05-10-2020, 12:48 PM
(This post was last modified: 05-10-2020, 01:05 PM by sanskari_shikha. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैंने नीचे से ही अंशिका को आवाज लगायी: अंशिका...नीचे आओ...मैंने चाय बना दी है और टेबल पर बैठकर उसका वेट करने लगा. थोड़ी ही देर में वो बाहर निकली और वो भी पूरी नंगी और अपनी कमर मटकाती हुई वो नीचे की तरफ आने लगी. उसकी नजरे नीचे ही झुकी हुई थी, उसके पैर जब भी नीचे पड़ते तो उसके दोनों उभार झटके खाते. मैं तो बस यही सोचकर खुश हो रहा था की अंशिका मेरी बातो को कितना मानती है. तभी तो उसने अभी तक कोई कपडा नहीं पहना. यानी की मैंने जो भी उसे उत्तेजित करने के लिए कहा था, अपने दोस्त से चुदवाने वाली बात, उसे भी वो मना नहीं करेगी. ये सोचते हुए ही मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा और मैं सोचने लगा की अपने किस दोस्त को अंशिका की चूत मारने के लिए बोलू.
मन तो कर रहा था की अभी उसे फिर से चोद डालू पर सुबह से तीन बार उसकी बुरी तरह से मारने के बाद अब हिम्मत नहीं हो रही थी. पर ये लंड था की मान ही नहीं रहा था, उसके गोरे चिट्टे और मोटे-ताजे शरीर को देखकर मेरा शेर फिर से शिकार करने को उठ बैठा. वो मटकती हुई आई और टेबल से चाय का मग उठा कर सीधा मेरी गोद में आकर बैठ गयी और मेरी गर्दन से हाथ घुमा कर मुझे अपनी गर्दन की तरफ भींच लिया.. और खुद चाय पीने लगी. अंशिका के दोनों कबूतर मेरी आँखों के सामने उड़ने का प्रयास कर रहे थे..मैंने भी अपनी चाय का एक घूँट भरा और उसके बाद अपना मुंह उसके निप्पल्स पर लगा दिया..चाय की वजह से मेरी गर्म जीभ का स्पर्श उसके पुरे शरीर में रोंगटे खड़े करता चला गया..उसने तन कर अपनी छाती और बाहर निकाली और मेरे मुंह के अन्दर घुसाने का प्रयास करने लगी.
मैं: चाय पी लो पहले. उसके बाद अपना दूध पिलाना मुझे..
अंशिका: हट..बड़े गंदे हो तुम वैसे..इतनी गन्दी बाते कहाँ से सीखी तुमने..
मैं: बस आ गयी..
अंशिका: वैसे क्या सोच रहे थे अभी तुम..
मैं: सच कहू...वो तुमने ऊपर कहा था न अभी की मैं तुम्हे किसी से भी..मेरा मतलब, मेरे किसी भी दोस्त या..किसी और से चुदवा सकता हूँ..तो बस सोच रहा था की किसे कहू...
अंशिका (मेरी आँखों में देखते हुए ): मैंने कह दिया और तुम कर दोगे क्या? अपनी अंशिका को किसी के साथ भी शेयर कर लोगे तुम..बोलो..बोलो न.
मैं थोड़ी देर तक चुप रहा. बात तो वो सही कह रही थी. मैं चाहकर भी अंशिका को किसी और के साथ शेयर नहीं कर सकता था.
मैं: तुम सही कहती हो जान. मैं ऐसा नहीं कर सकता...पर हम इस तरह की बात तो कर ही सकते हैं ना. मैंने नोट किया था की तुम ये बात सुनकर काफी गर्म हो गयी थी और तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी लास्ट वाले सेशन में..
अंशिका (हँसते हुए): तुम्हे धीरे-धीरे ही पता चलेगा न की मेरे वीक पॉइंट्स कौन से है. जिसके बारे में बात करके या जिन्हें छेड़ कर मैं तुम्हे ज्यादा मजे दे सकती हूँ.
