07-10-2020, 12:58 PM
कनिष्का: पर दीदी...अब तो आप यहाँ पर हो न...प्लीस...मैंने आज तक आपसे किसी चीज के लिए भी इतनी मिन्नत नहीं की...आप तो एक ही बार में मेरी हर बात मान लेती हो..फिर आज क्यों इतनी देर लगा रही हो...
अंशिका ने एक गहरी सांस ली और उसके गालो को अपने हाथो में पकड़कर बोली: देख कन्नू...जो तू कह रही है और जो तू चाहती है, वो बड़ा ही मुश्किल काम है, हम दोनों एक दुसरे के सामने एक लड़के के सामने अपना सब कुछ परोस कर बैठ जाए, मुझे विशाल पर पूरा विशवास है की वो इस बात को किसी और से कभी नहीं करेगा... (उसने मेरी तरफ आशा पूर्ण नजरो से देखा, मैंने भी अपनी पलके झुका कर उसे आश्वासन दिया)
वो आगे बोली: और तेरी हर बार की जिद्द की तरह आज भी मैं तेरे सामने हार गयी...
अंशिका ने अपनी स्वीकृति दे डाली अपनी छोटी बहन को.
कनिष्का ने ख़ुशी के मारे अंशिका को जोर से गले लगा लिया...: ओह...दीदी...आई लव यु और अगले ही पल उसने जो किया उसे देखकर मेरे साथ-साथ अंशिका भी दंग रह गयी....
कनिष्का ने अंशिका के चेहरे को पकड़ा और उसके होंठो पर अपने होंठ लगा दिए और उन्हें जोर-जोर से चूसने लगी...
मुझे पक्का विशवास था की इस तरह की किस इन दोनों बहनों में पहली बार हो रही है....क्योंकि अंशिका अपनी फटी हुई आँखों से , अंशिका के होंठो से छुटने की कोशिश कर रही थी. और कभी मुझे और कभी उसे देख रही थी....
और फिर कनिष्का ने अंशिका के दांये मुम्मे के ऊपर अपना हाथ रखा और उसे जोर से दबा दिया...अंशिका के निप्पल तो पहले से ही खड़े होकर आने वाले पलों के बारे में सोचकर पुलकित हो रहे थे, अपनी बहन के हाथो का स्पर्श पाते ही उनमे करंट सा दौड़ गया. और आनंद के मारे अंशिका की आँखे भी कनिष्का की तरह से बंद होती चली गयी.....
इतना इरोटिक सीन देखकर तो मैं पागल सा हो गया...दुनिया की सबसे सेक्सी बहने एक दुसरे को चूसने चाटने में लगी हुई थी और मुझे और मेरे लंड को मालुम था की आज का पूरा दिन कैसे बीतने वाला है....मैंने अपना पायजामा एक झटके में उतार फेंका और ऊपर से टी शर्ट भी. और घुस गया नंगा होकर उन दोनों बहनों के बीच और अपने होंठ भी घुसा दिए उन दोनों के थूक से भीगे हुए लबो के दरम्यान.......
अंशिका पर ना जाने किस बात का खुमार चड़ा हुआ था की आज वो पहले से ज्यादा उत्तेजित लग रही थी, शायद आने वाले पलों की कल्पना करके उसके हाव-भाव अलग ही लग रहे थे.
मेरे होंठो में जैसे ही अंशिका के होंठ आये वो उन्हें कच्चे चिकन की तरह चबाने में लग गयी और उनका जूस निकाल कर पीने लगी, आज तक उसने इतनी तेजी से मेरे होंठो को नहीं चबाया था, कनिष्का ने मेरी कमर के ऊपर हाथ रखा और मेरे गालों के ऊपर जोरदार चुम्मा दे दिया, और फिर मुझे और अपनी बहन को आराम से देखते हुए वो अपनी लेफ्ट ब्रेस्ट को मसलती हुई बड़ी ही कामुक नजरों से हम दोनों को देखने लगी.
मैंने अंशिका के नंगे पेट वाले हिस्से पर हाथ रखे और उसकी नाभि वाले भाग पर अपनी उँगलियाँ रगड़ने लगा, और धीरे-धीरे अपनी उँगलियाँ नीचे की तरफ खिसकाने लगा, अपनी चूत की तरफ बड़ते हुए मेरे लम्बे हाथो के एहसास ने अंशिका की साँसों की गति और भी तेज कर डाली, और उसने एक गहरी सांस लेकर अपना पेट और भी अन्दर कर लिया, मेरी उँगलियों को रास्ता मिल गया गुफा में जाने का और मैंने अपना पंजा उसके पेट से सटा कर अन्दर की तरफ धकेल दिया..
और मेरे हाथों का दबाव इतना तेज था की वो सीधा उसकी चूत के ऊपर जाकर ठहर गया, और अब मेरे हाथों के नीचे थी उसकी गीली कच्छी...मैंने अपना पूरा पंजा जोर से उसकी भीनी खुशबु छोडती हुई चूत के ऊपर जमा दिया. और ऐसा करते हुए मुझे लगा की मैंने किसी संतरे को जोर से दबा कर निचोड़ दिया है, क्योंकि उसकी चूत से इतना रस निकल कर नीचे गिरने लगा मानो कोई गुब्बारा फटा हो वहां..
अंशिका: आआआअह्ह्ह्ह .........ओग्गग्ग्ग्ग.....
अपनी बहन को कामुकता की चादर में लिप्त देखकर कनिष्का तो पागल ही हो गयी...उसने अंशिका की साडी के पल्लू को पकड़ा और घूम घूमकर उसे उतारना शुरू कर दिया.
जैसे-जैसे साडी निकलती जा रही थी, उसकी साँसे तेज होती जा रही थी..मेरे हाथ लगाने भर से ही वो एक बार तो झड ही चुकी थी..आज और क्या होगा उसके साथ, ये शायद सोच-सोचकर वो आँखे बंद किये हुए मंद-मंद मुस्कुराने लगी थी और जब अंशिका की साडी पूरी तरह से उतर गयी तो मैंने पेटीकोट के नाड़े को अपने हाथो से पकड़ा और उसे जोर से खींच दिया, अन्दर का नजारा पर्दा गिरते ही हम दोनों के सामने आ गया, अंशिका की आँखे अभी तक बंद थी, वो शायद शर्मा रही थी, अपनी बहन के सामने..
