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Adultery लवली फ़ोन सेक्स चैट
#50
अंशिका अपनी गांड मटका कर मेरे आगे चल रही थी, बड़ी ही सेक्सी लग रही थी वो पीछे से तभी उसका फ़ोन बजने लगा. उसने बेग से अपना सेल निकाला और देखा, मेरी तरफ देखकर बोली : कनिष्का का फ़ोन है और फिर फ़ोन उठा कर बोली : हाँ...कन्नू बोल..हां..अच्छा...ठीक है...हाँ बस ऐसे ही...घूम रहे है अभी तो...हां हां...अच्छा...ले..ले बात कर ले फिर..
उसने सेल मुझे दे दिया और फुसफुसा कर बोली : कन्नू है, तुमसे बात करना चाहती है, वैसे मैंने इसे रात को बता दिया था की मैं तुम्हारे साथ आज घुमने जाउंगी..लो बात करो..

मैं: हेलो...
कनिष्का: हूँ...कैसे हो...क्या कर रहे हो??
मैं: शर्मा कर रह गया, उसे अच्छी तरह से मालुम था की हम घूम नहीं रहे बल्कि घर पर ही चुदाई कर रहे हैं...
मैं: बस ऐसे ही...तुम बताओ..कैसे फ़ोन किया??
कनिष्का: अच्छा जी, लगता है, दीदी पास ही खड़ी है..बोलो न..एक सेशन तो हो ही चूका होगा अब तक फकिंग का...है न...बोलो..अच्छा, हां या ना ही बोल दो..
मैं: हाँ...
कनिष्का: वाव...मेरा तो मन कर रहा है की अभी वहां आ जाऊ और तुम्हे दीदी के साथ सेक्स करते हुए देखू, पर ये अभी मुमकिन नहीं है..
उसकी बात सुनकर मेरे दिमाग ने इमेजिन करना शुरू कर दिया की मैं अंशिका की चुदाई कर रहा हूँ और कनिष्का सामने नंगी बैठ कर हमें देख रही है और अपनी चूत में ऊँगली डाल रही है. मैंने ये सोचते हुए अपने लंड के ऊपर हाथ रखा और मसलना शुरू कर दिया. पर तभी मैंने देखा की अंशिका मुझे ही देख रही है, अपनी बहन से बात करते हुए और मुझे लंड हिलाते हुए. मैंने जल्दी से टोपिक बदला
मैं: अरे हाँ बिलकुल, मैं करवा दूंगा... आज नहीं, कल...अभी तो हम बाहर है, मूवी देखने का प्रोग्राम है..चलो बाद में बात करते हैं

और फिर मैं अंशिका की तरफ मूढ़ कर बोला : ये तुम्हारी बहन भी न, कह रही थी की एक और कोलेज में फार्म भरना है, उसी के बारे में पूछ रही थी की मेरी कोई जान पहचान है या नहीं. अंशिका कुछ देर तक मुझे घूरती रही और फिर बाथरूम की तरफ चल दी. मैंने चेन की सांस ली.

अन्दर जाते ही मैंने शावर चला दिया और उसे लेकर नीचे खड़ा हो गया. पानी थोडा ठंडा था. अंशिका मुझसे चिपक सी गयी...हम दोनों के शरीर से निकल रही गर्मी की वजह से पानी अब ज्यादा ठंडा नहीं लग रहा था. मैंने अंशिका का चेहरा ऊपर उठाया, और उसे शावर के बिलकुल नीचे कर दिया, चेहरे पर पड़ रही पानी की तेज बोछार की वजह से उसकी आँखे बंद हो गयी. बड़ी ही प्यारी लग रही थी वो मैंने उसके फड़कते हुए गुलाबी होंठो के ऊपर अपनी जीभ फेराई..मेरे दोनों हाथ उसके भीगे हुए बदन पर फिसल रहे थे और मेरे होंठ उसके भीगे चेहरे पर. उसने घूम कर शावर बंद कर दिया और अपनी आँखे खोलकर मुझे बड़े प्यार से देखा. उसके चेहरे पर और पुरे बदन पर पानी की बुँदे ऐसी लग रही थी मानो गुलाब के फूल पर ओस की बुँदे. मैंने एक एक करके उन्हें चाटना शुरू कर दिया. उसने भी अपनी जीभ निकाल कर मेरे पानी भरे चेहरे को अपनी लार से ढक दिया.
फिर वो मुझसे एकदम से अलग हुई और बोली : एक मिनट...मैं अभी आई और ये कहकर वो बाहर निकल गयी.