मैं: तुम्हारी बॉडी के ज्यादातर तो मुझे पता ही हैं....
अंशिका: अच्छा जी..बताओ फिर..
मैं: और अशिका तब तक चाय पी चुके थे. मैंने उसके कानो के ऊपर जीभ फिरते हुए कहा: एक तो ये है...तुम्हारे सेंसेटिव कान. जिनपर मैं अगर अपनी नंगी जीभ फिरू तो तुम जल बिन मछली की तरह मचलने लगती हो...
अंशिका: अह्ह्ह्ह आउच...... ह्म्म्मम्म . और ...
मैंने उसके एक हाथ को ऊपर उठाया और उसकी बगलों को सूंघते हुए अपनी जीभ वहां घुमाने लगा. अंशिका सीत्कार उठी...: अह्ह्ह्हह्ह......ओह्ह्ह...मम्म..ठीक कहा. और...
मैं: और तीसरी है ये...तुम्हारे निप्पल
ये कहते हुए मैंने उसके निप्पल्स को सिर्फ अपने दांतों तले दबा लिया..बिना अपने होंठ या जीभ लगाये..वो अपनी गद्देदार गांड को मेरी गोद में घिसने सी लग गयी..
अंशिका: आयीईई....स्सस्सस्सस.....मरररर....गयी.....अह्ह्ह.. और. और कहाँ....
मैंने उसे उठा कर सामने डायनिंग टेबल पर लिटा दिया..वो उखड़ी हुई सी साँसों से मेरी तरफ देख रही थी...मानो वो जानती हो की अगला पॉइंट मैं कौनसा बताने वाला हूँ और मैंने जैसे ही अगले पॉइंट यानी उसकी नाभि के ऊपर अपनी तपती हुई जीभ रखी, उसने मेरे सर को अपने पेट के ऊपर जोर से दबा दिया..मेरी जीभ उसकी नाभि की गहरायी में उतर गयी और उसने मेरी गर्दन के चारों तरफ अपनी टाँगे लपेट कर मुझे अपना बंधक बना लिया..
अंशिका: हाय......स्स्स्स......चुसो.....यहाँ....अह्ह्ह्हह्ह......म्मम्मम्म
वो जैसे मुझे अपने पेट में समाना चाहती थी. इतनी जोर से भींच रही थी वो मुझे अपने अन्दर. मैंने किसी तरह से उस पागल के चुंगल से अपना सर छुड़ाया और गहरी साँसे लेते हुए, उसकी आँखों में देखते हुए. नीचे की तरफ खिसकने लगा क्योंकि सबसे मैं पॉइंट तो वहीँ पर था. मैंने उसकी शेव की हुई चूत के ऊपर अपनी जीभ फेराई और फिर अपने हाथो से उसकी चूत के होंठो को अलग-अलग किया. अन्दर का नजारा बड़ा रसीला सा था. गुलाबी रंग की दीवारों से छन कर मीठा पानी बाहर आ रहा था और चूत के सबसे ऊपर की तरफ थी उसकी क्लिट. मैंने अपनी ऊँगली और अंगूठे से उसकी क्लिट के चारो तरफ दबाव डाला तो वो थोड़ी सी उभर कर बाहर की तरफ निकल आई. वो इस तरह से लग रही थी मानो एकदम छोटा सा लंड. मैंने अपने होंठ गोल किये और सीधा उसकी क्लिट के ऊपर जाकर चिपका दिए और उसकी क्लिट को किसी आइसक्रीम की तरह से चूसने लगा...
अंशिका: आआआह्ह्ह ......विशाल्लल्ल्ल्ल......यु आर किलिंग मीई.......... उफ्फ्फ्फफ्फ़....
