शायद ये मुझे कल भी न मिलती. क्योंकि मैं इस लड़की के बारे में तो सोच भी नहीं सकता था की ये मुझे फोन कर रही होगी.
मैं: चलो छोड़ो सब बातो को. तुम्हारा नाम क्या है..
लड़की: माय नेम इस रीना और मैं यहाँ अपनी दीदी के साथ आई हूँ, उनका नाम माया है.
मैं: उसके शरीर को घूरने लगा.
रीना: क्या देख रहे हो इस तरह.
मैं: देख रहा हूँ की तुमने जो अपने फिगर का साईज बताया था, ये कुछ कम सा लग रहा है.
रीना: अच्छा जी. नाप कर देख लो. एक इंच भी कम निकले तो जो कहोगे वो करुँगी मैं.
बड़ी ही बडबोली टाईप की थी वो. मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया.
मैं: मेरे पास इंचीटेप तो है नहीं. पर जैसा मैंने कहा था, मैं अपने हाथो से नाप कर बता सकता हूँ.
मेरी बात सुनकर उसके चेहरे का रंग लाल हो उठा. उसके होंठ कांपने से लगे.
मैं: अपनी जगह से उठा और उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया.
उसकी तेज साँसे मैं साफ़ सुन पा रहा था. उसके पीछे जाकर मैंने अपने हाथ उसके पेट वाले हिस्से पर रख दिए. वो सिहर सी उठी. उसने पायजामा और टी-शर्ट पहनी हुई थी. मैंने झुक कर अपना चेहरा उसके कंधे पर रख दिया.
मैं: तुम्हारे शरीर के हर हिस्से का नाप लेकर मैं तुम्हे बता सकता हूँ.
रीना: हननं....
उसकी तो जैसे गिग्घी सी बंध गयी थी.
मैं: तुम्हारे पेट पर तो कुछ भी नहीं है. इतना सपाट है ये.
मैंने टी-शर्ट और पायजामे के बीच से उसके पेट वाले हिस्से के अन्दर अपने हाथ खिसका दिए. उसका सर मेरी तरफ झुक सा गया. उसके दोनों मुम्मे और उनकी उचाई अब मेरे सामने थी. मैंने अपने हाथ ऊपर किये और उसके छोटे-छोटे स्तनों के ऊपर हाथ रखकर सहलाने लगा. वाव.....इतने कठोर थे वो दोनों. शायद उसने अपनी ब्रा काफी टाईट करके पहनी हुई थी. मैंने हाथ पीछे लेजाकर अपने एक ही हाथ से उसकी ब्रा के स्ट्रेप को खोल दिया. प्लक की आवाज के साथ उसकी ब्रा खुल गयी. और उसके मुम्मे आगे की तरफ लटक गए. अब मैंने उन्हें अपनी हथेली में भरा, सच में...ये अब ज्यादा बड़े लग रहे थे और शायद वो ठीक ही कह रही थी, 33 तो होंगे ही वो.
मैं: तुमने सही कहा था. इनका साईज तो 33 ही है.
वो मेरी बात सुनकर मुस्कुरा उठी. मैंने अपने हाथ अन्दर डाल कर उसकी ब्रा को ऊपर किया और उसके नंगे बूब्स पकड़ कर उनके साथ खेलने लगा. इतने तने हुए और अपनी शेप में आये हुए मुम्मे मैंने आज तक नहीं देखे थे. इतने सोफ्ट थे मानो जैल से भरा गुब्बारा. जिसे जितना दबाओ उतना ही मजा आये. मैंने उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए. वो तड़प सी उठी. मैंने अपना एक हाथ सीधा उसके पायजामे में डालकर उसकी गरमा गरम चूत के ऊपर रख दिया. वो एक तेज सिसकारी मारकर अपनी गांड वाले हिस्से को मेरे लंड के ऊपर दबाने लगी. वैसे जिस तरह की हरकते कर रही थी, मुझे पक्का मालुम था की वो वर्जिन थी अभी तक. वो मेरी तरफ घूमी और एकदम से अपने होंठो से मुझे चूसने लगी. इतने मुलायम थे उसके होंठ. एक अजीब सी तपिश थी उनमे. शायद पहली बार चूस रही थी वो किसी के होंठ.
तभी मेरा सेल बज उठा. मैंने हडबडा कर उसके होंठो से अपने आप को छुड़ाया. वो अंशिका का फोन था.
मैं: हाँ...हेल्लो.
अंशिका: विशाल....कहाँ हो तुम. मैं कितनी देर से इन्तजार कर रही थी तुम्हारा..
मैं: अरे मैं तो आया भी था, तुम सो रही थी इसलिए वापिस नीचे आकर टहलने लगा. बस अभी आया ऊपर.
ये कहकर मैंने फोन रख दिया. रीना मेरी तरफ देख रही थी.
मैं: देखो रीना. मैं समझ सकता हूँ की इस समय तुम क्या चाहती हो और सच बताऊ. मैं भी तुम्हे पुरे मजे देना चाहता हूँ. पर अंशिका को शक न हो जाए इसलिए कल तक का इन्तजार करो. तुम्हारी प्यास मैं बुझाकर रहूँगा. ओके.
मेरी बात सुनकर वो शर्मा सी गयी. चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार थी वो भी. पर मेरी बात शायद समझ गयी थी वो और पहली बार में ज्यादा जिद करके वो बुरी भी नहीं बनना चाहती थी शायद.
मैं वापिस ऊपर की तरफ भागा. अंशिका के पास.