07-10-2020, 10:27 PM
(This post was last modified: 07-10-2020, 10:40 PM by sanskari_shikha. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
रात को नो बजे के आस पास कनिष्का का फोन आया.
मैं: हाय... कैसी हो?
कनिष्का: मैं ठीक हूँ..बस पीछे हल्का सा दर्द है अभी भी...
मैं: हंसने लगा.
कनिष्का: हंस लो...अगले जनम में लड़की बनकर पैदा होना, तब पता चलेगा हम लडकियों का दर्द.
मैं: नहीं जी, मैं तो लड़का बनकर ही खुश हूँ..वैसे भी हम उनमे से है जो दर्द देना जानते है, लेना नहीं..हिहिहि...
कनिष्का: पता है, दीदी की हालत तो मुझसे भी ज्यादा खराब है, बेचारी से सीड़ियों से ऊपर भी नहीं चड़ा जा रहा था. मम्मी ने भी पुछा की ऐसे लंगड़ा कर क्यों चल रही है तो उन्होंने झूठ बोल दिया की पैर में मोच आ गयी है. बेचारी मैंने ही उनके कपडे उतारे, चेंज करने के लिए, पर उनमे इतनी भी हिम्मत नहीं थी की नाईट सूट या गाउन पहन ले, ऐसे ही पेंटी-ब्रा में सो गयी.
उसकी बात सुनकर मेरे लंड में हरकत होने लगी.
मैं: मतलब ...वो नंगी ही सो गयी...वाव ...
कनिष्का: नहीं बाबा...कहा ना ब्रा और पेंटी में सो रही है और इसमें वाव कहने वाली क्या बात है...आज पूरा दिन वो तुम्हारे सामने नंगी थी तब भी मन नहीं भरा क्या..जो अभी दीदी को ब्रा-पेंटी में सोचकर मजे आ रहे है. तुम लड़के सच में बड़े ठरकी होते है...जरा सा मसाला मिलना चाहिए तुम्हे, और लंड खड़ा हो जाता है तुम्हारा...हा हा...
मैं: अरे नहीं...तुम समझी नहीं...मैंने वाव इसलिए कहा की वो तुम्हारे सामने ही ब्रा-पेंटी में सो गयी...मतलब आज तक शायद उसने ऐसा नहीं किया है, जहाँ तक मैं जानता हूँ.
कनिष्का: हाँ...वो तो है...पर आज पूरा दिन, एक दुसरे के सामने बिना कपड़ो के रहना और साथ ही चुदाई भी करवाना..ये सब उसी का असर है और याद है, दीदी ने कैसे मुझे अपनी पुस्सी के ऊपर दबा दिया था और मुझे लिप टू लिप किस भी किया था..इसलिए शायद अब हमारे बीच वो फोर्मलिटी वाली बात नहीं रही है और ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है..मैं तो होस्टल में भी अपनी रूममेट के साथ ज्यादातर ब्रा-पेंटी में रहती थी और रात को तो हम बिना कपड़ो के ही सोते थे..अब वोही सब बाते याद आ रही है, दीदी के साथ भी अब मैं अपनी फ्रेंड की ही तरह रह सकती हूँ...बिना कोई फोर्मलिटी के..
मैं: और क्या करती थी तुम अपनी रूममेट के साथ...
कनिष्का: मैंने मजे तो हर तरह के लिए है..लड़की के साथ भी और लड़के के साथ भी..
मैं: ज्यादा मजा किसमे आता है, लड़के में या लड़की में..
कनिष्का: ऑफकोर्स ...लड़के में..उनका लंड जब अन्दर जाता है..तो बाई गोड...मजा आ जाता है...पर अभी तो ये आलम है की कुछ भी मिल जाए...चलेगा..बस यही सोचकर मैंने भी अपने कपडे उतार दिए और पुरानी यादों को याद करते हुए मैंने तुम्हे फोन किया..
मैं: मतलब...तुमने भी..
