07-10-2020, 08:35 PM
(This post was last modified: 07-10-2020, 08:51 PM by sanskari_shikha. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अंशिका: क्या अभी भी दर्द हो रहा है कन्नू...
कनिष्का: हाँ दीदी...जब तक लंड अन्दर था तो मजा आ रहा था, पर अब दुखने लगा है..
अंशिका: मैंने तो तुझे मना किया ही था पर तुझे ही करवाना था पीछे से. अब एक-दो दिन तो दर्द होगा ही..
कनिष्का: आपको कैसे पता दीदी...आपने तो कभी नहीं करवाया पीछे से.
अंशिका का चेहरा शर्म से लाल होने लगा
अंशिका: वो...वो है न...मेरे कॉलेज में...किटी मैम...वो बताती रहती है...अपनी बाते और उन्होंने ही बताया था की पहली बार करवाने के एक-दो दिनों तक काफी दर्द रहा था...पर उसके बाद..
अंशिका ये कहते हुए फिर से शर्मा गयी.
कनिष्का: क्या दीदी...उसके बाद क्या..
अंशिका: उसके बाद...मजा भी सिर्फ इसमें ही आता है...
किटी मैम का नाम सुनते ही मेरे लंड ने फिर से करवट लेनी शुरू कर दी. मैंने पास ही पड़े हुए कपडे से अपने लंड को साफ़ किया और उसके दोबारा उठने का वेट करने लगा.
कनिष्का: देखा...मैंने भी तो यही कहा था दीदी मेरी सहेलियों ने कई बार मरवाई है अपनी गांड अपने बॉयफ्रेंड्स से, वो तो बस जब भी मौका मिलता तो गांड ही मरवाती थी, चूत को तो उनके बॉयफ्रेंड मुंह से चाटकर मजे दे देते थे और पीछे से अपने लंड को डालकर...
अंशिका भी बड़ी मासूमियत से और आराम से अपनी बहन की बाते सुन रही थी. जैसे कोई स्वामी जी जीवन के अंदरूनी रहस्य उजागर कर रहे हो.
अंशिका: मैं नहीं मानती...जो मजा आगे से लंड लेने में है वो पीछे से कम नहीं हो सकता और देखा न पीछे से करवाने में दर्द भी कितना होता है.
कनिष्का: वो तो दीदी एक-दो दिन ही होगा न...आपने ही तो अभी कहा...पर फिर तो मजे ही मजे है.. ही ही...
और वो दर्द के बावजूद हंसने लगी. मैं आराम से कोने में बैठकर दोनों बहनों की कामुकता से भरी चूत और गांड से भरी बाते सुन रहा था और अपने लंड को हलके-हलके मसल कर फिर से उठाने की कोशिश कर रहा था.
अंशिका ने अपना पैर लम्बा करके कनिष्का की कमर के ऊपर रख दिया..
अंशिका: पर कन्नू...आज मुझे तेरे बारे में जानकार सच में काफी अच्चम्भा हुआ. मैं नहीं जानती थी की तू ये सब भी कर चुकी है.
कनिष्का: ओहो...दीदी...आप अभी भी वहीँ पर अटके हो आप को पूरा भरोसा हो जाए तभी तो मैंने आपके सामने ही ये सब करवाने का मन बनाया...वैसे दीदी, एक बात तो माननी पड़ेगी....आपने अपने आप को काफी अट्रेक्टिव बना कर रखा हुआ है और आपकी ये ब्रेस्ट तो कमाल की हैं. काश मेरी भी इतनी बड़ी होती...तो मेरे पीछे भी लडको को लाईन लगी रहती क्योंकि लडको को रिझाने के लिए और कुछ हो न हो, लड़की की ब्रेस्ट ही काफी है...अगर ये बड़ी है तो बाकी के सारे काम आसान हो जाते हैं.
कनिष्का ने बड़ी चतुराई से बात बदलते हुए अंशिका की तारीफ करनी शुरू कर दी थी...
