07-10-2020, 12:58 PM
मैं: हाय...
अंशिका: क्या यार...इतनी देर से फोन कर रही थी...कहाँ थे?
मैं: वो...मैं ..नहा रहा था...
अंशिका: ठीक है...अच्छा बोलो...आज का क्या प्रोग्राम है...
मैं: आज का...क्या मतलब?
अंशिका (धीरे से): मुझे कल वाली बाते याद आ रही है सुबह से...समझे..अब बोलो, आज का क्या प्रोग्राम है..
मैं: समझ गया की अंशिका की चूत में खुजली हो रही है अब...
मैं: ओके....तुम कहाँ हो अभी....
अंशिका: मैं कॉलेज में हूँ...दो बजे तक फ्री हो जाउंगी...आ जाऊ क्या फिर...तुम्हारे घर...
मैं: ओके...ओके...आ जाना...
अंशिका: ओह्ह....वाव....थेंक्स....ठीक है फिर मिलते हैं...तीन बजे तक...लंच एक साथ करेंगे. और फिर...
मैं: और फिर क्या...
अंशिका: बदमाश...मैं आकर बताती हूँ तुम्हे तो...ओके..बाय...
मैंने फ़ोन रख दिया और नीचे चल दिया नाश्ता करने. मैंने अपने पुरे कपडे पहन लिए, ताकि मुझे आधा या पूरा नंगा देखकर स्नेहा का मन फिर से न कर पड़े, मैं अब सीधा अंशिका को ही चोदना चाहता था, स्नेहा के साथ और मजे लेकर और एनर्जी खर्च नहीं करना चाहता था अब मैं.
स्नेहा नीचे किचन में खड़ी हुई ब्रेड ओम्लेट बना रही थी, उसने सिर्फ पेंटी और ब्रा पहनी हुई थी. मुझे पुरे कपड़ो में देखकर उसने कहा : बड़ी जल्दी कपडे पहन लिए..मुझे तो लगा की आज पूरा दिन तुम ऐसे ही रहोगे..
मैं: वो दरअसल मुझे कहीं जाना है अभी..
मेरी बात सुनते ही वो रुक सी गयी.
स्नेहा: क्या यार...मैंने आज तुम्हारी वजह से कॉलेज से बंक मारा है. मैंने सोचा था की पूरा दिन तुम्हारे साथ रहूंगी..
ये कहते हुए वो मेरी तरफ आ गयी, उसका चहरा उतर सा गया था. अभी तो सिर्फ ग्यारह ही बजे थे, उसके कॉलेज से घर जाने में भी अभी 2 घंटे का टाइम था और अंशिका ने तो दो बजे के बाद ही आना था. मैंने स्नेहा को अपनी गोद में बिठाया और उसके गाल पर एक किस्स कर दी.
मैं: ओह्ह माय बेबी... नाराज क्यों होती हो... मैं कौनसा तुम्हे जाने को कह रहा हूँ, तुम्हे तो घर वैसे भी एक बजे ही जाना है न... ठीक है फिर, मैं तुम्हारे घर जाने के बाद ही जाऊंगा..
मेरी बात सुनते ही वो खुश हो गयी और मुझसे लिपट गयी..मैं उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरने लगा. तभी कुछ जलने की स्मेल आई और वो चीखती हुई भाग खड़ी हुई..: हे भगवान्....मेरा अंडा...
उसका अंडा...मतलब, तवे पर रखा हुआ आमलेट जल चूका था. उसका चेहरा रुआंसा सा हो गया. जिसे देखकर मेरी हंसी निकल गयी. मुझे हँसता हुआ देखकर वो मुझे मारने को दौड़ी और बोली: अभी मजा चखाती हूँ..अब तो तुम्हारे अंडे भी गए समझो...
उसकी बात का मतलब समझते ही मैं सर पर पैर रखकर भागने लगा. वो ब्रा पेंटी में मेरे पीछे भागकर मुझे पकड़ने की कोशिश करने लगी और अंत में मुझे उसने मेरे कमरे में घेर ही लिया. मेरे पीछे सिर्फ मेरा बेड था, कोई और रास्ता नहीं था निकलने का..
मैं: ओके...बाबा...सोरी...गलती हो गयी...अब नहीं हंसुगा..
पर वो बड़े ही अजीब तरीके से मुझे घूरते हुए मेरी तरफ आती जा रही थी और जैसे ही मैं बेड से टकरा कर उसपर गिरा, वो उछलकर मेरी टांगो के बीच आ बैठी और अपना हाथ सीधा मेरे लंड वाले हिस्से पर रख दिया..उसके नन्हे हाथ अपने बुलडोजर के ऊपर पाते ही मेरा लंड उसकी चूत को रोंदने के लिए फिर से व्याकुल हो उठा..
अभी थोड़ी ही देर पहले मैंने उसकी दो बार मारी थी और अंशिका के लिए भी मुझे अपनी स्ट्रेंथ बचा कर रखनी थी. पर अभी वो इस तरह से मेरे लंड को सहला रही थी की मुझे बाद में क्या करना है और किसके लिए करना है, उसका कोई होश नहीं रहा और मैंने भी उसकी ब्रा को नीचे करके उसके तने हुए निप्पल से खेलना शुरू कर दिया...
स्नेहा: कितना आसान है तुम लडको को सेक्स के लिए मनाना....
बात तो वो सही कह रही थी और आता भी क्या है हम लंड वालो को...
स्नेहा ने झटके से मेरा बोक्स्सर नीचे खींच दीया और जब उसके सामने मेरा लहराता हुआ सांप आया तो उसने उसे अपने हाथो में समेट कर ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया...पर अपना मुंह नहीं लगाया और फिर जब उसने अपनी जीभ बाहर निकाली तो मेरे लंड को छोड़ कर मेरी बाल्स को चाटने लगी. मुझे ये बड़ा अजीब सा लगा...पर मजा भी आ रहा था और फिर उसने झुक कर अपने रसभरी जैसे होंठ मेरी बाल्स के ऊपर रख दिए और उन्हें चूसने लगी, जैसे वो मेरे होंठ हो और उनमे से कोई जूस निकल रहा हो...उसकी नाक मेरे लंड से टकरा रही थी और उसका हाथ मेरे लंड को ऊपर नीचे करने में लगा हुआ था और फिर उसने अपना मुंह पूरा खोला और एक ही बार में मेरी दोनों बाल्स को अन्दर निगल लिया और उन्हें आम की तरह से चूसने लगी..मेरे आनंद की तो सीमा ही नहीं रही...मैंने उसके द्वारा ऐसा ट्रीटमेंट एक्स्पेक्ट ही नहीं किया था..
फिर उसने मेरी बाल्स को बाहर निकाला और मुझसे कहा : अब बोलो...खा जाऊ क्या तुम्हारे ये अंडे... उड़ाओगे मेरा मजाक आज के बाद... बोलो....
मैंने हँसते हुए कहा : अगर तुम मेरी बात से नाराज होकर इसी तरह की सजा देती रहोगी तो हर बार उड़ाऊंगा तुम्हारा मजाक....