मैं: सोचने लगा की ये इस वक़्त कहाँ गयी है...

थोड़ी ही देर में वो आई, उसके हाथ में चार बीयर के केन का पेक थे. शायद उसने तब देखे होंगे जब वो फ्रिज से पानी पी रही थी..

मैं: ये क्या...बीयर पीने का इरादा है क्या?
अंशिका: नहीं...तुम्हे पिलाने का इरादा है और वो भी मेरे थ्रू.

मैं: मैं कुछ समझा नहीं..
अंशिका: अभी बताती हूँ..

और उसने एक केन को खोला और बीयर को ऊपर करके अपने चेहरे पर गिराया...वो इतनी ठंडी थी की उसके शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी...पर मैं समझ गया की वो क्या चाहती है. मैं झट से आगे आया और उसके चेहरे से बह कर नीचे आ रही बीयर को गर्दन पर मुंह लगा कर चाटने लगा...वाव....क्या टेस्ट था. अंशिका के शराबी बदन के साथ बीयर का टेस्ट और भी मजेदार लग रहा था..या ये कह लो की बीयर का नशा और भी बढ़ गया था.

मैं: ये...कहाँ से आया तुम्हारे दिमाग में...
अंशिका: एक मूवी में देखा था और जब से तुम्हारे फ्रिज में बीयर देखी है, मैंने तभी से सोच लिया था की मैं भी ट्राई करुँगी..अब तुम टाईम वेस्ट मत करो..जल्दी से चाटो...एक बूँद भी नीचे नहीं गिरनी चाहिए. समझे.

वो अपने चेहरे पर धीरे-धीरे बीयर की बूंदे टपका रही थी और मैं उन्हें चाटने में लगा हुआ था. मैंने उसके हाथ से केन लिया और सीधा उसके मुंह के ऊपर बीयर टपकाई...

अंशिका: उन्...मुझे इसका टेस्ट अच्छा नहीं लगता...
मैं: अच्छा लगेगा...थोडा मुंह तो खोलो...

पर उसने नहीं खोला..मैंने केन को मुंह लगा कर एक बड़ा सा घूँट भरा और सीधा उसके होंठो पर अपना मुंह लगा दिया और उन्हें खोलकर अपने मुंह के बीयर उसके मुंह में डालने लगा..ठीक उसी अंदाज में जैसे बोंटे पार्क में मैंने उसे पानी पिलाया था. मेरे मुंह से बीयर सीधा उसके गले में जाने लगी...वो कसमसाई पर फिर जब एक-दो घूंट नीचे उतरे तो शायद उसे भी मजा आने लगा...मैंने अपना मुंह हटाया और फिर ऊपर की तरफ से केन से सीधा उसके मुंह पर बीयर टपकाई...इस बार उसने मुंह खुला ही रखा. जितनी उसके मुंह के अन्दर गयी. वो पी गयी और बाकी उसकी गर्दन से नीचे होती हुई आई जिसे मैंने अपनी जीभ से चाटकर पी लिया. सच में, बड़ा ही मजा आ रहा था.
थोड़ी ही देर में वो केन खाली हो गयी. मैंने अंशिका को नीचे लिटाया और दूसरी केन खोलकर उसके मोटे मुम्मो पर बीयर गिराई और फिर उन्हें चाटने लगा. 

अंशिका: आआआह्ह्ह स्सस्सस्सस.....म्मम्मम्मम.....अह्ह्हह्ह...

ठंडी बीयर के बाद मेरी गर्म जीभ के एहसास से वो बाथरूम के फर्श पर किसी मछली की तरह से तड़प रही थी. मैंने उसके दोनों मुम्मो पर बीयर गिराई और उन्हें चाटा, फिर थोडा नीचे लेजाकर नाभि वाले हिस्से में भी बीयर डाल दी, उसकी गहरी नाभि के अन्दर बीयर डालने से जब वो भर गयी तो मैंने वहां भी अपना मुंह लगा कर उसे पी लिया. अंशिका ने मेरे सर के पीछे हाथ रखकर मुझे अपनी नाभि के ऊपर रगड़ सा दिया.

