29-09-2020, 09:59 PM
(This post was last modified: 30-09-2020, 10:02 PM by sanskari_shikha. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
मम्मी: आजकल बड़ी पार्टियाँ शार्तियाँ हो रही है...
कनिष्का : अरे बोला तो सही नहीं लगा....अब लिख कर दू क्या. वैसे मुझे अपनी दीदी के बॉय फ्रेंड को शेयर करने में कोई प्रोब्लम नहीं है..हा हा..
मैं: पर तुम्हारी दीदी को है..वो तुम्हारे लिए कितनी प्रोटेक्टिव है, मुझे सब पता है, इसलिए तुमसे मिलने भी नहीं दे रही थी मुझे शुरू में तो..
कनिष्का : दीदी की छोड़ो..क्या तुम्हे प्रोब्लम है..अपने आप को मेरे और दीदी के साथ शेयर करने में..
मैं: ये..ये तुम क्या कह रही हो...तुम्हारा तो वैसे भी बॉयफ्रेंड है न..फिर तुम ऐसे क्यों???
कनिष्का : मैंने कहा, वो होस्टल में था, उसे साथ लेकर नहीं घूम रही अभी तक मैं..वहां की बात वहीँ रह गयी...नाव आई एम् सिंगल..एंड रेडी टू मिन्गल..हिहिहि...
मैं: तुमने...तुमने ये कैसे पता किया..मैंने तो..
मैं: मोम...आपका बेटा जवान हो गया है...ये सब तो चलता ही रहेगा अब...
मम्मी: ठहर बदमाश...अभी बताती हूँ तुझे...
पर उनके पकड़ने से पहले ही मैं अपने कमरे में घुस गया और दरवाजा बंद कर लिया. मैंने शायद थोडा ज्यादा खा लिया था..मैं सीधा टॉयलेट में गया...और पेंट उतार कर कमोड पर बैठ गया.
मेरा फोन बजने लगा. मैंने फ़ोन उठाया, वो अंशिका का था..
अंशिका: ये क्या हो रहा है आजकल...तुम्हे फोन करने की भी फुर्सत नहीं है...तुम्हारा फोन अनरीचएबल आ रहा था..पता है, एक घंटे से ट्राई कर रही हूँ...
मैं: सॉरी बाबा...वो इसमें आजकल सिग्नल की प्रोब्लम है..
अंशिका: ठीक है, ठीक है...वैसे क्या कर रहे हो अभी.
मैं: उसे क्या बोलता...
मैं: कुछ नहीं...बस नहाने की सोच रहा था...गर्मी लग रही थी...बाथरूम में आया ही था बस.
अंशिका: ओहो...मैं भी आ जाऊ क्या..
मैं: नेकी और पूछ पूछ...आ जाओ तुम..
अंशिका: पर मुझे तुमपर भरोसा नहीं है, तुम नहाओगे नहीं , कुछ और करने लग जाओगे.
मैं: तो तुम नहीं चाहती की मैं कुछ और करूँ.
वो कुछ न बोली
मैं: बोलो न...चुप क्यों हो गयी तुम...
अंशिका: मैं क्या बोलू...तुम नहीं जानते विशाल, मेरी क्या हालत है आजकल..रात दिन बस तुम्हारे बारे में ही सोचती रहती हूँ..और तुम्हारे साथ कैसे क्या करुँगी, बस यही सब चलता रहता है मेरे दिमाग में...तुम जल्दी कुछ करो विशाल..नहीं तो मैं मर जाउंगी...
मैं: तुम मेरे लंड को लिए बिना नहीं मर सकती...समझी न..
अंशिका (हँसते हुए): मैं तो तुम्हारा लंड लेते हुए ही मरना चाहती हूँ..
मैं: इतना भी लम्बा नहीं है मेरा लंड...सिर्फ सात इंच का है, और इसे लेने से तुम मरोगी नहीं, बल्कि मजे ले लेकर जिन्दा रहोगी..समझी न.
अंशिका: तो कब मुझे जिन्दा कर रहे हो तुम, क्योंकि तुम्हारा लिए बिना तो मेरा शरीर मरे के समान है...
उसकी बात मेरे दिल को छु गयी.
मैं: तुम फिकर मत करो..जल्दी ही मैं कुछ करता हूँ..
उसके बाद कुछ और बाते करने के बाद उसने फोन रख दिया. अब मेरे सामने अपनी जिन्दगी का सबसे बड़ा चेलेंज था...अंशिका की चुदाई करना..और वो भी जल्दी ही...क्योंकि उसकी वजह से कितनी और चुते भी मेरे लंड का इन्तजार कर रही थी..