मेरी बात सुनते ही, उसने हँसते हुए मेरे अन्डो को फिर से अपने मुंह में डाला और उन्हें अपनी जीभ और दांतों से मसाज देने लगी..उसका पूरा मुंह मेरे अन्डो से भर चूका था..वो साथ-२ मेरे लंड को भी ऊपर नीचे लारती जा रही थी...आज जैसा उत्तेजित तो मैंने कभी भी फील नहीं किया था. उसके मुंह में जाकर आज मेरी बाल्स कुछ ज्यादा ही बड़ी हो चुकी थी और उसे अब अपनी जीभ घुमाने में भी मुश्किल हो रही थी..पर फिर भी उसने अपने मुंह से उन्हें बाहर नहीं निकाला और ऊपर मुंह करे, मेरे लंड को मसलते हुए, वो लगी रही और जल्दी ही मेरे लंड से आनंद की वर्षा होने लगी और उसके फूल से चेहरे के ऊपर उछल-उछल कर गिरने लगी. स्नेहा का पूरा चेहरा मेरे लंड से निकली बर्फ से ढक कर सफ़ेद हो चूका था और जैसे ही मेरे अन्डो का साईज कम हुआ वो अपने आप उसके मुंह से फिसल कर बाहर निकल आये. उसने अपने हाथो की उँगलियों से अपने चेहरे को ऐसे पोंचा जैसे पसीना आया हो उसके चेहरे पर और फिर उन उँगलियों को वो चाट चाटकर साफ़ करने लगी...
मैं धम्म से बेड के ऊपर गिर पड़ा..
फिर उसने पास ही पड़े हुए टावल से अपना मुंह साफ़ किया और कहा : अब कभी पंगा मत लेना मुझसे... समझे और फिर से नीचे की तरफ चल दी. मैं भी उठा और नीचे जाकर बैठ गया, उसने फिर से आमलेट ब्रेड बनाया और हमने मिलकर ब्रेक फास्ट किया. उसके बाद वो सब कुछ समेटने लगी और मैं सोफे पर आकर अखबार पड़ने लगा.
वो कुछ देर में ही मेरे साथ आकर बैठ गयी और मेरे कंधे पर सर रखकर बोली: तुम बड़े गंदे हो...
मैं: मैं...गन्दा...कैसे??
स्नेहा: तुम्हारे अंडे खाने के बाद भी मैं भूखी ही रह गयी. तुम्हे तो मेरी कोई फ़िक्र ही नहीं है...
और अपनी लेफ्ट ब्रेस्ट को मेरी बाजू से घुसने लगी. साली...फिर से मुझे उकसा रही है..
मैं: यार...तुम भी न...समझा करो...मैं इंसान हूँ, कोई मशीन नहीं...थोडा तो टाइम दो मुझे रिचार्ज के लिए..
स्नेहा: और भी तो तरीके होते है...भूख मिटाने के...
और वो मेरे होंठो पर अपनी उंगलिया फिराने लगी..यानी वो कहना चाहती थी की जैसे उसने चूसकर मेरा जूस निकाला वैसे ही मैं भी उसे मजे दू...मुंह से..
मैंने टाइम देखा, एक बजने में अभी आधा घंटा था..मैंने सोचा ये मानेगी तो है नहीं, इसलिए जल्दी से इसे फारिग कर देना चाहिए और मैंने उसकी लम्बी और नंगी टांगो को ऊपर किया, उसकी पेंटी को नीचे खींचा , जो पूरी गीली हो चुकी थी अपने ही रस में डूब कर...जैसे ही मैंने उसकी गीली कच्छी उसकी चूत से जुदा की , उसके मुंह से एक तीखी सिसकारी निकल गयी....आआआआह्ह्ह्ह ......विशालल्लल्लल .....म्मम्म.. और अगले ही पल उसकी चूत से उतनी ही तीखी स्मेल निकल कर मेरे नथुनों से टकराई और मैंने अपना मुंह उसकी शहद से लबालब चूत में दे मारा... अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ .........म्मम्म..
शहद के बारे में सोचते ही मेरे दिमाग में एक आईडिया आया, मैं भागकर फ्रिज तक गया और उसमे से शहद की शीशी निकाल लाया...स्नेहा समझ गयी की मैं क्या करने वाला हूँ. मैंने ढक्कन खोलकर ठंडा शहद जैसे ही उसकी चूत के ऊपर डाला...
अग्ग्ग्गहह ह्ह्हह्ह्ह्ह ...........ओफ्फफ्फ्फ़ ..............मर्र्र्रर्र्र गयी............अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....
वो इतनी जोर से चीखी की मुझे भी डर लग गया की कहीं बाहर कोई ये न सोचे की अन्दर रेप हो रहा है...
मैंने अपनी जीभ से ठंडा शहद इकठ्ठा किया और उसी ठंडी जीभ को उसकी गर्म चूत की गहराईयों में उतार दिया. अन्दर से ठंडक का एहसास पाते ही उसकी कंपकपी सी छूट गयी और अगले ही पल उसकी चूत से गर्म रस की फुहार आकर मेरे चेहरे को भिगोने लगी. कमीनी ने मेरा सोफा पूरा गिला कर दिया.
मैंने जितना हो सका उसके रस को चाटकर साफ़ किया और फिर उठ कर बाथरूम मे अपना मुंह साफ़ किया और जींस और टी शर्ट पहन कर बाहर आ गया...वो भी अपने कपडे पहन चुकी थी और वापिस जाने के लिए तैयार थी...
स्नेहा: अब कब मिलेंगे...हम इस तरह...
मैं: जल्दी ही...अभी चलो, मुझे बेंक का काम निपटाना है और तुम्हे भी देर हो रही होगी...
स्नेहा ने मुझे आखिरी बार जोरदार किस किया और हम बाहर निकल आये...
मैंने उसे स्टेंड पर उतारा और मैं सीधा डोमिनोस के स्टोर में गया और अपने और अंशिका के लिए पिज्जा पेक करवाकर वापिस चल दिया...
अभी उसे आने में आधा घंटा और लगेगा, ये सोचते हुए मैंने जल्दी से घर की सफाई करनी शुरू कर दी, ताकि उसे कोई सबूत न मिल जाए की कल या आज सुबह यहाँ कोई आया था...मैंने पुरे घर में रूम फ्रेशनर डाल कर सेक्स की गंध को भी हटा दिया और मैं बैठकर अंशिका का वेट करने लगा..
सवा दो बजे मेरे घर की बेल बजी और मैं भागकर बाहर आया...दरवाजा खोला तो मैं हैरान रह गया. अंशिका के साथ कनिष्का भी थी.
एक बार तो मैं घबरा गया, क्योंकि मुझे ये बिलकुल भी आशा नहीं थी की अंशिका के साथ कनिष्का भी आ जायेगी, पर फिर मैंने अपने आप को संभाला और दोनों को अन्दर आने को कहा. अंशिका ने हमेशा की तरह कॉलेज की मेडम वाली साडी पहनी हुई थी और कनिष्का ने एक बिंदास सी केप्री और टी शर्ट.
अंशिका ने मेरे चेहरे पर आये सवाल शायद पढ़ लिए थे, की वो अंशिका को क्यों साथ में लेकर आ गयी?
अंशिका: विशाल, आज तो इतफ्फाक हो गया, मैं जिस बस से घर जा रही थी, वो बाहर सड़क पर ही खराब हो गयी, मैंने सोचा की तुमसे कह दूंगी की तुम अपनी बाईक पर मुझे घर छोड़ देना, और जब मैं यहाँ आ रही थी तो मुझे कनिष्का भी यहीं मिल गयी, वो अपनी इसी सहेली के घर आई थी, वो सामने वाली गली में रहती है शायद, तो मैं इसे भी ले आई...मुझे मालुम है की हम दोनों को एक साथ बाईक पर बिठाना थोडा मुश्किल होगा..पर कोई प्रोब्लम है तो हम ऑटो कर लेंगे...
