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Adultery सोलवां सावन
तभी ,


[Image: Guddi-skirt-80767112.jpg]


तभी कहीं से राकी आकर मेरे पास बैठ आया और मेरे पैर चाटने लगा। 



मेरे मन में वही सब बातें घूमने लगीं जो मुझे चिढ़ाते हुए, चम्पा भाभी कहतीं थीं… 

उस दिन चन्दा कह रह थी, भाभी की माँ की बात…

और सबसे बढ़ कर भाभी की बात , 

यहां आने के बात मुझे छेड़ने चिढ़ाने की जिम्मेदारी उन्होंने अपनी भौजाइयों और बहनों पे छोड़ दी थी , 


लेकिन वो भी बीच बीच में , और कल रात जिस तरह वो मुस्कराकर अपनी माँ और चंपा भाभी के सामने मुझसे बोल रही थीं ,

[Image: Teej-Nayantara-Backless-Blouse-Images.jpg]

" ये तो बहुत उदास हो गयी थी , कह रही थी , भाभी , कातिक तो अभी बहुत दूर है ,आने को तो मैं आ जाउंगी लेकिन , इतना लम्बा इन्तजार , मैंने बहुत समझाया , अरे तब तक गाँव में इतने लड़के हैं , अजय , सुनील ,रवी दिनेश , और भी तब तक उनके साथ काम चलाओ , दो तीन महीने की बात है लेकिन , माँ आप ने तो इसके मन की बात समझ ली , और परेशानी दूर कर दी। "

मैंने ऐसा कुछ भी नहीं बोला था लेकिन भाभी और चम्पा भाभी जब साथ साथ हो जाएँ , 


तो फिर मेरी क्या औकात , और ऊपर से कल तो भाभी की माँ भी , टॉप के अंदर हाथ डाल के मेरी पीठ सहलाते बोलीं ,


" तुम दोनों न , मेरी बेटी को समझती क्या हो , बहुत अच्छी है ये सबका मन रखेगी। गाँव के लड़को से तो चुदवायेगी ही , गाँव के मर्दों से भी. आखिर चम्पा के खाली देवर थोड़ी जेठ लोगों का भी तो मन करता है शहरी माल का मजा लेने का. हैं न बेटी , और रॉकी तो इसी घर का मर्द है ,तुम लोग जबरदस्ती बिचारी को चिढ़ाती हो , 


खुद ही उसका बहुत मन करता है रॉकी के साथ और रॉकी भी कितना चूम चाट रहा था था , जाने के पहले , बेटी चुदवा के जाना।

माना गाँठ बनेगी तो बहुत दर्द होगा लेकिन उसी दर्द में तो मजा है , 


चंपा जाओ बिटिया के साथ एक दो दिन परका दो , उसके बाद रॉकी की जिम्मेदारी तो ये खुद ही ले लेगी ,क्यों बेटी है न ," 


मैं आँखे बंद किये कल की छेड़छाड़ सोच कर मजा ले रही थी , ठंडी ठंडी पुरवाई चल रही थी। 


घर में मैं एकदम अकेली थी , आँगन से बाहर का दरवाजा भी अंदर से बंद था। सोच सोच कर मेरी किशोर चूंचियां पथरा रही थीं। 

और तब तक रॉकी ने मेरे तलवे चाटने शुरू किया , 


मेरी पूरी देह गिनगिना उठी , जबरदस्त टिंगलिंग उठी मेरी देह में , पैरों से लेकर सीधे 'वहां तक' , 

लेकिन न मैंने पैर हटाये , न रॉकी को मना किया , बस जोर से आँखे भींच ली, अपने आप मेरी टाँगे थोड़ी खुल गयीं , …