मैं बाहर निकला तो बाहर से मम्मी और पापा की आवाजे आ रही थी, मम्मी की आवाज कुछ ज्यादा ही तेज थी, शायद उनमे किसी बात पर बहस हो रही थी. मैंने दरवाजा थोडा सा खोला और उनकी बात सुनने लगा
मम्मी: पर तुमने तो कहा था की कोई ना भी जाए तो चलेगा न...और अब कह रहे हो की सभी को जाना है..
पापा: अरे बाबा, कहा तो मैंने, मामाजी का खुद फोन आया था, वो कह रहे थे की बहु और विशाल दोनों को साथ लेकर ही आना.
मम्मी: पर विशाल कैसे जाएगा, उसके कॉलेज भी खुलने वाले हैं, उनका क्या है, वो कहेंगे तो हम सभी उठकर चल देंगे, बच्चे की पढाई तो हमें ही देखनी पड़ेगी न.
मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो बात किसलिए कर रहे हैं. मैं बाहर निकल आया.
मैं: क्या हुआ मोम..
मम्मी: देख विशाल...तेरे पापा क्या कह रहे हैं..
पापा: बेटा, मैं बताता हु, वो मेरे मामाजी है न , जो गाँव में रहते है, उनके पोते के बारे में तो तू जानता ही है..
दरअसल मामाजी के इकलोते बेटे का बड़ा बेटा, जिसकी पिछले साल ही शादी हुई थी पर एक दुर्घटना में उनके पोते की मौत हो गयी और अब पापा के मामाजी, अपने पोते की पत्नी को अपनी बेटी की तरह मानकर, उसकी दूसरी शादी कर रहे हैं.और इसलिए मामाजी चाहते हैं की हम सभी शादी में गाँव आये. मम्मी को इसलिए भी गुस्सा था क्योंकि मामाजी ने एक बार बातो ही बातो में उसकी शादी मुझसे करने की बात की थी पापा से, जिसे सुनकर मम्मी को बड़ा गुस्सा आया था, इसलिए शायद वो गाँव जाने से कतरा रही थी. मैंने मम्मी को समझाया - देखो मम्मी, पहले जो हो गया , सो हो गया, अब जब मामाजी उसकी दूसरी शादी कर रहे हैं तो आप लोगो का जाना तो बनता ही है, वो इतना नेक काम कर रहे हैं, जाना तो मैं भी चाहता हु, पर मेरे कॉलेज खुल रहे है, पर आप फिकर मत करो, मैं मेनेज कर लूँगा. मेरे साथ-साथ पापा भी मम्मी को समझाते रहे और आखिर में मम्मी गाँव जाने को तैयार हो ही गयी.
मैं: तो ठीक है, कब जाना है, मैं आज ही जाकर टिकेट बुक करवा आता हु.
पापा: अगले हफ्ते बुधवार की शादी है, तुम सन्डे की जाने की और फ्राईडे की आने की टिकेट करवा लाओ.
यानी लगभग एक हफ्ता...मेरे दिमाग में तो अंशिका को चोदने के ख्याल आने लगे. मैंने सीधा अपने फ्रेंड के सायेबर केफे गया, जो टिकेटिंग का भी काम करता है, और उससे टिकेट बुक करवा लाया. आज फ्राईडे है,यानी परसों तक मम्मी पापा चले जायेंगे. मैंने घर जाकर टिकेट पापा को दी और अंशिका को फोन मिलाया
मैं: हाय...क्या कर रही थी?
अंशिका: बस, अभी बैठी ही थी लेप्पी पर अपने, कुछ प्रोजेक्ट बनाना है कॉलेज का.
मैं: अच्छा सुनो, एक गुड न्यूज़ है..
अंशिका: क्या ??
मैं: सन्डे को मम्मी-पापा बाहर जा रहे हैं..एक हफ्ते के लिए
अंशिका मेरी बात सुनकर चुप सी हो गयी. फिर वो धीरे से बोली
अंशिका: तो...तो क्या??
मैं: तो ..ये मेरी जान की तुम्हे चोदने का टाईम आ गया है अब घर पर एक हफ्ते तक कोई नहीं होगा..हम जो चाहे कर सकते हैं..
उसकी गहरी साँसों की आवाजे मुझे साफ़ सुनाई दे रही थी..शायद वो आने वाले दिनों की कल्पना करके ही गर्म हो रही थी.
मैं: तुम्हे...तुम्हे ख़ुशी नहीं हुई क्या?
अंशिका: विशाल.......तुम जानते नहीं, इस समय मेरी हालत क्या हो रही है...यु नो...तुम मुझे बता रहे हो की दो दिनों के बाद तुम मेरे साथ सब कुछ करोगे...वो सब, जिसके बारे में हमने ना जाने क्या क्या प्लान बनाये हैं...और अब सिर्फ दो ही दिनों के बाद वो टाईम आ रहा है...आई एम् फीलिंग...फीलिंग..वेट डाउन देयर...