अंशिका: बड़ी रिसर्च की हुई है तुने लडको पर...बड़ी बदमाश हो गयी है तू..
कनिष्का अपनी बहन की बात सुनकर मुस्कुराने लगी.
कनिष्का: दीदी...ये दुनिया सब सिखा देती है...हर किसी को सिर्फ सेक्स की ही पड़ी है आजकल...कोई सच्चा प्यार करने वाला नहीं मिलता...अंत में जाकर सबकी सुई सिर्फ यही आकर अटक जाती है..
उसने अपनी ब्रेस्ट और फिर चूत की तरफ इशारा किया.
उनकी बाते रोचक होती जा रही थी.
अंशिका: नहीं पगली...ऐसा नहीं है...अगर सच्चे मन से ढूँढोगी तो सच्चा प्यार भी मिलेगा और सच्चा प्यार करने वाला भी..
और ये कहते हुए वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी. ओये...ये साली ये कहते हुए मुझे क्यों देख रही है. कहीं इसे मुझसे प्यार तो नहीं हो गया है. नहीं नहीं...ऐसा नहीं हो सकता...उसने कई बार कहा है की हम सिर्फ एक दुसरे को समझने वाले अच्छे दोस्त है. चुदाई के अलावा कोई और रिश्ता नहीं हो सकता हमारे बीच और अगर ऐसा होता तो क्या वो मुझसे अपनी बहन की गांड मारने को कहती...नहीं....ऐसा नहीं है. मैं अपने आप ही सवाल जवाब करने लगा.
कनिष्का: और एक बात दीदी...आपका टेस्ट काफी अच्छा है...
उसका इशारा अंशिका की चूत के रस की तरफ था...जिसका तो मैं भी दीवाना था.
अंशिका (शर्माते हुए): हूँ....मालुम है...विशाल को भी काफी पसंद है.
ओये होए....विशाल को तो तेरी हर चीज पसंद है जाने मन....यहाँ तक की तेरी बहन भी...
कनिष्का: विशाल की तो आप बात ही न करो ..वो तो अच्छा हुआ की आपकी पुस्सी में मेरा मुंह था, वर्ना इसके मोटे लंड को लेते हुए मैं आज इतना चीखती की बाहर के लोग अन्दर आ जाते. तभी तो मैंने आपको रोका था...थेंक्स... आपकी मदद के लिए.
वो अपना झूठा गुस्सा दिखा रही थी मुझपर...ये कहते हुए उसने मेरी तरफ देखा और अपनी नाक को टेड़ा करके मुझे चिढ़ाया. अंशिका कुछ न बोली...बस अपनी बहन को ख़ुशी से बोलते हुए देखती रही. कनिष्का खड़ी हुई और बाथरूम में जाकर अपनी फटी हुई गांड को धोने लगी.
उसके जाने के बाद
मैं: अंशिका....तुम्हे बुरा तो नहीं लगा न...की मैंने कनिष्का की...मेरा मतलब है...उसके साथ और वो भी तुम्हारे सामने..
अंशिका: डोंट बी स्टूपिड....ये सब मेरी मर्जी से ही हुआ न और मैं तुमसे नाराज हो नहीं सकती विशाल...क्योंकि मुझे मालुम है की तुम मेरे साथ या कन्नू के साथ कुछ भी बुरा कर ही नहीं सकते. और आज फिर एक बार तुमने उसका सबूत दे दिया है...देखा, कन्नू कितनी खुश है...वो सब करवाने के बाद..
मैं: और तुम...
अंशिका: मैं भी और. और सच कहूँतो....सच कहूँतो मुझे इसमें आज काफी मजा आया....ये मेरी एक फ़ंतासी थी....थ्री सम की...मतलब...दो लड़के और मैं ....समझ गए न....पर आज यहाँ दो लडकिय थी और लड़का सिर्फ एक...पर मजा इसमें भी बहुत आया..सच में..
मैं: अगर तुम कहो तो तुम्हारे टाईप का भी थ्री सम करवा दू. तुम मैं और एक और लड़का. फिर सभी तरह के मजे ले लेना...
