13-03-2019, 07:45 AM
सामने बगल के घर में रहने वाली आंटी आयरन लेने आयी हुई थी। उन्हें देखकर पूनम का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया था, लेकिन वो कुछ बोली नहीं और चुपचाप आयरन लाकर आंटी को दे दी। आंटी उससे एक दो लाइन बात भी की लेकिन पूनम बस हूँ हाँ में जवाब दी तो वो भी चली गयी।
उनके जाने के बाद पूनम का गुस्सा छलकने लगा। वो अकेले बड़बड़ाने लगी "साली बुढ़िया को भी अभी ही आना था। मुझे लगा की मम्मी पापा आ गए हैं। पता होता की ये है तो गुड्डू को जाने के लिए तो नहीं कहती। अब जब इतना कुछ हो ही गया था तो चुदाई तो करवा ही लेती। आह कितना अच्छा लग रहा था चुत चूस रहा था तब। कितने दिन बाद तो मज़ा आ रहा था और ये आंटी पहुँच गयी कबाब में हड्डी बनने।"
पूनम का मन हुआ की फिर से गुड्डू को कॉल करके बुला ले, अभी तो यहीं होगा, ज्यादा दूर भी नहीं गया होगा। लेकिन अब उसे बुलाना उसे सही नहीं लगा। 'अच्छा हुआ की नहीं चुदी।' वो हॉल में चारो तरफ अपनी पैंटी ढूंढ रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि गुड्डू ने पैंटी को किधर फेंक दिया। उसे डर भी लग रहा था कि अगर उसकी मम्मी या पापा को पैंटी कहीं फेंकी हुई दिख गयी तो पता नहीं वो लोग क्या सोचेंगे।
पूनम को पैंटी नहीं मिला तो वो थक कर बैठ गयी और पहले तो ब्रा का हुक बंद करके टॉप को ठीक कर ली और फिर गुड्डू को फ़ोन की। गुड्डू ने उसके कॉल को कट कर दिया और तुरंत उधर से कॉल किया। उसका खुद मूड खराब था कि हाथ आया हुआ इतना अच्छा मौका हाथ से फिसल गया। हालाँकि उसे कोई बहुत विशेष दिक्कत नहीं था, क्यों की पूनम को अब उससे चुदवाना ही था। पूनम की चुत अब बिना उसका लण्ड लिए मानने वाली नहीं थी। तकलीफ थी तो बस यही की अब उसे और इंतज़ार करना पड़ेगा।
पूनम कॉल रिसीव की और पूछी "मेरी पैंटी किधर फेंक दिए तुम?" पूनम की आवाज़ सुनकर गुड्डू को शॉक लगा क्यों की वो धीरे नहीं बोल रही थी। गुड्डू ने बिना जवाब दिए अपना सवाल पूछा "कौन आया था अभी? तेरे मम्मी पापा नहीं आये क्या?" पूनम उदासी भरे स्वर में बोली "नहीं, बगल वाली आंटी आयी थी। तुम मेरी पैंटी किधर फेंक दिए हो की मिल ही नहीं रहा है।"
गुड्डू का मन भी गुस्से से भर पड़ा। 'उफ़्फ़... पैंटी उतारकर चुत चूस रहा था साली की, बोल रही रही चोदने के लिए। उस रण्डी को भी अभी ही आना था। हरामी मादरचोद।' मन में उस आंटी को ढेरों गालियाँ दे चुका था वो। बोला "तो आता हूँ न मैं फिर से। तू ट्राउजर उतार कर रह, पैंटी मेरे पास है।"
पूनम शॉक्ड हो गयी। "पैंटी तुम्हारे पास है मतलब!" गुड्डू बोला "बस... आते वक़्त तेरी पैंटी दिख गयी तो उठा कर रख लिया की आज तुझे चोद तो पाया नहीं, कम से कम तेरी पैंटी तो रहेगी मेरे पास तो मेरे लण्ड को सुकून मिलेगा। अभी आता हूँ तो फिर तुझे चोदुंगा भी और तेरी पैंटी भी तुझे दे दूँगा।"
