04-10-2020, 12:13 PM
(This post was last modified: 04-10-2020, 12:59 PM by sanskari_shikha. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
अगली सुबह मेरे घर की बेल बजी. मैं आँखे मलता हुआ बाहर गया. बाहर अंशिका खड़ी थी. उसे देखते ही मैं अपनी पलके झपकाना भूल गया. वो ब्लू कलर की साडी में आई थी. चेहरा खिला हुआ सा, कंधे पर बेग और चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान.
अंशिका: मैं जानती थी...तुम अभी तक सो रहे होगे...टाईम देखो. आठ बजने वाले हैं. चलो अन्दर.
वो मुझे धकेल कर अन्दर आ गयी. मैंने दरवाजा बंद किया और उसे देखने की वजह से खड़े हुए लंड को अपने पायजामे में लेकर उसके पीछे चल दिया. वो सीधा किचन में गयी और फ्रिज से पानी निकाल कर पीने लगी..उसकी सुनहरी गर्दन पर हलके पसीने की बूंदे चमक रही थी, बड़ी प्यास लगी हुई थी उसे, थोडा पानी बाहर निकल कर गर्दन से होता हुआ उसकी छाती पर बनी गहरी घाटियों के अन्दर जा पहुंचा.
मैं उसके पीछे गया और उसके नंगे पेट पर अपने हाथ लपेट कर उसकी गर्दन को चूमने लगा...
अंशिका: उन् ...मत करो न...चलो पहले नहा कर, ब्रश करलो...उसके बाद पूरा दिन है...मैं नाश्ता बनाती हूँ...
मैंने उसकी बात मानकर जल्दी से अपने कपडे लेकर बाथरूम गया और शेव करने के बाद, नहा कर, बाहर आ गया. वो मेरे बेडरूम की चादर को सही कर रही थी. मैंने पीछे से जाकर उसे पकड़ लिया और फिर से उसकी गर्दन को चूमने लगा.
अंशिका: ओह्ह्ह...विशाल..पहले नाश्ता तो कर लो..उसके बाद..
मैं: मेरा नाश्ता, लंच और डिनर तो तुम हो आज...तुम्हे ही खाऊंगा मैं आज....
मेरी बात सुनकर वो मेरी तरफ पलटी और मुझसे जोर से लिपट गयी. ओह्ह्ह्ह विशाल्ल्ल्ल....तभी तो आई हूँ मैं. खा जाओ तुम, आज अपनी अंशिका को. मैं पूरी तरह से तैयार हूँ, तुम्हारे सामने हूँ. जैसे मर्जी, वैसे खाओ, पर आज मुझे इतना प्यार करो की मेरे अन्दर की सारी कसक मिट जाए...
मैंने उसकी साडी के पल्लू को नीचे गिरा दिया और ब्लाउस के अन्दर कसमसा रहे उसके दोनों कबूतरों को पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचा.
मैं: आज तो बस तुम देखना, तुम्हे ऐसे खाऊंगा की तुम्हारी भूख और भी बड़ जायेगी और तुम मेरे लंड की गुलाम हो जाओगी
अंशिका: अच्छा जी...देखते हैं...कौन किसका गुलाम होता है आज...मैं तुम्हारे लंड की या तुम्हारा लंड मेरी चूत के रस का...
उसने मुझे बेड पर धक्का दिया और मेरी गोद में आ बैठी...
मैं उसके मुंह से पहले भी लंड और चूत जैसे शब्द सुन चूका था..पर मेरे सामने बैठ कर उसके गुलाबी होंठ जब अपनी चूत से निकलते रस की बात कर रहे थे तो बड़ा मजा आ रहा था, मैंने एक हाथ सीधा उसकी चूत पर और दुसरे हाथ से उसका चेहरा अपनी तरफ खींच कर अपने होंठो पर टिका दिया और उन्हें चूसने लगा..मैंने हाथ नीचे करके उसकी साडी को खींचा और उसे उतार दिया और फिर उसकी पेटीकोट को भी खींच कर उसे भी घुटने तक खींच कर उतार दिया. उसके ठन्डे चुतड मुझे अपने गर्म लंड पर साफ़ महसूस हो रहे थे. उसने भी मेरे होंठ चूसते हुए ही मेरे पायजामे को खोला और उसे मेरे जोकि समेत नीचे उतार दिया और अपनी जांघो के बीच से मेरे उफान खाते लंड को भींच दिया.