मैं: अरे नहीं , कैसी बात करती हो अंशिका...इसमें मुश्किल की क्या बात है, मैंने इससे तो एक बार पांच लड़कियों को एक साथ बिठाया था अपनी बाईक पर...
इस बार अंशिका हैरान होकर बोली: पांच-पांच लडकिया, और तुम्हारी बाईक पर एक साथ....वाव....कैसे किया तुमने ये कारनामा...
मैं: दो आगे बैठ गयी, दो पीछे और एक मेरे सर के ऊपर....हा हा...
कनिष्का: हा हा..वैरी फन्नी ..
अंशिका भी मेरी मसखरी सुनकर मुस्कुराने लगी..
मैं: अरे बैठो तो सही, मैं कुछ लाता हूँ तुम दोनों के लिए..
और मैंने उन्हें सोफे पर बिठा दिया और भाग कर किचन में गया और कोल्ड ड्रिंक की बोतल निकाल कर उसे ग्लास में डालने लगा. तभी पीछे से कनिष्का अन्दर आ गयी..
कनिष्का: कोई हेल्प चाहिए क्या??
मैंने उसे देखा और उसका हाथ पकड़कर मैंने उसे फ्रिज के पीछे खींच लिया ताकि बाहर बैठी हुई अंशिका हमें न देख पाए
मैं: ये क्या पागलपन है, मुझे बता तो देती की तुम भी आ रही हो..
कनिष्का: मैं तो तुम्हे सरप्राईज देना चाहती थी..मुझे क्या पता था की आज फिर तुम्हारा प्रोग्राम है दीदी के साथ..मैं तो सीधा तुम्हारे घर आ रही थी, तभी सामने से एकदम दीदी आ गयी, मुझे मालुम की वो तुमसे ही मिलने आ रही थी, बस खराब होने का तो उन्होंने बहाना बनाया मुझे देखकर और मैंने भी कह दिया की मैं अपनी सहेली से मिलने आई थी और घर जा रही हूँ, तब दीदी ने कहा की विशाल के घर चलते है, वो अपनी बाईक से छोड़ देगा..
मैं: जो भी हो...पर तुम्हारे चक्कर में अब आज का दिन खराब जाएगा मेरा.
कनिष्का ने आगे बढकर मेरे गले में बाहे दाल दी : वाह जी वाह...तुम्हे तो अपनी ही फिकर है, हमारी क्या हालत है उसका कुछ अंदाजा भी है तुम्हे...अब तो तुमने दीदी के साथ सब कुछ कर ही लिया है, और वादे के मुताबिक अब तुम्हे मुझे प्यार करना है और ये तुम सोचो की कैसे करोगे..दीदी को भगा कर या उनके सामने ही...
उसके चेहरे पर एक इरोटिक एक्सप्रेशन आ गए ये सब कहते हुए..उसकी टी शर्ट के अन्दर कैद ब्रेस्ट के निप्पल्स भी साफ़ दिखाई देने लगे..
मेरा लंड तो उसकी बाते सुनकर पागलो की तरह पायजामे में ठोकरे मारने लगा और उसकी बाते सुनकर तो मुझे यही महसूस हो रहा था की वो अपनी बहन के सामने भी चुदने को तैयार है.
मैंने अपने हाथ उसकी कमर के ऊपर रखे और अपना चेहरा आगे करके उसे चूमने ही वाला था की तभी अंशिका की आवाज आई: कनिष्का...विशाल.....ये ...ये क्या कर रहे हो तुम दोनों...
ओह...फक्क्क ...अंशिका ने अन्दर आकर सब देख लिया था. मेरी तो हालत ही खराब हो गयी..पर कनिष्का के चेहरे को देखकर लगा की उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा..
अंशिका अपने मुंह पर हाथ रखे हुए कभी मुझे और कभी अपनी छोटी बहन को देखे जा रही थी और सोचने-समझने की कोशिश कर रही थी की ये कब से चल रहा है..
कनिष्का ने मोर्चा संभाला.
कनिष्का: इसमें विशाल की कोई गलती नहीं है दीदी...दरअसल ये मुझे शुरू से ही अच्छा लगता है..पर इसने सच्चाई से मुझे पहले ही बता दिया था की तुम दोनों के बीच क्या चल रहा है..मैंने तो विशाल को कई बार सब कुछ करने को कहा..पर इसने मना कर दिया..दो दिन पहले भी मैं आई थी इसके पास, पर इसने बताया की इसने आपसे वादा किया है की पहले ये आपके साथ सेक्स करेगा...फिर किसी और के साथ..
अंशिका मुंह फाड़े अपनी बहन की बाते सुन रही थी, उसे शायद ये विशवास नहीं हो पा रहा था की उसकी छोटी बहन के जिस्म में भी जवानी की आग भड़कने लगी है..जिसका उसे आज तक अंदाजा भी नहीं था.
अंशिका ने आगे कहा : दीदी, मुझे गलत मत समझना, पर होस्टल में मेरा एक बॉय फ्रेंड था, जिसके साथ मैंने..मैंने..सब कुछ किया है..एंड आई एम् नो मोर वर्जिन ......
अंशिका जिसे अपनी मासूम बहन समझकर आज तक उसे प्यार करती आई थी उसने इस बात की कल्पना भी नहीं की थी और शायद इस बात की भी नहीं की वो आज मेरे सामने खड़ी होकर ये बात काबुल करेगी..
कनिष्का: और दीदी...यहाँ आने के बाद मुझे अपने होस्टल वाले दिन बहुत याद आते हैं...आई होप यु अन्डरस्टेंड .. और एकदम से तो कोई मिल नहीं जाता, कॉलेज खुलने में भी टाईम है अभी जहाँ नए लड़के मिलेंगे... इसलिए... इसलिए विशाल को देखकर मेरे मन में ये सब आया...पर जैसा उसने कहा था की पहले वो आपके साथ और फिर किसी और के साथ...इसलिए मैं आई थी आज..क्योंकि मैं जानती हूँ की आप कल पूरा दिन यहाँ थी इसके साथ और आप दोनों ने..
अंशिका: चुप कर कन्नू....हमारे बीच जो भी चल रहा है, उससे तेरा कोई मतलब नहीं है...मैंने सोचा भी नहीं था की तू इतना आगे निकल चुकी है...मुझे तो अपने कानो पर विशवास ही नहीं हो रहा है...
अंशिका की आँखों से आंसू निकलने लगे थे. कनिष्का भाग कर अपनी बहन के पास गयी और उसके आंसू पोछने लगी : नहीं दीदी...आप प्लीस रोना मत....आप कहती हो तो मैं चली जाती हूँ अभी और कभी भी विशाल के पास नहीं आउंगी...आपकी कसम दीदी...पर आप रोना मत..मैं आपको दुखी नहीं देख सकती...गलती मेरी ही है, मैंने ही आपके फ्रेंड के ऊपर गलत नजर रखी, ये भी नहीं सोचा की आपके ऊपर क्या गुजरेगी...आप बैठो यहाँ, मैं चलती हूँ ..
और वो मुढ़कर जाने लगी.