कनिष्का (हँसते हुए): मैंने तो सिर्फ पेंटी पहनी हुई है...ब्रा नहीं..
मेरा पप्पू हम दोनों की सारी बाते सुन रहा था. चाहे आज सारा दिन वो दोनों मेरे घर पर थी और मैंने उन दोनों को जी भर कर चोदा भी और गांड भी मारी ..पर वो अब अपने कमरे में लगभग नंगी है, ये सोचकर मेरा लंड गुस्से में आकर अपना सर मेरे पेट पर मारने लगा. कनिष्का सच ही कह रही थी, की हम लड़के ठरकी होते हैं.
कनिष्का: क्या सोच रहे हो विशाल..?
मैं: नहीं ..कुछ नहीं...अच्छा एक बात बताओ, अभी अंशिका कहाँ है..
कनिष्का: दीदी को काफी दर्द हो रहा था पीछे, तो मैंने उन्हें पेन किलर दे कर सुला दिया है..
मैं: और तुम्हे दर्द नहीं हो रहा क्या..
कनिष्का: हो तो रहा है...पर मीठा-मीठा..तभी तो तुम्हे फोन किया है..
मैं: उसकी बात सुनकर खुश हो गया..
मैं: तो अब मुझसे क्या चाहती हो??
कनिष्का: जिसने दर्द दिया है, वोही दवा भी देगा. जिसने लगायी है ये आग, वोही बुझा भी देगा..
मैं: वाह...क्या शायरी की है...पर अभी तो मैं आग बुझाने के लिए नहीं आ सकता..लेकिन अगर तुम मेरा साथ दो तो मैं तुम्हारी आग बुझाने का काम यहीं बैठे-बैठे कर सकता हूँ..
कनिष्का (चहकते हुए): अच्छा...कैसे..
मैं: अंशिका कहाँ सो रही है अभी..
कनिष्का: वो बाहर है, अपने रूम में..
मैं: तुम उसके पास जाओ और जैसा मैं कहूँवैसा करती है और क्या तुम्हारे मोबाइल का ब्लू टूथ है..
कनिष्का: हाँ है..
मैं: तुम अपना फ़ोन उसके साथ कनेक्ट करो और ब्लू टूथ को कान पर लगा लो और इसे अपने बालो के पीछे छुपा लेना, और फ़ोन को अंशिका के बेड की साईड टेबल पर रख देना.
उसने थोड़ी देर में ही सब कर लिया और फ़ोन को टेबल पर रखने के बाद मुझसे बोली: अब..
मैं: अंशिका के पास जाकर उसके कानो के ऊपर अपनी जीभ फिराओ..धीरे-धीरे ..
मैं जानता था की अंशिका के कान काफी सेंसेटिव है... वो अगर गहरी नींद में भी होगी तो उठ जायेगी. कनिष्का ने भी बिना कोई और सवाल किये वैसा ही किया जैसा मैंने कहा था, अब तक तो वो भी जान चुकी थी की मैं उसे उसकी बहन के साथ मजे दिलाने वाला हूँ, ये काम वो खुद भी कर सकती थी, पर मेरे कहे अनुसार करने में जो रोमांच मिलेगा, वो अलग ही होगा. इसलिए उसने बिना कोई सवाल किये मेरी बाते मानना शुरू कर दिया और जैसा मैंने सोचा था, वैसा ही हुआ, अंशिका कुन्कुनाती हुई उठ गयी. मेरे कानो में उसकी नींद के नशे में डूबी हुई सी आवाज आई.
अंशिका: उम्म्म्म....कन्नू....क्या कर रही है...सोने दे न...
मैंने फोन पर कनिष्का से कहा: अब अपनी जीभ से उसे चाटते हुए गर्दन तक आओ. कनिष्का ने वैसा ही किया..
अंशिका की आवाज फिर से आई: उम्म्मम्म.....क्या है...कन्नू...ये क्या हो गया है तुझे आज और तेरे कपडे कहाँ है...