अंशिका ये सुनते ही थोड़ी सी सीरियस हो गयी...
अंशिका: ये बात हम पहले भी कर चुके हैं विशाल....आज तुम्हे किसी और लड़की के साथ शेयर करके मेरे दिल पर क्या बीतती है ये तुम नहीं जानते...पर कन्नू के कहने पर और आज सिचुएशन ऐसी बन गयी थी की मैंने ये सब किया....पर क्या तुम ऐसा कर पाओगे..मुझे किसी और के साथ... फैंटसी बनाना एक अलग बात है...पर हर चीज पूरी नहीं होती न...
मैं: ओके...ओके...मैं समझ गया मेडम....वो तो तुमने ही ये टोपिक छेड़ा था इसलिए मैंने ये सब फिर से कहा...वर्ना तुम्हे तो सिर्फ मैं ही चोदना चाहता हूँ...किसी और से तुम्हे शेयर क्यों करू...तुम जैसे गर्म माल पर सिर्फ मेरा हक है....किसी और का नहीं. और देख लेना...तुम्हे एक बार प्रेग्नेंट तो कर के ही रहूँगा मैं ...
अंशिका: बदमाश हो तुम एक नंबर के....जब देखो येही बात करते रहते हो...
तभी कनिष्का भी बाहर निकल आई, नंगी और उसने शायद प्रेग्नेंट वाली बात सुन ली थी.
कनिष्का: वाव विशाल...तुम तो काफी आगे का सोच कर बैठे हो...अगर दीदी को प्रेग्नेंट ही करना चाहते हो तो इनसे शादी क्यों नहीं कर लेते..
मैं: मैं तो तैयार हूँ...पर तुम्हारी दीदी ही हर बार कहती रहती है की उम्र का डिफ़रेंस है....ये है...वो है और अब तो मुझे साथ में तुम्हारे जैसी सेक्सी साली भी मिलेगी...जब बीबी से बोर हो जाऊंगा तो तुम मेरी सेवा कर देना...ठीक है न..
कनिष्का नंगी ही मेरी गोद में आकर बैठ गयी और बोली: ठीक है मेरे प्यारे जीजाजी... पहले शादी तो करो...फिर ये सब रिश्ते नाते बनाना....अभी तो तुम्हे बिना शादी के ही दोनों चीजे मिल रही है और ये कहते हुए उसने मेरे होंठो पर अपने होंठ रखकर चुसना शुरू कर दिया.
अंशिका कोने में बैठी हुई अपनी बहन के रंग ढंग देख रही थी.
मुझे अच्छी तरह से चूसने के बाद कनिष्का अलग हुई और बोली: विशाल....तुमने तो आज मेरा बुरा हाल कर दिया है पर मजा भी बहुत आया...मन तो फिर से कुछ करने को कर रहा है पर अभी तो भूख लगी है पहले. मुझे पिज्जा का ध्यान आया...मैं नंगा भागता हुआ गया और पिज्जा लेकर आ गया...मेरे हाथ में पिज्जा के डब्बे थे और नीचे मेरा लटकता हुआ लंड..
कनिष्का: वाव...पिज्जा...मजा आएगा...तुमने तो आज पार्टी की पूरी तेयारी कर रखी थी दीदी के साथ....
मैं और अंशिका एक दुसरे को देखकर मुस्कुराने लगे...
मैंने पिज्जा बीच में रख दिया और डब्बा खोलकर अंशिका को अपने पास बुलाया...अंशिका उठकर आई और मेरी गोद में आकर बैठ गयी...अब वो भी अपनी बहन के सामने काफी खुल चुकी थी. मैंने उसकी कमर में हाथ रखा और उसके चेहरे को अपनी तरफ करके चूमने लगा. अंशिका भी दुगने जोश के साथ मेरे होंठो को चूसने लगी..
मेरा लंड एक दम से तनकर फिर से खड़ा हो गया.