मैं: मेरा भी यही हाल है अंशिका...तुम नहीं जानती की तुम्हारी चूत मारने का मुझे कितना इन्तजार है...अच्छा सुनो, कल तुम्हे कॉलेज के बाद मैं पिक कर लूँगा और फिर हम सन्डे का प्लान बनायेगे..
अंशिका: पर कल तो सेटरडे है, कॉलेज की छुट्टी.
मैं: वह, तब तो और भी अच्छा है, कल हम दोपहर को मिलते हैं ..और मूवी देखेंगे..
अंशिका: वो दरअसल, मैंने और कनिष्का ने कल मार्केट जाने का प्रोग्राम बनाया है..उसे कॉलेज के लिए कुछ ड्रेसेस लेनी है..
मैं: तो ठीक है, उसे भी ले आना...हम सब मिलकर शोपिंग करेंगे, मूवी देखेंगे और हम आपस में प्रोग्राम भी बना लेंगे..
अंशिका: वाव...ठीक है...फिर कल मिलते हैं..बाय ..
मैं: बाय ....
और मैंने फोन रख दिया..मेरी हालत क्या हो रही थी, ये तो आप सब लोग समझ ही सकते हैं. अगले दिन सुबह उठकर मैं तैयार हो गया और नाश्ता करने लगा.
मम्मी: देख बेटा, तू अपना ध्यान तो रख लेगा न, पहली बार तुझे अकेला छोड़कर जा रही हु, कहो तो तुम्हारी मास्सी को बोल देती हु, वो आकर रह लेगी कुछ दिनों तक..
मैं: मोम...इतना भी बच्चा नहीं हु मैं, कभी मुझे छोड़ोगे, तभी तो पता चलेगा न की मुझे कोई प्रोब्लम होती भी है या नहीं...और वैसे भी कॉलेज के बाद मैंने एम्बीऐ करने के लिए पूना जाना है, वहां तो अकेले ही रहना पड़ेगा न..
मम्मी: ठीक है..ठीक है..पर अपना ध्यान रखना..
उसके बाद वो बैठ कर मुझे , ये करना, वो मत करना , ना जाने क्या क्या बताती रही. मैंने जल्दी से नाश्ता ख़त्म किया और बाहर निकल गया. अंशिका का फोन पहले ही आ चूका था, वो अपने पापा की कार लेकर आ रही थी, और मुझे मेनरोड पर मिलने को कहा था दस बजे. मैं बाहर आकर उनका इन्तजार करने लगा, थोड़ी ही देर में वो आई, कार अंशिका चला रही थी और उसके साथ ही कनिष्का बैठी थी.
अंशिका ने कार रोकी और बाहर निकल आई, और मुझे चाबी देकर बोली..: चलो जी..कहाँ ले जा रहे हो..
मैंने चाबी लेते हुए कहा : आज तो मार्केट ही ले जा रहा हु, कल का प्रोग्राम कुछ और है.
वो मेरी बात सुनकर शर्मा गयी.. और दूसरी तरफ जाकर कनिष्का का दरवाजा खोलकर खड़ी हो गयी..तब तक मैं ड्राईविंग सीट पर बैठ चूका था.
कनिष्का : हाय विशाल...कैसे हो??
मैं: हाय कनिष्का..मैं तो मस्त हु..तुम सुनाओ...वैसे आज बड़ी मस्त लग रही हो तुम..
वो भी मेरी बात सुनकर शर्मा गयी..इन दोनों बहनों का चेहरा शरमाते हुए लगभग एक जैसा ही लगता था. अंशिका शायद मेरे साथ आगे बैठना चाहती थी. वो अभी तक दरवाजा खोलकर खड़ी थी.
अंशिका: तुम्हारी बाते हो चुकी हो तो कृपया करके बाहर निकलोगी क्या..
कनिष्का: दीदी..आप प्लीस पीछे ही बैठ जाओ न..मुझे आगे बैठना है आज.
अंशिका: कन्नू....चुपचाप पीछे चलो...मेरी बात एक ही बार में मान लिया करो...
अंशिका ने थोड़े गुस्से में कहा था इस बार. वो भी बुड-बुड करती हुई बाहर निकल गयी, दोनों बहने मेरे साथ आगे बैठना चाहती थी..
मैंने कार चलायी और सबको लेकर एक माल में गया..वहां दो-तीन शो रूम में जाकर कनिष्का अपने लिए कपडे देखती रही, और कुछ लेती भी रही. जब वो चेंजिंग रूम में जाकर कपडे पहन कर देख रही थी तो मैंने अंशिका से कहा : सो...कल के लिए रेडी हो न..