और मेरी बंद आँखों के सामने कल रात के आँगन कसीं नाच रहा था , 

जब चम्पा भाभी मुझे लेकर घुप्प अँधेरे में आँगन में गयी थी और ,


जैसे उसने मुझे पहचान लिया हो और उसका भौंकना एकदम बंद हो गया।



मेरी निगाह फिर रॉकी के ' वहां ' पड़ गयी , वो , .... वो, … बाहर निकला था ,


 एकदम किसी आदमी के जैसा , लाल गुलाबी करीब तीन चार इंच , 

और ,… मेरी साँस रुक गयी ,… वो थोड़ा मोटा होता जा रहा था , और बाहर निकल रहा था। 

मैंने थूक घोंटा , सांस आलमोस्ट रुक गयी। 


मुझे भाभी की माँ की बात याद आ गयी। 

' बेटी कातिक -वातिक की सिर्फ कुतिया के लिए है, कुतिया कातिक में गरमाती हैं , 

रॉकी तो बारहो महीना तैयार रहता है , अगर उसे महक लग जाय ,…लौंडिया "

पैंटी तो मैं पहनती नहीं थी , और नीचे अब कुछ लसलसा सा लग रहा था। 

मेरी टाँगे अब पिघल रही थीं , और मैं समझ रही थी , की अगर इस अँधेरे में रॉकी ने कुछ ,… तो कोई आएगा भी नहीं। 


धीरे धीरे मेरा डर कुछ कम हो रहा था , मैंने उसका ध्यान बंटाने के लिए , उसे खाने का तसला दिखाया।

मुझे लगा खाने को देख कर शायद कर उसका मन बदल जाय , 

लेकिन शायद उसके सामने ज्यादा मजेदार रसीला भोजन था , और अब रॉकी के नथुने मेरे स्कर्ट में घुस गए थे , वो जांघ के ऊपरी हिस्से को चाट रहा था , लपलप लपलप, 

मेरी जांघे अब अपने आप पूरी फैल गयी थीं , 'वो 'खूब पानी फ़ेंक रही थी , 

मेरे पैर लग रहा था अब गए , तब गए , … मैं रॉकी को खूब प्यार से सहला रही थी , रॉकी रॉकी बुला रही थी ,


और तभी मेरी निगाह नीचे की ओर मुड़ी ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , मेरी चीख निकलते निकलते बची , … 


कम से कम ८ इंच ,लाल गुस्सैल , एकदम तना ,कड़ा गुस्सैल , और मोटा ,


मेरी तो जान सूख गयी , 

मतलब ,मतलब वो ,… पूरे जोश में है , एकदम तन्नाया। और अब कहीं वो मेरे ऊपर चढ़ बैठा ,.... 


और जिस तरह से अब उसकी जीभ , मैं गनगना रही थी ,


चार पांच मिनट अगर वो इसी तरह चाटता रहां तो मैं खुद किसी हालत में नहीं रहूंगी कुछ ,.... 

मेरी जांघे पूरी तरह अपने आप फैल गयी थीं, 

बड़ी मुश्किल से मैं उसके बगल में घुटने मोड़ के उँकड़ू बैठी और उसकी गरदन , 


उसकी पीठ सहलाती रही , मैं लाख कोशिश कर रही थी की मेरी निगाह उधर न जाय लेकिन अपने आप , 


'वो ' उसी तरह से खड़ा ,तना मोटा और अब तो आठ इंच से भी मोटा उसकी नोक लिपस्टिक की तरह से निकली। 

और तभी मैंने देखा की चंपा भाभी भी मेरे बगल में बैठी है , मुस्कराती , लालटेन की लौ उन्होंने खूब हलकी कर दी थी। 








' पसंद आया न " मेरे गाल पे जोर से चिकोटी काट के वो बोलीं , और जब तक मैं जवाब देती 


उनका हाथ सीधे मेरी जाँघों के बीच और मेरी बुलबुल को दबोच लिया उन्होंने जोर से। 


खूब गीली ,लिसलिसी हो रही थी। और चंपा भाभी की गदोरी उसे जोर जोर से रगड़ रही थी। 

" मेरी छिनार बिन्नो , जब देख के इतनी गीली हो रही तो जो ये सटा के रगडेगा तो क्या होगा , इसका मतलब अब तू तो राजी है और रॉकी की तो हालत देख के लग रहा है , तुझे पहला मौका पाते ही पेल देगा। " 