मैं उन दोनों बहनों का प्यार देखकर भावुक सा हो उठा..
अंशिका: रुक जा...
अंशिका ने उसे रोका और उसका हाथ पकड़कर बाहर ले गयी, और सोफे पर बैठ गयी.
मैं: भी उनके पीछे-पीछे बाहर निकला.
अंशिका ने आगे बढकर अपनी बहन को गले से लगा लिया और अपने आंसू पोछकर बोली: तुझे जाने की कोई जरुरत नहीं है और जैसा विशाल ने तुझे बताया था, सब कुछ ठीक है, हम दोनों में एक ऐसी अन्डर स्टेंडिंग है जो शायद ही किसी में देखने को मिले, ये मेरी बातो और जज्बातों का पूरा ध्यान रखता है...इसके जैसा अन्डर स्टेंडिंग फ्रेंड मुझे कोई मिल ही नहीं सकता और जो ख़ुशी इसने मुझे दी है, उसका एहसास ही मुझे आज दोबारा खींच लाया है इसके पास आज यहाँ...पर तेरे दिल में भी इसके लिए कुछ है ये मैं नहीं जानती थी. जानती है, मैंने तुझे दुनिया की हर बुरी नजर से बचा कर रखा है, यहाँ तक की शुरू में जब विशाल भी तेरे बारे में कोई बात करता था तो मैं इसे भी डांट देती थी, पर मुझे क्या मालुम था की मेरी छोटी बहन अब बड़ी हो चुकी है. उसने भी अपनी जवानी की हर देहलीज पार कर ली है और मर्यादा के वो सारे बंधन भी वो तोड़ चुकी है जिसे सिर्फ शादी के बाद सही माना जाता है...पर इसमें तेरा भी कोई दोष नहीं है, मैं भी तेरी तरह इसी उम्र से गुजरी हूँ और मैंने भी वो सब किया है...पर ये जो उम्र का पड़ाव है, जहाँ शादी अभी काफी दूर है और आस पास के किसी भी इंसान पर किसी तरह का भरोसा करके अपने आप को उसे सोंपना काफी जोखिम भरा है..तब मैंने विशाल पर विशवास करके उसे अपना जिस्म सोंपा और इसने मेरे विशवास का सही तरह से पालन भी किया. हमारे बीच में कोई बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड जैसा या शादी करने जैसा कोई कमिटमेंट नहीं है. बस सच्चे दिल से एक दुसरे को मनचाही खुशिया देने का जज्बा है और तुझे भी ऐसा लड़का और कोई नहीं मिलेगा...इसलिए..इसलिए..तू यहाँ रुक और मैं चलती हूँ..
ओ तेरे की....यानी अंशिका अपनी बहन को मुझे सोंपकर जाने की बात कर रही थी...ताकि मैं उसे चोद सकू..वाव..
अंशिका की बात सुनकर कनिष्का ने अपनी बहन को गले से लगा लिया : मैं जानती थी दीदी, की तुम ऐसा ही करोगी, पर मैं नहीं चाहती की तुम मेरे लिए अपनी खुशियों की बलि दो...अगर..अगर आपको बुरा न लगे तो...हम दोनों..एक साथ..विशाल के साथ.....
बस कर यार...मार डालेगी क्या...साले मेरे लंड का तो बुरा हाल हो गया, कनिष्का की ये बात सुनकर, अभी दो दिन पहले ही मैं सपना देख रहा था दोनों बहनों को एक साथ नंगा करके चोदने का...मुझे क्या मालुम था की मेरा सपना इतनी जल्दी साकार होता दिखाई देगा...
कनिष्का की बात सुनकर अंशिका का चेहरा शर्म से लाल हो उठा : पागल है क्या...हम कैसे एक साथ...तू एक काम कर, आज तू रह जा इसके साथ, मैं कल आ जाउंगी...पर मुझसे नहीं होगा..तेरे सामने ही...समझा कर पगली, मुझे शर्म आती है...
उसकी साँसे ये कहते हुए तेजी से चल रही थी, चेहरा लाल हो चूका था और साडी के नीचे ब्लाउस और उसके नीचे छुपे निप्पल तन कर साफ़ दिखाई देने लगे थे...जिसे मेरे साथ-साथ कनिष्का ने भी महसूस किया था..वो समझ चुकी थी की अपनी दीदी को थ्रीसम के लिए मनाना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा अब...
कनिष्का: ओहो...दीदी...आप भी न...आप तो ऐसे कह रही हो जैसे आपने मुझे या मैंने आपको नंगा नहीं देखा कभी..
अंशिका: वो बात और है..घर पर चेंज करते हुए या नहाते हुए कभी-कभार एक दुसरे को देखना अलग बात है...पर किसी और के सामने और वो भे सेक्स करते हुए...नहीं ..नहीं...मैं नहीं कर पाउंगी..
और वो उठ कर जाने लगी. कनिष्का ने भाग कर उसे दुबारा पकड़ लिया..
कनिष्का: पर दीदी...आज तो आपको रुकना ही पड़ेगा...मुझे तो आज पहले से ही डर लग रहा है..
अंशिका: इसमें डरने वाली क्या बात है, तुने ही तो कहा था अभी की तू पहले भी कर चुकी है...
कनिष्का: हाँ दीदी...पर यहाँ से नहीं...(उसने अपनी गांड की तरफ इशारा किया), और मैंने परसों ही विशाल को कह दिया था की आई विल गिव माय दिस वर्जिनिटी टू हिम टुडे ....
अपनी छोटी बहन की बेशर्मी भरी बात सुनकर अंशिका फिर से हैरान होकर उसके चेहरे को देखने लगी..उसने शायद सोचा भी नहीं था की आज उसकी बहन यहाँ चूत नहीं गांड मरवाने के लिए आई है..
अंशिका: हे भगवान्....कन्न्नु...मैंने तो सोचा भी नहीं था की तू इतनी आगे निकल चुकी है इन सब मामलो में...
कनिष्का: प्लीस दीदी...ट्राई तो अन्डर स्टेंड ..मुझे याद है, पहली बार जब मैंने अपने बॉय फ्रेंड के साथ किया था तो कितनी तकलीफ हुई थी और गांड मरवाने में तो और भी ज्यादा दर्द होगा न. मैं चाहती हूँ की आप मेरे पास रहो उस वक़्त...आप ये तो नहीं चाहती न की मुझे कोई तकलीफ हो ये सब करवाने में...प्लीस...
अंशिका: अगर इतना ही डर लग रहा है तो क्यों गांड मरवाने चली है तू...चूत मरवा और खुश रह...
उन दोनों बहनों के मुंह से गांड-चूत की बाते सुनकर मुझे बड़ा मजा आ रहा था...
कनिष्का: नहीं दीदी...आज मैंने सोच रखा है, अपनी गांड मरवाकर रहूंगी...सहेलियों ने बताया है की कितना मजा आता है बाद में..पर पहली बार तकलीफ होती है बस और अगर आप मेरे सामने रहोगी तो मुहे इस तकलीफ का एहसास कम होगा..
अंशिका ने आखिरी बार अपना तर्क दिया : पर कन्नू...मेरे बिना भी तो तू ये सब करवाने के लिए आई ही थी न यहाँ...वो तो इतफ्फाक से हम दोनों एक साथ पहुँच गए, वर्ना तू तो तैयार थी न ये सब अकेले में करवाने के लिए...बस तू येही समझ की मैं यहाँ आई ही नहीं थी..