कनिष्का और मैं उसके एरोटिक रूप को देखकर अपनी जीभ होंठो पर फिर रहे थे.
अंशिका का गोरा और भरा हुआ बदन अब सिर्फ ब्लाउस और पेंटी में हम दोनों के सामने था, नीचे उसने हाई हील की सेंडल पहनी हुई थी..
कनिष्का ने अपनी केप्री और टॉप को उतार कर एक कोने में उछाल दिया, और जैसे ही उसकी ब्रा में कैद मुम्मे मेरी नजरों के सामने आये , मैं अंशिका को भूल कर उसकी तरफ देखने लगा, मैंने अपने हाथ का दबाव उसकी चूत के ऊपर से हटा लिया. मेरा हाथ की पकड़ चूत के ऊपर से हटते ही उसने अपनी आँखे खोल दी और मुझे अपनी बहन की तरफ घूरते हुए देखा और जब उसने मेरी आँखों का पीछा करते हुए कनिष्का को देखा तो वो झुक कर अपनी पेंटी को अपनी जांघो से नीचे खिसका रही थी..मेरा हाथ अभी भी अंशिका की गीली कच्छी में था पर मेरा पूरा ध्यान कनिष्का की तरफ था..
कनिष्का ने जैसे ही अपनी पेंटी उतार कर बाहर की, मेरे और अंशिका के सामने उसकी गुलाबी रंग की, ताजा तरीन, बिना बालों वाली चूत आ गयी, लगता था की मेरे लिए ही तैयार होकर आई थी वो और फिर मेरी तरफ देखते हुए उसने अपने हाथ पीछे किये और अपनी ब्रा को भी अपने बदन से जुदा करते हुए मेरी तरफ उछाल दिया और अब वो पूरी तरह से नंगी होकर खड़ी थी...उसकी ब्रेस्ट का साईज अंशिका के मुकाबले काफी छोटा था, पर लाजवाब थी वो भी, एकदम सामने देख रहे थे उसके निप्पल, इतना कसाव था उसके मुम्मो में..चूत की शेप भी काफी लुभावनी थी, मानो कोई नंगी पहाड़ी, जिसपर जंगली घान्स्फूंस का नामो निशान भी नहीं है, सिर्फ चिकने और बड़े-बड़े पत्थर है.
मैंने आगे बढकर उसके गले में हाथ डाला और उसे अपनी तरफ खींच लिया, मैंने जैसे ही अपना दूसरा हाथ अंशिका की चूत से खींचना चाह, उसने उसे रोक लिया...मैंने एकदम से घूम कर उसकी तरफ देखा, पर उसकी नशीली आँखों में देखर मैं कुछ समझ न पाया, शायद वो मेरे हाथ की गर्मी और कुछ देर तक लेना चाहती थी, अभी थोड़ी देर पहले तो वो अपनी बहन को मेरे पास छोड़कर जाने की बात कर रही थी और अब मेरे हाथ को अपनी चूत से बाहर ही नहीं निकाल रही है, थोडा बहुत लालच तो हर इंसान के मन में आ ही जाता है ऐसे मौके पर, फिर चाहे दूसरी तरफ अपना कोई सगा क्यों न हो...
पर मुझे कोई प्रोब्लम नहीं थी, मैंने भी कोई जबरदस्ती नहीं की और अपना हाथ वहीँ रहने दिया और अपना दूसरा हाथ खिसका कर मैंने कनिष्का की चूत के ऊपर रख दिया और मैंने अपने होंठ कनिष्का के होंठो पर रख दिए...
नंगी कनिष्का मेरे हाथो का स्पर्श पाते ही किसी बेल की भाँती मुझसे लिपट गयी. अब मेरे एक हाथ में अंशिका और दुसरे में कनिष्का की चूत थी और दोनों से इतना पानी निकल रहा था की मेरे दोनों हाथो में चिपचिपापन होने लगा था...
कनिष्का मेरे होंठो को चूसने में अपना पूरा जोर लगा रही थी और दूसरी तरफ अंशिका ने भी मौका पाकर अपना ब्लाउस और ब्रा उतार डाले. और हाथ नीचे करके अपनी पेंटी भी...
वो अजंता की मूरत बन गयी और कनिष्का अलोरा की और दोनों नंगी बहनों को थामे हुए मेरा क्या हाल हो रहा होगा, आप दोस्त लोग तो समझ ही सकते हैं..
मैं खड़े हुए थक चूका था, मैं जाकर सोफे पर बैठ गया और उन दोनों बहनों को देखते हुए अपने लंड के ऊपर उनकी चूत का रस रगड़ने लगा...
क्या सीन था यारो, एक तरफ थोड़ी भरी पूरी अंशिका थी और दूसरी तरफ ताजा-ताजा जवान हुई कनिष्का...पर दोनों थी ग़जब का माल.
मैंने अंशिका को अपनी तरफ आने का इशारा किया और वो बेसब्री से आगे बड़ी और सीधा मेरी गोद में आकर बैठ गयी, अपने हाथ मेरी गर्दन में लपेटे और मुझे पागलो की तरह से चूसने लगी और अपनी मोटी गांड को मेरे खड़े हुए लंड के ऊपर मसलने लगी और एक बार तो मेरा लंड उसकी चूत के मुंहाने पर फंस ही गया...उसके मुंह से एक तेज आवाज निकली. जिसे सुनकर मेरे साथ-साथ कनिष्का भी अपनी बड़ी बहन की तरफ देखने लगी..
वो शायद भूल गयी थी की पहले कनिष्का की गांड मारनी है मुझे और फिर बाद में अगर मौका मिला तो अंशिका का नंबर आएगा..
पर अपनी चूत में आया मेरा लंड शायद अंशिका खोना नहीं चाहती थी...इसलिए इधर-उधर फिसल कर उसने मेरे लंड रूपी सांप को अपनी चूत में निगलना शुरू कर दिया...
मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आपको और अपने लंड को उसकी चूत में जाने से बचा रखा था...पर अचानक अंशिका ने अपनी टांग उठा कर मेरी दोनों जांघो के ऊपर रख दी और मेरी तरफ मुंह करते हुए उसने मेरा लंड एक ही बार में अपनी चूत में उतार लिया...
आआआआआअह्ह्ह म्मम्मम्मम......विश्लल्ल्ल.........अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....म्मम्मम्म....
मैं उसके इस रूप के देखकर हैरान था और शायद कनिष्का भी अपनी बहन के तेवर देखकर ज्यादा खुश नहीं थी...वो सोच रही थी की अभी तो कुछ देर पहले त्याग की मूरत बन रही थी और जैसे ही लंड देखा अपनी चूत के अन्दर डाल लिया और मुझे यहाँ तड़पता हुआ छोड़ दिया. पर हम दोनों गलत थे..
अपनी चूत में मेरा पूरा लंड लेने के बाद उसने एक दो झटके दिए, और फिर एकदम से उठ गयी मेरे ऊपर से...
मुझे अभी तो उसकी मखमली चूत के एहसास से मजे आने शुरू हुए थे , एकदम से उसने जब वो मख्मलिपन हटा लिया तो मैं भी हैरान रह गया.
अंशिका ने अपनी बहन को देखा और उसे लेकर सोफे पर घोड़ी वाले आसन में आधा लिटा दिया और मेरी तरफ देखकर बोली. : चलो अब डालो इसकी गांड में अपना घोडा...चिकना कर दिया है इसे मैंने अपने रस से..
अंशिका ने मेरे लंड को अपनी चूत में डुबोकर अपना रस लगा दिया था ताकि उसकी बहन कनिष्का की गांड में घुसाने में मुझे ज्यादा जोर न लगाना पड़े. कोई और होता तो लंड का रस निचोड़ने के बाद ही उठता...पर बड़ी बहन का ऐसा प्यार और लगाव हर जगह देखने को नहीं मिलता. पर ये समय भावुक होने का नहीं था...मैंने कनिष्का की गांड के छेद को अपनी ऊँगली से फेला कर देखा..मेरा लंड तो अंशिका की चूत के रस में नहाकर पूरा लुब्रिकेट हो चूका था..
अचानक अंशिका आगे आई और अपनी चूत में हाथ डालकर थोडा और तेल निकाला और कनिष्का की गांड के छेद के ऊपर मलने लगी और अपनी दो और फिर तीन उँगलियाँ उसने एक के बाद एक उसकी गांड के छेद में घुसा डाली.
फिर मेरी तरफ देखकर अंशिका बोली: अब डालो विशाल... पर धीरे से करना, मेरी कन्नू का पहली बार है यहाँ से.
और फिर बड़ी बहन वाला प्यार दिखाते हुए, अंशिका ने उसके नितम्ब पर एक जोरदार चुम्मा दे दिया. मेरे लंड को उसने अपने हाथो से पकड़कर बोर्डर तक छोड़ा और फिर मुझे धक्का मारने का इशारा किया.
कनिष्का की गांड फटने वाली थी, ये सोचकर उसकी गांड ऐसे ही फटे जा रही थी.
कनिष्का ने डरी हुई आँखों से अपनी बहन को देखा और उसके एक हाथ को पकड़कर अपनी मुंह के ऊपर भींच लिया, ताकि जब वो चीखे तो उसकी बहन का हाथ उसके पास हो.
मैंने अपने गीले लंड का धक्का एक जोरदार शोट के जरिये उसकी गांड में लगाया. निशाना बिलकुल सही था, लंड का सुपाड़ा सरहद को तोड़ता हुआ उसकी गांड के छेद के रिंग में जा फंसा .
आआआआआअह्ह्ह .......मर्र्र्रर्र्र गयी.......दीदी ......
उसकी आँखों से आंसू निकल आये थे...कनिष्का ने अपनी बहन का हाथ इतनी तेजी से अपनी तरफ खींचा की वो लुडक कर उसके मुंह पर जा गिरी .
अंशिका के मोटे-मोटे चुचे कनिष्का के चेहरे पर जा लगे. कनिष्का का मुंह तो वैसे ही चीखने की वजह से खुला हुआ था, सो अंशिका ने उसे चुप करवाने के लिए अपना एक मुम्म उसके मुंह के अन्दर डाल दिया और अगले ही पल कनिष्का के पेने दांत अपनी बहन के मुम्मे को चूसने और काटने में लग गए...
मैंने एक और तेज धक्का मारकर अपना लंड आधे से ज्यादा उसकी गांड में उतार दिया. कनिष्का की गांड फट चुकी थी...उसे बड़ा ही तेज दर्द हो रहा था.
उसके मुंह में अंशिका का स्तन था और वो गूं गूं की आवाजे निकाल रही थी और सोफे पर छटपटा रही थी.
अंशिका: धीरे करो विशाल... कन्नू को दर्द हो रहा है...
मैं: ओके ...
और फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला और आधे लंड से ही उसकी गांड मारने लगा.
कनिष्का ने चूस चूसकर अंशिका के मुम्मे को लाल सुर्ख कर दिया था और उसे भी शायद दर्द होने लगा था वहां , पर कनिष्का के दर्द के आगे ये अंशिका का दर्द कुछ भी नहीं था...
मैंने एक दो मिनट रुकने के बाद फिर से अपने लंड को और अन्दर धकेलना शुरू कर दिया. कनिष्का ने ब्रेस्ट चुसना छोड़कर फिर से रोना शुरू कर दिया.
अंशिका ने कनिष्का को डांटते हुए कहा : चुप कर कन्नू, जब पता था की इतना दर्द होगा तो अब बच्चो की तरह से क्यों रो रही है, चुप नहीं होगी तो मैं विशाल से कह देती हूँ की अपना लंड निकाल ले...बोल
कनिष्का: नहीं दीदी...ऐसा मत करना... मैं कोशिश तो कर रही हूँ. पर इसका लंड है ही इतना मोटा की अगर ये मेरी चूत में भी जाता तो शायद मुझे दर्द होता, क्योंकि मेरे बॉय फ्रेंड के मुकाबले ये काफी मोटा और लम्बा है...पर कोई बात नहीं मैं कोशिश करती हूँ की चुप रहू...