अंशिका: ऊऊओह्ह्ह्ह.....विशाल.....म्मम्मम्मम.....यु आर किलिंग मी......अह्ह्हह्ह.....

उसकी दोनों टाँगे मेरी पीठ के ऊपर आ चुकी थी, शायद वो भी जान चुकी थी की अब उसकी चूत के अन्दर बीयर डालूँगा मैं और जब मैंने अपना चेहरा उसकी नाभि से हटा कर उसकी चूत के ऊपर किया...तो वहां से निकल रही गर्मी के थपेड़ो को मैं अपने चेहरे पर साफ़ महसूस कर पा रहा था. वो भी अपनी कोहनियों के बल आधी लेती हुई मुझे ही अपनी चूत को निहारते हुए देख रही थी. मैंने बीयर का केन उसकी चूत के ऊपर लेजाकर थोडा टेड़ा किया और जैसे ही ठंडी बीयर की बूंदे उसकी गरमा गरम चूत के अन्दर गयी, उसके मुंह से एक तेज चीख निकल गयी.

आआआआआह्ह्ह्ह....ओह्ह्ह्हह्ह गोड..... म्मम्म.....

मैंने अपनी एक ऊँगली से उसकी चूत को फैलाया और फिर से बीयर अन्दर डाली. इस बार ठंडी बीयर और भी अन्दर गयी और फिर मैंने उसकी आँखों में देखते हुए, अपना चेहरा उसकी चूत के ऊपर झुका दिया और अन्दर से वापिस बाहर आती हुई बीयर को गटागट पीने लगा.

ओह्ह्ह....माय....बेबी....सक....मी....आआअह्ह्ह ....ओह्ह्ह ...गोश......अह्ह्ह्ह......

मैं उसकी चूत के अन्दर बीयर डालता जा रहा था और बाहर निकलने से पहले ही उसे पी जाता था. मेरे दिमाग में अब बीयर का सरुर चड़ने लगा था..जिसमे अंशिका की चूत का रस भी मिल चूका था..यानी अल्कोहोल की मात्रा भी बड़ गयी थी. मेरी जीभ उसकी शराबी चूत के अन्दर जाकर धमाल मचा रही थी. मेरा एक हाथ ऊपर की तरफ था, जो उसके मोटे मुम्मे मसलने में लगा हुआ था. उसने एक और केन खोला और अपने मोटे-मोटे पर्वतो पर ठंडी बीयर गिराने लगी. मेरे हाथो में उसके बीयर से भीगे स्तन आ रहे थे, जिन्हें मैं अच्छी तरह से मालिश करने में लगा हुआ था..
वैसे किसी ने मुझे बताया भी था की बीयर से नहाने के कई फायदे हैं और कई लड़कियां बीयर ने नहा कर अपनी स्किन पर ग्लो बनाये रखती है. शायद अंशिका भी ये बात जानती थी. उसे भी बीयर का स्वाद चढ़ चूका था. वो बीच-बीच में अपने चेहरे पर केन लेजाती और एक-दो घूँट पीकर वापिस नीचे अपने बदन के ऊपर बीयर गिराने लगती..मेरा केन भी खाली हो चूका था.
मैं उठकर बैठ गया..अंशिका ने मेरे उफान खाते हुए लंड को देखा और घूमकर मेरे सामने अपनी ब्रेस्ट के बल पर लेट गयी...मैंने दिवार से कमर लगा कर अपना लंड उसके चेहरे के सामने कर दिया और अपनी दोनों टाँगे उसके दोनों तरफ फेला दी. अब उसने अपने हाथ मे पकडे हुए केन से मेरे लंड के ऊपर बीयर डाली..ठंडी बीयर का एहसास जब मुझे अपने लंड पर हुआ तब मुझे पता चला की उसकी क्या हालत हुई थी जब मैंने उसकी चूत में बीयर डाली थी. वो थोड़ी सी बीयर मेरे लंड के ऊपर टपकाती और झटके से उसे मुंह में लेकर चूसने लगती..फिर टपकाती और फिर चूसने लगती...इसी तरह से करते हुए उसने अपना केन भी खाली कर दिया. अब सिर्फ एक और केन बचा हुआ था..
अब हम दोनों की हालत काफी खराब होने लगी थी. वो उठी और मेरे सामने खड़ी होकर अपनी दोनों टाँगे मेरे दोनों तरफ कर ली, अब उसकी रसीली चूत, जिसमे से अभी भी बीयर की बुँदे बाहर निकल रही थी. मेरे सामने थी. नीचे मेरा खड़ा हुआ लंड था. उसने आखिरी केन भी खोला और अपनी छाती पर उसे उडेलना शुरू कर दिया. उसके नशीले बदन से बहकर नीचे आती हुई बीयर किसी झरने की तरह मेरे ऊपर गिर रही थी. हम दोनों का शरीर पूरा चिपचिपा सा हो चूका था. वो धीरे-धीरे नीचे की और आने लगी, और मेरे लंड के ऊपर आकर उसने अपनी चूत को टिका दिया और ऊपर से केन से निकलती हुई धार को सीधा हम दोनों के लंड और चूत के मिलन वाले हिस्से पर गिराते हुए उसने मेरे लंड को अन्दर लेना शुरू कर दिया.

अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ....ओग्गग्ग्ग्ग.....फक्क्क्क........म्मम्मम.......
बीयर के रस से भीगा हुआ मेरा लंड उसकी गर्म चूत के अन्दर घुसता चला गया और जब वो पूरी तरह से अन्दर घुस गया तो उसने खली केन एक तरफ फेंका और अपनी बाहे मेरी गर्दन के चारो तरफ लपेट दी और अपनी छाती से लटके हुए मोटे मुम्मे मुझे चुभाते हुए, मेरे कानो को अपने मुंह में डालकर, चुसना शुरू कर दिया और फिर उसने धीरे-धीरे ऊपर नीचे होना शुरू किया..बीयर का सरुर हम दोनों पर हावी हो चूका था. हलके नशे की खुमारी में उसने और मैंने दोनों तरफ से धक्के मारने शरू किये...

अह्ह्ह्ह ....ओह्ह्ह...विशाल....आई एम्...फीलिंग...होट .....अह्ह्ह्ह....ऊऊ.....ओग्गग्ग्ग्ग.... म्मम्म.....फक मीई. फक मी...हार्ड...बेबी.....
मैं अब नीचे की और पूरा लेट गया और अंशिका को अपने ऊपर पूरा लिटा लिया, उसने अभी भी मेरी गर्दन पर अपने हाथ लपेट रखे थे, मैंने सामने वाली दिवार पर अपने पंजे गाड़कर उसकी गांड के ऊपर हाथ रखा, और नीचे से जानदार झटके मारने लगा. मेरे हर झटके से उसके मोटे मुम्मे ऊपर उछलते और मेरे मुंह पर लगते और उसके मुंह से अलग किस्म की आह सी निकल जाती.
अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह....
और जल्दी ही मेरे लंड से माल निकल कर उसकी चूत में शिफ्ट होने लगा. और मैंने उसके दांये निप्पल को अपने मुंह में डालकर जोर से चुसना शुरू कर दिया और मेरे ऐसा करते ही उसने एक दहाड़ मारकर अपना रस भी निकाल दिया और जोर से हांफती हुई मेरे ऊपर ही झड़ने लगी...
अह्ह्हह्ह्ह्ह ह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल्लल्ल्ल....अह्ह्ह्हह्ह आई..... एम्म्मम्म.... कम्म्मम्म.... इन्न्न्गग्ग..... अह्ह्ह्हह्....
उसने अपनी ब्रेस्ट को मेरे मुंह से छुड़ाने की बहुत कोशिश की पर जब तक मेरे लंड से रस निकलता रहा , मैं उसकी ब्रेस्ट को अपने मुंह में डालकर चूसता रहा और जब हम दोनों सामान्य हुए तो उसने हँसते हुए मेरी तरफ देखा.

अंशिका: यु आर बेड बॉय...यु नो देट...

और मेरे होंठो को जोर-जोर से चूसने लगी. बाथरूम में जिस काम के लिए गए थे, वो हमने सबसे बाद में किया, एक साथ नहा कर हम बाहर निकल आये, अन्दर आते ही अंशिका ने अपने कपडे पहनने चाहे पर मैंने उसके कपडे छीन लिए.

मैं: आज तुम पूरा दिन मेरे साथ नंगी ही रहोगी..
अंशिका: नहीं न...मुझे शर्म आती है...प्लीस मेरे कपडे दे दो..अच्छा चलो, सिर्फ ब्रा-पेंटी ही दे दो.

