12-03-2019, 07:26 PM
(This post was last modified: 24-06-2020, 05:11 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बचपन की चाहत , मस्त माल
कहने की बात नहीं की डबलबेड पर पहुँचने से पहले हम दोनों के कपडे उतर चुके थे , और आज अपने और उनके दोनों के कपडे मैंने ही उतारे।
पहुंचते ही मैंने इनाम भी सुनाया ,और हुकुम भी.
" आज मैं तुम्हे तुम्हारी जिंदगी की पहली चाहत से मिलवाउंगी , तेरा पहला प्यार जिसका नाम लेके तूने पहली बार मुट्ठ मारी। लेकिन आँखे बंद और मैं जैसे कहूँ वैसे करना , आँख खुलनी नहीं चाहिए तेरी और हाँ हचक के चोदना उसे”
उन्होंने तुरंत आँखे बंद कर ली।
" भैया ,आओ न इत्ती देर से इन्तजार कर रही हूँ तेरा , बहुत मन कर रहा है। "
आवाज एक किशोरी की थी , जी उनके ममेरी बहन कम मस्त माल की ,… गुड्डी की।
........................
"मिलो मेरी सेक्सी छिनार ननद , … अपने बचपन के मस्त माल , पक्की चुदवासी , गुड्डी से , आज दबा दबा के मसल मसल के कच्चे टिकोरों की ऐसी की तैसीकर देना , इस छिनार की अनचुदी चूत को , हचक हचक के चोद के फाड़ के भोसड़ा कर देना। "
उनके कान में मैं अपनी सेक्सी हस्की आवाज में बोला।मैं उनके पीछे थी ,और अपनी लेसी काली ब्रेजियर और काली साटिन की थांग से जबरदस्त ब्लाइंड फोल्डउनकी आँखों पे बाँध दिया।
और एक मिनट बाद मैंने उसे अपनी बाहों में दबोच रखा था , अपने कड़े कड़े गदराये उरोज उसके सीने पे रगड़ रही थी,
" भैय्या ,भैय्या , मुझसे पकड़ो न हाँ और जोर से , कस के , हग मी हग मी हार्ड। कित्ते दिनों से में इन्तजार कर रही थी इसी के लिए , भैय्या मेरे प्यारे भैय्या , वेटएंड वेटिंग , बहुत मन कर रहा है ,आज , … दबा दो ,मसल दो। "
मैं परफेक्ट मिमिक थी , न सिर्फ गुड्डी की किशोर आवाज , बल्कि उसका उतावलापन , उसकी उँगलियों की हरकतें सब कुछ एकदम गुड्डी की तरह ,…
उनकी आँखे एकदम बंद थी लेकिन होंठ बेताब ,उतावले बेचैन थे। शुरू में तो वो थोड़ा झिझके , पहले किस के समय , लेकिन मेरी मोंस की आवाज , सिसकियाँ,फुसफुसाहटें ,और वो फिर अपनी सपनो की दुनिया में खो गए।
अगले ही पल उनके प्यासे , भूखे होंठ ने कचाक से मेरे कड़े ,खड़े निपल को काट लिया।
“उईइइइइइइइइइ , " मैं जोर से चीखी , एकदम गुड्डी की आवाज में।
" उईई भैय्या ,लगता है न धीरे से … "मेरी दर्द भरी चीख के साथ मस्ती भरी सिसकियाँ और उनके होंठ मेरे दूसरे जोबन पर पहुँच गए , लिकिंग ,किसिंग ,सकिंगसब एक साथ।
हम दोनों डबल बेड पे लेटे थे और वो मेरे ऊपर।
लेकिन मैंने उन्हें और उकसाया ,वही गुड्डी की आवाज ,गुड्डी की हरकतें ,
" भैया करो न , मन कर रहा है ,बहोत मन कर रहा है ,दो न "
और जैसे गलती से मेरी उँगलियाँ उनके लिंग से जैसे छू गयीं।
एकदम लोहे का राड , पूरे जोश में , एकदम तैयार खड़ा ,कड़ा।
और मैंने हलके हलके से उसे पकड़ लिया जैसे कोई किशोरी पहली बार झिझकते शरमाते पकड़ रही हो।