अंशिका: तुमसे कही ज्यादा...पर कोई प्रोब्लम तो नहीं होगी न...
मैं: अब घर में कैसी प्रोब्लम...वहां कोई नहीं होगा और ना ही कोई आएगा...
अंशिका: और एक बात, कल के लिए कुछ प्रिकार्शन ले लेना..समझ गए न..
मेरी पॉकेट में वैसे तो हमेशा से ही कंडोम रहता था, आज से पहले अगर कोई मौका मिलता तो मैं उसको पहन कर ही अंशिका की चूत मारता पर जब अंशिका ने मुझे प्रिकॉशन लेने की बात कही तो मेरे मन में एक ख़याल आया, मैंने सोचा चलो ट्राई करके देखते हैं..क्या पता बात बन जाए.
मैं: नहीं...मैं चाहता हु की पहली बार मैं बिना किसी प्रिकॉशन के करू..तुम कोई टेबलेट ले लेना बाद में..
अंशिका: यार तुम मरवाओगे..टेबलेट्स हमेशा सक्सेसफुल नहीं होती...तुम प्लीस...कंडोम ले लेना..वैसे वो तुम्हारी पॉकेट में ही तो रहता है हर समय..
मैं: नहीं...मैं अपनी वर्जिनिटी किसी रबड़ में लपेट कर नहीं खोना चाहता...अगर करना है तो बिना कंडोम के करना पड़ेगा...वर्ना नहीं..
मैंने कह तो दी थी ये बात पर मुझे डर लग रहा था की अगर अंशिका ने मना कर दिया तो मुझे कंडोम में ही करना पड़ेगा और मेरी बात कच्ची हो जायेगी..मेरा क्या है, मुझे तो चूत से मतलब है, अगर बिना कंडोम के मान गयी तो सही है वर्ना कंडोम के साथ कर लूँगा..
मैंने अंशिका की तरफ देखा. उसकी आँखे लाल हो चुकी थी ये सब बाते करते हुए. उसकी मोटी-मोटी आँखों के सफ़ेद वाले हिस्से पर लाल रंग की पतली नसे मुझे साफ़ दिखाई दे रही थी..
अंशिका: तो...तो.तुम नहीं मानोगे..
मैं: नहीं..
अंशिका: तुम शुरू से ही बड़े जिद्दी हो...अपनी सारी बाते मनवा लेते हो..पर मेक स्योर कोई गड़बड़ न हो..
मेरा दिल तो उछल ही पड़ा उसकी रजामंदी सुनकर...मैंने झट से आगे बढकर उसके गाल को चूम लिया..वहां आस पास खड़े लोग मुझे देखते ही रह गए. तभी अंशिका के पीछे से आवाज आई...: अहेम...अहेम....
वो कनिष्का थी, शायद उसने भी मुझे उसकी बहन को चुमते हुए देख लिया था और गला खनकार कर वो अपने खड़े होने का एहसास करा रही थी. अंशिका ने मुझे आँखों से तरेर कर देखा और पीछे खड़ी हुई कनिष्का की तरफ मुड़ी..वो नया टॉप और जींस पहन कर आई थी बाहर , हमें दिखाने के लिए..उसकी जींस और टॉप के बीच में लगभग दो इंच का गेप था..जिसमे से उसका सफ़ेद रंग का सपाट पेट साफ़ दिखाई दे रहा था..
कनिष्का : दीदी...कैसी है ये ड्रेस???
अंशिका ने उसे गोर से देखना शुरू किया..और मुड़कर उसके पीछे गयी और पीछे से भी देखने लगी...कनिष्का ने मेरी तरफ मुंह करके अपनी दोनों आईब्रो को ऊपर करके मुझसे इशारे से पूछा की ड्रेस कैसी है..मैंने अपनी गर्दन हाँ के इशारे में हिलाई होंठ हिला कर , बिना आवाज निकले उससे कहा "सेक्सी". वो मेरी तारीफ सुनकर शर्मा गयी..
अंशिका: कन्नू...ये शोर्ट टी-शर्ट बड़ी अजीब लगती है..तू लॉन्ग वाली ले ले..हमारे कॉलेज में भी कई लड़कियाँ पहनती है ऐसी..सब यहीं देखते रहते है..
कनिष्का : दीदी..आप भी न..ओर्थोडोक्स वाली बाते करती हो..ये फेशन है आजकल का..मुझे तो ये बहुत पसंद है..आई एम् फीलिंग सेक्सी..इन दिस टॉप..