कनिष्का: वाह जी...जब मैं बैठी थी और चूम रही थी तुम्हे तब तो ये महाशय खड़े नहीं हुए.. और दीदी के आते ही फिर से तैयार होकर सलामी देने लगे...कमाल है..
मैं: तुम्हारी दीदी है ही ऐसी...इन्हें देखकर तो मुर्दे का भी लंड खड़ा हो जाए...
कनिष्का: अच्छा जी...
मैं: हाँ जी....
और हँसते हुए मैंने फिर से उसके होंठो को चुसना शुरू कर दिया और दुसरे हाथ से अंशिका की ब्रेस्ट को दबाने लगा. अंशिका का एक हाथ मेरे लंड के ऊपर फिसलकर आया और वो उसे ऊपर नीचे करते हुए अपनी चूत में जाने के लिए तैयार करने लगी..
कनिष्का: वेट वेट वेट......अभी पूरा दिन है दीदी...पहले कुछ खा लो...विशाल को भी थोड़ी एनर्जी चाहिए....फिर कर लेना...जो भी चाहिए...ओके...
उसके टोकने पर अंशिका को गुस्सा तो बड़ा आया था...पर बात तो उसकी सही थी. उसने बेमन से उठकर पिज्जा के बॉक्स को उठाया और उसे खोलने लगी...
कनिष्का: दीदी....एक आईडिया आया है....मैंने एक इंग्लिश पोर्न में देखा था ऐसे...तभी से करने का काफी मन है...
अंशिका: क्या...??
कनिष्का ने मुझे सोफे पर बिठाया और एक डिब्बा लेकर किचन में चली गयी. और थोड़ी देर में ही वो वापिस आई...उसने तेज चाक़ू से पिज्जा और डिब्बे के बीचो बीच एक बड़ा सा छेद कर दिया था और उस छेद को मेरे लंड के ऊपर लाकर उसने मेरे लंड को पिज्जे और डब्बे के आर पार कर दिया...मुझे भी याद आया की इस तरह की एक दो सेक्स सीन मैंने भी कहीं देखे है पोर्न में ..
मेरे लंड के चारो तरफ अब डोमिनोस का पिज्जा था और बीचो बीच मेरा लम्बा लंड.
कनिष्का: दीदी...आप यहाँ आओ और विशाल के लंड को चुसो और बीच-बीच में जब भूख लगे तो पिज्जा भी खा लेना...
अंशिका: पागल है क्या...बच्चो वाला खेल करने की क्या जरुरत है....
कनिष्का: प्लीस दीदी...मजा आएगा...वो पोर्न मूवी वाले कुछ सोचकर ही तो ऐसा करते है मूवी में...करो न....फिर मुझे भी करना है ये सब फील...प्लीस..दीदी...
उसने प्यारा सा मुंह बनाया....जिसे देखकर कोई भी उसे किसी भी बात के लिए मन नहीं कर सकता था. मैंने भी कनिष्का का साथ दिया : आओ न अंशिका...मजा आएगा....इट्स डिफरेंट और मैंने पिज्जा की चीज में ऊँगली डालकर उसे चूसा और एक जोरदार चटखारा लिया. जिसे देखकर कनिष्का के साथ-साथ अंशिका की भी हंसी छूट गयी...
अंशिका: तुम दोनों बड़े जिद्दी हो....चलो ठीक है...जैसा तुम कहो..
और ये कहते हुए उसने मेरी आँखों में देखा और फिर मुस्कुराते हुए मेरे सामने आ बैठी और फिर उसने अपनी जीभ को पिज्जा की चीज में डुबाया और चीज से भीगी हुई जीभ को मेरे लंड के ऊपर फिराने लगी. मेरी तो सिसकारी ही निकल गयी...शुक्र है मैंने चीज पिज्जा मंगाया था. अगर स्पाईस वाला होता तो मेरे लंड के ऊपर आग लग चुकी होती. पर अभी तो हलकी गर्म चीज और ठंडी जीभ का मजा मिल रहा था मुझे....