वो अब उठ चुकी थी. पर लेटी हुई थी अब तक आंखे बंद किये.
कनिष्का: दीदी...आज सुबह, जब से आपको देखा है...बड़ा प्यार आ रहा है आप पर...
अंशिका: तो तू ये काम भी करती है ...लेस्बो है क्या तू??
कनिष्का: दीदी... आपको देखकर तो कोई भी लेस्बियन बन जाए...
अंशिका ने उसे डांटते हुए कहा: चुप कर तू. आज जो मजे विशाल के साथ आये, तू बस उसे ही याद कर और किसी तरह के मजे के बारे में सोचने की जरुरत नहीं है तुझे...
मैंने कनिष्का को धीरे से कहा: तुम इसकी बात मत सुनो कनिष्का, उसे एक लिप किस्स करने के लिए या अपनी ब्रेस्ट सक करने के लिए उकसाओ बस...
कनिष्का: क्या दीदी...आप भी न, कभी-कभी ये सब भी चलता है. वैसे आज सुबह आपने ही तो मेरा मुंह पकड़कर मुझे जोर से चूमा था और मुझे कैसे अपनी पुस्सी के ऊपर दबाकर मुझे अपनी चूत चूसने पर मजबूर कर दिया था. बोलो..तब क्या हुआ था आपको..मैंने तो नहीं कहा था आपको ये सब करने के लिए..
अंशिका कुछ देर तक चुप रही...फिर बोली: देख कन्नू...जो कुछ भी उस समय हुआ, वो सब एक तरह के नशे में हुआ. हम सभी पर ही उस समय सेक्स का नशा चड़ा हुआ था और जो जिसे अच्छा लग रहा था, वैसा ही करता गया..
कनिष्का: अब मुझपर वही नशा फिर से चड़ा हुआ है दीदी...मैं क्या करू...?
कनिष्का ने ये कहते हुए अपनी ब्रेस्ट को दबाना शुरू कर दिया और फिर अंशिका से बोली: अच्छा दीदी...एक बार प्लीस...मेरे कहने पर...मेरी ब्रेस्ट को चूस लो न...मुझे कुछ हो रहा है यहाँ. वो अपने निप्पल को अपनी उंगलियों के बीच दबा कर अपनी बहन को दिखाने लगी. निप्पल के बदलते हुए गुलाबीपन और अकड़ को देखकर अंशिका के मुंह में भी पानी आ गया था.
अंशिका: ठीक है...सिर्फ एक बार...ओके...फिर मुझे सोने देना तू.
और फिर थोडा हिलने की आवाज आई मुझे, शायद कनिष्का को अपनी तरफ खींचा था अंशिका ने और अगले ही पल एक तेज सिसकारी की आवाज, जो कनिष्का के मुंह से निकली थी, अंशिका के निप्पल चूसने की वजह से.
आआआअह्ह्ह्ह.....दीदी......म्मम्मम.....अह्ह्ह....जोर से....दीदी......ये भी....इस वाले को भी चुसो न.....
कनिष्का ने अपना दूसरा स्तन भी अपनी बहन के मुंह में डाल दिया और वो दुगनी आवाज के साथ चीख पड़ी. ओह्ह्हह्ह दीदी....यु आर वैरी स्वीट.......अह्ह्हह्ह्ह्ह.......
उन्हें वहां मजा आ रहा था और मुझे यहाँ, एक हाथ में मेरा फ़ोन था और दुसरे में मेरा लंड.
अंशिका ने पुरे दो मिनट तक उसके दोनों निप्पल्स को चूसा और फिर बोली: बस...
कनिष्का: दीदी....एक बार मैं भी...आपकी ब्रेस्ट चुसना चाहती हूँ....प्लीस....
