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Adultery छोटे छोटे कहानियों का संग्रह
#8
ज़िमेदार अनु

समस्त रिस्तेदारों और सुभचिंतको से निराश हो अनु अत्यंत परेशान हो कर रोती माँ को तड़पते देख समझ नहीं पा रही थी कि वो करे तोह क्या करे कैसे अपनी बीमार माँ के लिए पैसे लाए और घर का एक एक सामान बिक चुका था और घर की माली हालत दैनिय थी और ऐसे मैं अनु बाली उम्र मैं क्या करें ये सोच सोच निराशा के अंधेरे मैं घिरी पड़ी थी ।


माता जी के इलाज मैं ढेर सारे पैसे की ज़रूरत थी और कोई साथ न दे रहा था ऐसे मैं अनु अपने कमरे मे बैठी थी और माँ बगल मे दर्द से करहाती अनु को दुखी देख रोती बोल रही थी बेटी मेरी चिंता न कर मैं तोह बस ये सोच रही मेरे बाद तू कैसे रहेगी अकेली और सुबकने लगती और अनु भी मॉ से लिपट रोने लगती ।


कहते है ना घोर अंधकार मे भी प्रकाश की एक किरण हमेशा चमकती है और ऐसा ही हुआ अनु की नज़र कोने मैं पड़ी पम्प्लेट पर पड़ी और वो आँखों से आँसू पोछ अपने दुपटे को ले उठ खड़ी होती तेज़ कदमों से घर से निकल चलने लगी ओर एक बड़े आलीशान हवेली जैसे मकान के पास पहुँच अंदर दाखिल हुईं और किस्मत से वसंत खान की नज़र दुःखयारी अनु पर पड़ी और इशारे से उसने दरबान को उसे लाने को बोला और अनु एक पल मे है उत्साहित होती वसंत के चरणों को पकड़ रोने लगी और वसंत खान की बेगम साजिया बीवी ने अनु को उठाया और पानी देती उसका ढाढस बढ़ाते बोली क्या बात है बेटी और अनु ने अपनी पूरी ब्यथा कह सुनाई और वसंत खान ने तेज़ आवाज़ से अब्दुल अब्दुल पुकारा और अब्दुल वहाँ पहुँचा और वसंत खान के कहने पर फ़ोन निकाल एम्बुलेंस को बुलवाया और साजिया बीवी ने अनु को अब्दुल के साथ भेझा और अब्दुल ने माता जी को एम्बुलेंस से एक निजी हॉस्पिटल मे दाखिला करवा अनु से बोला बहन चिन्ता मत करो अब माता जी बिल्कुल स्वस्थ हो जाएंगी और अनु भगवान का सुक्र कर माँ के साथ साथ रही और डॉक्टरों ने माँ को एडमिट कर इलाज़ शूरू कर दिया और अनु वहीं बाहर बैठी रही ।


शाम के समय हॉस्पिटल के नियमअनुसार अनु को घर लौटना पड़ा और वो घर आ कर वसंत खान को दिल से धन्यवाद करती रही और घर के चबूतरे पर रासन का सामान पड़ा देख वो भावविभोर हो गई । माँ के बिना अकेले अनु रात भर सो न सकी और सुबह नहा धोकर हॉस्पिटल पहुँची और माँ के प्रसंचित चेहरे को देख बड़ी खुशी से उनसे जा लिपटी और माँ ने प्यार से बेटी के सर को दुलार से सहलाया और माँ को सब बातें बताई और माँ हाथ जोड़ वसंत खान को धन्यवाद करने लगी ।


अब्दुल रोजाना माँ के स्वास्थ्य को देखने आता और ताज़े फल रख जाता ऐसे करते पंद्रह दिनों बाद अनु की माँ बिल्कुल स्वस्थ हो गई और घर पहुँची और अनु ने हाथों से खाना खिला कर वसंत खान को धन्यवाद करने निकल पड़ी ।



अनु को देखते साजिया बीवी ने बड़े आदर के साथ अनु को गले लगाया और वसंत खान के पैरों को छू कर अनु ने अपना आभार ब्यक्त किया और फिर वसंत खान के पूछने पर अनु ने बताया वो बी.ए पास है और वसंत ने अपने कारखाने मे अनु को नौकरी दे दी और अनु सारी दुनिया की खुशियाँ झोली मे बटोर माँ को बताई और माता जी बेटी को सीने से लगा खुशी से रो पड़ी ।

अनु इकिश साल की एक सावली सलोनी कड़क चुचे गोल गाँड और कातिल निगाहें वाली अनचुवी लड़की है जिसका अधिकांश समय माँ के बिगड़े तबियत और पढ़ाई मे गुज़रा , गरिबी के मार से त्रस्त रही ।