अंशिका: क्या यार...इतनी देर से फोन कर रही थी...कहाँ थे?
मैं: वो...मैं ..नहा रहा था...
अंशिका: ठीक है...अच्छा बोलो...आज का क्या प्रोग्राम है...
मैं: आज का...क्या मतलब?
अंशिका (धीरे से): मुझे कल वाली बाते याद आ रही है सुबह से...समझे..अब बोलो, आज का क्या प्रोग्राम है..
मैं: समझ गया की अंशिका की चूत में खुजली हो रही है अब...
मैं: ओके....तुम कहाँ हो अभी....
अंशिका: मैं कॉलेज में हूँ...दो बजे तक फ्री हो जाउंगी...आ जाऊ क्या फिर...तुम्हारे घर...
मैं: ओके...ओके...आ जाना...
अंशिका: ओह्ह....वाव....थेंक्स....ठीक है फिर मिलते हैं...तीन बजे तक...लंच एक साथ करेंगे. और फिर...
मैं: और फिर क्या...
अंशिका: बदमाश...मैं आकर बताती हूँ तुम्हे तो...ओके..बाय...
मैंने फ़ोन रख दिया और नीचे चल दिया नाश्ता करने. मैंने अपने पुरे कपडे पहन लिए, ताकि मुझे आधा या पूरा नंगा देखकर स्नेहा का मन फिर से न कर पड़े, मैं अब सीधा अंशिका को ही चोदना चाहता था, स्नेहा के साथ और मजे लेकर और एनर्जी खर्च नहीं करना चाहता था अब मैं.
स्नेहा नीचे किचन में खड़ी हुई ब्रेड ओम्लेट बना रही थी, उसने सिर्फ पेंटी और ब्रा पहनी हुई थी. मुझे पुरे कपड़ो में देखकर उसने कहा : बड़ी जल्दी कपडे पहन लिए..मुझे तो लगा की आज पूरा दिन तुम ऐसे ही रहोगे..
मैं: वो दरअसल मुझे कहीं जाना है अभी..
मेरी बात सुनते ही वो रुक सी गयी.
स्नेहा: क्या यार...मैंने आज तुम्हारी वजह से कॉलेज से बंक मारा है. मैंने सोचा था की पूरा दिन तुम्हारे साथ रहूंगी..
ये कहते हुए वो मेरी तरफ आ गयी, उसका चहरा उतर सा गया था. अभी तो सिर्फ ग्यारह ही बजे थे, उसके कॉलेज से घर जाने में भी अभी 2 घंटे का टाइम था और अंशिका ने तो दो बजे के बाद ही आना था. मैंने स्नेहा को अपनी गोद में बिठाया और उसके गाल पर एक किस्स कर दी.
मैं: ओह्ह माय बेबी... नाराज क्यों होती हो... मैं कौनसा तुम्हे जाने को कह रहा हूँ, तुम्हे तो घर वैसे भी एक बजे ही जाना है न... ठीक है फिर, मैं तुम्हारे घर जाने के बाद ही जाऊंगा..
मेरी बात सुनते ही वो खुश हो गयी और मुझसे लिपट गयी..मैं उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरने लगा. तभी कुछ जलने की स्मेल आई और वो चीखती हुई भाग खड़ी हुई..: हे भगवान्....मेरा अंडा...
उसका अंडा...मतलब, तवे पर रखा हुआ आमलेट जल चूका था. उसका चेहरा रुआंसा सा हो गया. जिसे देखकर मेरी हंसी निकल गयी. मुझे हँसता हुआ देखकर वो मुझे मारने को दौड़ी और बोली: अभी मजा चखाती हूँ..अब तो तुम्हारे अंडे भी गए समझो...
उसकी बात का मतलब समझते ही मैं सर पर पैर रखकर भागने लगा. वो ब्रा पेंटी में मेरे पीछे भागकर मुझे पकड़ने की कोशिश करने लगी और अंत में मुझे उसने मेरे कमरे में घेर ही लिया. मेरे पीछे सिर्फ मेरा बेड था, कोई और रास्ता नहीं था निकलने का..
मैं: ओके...बाबा...सोरी...गलती हो गयी...अब नहीं हंसुगा..
पर वो बड़े ही अजीब तरीके से मुझे घूरते हुए मेरी तरफ आती जा रही थी और जैसे ही मैं बेड से टकरा कर उसपर गिरा, वो उछलकर मेरी टांगो के बीच आ बैठी और अपना हाथ सीधा मेरे लंड वाले हिस्से पर रख दिया..उसके नन्हे हाथ अपने बुलडोजर के ऊपर पाते ही मेरा लंड उसकी चूत को रोंदने के लिए फिर से व्याकुल हो उठा..
अभी थोड़ी ही देर पहले मैंने उसकी दो बार मारी थी और अंशिका के लिए भी मुझे अपनी स्ट्रेंथ बचा कर रखनी थी. पर अभी वो इस तरह से मेरे लंड को सहला रही थी की मुझे बाद में क्या करना है और किसके लिए करना है, उसका कोई होश नहीं रहा और मैंने भी उसकी ब्रा को नीचे करके उसके तने हुए निप्पल से खेलना शुरू कर दिया...
स्नेहा: कितना आसान है तुम लडको को सेक्स के लिए मनाना....
बात तो वो सही कह रही थी और आता भी क्या है हम लंड वालो को...
स्नेहा ने झटके से मेरा बोक्स्सर नीचे खींच दीया और जब उसके सामने मेरा लहराता हुआ सांप आया तो उसने उसे अपने हाथो में समेट कर ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया...पर अपना मुंह नहीं लगाया और फिर जब उसने अपनी जीभ बाहर निकाली तो मेरे लंड को छोड़ कर मेरी बाल्स को चाटने लगी. मुझे ये बड़ा अजीब सा लगा...पर मजा भी आ रहा था और फिर उसने झुक कर अपने रसभरी जैसे होंठ मेरी बाल्स के ऊपर रख दिए और उन्हें चूसने लगी, जैसे वो मेरे होंठ हो और उनमे से कोई जूस निकल रहा हो...उसकी नाक मेरे लंड से टकरा रही थी और उसका हाथ मेरे लंड को ऊपर नीचे करने में लगा हुआ था और फिर उसने अपना मुंह पूरा खोला और एक ही बार में मेरी दोनों बाल्स को अन्दर निगल लिया और उन्हें आम की तरह से चूसने लगी..मेरे आनंद की तो सीमा ही नहीं रही...मैंने उसके द्वारा ऐसा ट्रीटमेंट एक्स्पेक्ट ही नहीं किया था..
फिर उसने मेरी बाल्स को बाहर निकाला और मुझसे कहा : अब बोलो...खा जाऊ क्या तुम्हारे ये अंडे... उड़ाओगे मेरा मजाक आज के बाद... बोलो....
मैंने हँसते हुए कहा : अगर तुम मेरी बात से नाराज होकर इसी तरह की सजा देती रहोगी तो हर बार उड़ाऊंगा तुम्हारा मजाक....