उसकी एक इंच की क्लिट मेरे मुंह के अन्दर जाकर अपने रस की फुहार कर रही थी...मैंने अपने बीच वाली ऊँगली नीचे की तरफ करके उसकी चूत के अन्दर डाल दी और उसे अन्दर बाहर करने लगा...ऊपर से क्लिट को चूसता रहा और नीचे से उसकी रसीली चूत के अन्दर ऊँगली डालता रहा. अंशिका की तो हालत इतनी खराब हो गयी थी की उसकी चीख भी नहीं निकल पा रही थी अब....सिर्फ मुंह खोले हलके-२ घू-घू की आवाज ही निकाल पा रही थी वो...उसका हाथ मेरे सर के ऊपर था..अपने हिसाब से वो मुझे कण्ट्रोल कर रही थी..मैं जब ज्यादा चूसने लगता तो मेरे बाल खींच कर मुझे ऊपर कर देती और जब और ज्यादा इच्छा होती तो मेरे सर को और तेजी से अपनी चूत के अन्दर घिसने लगती..
उसकी क्लिट बड़ी नाजुक सी थी..मेरे दांतों की वजह से उसे तकलीफ भी हो रही थी...इसलिए मैंने उसे छोड़ दिया और उसकी चूत के दोनों होंठो के ऊपर अपने होंठ लगा कर फ्रेंच किस करने लगा...वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी..अपनी चूत के जरिये धक्के मारकर वो मेरे होंठो को चूसने का प्रयास करती जा रही थी..मेरे मुंह से लार निकल रही थी तो उसकी चूत के मुंह से गरम पानी. मेरा मुंह, नाक, ठोडी सब पूरी तरह से गीले हो चुके थे..
अंशिका (चिल्लाते हुए): आआअह्ह्ह्ह.....विशाल्ल्ल्ल.....ओह्ह्ह बेबी....यु आर सो स्वीट....अह्ह्हह्ह......फक में नाव...फक मीईईईई.......
और वो उठी और मेरे सीने से अपनी चूत को रगडती हुई नीचे तक आई और मेरे खड़े हुए लंड के ऊपर आकर बैठ गयी और फिर सी सी करती हुई वो मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर उतारने लगी. और अंत में जब मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर घुस गया तो उसने मेरी कुर्सी के पीछे वाला हिस्सा पकड़ा और अपनी छाती को मेरे मुंह के ऊपर दबाते हुए..अपनी चूत को मेरे लंड के चरों तरफ घुमाते हुए...ऊपर नीचे करती हुई...मुझे चोदने लगी...हाँ...सही कहा मैंने..मुझे चोदने लगी...क्योंकि मैं तो किसी राजा की तरह कुर्सी पर बैठा हुआ था..सारा काम तो वो ही कर रही थी...
अंशिका: ओह्ह्ह्ह विशाल्ल्ल.....यु नो आल सेंसेटिव पॉइंट्स ऑफ़ माय बोडी......अह्ह्हह्ह्ह्ह.......आई एम् इम्प्रेस.....ओह्ह्ह्ह.....फक मी. नॉव....फक मी..हार्ड....हार्डर....हार्डर....ओह्ह्ह्हह्ह........ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़...
वो अपने पंजो के बल मेरे लंड के ऊपर बैठी हुई तक धिना धिन करती जा रही थी और अंत में हम दोनों का एक साथ रस निकलने लगा...मेरे लंड के प्रेशर से तो वो थोडा सा उछल सी गयी थी और उसकी चूत से मेरा लंड बाहर निकल आया और मेरे लंड से निकलते रोकेट जैसे वीर्य की पिचकारियाँ सीधी ऊपर तक आकर उसके मुंह से टकराई और कुछ उसके मुम्मो से...हम दोनों के बीच पूरा चिपचिपा रस फेल चूका था..कहने की जरुरत नहीं थी..हमें दोबारा नहाना पड़ा उसके बाद. मैंने टोवल लपेट कर जैसे ही बाहर आया..मेरा फ़ोन फिर से बजने लगा..अंशिका अभी तक अन्दर ही थी..
वो फ़ोन स्नेह का था
स्नेहा: हाय...क्या कर रहे हो..
मैं: कुछ नहीं...तुम बताओ.