पूनम हड़बड़ा गयी। "नहीं, अभी मत आओ।" गुड्डू को पूनम से इस जवाब की उम्मीद नहीं थी। "क्यों? क्या हो गया? मन बदल गया क्या?" पूनम बोली "नहीं, मम्मी पापा आते ही होंगे अब।" गुड्डू को भी लगा की पूनम सही कह रही है। वो हड़बड़ी में इस हसीना को नहीं खाना चाहता था। आज तो वो ठीक से शीतल के बदन को देख भी नहीं पाया।
गुड्डू बोला "ये तो धोखा दे दी तू। खाना सामने परोस कर के फिर प्लेट हटा ली।" पूनम शर्मा गयी। वो समझ रही थी की गुड्डू के कहने का मतलब क्या था। वो भी शरारत से बोली "मैं तो नहीं हटाई। तुम्ही तो डर का भाग गए।" गुड्डू मुस्कुरा दिया। बोला "लण्ड अभी तक टाइट है, तेरी चुत की सैर करने के लिए। तेरी चुत के क्या हाल हैं।" पूनम कुछ नहीं बोली। वो अपने मन के हालात जाहिर नहीं करना चाहती थी।
गुड्डू बोला "कल आ जा न मेरे यहाँ। कल सारी कसर निकाल देता हूँ। तेरी चुत और मेरे लण्ड की तड़प शांत हो जायेगी। अच्छे से आराम से मस्ती करेंगे। कोई हड़बड़ी नहीं रहेगी। फुर्सत से चुदाई होगी तेरी।" पूनम का मन ललच गया। बहुत दिन से वो अकेली अपने चुत को शांत करा रही थी, कल बहुत दिनों बाद किसी मर्द का हाथ पड़ा था उसपे। वो अपनी चुत पर अभी भी गुड्डू के होठों और जीभ को महसूस कर रही थी। अभी भी उसे ऐसा लग रहा था जैसे गुड्डू का हाथ उसकी चुच्ची पर है। लेकिन वो गुड्डू के अड्डे पर नहीं जाना चाहती थी। वो किचन से बेलन ले आयी और अपने कपड़े नीचे कर उसे चुत में अंदर डालकर बेड पर लेट गयी।
बोली "नहीं, अभी नहीं। अब फिर कभी बाद में।" गुड्डू बोला "ऐसे मत कर। आ जा न, बहुत मज़ा आएगा। और तू अपनी पैंटी भी ले लेना।" पूनम बोली "तुम मेरी पैंटी ले ही क्यों गए।" गुड्डू को पैंटी में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उसे तो चुत में इंटरेस्ट था। बोला "आज तो तुझे ठीक से देखा भी नहीं। अभी तो कपड़े उतरे भी नहीं थे की वो साली रण्डी मादरचोद आंटी आ गयी तेरी, वहाँ माँ चुदवाने। आ जा कल, अच्छे से तेरे बदन को देखूँगा, सहलाऊँगा, चूमूंगा, चूसूंगा और फिर तुम्हे चोदुंगा।
पूनम को हँसी भी आ गयी गुड्डू के मुँह से आंटी के लिए गाली सुनकर, वो भी इसी तरह गुस्से में आंटी को गाली दी थी उस वक़्त। और उसकी चुत भी गीली हो गयी थी गुड्डू की प्लानिंग सुनकर। उसका मन हो रहा था कि जाकर चुदवा ही ले, लेकिन बस उसे डर लग रहा था कि उस अंजान जगह पर उसके साथ क्या होगा क्या नहीं होगा, कौन जानता है। हालाँकि उसे गुड्डू पर थोड़ा भरोसा था, क्यों की वो जो बोल रहा था सीधा सीधी बोल रहा था। फिर चाहे चुदाई की बात हो या फिर वो और विक्की दोनों चोदेंगे ये बात हो। उसने कभी किसी चीज़ में जबर्दस्ती भी नहीं किया था, फिर भी वो कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी।
बोली "अब अभी नहीं।" गुड्डू हड़बड़ी में बोला "तो कब? परसों आ जा। अब और मत तड़पा जान।" पूनम बोली "परसों तो मैं जा रही हूँ अपने मौसेरी बहन की शादी में।" गुड्डू परेशान हो गया। "क्या! वहाँ से लौटोगी कब?" पूनम बोली "8-10 दिन बाद।" गुड्डू उसी तरह परेशानी भरी आवाज़ में बोला "क्... या...! इतने दिन बाद। इतने दिन तड़पायेगी क्या मुझे।"
