12-03-2019, 05:40 PM
***** *****छत पर
बाहर, रंगों के साथ होली के गाने, और, कबीर के साथ गालियों की बौछार हो रही थी। मैंने नीचे झांककर देखा तो, मिश्रा भाभी, दूबे भाभी के साथ 3-4 और पड़ोस की भाभियां थीं। रंगे-पुते होने के कारण जिनके चेहरे साफ नहीं दिख रहे थे।
मिश्रा भाभी तो अपनी लम्बी कद काठी और खूब भारी (कम से कम 38डी) उरोजों के कारण अलग ही दिखती थीं, और गन्दे मजाक करने में तो वह सबसे आगे थीं।
उन सब लोगों ने पहले दीदी को घेरा।
किसी ने कहा कि- “अरे नन्दोई कहां हैं?”
दूबे भाभी बोलीं-
“अरे, पहले नन्द साल्ली से निपट लें, नन्दोई की गाण्ड तो बाद में मारनी ही है…”
और उन्होंने दीदी की साड़ी खींच ली।
मिश्रा भाभी ने भी सीधे ब्लाउज पर हाथ डाला और बोला- “देखूं, शादी के बाद दबवा-दबवा कर मम्मे कित्ते बढ़े हैं…”
पर दीदी भी कम नहीं थी। उन्होंने भी उनके मम्मे पकड़ लिये। छीना झपटी में दोनों के ब्लाउज फट गये।
मिश्रा भाभी ब्रा में बंद अपनी क्वीन साइज चूचियां से दीदी की चूचियां दबाने लगीं।
दीदी ने भी जोर से उनकी चूची को दबाया और बोलीं-
“लगता है, कई दिनों से मेरे भैया ने चूची मर्दन नहीं किया है, चलिये मैं मसल देती हूं…”
मुझे पता ही नहीं चला कि कब जीजू छत पर आ गये और उन्होंने मुझे पीछे से पकड़कर मेरा चूची मर्दन शुरू कर दिया।
उन्होंने मुझे वहीं लिटा दिया और फ्राक खोलकर मेरे जोबन को आजाद कर दिया।
अन्दर, बाहर होली का हुड़दंग, जीजा की की गई मेरी रगड़ाई, मस्ती से मेरी आँखें मुंदी जा रही थी। मुझे पता ही नहीं चला कि कब जीजा ने मेरी पैन्टी उतारी, कब मेरी टांगें उठाकर अपने कन्धों पर रख ली।
मैं मना कर रही थी- “नहीं… जीजू नहीं…”
पर हम दोनों को मालूम था कि मेरा मना करना कित्ता असली है? मुझे तब पता चला जब जीजा की मोटी पिचकारी मेरे निचले गुलाबी होंठों पर रगड़ने लगी। थोड़ी देर उसे छेड़ने के बाद जीजा ने मेरे दोनों कन्धे पकड़कर एक जोर का धक्का मारा।
दर्द के मारे मुझे दिन में तारे दिखने लगे पर जब तक मैं संभलती, जीजा ने उससे भी जोरदार, दूसरा धक्का मार दिया। रोकने के बाद भी मेरे मुँह से चीख निकल गई।
नीचे इतना हंगामा चल रहा था कि किसी को पता नहीं चलने वाला था।
जीजू ने मुझे चूम लिया और मेरे मम्मों को सहलने लगे। मुझे समझाते हुये बोले-
“बस अब और दर्द नहीं होगा…”
मैं कुछ नहीं बोली।
जीजू घबड़ा कर बोले-
“क्यों, बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है, निकाल लूं?”