मेरी बात सुनते ही, उसने हँसते हुए मेरे अन्डो को फिर से अपने मुंह में डाला और उन्हें अपनी जीभ और दांतों से मसाज देने लगी..उसका पूरा मुंह मेरे अन्डो से भर चूका था..वो साथ-२ मेरे लंड को भी ऊपर नीचे लारती जा रही थी...आज जैसा उत्तेजित तो मैंने कभी भी फील नहीं किया था. उसके मुंह में जाकर आज मेरी बाल्स कुछ ज्यादा ही बड़ी हो चुकी थी और उसे अब अपनी जीभ घुमाने में भी मुश्किल हो रही थी..पर फिर भी उसने अपने मुंह से उन्हें बाहर नहीं निकाला और ऊपर मुंह करे, मेरे लंड को मसलते हुए, वो लगी रही और जल्दी ही मेरे लंड से आनंद की वर्षा होने लगी और उसके फूल से चेहरे के ऊपर उछल-उछल कर गिरने लगी. स्नेहा का पूरा चेहरा मेरे लंड से निकली बर्फ से ढक कर सफ़ेद हो चूका था और जैसे ही मेरे अन्डो का साईज कम हुआ वो अपने आप उसके मुंह से फिसल कर बाहर निकल आये. उसने अपने हाथो की उँगलियों से अपने चेहरे को ऐसे पोंचा जैसे पसीना आया हो उसके चेहरे पर और फिर उन उँगलियों को वो चाट चाटकर साफ़ करने लगी...
मैं धम्म से बेड के ऊपर गिर पड़ा..
फिर उसने पास ही पड़े हुए टावल से अपना मुंह साफ़ किया और कहा : अब कभी पंगा मत लेना मुझसे... समझे और फिर से नीचे की तरफ चल दी. मैं भी उठा और नीचे जाकर बैठ गया, उसने फिर से आमलेट ब्रेड बनाया और हमने मिलकर ब्रेक फास्ट किया. उसके बाद वो सब कुछ समेटने लगी और मैं सोफे पर आकर अखबार पड़ने लगा.
वो कुछ देर में ही मेरे साथ आकर बैठ गयी और मेरे कंधे पर सर रखकर बोली: तुम बड़े गंदे हो...
मैं: मैं...गन्दा...कैसे??
स्नेहा: तुम्हारे अंडे खाने के बाद भी मैं भूखी ही रह गयी. तुम्हे तो मेरी कोई फ़िक्र ही नहीं है...
और अपनी लेफ्ट ब्रेस्ट को मेरी बाजू से घुसने लगी. साली...फिर से मुझे उकसा रही है..
मैं: यार...तुम भी न...समझा करो...मैं इंसान हूँ, कोई मशीन नहीं...थोडा तो टाइम दो मुझे रिचार्ज के लिए..
स्नेहा: और भी तो तरीके होते है...भूख मिटाने के...
और वो मेरे होंठो पर अपनी उंगलिया फिराने लगी..यानी वो कहना चाहती थी की जैसे उसने चूसकर मेरा जूस निकाला वैसे ही मैं भी उसे मजे दू...मुंह से..
मैंने टाइम देखा, एक बजने में अभी आधा घंटा था..मैंने सोचा ये मानेगी तो है नहीं, इसलिए जल्दी से इसे फारिग कर देना चाहिए और मैंने उसकी लम्बी और नंगी टांगो को ऊपर किया, उसकी पेंटी को नीचे खींचा , जो पूरी गीली हो चुकी थी अपने ही रस में डूब कर...जैसे ही मैंने उसकी गीली कच्छी उसकी चूत से जुदा की , उसके मुंह से एक तीखी सिसकारी निकल गयी....आआआआह्ह्ह्ह ......विशालल्लल्लल .....म्मम्म.. और अगले ही पल उसकी चूत से उतनी ही तीखी स्मेल निकल कर मेरे नथुनों से टकराई और मैंने अपना मुंह उसकी शहद से लबालब चूत में दे मारा... अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ .........म्मम्म..
शहद के बारे में सोचते ही मेरे दिमाग में एक आईडिया आया, मैं भागकर फ्रिज तक गया और उसमे से शहद की शीशी निकाल लाया...स्नेहा समझ गयी की मैं क्या करने वाला हूँ. मैंने ढक्कन खोलकर ठंडा शहद जैसे ही उसकी चूत के ऊपर डाला...
अग्ग्ग्गहह ह्ह्हह्ह्ह्ह ...........ओफ्फफ्फ्फ़ ..............मर्र्र्रर्र्र गयी............अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....
वो इतनी जोर से चीखी की मुझे भी डर लग गया की कहीं बाहर कोई ये न सोचे की अन्दर रेप हो रहा है...
मैंने अपनी जीभ से ठंडा शहद इकठ्ठा किया और उसी ठंडी जीभ को उसकी गर्म चूत की गहराईयों में उतार दिया. अन्दर से ठंडक का एहसास पाते ही उसकी कंपकपी सी छूट गयी और अगले ही पल उसकी चूत से गर्म रस की फुहार आकर मेरे चेहरे को भिगोने लगी. कमीनी ने मेरा सोफा पूरा गिला कर दिया.
मैंने जितना हो सका उसके रस को चाटकर साफ़ किया और फिर उठ कर बाथरूम मे अपना मुंह साफ़ किया और जींस और टी शर्ट पहन कर बाहर आ गया...वो भी अपने कपडे पहन चुकी थी और वापिस जाने के लिए तैयार थी...
स्नेहा: अब कब मिलेंगे...हम इस तरह...
मैं: जल्दी ही...अभी चलो, मुझे बेंक का काम निपटाना है और तुम्हे भी देर हो रही होगी...
स्नेहा ने मुझे आखिरी बार जोरदार किस किया और हम बाहर निकल आये...
मैंने उसे स्टेंड पर उतारा और मैं सीधा डोमिनोस के स्टोर में गया और अपने और अंशिका के लिए पिज्जा पेक करवाकर वापिस चल दिया...
अभी उसे आने में आधा घंटा और लगेगा, ये सोचते हुए मैंने जल्दी से घर की सफाई करनी शुरू कर दी, ताकि उसे कोई सबूत न मिल जाए की कल या आज सुबह यहाँ कोई आया था...मैंने पुरे घर में रूम फ्रेशनर डाल कर सेक्स की गंध को भी हटा दिया और मैं बैठकर अंशिका का वेट करने लगा..
सवा दो बजे मेरे घर की बेल बजी और मैं भागकर बाहर आया...दरवाजा खोला तो मैं हैरान रह गया. अंशिका के साथ कनिष्का भी थी.
एक बार तो मैं घबरा गया, क्योंकि मुझे ये बिलकुल भी आशा नहीं थी की अंशिका के साथ कनिष्का भी आ जायेगी, पर फिर मैंने अपने आप को संभाला और दोनों को अन्दर आने को कहा. अंशिका ने हमेशा की तरह कॉलेज की मेडम वाली साडी पहनी हुई थी और कनिष्का ने एक बिंदास सी केप्री और टी शर्ट.
अंशिका ने मेरे चेहरे पर आये सवाल शायद पढ़ लिए थे, की वो अंशिका को क्यों साथ में लेकर आ गयी?
अंशिका: विशाल, आज तो इतफ्फाक हो गया, मैं जिस बस से घर जा रही थी, वो बाहर सड़क पर ही खराब हो गयी, मैंने सोचा की तुमसे कह दूंगी की तुम अपनी बाईक पर मुझे घर छोड़ देना, और जब मैं यहाँ आ रही थी तो मुझे कनिष्का भी यहीं मिल गयी, वो अपनी इसी सहेली के घर आई थी, वो सामने वाली गली में रहती है शायद, तो मैं इसे भी ले आई...मुझे मालुम है की हम दोनों को एक साथ बाईक पर बिठाना थोडा मुश्किल होगा..पर कोई प्रोब्लम है तो हम ऑटो कर लेंगे...
