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Adultery लवली फ़ोन सेक्स चैट
#55
मैं: हाय स्नेहा. बोलो.
स्नेहा: क्या यार अभी तक सो रहे हो घोड़े की तरह. दरवाजा खोलो. इतनी देर से घंटी बजा रही हूँ मैं.

उसकी बात सुनते ही मेरी नींद हवा हो गयी. मैं हडबडा कर उठ बैठा. मेरा लंड पहले से ही उठा हुआ था. साली ने मुझे तो उठाया नहीं. खुद उठ कर बैठ गया. पर सिचुएशन ऐसी थी की वो फिर से बैठने लगा. बेड पर पारुल नंगी-पुंगी पड़ी हुई थी. अपने हाथ पैर पसारे और बाहर स्नेहा खड़ी हुई थी. फोन से दुबारा आवाज आई : सुना के नहीं. दरवाजा खोलो, मैं बाहर खड़ी हूँ. जल्दी.

मैं: हाँ हाँ अभी आया.

मैंने फ़ोन काटा और सोचने लगा की अब क्या करूँ. मैंने जल्दी से पारुल को उठाया: पारुल... ऐ पारुल... उठ न.

पारुल: उन्नन क्या है. सोने दो न.

ये कहते हुए उसने अपनी नंगी टाँगे मेरी कमर के ऊपर फेंक दी.

मैं: पारुल, उठो प्लीस. बाहर कोई आया है.

मेरी बात सुनते ही वो झट से उठ बैठी.

पारुल: क्या? कौन? कौन आया है?
मैं: वो... वो... मेरी... मेरी एक फ्रेंड है. 
पारुल: अच्छा... वोही वाली क्या? जिसके बारे में तुमने कल बताया था. आज फिर आ गयी, इतनी सुबह.

वो स्नेहा को अंशिका समझ रही थी, जिसके बारे में मैंने पारुल को कल बताया था. मैं अब स्नेहा या किसी और लड़की के बारे में बताकर उसे और कनफयूस नहीं करना चाहता था.

मैं: हाँ... वोही... अब जल्दी उठो न. उसने तुम्हे यहाँ मेरे साथ इस हालत में देख लिया तो गड़बड़ हो जायेगी. प्लीस उठो न.
पारुल: ठीक है ठीक है. ज्यादा भाव मत खा. उठ रही हूँ. पर मैं जाऊ कहाँ. बाहर तो वो है न.
मैं: तुम... तुम ऐसा करो, अभी जाकर मोम के कमरे में छुप जाओ. उनकी अलमारी में. जब वो यहाँ मेरे कमरे में आ जायेगी तो चुपके से बाहर निकल जाना. प्लीस.

मैंने अपने दोनों हाथ जोड़कर उससे भीख मांगी. उसने अपनी नाक टेडी की और अपने बिखरे हुए कपडे समेट कर मम्मी के कमरे में चली गयी. 

मैंने भी जल्दी से चादर लपेटी और बाहर भागा. दरवाजा खोलते ही मुझे स्नेहा गुस्से में, अपनी कमर पर हाथ रखे हुए खड़ी दिखाई दी.

स्नेहा: इतना टाईम लगता है क्या?

और ये कहते हुए वो अन्दर आ गयी. मैंने दरवाजा बंद किया, और अन्दर आया. स्नेहा ने हाल्टर टॉप पहना हुआ था, और नीचे जींस थी. बड़ी ही मस्त लग रही थी वो. हलकी सी पिंक कलर की लिपस्टिक भी लगा राखी थी उसने. मैं उसके पास आकर, सोफे पर बैठ गया. उसकी नजर मेरी बॉडी के ऊपर फिसल रही थी और नीचे से चादर में लिपटा देखकर वो हंस दी.

स्नेहा: लगता है, फ्री होकर सो रहे थे. कोई है नहीं न घर में, शायद इसलिए.

मैंने शरमाकर अपना चेहरा नीचे कर लिया. मुझे उससे बात करने से ज्यादा पारुल की चिंता थी जो दुसरे कमरे में थी, शायद उसने अब तक कपडे पहन लिए होंगे.