कनिष्का मेरे पीछे आकर खड़ी हो गयी और झुककर मेरे कंधो पर अपने बूब्स रखकर अपनी बहन को मेरा लंड चूसते हुए निहारने लगी. अंशिका तो लंड चूसने में महारत हासिल कर चुकी थी अब तक, वो मेरे लंड को अपनी चीज से भीगी हुई जीभ से सहला कर, चाट रही थी. चीज लगने की वजह से मेरा लंड सफ़ेद रंग की चादर में लिपट चूका था..जिसे देखकर कनिष्क ने पीछे से कहा : वाव दीदी..आज तक चीज बर्गर और चीज सेंडविच तो देखा था. पर आज चीज लंड भी देख लिया..ही ही...वैसे कैसा है इसका टेस्ट. अंशिका ने अपना मुंह ऊपर उठाया और बोली: इट्स डिफरेंट..
ये सुनकर हम सब हंसने लगे.
अंशिका के दोनों निप्पल खड़े हो चुके थे और मेरी जांघो पर किसी तीर की तरह से चुभ रहे थे..मैंने उसकी ब्रेस्ट के ऊपर हाथ रखकर अपने आपको उसके तीरों से बचाया और होले-होले उसके दोनों दूध दोहने लगा. अंशिका कसमसा कर रह गयी. वो भी अपने एक हाथ को अपनी चूत के ऊपर ले गयी और उसे रगड़ते हुए लम्बी सिस्कारियां लेने लगी.
पीछे बैठी हुई कनिष्क ने आगे बढकर एक पिज्जा का पीस उठाया और खाने लगी. अंशिका ने मेरे चीज से सने हुए लंड को पूरा मुंह में डाला और उसे किसी केन्डी की तरह से चूसने लगी.
तभी कनिष्का का फोन बजने लगा. वो भागकर गयी और फ़ोन उठाकर वापिस वहीँ आ गयी और अंशिका से बोली: मम्मी का फोन है. और फिर फ़ोन को स्पीकर मोड पर डालकर उसने फोन उठाया.
कनिष्का: या मम्मा...
मम्मी: या की बच्ची...कहाँ है तू....तुने तो कहा था की 2 घंटे में आ जायेगी..कहाँ रह गयी .
कनिष्का: वो..वो मम्मा ..मैं दीदी के साथ हूँ..
उसके ये कहते ही अंशिका ने अपना चेहरा ऊपर किया और गुस्से से कनिष्का को देखा..
मम्मी: अंशिका तुझे कहाँ मिल गयी...
कनिष्का: वो क्या है न मम्मा...मैं तो अपनी फ्रेंड के घर से निकल ही चुकी थी...मैंने दीदी को फोन किया और उनके साथ पिज्जा खाने के लिए डोमिनोस आ गयी...
मैं उसकी बात सुनकर हंसने लगा.
मम्मी: कमाल है...पर बेटा बता तो देते न और ये अंशिका भी इतनी लापरवाह कब से हो गयी है...दे जरा उसे फ़ोन.
कनिष्का ने अपनी हंसी छुपाते हुए अंशिका के सामने फोन कर दिया. अंशिका तो लंड चूसने में बिजी थी. पर बात तो करनी ही थी न. उसने अनमने मन से लंड बाहर निकाला और बोली: हूँ....मम्मी...बोलो... उसके मुंह में लंड से लिपटी चीज जम सी गयी थी...वो ढंग से बोल भी नहीं पा रही थी.
मम्मी: ये क्या है अंशु...फोन तो कर देती न की कन्नू तेरे साथ है...आजकल ज़माना कितना खराब है. पता है न. मुझे तो चिंता हो रही थी. तू तो अक्सर कॉलेज से लेट हो जाती है पर फ़ोन भी कर देती है न. पर आज तुने किया भी नहीं और कन्नू तेरे साथ है उसके बारे में भी नहीं बताया...चलो कोई बात नहीं..अभी क्या कर रही है.
