12-03-2019, 07:29 PM
(This post was last modified: 24-06-2020, 06:07 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
छोट छोट जोबना दाबे में मज़ा देय
" गुड्डी , ये तेरे छोटे छोटे कड़े मस्त जोबन , ये चूंचियां ,तुम जानती नहीं , मेरा बहुत मन करता था इन्हे छू लूँ ,दबा दूँ ,कस के मसल दूँ , कचकचा के काट लूँ ,कित्ते कड़े हैं कित्ते मस्त , दो न मुझे। "[
…………………
" लो न भैय्या ,मैं तो हरदम से तुम्हे खुद देने को तैयार थी अपनी चूंचियां , दबा दो ओह्ह ओह्ह हाँ ऐसे ही , मैं चाहे चीखूं चिल्लाऊं ,प्लीज भैय्या खूब जोर जोर से मसलो , रगड़ो , और आगे से भी जब भी तेरा मन करे , .... अगर तुम ज़रा भी शर्माएं न , या तुमने पूछा न तो मैं गुस्सा हो जाउंगी। हाँ , ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। "[
मैं बोली ,गुड्डी की आवाज में।
फिर तो दोनों हाथों से मेरी चूंचियों की वो रगड़ाई हुयी और बीच बीच में कभी वो निपल काट लेते तो कभी चूंची पे दांत गड़ा देते।
मैं उन्हें और उकसा रही थी और चढ़ा रही थी एकदम अपनी उस कच्ची कली ननद की तरह।
लेकिन अब मैं भी गीली हो रही थी ,मेरा मन कर रहा था बस अब ये हचक के पेल दें।
उनका हथियार अब एकदम तैयार था मस्ती से बर्स्ट कर रहा था।
उसे दबाते मैंने कहा ,
" भैया अब डाल दो न , प्लीज बहुत मन कर रहा है ,लेकिन रुकना मत मैं चाहे जितना चीखूं चिल्लाऊं , आज फाड़ दो न मेरी। "
" तू भी तो साफ साफ़ बोल ,बोल न गुड्डी ,क्या डाल दूँ ,कहाँ डाल दूँ ,"
मस्ती में भरे जोर से मेरी गीली चूत पे अपना मोटा सुपाड़ा रगड़ते ,चिढ़ा के वो बोले।
लेकिन मैं अब पीछे हटने वाली नहीं थी।
" गुड्डी , ये तेरे छोटे छोटे कड़े मस्त जोबन , ये चूंचियां ,तुम जानती नहीं , मेरा बहुत मन करता था इन्हे छू लूँ ,दबा दूँ ,कस के मसल दूँ , कचकचा के काट लूँ ,कित्ते कड़े हैं कित्ते मस्त , दो न मुझे। "[
…………………
" लो न भैय्या ,मैं तो हरदम से तुम्हे खुद देने को तैयार थी अपनी चूंचियां , दबा दो ओह्ह ओह्ह हाँ ऐसे ही , मैं चाहे चीखूं चिल्लाऊं ,प्लीज भैय्या खूब जोर जोर से मसलो , रगड़ो , और आगे से भी जब भी तेरा मन करे , .... अगर तुम ज़रा भी शर्माएं न , या तुमने पूछा न तो मैं गुस्सा हो जाउंगी। हाँ , ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। "[
मैं बोली ,गुड्डी की आवाज में।
फिर तो दोनों हाथों से मेरी चूंचियों की वो रगड़ाई हुयी और बीच बीच में कभी वो निपल काट लेते तो कभी चूंची पे दांत गड़ा देते।
मैं उन्हें और उकसा रही थी और चढ़ा रही थी एकदम अपनी उस कच्ची कली ननद की तरह।
लेकिन अब मैं भी गीली हो रही थी ,मेरा मन कर रहा था बस अब ये हचक के पेल दें।
उनका हथियार अब एकदम तैयार था मस्ती से बर्स्ट कर रहा था।
उसे दबाते मैंने कहा ,
" भैया अब डाल दो न , प्लीज बहुत मन कर रहा है ,लेकिन रुकना मत मैं चाहे जितना चीखूं चिल्लाऊं , आज फाड़ दो न मेरी। "
" तू भी तो साफ साफ़ बोल ,बोल न गुड्डी ,क्या डाल दूँ ,कहाँ डाल दूँ ,"
मस्ती में भरे जोर से मेरी गीली चूत पे अपना मोटा सुपाड़ा रगड़ते ,चिढ़ा के वो बोले।
लेकिन मैं अब पीछे हटने वाली नहीं थी।