स्नेहा: आज पड़ाने का इरादा नहीं है क्या..
मैं: नहीं यार...आज नहीं आ पाउँगा...बस अभी आया था किसी जरुरी काम से..आज हिम्मत नहीं है..
स्नेहा: वैसे अब तो तुम्हारे मम्मी-पापा भी नहीं है. कहो तो मैं ही आ जाऊ वहां..अच्छी तरह से पढ़ाई हो जायेगी..
मैं: ठीक है...पर आज नहीं..कल.
स्नेहा: ठीक है, मैं तुम्हे कल फोन कर लुंगी और फिर हम प्रोग्राम सेट करके मिल लेंगे...तुम्हारे घर पर..बाय..
मैं: बाय..
इतनी देर में अंशिका भी बाहर आ गयी और उसने बाहर आते ही अपने कपडे पहनने शुरू कर दिए..शाम होने लगी थी..उसे घर भी जाना था.
अंशिका: विशाल..आज जो सुख...जो प्यार तुमने मुझे दिया है...मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी...तुम ही मेरे सच्चे दोस्त हो जो मेरी इच्छाए और जज्बात अच्छी तरह से समझते हो...आई एम् प्राउड ऑफ़ यु...थेंक्स फॉर टुडे...थेंक्स फॉर एवरीथिंग...
और मुझे एक जोरदार किस करके, दोबारा जल्दी ही मिलने का वादा करके वो चल दी.
शाम को कनिष्का का फ़ोन लगातार आता रहा, पर मैंने उठाया नहीं...मुझे मालुम था की वो मेरे और अंशिका के बारे में ही पूछेगी और शायद अगले दिन आने का भी प्रोग्राम न बना ले..वैसे भी मैंने कल स्नेहा को आने के लिए बोल दिया है.
रात को मैं बाहर चला गया खाना खाने. मैं एक दुसरे ब्लोक में स्थित ढाबे पर गया और वहां बैठ गया..था तो वो एक ढाबा पर वहां के खाने की तारीफ मैंने कई लोगो से सुनी थी, मैंने सोचा आज ट्राई कर ही लेते हैं. मैं बैठा ही था की मुझे पीछे से किसी ने बुलाया: विशाल....तुम क्या कर रहे हो यहाँ?? मैंने पीछे मुड़ा तो देखा वो पारुल थी...मेरी कॉलेज वाली दोस्त, जिसका ब्रेकअप हो चूका था..
मैं: हाय..पारुल...तुम यहाँ क्या कर रही हो..
पारुल: यार, वो मम्मी पापा कही गए हैं बाहर...एक हफ्ते के लिए. रोज पिज्जा बर्गर खा खाकर बोर हो गयी थी...खाना बनाना आता नहीं अभी..इसलिए सोचा की आज कुछ चटपटा खाया जाए, इस ढाबे की काफी तारीफ सुनी है मैंने, इसलिए यहाँ आई थी, पेक करवाकर घर ले जाउंगी, पर तुम क्या कर रहे हो.अकेले बैठ कर खा रहे हो, कोई दोस्त नहीं...क्या .
मैं: यार, मेरा हाल भी तेरे जैसा है, मम्मी-पापा गाँव गए हैं, किसी की शादी में, अगले हफ्ते तक आयेंगे...तो मैंने सोचा की यहाँ आकर खाना खा लेता हूँ.
पारुल: हम्म्म्म... पर अकेले खाने में तुम्हे अजीब नहीं लगेगा...चलो एक काम करो, तुम्हारा खाना भी पेक करवा लेती हूँ मैं, साथ मिलकर खायेंगे, मेरे घर.
उसके घर मैं पहले भी कई बार जा चूका था, पर उसके मम्मी पापा आज घर नहीं थे..इसलिए मुझे थोडा अजीब सा लग रहा था, वैसे भी चुदाई करने के बाद मुझे हर लड़की में सिर्फ एक ही तरह का इंटरस्त आ रहा था. आजकल पर अपनी कॉलेज की फ्रेंड पारुल के बारे में मैंने पहले भी कुछ गन्दा नहीं सोचा था और ना ही मुझे सोचना था..वैसे भी आजकल मेरे पास काफी सारे आप्शन है.