अंशिका: मम्मी...अभी तो पिज्जा आया है...खाने में भी टाईम लगता है न..
और ये कहते हुए उसने मेरी तरफ देखकर आँख मार दी.
मम्मी: ठीक है..ठीक है...जो भी है...जल्दी आ जाना. ओके...बाय...
और ये कहकर उसकी मम्मी ने फोन रख दिया. फ़ोन रखते ही दोनों बहने जोर-जोर से हंसने लगी और जब हंसी थमी तो अंशिका ने फिर से लम्बी जीभ निकाली और मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया...
फिर वो थोडा पीछे हुई और एक पिज्जा का टुकड़ा उठा कर खाने लगी. मैंने भी जल्दी-जल्दी दो पीस खा लिए. बाकी बचा हुआ एक-एक पीस दोनों बहनों ने खा लिया. फिर डब्बा साईड में फेंककर अंशिका मुझे लंड से पकड़कर अन्दर बेड की तरफ ले जाने लगी. मैं भी उसके गुलाम की तरह अपने हथियार को उसके हवाले करके उसके पीछे चल दिया. अन्दर जाते ही अंशिका ने मुझे बेड पर धक्का दिया.
कनिष्का भागकर बेड के ऊपर आकर बैठ गयी और अपनी बहन को मुझे डोमिनेट करते हुए देखने लगी.
अंशिका अपनी मतवाली चाल चलती हुई बेड के किनारे तक आई और अपनी एक टांग उठाकर बेड के ऊपर रखने के बाद वो अपनी ऊँगली से अपनी चूत की परते खोलकर मुझे और कनिष्का को दिखाने लगी. अन्दर का गुलाबीपन साफ़ दिखाई दे रहा था. आज अंशिका बड़ा ही अजीब बिहेव कर रही थी और वो भी अपनी छोटी बहन के सामने और फिर वो ऊपर चढ़ गयी और मेरे सीने के दोनों तरफ अपनी टाँगे करके खड़ी हो गयी. मेरा चेहरा ऊपर की तरफ था और उसकी चूत के अन्दर तक का नजारा साफ़ दिखाई दे रहा था मुझे. मैंने उसकी दोनों पिंडलियाँ पकड़ी और उसे नीचे की तरफ खींचने लगा. उसने जैसे ही अपनी गद्देदार गांड मेरे सीने पर लेंड की मैंने उसकी गर्दन के पीछे हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींचा और बेतहाशा चूमने लगा...उसकी चूत का गीलापन मैं अपनी छाती और पेट वाले हिस्से पर साफ़ महसूस कर पा रहा था...एक अजीब सी ठंडक का एहसास मिल रहा था उसके जूस से...मेरे मुंह में उसे पीने की त्रीव इच्छा हुई और मैंने उसे जांघो से पकड़कर अपने मुंह की तरफ घसीटा...उसकी चूत से निकले जूस की वजह से मेरी छाती इतनी फिसलन भरी हो चुकी थी की मेरे जरा सा जोर लगाने भर से वो मेरे मुंह की तरफ ऐसे फिसलती चली आई मानो नीचे स्केट लगा रखे हो और धम्म से आकर उसकी चूत मेरे मुंह से आ टकराई...
उसके मुंह से एक जोरदार आवाज निकली : आआआआअह्ह्ह..... म्मम्मम्म.... ओह्ह्ह्हह्ह... माय... गोड... या... म्मम्मम....
मेरे सर के बिलकुल पीछे कनिष्का बैठी हुई अपनी बहन का उत्तेजक रूप देख रही थी. अंशिका का मुंह खुला हुआ था. और उसके मुंह से रसीली लार टपक कर नीचे गिर रही थी...कनिष्का आगे बड़ी और अपनी बहन के गीले होंठो को चूमने लगी...