अंशिका उसकी बात सुनकर कुछ न बोली..वो जानती थी की एक बार अगर कनिष्का ने डिसाईड कर लिया है तो उसे समझाना बेकार है..कनिष्का ने वैसे दो टॉप और एक जींस ली वहां से..उसके बाद उसने एक सूट और दो कुरते भी लिए...कुल मिलकर उसे आज शोपिंग करने का मजा आ रहा था. हमने खाना खाया और उसी माल में लगी हुई मूवी "एजेंट विनोद" देखने चल दिए. हाल खाली था, आगे अंशिका चल रही थी, इसलिए वो जाकर सबसे पहले सीट पर बैठ गयी..मैं उसके साथ ही बैठ गया, मेरे पीछे से आ रही कनिष्का मेरे दांये आकर बैठ गयी...यानी अब मैं उन दोनों बहनों के बीच में था.
अंशिका: अरे कन्नू...तू वहां कहाँ बैठ गयी, वो हमारी सीट नहीं है..तू यहाँ आ, मेरे पास.
कनिष्का : अरे दीदी, कुछ नहीं होता, देखो न, हॉल खाली है, कोई नहीं आएगा यहाँ..
फिल्म शुरू हो चुकी थी, इसलिए अंशिका ने उससे ज्यादा बहस करना उचित नहीं समझा. एक्शन मूवी थी और मेरे आजू बाजू दो मस्त लडकिया बैठी थी. हमारे आगे वाली सीट पर एक जोड़ा बैठा था.जो एक दुसरे से पूरी तरह से चिपक कर बैठा था और मूवी देख रहा था..उन्हें देखकर अंशिका ने भी मेरी बाजू पकड़ी, मेरी कोहनी को अपनी बांयी ब्रेस्ट के ऊपर लगाया और अपना सर मेरे कंधे पर टिका दिया..और मेरे कंधे को चूम लिया.
दूसरी तरफ कनिष्का वैसे तो मुझसे दूर बैठी थी, पर उसकी टाँगे मेरी टांगो से टच हो रही थी. वो उन्हें हिला रही थी, जिसकी वजह से हम दोनों की टाँगे एक दुसरे पर घिसाई कर रही थी. मुझे अभी तक ये पता नहीं चल पाया था की कनिष्का के मन में मेरे लिए क्या है..वो अच्छी तरह से जानती थी की मैं उसकी बहन का बॉयफ्रेंड हु, पर फिर भी उसके हाव भाव से लगता था की वो मेरी तरफ एट्रेक्ट हो चुकी है..मैंने सोच लिया की आज मैं इसका पता लगा कर रहूँगा की मेरा सोचना सही है या गलत. मैंने भी अपनी टांग हिलानी शुरू कर दी..उसने अचानक मेरी तरफ घूम कर देखा..और मुस्कुरा दी..अँधेरे में मुझे सिर्फ उसकी चमकती हुई आँखे और सफ़ेद दांत ही दिखाई दिए.उसने सर आगे करके अपनी बहन को देखा, जो दीन दुनिया से बेखबर, मेरे कंधे पर सर टीकाकार, मूवी देख रही थी और फिर कनिष्का ने मेरी बाजू को अपनी तरफ खींचा, जो सीधा उसकी दांयी ब्रेस्ट से जा टकराई और अपनी बहन की ही तरह, उसने भी मेरे कंधे पर अपना सर टिका दिया और मूवी देखने लगी. अगर उस समय कोई मेरे सामने आकर खड़ा होकर देखता तो मेरे दोनों बाजुओं से लिपटी हुई दो लड़कियाँ जो मेरे कंधे पर सर टीकाकार मूवी देख रही है, पता नहीं क्या सोचता? मैं भी अपने आप को भाग्यशाली समझ रहा था..पर एक प्रोब्लम थी..
उन दोनों ने जिस मदहोशी से मेरी बाजू पकड़ी हुई थी और अपनी गर्म साँसे मेरी गर्दन पर छोड़ रही थी, मेरा लंड खड़ा होने लगा था..मेरी टाईट जींस की वजह से उसे अपना फन उठाने में मुश्किल हो रही थी..उसे एडजस्ट करना बहुत जरुरी था, पर दोनों बहनों ने मेरी बाजुए पकड़ी हुई थी, मैं अगर अपना कोई भी हाथ हिलाता तो उस हाथ वाली को जरुर पता चल जाता..मैं कनिष्का को पहली ही बार में ये नहीं दर्शाना चाहता था की उसके पकड़ने की वजह से मेरा लंड खड़ा हुआ है..इसलिए मैंने अंशिका के कान में धीरे से कहा.