पूनम कुछ नहीं बोली। वो तो इतने दिन गुड्डू से दूर थी और उसे लगा था कि फिर शादी में चली जायेगी तब तक बहुत दिन हो जायेगा तो फिर वो खुद को सम्हाल लेगी और गुड्डू से दूर हो जायेगी। उसे कहाँ पता था कि दूर होने की जगह और इतना कुछ हो जायेगा की गुड्डू उसके बदन को नंगी करके खेल रहा होगा और वो नंगी होकर खुद उसे चोदने बोल रही होगी।
गुड्डू बोला "एक काम कर, मेरे घर नहीं आना चाहती तो मत आ, कहीं और मिल ले, उस रेस्टॉरेंट में। अब इतने दिन तुझसे दूर रहना मुश्किल है। कल अच्छे से तुझे देख तो पाउँगा। अभी तो ये भी नहीं पता की तेरे निप्पल का कलर क्या है। तेरी चुच्ची किस तरह की है। तुझे तो अपना लण्ड भी नहीं दिखा पाया जो तेरे चुत में जाने के लिए कब से तैयार खड़ा है।"
पूनम बेलन के पतले वाले हिस्से को चुत में डाली हुई थी। लण्ड देखने की बात पर वो बेलन को चुत में अंदर बाहर करने लगी। वो गुड्डू का लण्ड देखना चाहती थी। बोली "वहाँ कैसे करोगे।" गुड्डू तुरंत बोला "वही तो बोल रहा हूँ की वहाँ चोदुंगा तो पूरे रेस्टुरेंट को पता चल जायेगा की पूनम सक्सेना की चुदाई हो रही है।" पूनम शर्मा गयी। गुड्डू आगे बोला "इसलिए तो बोल रहा हूँ की मेरे घर आजा, वहाँ होगी असली चुदाई तेरी।" शीतल ज़िद पर थी। "बोली, नहीं वहाँ तो नहीं आऊँगी। कल रहने देते हैं। बाद में देखते हैं।" गुड्डू बोला "नहीं, मिलना तो कल ही है मुझे। फिर तू उस रेस्टुरेंट में ही आजा। वहाँ चोदुंगा नहीं, लेकिन तुम्हारे बदन को अच्छे से देखूँगा तो। तुम्हे अपना लण्ड दिखाऊंगा। तू मेरे लण्ड को अभी तक तो बस फोटो में ही देखी है न, कल असली वाला देख लेना और बताना कैसा है।"
पूनम कमजोर पड़ने लगी। बोली "नहीं, कोई देख लेगा, मुझे डर लगता है।" गुड्डू बोला "कोई नहीं देखता किसी को। और देख, अगर आज तेरे पास नहीं आया होता तो मैं नहीं बोलता। लेकिन अब तेरी चुत को देख चुका हूँ, चुम चूका हूँ लेकिन चोद नहीं पाया। मेरा लण्ड टाइट है और इसका पानी तो अब तेरे पर ही निकलेगा। नहीं तो मैं तड़पता रहूँगा। तेरे चुत में मुँह सटाया लेकिन उस नमकीन झील का पानी नहीं टेस्ट कर पाया, आजा मेरी जान।"
पूनम सब कुछ इमेजिन करती जा रही थी। उसने बेलन को चुत में और अंदर कर लिया और अंदर बाहर करती हुई बोली "बस तू आ जा जान, कभी ज़िद नहीं किया हूँ, बस कल आजा। फिर तू इतने दिनों के लिए बाहर भी तो जा रही है। अच्छे से अपने बदन को दिखा दे। और तुझे तेरी पैंटी भी तो लेनी है।" पूनम हार मानती हुई बोली "ठीक है। लेकिन बस कुछ देर के लिए।"
गुड्डू खुश हो गया। "थैंक्स जान। कब आएगी?" पूनम कुछ सोंची और फिर बोली "दोपहर में 2 बजे।" गुड्डू खुश हो गया। बोला "एक रिक्वेस्ट है कपड़े ऐसे पहन कर आना की खोलने उतारने में दिक्कत न हो और टाइम न लगे। और पैंटी पहन कर मत आना, लौटते वक़्त यहीं मेरे से ले लेना। तुम वो जो वन पीस पहनकर उस दिन मार्केट गयी थी, वही पहनकर आना। तू उसमे मस्त भी लगती है और नीचे से खुल्ला है तो चुत तक तो हाथ ऐसे ही पहुँच जायेगा और अगर पीठ पे लगा चैन खोल दूँगा तो फिर तो तेरा पूरा बदन चमक जाएगा। आज तो ठीक से देख भी नहीं पाया था, कल अच्छे से देखूँगा। और हाँ, चुत को चिकनी कर लेना, आज चूसते वक़्त झांटे चुभ रही थी मुँह में।"