अंशिका कुछ बोल पाती, इससे पहले ही कनिष्का ने अंशिका की ब्रा के स्ट्रेप को नीचे किया और उसके मोटे चुचे उछल कर सामने आ गए और उनपर लगे हुए मोटे-मोटे निप्पल्स भी और कनिष्का ने नीचे झुककर अपना मुंह उसकी ब्रेस्ट पर लगा दिया और किसी नन्हे बच्चे की तरह उसे चूसने लगी. अब चीखने की बारी अंशिका की थी. अह्ह्ह्ह... नहीं... कन्नू...क्या...मम्म...कर...रही है... पगली... अह्ह्ह्ह... मम्म...ओह्ह्ह्हह्ह..
कनिष्का ने तेजी से अपनी जीभ उसके निप्पल्स पर फिरानी शुरू कर दी और मुझे पता था की अब अंशिका को आगे के लिए मनाना ज्यादा मुश्किल नहीं है. मैंने कनिष्का को धीरे से कहा: कन्नू...अंशिका की पेंटी में हाथ डाल दो और हो सके तो एक-दो ऊँगली उसकी गर्म चूत में भी डाल दो और उसकी आँखों में देखकर अपनी उंगलियों से उसका रस चूस लेना.
कन्नू ने वैसा ही किया..जैसे ही उसने अंशिका की पेंटी में हाथ डाला, वो सिहर सी गयी: अह्ह्ह्हह्ह....बेबी.....क्या हो गया है तुझे....हूँ......क्यों सता रही है अपनी दीदी को.....बोल....म्मम्म.....बोल ना.....अह्ह्ह्ह....
वो अब पूरी तरह से बोतल में उतर चुकी थी....वो मना तो करती जा रही थी हर बार कनिष्का को... पर उसे रोकने का कोई प्रयास नहीं कर रही थी और फिर जब कनिष्का की ऊँगली अंशिका की चूत में उतरी तो वहां के जल को समेट कर ही वापिस बाहर आई और मेरे कहे अनुसार कनिष्का ने अपनी बहन के आमने अपनी रस से भीगी हुई उंगलियों को लहराया और उन्हें एक-एक करके चुप्पा मारकर चूसने लगी....
कनिष्का: म्मम्मम्मम... क्या टेस्ट है दीदी... आपका... सच में... मैं तो आपकी दीवानी हो गयी हूँ... मतलब आपके जूस की....हिहिहि...
अंशिका की साँसे इतनी तेज थी की मुझे भी साफ़ सुनाई दे रही थी...
कनिष्का: दीदी...प्लीस...एक किस्स.....
वो ये बात पूरी भी नहीं कह पायी थी की अंशिका के अन्दर की एनीमल इंस्टिक्ट जाग उठी और उसने कनिष्का के बालो को बुरी तरह से पकड़कर अपनी तरफ घसीटा और उसे बेतहाशा चूसने और चाटने लगी. अह्ह्ह्ह.....दीदी.....धीरे....ओह्ह्ह्ह......फक्क.,.......क्या कर रही हो......दीदी.... म्मम्मम....पुच...पुच....अह्ह्ह....मम्म.....धीरे करो न....अह्ह्हह्ह दर्द होता है.....दीदी......म्मम्मम्म...पुच पुच...पुच...
दोनों बहनों के बीच युद्ध सा होने लगा था, एक दुसरे के होंठो और चुचों को वो बुरी तरह से काट खा रही थी....
कनिष्का: दीदी....उतारो इसे....सब उतर डालो.....
और फिर अंशिका के बचे हुए कपडे भी नोच फेंके मेरी शेरनी ने....
मैं: कनिष्का...अब बेड के किनारे खड़ी हो जाओ... अभी तो अंशिका को तडपाना है तुम्हे... तभी मजा आएगा... समझी.
उसे मजा तो बड़ा आ रहा था उस वक़्त...पर मेरी बात को मना भी नहीं कर सकती थी वो. इसलिए वो बेड से उठ खड़ी हुई.