मैं: नहीं यार..रहने दे..तेरे मामी पापा भी नहीं है...ऐसे अच्छा नहीं लगता..
पारुल: ओये...तू कब से इतनी बाते सोचने लगा...तुने क्या मेरे साथ कुछ करना है घर में जो नहीं चल सकता...चल सही तरह से..वर्ना..
मैं: अच्छा बाबा...चलो...तुमसे कौन मुंह लगाये..
मुझे उसका गुस्सा मालुम था, गुस्से में उसके मुंह से गालियाँ निकलने लगती थी, जिससे मुझे काफी चिड थी. पारुल ने अपने साथ-साथ मेरा खाना भी पेक करवा लिया. पर मैंने उसे पैसे नहीं देने दिए और उसने भी ज्यादा जिद्द नहीं की सबके सामने. पारुल का फ्लेट थोड़ी ही दूर पर था..वो पैदल ही आई थी वहां तक, मैंने उसे बाईक पर बिठाया और उसके फ्लेट की पार्किंग में मैंने बाईक लगा दी और लिफ्ट से ऊपर आ गए..लाइफ में एक आंटी भी चड़ी, जो मुझे और पारुल को घूर-घूर कर देख रही थी. पारुल ने मुझे बाद में बताया की वो उसी फ्लोर पर रहती है और शायद सोच रही होगी की मम्मी-पापा के घर पर न होने का फायदा उठा रही हूँ मैं...अपने बॉय फ्रेंड को घर लाकर.
मैं: देखा, मैंने कहा था न, ऐसे अच्छा नहीं लगता, अब लोग क्या बोलेंगे..
पारुल: मुझे लोगो की परवाह नहीं है...समझे और रही बात तुम्हारी, तो तुम्हे तो मम्मी-पापा अच्छी तरह से जानते ही हैं..
तभी उसका मोबाईल बजने लगा.
पारुल: लो जी...मम्मी का नाम लिया और उनका फोन आ गया.
फ़ोन उठा कर : हाँ मम्मी...बोलो...हाँ जी, बस खा रही हूँ...वो जगत ढाबे से लायी थी खाना...हाँ और वहां विशाल भी मिल गया...खाना खाने आया था..मैं उसे भी ले आई साथ में..हाँ अभी यहीं है...ठीक है मम्मी...अच्छा...बाय..गुड नाईट ...
पारुल: देखा...मम्मी कितनी समझदार है...बोल रही थी..अच्छा किया..तू भी अकेले खाने में बोर नहीं होगी अब...
मैं: चल अब जल्दी कर...खाना लगा...बड़ी भूख लगी है..
पारुल ने खाना लगा दिया. खाना खाते हुए : यार विशाल ...एक बात तो बता...तेरा किसी से चक्कर चल रहा है क्या आजकल. मैं हडबडा गया उसकी बात सुनकर: मेरा...नहीं...नहीं तो...
पारुल: छुपा मत..मुझसे...मैंने देखा था तुझे एक दिन...तेरी बाईक पर एक लड़की बैठी थी...थोड़ी मोटी थी ..मेरे जैसी...पर सुन्दर थी..चिपक कर बैठी थी...मैं पापा के साथ कार में जा रही थी...तब देखा था..बोल अब..
मैं: यार...मैंने ये बात किसी को नहीं बताई...इसलिए...तू समझ रही है न...पर अब तुझसे छुपाने का कोई फायदा नहीं है...हाँ..चल रहा है मेरा चक्कर उसके साथ..पर प्यार व्यार जैसी कोई बात नहीं है..
पारुल: प्यार करना भी मत किसी से...बड़ी चोट लगती है जब दिल टूटता है..