मैं: मैंने कहा न, नहीं तो नहीं... क्या पता तुम्हे नंगा देखकर मेरा फिर से मन कर जाए तुम्हारी चुदाई करने का.
अंशिका मेरे पास आई और मेरे गले में अपनी बाहें डालकर बोली : वो तो तुम कुछ भी करो आज मैं तुम्हे नहीं रोकूंगी. पर मेरे कपडे तो दे दो न..

मैं: नहीं.
अंशिका: तुम बड़े जिद्दी हो..

और वो मेरे सीने पर हलके-हलके मुक्के मारने लगी

मैं: अच्छा एक बात तो बताओ...वो जो तुमने कहा था की मैं तुम्हे प्रेग्नेंट कर सकता हूँ...क्या सच में तुम ये चाहती हो??
अंशिका (शरमाते हुए अपना सर मेरी गर्दन में घुसाते हुए): यार, तुम उस समय की बातो को याद करके मुझे परेशान मत करो.

मैं: अच्छा जी...पर बताओ तो सही...क्या सच में तुम ये चाहती हो और ये भी की मैं तुम्हारी ब्रेस्ट का मिल्क पीऊ.
अंशिका: ये दोनों चीजे तो तुमने ही कही थी...मैंने तो सिर्फ तुम्हारी बात मान ली..तुम खुश तो मैं भी खुश.

मैं: मतलब , अगर मैं जो भी कहूँ तो तुम उसे मना नहीं करोगी..
अंशिका: हूँ..नहीं करुँगी...ट्राई कर के देख लो.

मैं: तो मैं चाहता हूँ की तुम मेरे दोस्त के साथ भी ये सब करो जो तुमने मेरे साथ किया है..
अंशिका एक झटके से मेरे से अलग हो गयी और मुझे घूरकर देखने लगी..

मैं: अरे..क्या हुआ? अभी तो तुमने कहा की तुम कुछ भी करोगी, जो मैं करने को कहूँगा..
अंशिका: इसका मतलब ये तो नहीं की तुम मुझे रंडी बना दो.

मैं: इसमें रंडी बनने वाली क्या बात है. मैंने तो वोही कहा जो मेरे मन में था..वैसे अगर ये बात तुम कहती की तुम मुझे अपनी किसी सहेली से शेयर करना चाहती हो तो मैं भी मान लेता.
अंशिका: लड़के और लड़की में फर्क होता है..तुम लड़के तो किसी के साथ भी शुरू हो सकते हो, पर ये हम लडकियों के लिए पोसिबल नहीं है...वैसे भी, मुझे पता है की तुम मजाक कर रहे हो.

मैं: नहीं, मैं मजाक नहीं कर रहा..मैं सच में चाहता हूँ की तुम मेरे दोस्त के लम्बे लंड को अपनी चूत में डालकर बहुत मजे लो.

मैंने ये बात उसकी आँखों में देखकर बोली थी...उसकी फेली हुई आँखे एकदम से गुलाबीपन में डूब गयी. उसकी साँसे तेज होने लगी, इतनी तेज की मुझे उनकी आवाज साफ़ सुनाई दे रही थी..लगता था मानो वो अपने 
जहन में वो सब सोचकर उत्तेजित हो रही थी. उसने अपनी छाती के ऊपर टावल लपेट रखा था, जो उसकी जांघो तक आ रहा था, पर मोटी ब्रेस्ट की वजह से आगे की तरफ से उस छोटे से टावल में गाँठ नहीं लग पा रही थी, इसलिए उसने अपने हाथो से उसे सामने की तरफ से पकड़ा हुआ था. मेरी बाते सुनकर वो अपनी सुध-बुध खोकर बस मुझे घूरे जा रही थी और इस बेहोशी के आलम में उसके हाथ से कब टावल छुट कर नीचे गिर गया, उसे भी पता नहीं चला. वो अपने दांये हाथ को अपनी छाती के ऊपर दबाये खड़ी थी अब..उसे क्या मालुम था की टावल तो कब का उसका साथ छोड़ गया है और उसका हूँस्न अब बेपर्दा होकर मेरे सामने अपने पुरे जलवे बिखेर रहा है.