शीतल चुपचाप गुड्डू की बात सुन रही थी। उसकी प्लानिंग सुनकर शीतल और गर्म हो रही थी और चुत में तेज़ी से बेलन अंदर बाहर कर रही थी। उसकी चुत ने पानी छोड़ दिया और वो तुरंत "ठीक है" बोलती हुई फ़ोन कट कर दी। वो हाँफ रही थी। वो तैयार थी कल गुड्डू से मिलने के लिए, उसे अपना नंगा जिस्म दिखाने के लिए। वो तैयार थी गुड्डू से चुदवाने के लिए। अगर वो फिर से घर में अकेली रही तो गुड्डू का लण्ड उसकी चुत में जरूर जायेगा।
पूनम अपने कपड़े पहन ली और किचन में काम करने लगी। उसके मम्मी पापा काफी देर से आये। पूनम को गुस्सा भी आ रहा था खुद पर और अफ़सोस भी हो रहा था कि वो गुड्डू को दुबारा क्यों नहीं बुला ली। इतनी देर में तो गुड्डू उसे पुरे मस्ती से चोद चूका होता और वो भी पूरा मज़ा ले ली होती। वो कल के बारे में सोच रही थी और उसे शर्म आ रही थी की वो कल रेस्टुरेंट क्यों जा रही है।
पूनम पहले भी उस रेस्टुरेंट में गयी थी अमित से मिलने, लेकिन तब दोनों का मक़सद मिल कर साथ में समय बिताने का और बातें करने का होता था। गुड्डू के एन्वेलोप देने के बाद ही वो दो बार वहाँ कुछ कुछ की थी अमित के साथ। लेकिन कल वो गुड्डू के साथ वही सब करने जा रही थी वहाँ। पूनम सोच सोच कर शर्मा रही थी की 'जाते ही गुड्डू उसके बदन से खेलने लगेगा और जैसा उसने कहा था, उस वन पीस में तो 2 मिनट में उसका पूरा बदन गुड्डू की नज़रों के सामने होगा। वो अमित की तरह धीरे धीरे और परमिशन लेकर तो कुछ करेगा नहीं। कल वो गुड्डू का लण्ड देखेगी, असली में। उसे चुसेगी, उसका वीर्य पीयेगी। मम्मम...। मैं भी रण्डी बन गयी हूँ। अब बन गयी हूँ तो बन गयी हूँ। अब जो होना है होता रहे। इतना टेंसन नहीं ले सकती अब।'
गुड्डू पूनम का फ़ोन कटने के बाद विक्की से मिला और खुश होता हुआ उसे सारी बात बताया। जब विक्की को पता चला की पूनम की चुत नंगी कर देने के बाद भी वो उसे चोद नहीं पाया तो विक्की हँसने लगा और गुड्डू को चिढ़ाने लगा। विक्की बोला "साला गांडू, तू फट्टू हो गया है। अब चुत चोदना तेरे बस में नहीं है।"
गुड्डू बोला "कल रेस्टुरेंट में आ रही है।" विक्की आश्चर्य से पूछा "वहाँ क्यों आ रही है?" गुड्डू थोड़ा मायूस होकर बोला। उसे पता था कि विक्की फिर उसपे हँसेगा। बोला "अड्डे पे नहीं आएगी। फटती है साली की। और 8-10 दिन के लिए बाहर जा रही है तो मैंने सोचा की तब तक जो मिल रहा है उसी का मज़ा ले लूँ।" विक्की हँसने लगा। गुड्डू बोला "अरे तू ऐसे हँस मत। चोदुंगा तो जरूर उसे। वो चुदवाएगी भी। कल वो मादरचोद आंटी नहीं आयी होती तो कल ही चोद चूका होता। उसे चोदुंगा भी और तू भी उसे चोदेगा।"