और वो गुमसुम सी हो गयी...शायद अपने एक्स को याद करके..
पारुल: पर तू सही है...प्यार नहीं है...फिर भी वो तुझसे इतना चिपक कर बैठी थी...कुछ करा वरा भी है या...अभी तक वोही हाल है तेरा...फट्टू..हिहिहि...
वो सही कह रही थी...जब हम कॉलेज में थे तब मेरी किसी भी लड़की से बात करने की हिम्मत ही नहीं होती थी...यहाँ तक की कॉलेज में भी मेरा वाही हाल था...वो तो अच्छा हुआ की मैंने हिम्मत करके अंशिका का नंबर लिया और फिर ये सब शुरू हुआ...वर्ना मैं अभी भी वोही रहता..फट्टू...
मैं: अरे पारुल..तू नहीं जानती मुझे...अब मैं वो विशाल नहीं रहा...मुझे सब पता है...कैसे मजे दिए जाते है और कैसे लिए जाते हैं...
और ये कहते हुए मैंने उसे आँख मार दी..
पारुल: ओये होए..लुक हूँ इस टाकिंग...मेरा शेर...शाबाश...
और उसने मुझे हाई फाईव दिया. हम खाना खाते रहे.
मैं: तू सुना...तेरा क्या चल रहा है आजकल...
पारुल: यार ..तू तो जानता है न...उस इंसिडेंट के बाद तो मेरा मन प्यार व्यार से उठ गया है...मन करता है की सभी लडको को गोली मार दू...सभी एक जैसे होते हैं...सबको बस एक ही चीज चाहिए...बस चूमना चाटना और लड़की की टांगो के बीच घुसकर साले ......सॉरी मुझे ऐसी लेंगुएज में नहीं बोलना चाहिए...
मैं: नो प्रोब्लम पारुल....पर एक बात कहूँ...तुम भी न कुछ ज्यादा ही सिरिअस हो गयी थी उस उल्लू के पट्ठे के साथ...देखा न...निकल गया मजे लेकर और तुम्हे जो मैं ये लड़की के बारे में बता रहा हूँ...ये काफी प्रेक्टिकल लड़की है...उसने शुरू से ही मुझे कह दिया है की प्यार व्यार या शादी की उम्मीद मत रखना...सिर्फ फिसिकल मजे लो..फ्रेंड बनकर रहो. और कुछ नहीं...
पारुल: वह यार...तेरे तो मजे हैं फिर...कितनी बार मजे ले लिए फिर तुने ...बोल..बोल न...शर्मा क्यों रहा है..
मैं: यार...टोपिक चेंज....
पारुल: हाय....शर्मा रहा है....मतलब पुरे मजे ले चूका है तू...सही है बॉस....यानी अब हमारा फट्टू असल में मर्द बन चूका है... हा हा ...
मैं: हाँ जी...अब आपकी पूछताछ ख़तम हो चुकी हो तो खाना खा ले क्या...
पारुल: ठीक है जी...
उसके बाद हमने खाना ख़तम किया...पारुल बर्तन उठाकर किचन में ले गयी और सिंक में धोने लगी. मैं ड्राईंग रूम में बैठा रहा ..
मैं: पारुल....मैं कुछ हेल्प करू क्या...
पारुल कुछ न बोली...वो घिस घिसकर बर्तन धोती रही...वो उन्हें पटक सी रही थी...मानो किसी बात का गुस्सा उतार रही हो. मैं उसके पास गया तो मुझे उसके सुबकने की आवाज सुनाई दी...वो रो भी रही थी..
मैं: हे...पारुल...क्या हुआ बेबी....रो क्यों रही है...पागल...बोल...बोल न...
पारुल: कुछ नहीं यार...बस कुछ याद आ गया...
मैं: देख..मैंने तुझे उस दिन भी कहा था न की उस कुत्ते को भूल जा अब...तू नहीं मानती...वैसे ऐसा क्या हुआ की तुझे वो याद आने लगा..