मैं: सुनो...तुम्हारे शरीर की गर्मी से मेरा सिपाही खड़ा हो गया है..पर उसे जगह नहीं मिल पा रही है...एक मिनट मेरा हाथ छोड़ो प्लीस..
अंशिका: उन्...नहीं न...इतना मजा आ रहा है..
मैं: समझा करो...प्लीस..मुझे प्रोब्लम हो रही है..
अंशिका: तो मैं तुम्हारी प्रोब्लम दूर कर देती हु.
और इतना कहकर उसने अपना हाथ मेरे लंड की तरफ खिसका दिया. मैंने देखा की मेरे लंड वाले हिस्से पर घुप्प अँधेरा है, यहाँ तक की मैं भी अंशिका के हाथ हो नहीं देख पा रहा था. उसने मेरे नीचे की तरफ फंसे हुए लंड को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ खिसकाना शुरू किया..पर ये लड़कियाँ क्या जाने की हमारे लंड कितने नाजुक होते हैं..उन्हें किस अंदाज से ऊपर करना चाहिए. मेरा लंड का सुपाड़ा मेरे अन्डरवेअर से टकरा रहा था और उसमे दर्द होने लगा, जिसकी वजह से मेरे मुंह से आह्ह सी निकल गयी..जिसे दोनों बहनों ने साफ़-साफ़ सुना.
कनिष्का ने अपना मुंह ऊपर किया और मेरे कान में फुसफुसाई : क्या हुआ..मैंने थोडा तेज पकड़ा हुआ है क्या??
अब उसे क्या बताऊ, उसने नहीं उसकी बहन ने तेज पकड़ा हुआ है, और वो भी मेरा कन्धा नहीं, मेरा लंड.
मैंने भी फुसफुसाकर कहा : नहीं...ठीक है और वो और घुस कर मुझसे लिपट कर मूवी देखने लगी. और दूसरी तरफ, अंशिका को भी शायद समझ आ चूका था की मेरे लंड को अडजस्ट करना थोडा मुश्किल है, उसने डेयरिंग दिखाते हुए, मेरी जिप खोल दी और अपना हाथ सीधा अन्डर डाल दिया. मेरी तो साँसे ही अटक गयी, वैसे कोई प्रोब्लम नहीं थी, पर उससे ज्यादा मुझे डर लग रहा था, कही कनिष्का ने देख लिया तो क्या होगा..पर अँधेरा इतना था की नीचे कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था. अंशिका ने बड़ी सफाई से अपनी लम्बी उंगलियों का इस्तेमाल करते हुए, मेरे अन्डरवेअर के अन्डर हाथ डाला और मेरा गरमा गरम लंड पकड़ लिया. उसके हाथ लगते ही मेरे शरीर के सारे रोंगटे खड़े हो गए. मुझे सांस लेने में तकलीफ सी होने लगी, मेरा गला सुख सा गया...और यही हाल शायद अंशिका का भी था..उसके दिल की तेज धड़कन मेरी बाजुओं पर साफ़ महसूस हो रही थी. अंशिका ने मेरे लंड को धीरे-धीरे ऊपर की और खिसकाना शुरू किया..और जल्दी ही मेरा शेर ऊपर की और मुंह करके गुर्राने लगा.
मैंने उसके कानो की तरफ मुंह करके धीरे से कहा : थेंक्स..
उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया, और मेरा लंड पकडे-पकडे ही मेरे होंठो पर अपने नर्म और मुलायम होंठ रख दिए. मेरे लंड की तो मानो फटने वाली हालत हो चुकी थी. अंशिका ने अब मेरा लंड बाहर की और निकाल लिया था और उसे ऊपर नीचे करने लगी थी.
अंशिका: क्या यार....ये कन्नू न होती तो अब तक कितने मजे ले लिए होते...
वो अंदर ही अंदर अपनी बहन को गालियाँ निकाल रही थी शायद..
मैं: तुम उसकी चिंता मत करो..वो मस्ती में मूवी देख रही है..तुम जो चाहो वो कर लो..
अंशिका मेरे होंठो को दोबारा चूसते हुए : मन तो कर रहा है की अभी तुम्हारे ऊपर बैठ जाऊ..पर कोई बात नहीं, मैं कल का वेट कर लुंगी..पर ये मौका भी हाथ से नहीं जाने दूंगी..तुम बस कन्नू को इधर मत देखने देना और ये कहकर उसने हमारी सीट के बीच वाली आर्म को ऊपर की और मोड़ दिया..और अपना मुंह नीचे करके मेरे लंड के ऊपर ले गयी..और मेरा लंड सीधा अपने मुंह में डालकर चूसने लगी. मैं तो उसकी हिम्मत देखकर हैरान रह गया, वैसे तो हमारे पीछे और बगल में कोई नहीं बैठा था जिसे अंशिका मेरा लंड चूसते हुए दिखाई दे..पर फिर भी अगर कनिष्का ने एकदम से आगे होकर अपनी बहन को देखा तो उसे सब पता चल जाएगा.