मैं मुश्कुरा पड़ी और चूतर उठाकर नीचे से हल्का धक्का लगाते हुए बोली-
“क्यों, जीजू इत्ती जल्दी। मुझे तो लग रहा था कि… आपकी पिचकारी में बहुत रंग है और आप खूब देर तक…
लगता है सारा रंग आपने दीदी की नन्द के साथ…”
जीजू-
“अच्छा साली, अभी बताता हूं, अभी दिखता हूं अपनी पिचकारी की ताकत? तेरी फुद्दी को चोद-चोदकर भोंसड़ा बनाता हूं…”
कहकर उन्होंने दोनों चूचियों को पकड़कर पूरी ताकत से धक्का मारा कि मेरी चूत अन्दर तक हिल गई।
कभी वो मेरी दोनों चूचियों को कसकर रगड़ते, कभी उनका एक हाथ मेरी क्लिट को छेड़ता।
मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरा दर्द मस्ती में बदल गया और मैं भी धीरे-धीरे,
नीचे से चूतर हिलाकर जीजू का साथ देने लगी। जैसे ही जीजू को यह अन्दाज लगा उन्होंने चुदाई का टेम्पो बढ़ा दिया।
अब उनका लण्ड करीब-करीब पूरा बाहर निकालते और फिर वह उसे अन्दर पेल देते।
जब वह चूत को फैलाते, रगड़ते हुए अन्दर घुसता।
पहली बार मेरी चूत लण्ड का मजा ले रही थी। दर्द तो हो रहा था पर मजा भी इत्ता आ रह था कि… बस मन कर रहा था जीजू ऐसे ही चोदते रहें।
जब मैंने नीचे झांका तो वहां तो…
मिश्रा भाभी ने दीदी का साया उठा दिया था और वह अपनी चूत दीदी की चूत पर घिस रहीं थीं।
पीछे से दूबे भाभी रंग लगाकर दीदी के मम्मे ऐसे मसल रही थीं…
कि जीजू भी उत्ते जोर से मेरे मम्मे नहीं मसल रहे थे।
पर यह देखकर जीजू को भी जोश आ गया और वह खूब कस के मेरी चूचियों कि रगड़ाई करने लगे।
उनका लण्ड अब धक्के मारता तो वह मेरी क्लिट भी रगड़ता और… मैं तो कई बार…
पर काफी देर की चुदाई के बाद जीजा की पिचकारी ने रंग डाला।
उनके सफेद रंग ने मेरी काम कटोरी भर दी बल्की रंग बहकर मेरी जाघों पर भी बह रहा था।
कुछ देर बाद मैं उठी और अपने कपड़े पहने।
पर तब तक सीढ़ी पर मुझे भाभी लोगों की आने की आवाज सुनाई पड़ी।
मैं तो बचकर नीचे उतर आई पर, बेचारे जीजू पकड़े गये।
बाहर, रंगों के साथ होली के गाने, और, कबीर के साथ गालियों की बौछार हो रही थी। मैंने नीचे झांककर देखा तो, मिश्रा भाभी, दूबे भाभी के साथ 3-4 और पड़ोस की भाभियां थीं। रंगे-पुते होने के कारण जिनके चेहरे साफ नहीं दिख रहे थे।
मिश्रा भाभी तो अपनी लम्बी कद काठी और खूब भारी (कम से कम 38डी) उरोजों के कारण अलग ही दिखती थीं, और गन्दे मजाक करने में तो वह सबसे आगे थीं।
उन सब लोगों ने पहले दीदी को घेरा।
किसी ने कहा कि- “अरे नन्दोई कहां हैं?”
दूबे भाभी बोलीं-
“अरे, पहले नन्द साल्ली से निपट लें, नन्दोई की गाण्ड तो बाद में मारनी ही है…”
और उन्होंने दीदी की साड़ी खींच ली।
मिश्रा भाभी ने भी सीधे ब्लाउज पर हाथ डाला और बोला- “देखूं, शादी के बाद दबवा-दबवा कर मम्मे कित्ते बढ़े हैं…”
पर दीदी भी कम नहीं थी। उन्होंने भी उनके मम्मे पकड़ लिये। छीना झपटी में दोनों के ब्लाउज फट गये।
मिश्रा भाभी ब्रा में बंद अपनी क्वीन साइज चूचियां से दीदी की चूचियां दबाने लगीं।
दीदी ने भी जोर से उनकी चूची को दबाया और बोलीं-
“लगता है, कई दिनों से मेरे भैया ने चूची मर्दन नहीं किया है, चलिये मैं मसल देती हूं…”