मेरे मुंह के ऊपर अंशिका की चूत थी. जिसे मैंने जोर जोर से चुसना शुरू कर दिया. आज जितना रस उसकी चूत से आजतक नहीं निकला था...मेरी गर्दन और गाल उसके जूस से पूरी तरह से गीले हो चुके थे और कनिष्का के आगे होने की वजह से उसकी चूत भी अब मेरी आँखों के बिलकुल ऊपर थी और उसमे से भी रस टपक बूँद-बूँद करके मेरे माथे पर गिर रहा था. मुझे केरल की वो मसाज याद आ गयी जिसमे तेल की धार को माथे के ऊपर लाकर नीचे गिराया जाता है. खेर...जैसे ही कनिष्का की चूत अंशिका के पास आई, अंशिका ने उसकी गांड के ऊपर हाथ रखकर अपनी चूत की तरफ खींच लिया. उसकी चूत तो पहले से ही मेरे मुंह के अन्दर थी. पर दोनों बहनों की चूत के मिलन के लिए मैंने उसे बाहर निकाल दिया और अगले ही पल उन दोनों ने अपनी चूत के एक दुसरे से रगड़ना शुरू कर दिया और उनकी रगड़न से पैदा हुआ रस मेरे मुंह को भिगोने लगा..
अह्ह्हह्ह्ह्ह......दीदी.....म्मम्मम.....सक...मी.....अह्ह्ह.....येस्स्स्सस्स्स्स......अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह.....ऊऊओ वाव.........
कनिष्का ने नीचे झुककर अपनी बहन के मुम्मे को चुसना चालू किया .मैंने भी अपने दोनों हाथ ऊपर करके उन दोनों के मिले-जुले मुम्मे दबाने शुरू कर दिए. जिसका हाथ में आया उसे दबाने लगा. आज सचमुच मुझे काफी मजा आ रहा था.
अंशिका पीछे की तरफ जाने लगी और फिर से फिसलते हुए उसकी गांड मेरे लंड से जा टकराई और मेरा लंड जो किसी रोकेट की तरह से खड़ा हुआ था. उसने जैसे ही अंशिका की चूत को अपने इतने पास देखा वो लौन्चिंग की तैयारी करने लगा और अगले ही पल मैंने उसकी जांघो को पकड़ा और अपने लंड को उसकी चूत के ऊपर सेट करके एक धक्का मारा...
अंशिका: आआआअह्ह्ह्ह .........म्मम्म.....येस्स्स्स.......फक मीई..........अह्ह्ह्ह....
मैंने दो चार धक्के मारे ही थे की उसने मेरा लंड एकदम से बाहर निकाल दिया और गहरी-गहरी साँसे लेती हुई मुझे देखने लगी. कनिष्का भी हैरान थी. वो बोली: क्या हुआ दीदी...आप ठीक तो हो..
अंशिका ने मुझे घूर कर देखा और बोली: फक इन माय एस....मेरी भी गांड मारो विशाल. मुझे तो अपने कानो पर विशवास भी नहीं हुआ...मेरे साथ-साथ कनिष्का भी अपना मुंह खोले और फिर हँसते हुए अंशिका को देखने लगी....
कनिष्का: दीदी.....आर यु स्योर...अभी तो आप मुझे भी मना कर रही थी और खुद तो इतना डर रही थी...फिर ये एकदम से...क्या हुआ...
अंशिका: कुछ नहीं....पर अब मुझे भी पीछे से करवाना है....जल्दी करो विशाल....डू इट नाव.....
और फिर उसने मेरे चूत से भीगे लंड को पकड़ा और अपनी गांड के छेद पर लगाया और एक दो बार तेज सांस लेकर अपनी आँखे बंद की और एक दम से अपना पूरा भार मेरे लंड के ऊपर छोड़ दिया. उसकी चीख सुनने लायक थी. आआआआआह्ह्ह्ह .....ओह माय गोड........ मरररर गयी......अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ....ओह फक ....ओह फक........अह्ह्ह्ह... मेरा लैंड उसकी गांड के फीते खोलता हुआ अन्दर तक जा धंसा..
कनिष्का अपनी बहन का दर्द बांटने के लिए उसकी पास गयी और उससे लिपट कर खड़ी हो गयी....