मेरे मुंह से एक मादक सी सिसकारी निकल गयी. उसकी मुलायम गांड मेरी टांगो के ऊपर थी और उसकी टांगो के बीच से होता हुआ मेरा लंड उसकी चूत से टक्कर मारता हुआ ऊपर तक आ रहा था, जिसे वो बड़े प्यार से सहला रही थी. मैंने ब्लाउस के हूक खोले और उसे भी उतार दिया और एक झटके से उसकी ब्रा के दोनों स्ट्रेप भी खींच कर नीचे कर दिए और उसके दोनों मुम्मे बाहर की और आते ही मैंने उनपर हमला सा बोल दिया.
वो चीख रही थी. हम दोनों लगभग नंगे होकर एक दुसरे से चुपके हुए से, चूमा चाटी करने में लगे हुए थे. मैंने अपने मुंह की लार से उसकी ब्रेस्ट को पूरा गीला कर दिया था, उसके स्तनों को पीने में बड़ा मजा आ रहा था. अपने मुंह को उनपर रगड़ने से ऐसा लग रहा था की किसी रबड़ के गुब्बारे पर मुंह रगड़ रहा हूँ. उसे इतना मजा आ रहा था की अपनी आँखे बंद किये हुए वो मेरे मुंह को अपनी पूरी ब्रेस्ट पर रगड़े जा रही थी.
अह्ह्हह्ह विशाल्ल्ल.....सक.....सक...मी......अह्ह्हह्ह.....
मैंने उसके दोनों निप्पल अपने हाथो से पकडे और उनपर चुंटी काटकर उन्हें अपने दांतों के बीच चुभलाने लगा. जैसे कोई सुपारी चूसता है. मेरा टावल भी निकल चूका था, और अब मैं पूरा नंगा था. उसकी चूत से बड़ा पानी निकल रहा था, जिसे उसने अपने हाथो में समेटा और मेरे लंड के ऊपर वही हाथ लगाकर उसे ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया. मैंने उसे अपने बेड के ऊपर पटक दिया. अंशिका अपने एक हाथ को अपनी चूत के अन्दर और दुसरे को अपने मुंह में डालकर, पूरी नंगी होकर मेरे बेड के ऊपर पड़ी हुई, किसी पोर्न मूवी की एक्ट्रेस जैसी लग रही थी.
वो मेरे लंड को देखकर अजीब से चेहरे बना रही थी...मानो अपने आप को तैयार कर रही हो, मेरा लंड लेने के लिए. अंशिका ने अपनी दोनों टाँगे फेला कर अलग- अलग दिशा में फेला ली और अपनी चूत के अन्दर तक की झलक मुझे दिखाई. वो शायद चाह रही थी की मैं सीधा उसकी चूत मारना शुरू कर दू. पर मैं आज कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. मैंने उसकी फेली हुई टांगो के ऊपर अपने हाथ रखे और अपना मुंह सीधा उसकी चूत के ऊपर लगा दिया. वो आनंद के मारे किलकारियां मारने लगी...
अह्ह्ह्हह्ह......विशाल्ल्ल......ये क्या....अह्ह्ह्ह......मम्म......म......ओह्ह्ह्हह्ह.....येस्स्स्स......अह्ह्हह्ह......... म्म्म्मम्म्म्मम्म....
मैंने उसकी क्लीन शेव पुस्सी को अपनी पेनी जीभ से चाटना शुरू किया और ये सब करते हुए मेरी नाक, ठोडी और आधे से ज्यादा चेहरा उसकी चूत की चाशनी में भीगकर गीला हो गया...
ओह्ह्ह्ह विशाल्ल्ल्ल....मत तरसाओ न....प्लीस्स्स....कम एंड टेक मी.....
वो मेरा लंड लेने के लिए मरी जा रही थी और इसलिए उसने एकदम से मुझे घुमा कर बेड पर पीठ के बल लिटा दिया. मेरा मुंह अभी तक उसकी चूत के अन्दर फंसा हुआ था. जिसे उसने छुड़ाया और उस रस टपकाती हुई चूत को मेरी छाती और पेट से रगड़ते हुए. मेरे लंड के ऊपर जाकर टिका दिया...
अंशिका: उम्म्मम्म....बड़ा मजा आता है ना...तड़पाने में...हूँ...
उसके दोनों हाथ मेरे हाथो को बेद के ऊपर दबाये हुए थे और उसके दोनों रसीले फल मेरे चेहरे पर टक्कर मार रहे थे. मेरा लंड नीचे से उसकी चूत के दरवाजे पर खड़ा होकर अन्दर जाने का इन्तजार कर रहा था.
अंशिका: जानते हो की मैं कितना तड्पी हूँ. पिछले चार महीने में उसके बाद भी चूसने में वक़्त गँवा रहे हो. कल रात से इस वक़्त का इन्तजार कर रही थी. पता है और तुम हो की...
मैंने एक झटका दिया ताकि मैं अपने हाथ छुड़ा कर उसकी कमर पकड़ लू और लंड डाल दू अन्दर, पर उसकी पकड़ काफी मजबूत थी...