पारुल (रोते हुए हंसने लगी): वो ..वो तुने...अपनी फ्रेंड के साथ मजे लेने वाली बात कही न...बस...वोही सुनकर...विशाल ..तू तो जानता है...आई वास फिसिकल विद हिम....एंड...एंड...आजकल.......मुझे वो सब बहुत याद आता है....यु नो व्हाट आई मीन. मैं समझ गया की उसे पहले की चुदाई आजकल काफी याद आ रही है...
मैं: हम्म.....तुम किसी और के साथ...आई मीन...किसी के साथ...फ्रेंडशिप कर लो फिर से...ऐसे कब तक रहोगी...
पारुल (चिल्लाते हुए): क्या करू मैं ...शहर में जाकर चिल्लू क्या...की आओ जी...मुझे कोई चाहिए....जो प्यार व्यार के चक्कर में न पड़े....बस शारीरिक मजे ले और दे....ये बोलू क्या मैं बाहर जाकर....स्टुपिड..
मैं: यार...ये मैंने कब बोला...
पारुल: लुक विशाल....ये हम लडकियों के लिए उतना आसान नहीं है....जितना तुम लडको के लिए है...आई एम् डिप्रेस ...बिकोस ऑफ़ दिस ...
और वो फूट फूटकर फिर से रोने लगी. मैं उसके पीछे गया और उसके पेट में हाथ डाल कर पीछे से खड़ा हो गया और उसके सर को पीछे से चूम लिया.
मैं: चुप कर पारुल....चुप कर...प्लीस...
मैंने आज पहली बार पारुल को छुआ था...मतलब इस तरह से, इससे पहले सिर्फ हाथ ही मिलाया करता था बस...पर उसकी कम हाईट की वजह से मेरे हाथ उसके मोटे मुम्मो के थोडा ही नीचे थे और उसके थुलथुले से पेट के ऊपर थिरक से रहे थे और ऊपर की तरफ से लटकते हुए चुचे मेरे हाथो के ऊपर टच भी हो रहे थे..सच कहूँ...आज से पहले मैंने पारुल के बारे में कुछ भी गलत नहीं सोचा था...वो मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी...थोड़ी सी मोटी थी पर उसका चेहरा काफी अट्रेक्टिव था और उसके सीने से बंधे हुए दोनों मुम्मे तो कमाल के थे..अंशिका से भी बड़े...पर अंशिका की हाईट उससे थोड़ी ज्यादा थी, इसलिए वो ज्यादा मोटी नहीं लगती थी...पर पारुल थोड़ी बहुत लगती है. और आज जब मैंने उसे इस तरह से पकड़ा तो मेरे लैंड ने मेरी बात सुने बिना उठाना शुरू कर दिया...सुबह से चार बार उलटी कर चूका था वो...पर फिर भी नयी छुट देखते ही वो फिफ्कारने लगा...उसने मेरी ये बात भी ना मानी की 'भाई ये तो दोस्त है'. और उठता चला गया. पारुल का रोना एकदम से बंद सा हो गया...उसे शायद अपनी कमर पर मेरे खड़े होते सांप का एहसास हो गया था...उसने अपने हाथ सिंक के ऊपर जोर से गाड़ दिए और तेज सांस लेने लगी...
मैं: पारुल....आर यु आलराईट...तुम ठीक हो अब..
पारुल ने सिर्फ सर हिला दिया...कुछ न बोली वो. जहाँ मैं खड़ा हुआ था, मुझे पारुल के आगे का हिस्सा भी दिखाई दे रहा था...उसकी लूस टी शर्ट का गला इतना बड़ा था की जब वो सांस लेती तो वो खुल सा जाता और उसके गले के अन्दर की घाटी मुझे दिखाई देने लगती और वहां से देखने से ये भी पता नहीं चल पा रहा था की उसने ब्रा भी पहनी हुई है या नहीं...मैं उसके साथ कुछ करना नहीं चाहता था...पर मेरा शारीर मुझसे सब करवाता चला गया. मैंने ये जान्ने के लिए की उसने ब्रा पहनी हुई है या नहीं, अपना एक हाथ उसके कंधे पर रख दिया..