मेरे कान में फुसफुसा के वो बोलीं। 


और मैं कल रात से वापस आई 




सोच सोच के मेरी गीली हो रही थी। 

नीचे वाला मुंह एकदम लिसलिसा हो गया था। 

[Image: pussy-wet.jpg]



मेरी आँखे अभी भी बंद थी , फिर धीरे धीरे मैंने आँखे खोली ,


लगता है, राकी भी वही कुछ सोच रहा था, मेरे पैर चाटते चाटते, अब उसकी जीभ मेरे गोरे-गोरे घुटनों तक पहुँच गयी थी। 


मैं वही टाप और स्कर्ट पहने हुए थी जो दिनेश के आने पे मैंने पहन रखा था। 

[Image: Dress-nips-tumblr-pf0rac-T0-LB1srt0oe-1280.jpg]

कुछ सोचकर मैं मुश्कुरायी। राकी को प्यार से सहलाते, पुचकारते, मैंने अपनी, जांघें थोड़ी फैलायीं और स्कर्ट थोड़ी ऊपर की, 


जैसे मैंने दिनेश को सिड्यूस करने के लिये किया था। 


उसका असर भी वैसे ही हुआ, बल्की उससे भी ज्यादा, मेरी निगाहें जब नीचे आयीं तो… मैं विश्वास नहीं कर सकती… 


उसका लाल उत्तेजित शिश्न काफी बाहर निकल अया था। 

और अब वह मेरी जांघों को चाट रहा था। 

मेरी शरारत बढ़ती ही जा रही थी। मैंने हिम्मत करके स्कर्ट काफी ऊपर कर ली और जांघें भी पूरी फैला दीं। 

अब तो राकी… जैसे मेरी चूत को घूर रहा हो। 


मेरे निपल भी कड़े हो रहे थे लेकीन मैं चाय, दोनों जांघें फैला के आराम से पी रही थी। 

मेरी छोटी सी स्कर्ट , अब बस कमर में एक छल्ले की तरह फँसी थी. 



[Image: skirt-hot-EI-775.jpg]


मैंने अपने भारी भारी चूतड़ बस सीढ़ी के कोने से जस्ट टिका रखा था ,और जांघे अब एकदम खुल गयी थी , जिससे न सिर्फ मेरी कच्ची गीली चूत एकदम खुली थी ,बल्कि चूतड़ भी।




 दरवाजा बंद था , घर में मैं अकेली और धीरे धीरे एक बार फिर घने काले बादल आसमान को ढकने लगे थे। हवा के ठन्डे ठन्डे झोंके तेज हो गए थे। 

कुछ हवा और बादलों का असर और कुछ , …



मैंने चाय का प्याला बगल में रख दिया था , मैं अपना आपा खो रही थी , 

और मेरी आँखे धीरे धीरे एक बार फिर मूँद गयीं। मैं हाथों के सहारे पीछे की ओर मुड़ गयी और , 

ब मुझे सिर्फ एक चीज का अहसास था , रॉकी की जीभ का।


[Image: nips-11.md.jpg]
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सोलवां सावन - by komaalrani - 10-01-2019, 10:36 PM
RE: सोलवां सावन - by Bregs - 10-01-2019, 11:31 PM
RE: सोलवां सावन - by Kumkum - 01-02-2019, 02:50 PM
RE: सोलवां सावन - by Logan555 - 13-02-2019, 06:40 PM
RE: सोलवां सावन - by Kumkum - 19-02-2019, 01:09 PM
RE: सोलवां सावन - by Logan555 - 26-02-2019, 11:10 AM
RE: सोलवां सावन - by komaalrani - 12-03-2019, 08:22 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 04-05-2019, 08:44 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 04-05-2019, 11:46 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 19-05-2019, 11:15 AM
RE: सोलवां सावन - by Theflash - 03-07-2019, 10:31 AM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 14-07-2019, 04:07 PM
RE: सोलवां सावन - by usaiha2 - 09-07-2021, 05:54 PM



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