मैं: देखो...अब तुम तडपा रही हो मुझे...
अंशिका: मैं तो खुद तड्पी हूँ इस पल के लिए. मैं कैसे तडपा सकती हूँ तुम्हे. तुमने अपनी वर्जिनिटी इतने टाईम तक मेरे लिए संभाल कर रखी उसके लिए थेंक्स और आज मुझे इतने मजे देना की मेरी सारी ख्वाहिशे पूरी हो जाए और याद है...तुमने एक बार मुझे कहा था की तुम मुझे प्रेग्नेंट करना चाहते हो...तो मेरा भी आज वादा है तुमसे..मेरी चाहे किसी से भी शादी हो, मेरे पेट में आने वाला पहला बच्चा तुम्हारा ही होगा और फिर तुम्हे में अपनी छाती का दूध भी पिलाउगी...
वो जज्बात में आकर ना जाने क्या- क्या बोले जा रही थी. शायद मेरी वर्जिनिटी के बदले ही उसने ये इनाम देने की सोची थी मुझे. ये वो सब बाते थी जो मैंने उसे पहले बताई थी और उसने उन्हें टाल दिया था...
पर अब ये बाते करने का वक़्त नहीं था .उसकी चूत से निकलता रस सीधा मेरे लंड के ऊपर गिर रहा था और किसी मक्खन की तरह से उसे चिकना बनाने में लगा हुआ था. मैंने ऊपर होकर उसके होंठो को फिर से चूम लिया और उसने मेरे हाथ छोड़कर मेरे चेहरे को पकड़कर अपने होंठो को मेरे होंठो पर स्मेश करते हुए जोर से सिसकना चालू कर दिया. मेरे हाथ सीधा उसकी गांड के ऊपर गए और उन्हें हल्का सा धक्का देते हुए नीचे की तरफ लाने लगे. अंशिका की चूत मेरे लंड के ऊपर आकर धंस सी गयी. उसका पूरा शरीर अकड़ गया. शायद उसे दर्द हो रहा था. पर मैं जानता था की ये दर्द तो होगा ही. मैंने उसे थोडा और अपनी तरफ खींचा और मेरा लंड उसकी चूत की सुरंग में जगह बनता हुआ थोडा और अन्दर तक आ गया.
अंशिका: अह्ह्ह्ह......विशाल्ल्ल.....दर्द हो रहा है....
मैं: ओह्ह बेबी....इतना तो होगा ही ....बस हो गया....
और इतना कहकर मैंने उसकी कमर पर हाथ रखकर अपनी छाती से भींचा और नीचे से एक करार झटका मारा. मेरा लंड अब आधे से ज्यादा उसकी चूत के अन्दर घुस गया. अंशिका ने अपना चेहरा मेरी गर्दन के अन्दर घुसा लिया. उसकी गर्म साने और आँखों से निकलते गर्म आंसू मुझे साफ़ महसूस हो रहे थे. पर वो मुझे रोक नहीं रही थी. मैंने उसकी कमर को खींचा और अपना लंड थोडा बाहर निकाला ताकि अगला धक्का मार सकू. पर मुझसे पहले अंशिका ने अपना चेहरा ऊपर उठाया और मेरे झटका देने से पहले ही उसने ऊपर उठकर, अपना पूरा भार मेरे लंड पर डालते हुए, उसे अपनी चूत के अन्दर ले लिया...
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह[b]ह्ह्ह्हह्ह[b]ह्ह्ह्हह्ह[/b] विशाल्ल्ल......ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह.....माय गोड....... म्मम्म......[/b]
उसकी कमर कमान की तरह से पीछे की तरफ मुड गयी, उसके बाल मेरे पैरो के ऊपर आकर उनपर गुदगुदी से करने लगे. मैंने एक हाथ ऊपर लेजाकर उसकी ब्रेस्ट को पकड़ा और उन्हें मसलने लगा. अंशिका ने अपने दोनों हाथ मेरे हाथो को ऊपर रख दिए और उन्हें मसलने लगी और फिर मेरी तरफ देखकर. मेरे लंड के ऊपर उछलने लगी…
ओह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह उम्म्म्म .विशाल...ओह्ह्हू.. फक... अह्ह्ह फक मी...अह्ह्ह्ह ...ऑफ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ्फ़....
मेरा लंड तो मानो किसी वेलवेट जैसी जगह में था, अन्दर से निकलती गर्मी और रसीला पानी, दोनों को मैं साफ़ तरीके से महसूस कर पा रहा था अपने लंड पर. मैंने अचानक से अंशिका को अपनी गोद में उठा लिया और बेड के किनारे पर खड़ा हो गया और उसे लेकर में बाहर की तरफ चल दिया..