मैं: बोलो पारुल...तुम ठीक हो ...अब.
और मैंने अपनी उँगलियाँ उसके नर्म और मुलायम से कंधे के ऊपर जमा दी...मेरी उंगलियों के ठीक नीचे ब्रा स्ट्रेप मिल गए. मैंने उसका कन्धा अपनी उंगलियों में दबा दिया और उसकी ब्रा के स्ट्रेप को थोडा खींच कर वापिस छोड़ दिया. वो कुछ न बोली...मेरी हिम्मत कुछ और बड़ गयी. मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया और अपनी से सटा कर कहा: तुम फिकर मत करो पारुल...सब ठीक हो जाएगा. उसने अपना एक हाथ मेरी कमर में डालकर आगे से दुसरे हाथ से अपना पीछे वाला हाथ पकड़ लिया और मेरे पेट के चारो तरफ घेरा बनाकर मेरे सीने पर सर रख दिया.
मैंने उसके सर के ऊपर एक और किस करी और कहा: देखना...तुम्हे एक से बढकर एक लड़के मिलेंगे...जल्दी ही...
मेरा हाथ उसकी मोटी पीठ के ऊपर नीचे चल रहा था...पतली सी कॉटन की टी शर्ट के नीचे उसके ब्रा स्ट्रेप बम्पर का काम कर रहे थे. मेरी उँगलियाँ ऊपर से नीचे जाती और स्ट्रेप के पास जाकर रुक जाती. फिर नीचे तक जाती और फिर ऊपर. मेरा लैंड अब पूरी तरह से उठ कर उसके पेट वाले हिस्से को गर्मी दे रहा था...पता नहीं वो उसे महसूस कर पा रही थी या नहीं.
पारुल: पर इस बार मैं कोई इमोशनल अटेचमेंट नहीं करुँगी...किसी के साथ भी...जब दिल टूटता है तो बहुत दर्द होता है...
मैं उसे सहलाता रहा.
पारुल:वैसे तुमने ...अगर बुरा न मानो तो ....तुमने किस हद तक उस फ्रेंड के साथ...मेरा मतलब है...
मैं: फक किया है...या नहीं..ये जानना है तुम्हे...है न...
पारुल: साले...इतना भाव क्यों खा रहा है....फट्टू कहीं का...हाँ येही पूछना है मुझे...बता ...कितनी बार पेला है तुने उसे...
मैं: चार बार. और वो भी आज ही..
पारुल (हैरान होकर): साले रेबिट...एक दिन में चार बार...क्या खाता है तू और अभी भी देख...फिर से तैयार है ये तो...
और उसने अपनी आँखों से मेरे लैंड की तरफ इशारा किया और हंसने लगी.
मैं: चलो हंसी तो आई न तुम्हे...चाहे मेरे सिपाही को देखकर ही सही..
कुछ देर तक हम दोनों चुप रहे...
पारुल: यार...मुझे गलत मत समझना....पर क्या ...क्या तू मुझे...मुझे ..एक किस कर सकता..
उसके कहने से पहले ही मैंने उसके चेहरे को ऊपर किया और उसके गोल गप्पे जैसे चेहरे को पकड़ा और उसके होंठो को चूसने लगा किसी पागल की तरह. यार....क्या मीठे होंठ थे उसके...आज तक इन्हें बोलते हुए ही देखा था बस...आज पहली बार चूमने को मिले थे. मैं लगभग दो मिनट तक उसके होंठो को चूसता रहा. उसने मेरी कमर के चारो तरफ अपने हाथ और जोर से लपेट दिए. मेरा दूसरा हाथ सीधा उसके उभार पर गया और मैं उसे दबाने लगा. उसने एक जोर से झटका दिया और मुझे अपने आप से अलग कर दिया. मैं हैरान था की एकदम से उसे क्या हुआ..