मैं: चलो न अन्दर. मेरे रूम में चलते है.
स्नेहा: क्या बात है सीधा रूम में. सुबह-सुबह मूड ठीक नहीं लग रहा है जनाब का.
मैं: चलो न. दिखाता हूँ की मेरा मूड कैसा है.
स्नेहा: वो तो दिख ही रहा है की कैसा है तुम्हारा मूड.

उसने अपनी आँखों से मेरी चादर की तरफ इशारा किया. मैंने नीचे देखा तो मेरा लंड बाहर निकल कर, खड़ा होकर, उसे हाय कह रहा था. साला इतनी टेंशन में भी कैसे खड़ा हो गया ये फिर से. मैंने अपने लंड को वापिस अन्दर छिपाया और झेंपते हुए उसे लेकर अपने कमरे की तरफ चल दिया. कमरे में पहुँचते ही उसने अपनी नाक पर हाथ रख दिया.

स्नेहा: ईईए ये क्या, इतनी स्मेल, लगता है दो दिनों से सफाई नहीं की है तुमने और ये बेड का क्या हाल किया हुआ है. माय गोड, तुम लड़के भी न, सही ढंग से रह ही नहीं पाते हो, मेरा भाई सचिन भी ऐसा ही है, उसके कमरे से भी हमेशा स्मेल आती रहती है. चलो बाहर, मैं नहीं बैठ पाउंगी यहाँ.

वो कह तो सही रही थी, मम्मी-पापा के जाने के बाद मैंने काम वाली को वैसे भी छुट्टी दे दी थी ताकि मुझे डिस्टर्ब न हो चुदाई में और कल दिन भर अंशिका की और रात भर पारुल की मारने के बाद पुरे कमरे से लसिली सी स्मेल आ रही थी, कोई भी बता सकता था उसे सूंघकर की यहाँ क्या चल रहा था पिछले दो दिनों से.

वो वापिस नीचे उतर गयी और बाहर जाकर सोफे पर बैठ गयी. पारुल अभी तक नहीं निकली थी वहां से. मुझे घबराहट सी होने लगी.

[b]स्नेहा: इतने नर्वस क्यों हो? आओ न. यहाँ बैठो[/b]

उसने सोफे की तरफ इशारा किया. मैं उसके पास जाकर बैठ गया. वो झटके से उठी और मेरी गोद में आकर बैठ गयी, अपनी बाहे मेरी गर्दन पर लपेट दी और मेरी आँखों में देखकर बोली: आई वास वेटिंग फॉर दिस मोमेंट और ये कहते हुए उसने मेरे होंठो पर अपने ताजा तरीन होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगी. मेरा लंड खड़ा होने लगा, जो उसकी गांड के नीचे दबा हुआ था, मैंने जोर लगा कर अपने लंड को एक जोरदार झटका दिया. वो उछल सी गयी, मानो स्प्रिंग पर बैठी हुई थी वो.

स्नेहा: वोहोऊ... इतना गुस्सा. अभी बताती हूँ तुझे.

वो मेरे लंड से बात कर रही थी, उसकी तरफ देखकर. उसने मेरी चादर को पकड़ा और उसे खींच दिया और जैसे ही मेरा लंड उसकी आँखों के सामने आया,

मैं: नहीं स्नेहा. अभी नहीं.

स्नेहा ने आँखे तरेर कर मुझे देखा और मेरे लंड को पकड़ कर मसलने लगी : अभी नहीं मतलब. कोई महूरत निक्ल्वाओगे क्या? अभी थोड़ी देर पहले तो मुझे बेडरूम में लेजा रहे थे सीधा, अब क्या हुआ, घर तो पूरा खाली है, फिर डर क्यों रहे हो तुम?

मैं: नहीं. वो ऐसी कोई बात नहीं है. मैं सोच रहा था की कुछ खाने के बाद. नहाने के बाद. अभी तो पूरा दिन पड़ा है न. चलो ऊपर चलते है, मेरे रूम में, एकसाथ नहायेंगे.
स्नेहा: नो. तुम्हारे रूम में तो बिलकुल नहीं. इतनी स्मेल है वहां, चलो दुसरे रूम में चलते है, वहां.

उसने मम्मी-पापा के रूम की तरफ इशारा किया, मेरी तो फटने लगी.