अब ओखली में सर दे ही दिया है तो मुसल से क्या डरना..ये सोचते हुए उसने दुबकते हुए अपने रोने पर कण्ट्रोल करना शुरू कर दिया.
पर उसके मुंह से अभी भी दर्द भरी आंहे फुट रही थी और मेरा तो ये हाल था की जैसे मैंने अपना लंड गन्ने पिसने वाली मशीन में डाल दिया है, और उसके दोनों पाट मेरे लंड को पीसने में लगे हुए हैं.
इतना कसाव मैंने आज तक अपने लंड के चारो तरफ महसूस नहीं किया था, पर मजा भी आने लगा था अब. कनिष्का को अभी भी सुबकता हुआ देखकर अंशिका के मन में एक विचार आया..
वो अंशिका के नीचे घुस कर उसके चेहरे की तरफ अपनी चूत करके लेट गयी. कनिष्का कुछ समझ पाती, इससे पहले ही अंशिका ने अपनी छोटी बहन का मुंह अपनी चूत के ऊपर दबा दिया और जैसा उसने सोचा था वैसा ही हुआ, अंशिका की चूत के रसीले रस पर मुंह लगाते ही कनिष्का का रोना तो बंद हो ही गया, उसके मीठे रस को चाटते हुए उसके मुंह से आंहे भी निकलने लगी.
मैंने भी मौका देखकर एक करार शोट मारा और अपना पूरा का पूरा लंड उसकी गांड के छेद में उतार दिया.
कनिष्का की गांड के रिंग ने मेरे लंड को पूरी तरह से जकड़ा हुआ था, मानो उसे फांसी दे रही हो. पर मैंने भी अपना पूरा जोर लगाकर, उसके कुल्हे पकड़कर, लंड बाहर खींचा और फिर पूरी जान लगाकर फिर से उसे अन्दर धकेल दिया...ऐसा दस पंद्रह बार करने के बाद अब मेरा लंड गांड में किसी पिस्टन की तरह बिना रोक टोक के आ जा रहा था.
मैंने सामने लेटी हुई अंशिका की आँखों में देखा, जो आधी खुली और आधी बंद थी, उसकी बहन चाट ही इस तरीके से रही थी उसकी चूत की वो अपना मुंह खोले अपनी सिस्कारियों से उसके काम की तारीफ करती जा रही थी.
आआआआआआअह्ह्ह .....म्मम्म....ओह्ह्ह्ह....कन्नू......अह्ह्हह्ह......सक.....मीईईईईई.......अह्ह्हह्ह्ह्ह .....हाआर्दर......जोर से......... मम.........म्न्म्मम्म्म्म ........येस्स्सस्स्स्सस्स्स.....ओह एस.....ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ.....
मेरे लंड और अंशिका के बीच में कनिष्का का शरीर था, कनिष्का की गांड मारते हुए मुझे ऐसा लग रहा था की मेरा लंड कनिष्का के शरीर को पार करता हुआ उसकी चूत के अन्दर तक जा रहा है और उसकी चीके मेरे लंड की वजह से निकल रही है, ना की कनिष्का के चाटने की वजह से..वैसे ये बात थी भी सही, क्योंकि मैं जितना तेज शोट उसकी गांड में मारता, कनिष्का अपना मुंह उतनी ही तेजी से अपनी बहन की चूत के अन्दर तक ले जाती और फिर अंशिका ने अपनी चूत को कनिष्का के मुंह के ऊपर रगड़ते हुए जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया और अगले ही पल उसकी चूत से सतरंगी फुव्वारा निकलने लगा और कनिष्का के चेहरे को भिगोता हुआ नीचे की और बहने लगा....
मैंने भी आज तक अंशिका के चेहरे पर इतने कामुक एक्सप्रेशन नहीं देखे थे....उसके चेहरे की तरफ देखते हुए, मैंने कनिष्का की गांड मारने की गति और भी तेज कर दी और अगले ही पर मेरे लंड से सफ़ेद रंग का गाड़ा माल निकल कर उसकी गांड में जाने लगा. और यही काफी था कनिष्का की चूत से एक और बार रस का झरना निकालने के लिए......
वो भी लोमड़ी की तरह ऊपर मुंह करके जोर-जोर से सिस्कारियां लेने लगी...
आआआअह्ह्ह्ह .....विशाल्ल्ल.......म्मम्मम्म......आई एम् कमिंग.......आआआअह्ह्ह्ह .....
और फिर जब तूफ़ान थमा तो तीन-तीन निढाल शरीर एक गीले सोफे पर पड़े हुए गहरी साँसे ले रहे थे.
मेरा लंड सिकुड़कर फिर से छोटा हो गया पर गांड इतनी टाईट थी की अभी भी वो अपने आप बाहर निकल पाने में असमर्थ था, मैंने धीरे से उसे बाहर निकाला और उसके पीछे-पीछे मेरे रस का झरना बाहर निकल कर उसकी गांडनुमा पहाड़ियों से बहने लगा.
कनिष्का थोडा आगे होकर अपनी बहन के ऊपर गिर पड़ी. दोनों के चिपचिपे शरीर एक दुसरे के ऊपर गिरकर पसीने के गीलेपन की वजह से फिसल रहे थे.
अंशिका ने कनिष्का के चेहरे को ऊपर उठाया और पूछा : कन्नू...ऐ कन्नू...तू ठीक तो है न...
और ये कहते हुए उसका एक हाथ घूमकर उसकी गांड के छेद को टटोलने लगा, अंशिका को अपनी बहन से कुछ ज्यादा ही लगाव था, इसलिए उसकी पहली गांड मरवाई के बाद वो उसका हाल चाल पूछ रही थी.