पर ऐसे हालात में लंड चुस्वाने का जो मजा मिल रहा था उसके भी क्या कहने..मैंने अपनी कोहनी को कनिष्का के मुम्मे पर जोर से दबा दिया, मुझे अपनी कोहनी के ऊपर कनिष्का के कठोर निप्पल का एहसास साफ़ तरीके से हो रहा था..मैंने अपनी कोहनी को उसी जगह पर घुमाना शुरू कर दिया, उसके निप्पल्स मेरे हाथो पर किसी कील की तरह से चुभ रहे थे. वो भी मस्ती में आने लगी थी..उसने अपना सर मेरे कंधे से ऊपर उठाया, मैंने भी अपना चेहरा उसकी तरफ किया, शायद कुछ कहना चाहती थी, पर कहने से पहले वो देखना चाहती थी शायद की उसकी बहन तो नहीं देख रही उसे..जैसे ही उसने अपना सर आगे की और करना चाहा , मैंने जल्दी से अपने मुंह उसकी तरफ बड़ा दिया..और उसके होंठो को चूम लिया.
वो एकदम से सकपका गयी और मेरी आँखों में झांककर देखने लगी...मुझे लगा की शायद उसे मेरा चूमना अच्छा नहीं लगा..पर मैं गलत था. अगले ही पल उसने अपनी चूची को मेरे हाथो के ऊपर दबाते हुए, मेरे होंठो पर हमला सा कर दिया और उन्हें बुरी तरह से चूसने लगी. वाह...क्या स्वाद था उसके होंठो का...किसी मिश्री की तरह मीठे थे उसके अनछुए होंठ..
नीचे उसकी बहन मेरा लंड चूस रही थी, उसे क्या मालुम था की ऊपर मैं उसकी छोटी बहन के होंठ चूस रहा हु. मेरे लंड का बुरा हाल तो पहले से ही था, अब दोनों तरफ से चुसाई पाकर मेरा जल्दी ही निकलने वाला था और फिर जब मेरे लंड से रस निकलकर अंशिका के मुंह में जाने लगा...तो मेरे होंठो की पकड़ और भी तेज हो गयी कनिष्का के होंठो पर...उसे अभी तक मालुम नहीं चल पाया था की उसकी बहन मेरा लंड चूस रही है या उसने ये जानने की भी कोशिश नहीं की थी की मैं जब उसके साथ किस कर रहा हु तो उसकी बहन को क्यों पता नहीं चल पा रहा है. पर जो भी हो..मजा तो मुझे दोनों तरफ से मिल रहा था.
जैसे ही अंशिका ने चूसने के बाद मेरा लंड बाहर निकला, मैंने कनिष्का को पीछे कर दिया, ताकि अंशिका को पता न चले. उसके बाद अंशिका ने मेरे लंड को वापिस अंदर कर दिया और अपने बेग से रुमाल निकाल कर अपना मुंह साफ़ करने लगी. दूसरी तरफ कनिष्का बार-बार अपना चेहरा ऊपर करके मेरी तरफ प्यासी नजरो से देख रही थी..शायद वो और भी किस करना चाहती थी...पर अब अंशिका का चेहरा ऊपर था, इसलिए ये मुमकिन नहीं था. मैंने भी कनिष्का को कोई रेस्पोंस नहीं दिया. वो भी मेरी बाजू पर एक दो मुक्के मारकर मुझसे रूठने का नाटक करती हुई पीछे हो गयी और हम सभी आराम से मूवी देखने लगे. मूवी ख़तम होने के बाद, उन दोनों ने मुझे घर के पास छोड़ा..अंशिका का चेहरा खिला हुआ था, पर कनिष्का बुझी हुई सी लग रही थी..शायद मुझसे नाराज हो गयी थी वो.
उन्होंने मुझे बाहर मेन रोड पर उतारा और घर चली गयी. घर पहुंचकर मैं सीधा कमरे में गया और सो गया, पूरा दिन बाहर घूमकर थक गया था.
रात को लगभग 1 बजे मेरे सेल पर कॉल आया, मैंने टाइम देखा और अधखुली आँखों से फोन उठाया.
मैं: हेल्लो...कौन.
दूसरी तरफ कनिष्का थी.
कनिष्का : सो गए थे क्या..
मैं: हाँ , ठनक गया था..इसलिए....इतनी लेट फोन किया..क्या हुआ..सोयी नहीं क्या अभी तक??