मैं: अरे नहीं , कैसी बात करती हो अंशिका...इसमें मुश्किल की क्या बात है, मैंने इससे तो एक बार पांच लड़कियों को एक साथ बिठाया था अपनी बाईक पर...
इस बार अंशिका हैरान होकर बोली: पांच-पांच लडकिया, और तुम्हारी बाईक पर एक साथ....वाव....कैसे किया तुमने ये कारनामा...
मैं: दो आगे बैठ गयी, दो पीछे और एक मेरे सर के ऊपर....हा हा...
कनिष्का: हा हा..वैरी फन्नी ..
अंशिका भी मेरी मसखरी सुनकर मुस्कुराने लगी..
मैं: अरे बैठो तो सही, मैं कुछ लाता हूँ तुम दोनों के लिए..
और मैंने उन्हें सोफे पर बिठा दिया और भाग कर किचन में गया और कोल्ड ड्रिंक की बोतल निकाल कर उसे ग्लास में डालने लगा. तभी पीछे से कनिष्का अन्दर आ गयी..
कनिष्का: कोई हेल्प चाहिए क्या??
मैंने उसे देखा और उसका हाथ पकड़कर मैंने उसे फ्रिज के पीछे खींच लिया ताकि बाहर बैठी हुई अंशिका हमें न देख पाए
मैं: ये क्या पागलपन है, मुझे बता तो देती की तुम भी आ रही हो..
कनिष्का: मैं तो तुम्हे सरप्राईज देना चाहती थी..मुझे क्या पता था की आज फिर तुम्हारा प्रोग्राम है दीदी के साथ..मैं तो सीधा तुम्हारे घर आ रही थी, तभी सामने से एकदम दीदी आ गयी, मुझे मालुम की वो तुमसे ही मिलने आ रही थी, बस खराब होने का तो उन्होंने बहाना बनाया मुझे देखकर और मैंने भी कह दिया की मैं अपनी सहेली से मिलने आई थी और घर जा रही हूँ, तब दीदी ने कहा की विशाल के घर चलते है, वो अपनी बाईक से छोड़ देगा..
मैं: जो भी हो...पर तुम्हारे चक्कर में अब आज का दिन खराब जाएगा मेरा.
कनिष्का ने आगे बढकर मेरे गले में बाहे दाल दी : वाह जी वाह...तुम्हे तो अपनी ही फिकर है, हमारी क्या हालत है उसका कुछ अंदाजा भी है तुम्हे...अब तो तुमने दीदी के साथ सब कुछ कर ही लिया है, और वादे के मुताबिक अब तुम्हे मुझे प्यार करना है और ये तुम सोचो की कैसे करोगे..दीदी को भगा कर या उनके सामने ही...
उसके चेहरे पर एक इरोटिक एक्सप्रेशन आ गए ये सब कहते हुए..उसकी टी शर्ट के अन्दर कैद ब्रेस्ट के निप्पल्स भी साफ़ दिखाई देने लगे..
मेरा लंड तो उसकी बाते सुनकर पागलो की तरह पायजामे में ठोकरे मारने लगा और उसकी बाते सुनकर तो मुझे यही महसूस हो रहा था की वो अपनी बहन के सामने भी चुदने को तैयार है.
मैंने अपने हाथ उसकी कमर के ऊपर रखे और अपना चेहरा आगे करके उसे चूमने ही वाला था की तभी अंशिका की आवाज आई: कनिष्का...विशाल.....ये ...ये क्या कर रहे हो तुम दोनों...
ओह...फक्क्क ...अंशिका ने अन्दर आकर सब देख लिया था. मेरी तो हालत ही खराब हो गयी..पर कनिष्का के चेहरे को देखकर लगा की उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा..
अंशिका अपने मुंह पर हाथ रखे हुए कभी मुझे और कभी अपनी छोटी बहन को देखे जा रही थी और सोचने-समझने की कोशिश कर रही थी की ये कब से चल रहा है..
कनिष्का ने मोर्चा संभाला.
कनिष्का: इसमें विशाल की कोई गलती नहीं है दीदी...दरअसल ये मुझे शुरू से ही अच्छा लगता है..पर इसने सच्चाई से मुझे पहले ही बता दिया था की तुम दोनों के बीच क्या चल रहा है..मैंने तो विशाल को कई बार सब कुछ करने को कहा..पर इसने मना कर दिया..दो दिन पहले भी मैं आई थी इसके पास, पर इसने बताया की इसने आपसे वादा किया है की पहले ये आपके साथ सेक्स करेगा...फिर किसी और के साथ..
अंशिका मुंह फाड़े अपनी बहन की बाते सुन रही थी, उसे शायद ये विशवास नहीं हो पा रहा था की उसकी छोटी बहन के जिस्म में भी जवानी की आग भड़कने लगी है..जिसका उसे आज तक अंदाजा भी नहीं था.
अंशिका ने आगे कहा : दीदी, मुझे गलत मत समझना, पर होस्टल में मेरा एक बॉय फ्रेंड था, जिसके साथ मैंने..मैंने..सब कुछ किया है..एंड आई एम् नो मोर वर्जिन ......
अंशिका जिसे अपनी मासूम बहन समझकर आज तक उसे प्यार करती आई थी उसने इस बात की कल्पना भी नहीं की थी और शायद इस बात की भी नहीं की वो आज मेरे सामने खड़ी होकर ये बात काबुल करेगी..
कनिष्का: और दीदी...यहाँ आने के बाद मुझे अपने होस्टल वाले दिन बहुत याद आते हैं...आई होप यु अन्डरस्टेंड .. और एकदम से तो कोई मिल नहीं जाता, कॉलेज खुलने में भी टाईम है अभी जहाँ नए लड़के मिलेंगे... इसलिए... इसलिए विशाल को देखकर मेरे मन में ये सब आया...पर जैसा उसने कहा था की पहले वो आपके साथ और फिर किसी और के साथ...इसलिए मैं आई थी आज..क्योंकि मैं जानती हूँ की आप कल पूरा दिन यहाँ थी इसके साथ और आप दोनों ने..
अंशिका: चुप कर कन्नू....हमारे बीच जो भी चल रहा है, उससे तेरा कोई मतलब नहीं है...मैंने सोचा भी नहीं था की तू इतना आगे निकल चुकी है...मुझे तो अपने कानो पर विशवास ही नहीं हो रहा है...
अंशिका की आँखों से आंसू निकलने लगे थे. कनिष्का भाग कर अपनी बहन के पास गयी और उसके आंसू पोछने लगी : नहीं दीदी...आप प्लीस रोना मत....आप कहती हो तो मैं चली जाती हूँ अभी और कभी भी विशाल के पास नहीं आउंगी...आपकी कसम दीदी...पर आप रोना मत..मैं आपको दुखी नहीं देख सकती...गलती मेरी ही है, मैंने ही आपके फ्रेंड के ऊपर गलत नजर रखी, ये भी नहीं सोचा की आपके ऊपर क्या गुजरेगी...आप बैठो यहाँ, मैं चलती हूँ ..
और वो मुढ़कर जाने लगी.
मैं उन दोनों बहनों का प्यार देखकर भावुक सा हो उठा..