वसंत खान कई बड़े बड़े कारखानों का मालिक है और दबंग रोबदार व्यक्तित्व वाला होने के साथ नेक दिल और भोगविलसी है ।


अनु पुरी मेहन्त से लेख जोख का काम करती और कुछ ही महीनों मे वो अपने तेज़ दिमाग से उनत्ति करने लगी और वसंत खान उसके लगन और मेहनत को देख उसके कष्टदायक ज़िंदगी को आरामदायक बनाने लगा और टूटी फूटी मकान को एक नए घर का रूप मिला और अब मोहल्ले मे उसकी माँ रोब से घूमती और बड़े शान से रहती ।


बरसात की रात थी जब अनु ने अपने हर एहसान को चुपचाप रह कर चुकाया , मानो वो खुद फना होना चाहती हो ।
वसंत खान हल्के नशे मे अनु के घर के बाहर दस्तक दिया और गहरे नींद मे सोती माता जी को पता नही चला और अनु ने दरवाज़ा खोला और चढ़े आँखों मे झांकी और गीले बदन से तरबतर वसंत खान को सहारा देती अपने कमरे मे ले गई और वसंत खान अनु के तंग कपड़ो को घूरते खिंच बाहों मे जकड़ कर ज़बरदस्ती चूमने लगा और अनु कौंधती बोली मालिक दरवाज़ा बंद कर के आती हुँ और वो दरवाज़े को बंद कर माँ के दरवाज़े तक जा के देखी और उनके दरवाज़े को खींच बंद करके अपने कमरे मे दरवाज़े को बंद करती वसंत के सामने खड़ी हो गई और वसंत हवस भरी आँखों से अनु के जिस्म को देखता हाथ बढ़ा उसे दबोच कर चूमने लगा और अपने हाथों से उसके छोटे छोटे स्तनों को मसलते बोला तू बड़ी समझदार तेज़ दिमाग वाली छोरी है और एक झटके मे अनु के तंग कपड़ों को खींच फाड़ दिया और अनु के बदन पर बस एक गहरे गुलाबी रंग की पैंटी ही उसके योवन के अन्छुवे गुलाबी कोमल सुर्ख़ छिद्र को छुपाए हुए थी और अनु निर्विरोद अपनी कोमल जवानी वसंत के हाथों मैं सौपी खड़ी थी ।



वसंत अय्याश किस्म का मर्द था जिसने न जाने कितने लड़कियों औरतों को अपने हवस का आग मे जलाया था और कई बेबस आज भी उसकी रखेल बन उसके टुकड़ो पर जी रही थी और वसंत ने अनु को खींच अपने बदन पर दबा कर उसके छोटे छोटे चुतरो को दबाया और बदबूदार शराबी मुँह से लगा होंठो को चुसने लगा और अनु कस्मसाती वसंत का साथ देने लगी और वो भूखे भेड़िये की तरह अनु को बिस्तर पर पटक अपने जिस्म के नीचे रख चढ़ कर बेताहाशा चूमने चाटने लगा और अनु भी स्वेच्छा से खुद को समर्पित कर देने की वजह से प्रथम मर्द के स्पर्श से जलने लगी और आनंद लेने लगी जिस वजह से वसंत खुल कर अनु के जवां जिस्म को मन मुताबिक लूटने लगा और अनु के निप्पलों मैं तनाव उभर गया और उसकी पैंटी खुद के जिस्म की आग से तड़प गिली हो गई और वो करहाने लगी मानो वो वसंत के हवस मैं खुद को झोंक कर तृप्त होना चाहती हो ।



वसंत ने अनु के नाज़ुक झाघो पर अपना गाँड टिक कर बैठ गया और वो मर्द के बोझ से तड़पती चुपचाप लेटी रही और वसंत ने अपनी शर्ट उतार फेकी और वापस अनु के ऊपर सवार हो गया ।अच्छी तरह अनु के जिस्म को चूस चाट के वसंत बिस्तर पर लेट गया और अनु के हाथों को अपने पैंट पर रख बोला ज़रा दिल लगा के चूस दे और अनु ने वसंत के पैंट को धीरे धीरे पूरी तरह उतार कर उसके अंडरवियर को खिंचा और वसंत के लंबे मोटे कड़क लिंग को देखती रह गई मनो वो सहम सी गई हो और वसंत ने अनु के पीठ को सहलाते बोला पसंद आया न और अनु झेंपती उसके अंडरवियर को उतार कर हाथों मे उसके लड़ को पकड़ जैसे तैसे चुसने लगी पर वसंत को लड़ चुसवाने का बड़ा शौक रहता है तोह उसने अनु को रोकते बोला मुँह मे ले कर अच्छी तरह चुसो जैसे कि लॉलीपॉप हो और अनु वैसे ही उसके लड़ को चुसने लगी और न जाने थोड़ी देर मैं ही वो वसंत को करहाने पर मजबूर करती ऐसा चुसने लगी कि वसंत खुशी से झूमते बोला वाह क्या चुस्ती है अनु तुम और उसके सर को लड़ पर दबाते सपूर्ण लिंग चुसवाने लगा और अनु ने वसंत को खुश देख दिल खोल उसके लड़ का सेवा करने लगी और वो मुख चोदते अनु के हलक तक लड़ डालता मज़े लेने लगा ।