कनिष्का ने आँखे बंद राखी और बुदबुदाई : हूँ,.....ठीक हूँ दीदी....अह्ह्हह्ह
और अचानक वो धीरे से चीखी, क्योंकि अंशिका की उँगलियाँ कनिष्का की गांड में घुसकर वहां के नुक्सान का जाएजा ले रही थी..
अंशिका ने एक गहरी सांस ली और उसके गालो को अपने हाथो में पकड़कर बोली: देख कन्नू...जो तू कह रही है और जो तू चाहती है, वो बड़ा ही मुश्किल काम है, हम दोनों एक दुसरे के सामने एक लड़के के सामने अपना सब कुछ परोस कर बैठ जाए, मुझे विशाल पर पूरा विशवास है की वो इस बात को किसी और से कभी नहीं करेगा... (उसने मेरी तरफ आशा पूर्ण नजरो से देखा, मैंने भी अपनी पलके झुका कर उसे आश्वासन दिया)
वो आगे बोली: और तेरी हर बार की जिद्द की तरह आज भी मैं तेरे सामने हार गयी...
अंशिका ने अपनी स्वीकृति दे डाली अपनी छोटी बहन को.
कनिष्का ने ख़ुशी के मारे अंशिका को जोर से गले लगा लिया...: ओह...दीदी...आई लव यु और अगले ही पल उसने जो किया उसे देखकर मेरे साथ-साथ अंशिका भी दंग रह गयी....
कनिष्का ने अंशिका के चेहरे को पकड़ा और उसके होंठो पर अपने होंठ लगा दिए और उन्हें जोर-जोर से चूसने लगी...
मुझे पक्का विशवास था की इस तरह की किस इन दोनों बहनों में पहली बार हो रही है....क्योंकि अंशिका अपनी फटी हुई आँखों से , अंशिका के होंठो से छुटने की कोशिश कर रही थी. और कभी मुझे और कभी उसे देख रही थी....
और फिर कनिष्का ने अंशिका के दांये मुम्मे के ऊपर अपना हाथ रखा और उसे जोर से दबा दिया...अंशिका के निप्पल तो पहले से ही खड़े होकर आने वाले पलों के बारे में सोचकर पुलकित हो रहे थे, अपनी बहन के हाथो का स्पर्श पाते ही उनमे करंट सा दौड़ गया. और आनंद के मारे अंशिका की आँखे भी कनिष्का की तरह से बंद होती चली गयी.....
इतना इरोटिक सीन देखकर तो मैं पागल सा हो गया...दुनिया की सबसे सेक्सी बहने एक दुसरे को चूसने चाटने में लगी हुई थी और मुझे और मेरे लंड को मालुम था की आज का पूरा दिन कैसे बीतने वाला है....मैंने अपना पायजामा एक झटके में उतार फेंका और ऊपर से टी शर्ट भी. और घुस गया नंगा होकर उन दोनों बहनों के बीच और अपने होंठ भी घुसा दिए उन दोनों के थूक से भीगे हुए लबो के दरम्यान.......
अंशिका पर ना जाने किस बात का खुमार चड़ा हुआ था की आज वो पहले से ज्यादा उत्तेजित लग रही थी, शायद आने वाले पलों की कल्पना करके उसके हाव-भाव अलग ही लग रहे थे.
मेरे होंठो में जैसे ही अंशिका के होंठ आये वो उन्हें कच्चे चिकन की तरह चबाने में लग गयी और उनका जूस निकाल कर पीने लगी, आज तक उसने इतनी तेजी से मेरे होंठो को नहीं चबाया था, कनिष्का ने मेरी कमर के ऊपर हाथ रखा और मेरे गालों के ऊपर जोरदार चुम्मा दे दिया, और फिर मुझे और अपनी बहन को आराम से देखते हुए वो अपनी लेफ्ट ब्रेस्ट को मसलती हुई बड़ी ही कामुक नजरों से हम दोनों को देखने लगी.
मैंने अंशिका के नंगे पेट वाले हिस्से पर हाथ रखे और उसकी नाभि वाले भाग पर अपनी उँगलियाँ रगड़ने लगा, और धीरे-धीरे अपनी उँगलियाँ नीचे की तरफ खिसकाने लगा, अपनी चूत की तरफ बड़ते हुए मेरे लम्बे हाथो के एहसास ने अंशिका की साँसों की गति और भी तेज कर डाली, और उसने एक गहरी सांस लेकर अपना पेट और भी अन्दर कर लिया, मेरी उँगलियों को रास्ता मिल गया गुफा में जाने का और मैंने अपना पंजा उसके पेट से सटा कर अन्दर की तरफ धकेल दिया..
और मेरे हाथों का दबाव इतना तेज था की वो सीधा उसकी चूत के ऊपर जाकर ठहर गया, और अब मेरे हाथों के नीचे थी उसकी गीली कच्छी...मैंने अपना पूरा पंजा जोर से उसकी भीनी खुशबु छोडती हुई चूत के ऊपर जमा दिया. और ऐसा करते हुए मुझे लगा की मैंने किसी संतरे को जोर से दबा कर निचोड़ दिया है, क्योंकि उसकी चूत से इतना रस निकल कर नीचे गिरने लगा मानो कोई गुब्बारा फटा हो वहां..
अंशिका: आआआअह्ह्ह्ह .........ओग्गग्ग्ग्ग.....
अपनी बहन को कामुकता की चादर में लिप्त देखकर कनिष्का तो पागल ही हो गयी...उसने अंशिका की साडी के पल्लू को पकड़ा और घूम घूमकर उसे उतारना शुरू कर दिया.
जैसे-जैसे साडी निकलती जा रही थी, उसकी साँसे तेज होती जा रही थी..मेरे हाथ लगाने भर से ही वो एक बार तो झड ही चुकी थी..आज और क्या होगा उसके साथ, ये शायद सोच-सोचकर वो आँखे बंद किये हुए मंद-मंद मुस्कुराने लगी थी और जब अंशिका की साडी पूरी तरह से उतर गयी तो मैंने पेटीकोट के नाड़े को अपने हाथो से पकड़ा और उसे जोर से खींच दिया, अन्दर का नजारा पर्दा गिरते ही हम दोनों के सामने आ गया, अंशिका की आँखे अभी तक बंद थी, वो शायद शर्मा रही थी, अपनी बहन के सामने..