मैं: अब धीरे-धीरे अपनी पेंटी को उतारो और उसे अंशिका की तरफ फेंक देना...देखना वो तुम्हारी पेंटी को कैसे चाटने लगेगी..
कनिष्का ने वैसा ही किया...जैसे ही वो अंशिका को दूर करके उठी, अंशिका बेचैन सी होकर उसे देखने लगी...वो सोच रही थी की मेरी चूत में आग लगाकर इसे एकदम से क्या हुआ और फिर कनिष्का ने अपनी पेंटी को धीरे से उतरा और उसे अंशिका की तरफ उछाल दिया, और अंशिका ने भी उसे किसी भूखी कुतिया की तरह हवा में ही लपक कर उसे चाटना शुरू कर दिया और फिर मेरे कहे अनुसार कनिष्का अपनी बहन से बोली: दीदी...उसमे से क्या चाट रही हो...यहाँ देखो...असली माल तो यहाँ है और फिर कनिष्का ने अपनी एक टांग बेड के ऊपर रखकर, अपनी चूत को फेलाकर, अन्दर का गीलापन जैसे ही अंशिका को दिखाया, वो भूखी कुतिया कनिष्का की पेंटी को छोड़कर उसकी तरफ आई और अपनी बहन की एक टांग को अपने कंधे के ऊपर रखकर, सामने लटकती हुई रसीली चूत को देखा और फिर अगले ही पल अपना गरमा गरम मुंह उसकी आग लगी चूत के ऊपर लगा दिया...
कनिष्का: अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह.....उफफ्फ्फ्फ़ दीदी.....मार दोगी तुम तो आज.....म्मम्मम्म....
वहां के नज़ारे को सोचकर मैंने भी अपने लंड के ऊपर तेजी से हाथ चलाना शुरू कर दिया...काश मैं भी होता इस वक़्त उनके कमरे में. कनिष्का चिल्लाने लगी: ओह्ह्ह्ह दीदी....हन्न्न्न.....जोर से....येस्स्स्स....यही पर.....अह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह.... अह्ह्ह्ह... ओफ्फ्फ... फक्क्क्क..... आई एम् कमिंग दीदी.... और फिर ऊपर खड़ी हुई कनिष्का ने अपने मीठे रस का झरना अपनी बहन के मुंह के ऊपर निकालना शुरू कर दिया. म्मम्मम्मम....दीदी.....मजा आ गया....सच में....अब तुम लेट जाओ...हाँ...ऐसे...ही और अपनी ये पेंटी को बाय बाय बोलो....हाँ ऐसे....वाव...दीदी...कितनी टेम्पटिंग सी लग रही है आपकी चूत....सच में..
अंशिका: ज्यादा बाते मत कर अभी तू...चल जल्दी से चूस इसे...मुझसे सहन नहीं हो रहा है अभी...
और ये कहते हुए उसने कनिष्का की गर्दन पकड़ी और उसे अपनी चूत के ऊपर दबा दिया और जैसे ही कनिष्का ने उसकी रसभरी चूत के ऊपर अपना मुंह लगाया, अंशिका तड़प उठी...
अह्ह्ह्ह......कन्नू....म्मम्मम.....विशाल की याद दिला दी तुने तो....उसे भी मेरी चूत चूसने में बड़ा मजा आता है...शाबाश...चूस ऐसे ही...म्मम्म...
अपना नाम और तारीफ सुनकर मुझे बड़ा मजा आया...
अंशिका: देख कन्नू....ये है...मेरी क्लिट...हाँ...ये ही...इसे अपने होंठो के अन्दर लेकर चूस....अह्ह्ह्हह्ह....हाँ ....ऐसे ही....उफ्फ्फ...पागल...दांत नहीं...सिर्फ होंठ और जीभ से...हाँ...अब ठीक है.....येस्सस्सस्स.....ओह्ह्ह्ह येस्स......म्मम्मम....ओह्ह्ह्ह कन्नू......माय बेबी......सक्क्क मीईईई......अह्ह्ह्ह .....ओह माय गोड......ओह्ह्ह फक्क्क्क.....आई एम्म्म.मम्म............कम......ईई.......नग.............अह्ह्हह्ह.....कन्न्न्नूऊऊ..........