विक्की बोला "रण्डी चुदेगी तो जरूर। ऐसी कोई चुत बनी ही नहीं है जिसके बारे में हम दोनों सोचे और वो हमसे चुदे नहीं।" दोनों साथ में हँस दिए।
उनके जाने के बाद पूनम का गुस्सा छलकने लगा। वो अकेले बड़बड़ाने लगी "साली बुढ़िया को भी अभी ही आना था। मुझे लगा की मम्मी पापा आ गए हैं। पता होता की ये है तो गुड्डू को जाने के लिए तो नहीं कहती। अब जब इतना कुछ हो ही गया था तो चुदाई तो करवा ही लेती। आह कितना अच्छा लग रहा था चुत चूस रहा था तब। कितने दिन बाद तो मज़ा आ रहा था और ये आंटी पहुँच गयी कबाब में हड्डी बनने।"
पूनम का मन हुआ की फिर से गुड्डू को कॉल करके बुला ले, अभी तो यहीं होगा, ज्यादा दूर भी नहीं गया होगा। लेकिन अब उसे बुलाना उसे सही नहीं लगा। 'अच्छा हुआ की नहीं चुदी।' वो हॉल में चारो तरफ अपनी पैंटी ढूंढ रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि गुड्डू ने पैंटी को किधर फेंक दिया। उसे डर भी लग रहा था कि अगर उसकी मम्मी या पापा को पैंटी कहीं फेंकी हुई दिख गयी तो पता नहीं वो लोग क्या सोचेंगे।
पूनम को पैंटी नहीं मिला तो वो थक कर बैठ गयी और पहले तो ब्रा का हुक बंद करके टॉप को ठीक कर ली और फिर गुड्डू को फ़ोन की। गुड्डू ने उसके कॉल को कट कर दिया और तुरंत उधर से कॉल किया। उसका खुद मूड खराब था कि हाथ आया हुआ इतना अच्छा मौका हाथ से फिसल गया। हालाँकि उसे कोई बहुत विशेष दिक्कत नहीं था, क्यों की पूनम को अब उससे चुदवाना ही था। पूनम की चुत अब बिना उसका लण्ड लिए मानने वाली नहीं थी। तकलीफ थी तो बस यही की अब उसे और इंतज़ार करना पड़ेगा।
पूनम कॉल रिसीव की और पूछी "मेरी पैंटी किधर फेंक दिए तुम?" पूनम की आवाज़ सुनकर गुड्डू को शॉक लगा क्यों की वो धीरे नहीं बोल रही थी। गुड्डू ने बिना जवाब दिए अपना सवाल पूछा "कौन आया था अभी? तेरे मम्मी पापा नहीं आये क्या?" पूनम उदासी भरे स्वर में बोली "नहीं, बगल वाली आंटी आयी थी। तुम मेरी पैंटी किधर फेंक दिए हो की मिल ही नहीं रहा है।"
गुड्डू का मन भी गुस्से से भर पड़ा। 'उफ़्फ़... पैंटी उतारकर चुत चूस रहा था साली की, बोल रही रही चोदने के लिए। उस रण्डी को भी अभी ही आना था। हरामी मादरचोद।' मन में उस आंटी को ढेरों गालियाँ दे चुका था वो। बोला "तो आता हूँ न मैं फिर से। तू ट्राउजर उतार कर रह, पैंटी मेरे पास है।"
पूनम शॉक्ड हो गयी। "पैंटी तुम्हारे पास है मतलब!" गुड्डू बोला "बस... आते वक़्त तेरी पैंटी दिख गयी तो उठा कर रख लिया की आज तुझे चोद तो पाया नहीं, कम से कम तेरी पैंटी तो रहेगी मेरे पास तो मेरे लण्ड को सुकून मिलेगा। अभी आता हूँ तो फिर तुझे चोदुंगा भी और तेरी पैंटी भी तुझे दे दूँगा।"
पूनम हड़बड़ा गयी। "नहीं, अभी मत आओ।" गुड्डू को पूनम से इस जवाब की उम्मीद नहीं थी। "क्यों? क्या हो गया? मन बदल गया क्या?" पूनम बोली "नहीं, मम्मी पापा आते ही होंगे अब।" गुड्डू को भी लगा की पूनम सही कह रही है। वो हड़बड़ी में इस हसीना को नहीं खाना चाहता था। आज तो वो ठीक से शीतल के बदन को देख भी नहीं पाया।