मैंने झुक कर अपना मुंह उसके ठन्डे से मुम्मे के ऊपर रख दिया और उसे चूसने लगा. मेरे दांतों की चुभन महसूस करते ही वो जैसे नींद से जागी.

अंशिका: अह्ह्ह्ह.....ये क्या कर रहे हो??? बदमाश अभी तो किया है. थोडा तो वेट करो न. प्लीस अह्ह्ह्ह

पर मैंने उसके निप्पल्स को चुसना चालु रखा और जल्दी ही उसने भी अपनी तरफ से रिस्पोंस देना शुरू कर दिया.

अंशिका: अह्ह्ह्हह्ह......तुम न....बड़े गंदे हो.....मेरी बात ही नहीं मानते...ओह्ह्ह...येस्सस्सस्स....
मैं: अंशिका के सामने ही नीचे जमीं पर बैठ गया. और अपना चेहरा ऊपर करके उसकी चिकनी चूत को निहारने लगा.

वो मेरी मंशा समझ गयी, उसने अपना एक पैर ऊपर उठाया और मेरे कंधे पर रख दिया और मेरे सर के पीछे हाथ लगाकर, मेरे मुंह के ऊपर अपनी चूत को लगा दिया.
ऊओयीईई.......माय.......गोड....अह्ह्हह्ह....स्सस्सस्स... उसने अपना दूसरा पैर पंजो के बल उठा रखा था, मेरे दोनों हाथ उसके मोटे ताजे कुल्हो के ऊपर थे और मैं उसकी चूत को स्ट्राबेरी आइसक्रीम की तरह से चाटने में लगा हुआ था.

अंशिका: ओह्ह.....गंदे बच्चे....मुझे अपने दोस्त से चुदवाओगे....हूँ....यु बेड ब़ोय...तुम्हारे दोस्त मेरे अन्दर अपना...अपना...लंड डालेंगे और तुम्हे मजा आएगा क्या...बोलो...बोलो न..

मैंने तो वो बात उसे गरम करने के लिए कही थी, मुझे क्या मालुम था की उसकी सुई अभी तक वहीँ अटकी हुई है. पर उसकी बातो से तो यही लग रहा था की उसे मेरी बात काफी पसंद आई थी. मैंने उसकी रसीली चूत से मुंह हटाया और उसकी तरफ देखकर कहा.

मैं: हाँ मुझे बड़ा मजा आएगा...मुझे मालुम है की मेरी अंशिका कितनी गरम है. उसकी चूत की आग मेरे लंड से नहीं बुझेगी. उसके लिए और भी लंड मंगवाने पड़ेंगे, जो तुम्हारी चूत के अन्दर अपना पानी निकाल कर अन्दर की आग को बुझा देंगे.

मैंने अब खुल कर चूत-लंड की बाते उसके सामने करनी शुरू कर दी थी.

अंशिका: ओह्ह्ह्ह.....माय स्वीटहार्ट .....मेरा कितना ख्याल है तुम्हे....ओह्ह्ह्ह....डलवा देना...मरवा देना... चुदवा देना... अपनी अंशिका को फिर अपने दोस्तों से. सब के लंड का रस अपनी चूत में समेत कर मैं तुम्हे खुश कर दूंगी. पर अभी तो तुम मुझे खुश करो. मेरी चूत के अन्दर की आग जो तुमने भड़काई है... उसे शांत करो.

मुझे किसी दुसरे इनविटेशन की जरुरत नहीं थी. अंशिका की चूत की आग पूरी तरह से फेल चुकी थी और उसके पुरे जिस्म को झुलसा रही थी.

मैं उठा और उसे उठाकर अन्दर की तरफ ले जाने लगा...पर अंशिका ने मुझे चुमते हुए कहा : नहीं....अन्दर नहीं...बाहर सीढ़ियों के ऊपर.

मैंने कोई विरोध नहीं किया, मैं उसे उठाकर अपने कमरे से बाहर निकला और कमरे से नीचे की और जाती सीडियो के बीचो बीच लेजाकर उसे लिटा दिया...उसने सीडियो के साईड की रेलिंग पकड़ ली और अपनी दोनों टाँगे ऊपर की और उठाकर मेरे लंड को सादर आमंत्रित किया. मैं भी उसके निमंत्रण लंड से स्वीकारकर उसके ऊपर झुका और जैसे ही मेरे लंड ने उसकी चूत के गेट के अन्दर एंट्री मारी, वहां पर मोजूद फिसलन और टपकते हुए पानी की वजह से मेरा लंड अन्दर तक फिसलता हुआ चला गया. सीढ़ियों वाला एंगल भी ऐसा मस्त था की मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर तक जा रहा था...