जी भर लड़ चुस्वा के वसंत ने अनु को रोकते हुए अपने जिस्म पर लेटा कर होंठो को चुसते हुए उसके कमर पर हाथ फेरते उसकी पैंटी उतारते बोला उठ कर पूरा खोलो अनु और मेरे मुँह पर चुत लगा कर बैठो ,अनु को अजीब लगा पर वो वैसा ही कि जैसा वसंत ने बोला और जैसे है अनु की गुलाबी हल्की झांटो वाली गिली चुत वसंत के होठो पर पड़ी और उसने जीभ फेरा अनु बाबली होती अहह करती चुत के रस से वसंत के पूरे चेहरे को भिगोती हाँफने लगी और वसंत लप लप करता चाटने लगा और अनु इस एहसास से इतनी खुश हुई कि वो खुद के स्तनों को सहलाने लगी और वसंत ने उसके कोमल चुत को पहले मुखमैथुन का सुख दे अनु को अपनी रखैल बना लिया और अनु के रोम रोम मे बिजली कौंधने लगी और उसकी सिशकिया कमरे मे फैलती चली गयी ।



वसंत ने जब अनु को पूरी तरह हवस मे अंधा कर दिया तब वो उठ उसे बिस्तर पर लेटाकर उसके टाँगों को फ़ैलाते बोला दर्द सहना पड़ेगा तुझे और अनु आँखों मे हवस की बहार भरे बोली सह लूँगी और वसंत ने लिंग को उसके चुत के मुहाने घिसते बोला कैसा लग रहा है अनु और अनु काँपते होठो से शर्माती बोली अजीब मज़ा आ रहा है मालिक और वसंत ने उसके चुचियों को हाथों मे भरते हुए धीरे से धक्का मारते अपने लिंग के ऊपरी भाग को उसके कोमल अन्छुवे छेद मे डाला और को करहाती रो पड़ी पर वसंत के सुख के लिए बिना नख़रे किये पड़ी रही और वसंत ने दो चार झटकों के सहारे अनु की चुत को फाड़ता बच्चेदानी तक वार कर दिया और अनु दर्द से बोखलाती चटपटा उठी और दर्द से बेहोश हो गई ।



वसंत बिना हिले वैसे ही अनु को ताकता रहा और कुछ देर बाद अनु को हिलाते बोला उठ जा ,अनु जैसे ही आँखे खोली वो वसंत के कमर को पकड़ रोती बोली बहुत दर्द हो रहा है पर वसंत बोला थोड़ी देर रुक देख कैसे मज़ा देता हूँ और वो हौले हौले अनु की चुत चोदने लगा और दर्द अनु के समर्पण भावना के आगे हार मान चला गया और अनु की पतली कमर उठने लगी जो वसंत ने हाथों से पकड़ दिल खोल धकों से चुदाई करने लगा और अनु की कमुक सिसकियों ने वसंत को गदगद कर दिया और ताबड़तोड़ सख्त चुत चोदते वसंत चर्म सुख के मुहाने पहुँच अनु के चुत मे झड़ बैठा और हाँफते बोला तूने मुझे खुश कर दिया अब तुझे सारी उमर अपनी रखैल बना के रखूँगा अनु और तेरी माँ का भी ख्याल रखूँगा कहता वो अपने लिंग को चुत से खींच निकाल कर बोला देख तेरी कुँवारी चुत के खून से कैसे मेरा लोडा लाल हो गया है और अनु अपनी चुत से वसंत का वीर्य बहाती बस लेटी रही ।



वसंत ने अनु के कपड़ो पर अपना लिंग पोछा और कपड़े पहन बोला फिर आजाउँग रोज आऊँगा तुझे मज़ा देने और वो चुपचाप दरवाज़े को खोल बाहर निकल गया और अनु जैसे तैसे लंगड़ाती दरवाज़ा बंद कर वापस बिस्तर पर लेट अपनी चुत के दर्द और मज़े को सोचती सो गईं ।

समाप्त
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RE: छोटे छोटे कहानियों का संग्रह - by kaushik02493 - 02-10-2020, 11:50 AM



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