गुड्डू बोला "ये तो धोखा दे दी तू। खाना सामने परोस कर के फिर प्लेट हटा ली।" पूनम शर्मा गयी। वो समझ रही थी की गुड्डू के कहने का मतलब क्या था। वो भी शरारत से बोली "मैं तो नहीं हटाई। तुम्ही तो डर का भाग गए।" गुड्डू मुस्कुरा दिया। बोला "लण्ड अभी तक टाइट है, तेरी चुत की सैर करने के लिए। तेरी चुत के क्या हाल हैं।" पूनम कुछ नहीं बोली। वो अपने मन के हालात जाहिर नहीं करना चाहती थी।
गुड्डू बोला "कल आ जा न मेरे यहाँ। कल सारी कसर निकाल देता हूँ। तेरी चुत और मेरे लण्ड की तड़प शांत हो जायेगी। अच्छे से आराम से मस्ती करेंगे। कोई हड़बड़ी नहीं रहेगी। फुर्सत से चुदाई होगी तेरी।" पूनम का मन ललच गया। बहुत दिन से वो अकेली अपने चुत को शांत करा रही थी, कल बहुत दिनों बाद किसी मर्द का हाथ पड़ा था उसपे। वो अपनी चुत पर अभी भी गुड्डू के होठों और जीभ को महसूस कर रही थी। अभी भी उसे ऐसा लग रहा था जैसे गुड्डू का हाथ उसकी चुच्ची पर है। लेकिन वो गुड्डू के अड्डे पर नहीं जाना चाहती थी। वो किचन से बेलन ले आयी और अपने कपड़े नीचे कर उसे चुत में अंदर डालकर बेड पर लेट गयी।
बोली "नहीं, अभी नहीं। अब फिर कभी बाद में।" गुड्डू बोला "ऐसे मत कर। आ जा न, बहुत मज़ा आएगा। और तू अपनी पैंटी भी ले लेना।" पूनम बोली "तुम मेरी पैंटी ले ही क्यों गए।" गुड्डू को पैंटी में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उसे तो चुत में इंटरेस्ट था। बोला "आज तो तुझे ठीक से देखा भी नहीं। अभी तो कपड़े उतरे भी नहीं थे की वो साली रण्डी मादरचोद आंटी आ गयी तेरी, वहाँ माँ चुदवाने। आ जा कल, अच्छे से तेरे बदन को देखूँगा, सहलाऊँगा, चूमूंगा, चूसूंगा और फिर तुम्हे चोदुंगा।
पूनम को हँसी भी आ गयी गुड्डू के मुँह से आंटी के लिए गाली सुनकर, वो भी इसी तरह गुस्से में आंटी को गाली दी थी उस वक़्त। और उसकी चुत भी गीली हो गयी थी गुड्डू की प्लानिंग सुनकर। उसका मन हो रहा था कि जाकर चुदवा ही ले, लेकिन बस उसे डर लग रहा था कि उस अंजान जगह पर उसके साथ क्या होगा क्या नहीं होगा, कौन जानता है। हालाँकि उसे गुड्डू पर थोड़ा भरोसा था, क्यों की वो जो बोल रहा था सीधा सीधी बोल रहा था। फिर चाहे चुदाई की बात हो या फिर वो और विक्की दोनों चोदेंगे ये बात हो। उसने कभी किसी चीज़ में जबर्दस्ती भी नहीं किया था, फिर भी वो कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी।
बोली "अब अभी नहीं।" गुड्डू हड़बड़ी में बोला "तो कब? परसों आ जा। अब और मत तड़पा जान।" पूनम बोली "परसों तो मैं जा रही हूँ अपने मौसेरी बहन की शादी में।" गुड्डू परेशान हो गया। "क्या! वहाँ से लौटोगी कब?" पूनम बोली "8-10 दिन बाद।" गुड्डू उसी तरह परेशानी भरी आवाज़ में बोला "क्... या...! इतने दिन बाद। इतने दिन तड़पायेगी क्या मुझे।"