मैं: नहीं. वहां कैसे, मोम-डैड क्या कहेंगे.
स्नेहा: तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे उन्हें पता चलेगा. चलो उठो अब.

उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे खींचकर उस कमरे में ले गयी.

स्नेहा: वाव. इतना सुन्दर रूम, और क्या बेड है. वाव और वो अपने शूस उतार कर बेड के ऊपर चढ़ गयी और उसपर उछालने कूदने लगी. ठीक वैसे ही जैसे कल पारुल नंगी खड़ी होकर उछल रही थी मेरे कमरे में.

पर मुझे तो पारुल की फिकर हो रही थी, मैं किसी भी कीमत पर नहीं चाहता था की स्नेहा को पारुल के होने का आभास हो, नहीं तो हो सकता है की वो मुझे अपनी दे ही न और चली जाए.

स्नेहा ने मुझे ऊपर खींचा और मुझसे लिपट कर मुझे किस करने लगी. मेरी आँखे खुल्ली हुई थी, मैं बार-[b]बार बेड के नीचे की तरफ, बाथरूम के दरवाजे की तरफ और अलमारियो की तरफ देख रहा था की कहीं से शायद पारुल दिखाई दे जाए, पर उसका कोई भी आभास नहीं हुआ मुझे, फिर मुझे लगा की शायद मैं जब ऊपर गया था तो वो इस कमरे से निकल कर बाहर के स्टोर रूम में न चली गयी हो, ये सोचते ही मेरी जान में जान आई, और फिर मैंने भी उसे चूमना चाटना शुरू कर दिया. [/b]

स्नेहा ने मेरे लंड को पकड़ा और उसे मसलते हुए, मेरे सामने बैठ गयी, और ऊपर मेरी तरफ देखते हुए, उसे चुसना शुरू कर दिया, मैं अभी भी बेड के ऊपर खड़ा हुआ था, ऊपर से देखने पर मुझे उसका चेहरा बड़ा ही दिलकश लग रहा था, मासूम सी थी वो बिलकुल, मैंने नीचे झुककर उसके टॉप को पकड़ा और उसे ऊपर खींच कर उतार दिया, नीचे उसने स्ट्रेपलेस ब्रा पहनी हुई थी, उसकी ब्रेस्ट तो वैसे भी नाम मात्र की थी, पर उसके निप्पलस मुझे अभी तक याद थे, मैंने उसकी ब्रा को भी खींच कर उतार दिया और मेरे सामने फिर से उसकी कोमल सी ब्रेस्ट और उनपर चमकते हुए मोटे-मोटे निप्पलस आ गए. उसने अपने मुंह से मेरा लंड बाहर निकाला और मेरी आँखों में देखते हुए, मेरे गीले लंड को अपने कठोर से निप्पल के ऊपर मसलने लगी.

मेरे मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी. फिर उसने मेरे लंड के चारो तरफ अपनी ब्रेस्ट लपेट कर मुझे टिट फकिंग करने की कोशिश की, पर छोटी होने की वजह से वो कर न पायी. वो अपनी ब्रेस्ट वाले हिस्से पर दबाव डालकर उठी और मेरे हाथो को अपनी मोटी गांड के ऊपर रख कर मुझे बड़े ही प्यार से देखने लगी.

मैंने उसकी जींस के बटन खोले और उसके सामने बैठ कर मैंने उसे नीचे खींच दिया, उसकी ब्लेक कलर की पेंटी, जो पूरी गीली थी मेरी आँखों के सामने थी, मैंने उसे भी नीचे किया और उसने पैर ऊपर करके अपनी जींस और पेंटी एक ही बार में बाहर की, और मुझे देखते हुए, शर्माते हुए, मुझे नीचे लिटाकर, मेरे ऊपर ही लेट गयी.

उसकी चूत से मेरे लंड के ऊपर बरसात सी हो रही थी, अपनी चूत को वो मेरे लंड के ऊपर बुरी तरह से घिसने में लगी हुई थी. अब वो मौका आ ही गया था, जिसका हर लड़की को इन्तजार रहता है, अपनी चूत में पहली बार लंड डलवाने का और शायद ये बात स्नेहा भी जान चुकी थी, क्योंकि उसके चेहरे पर एक अजीब सी लालिमा आ गयी थी. मैंने उसके चेहरे को पकड़ा और कहा : तुम तैयार हो आज? कलि से फूल बनने के लिए.