और उसकी आवाज इतनी तेज थी की नीचे उनकी मम्मी तक जा पहुंची...नीचे से मम्मी ने पुकारा: क्या हुआ अंशु....तू ठीक तो है न. अंशिका ने अपने आप को संभाला और चिल्ला कर बोली: हाँ मोम....मैं ठीक हूँ...कन्नू को बुला रही थी बस...आप सो जाओ और फिर सब शांत होने के बाद दोनों बहने बच्चो की तरह से हंसने लगी....
अंशिका: यार...आज तो मरवा ही दिया था तुने...मुझे अपने आप पर काबू ही नहीं रहा...इतना तेज चीखी थी मैं ... मम्मी तो मम्मी...शायद विशाल तक मेरी आवाज पहुँच गयी होगी आह.....
कनिष्का: वो तो पहुँच ही गयी है....
और ये कहते हुए उसने अपने बाल हटा कर ब्लू टूथ दिखाया और उसे निकाल कर अंशिका के सामने लहराने लगी...
अंशिका अपने मुंह पर हाथ रखकर हेरानी से अपनी बहन को देखती रही...: मतलब...तुम दोनों ने मिलकर ...मेरे साथ ये सब किया....कितने गंदे हो तुम दोनों....इधर लाओ ये और ये कहते हुए उसने ब्लू टूथ को लिया और अपने कानो में लगा लिया..
अंशिका: विशाल....विशाल....तुम हो वहां पर...
मैं: हाँ मेडम जी...बंदा अभी भी यहीं पर है....हिहिहि....
अंशिका: बदमाश हो तुम एक नंबर के...तभी मैं कहूँ, इसमें इतनी हिम्मत कहाँ से आ गयी... अब पता चला, इसके पीछे तुम्हारा ही हाथ है...बैठे वहां हो और तुम्हारी शेतानी की वजह से यहाँ...
मैं: हाँ हाँ बोलो...यहाँ तुम्हारी चुद गयी....है न....
अंशिका: पर विशाल....जो भी हो....मजा बहुत आया आज....
मैं: तुम्हे मजा आया...मुझे इसमें ही ख़ुशी है...पर मेरे पप्पू का क्या...वो तो अभी तक खड़ा हुआ है...तुम दोनों बहनों ने तो एक दुसरे के रस से अपनी प्यास बुझा ली...इसका क्या होगा अब...
अंशिका (लाड वाली आवाज में): ओले ओले...मेरा बेबी....तुम्हारा अभी तक खड़ा हुआ है....काश मैं अभी वहां होती तो तुम ये शिकायत न कर रहे होते अभी...
मैं: अच्छा जी...क्या करती तुम??
अंशिका: मैं उसे चुस्ती...चाटती. और उसे अपनी चूत में...नहीं नहीं...गांड में लेकर जोर से तुम्हारे ऊपर उछलती...
मैं: वाव....अब दर्द नहीं हो रहा तुम्हारी गांड में...
अंशिका: ये दर्द तो जाते - जाते जाएगा...पर सच कहू...अभी तो दुबारा मन कर रहा है तुम्हारा लेने का सच... तुम्हारी कसम....
मैं: अभी तो तुम इसे वहीँ बैठ कर चूम लो...वही मेरे लिए काफी है
अंशिका: ये लो फिर....उम्म्म्ममा....तुम्हारे लम्बे....मोटे....लंड के ऊपर....मेरे गुलाबी...गीले होंठो का चुम्मा....उम्म्म्ममा.. और साथ में कन्नू भी चूमेगी....तुम्हे....हम दोनों एक साथ.....उम्म्मम्म्म्मा....