पूनम कुछ नहीं बोली। वो तो इतने दिन गुड्डू से दूर थी और उसे लगा था कि फिर शादी में चली जायेगी तब तक बहुत दिन हो जायेगा तो फिर वो खुद को सम्हाल लेगी और गुड्डू से दूर हो जायेगी। उसे कहाँ पता था कि दूर होने की जगह और इतना कुछ हो जायेगा की गुड्डू उसके बदन को नंगी करके खेल रहा होगा और वो नंगी होकर खुद उसे चोदने बोल रही होगी।
गुड्डू बोला "एक काम कर, मेरे घर नहीं आना चाहती तो मत आ, कहीं और मिल ले, उस रेस्टॉरेंट में। अब इतने दिन तुझसे दूर रहना मुश्किल है। कल अच्छे से तुझे देख तो पाउँगा। अभी तो ये भी नहीं पता की तेरे निप्पल का कलर क्या है। तेरी चुच्ची किस तरह की है। तुझे तो अपना लण्ड भी नहीं दिखा पाया जो तेरे चुत में जाने के लिए कब से तैयार खड़ा है।"
पूनम बेलन के पतले वाले हिस्से को चुत में डाली हुई थी। लण्ड देखने की बात पर वो बेलन को चुत में अंदर बाहर करने लगी। वो गुड्डू का लण्ड देखना चाहती थी। बोली "वहाँ कैसे करोगे।" गुड्डू तुरंत बोला "वही तो बोल रहा हूँ की वहाँ चोदुंगा तो पूरे रेस्टुरेंट को पता चल जायेगा की पूनम सक्सेना की चुदाई हो रही है।" पूनम शर्मा गयी। गुड्डू आगे बोला "इसलिए तो बोल रहा हूँ की मेरे घर आजा, वहाँ होगी असली चुदाई तेरी।" शीतल ज़िद पर थी। "बोली, नहीं वहाँ तो नहीं आऊँगी। कल रहने देते हैं। बाद में देखते हैं।" गुड्डू बोला "नहीं, मिलना तो कल ही है मुझे। फिर तू उस रेस्टुरेंट में ही आजा। वहाँ चोदुंगा नहीं, लेकिन तुम्हारे बदन को अच्छे से देखूँगा तो। तुम्हे अपना लण्ड दिखाऊंगा। तू मेरे लण्ड को अभी तक तो बस फोटो में ही देखी है न, कल असली वाला देख लेना और बताना कैसा है।"
पूनम कमजोर पड़ने लगी। बोली "नहीं, कोई देख लेगा, मुझे डर लगता है।" गुड्डू बोला "कोई नहीं देखता किसी को। और देख, अगर आज तेरे पास नहीं आया होता तो मैं नहीं बोलता। लेकिन अब तेरी चुत को देख चुका हूँ, चुम चूका हूँ लेकिन चोद नहीं पाया। मेरा लण्ड टाइट है और इसका पानी तो अब तेरे पर ही निकलेगा। नहीं तो मैं तड़पता रहूँगा। तेरे चुत में मुँह सटाया लेकिन उस नमकीन झील का पानी नहीं टेस्ट कर पाया, आजा मेरी जान।"
पूनम सब कुछ इमेजिन करती जा रही थी। उसने बेलन को चुत में और अंदर कर लिया और अंदर बाहर करती हुई बोली "बस तू आ जा जान, कभी ज़िद नहीं किया हूँ, बस कल आजा। फिर तू इतने दिनों के लिए बाहर भी तो जा रही है। अच्छे से अपने बदन को दिखा दे। और तुझे तेरी पैंटी भी तो लेनी है।" पूनम हार मानती हुई बोली "ठीक है। लेकिन बस कुछ देर के लिए।"
गुड्डू खुश हो गया। "थैंक्स जान। कब आएगी?" पूनम कुछ सोंची और फिर बोली "दोपहर में 2 बजे।" गुड्डू खुश हो गया। बोला "एक रिक्वेस्ट है कपड़े ऐसे पहन कर आना की खोलने उतारने में दिक्कत न हो और टाइम न लगे। और पैंटी पहन कर मत आना, लौटते वक़्त यहीं मेरे से ले लेना। तुम वो जो वन पीस पहनकर उस दिन मार्केट गयी थी, वही पहनकर आना। तू उसमे मस्त भी लगती है और नीचे से खुल्ला है तो चुत तक तो हाथ ऐसे ही पहुँच जायेगा और अगर पीठ पे लगा चैन खोल दूँगा तो फिर तो तेरा पूरा बदन चमक जाएगा। आज तो ठीक से देख भी नहीं पाया था, कल अच्छे से देखूँगा। और हाँ, चुत को चिकनी कर लेना, आज चूसते वक़्त झांटे चुभ रही थी मुँह में।"