स्नेहा: मैं तो कब से तैयार हूँ विशाल. आज जैसे भी करो, पर मुझे कलि से फूल बना ही दो. आई एम् डाईंग टू बीकम कम्प्लीट वूमन. मेक मी वूमन . प्लीस.

मुझे उसकी प्लीस को कोई जरुरत नहीं थी आज, मैं तो वैसे भी उसे चोदने ही वाला था. मैंने उसे नीचे लिटाया, उसकी दोनों टाँगे ऊपर हवा में उठाई, उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया, अपने लंड के ऊपर थूक लगायी और उसे हाथ से पकड़ कर, उसकी छोटी सी दिख रही चूत के मुहाने पर लगा दिया.

अचानक मुझे सामने की अलमारी का पल्ला हिलता हुआ सा महसूस हुआ, और अगले ही पल पारुल वहां से झांकती हुई दिखी. स्नेहा के पीछे थी वो अलमारी, इसलिए वो देख नहीं पा रही थी. पर पारुल को उसी कमरे में पाकर मेरी हलक सूखने लगी. पारुल बड़े मजे से मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी, वो अभी तक नंगी ही थी. उसने आधे से ज्यादा पल्ला खोल रखा था, अगर स्नेहा एकदम से पीछे देखेगी तो उसे पारुल नंगी खड़ी हुई दिखाई दे जायेगी. उस स्थिति में फंसकर अचानक मेरे खड़े हुए लंड ने मुरझाना शुरू कर दिया. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की मैं क्या करूँ.

स्नेहा को जब एहसास हुआ की मेरा लंड मुरझाकर उसकी चूत के ऊपर लटक सा गया है तो वो बोली: क्या हुआ बेबी. करो ना प्लीस. डाल दो. पर मैं कुछ न बोला.

स्नेहा: ओह. लगता है तुम नर्वस हो गए हो. मेरी तरह तुम्हारा भी तो ये पहली बार है न. आई केन अंडरस्टेंड. कम... कम हेयर.

उसने मुझे ऊपर की तरफ खींचा. और मेरा लंड जब उसके मुंह के पास पहुंचा तो उसने उसे मुंह में लेकर चुसना शुरू कर दिया. मेरी आँखे बंद सी होने लगी, उसके निप्पल मेरी गांड के अंदर चुभ रहे थे, मैंने भी अपने चुतड हिला - हिलाकर उन्हें मसलना शुरू कर दिया. जल्दी ही मेरा लंड फिर से फुफकारने लगा.

मैंने अपनी आँखे खोली, सामने पारुल पूरी अलमारी खोलकर, अपनी चूत को बुरी तरह से घिस रही थी, उसके सामने किसी लड़की की पहली बार चुदाई जो हो रही थी, जिसे देखकर उसे उत्तेजना सी होने लगी, और शायद स्नेहा की बात सुनकर उसे भी पता चल गया था की ये वो लड़की नहीं है जिसकी मैंने कल पूरा दिन मारी थी, पर मौके की नजाकत को देखते हुए उसने छुपे रहना ही बेहतर समझा और छुपकर वो अपनी चूत मसलकर मुझे देखते हुए मजे भी ले रही थी.

मैं फिर से नीचे गया, फिर से अपने लंड पर थूक लगायी और उसकी ताजा सफा हुई चूत के ऊपर लंड टीकाकार धीरे से धक्का दिया, मेरा लंड तो चिकना था ही, उसकी चूत में से भी मीठा रस निकल कर उसे और भी चिकना बना रहा था, एक दो बार तो लंड फिसला पर फिर एक बार जोर लगाकर मैंने जब धक्का दिया तो सुपाड़ा अंदर घुस ही गया.