उसने जिस तरह से मेरे लंड को अपनी गांड में लिया था. एक ही बार में वो अन्दर तक जा घुसा था. शायद वो धीरे-धीरे दर्द के बदले एक ही बार में दर्द लेने पर विशवास करती थी.
थोड़ी ही देर में वो थोडा नोर्मल हुई और फिर एकदम से मेरे ऊपर झुक गयी और धीरे से बोली: हैप्पी ...
मैंने हाँ में सर हिलाया...साला कौन हेप्पी नहीं होगा..एक ही दिन में दोनों बहनों की गांड मारकर और फिर मैंने उसके गुलाबी होंठो को चूसते हुए, उसकी गांड के ऊपर हाथ रखकर, नीचे से धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किये...मेरे हर धक्के से उसके अन्दर एक अजीब सा कम्पन हो रहा था और फिर वोही कम्पन एक तूफ़ान बनकर बरस पड़ा मेरे ऊपर. और वो पागलो की तरह मेरे लंड के ऊपर कूदने लगी...
अह्ह्ह्हह्ह...अह्ह्ह... विशाल..... आई एम् लोविंग इट......या......फक माय एस..... फक्क्क मी हार्ड एर्र्र्रर्र्र्र.... अह्ह्हह्ह और फिर वो जोरो से हांफती हुई मेरे ऊपर गिर गयी...गांड के घर्षण की वजह से उसकी चूत से आज पानी की नहर निकली थी. जिसने मुझे और मेरे बेड को पूरा भिगो दिया था. वो बेहोशी जैसी हालत में मेरे ऊपर पड़ी हुई थी. मैंने उसे धीरे से नीचे किया और खुद ऊपर की तरफ आ गया और ऐसा करते हुए मेरा लंड उसकी गांड से फिसल कर बाहर आ गया. वो अभी भी गहरी साँसे लेती हुई आँखे बंद किये पड़ी थी. मेरा लंड अभी भी स्टील जैसे खड़ा हुआ था. पर अंशिका की हालत देखकर लगता नहीं था की वो अब मेरे लंड को ले पाएगी. मेरी परेशानी देखकर कनिष्का बोली: हे विशाल...कम हेयर.... और वो भी अपनी बहन के बाजू में लेट गयी और अपनी टाँगे ऊपर हवा में फल दी...
मैंने हँसते हुए अपने लंड का रुख उसकी चूत की तरफ किया और लंड को उसकी चूत में डालकर उसके ऊपर लेट सा गया. उसने भी मुझे अपनी बाँहों में लपेट कर अपनी टांगो को मेरी कमर में बाँध कर, मेरे लंड को पूरी तरह से अपने में समां लिया और फिर जो धक्के मैंने मारे उससे पूरा बेड हिल गया और इतना हिला की अंशिका की हलकी बेहोशी भी टूट गयी. और वो प्यार से मुझे अपनी बहन को चोदते हुए देखने लगी और जल्दी ही मेरे लंड की पिचकारियाँ उसकी चूत के अन्दर चलने लगी. वो तो दो बार झड चुकी थी मेरे लंड के घमासान को देखकर. उसे पूरी तरह से चोदने के बाद मैं उसके ऊपर से अलग हुआ और दोनों बहनों के बीच में लेट गया और उन्होंने अपना सर मेरे दोनों कंधो पर रख दिया और मेरे ऊपर अपनी टाँगे फेलाकर मुझे अच्छी तरह से कैद सा कर लिया..
आज इन दोनों बहनों की गांड मारकर मुझे काफी मजा आया था. ये दिन मैं अपनी जिदगी में कभी भी नहीं भूल पाउँगा.
उन दोनों के जाने के बाद मैंने पूरा घर साफ़ किया, रात के आठ बज गए सब साफ़ सफाई करते-करते, मैंने बचा हुआ पिज्जा खाया और सो गया, बाहर जाने की या कुछ और माँगा कर खाने की हिम्मत नहीं हो रही थी.