कनिष्का और मैं उसके एरोटिक रूप को देखकर अपनी जीभ होंठो पर फिर रहे थे.
अंशिका का गोरा और भरा हुआ बदन अब सिर्फ ब्लाउस और पेंटी में हम दोनों के सामने था, नीचे उसने हाई हील की सेंडल पहनी हुई थी..
कनिष्का ने अपनी केप्री और टॉप को उतार कर एक कोने में उछाल दिया, और जैसे ही उसकी ब्रा में कैद मुम्मे मेरी नजरों के सामने आये , मैं अंशिका को भूल कर उसकी तरफ देखने लगा, मैंने अपने हाथ का दबाव उसकी चूत के ऊपर से हटा लिया. मेरा हाथ की पकड़ चूत के ऊपर से हटते ही उसने अपनी आँखे खोल दी और मुझे अपनी बहन की तरफ घूरते हुए देखा और जब उसने मेरी आँखों का पीछा करते हुए कनिष्का को देखा तो वो झुक कर अपनी पेंटी को अपनी जांघो से नीचे खिसका रही थी..मेरा हाथ अभी भी अंशिका की गीली कच्छी में था पर मेरा पूरा ध्यान कनिष्का की तरफ था..
कनिष्का ने जैसे ही अपनी पेंटी उतार कर बाहर की, मेरे और अंशिका के सामने उसकी गुलाबी रंग की, ताजा तरीन, बिना बालों वाली चूत आ गयी, लगता था की मेरे लिए ही तैयार होकर आई थी वो और फिर मेरी तरफ देखते हुए उसने अपने हाथ पीछे किये और अपनी ब्रा को भी अपने बदन से जुदा करते हुए मेरी तरफ उछाल दिया और अब वो पूरी तरह से नंगी होकर खड़ी थी...उसकी ब्रेस्ट का साईज अंशिका के मुकाबले काफी छोटा था, पर लाजवाब थी वो भी, एकदम सामने देख रहे थे उसके निप्पल, इतना कसाव था उसके मुम्मो में..चूत की शेप भी काफी लुभावनी थी, मानो कोई नंगी पहाड़ी, जिसपर जंगली घान्स्फूंस का नामो निशान भी नहीं है, सिर्फ चिकने और बड़े-बड़े पत्थर है.
मैंने आगे बढकर उसके गले में हाथ डाला और उसे अपनी तरफ खींच लिया, मैंने जैसे ही अपना दूसरा हाथ अंशिका की चूत से खींचना चाह, उसने उसे रोक लिया...मैंने एकदम से घूम कर उसकी तरफ देखा, पर उसकी नशीली आँखों में देखर मैं कुछ समझ न पाया, शायद वो मेरे हाथ की गर्मी और कुछ देर तक लेना चाहती थी, अभी थोड़ी देर पहले तो वो अपनी बहन को मेरे पास छोड़कर जाने की बात कर रही थी और अब मेरे हाथ को अपनी चूत से बाहर ही नहीं निकाल रही है, थोडा बहुत लालच तो हर इंसान के मन में आ ही जाता है ऐसे मौके पर, फिर चाहे दूसरी तरफ अपना कोई सगा क्यों न हो...
पर मुझे कोई प्रोब्लम नहीं थी, मैंने भी कोई जबरदस्ती नहीं की और अपना हाथ वहीँ रहने दिया और अपना दूसरा हाथ खिसका कर मैंने कनिष्का की चूत के ऊपर रख दिया और मैंने अपने होंठ कनिष्का के होंठो पर रख दिए...
नंगी कनिष्का मेरे हाथो का स्पर्श पाते ही किसी बेल की भाँती मुझसे लिपट गयी. अब मेरे एक हाथ में अंशिका और दुसरे में कनिष्का की चूत थी और दोनों से इतना पानी निकल रहा था की मेरे दोनों हाथो में चिपचिपापन होने लगा था...
कनिष्का मेरे होंठो को चूसने में अपना पूरा जोर लगा रही थी और दूसरी तरफ अंशिका ने भी मौका पाकर अपना ब्लाउस और ब्रा उतार डाले. और हाथ नीचे करके अपनी पेंटी भी...
वो अजंता की मूरत बन गयी और कनिष्का अलोरा की और दोनों नंगी बहनों को थामे हुए मेरा क्या हाल हो रहा होगा, आप दोस्त लोग तो समझ ही सकते हैं..
मैं खड़े हुए थक चूका था, मैं जाकर सोफे पर बैठ गया और उन दोनों बहनों को देखते हुए अपने लंड के ऊपर उनकी चूत का रस रगड़ने लगा...
क्या सीन था यारो, एक तरफ थोड़ी भरी पूरी अंशिका थी और दूसरी तरफ ताजा-ताजा जवान हुई कनिष्का...पर दोनों थी ग़जब का माल.
मैंने अंशिका को अपनी तरफ आने का इशारा किया और वो बेसब्री से आगे बड़ी और सीधा मेरी गोद में आकर बैठ गयी, अपने हाथ मेरी गर्दन में लपेटे और मुझे पागलो की तरह से चूसने लगी और अपनी मोटी गांड को मेरे खड़े हुए लंड के ऊपर मसलने लगी और एक बार तो मेरा लंड उसकी चूत के मुंहाने पर फंस ही गया...उसके मुंह से एक तेज आवाज निकली. जिसे सुनकर मेरे साथ-साथ कनिष्का भी अपनी बड़ी बहन की तरफ देखने लगी..
वो शायद भूल गयी थी की पहले कनिष्का की गांड मारनी है मुझे और फिर बाद में अगर मौका मिला तो अंशिका का नंबर आएगा..
पर अपनी चूत में आया मेरा लंड शायद अंशिका खोना नहीं चाहती थी...इसलिए इधर-उधर फिसल कर उसने मेरे लंड रूपी सांप को अपनी चूत में निगलना शुरू कर दिया...
मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आपको और अपने लंड को उसकी चूत में जाने से बचा रखा था...पर अचानक अंशिका ने अपनी टांग उठा कर मेरी दोनों जांघो के ऊपर रख दी और मेरी तरफ मुंह करते हुए उसने मेरा लंड एक ही बार में अपनी चूत में उतार लिया...
आआआआआअह्ह्ह म्मम्मम्मम......विश्लल्ल्ल.........अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....म्मम्मम्म....
मैं उसके इस रूप के देखकर हैरान था और शायद कनिष्का भी अपनी बहन के तेवर देखकर ज्यादा खुश नहीं थी...वो सोच रही थी की अभी तो कुछ देर पहले त्याग की मूरत बन रही थी और जैसे ही लंड देखा अपनी चूत के अन्दर डाल लिया और मुझे यहाँ तड़पता हुआ छोड़ दिया. पर हम दोनों गलत थे..
अपनी चूत में मेरा पूरा लंड लेने के बाद उसने एक दो झटके दिए, और फिर एकदम से उठ गयी मेरे ऊपर से...
मुझे अभी तो उसकी मखमली चूत के एहसास से मजे आने शुरू हुए थे , एकदम से उसने जब वो मख्मलिपन हटा लिया तो मैं भी हैरान रह गया.
अंशिका ने अपनी बहन को देखा और उसे लेकर सोफे पर घोड़ी वाले आसन में आधा लिटा दिया और मेरी तरफ देखकर बोली. : चलो अब डालो इसकी गांड में अपना घोडा...चिकना कर दिया है इसे मैंने अपने रस से..
अंशिका ने मेरे लंड को अपनी चूत में डुबोकर अपना रस लगा दिया था ताकि उसकी बहन कनिष्का की गांड में घुसाने में मुझे ज्यादा जोर न लगाना पड़े. कोई और होता तो लंड का रस निचोड़ने के बाद ही उठता...पर बड़ी बहन का ऐसा प्यार और लगाव हर जगह देखने को नहीं मिलता. पर ये समय भावुक होने का नहीं था...मैंने कनिष्का की गांड के छेद को अपनी ऊँगली से फेला कर देखा..मेरा लंड तो अंशिका की चूत के रस में नहाकर पूरा लुब्रिकेट हो चूका था..
अचानक अंशिका आगे आई और अपनी चूत में हाथ डालकर थोडा और तेल निकाला और कनिष्का की गांड के छेद के ऊपर मलने लगी और अपनी दो और फिर तीन उँगलियाँ उसने एक के बाद एक उसकी गांड के छेद में घुसा डाली.
फिर मेरी तरफ देखकर अंशिका बोली: अब डालो विशाल... पर धीरे से करना, मेरी कन्नू का पहली बार है यहाँ से.
और फिर बड़ी बहन वाला प्यार दिखाते हुए, अंशिका ने उसके नितम्ब पर एक जोरदार चुम्मा दे दिया. मेरे लंड को उसने अपने हाथो से पकड़कर बोर्डर तक छोड़ा और फिर मुझे धक्का मारने का इशारा किया.
कनिष्का की गांड फटने वाली थी, ये सोचकर उसकी गांड ऐसे ही फटे जा रही थी.
कनिष्का ने डरी हुई आँखों से अपनी बहन को देखा और उसके एक हाथ को पकड़कर अपनी मुंह के ऊपर भींच लिया, ताकि जब वो चीखे तो उसकी बहन का हाथ उसके पास हो.
मैंने अपने गीले लंड का धक्का एक जोरदार शोट के जरिये उसकी गांड में लगाया. निशाना बिलकुल सही था, लंड का सुपाड़ा सरहद को तोड़ता हुआ उसकी गांड के छेद के रिंग में जा फंसा .
आआआआआअह्ह्ह .......मर्र्र्रर्र्र गयी.......दीदी ......
उसकी आँखों से आंसू निकल आये थे...कनिष्का ने अपनी बहन का हाथ इतनी तेजी से अपनी तरफ खींचा की वो लुडक कर उसके मुंह पर जा गिरी .
अंशिका के मोटे-मोटे चुचे कनिष्का के चेहरे पर जा लगे. कनिष्का का मुंह तो वैसे ही चीखने की वजह से खुला हुआ था, सो अंशिका ने उसे चुप करवाने के लिए अपना एक मुम्म उसके मुंह के अन्दर डाल दिया और अगले ही पल कनिष्का के पेने दांत अपनी बहन के मुम्मे को चूसने और काटने में लग गए...
मैंने एक और तेज धक्का मारकर अपना लंड आधे से ज्यादा उसकी गांड में उतार दिया. कनिष्का की गांड फट चुकी थी...उसे बड़ा ही तेज दर्द हो रहा था.
उसके मुंह में अंशिका का स्तन था और वो गूं गूं की आवाजे निकाल रही थी और सोफे पर छटपटा रही थी.
अंशिका: धीरे करो विशाल... कन्नू को दर्द हो रहा है...
मैं: ओके ...
और फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला और आधे लंड से ही उसकी गांड मारने लगा.
कनिष्का ने चूस चूसकर अंशिका के मुम्मे को लाल सुर्ख कर दिया था और उसे भी शायद दर्द होने लगा था वहां , पर कनिष्का के दर्द के आगे ये अंशिका का दर्द कुछ भी नहीं था...
मैंने एक दो मिनट रुकने के बाद फिर से अपने लंड को और अन्दर धकेलना शुरू कर दिया. कनिष्का ने ब्रेस्ट चुसना छोड़कर फिर से रोना शुरू कर दिया.
अंशिका ने कनिष्का को डांटते हुए कहा : चुप कर कन्नू, जब पता था की इतना दर्द होगा तो अब बच्चो की तरह से क्यों रो रही है, चुप नहीं होगी तो मैं विशाल से कह देती हूँ की अपना लंड निकाल ले...बोल
कनिष्का: नहीं दीदी...ऐसा मत करना... मैं कोशिश तो कर रही हूँ. पर इसका लंड है ही इतना मोटा की अगर ये मेरी चूत में भी जाता तो शायद मुझे दर्द होता, क्योंकि मेरे बॉय फ्रेंड के मुकाबले ये काफी मोटा और लम्बा है...पर कोई बात नहीं मैं कोशिश करती हूँ की चुप रहू...