अंशिका: रुक जा...
अंशिका ने उसे रोका और उसका हाथ पकड़कर बाहर ले गयी, और सोफे पर बैठ गयी.
मैं: भी उनके पीछे-पीछे बाहर निकला.
अंशिका ने आगे बढकर अपनी बहन को गले से लगा लिया और अपने आंसू पोछकर बोली: तुझे जाने की कोई जरुरत नहीं है और जैसा विशाल ने तुझे बताया था, सब कुछ ठीक है, हम दोनों में एक ऐसी अन्डर स्टेंडिंग है जो शायद ही किसी में देखने को मिले, ये मेरी बातो और जज्बातों का पूरा ध्यान रखता है...इसके जैसा अन्डर स्टेंडिंग फ्रेंड मुझे कोई मिल ही नहीं सकता और जो ख़ुशी इसने मुझे दी है, उसका एहसास ही मुझे आज दोबारा खींच लाया है इसके पास आज यहाँ...पर तेरे दिल में भी इसके लिए कुछ है ये मैं नहीं जानती थी. जानती है, मैंने तुझे दुनिया की हर बुरी नजर से बचा कर रखा है, यहाँ तक की शुरू में जब विशाल भी तेरे बारे में कोई बात करता था तो मैं इसे भी डांट देती थी, पर मुझे क्या मालुम था की मेरी छोटी बहन अब बड़ी हो चुकी है. उसने भी अपनी जवानी की हर देहलीज पार कर ली है और मर्यादा के वो सारे बंधन भी वो तोड़ चुकी है जिसे सिर्फ शादी के बाद सही माना जाता है...पर इसमें तेरा भी कोई दोष नहीं है, मैं भी तेरी तरह इसी उम्र से गुजरी हूँ और मैंने भी वो सब किया है...पर ये जो उम्र का पड़ाव है, जहाँ शादी अभी काफी दूर है और आस पास के किसी भी इंसान पर किसी तरह का भरोसा करके अपने आप को उसे सोंपना काफी जोखिम भरा है..तब मैंने विशाल पर विशवास करके उसे अपना जिस्म सोंपा और इसने मेरे विशवास का सही तरह से पालन भी किया. हमारे बीच में कोई बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड जैसा या शादी करने जैसा कोई कमिटमेंट नहीं है. बस सच्चे दिल से एक दुसरे को मनचाही खुशिया देने का जज्बा है और तुझे भी ऐसा लड़का और कोई नहीं मिलेगा...इसलिए..इसलिए..तू यहाँ रुक और मैं चलती हूँ..
ओ तेरे की....यानी अंशिका अपनी बहन को मुझे सोंपकर जाने की बात कर रही थी...ताकि मैं उसे चोद सकू..वाव..
अंशिका की बात सुनकर कनिष्का ने अपनी बहन को गले से लगा लिया : मैं जानती थी दीदी, की तुम ऐसा ही करोगी, पर मैं नहीं चाहती की तुम मेरे लिए अपनी खुशियों की बलि दो...अगर..अगर आपको बुरा न लगे तो...हम दोनों..एक साथ..विशाल के साथ.....
बस कर यार...मार डालेगी क्या...साले मेरे लंड का तो बुरा हाल हो गया, कनिष्का की ये बात सुनकर, अभी दो दिन पहले ही मैं सपना देख रहा था दोनों बहनों को एक साथ नंगा करके चोदने का...मुझे क्या मालुम था की मेरा सपना इतनी जल्दी साकार होता दिखाई देगा...
कनिष्का की बात सुनकर अंशिका का चेहरा शर्म से लाल हो उठा : पागल है क्या...हम कैसे एक साथ...तू एक काम कर, आज तू रह जा इसके साथ, मैं कल आ जाउंगी...पर मुझसे नहीं होगा..तेरे सामने ही...समझा कर पगली, मुझे शर्म आती है...
उसकी साँसे ये कहते हुए तेजी से चल रही थी, चेहरा लाल हो चूका था और साडी के नीचे ब्लाउस और उसके नीचे छुपे निप्पल तन कर साफ़ दिखाई देने लगे थे...जिसे मेरे साथ-साथ कनिष्का ने भी महसूस किया था..वो समझ चुकी थी की अपनी दीदी को थ्रीसम के लिए मनाना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा अब...
कनिष्का: ओहो...दीदी...आप भी न...आप तो ऐसे कह रही हो जैसे आपने मुझे या मैंने आपको नंगा नहीं देखा कभी..
अंशिका: वो बात और है..घर पर चेंज करते हुए या नहाते हुए कभी-कभार एक दुसरे को देखना अलग बात है...पर किसी और के सामने और वो भे सेक्स करते हुए...नहीं ..नहीं...मैं नहीं कर पाउंगी..
और वो उठ कर जाने लगी. कनिष्का ने भाग कर उसे दुबारा पकड़ लिया..
कनिष्का: पर दीदी...आज तो आपको रुकना ही पड़ेगा...मुझे तो आज पहले से ही डर लग रहा है..
अंशिका: इसमें डरने वाली क्या बात है, तुने ही तो कहा था अभी की तू पहले भी कर चुकी है...
कनिष्का: हाँ दीदी...पर यहाँ से नहीं...(उसने अपनी गांड की तरफ इशारा किया), और मैंने परसों ही विशाल को कह दिया था की आई विल गिव माय दिस वर्जिनिटी टू हिम टुडे ....
अपनी छोटी बहन की बेशर्मी भरी बात सुनकर अंशिका फिर से हैरान होकर उसके चेहरे को देखने लगी..उसने शायद सोचा भी नहीं था की आज उसकी बहन यहाँ चूत नहीं गांड मरवाने के लिए आई है..
अंशिका: हे भगवान्....कन्न्नु...मैंने तो सोचा भी नहीं था की तू इतनी आगे निकल चुकी है इन सब मामलो में...
कनिष्का: प्लीस दीदी...ट्राई तो अन्डर स्टेंड ..मुझे याद है, पहली बार जब मैंने अपने बॉय फ्रेंड के साथ किया था तो कितनी तकलीफ हुई थी और गांड मरवाने में तो और भी ज्यादा दर्द होगा न. मैं चाहती हूँ की आप मेरे पास रहो उस वक़्त...आप ये तो नहीं चाहती न की मुझे कोई तकलीफ हो ये सब करवाने में...प्लीस...
अंशिका: अगर इतना ही डर लग रहा है तो क्यों गांड मरवाने चली है तू...चूत मरवा और खुश रह...
उन दोनों बहनों के मुंह से गांड-चूत की बाते सुनकर मुझे बड़ा मजा आ रहा था...
कनिष्का: नहीं दीदी...आज मैंने सोच रखा है, अपनी गांड मरवाकर रहूंगी...सहेलियों ने बताया है की कितना मजा आता है बाद में..पर पहली बार तकलीफ होती है बस और अगर आप मेरे सामने रहोगी तो मुहे इस तकलीफ का एहसास कम होगा..
अंशिका ने आखिरी बार अपना तर्क दिया : पर कन्नू...मेरे बिना भी तो तू ये सब करवाने के लिए आई ही थी न यहाँ...वो तो इतफ्फाक से हम दोनों एक साथ पहुँच गए, वर्ना तू तो तैयार थी न ये सब अकेले में करवाने के लिए...बस तू येही समझ की मैं यहाँ आई ही नहीं थी..