शीतल चुपचाप गुड्डू की बात सुन रही थी। उसकी प्लानिंग सुनकर शीतल और गर्म हो रही थी और चुत में तेज़ी से बेलन अंदर बाहर कर रही थी। उसकी चुत ने पानी छोड़ दिया और वो तुरंत "ठीक है" बोलती हुई फ़ोन कट कर दी। वो हाँफ रही थी। वो तैयार थी कल गुड्डू से मिलने के लिए, उसे अपना नंगा जिस्म दिखाने के लिए। वो तैयार थी गुड्डू से चुदवाने के लिए। अगर वो फिर से घर में अकेली रही तो गुड्डू का लण्ड उसकी चुत में जरूर जायेगा।
पूनम अपने कपड़े पहन ली और किचन में काम करने लगी। उसके मम्मी पापा काफी देर से आये। पूनम को गुस्सा भी आ रहा था खुद पर और अफ़सोस भी हो रहा था कि वो गुड्डू को दुबारा क्यों नहीं बुला ली। इतनी देर में तो गुड्डू उसे पुरे मस्ती से चोद चूका होता और वो भी पूरा मज़ा ले ली होती। वो कल के बारे में सोच रही थी और उसे शर्म आ रही थी की वो कल रेस्टुरेंट क्यों जा रही है।
पूनम पहले भी उस रेस्टुरेंट में गयी थी अमित से मिलने, लेकिन तब दोनों का मक़सद मिल कर साथ में समय बिताने का और बातें करने का होता था। गुड्डू के एन्वेलोप देने के बाद ही वो दो बार वहाँ कुछ कुछ की थी अमित के साथ। लेकिन कल वो गुड्डू के साथ वही सब करने जा रही थी वहाँ। पूनम सोच सोच कर शर्मा रही थी की 'जाते ही गुड्डू उसके बदन से खेलने लगेगा और जैसा उसने कहा था, उस वन पीस में तो 2 मिनट में उसका पूरा बदन गुड्डू की नज़रों के सामने होगा। वो अमित की तरह धीरे धीरे और परमिशन लेकर तो कुछ करेगा नहीं। कल वो गुड्डू का लण्ड देखेगी, असली में। उसे चुसेगी, उसका वीर्य पीयेगी। मम्मम...। मैं भी रण्डी बन गयी हूँ। अब बन गयी हूँ तो बन गयी हूँ। अब जो होना है होता रहे। इतना टेंसन नहीं ले सकती अब।'
गुड्डू पूनम का फ़ोन कटने के बाद विक्की से मिला और खुश होता हुआ उसे सारी बात बताया। जब विक्की को पता चला की पूनम की चुत नंगी कर देने के बाद भी वो उसे चोद नहीं पाया तो विक्की हँसने लगा और गुड्डू को चिढ़ाने लगा। विक्की बोला "साला गांडू, तू फट्टू हो गया है। अब चुत चोदना तेरे बस में नहीं है।"
गुड्डू बोला "कल रेस्टुरेंट में आ रही है।" विक्की आश्चर्य से पूछा "वहाँ क्यों आ रही है?" गुड्डू थोड़ा मायूस होकर बोला। उसे पता था कि विक्की फिर उसपे हँसेगा। बोला "अड्डे पे नहीं आएगी। फटती है साली की। और 8-10 दिन के लिए बाहर जा रही है तो मैंने सोचा की तब तक जो मिल रहा है उसी का मज़ा ले लूँ।" विक्की हँसने लगा। गुड्डू बोला "अरे तू ऐसे हँस मत। चोदुंगा तो जरूर उसे। वो चुदवाएगी भी। कल वो मादरचोद आंटी नहीं आयी होती तो कल ही चोद चूका होता। उसे चोदुंगा भी और तू भी उसे चोदेगा।"
विक्की बोला "रण्डी चुदेगी तो जरूर। ऐसी कोई चुत बनी ही नहीं है जिसके बारे में हम दोनों सोचे और वो हमसे चुदे नहीं।" दोनों साथ में हँस दिए।