अब ओखली में सर दे ही दिया है तो मुसल से क्या डरना..ये सोचते हुए उसने दुबकते हुए अपने रोने पर कण्ट्रोल करना शुरू कर दिया.
पर उसके मुंह से अभी भी दर्द भरी आंहे फुट रही थी और मेरा तो ये हाल था की जैसे मैंने अपना लंड गन्ने पिसने वाली मशीन में डाल दिया है, और उसके दोनों पाट मेरे लंड को पीसने में लगे हुए हैं.
इतना कसाव मैंने आज तक अपने लंड के चारो तरफ महसूस नहीं किया था, पर मजा भी आने लगा था अब. कनिष्का को अभी भी सुबकता हुआ देखकर अंशिका के मन में एक विचार आया..
वो अंशिका के नीचे घुस कर उसके चेहरे की तरफ अपनी चूत करके लेट गयी. कनिष्का कुछ समझ पाती, इससे पहले ही अंशिका ने अपनी छोटी बहन का मुंह अपनी चूत के ऊपर दबा दिया और जैसा उसने सोचा था वैसा ही हुआ, अंशिका की चूत के रसीले रस पर मुंह लगाते ही कनिष्का का रोना तो बंद हो ही गया, उसके मीठे रस को चाटते हुए उसके मुंह से आंहे भी निकलने लगी.
मैंने भी मौका देखकर एक करार शोट मारा और अपना पूरा का पूरा लंड उसकी गांड के छेद में उतार दिया.
कनिष्का की गांड के रिंग ने मेरे लंड को पूरी तरह से जकड़ा हुआ था, मानो उसे फांसी दे रही हो. पर मैंने भी अपना पूरा जोर लगाकर, उसके कुल्हे पकड़कर, लंड बाहर खींचा और फिर पूरी जान लगाकर फिर से उसे अन्दर धकेल दिया...ऐसा दस पंद्रह बार करने के बाद अब मेरा लंड गांड में किसी पिस्टन की तरह बिना रोक टोक के आ जा रहा था.
मैंने सामने लेटी हुई अंशिका की आँखों में देखा, जो आधी खुली और आधी बंद थी, उसकी बहन चाट ही इस तरीके से रही थी उसकी चूत की वो अपना मुंह खोले अपनी सिस्कारियों से उसके काम की तारीफ करती जा रही थी.
आआआआआआअह्ह्ह .....म्मम्म....ओह्ह्ह्ह....कन्नू......अह्ह्हह्ह......सक.....मीईईईईई.......अह्ह्हह्ह्ह्ह .....हाआर्दर......जोर से......... मम.........म्न्म्मम्म्म्म ........येस्स्सस्स्स्सस्स्स.....ओह एस.....ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ.....
मेरे लंड और अंशिका के बीच में कनिष्का का शरीर था, कनिष्का की गांड मारते हुए मुझे ऐसा लग रहा था की मेरा लंड कनिष्का के शरीर को पार करता हुआ उसकी चूत के अन्दर तक जा रहा है और उसकी चीके मेरे लंड की वजह से निकल रही है, ना की कनिष्का के चाटने की वजह से..वैसे ये बात थी भी सही, क्योंकि मैं जितना तेज शोट उसकी गांड में मारता, कनिष्का अपना मुंह उतनी ही तेजी से अपनी बहन की चूत के अन्दर तक ले जाती और फिर अंशिका ने अपनी चूत को कनिष्का के मुंह के ऊपर रगड़ते हुए जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया और अगले ही पल उसकी चूत से सतरंगी फुव्वारा निकलने लगा और कनिष्का के चेहरे को भिगोता हुआ नीचे की और बहने लगा....
मैंने भी आज तक अंशिका के चेहरे पर इतने कामुक एक्सप्रेशन नहीं देखे थे....उसके चेहरे की तरफ देखते हुए, मैंने कनिष्का की गांड मारने की गति और भी तेज कर दी और अगले ही पर मेरे लंड से सफ़ेद रंग का गाड़ा माल निकल कर उसकी गांड में जाने लगा. और यही काफी था कनिष्का की चूत से एक और बार रस का झरना निकालने के लिए......
वो भी लोमड़ी की तरह ऊपर मुंह करके जोर-जोर से सिस्कारियां लेने लगी...
आआआअह्ह्ह्ह .....विशाल्ल्ल.......म्मम्मम्म......आई एम् कमिंग.......आआआअह्ह्ह्ह .....
और फिर जब तूफ़ान थमा तो तीन-तीन निढाल शरीर एक गीले सोफे पर पड़े हुए गहरी साँसे ले रहे थे.
मेरा लंड सिकुड़कर फिर से छोटा हो गया पर गांड इतनी टाईट थी की अभी भी वो अपने आप बाहर निकल पाने में असमर्थ था, मैंने धीरे से उसे बाहर निकाला और उसके पीछे-पीछे मेरे रस का झरना बाहर निकल कर उसकी गांडनुमा पहाड़ियों से बहने लगा.
कनिष्का थोडा आगे होकर अपनी बहन के ऊपर गिर पड़ी. दोनों के चिपचिपे शरीर एक दुसरे के ऊपर गिरकर पसीने के गीलेपन की वजह से फिसल रहे थे.
अंशिका ने कनिष्का के चेहरे को ऊपर उठाया और पूछा : कन्नू...ऐ कन्नू...तू ठीक तो है न...
और ये कहते हुए उसका एक हाथ घूमकर उसकी गांड के छेद को टटोलने लगा, अंशिका को अपनी बहन से कुछ ज्यादा ही लगाव था, इसलिए उसकी पहली गांड मरवाई के बाद वो उसका हाल चाल पूछ रही थी.
कनिष्का ने आँखे बंद राखी और बुदबुदाई : हूँ,.....ठीक हूँ दीदी....अह्ह्हह्ह
और अचानक वो धीरे से चीखी, क्योंकि अंशिका की उँगलियाँ कनिष्का की गांड में घुसकर वहां के नुक्सान का जाएजा ले रही थी..