स्नेहा की आँखे फटने को हो गयी, मुंह ओ की शेप में खुल गया, निप्पल तनकर फटने जैसे हो गए. मैंने उसके दोनों हाथो को सर के ऊपर किया, उन्हें दबोचा और एक और झटका मारा और एक के बाद एक कई झटके मारकर, लंड को इंच बाय इंच अंदर धकेलता चला गया और स्नेहा की हालत ऐसी थी की उससे चीखा भी नहीं जा रहा था. आँखों के किनारे से आंसू निकल कर नीचे गिर रहे थे. मैंने नीचे झुककर उसके होंठो को चूसा पर उसकी तरफ से कोई रिस्पोंस नहीं आया, शायद दर्द की वजह से वो कुछ भी मजे लेने की हालत में नहीं थी.

मेरा लंड जब उसकी चूत में अंदर तक उतर गया तो मैंने उसकी आँखों में देखा और कहा : मुबारक हो. तुम कलि से फूल बन चुकी हो.

उसने रोते हुए मेरी पीठ पर मुक्का मारा. मैंने फिर अपने लंड को वापिस खींचा, मेरे साथ-साथ वो भी नीचे देखते हुए अपनी चूत से मेरे लंड को निकलता हुआ देख रही थी, वो उसके खून से सना हुआ था और सफ़ेद रंग के द्रव्य से भी, शायद उसकी चूत से ही निकला था वो भी.

जब पूरा लंड बाहर निकल आया तो स्नेहा बोली: निकाला क्यों. डालो इसे अंदर... अब ठीक है. मजा आ रहा था अब तो.

मैंने उसकी तरफ मुस्कुरा कर देखा और अपना लंड उसी अवस्था में वापिस डालना शुरू कर दिया. इस बार उसे कम दर्द हुआ. उसने मेरे चूतडो पर अपने पैर की एडिया रख कर मुझे अपनी तरफ खींचना शुरू किया और फिर तो जब मोशन बन गया तो उसके मुंह से लम्बी-लम्बी सिस्कारिया निकलने लगी.

अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्मम येस्सस्सस्स. श्ह्ह्हह्ह्ह्ह... फक मी... अह्ह्ह्हह्ह. ओह्ह्ह विशाल्ल्ल.. फक मी... य़ा... येस्स. ऐसे ही... अह्ह्हह्ह्ह्ह... ओह्ह्ह्ह... म्मम्म...

वो उठ कर बैठ गयी और मेरी गोद में चढ़ कर अपनी टाँगे मेरे चारो तरफ लपेट दी और खुद ऊपर नीचे होने लगी. मैं थोडा आगे हुआ और अपने पैर नीचे लटका कर बेड के किनारे पर बैठ गया, स्नेहा मेरी गोद में थी और उसकी पीठ पारुल की तरफ थी, जो बुरे-बुरे मुंह बना कर हमें देखते हुए, अपनी चूत के अंदर अपनी सारी उंगलिया डालकर मास्टरबेट करने में लगी हुई थी. मैंने नीचे सर करके उसके निप्पल को मुंह में भरा और उसका शहद पीने लगा. वो मेरे सर को अपनी छाती पर मसलते हुए बुरी तरह से करहा रही थी. पर मादक अंदाज में.

ओह्ह्हह्ह य़ा. विशाल्लल्ल्ल. यु आर ग्रेट. अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह... सक मी... फक मी... ओह... ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्हह्ह गोड. अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह

और उसने चीखते हुए, मेरे होंठो को चुसना शुरू कर दिया, मेरे लंड के ऊपर उसकी चूत से निकली हुई गरमा गरम चाशनी गिरने लगी. चाशनी की गर्मी पाकर मेरे लंड ने भी अपने मुंह से सफ़ेद झाग उगलनी शुरू कर दी. और जैसे ही उसने मेरे लंड की हलचल अपने अंदर महसूस की वो चीखने लगी. अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्मम .

सामने देखा तो पाया की पारुल भी निढाल सी होकर खड़ी हुई है. उसने धीरे से अलमारी का पल्ला बंद कर लिया ताकि स्नेहा उसे न देख पाए.

वो मेरे लंड से उतरी और उसके उतारते ही उसकी चूत से टपटप करके मेरा रस और उसकी चाशनी बाहर निकलने लगी. मैंने उसे बाथरूम में जाकर साफ़ करने को कहा, वो झट से अंदर भाग गयी.
उसके भागते ही मैंने अलमारी खोली, अंदर पारुल ने अपने कपडे पहन लिए थे, वो मुझसे धीरे से बोली: अच्छा बच्चू, मुझे झूठ बोला की ये लड़की कल वाली ही है. और कितनी है तेरे पास.