वो कुछ समझ नहीं पा रही थी. पर वो कुछ ना बोली. अपनी कमर हिला कर वो मेरे लंड से चिपकी रही, और अपनी बाहे मेरी गर्दन से लपेट कर लम्बी- लम्बी सिस्कारियां लेती रही...
मैं: उसे लेकर बाहर आया और डाईनिंग टेबल के ऊपर लेजाकर लिटा दिया. अब उसकी चूत सीधा मेरी कमर के बराबर थी, मैंने एक टांग उठा कर चेयर के ऊपर रख दी और इस तरह के एंगल से मेरा पूरा लंड अब अंशिका की चूत के अन्दर तक जा रहा था.
मैंने धक्के मारने शुरू किये, मेरे सामने उसके हिलते हुए मुम्मे बड़े ही सेक्सी लग रहे थे. मेरे हर धक्के से वो ऊपर की तरफ जाते और फिर नीचे आते. मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और उसकी चूत के बाहर की तरफ ही रगड़ने लगा. अब तक अंशिका की चूत पूरी तरह से जलने लगी थी. मेरे लंड को उसने हाथ से पकड़कर वापिस छेद पर टिकाया और उसे फिर से निगल गयी....
अंशिका: अह्ह्ह्ह......ऐसा मत करो.....बाहर मत निकालो.....इसे....इतना मजा आ रहा है...इतना तड़पाने के बाद तो आज आया है ये मेरे अन्दर. अब नहीं निकालना. कभी नहीं निकालना...कभी नहीं...कभी नहीं.....
वो ये बोलती गयी और नीचे से धक्के मारकर मेरे लंड को अन्दर निगलती गयी. मैं तो बस अब खड़ा हुआ था, सारा काम नीचे लेटी हुई अंशिका कर रही थी. पर उसकी चूत की पकड़ भी अब तेज थी मेरे लंड पर...जिसकी वजह से मुझे लगने लगा था की जल्दी ही मेरा लंड पानी छोड़ देगा...वो भी शायद समझ गयी थी और वो और तेजी से मेरे साथ झटके खाकर चुदाई करने लगी..
अह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह म्मम्मम ओह्ह्ह्ह ....... म्मम्मम....... अह्ह्ह्हह्ह..... याआअ... हाआअ.....अह्ह्ह्ह.....
वो इतनी तेजी से झटके मार रही थी की मुझे लगा की टेबल ही ना टूट जाए...मैंने उसे फिर से उठा लिया. और उसने मेरी गर्दन में हाथ डालकर अपने नर्म और गीले होंठ फिर से मुझपर रख दिए और मेरी गोड में ही उछल उछल कर चुदवाने लगी....
मैं: बस यही चाहता था की अंशिका से पहले मैं न झड जाऊ. अपनी पहली चुदाई में ही मैं उससे पीछे नहीं रहना चाहता था...
पर जिस तरह से वो मेरी गोद में उछल रही थी मुझे लगने लगा की शायद वो भी झड़ने वाली है. मैंने उसे टाईल वाली ठंडी दिवार से सटा दिया और उसके कंधे पर हाथ रखकर नीचे से ऊपर की तरफ अपने लंड के झटके देने लगा.
अचानक उसका चेहरा ओ के अकार में खुला का खुला रह गया. मैं समझ गया की वो झड़ने लगी है. मैंने उसके खुले हुए मुंह में अपने होंठ डाल दिए और उन्हें चाटने लगा और ऐसा करते ही मेरे लंड से भी एक साथ कई पिचकारियाँ निकल कर सीधा उसकी चूत के अन्दर जाने लगी. जिसे उसने साफ़ महसूस किया और अपनी थकी हुई चूत को वो फिर से मेरे लंड के ऊपर और तेजी से रगडती हुई, सिसकती हुई झड़ने लगी.
अह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल......ओह्ह्ह्हह्ह......म्मम्मम....
और जब तूफ़ान थमा तो उसके पसीने से भीगा हुआ बदन और रस से भीगी हुई चूत मेरे सामने थी. उसने मेरी तरफ बड़े प्यार से देखा और मुझे चूम लिया..
अंशिका: आज तो तुम मुझे खा ही गए...कैसा लगा ये नाश्ता...हूँ...
मैं: अभी पेट भरा है...मन नहीं और भी खाने को मन कर रहा है अभी तो...
अंशिका: तो खा लो ना बेबी...मैं आज पूरा दिन तुम्हारे पास ही हूँ...
मैंने उसे फिर से चूम लिया...मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर से फिसल कर बाहर आ गया और उसके पीछे- पीछे हम दोनों का रस भी..
हम बाथरूम की तरफ चल दिए...एक साथ नहाने के लिए.