ये कहते हुए अंशिका ने कन्नू को भी अपने पास बुलाया और फिर दोनों बहने बेतहाशा चूमने लगी, मेरे लंड को, फ़ोन पर ही... उम्म्म्ममा.....उम्म्म्ममा.....उम्म्म्मम्म्म्मा ...........उम्म्म्ममा......
उन दोनों बहनों के गरमा गरम चुम्मे और किलकारियों की आवाज सुकर मेरे लंड से रोकेट निकल-निकल कर पुरे कमरे में उड़ने लगे....
अह्ह्हह्ह.....अंशिका......कनिष्का .........अह्ह्हह्ह....ओफ्फ्फ्फ़......म्मम्मम्म.....फक्क्कक्क्क
अंशिका (धीरे से): हो गया न....
मैं: अपने चारो तरफ फेले रस को देखकर बोला: हाँ...हो गया और कुछ ज्यादा ही...चल बाय ...सफाई करनी पड़ेगी...अब...कल बात करते है...
अंशिका: ओके...बाय...टेक केयर...स्वीट ड्रीम्स....मूऊऊअआआआअ...
और एक जोरदार चुम्मा देकर उसने फोन कट कर दिया. मैंने अपना फेलाया हुआ कीचड साफ़ किया और फिर आराम से सो गया.
अगले दिन कुछ ख़ास काम नहीं था, मम्मी-पापा को गए हुए भी 2-3 दिन हो चुके थे, यानी अब इतने ही दिन और बचे है मेरे पास, मेरी आजादी के. मैंने नाश्ता किया और टीवी देखने लगा, ग्यारह बज चुके थे ये सब करते-करते..
तब मुझे अंशिका का फोन आया.
अंशिका: हाय ..गुड मोर्निंग..
मैं: गुड मोर्निंग जी...आज इस समय कैसे मेरी याद आ गयी.
अंशिका (हँसते हुए): तुम्हे याद करने के लिए आजकल टाइम नहीं देखना पड़ता...वो तो हर समय आती रहती है...अच्छा सुनो..मैंने तुम्हे कुछ बताने के लिए फोन किया है..
मैं: क्या प्रेग्नेंट हो गयी हो...मेरी चुदाई से..
अंशिका: चुप रहो..जब देखो, वोही बात..
मैं: अच्छा बाबा...नाराज क्यों होती हो...बोलो..क्या बात बतानी थी.
अंशिका: आज प्रिंसिपल मैम ने बुलाया था मुझे, अगले वीक एक टूर ओर्गेनायीस हो रहा है कॉलेज की तरफ से, नेनीताल के लिए, और मुझे टूर को ओर्गेनायीस करने की जिम्मेदारी दे डाली...कह रही थी की पिछला अनुअल फंक्शन काफी अच्छे तरीके से करवाया था मैंने..ये काम भी तुम करो..
मैं: ये तो अच्छी बात है...तुम्हारे काम की तारीफ हो रही है और नयी रिस्पोंस्बिलिटी भी मिल रही है..
अंशिका: हाँ..वो तो है..पर मैंने कुछ और कहने के लिए फोन किया है..दरअसल ..ये फेमिली टूर है..मतलब हम स्टाफ में से हर कोई अपने एक फॅमिली मेम्बर को ले जा सकता है...तो मैं सोच रही थी..की मैं तुम्हे अपने साथ ..
मैं: अरे वाह...मजा आ जाएगा तब तो...पर ऐसे कैसे हो सकता है..मैं तुम्हारा फेमिली मेम्बर तो नहीं हूँ न..
मैंने मायूसी भरे लहजे में अपनी बात ख़त्म की.
अंशिका: हो नहीं...पर हो भी..
मैं: मतलब...
अंशिका: याद है..मैंने तुम्हे किट्टी मैम से और अपने दुसरे कलिगस से अपना कजिन कहकर मिलवाया था...