" कित्ते दिनों से मेरा मन कर रहा है , इसका ,तुम न भैय्या पूरे बुद्धू हो ,जरा भी इशारा नहीं समझते ,मैं तो ,… उस दिन भी जब केयरफ्री के लिए बोला था ,… तुमएकदम बुद्धू हो भैय्या और , आज भी बुद्धू ही हो ,.... "
और अब मैंने जैसे अपनी किशोर उँगलियों का दबाव हलके हलके उनके तने शिश्न पर बढ़ा दिया और धीमे धीमे सहलाने लगी।
उनकी हालत खराब थी।
मैंने अपनी लता सी टांगों को उनकी पीठ के ऊपर कर के अच्छी तरह बाँध दिया , और अब लिंग मेरी गीली योनि से बार बार रगड़ खा रहा था।
मैं एकदम गुड्डी के रोल में थी न सिर्फ आवाज ,बल्कि बॉडी लैंग्वेज , थोड़ी शर्म झिझक के साथ कुछ हो जाने का मन , जिस तरह से वो अपने चेहरे को एक अदा केसाथ मोड़ती थी , हल्की सी टिल्ट , उसकी लम्बी उँगलियों के तरीके सब कुछ ,
और अब एक बार फिर मैंने अपने हाथ से पकड़ के उनका हाथ अपने जोबन पे रख दिया।
और अब वह भी उसी तरह मुझे गुड्डी मान के , थोड़ा झिझकते ,थोड़ा सम्हल के मेरे जोबन छू रहे थे ,सहला रहे थे।
" भैय्या , भाभी के तो बहुत बड़े हैं न एकदम कड़े कड़े , … " मैंने उन्हें बोलने के लिए उकसाया।
:" हाँ तू सही कह रही है , तेरी भाभी के उभार बहुत मस्त हैं ,खूब रसीले ,एकदम परफेक्ट। " वो बोले।
मुझे अच्छा तो बहुत लगा उनके मन से अपनी तारीफ़ सुन के लेकिन मैं रोल से बाहर नहीं होना चाहती थी ,इसलिए मैं मुंह फुला के बोली ,
"मतलब ,भैय्या आपको मेरा नहीं ,… "
" अरे नहीं ,तेरे भी खूब छोटे छोटे हैं लेकिन कड़े कड़े , " मेरे उरोजों को सहलाते वो बोले।
" पूरा खोल के बोलिए न भैया वरना मैं गुस्सा हो जाउंगी , हाँ आप भी न , भाभी से तो आप एक दम खुल के , … बोलिए न ,बताइये न क्या कड़े कड़े ,… "
एकदम परफेक्ट गुड्डी की आवाज और मैनरिज्म , वही नखड़े ,
" तेरे जोबन , ये तेरी छोटी छोटी कड़ी कड़ी , … "
मैंने एक जोर की सिसकी भरी और उन्हें और उकसाया ,
हाँ भैय्या ऐसे ही प्लीज ,मुझे बहुत मन करता है आप अपने दिल की बात खुल के बोलो न " और साथ में अपने उरोज उनके सीने से रगड़ दिए।
बस जैसे उन्हें आग लग गयी , सब मन के बाँध टूट गए। इतने दिनों की बात सामने गयी।
" गुड्डी , ये तेरे छोटे छोटे कड़े मस्त जोबन , ये चूंचियां ,तुम जानती नहीं , मेरा बहुत मन करता था इन्हे छू लूँ ,दबा दूँ ,कस के मसल दूँ , कचकचा के काट लूँ ,कित्तेकड़े हैं कित्ते मस्त , दो न मुझे। "[
कहने की बात नहीं की डबलबेड पर पहुँचने से पहले हम दोनों के कपडे उतर चुके थे , और आज अपने और उनके दोनों के कपडे मैंने ही उतारे।
पहुंचते ही मैंने इनाम भी सुनाया ,और हुकुम भी.
" आज मैं तुम्हे तुम्हारी जिंदगी की पहली चाहत से मिलवाउंगी , तेरा पहला प्यार जिसका नाम लेके तूने पहली बार मुट्ठ मारी। लेकिन आँखे बंद और मैं जैसे कहूँ वैसे करना , आँख खुलनी नहीं चाहिए तेरी और हाँ हचक के चोदना उसे”
उन्होंने तुरंत आँखे बंद कर ली।
" भैया ,आओ न इत्ती देर से इन्तजार कर रही हूँ तेरा , बहुत मन कर रहा है। "
आवाज एक किशोरी की थी , जी उनके ममेरी बहन कम मस्त माल की ,… गुड्डी की।
........................