मुझे पता ही नहीं चला कि कब जीजू छत पर आ गये और उन्होंने मुझे पीछे से पकड़कर मेरा चूची मर्दन शुरू कर दिया।
उन्होंने मुझे वहीं लिटा दिया और फ्राक खोलकर मेरे जोबन को आजाद कर दिया।
अन्दर, बाहर होली का हुड़दंग, जीजा की की गई मेरी रगड़ाई, मस्ती से मेरी आँखें मुंदी जा रही थी। मुझे पता ही नहीं चला कि कब जीजा ने मेरी पैन्टी उतारी, कब मेरी टांगें उठाकर अपने कन्धों पर रख ली।
मैं मना कर रही थी- “नहीं… जीजू नहीं…”
पर हम दोनों को मालूम था कि मेरा मना करना कित्ता असली है? मुझे तब पता चला जब जीजा की मोटी पिचकारी मेरे निचले गुलाबी होंठों पर रगड़ने लगी। थोड़ी देर उसे छेड़ने के बाद जीजा ने मेरे दोनों कन्धे पकड़कर एक जोर का धक्का मारा।
दर्द के मारे मुझे दिन में तारे दिखने लगे पर जब तक मैं संभलती, जीजा ने उससे भी जोरदार, दूसरा धक्का मार दिया। रोकने के बाद भी मेरे मुँह से चीख निकल गई।
नीचे इतना हंगामा चल रहा था कि किसी को पता नहीं चलने वाला था।
जीजू ने मुझे चूम लिया और मेरे मम्मों को सहलने लगे। मुझे समझाते हुये बोले-
“बस अब और दर्द नहीं होगा…”
मैं कुछ नहीं बोली।
जीजू घबड़ा कर बोले-
“क्यों, बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है, निकाल लूं?”
मैं मुश्कुरा पड़ी और चूतर उठाकर नीचे से हल्का धक्का लगाते हुए बोली-
“क्यों, जीजू इत्ती जल्दी। मुझे तो लग रहा था कि… आपकी पिचकारी में बहुत रंग है और आप खूब देर तक…
लगता है सारा रंग आपने दीदी की नन्द के साथ…”
जीजू-
“अच्छा साली, अभी बताता हूं, अभी दिखता हूं अपनी पिचकारी की ताकत? तेरी फुद्दी को चोद-चोदकर भोंसड़ा बनाता हूं…”
कहकर उन्होंने दोनों चूचियों को पकड़कर पूरी ताकत से धक्का मारा कि मेरी चूत अन्दर तक हिल गई।
कभी वो मेरी दोनों चूचियों को कसकर रगड़ते, कभी उनका एक हाथ मेरी क्लिट को छेड़ता।
मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरा दर्द मस्ती में बदल गया और मैं भी धीरे-धीरे,
नीचे से चूतर हिलाकर जीजू का साथ देने लगी। जैसे ही जीजू को यह अन्दाज लगा उन्होंने चुदाई का टेम्पो बढ़ा दिया।
अब उनका लण्ड करीब-करीब पूरा बाहर निकालते और फिर वह उसे अन्दर पेल देते।
जब वह चूत को फैलाते, रगड़ते हुए अन्दर घुसता।
पहली बार मेरी चूत लण्ड का मजा ले रही थी। दर्द तो हो रहा था पर मजा भी इत्ता आ रह था कि… बस मन कर रहा था जीजू ऐसे ही चोदते रहें।
जब मैंने नीचे झांका तो वहां तो…
मिश्रा भाभी ने दीदी का साया उठा दिया था और वह अपनी चूत दीदी की चूत पर घिस रहीं थीं।
पीछे से दूबे भाभी रंग लगाकर दीदी के मम्मे ऐसे मसल रही थीं…
कि जीजू भी उत्ते जोर से मेरे मम्मे नहीं मसल रहे थे।
पर यह देखकर जीजू को भी जोश आ गया और वह खूब कस के मेरी चूचियों कि रगड़ाई करने लगे।
उनका लण्ड अब धक्के मारता तो वह मेरी क्लिट भी रगड़ता और… मैं तो कई बार…
पर काफी देर की चुदाई के बाद जीजा की पिचकारी ने रंग डाला।
उनके सफेद रंग ने मेरी काम कटोरी भर दी बल्की रंग बहकर मेरी जाघों पर भी बह रहा था।
कुछ देर बाद मैं उठी और अपने कपड़े पहने।
पर तब तक सीढ़ी पर मुझे भाभी लोगों की आने की आवाज सुनाई पड़ी।
मैं तो बचकर नीचे उतर आई पर, बेचारे जीजू पकड़े गये।