मैं: हाँ...वो तो है..यानी तुम मुझे अपना कजिन कहकर ले जा सकती हो....वाह...मजा आ जायेगा तब तो...पर तुम अपनी सगी बहन को छोड़कर मुझे क्यों ले जाना चाहती हो...
अंशिका (धीरे से.): सब कुछ अभी बता दू क्या..हूँ..
मेरे दिल की धड़कन काफी तेजी से चलने लगी और उससे भी तेज चलने लगी मेरी कल्पना शक्ति...मैंने आँखे बंद करी और मैं सीधा नेनीताल पहुँच गया, होटल के कमरे, कॉलेज की लडकियों से भरे हुए और मेरे साथ अंशिका... वाव... मजा आ गया...
अंशिका: क्या हुआ...कहाँ खो गए...अभी से सपने देख रहे हो क्या..
मैं: हूँ...हाँ...सोरी...पर अगर किसी को पता चल गया तो...मतलब...तुम्हारे घर पर किसी ने बता दिया की तुम्हारे साथ मैं भी जा रहा हूँ तो..
अंशिका: तुम उसकी फ़िक्र मत करो...जब मुझे डर नहीं लग रहा तो तुम्हे क्या हो रहा है...मैं तो बस जानना चाहती थी की तुम्हे तो कोई प्रोब्लम नहीं है न 3 दिनों के लिए बाहर जाने में...
मैं: मुझे...मुझे क्या प्रोब्लम हो सकती है...संडे तक मम्मी-पापा भी आ जायेंगे और अगले हफ्ते मैं तुम्हारे साथ चल दूंगा...घर पर कह दूंगा की कॉलेज के फ्रेंड्स के साथ नेनीताल जा रहा हूँ..बस..
अंशिका (खुश होते हुए) वाव...तब ठीक है...तो फिर मैं तुम्हारा नाम लिखवा देती हूँ...ट्रेन बुकिंग के लिए...
मैं: अच्छा सुनो...कनिष्का भी चल सकती है क्या?
अंशिका: नहीं यार...सिर्फ एक ही फेमिली मेम्बर को ले जा सकते हैं...भाई या बहन..वैसे कजिन अलाव नहीं था..पर हमारी किटी मैम है न...उन्हें जब मैंने बताया की मैं तुम्हे ले जाना चाहती हूँ तो उन्होंने हाँ कर दी..आखिर वो हमारी एडमिन हेड भी तो हैं न...
मुझे पता था की किटी मैम ने मेरे लिए हाँ क्यों बोली है...
मैं: चलो कोई बात नहीं...कनिष्का नहीं चल सकती तो कोई बात नहीं...
अंशिका: हम दोनों बहनों को एक साथ करने में ज्यादा मजा आने लगा है शायद...हूँ..
मैं: हाँ और तुम दोनों बहनों जैसी हॉट जोड़ी तो और कोई हो ही नहीं सकती...
अंशिका: वैसे इतनी ही याद आ रही है उसकी तो बुला लो उसे...अपने घर..आज तो वो फ्री है..
मैं उसकी बात सुनकर हैरान रह गया... अंशिका अपनी बहन को मुझसे चुदवाने के लिए खुद ही बोल रही थी आज और कहाँ वो अपनी बहन के बारे में मेरे मुंह से कोई गन्दी बात सुनने को भी राजी नहीं होती थी. उन दोनों की एकसाथ चुदाई करने का ही नतीजा है ये सब.
मैं: अच्छा....फ्री है वो...ठीक है...अभी फोन करता हूँ उसे..वैसे..कॉलेज के बाद, तुम भी आ जाओ न..मेरे घर.
अंशिका: नहीं विशाल...आज नहीं आ पाऊँगी..घर पर कुछ काम है...आज तुम कन्नू से मजे लो..
मैंने उससे उस समय ज्यादा बहस करनी उचित नहीं समझी. और थोड़ी देर और बात करने के बाद फोन रख दिया.