"मिलो मेरी सेक्सी छिनार ननद , … अपने बचपन के मस्त माल , पक्की चुदवासी , गुड्डी से , आज दबा दबा के मसल मसल के कच्चे टिकोरों की ऐसी की तैसीकर देना , इस छिनार की अनचुदी चूत को , हचक हचक के चोद के फाड़ के भोसड़ा कर देना। "
उनके कान में मैं अपनी सेक्सी हस्की आवाज में बोला।मैं उनके पीछे थी ,और अपनी लेसी काली ब्रेजियर और काली साटिन की थांग से जबरदस्त ब्लाइंड फोल्डउनकी आँखों पे बाँध दिया।
और एक मिनट बाद मैंने उसे अपनी बाहों में दबोच रखा था , अपने कड़े कड़े गदराये उरोज उसके सीने पे रगड़ रही थी,
" भैय्या ,भैय्या , मुझसे पकड़ो न हाँ और जोर से , कस के , हग मी हग मी हार्ड। कित्ते दिनों से में इन्तजार कर रही थी इसी के लिए , भैय्या मेरे प्यारे भैय्या , वेटएंड वेटिंग , बहुत मन कर रहा है ,आज , … दबा दो ,मसल दो। "
मैं परफेक्ट मिमिक थी , न सिर्फ गुड्डी की किशोर आवाज , बल्कि उसका उतावलापन , उसकी उँगलियों की हरकतें सब कुछ एकदम गुड्डी की तरह ,…
उनकी आँखे एकदम बंद थी लेकिन होंठ बेताब ,उतावले बेचैन थे। शुरू में तो वो थोड़ा झिझके , पहले किस के समय , लेकिन मेरी मोंस की आवाज , सिसकियाँ,फुसफुसाहटें ,और वो फिर अपनी सपनो की दुनिया में खो गए।
अगले ही पल उनके प्यासे , भूखे होंठ ने कचाक से मेरे कड़े ,खड़े निपल को काट लिया।
“उईइइइइइइइइइ , " मैं जोर से चीखी , एकदम गुड्डी की आवाज में।
" उईई भैय्या ,लगता है न धीरे से … "मेरी दर्द भरी चीख के साथ मस्ती भरी सिसकियाँ और उनके होंठ मेरे दूसरे जोबन पर पहुँच गए , लिकिंग ,किसिंग ,सकिंगसब एक साथ।
हम दोनों डबल बेड पे लेटे थे और वो मेरे ऊपर।
लेकिन मैंने उन्हें और उकसाया ,वही गुड्डी की आवाज ,गुड्डी की हरकतें ,
" भैया करो न , मन कर रहा है ,बहोत मन कर रहा है ,दो न "
और जैसे गलती से मेरी उँगलियाँ उनके लिंग से जैसे छू गयीं।
एकदम लोहे का राड , पूरे जोश में , एकदम तैयार खड़ा ,कड़ा।
और मैंने हलके हलके से उसे पकड़ लिया जैसे कोई किशोरी पहली बार झिझकते शरमाते पकड़ रही हो।
" कित्ते दिनों से मेरा मन कर रहा है , इसका ,तुम न भैय्या पूरे बुद्धू हो ,जरा भी इशारा नहीं समझते ,मैं तो ,… उस दिन भी जब केयरफ्री के लिए बोला था ,… तुमएकदम बुद्धू हो भैय्या और , आज भी बुद्धू ही हो ,.... "
और अब मैंने जैसे अपनी किशोर उँगलियों का दबाव हलके हलके उनके तने शिश्न पर बढ़ा दिया और धीमे धीमे सहलाने लगी।
उनकी हालत खराब थी।
मैंने अपनी लता सी टांगों को उनकी पीठ के ऊपर कर के अच्छी तरह बाँध दिया , और अब लिंग मेरी गीली योनि से बार बार रगड़ खा रहा था।
मैं एकदम गुड्डी के रोल में थी न सिर्फ आवाज ,बल्कि बॉडी लैंग्वेज , थोड़ी शर्म झिझक के साथ कुछ हो जाने का मन , जिस तरह से वो अपने चेहरे को एक अदा केसाथ मोड़ती थी , हल्की सी टिल्ट , उसकी लम्बी उँगलियों के तरीके सब कुछ ,
और अब एक बार फिर मैंने अपने हाथ से पकड़ के उनका हाथ अपने जोबन पे रख दिया।
और अब वह भी उसी तरह मुझे गुड्डी मान के , थोड़ा झिझकते ,थोड़ा सम्हल के मेरे जोबन छू रहे थे ,सहला रहे थे।
" भैय्या , भाभी के तो बहुत बड़े हैं न एकदम कड़े कड़े , … " मैंने उन्हें बोलने के लिए उकसाया।
:" हाँ तू सही कह रही है , तेरी भाभी के उभार बहुत मस्त हैं ,खूब रसीले ,एकदम परफेक्ट। " वो बोले।
मुझे अच्छा तो बहुत लगा उनके मन से अपनी तारीफ़ सुन के लेकिन मैं रोल से बाहर नहीं होना चाहती थी ,इसलिए मैं मुंह फुला के बोली ,
"मतलब ,भैय्या आपको मेरा नहीं ,… "
" अरे नहीं ,तेरे भी खूब छोटे छोटे हैं लेकिन कड़े कड़े , " मेरे उरोजों को सहलाते वो बोले।
" पूरा खोल के बोलिए न भैया वरना मैं गुस्सा हो जाउंगी , हाँ आप भी न , भाभी से तो आप एक दम खुल के , … बोलिए न ,बताइये न क्या कड़े कड़े ,… "
एकदम परफेक्ट गुड्डी की आवाज और मैनरिज्म , वही नखड़े ,
" तेरे जोबन , ये तेरी छोटी छोटी कड़ी कड़ी , … "
मैंने एक जोर की सिसकी भरी और उन्हें और उकसाया ,
हाँ भैय्या ऐसे ही प्लीज ,मुझे बहुत मन करता है आप अपने दिल की बात खुल के बोलो न " और साथ में अपने उरोज उनके सीने से रगड़ दिए।
बस जैसे उन्हें आग लग गयी , सब मन के बाँध टूट गए। इतने दिनों की बात सामने गयी।
" गुड्डी , ये तेरे छोटे छोटे कड़े मस्त जोबन , ये चूंचियां ,तुम जानती नहीं , मेरा बहुत मन करता था इन्हे छू लूँ ,दबा दूँ ,कस के मसल दूँ , कचकचा के काट लूँ ,कित्तेकड़े हैं कित्ते मस्त , दो न मुझे। "[