अंशिका: ओह्ह्हह्ह.....विशाल....फक में...हार्ड...मेक मी युअर होर..अह्ह्हह्ह......
मैं (उसकी चूत मी धक्के मारते हुए): होर तो मैं तुम्हे बनाऊंगा ही...मेरे लंड से चुदोगी तुम और फिर मेरे दोस्त तुम्हे पूरा नंगा करके चोदेंगे...अपने लम्बे और मोटे लंड डालेंगे तुम्हारी चूत मी और मैं तुम्हारी गांड मारूंगा...

अंशिका को तो जैसे गांड मारने वाली बात सुनकर झटका सा लगा. उसने मुझे एक ही बार मी ऊपर से नीचे की और लिटाते हुए. खुद मेरे ऊपर लेट गयी. सीडियो के ऊपर अब मेरी पीठ थी और अंशिका मेरे ऊपर झुकी हुई थी, अब उसने मेरे ऊपर उछलना शुरू कर दिया.

अंशिका: अह्ह्हह्ह..... चदुंगी.... तुमसे... तुम्हारे दोस्तों से. किसी से भी. जिसे तुम लेकर आओगे. उसका लंड डालूंगी अपनी चूत में तुम्हारे लिए. सिर्फ तुम्हारे लिए और मेरी कुंवारी गांड भी तुम मारना. डाल देना अपना ये मोटा लंड मेरी गांड में. यहाँ. 

और ये कहते हुए उसने मेरी एक ऊँगली पकड़कर अपनी गांड के छेद पर टिका दी. उसकी हिप्स पर मांस की इतनी मोटी परत थी की मेरी ऊँगली को अन्दर जाने मे भी काफी मुश्किल हो रही थी. मैंने उसकी गांड के रिंग के अन्दर अपनी ऊँगली फंसाई और अंशिका ने उसे पकड़कर अन्दर की तरफ धकेल दिया. उसे मालुम था की तकलीफ तो उसे ही होनी थी..पर फिर भी अपनी चूत और गांड के अन्दर एक साथ भराव महसूस करने का लालच वो छोड़ नहीं पायी...पर पीछे के छेद मे हुए दर्द की वजह से वो चिल्ला पड़ी...

अंशिका: अझ्ह्ह्हह्ह ......म्मम्मम्म .......मर गयी...अह्ह्हह्ह....

और अगले ही पल उसने अपनी चूत से ढेर सारा रस मेरे लंड के ऊपर छोड़ दिया. मेरा लंड उसकी चूत मे और ऊँगली गांड मे फंसी हुई थी. वो झड़ने के बाद मेरे ऊपर लेट गयी और अपने बेजान शरीर को मुझपर बिछा दिया. मैंने नीचे से धक्के मारने शुरू किये और उसके एक मुम्मे को मुंह में भरकर चूसने लगा और जल्दी ही आज की डेट मे, तीसरी बार, मैं झड़ने लगा और अपना सारा दूध उसकी चूत के बर्तन में डाल दिया.

सीढ़ियों पर मेरी पीठ पर चुभ रही थी. इसलिए मैंने अंशिका को अपनी गोद में ही उठा कर, ऊपर की तरफ चल दिया और उसे अपने बेड के ऊपर लिटा कर, साथ ही लुडक गया. उसकी आँखे अभी भी बंद थी. पर वो मंद-मंद मुस्कुरा रही थी. मुझे नहीं मालुम था की वो मेरी चुदाई से संतुष्ट होकर मुस्कुरा रही है या मेरी कही हुई बातो को सोचकर.
मैंने टाइम देखा 4 बजने वाले थे. मैंने नीचे गया और हम दोनों के लिए ब्रेड टोस्ट और चाय बनाकर टेबल पर रख दिया..
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RE: लवली फ़ोन सेक्स चैट - by playboy131 - 19-03-2020, 10:40 PM
RE: लवली फ़ोन सेक्स चैट - by sanskari_shikha - 04-10-2020, 09:59 PM



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