मैं: देख पारुल, तुने ही कहा था न की अब हम फक बडी है, इसलिए तू भी मजे कर और मुझे भी करने दे, तू और किसके साथ क्या करती है, या मैं किसी और के साथ क्या करता हूँ, ये सब मायने नहीं रखता. समझी... चल अब जल्दी से जा.


वो समझ गयी और उसने भी ज्यादा बहस नहीं की, बाथरूम से स्नेहा कभी भी आ सकती थी, उसने फिर से मिलने का वादा किया और चली गयी, हमारा बाहर का दरवाजा नोब वाला है, उसे उसने खोला, अंदर से लोक किया और बंद करके बाहर निकल गयी , मैंने भी चैन की सांस ली.

मैं बाथरूम के अंदर चल दिया. अंदर स्नेहा नीचे झुक कर अपनी चूत का डेमेज एक्सामिन कर रही थी. मैं उसके पीछे गया और उसे भींच कर खड़ा हो गया.

स्नेहा: देखो न विशाल. तुमने क्या कर दिया. मेरी पुस्सी का कितना बुरा हाल किया है तुमने.
मैं: अरे ये तो अभी शुरुवात है. ये कहते हुए मैंने शावर चला दिया.


एकदम से ठंडा पानी अपने ऊपर पड़ते ही वो पलट कर मुझसे लिपट गयी. ओफ्फफ्फ्फ़. बंद करो इसे. ठंडा है पानी. उन्हूऊ . पर मैंने पानी बंद नहीं किया और उससे लिपट कर खड़ा ही रहा. मैंने उसके पुरे शरीर पर हाथ फेरने शुरू कर दिए और जल्दी ही उसकी तरफ से भी री एक्शन होने लगे. मैंने उसे वहीँ गीले फर्श पर लिटाया और चूमना शुरू कर दिया. उसने मुझे नीचे किया और मेरे ऊपर सवार हो गयी. ऊपर से शावर का पानी बारिश की तरह हमारे ऊपर गिर रहा था. उसका भीगा हुआ बदन मेरे ऊपर था. वो झुकी और मेरे लंड को अपनी चूत के ऊपर लगा कर, उसके ऊपर बैठने लगी. पानी की वजह से और शायद उसकी चूत से निकलते लुब्रिकेंट की वजह से इस बार ज्यादा तकलीफ नहीं हुई उसे. फिर तो वो कावगर्ल वाले स्टाईल में मेरे घोड़े के ऊपर उछल-उछल कर मजे लेने लगी. 


अह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़ ओन्न्न्न ओम्म्म्मम्म म्मम्मम्म एस. अह्ह्ह्हह्ह . विशाल्ल्ल्ल. . जोर से. अह्ह्हह्ह. . मजा आ गया. आह्ह्ह्ह. म्मम्मम.


और फिर वो धप्प से मेरे ऊपर गिर गयी. उसके शूल जैसे निप्पल मेरे चेहरे पर चुभने लगे. मैंने भी उसकी गांड के ऊपर हाथ रखा और उसकी चूत के अंदर अपना लंड पेलना शुरू कर दिया. और जल्दी ही मेरा भी निकलने लगा. मैंने उसे और तेजी से भींच लिया अपनी तरफ. उसने मुंह ऊपर किया. मुझे किस किया और खड़ी होकर नहाने लगी और फिर हम अंदर आ गए.

स्नेहा: तुम तैयार होकर बाहर आओ, मैं नाश्ता बनाती हूँ तुम्हारे लिए कुछ.

मैं ऊपर अपने कमरे में गया. वहां मेरा फोन लगातार बज रहा था. मैंने जाकर देखा तो अंशिका का फोन था.
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RE: लवली फ़ोन सेक्स चैट - by playboy131 - 19-03-2020, 10:40 PM
RE: लवली फ़ोन सेक्स चैट - by sanskari_shikha - 06-10-2020, 10:17 PM



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