कनिष्का : उन..हु...अभी तक नींद ही नहीं आई..
मैं: दीदी कहाँ है तुम्हारी..
कनिष्का : वो तो खर्राटे भर रही है..
मैं: समझ गया की उसने अपनी बहन से छुप कर फोन किया है..
मेरी नींद भी अब खुल चुकी थी.
मैं: तुम्हारी दीदी को अगर पता चल गया न की तुम मुझे रात के एक बजे फोन कर रही हो तो उन्हें बुरा नहीं लगेगा क्या??
कनिष्का : नहीं...पर उन्हें अगर ये पता चला की तुमने मुझे किस्स किया था तो शायद ज्यादा बुरा लगेगा..
मैं: वो..वो दरअसल....मैं करना नहीं चाहता था..तुम्हे तो मालुम ही है..अंशिका और मेरे बीच..क्या चल रहा है..
कनिष्का : हाँ...मालुम तो है..ये तो आम बात है, इस उम्र में..
मैं: पर तुम्हे इतनी देर से अपने साथ बैठा हुआ देखकर और तुम जिस तरह से मुझे पकड़कर बैठी थी..इसलिए मैंने तुम्हे किस्स कर दिया..
कनिष्का : विशाल....मैं इतनी छोटी बच्ची भी नहीं हु...जो कुछ न समझू...दीदी उस समय तुम्हारा पेनिस सक कर रही थी और तुमने मुझे इसलिए किस्स किया ताकि मैं उनकी तरफ ना देख सकू...
ओह्ह... तेरी भेन की..इसको तो सब पता है..मैं चुप रहा और उसकी बाते सुनता रहा..
कनिष्का : पर जब तुम मुझे किस कर रहे थे तो तुम्हारी आँखे तो बंद थी पर मुझे दीदी किस्स करते हुए ना देख ले, इसलिए मैंने आँखे खुली रखी हुई थी..जिसकी वजह से मैंने दीदी को तुम्हारे पेनिस को साफ़ तरीके से सक करते हुए देखा..मालुम तो मुझे पहले से ही था की तुम दोनों काफी आगे बढ चुके हो, पर मुझे ये नहीं मालुम था की दीदी इतनी खुल चुकी है की मूवी हॉल में ही, और वो भी जब मैं साथ हु, तुम्हारे साथ इस तरीके से शुरू हो जायेगी..
मैं: कनिष्का...वो..वो दरअसल..
कनिष्का : सफाई देने की कोई जरुरत नहीं है...मुझे इस बात का कुछ बुरा नहीं लगा की तुम दीदी के साथ किस तरह के मजे लेते हो और ना ही मुझे कोई फर्क पड़ता है..ये तो आम बात है, सभी बॉय एंड गर्ल करते है....पर मैं हैरान जरुर हुई थी जब तुमने मुझे किस्स किया..वैसे सच कहू, मुझे मजा बहुत आया था, मेरा एक बॉय फ्रेंड था होस्टल में..पर वो भी इतना अच्छा किस्सर नहीं था, जितने की तुम हो..बिलकुल इमरान हाशमी की तरह से चूस रहे थे तुम मेरे लिप्स. लगता है, दीदी के साथ काफी प्रेक्टिस की है तुमने..हिहिहि....
मैं: तुम्हे...तुम्हे बुरा नहीं लगा, की तुम्हारी दीदी के बॉयफ्रेंड ने तुम्हे किस्स किया..कनिष्का : अरे बोला तो सही नहीं लगा....अब लिख कर दू क्या. वैसे मुझे अपनी दीदी के बॉय फ्रेंड को शेयर करने में कोई प्रोब्लम नहीं है..हा हा..
मैं: पर तुम्हारी दीदी को है..वो तुम्हारे लिए कितनी प्रोटेक्टिव है, मुझे सब पता है, इसलिए तुमसे मिलने भी नहीं दे रही थी मुझे शुरू में तो..
कनिष्का : दीदी की छोड़ो..क्या तुम्हे प्रोब्लम है..अपने आप को मेरे और दीदी के साथ शेयर करने में..
मैं: ये..ये तुम क्या कह रही हो...तुम्हारा तो वैसे भी बॉयफ्रेंड है न..फिर तुम ऐसे क्यों???
कनिष्का : मैंने कहा, वो होस्टल में था, उसे साथ लेकर नहीं घूम रही अभी तक मैं..वहां की बात वहीँ रह गयी...नाव आई एम् सिंगल..एंड रेडी टू मिन्गल..हिहिहि...
होस्टल के खुले माहोल में जाकर उसकी सोच अंशिका से कितनी अलग हो चुकी थी, इसे मैं अब समझ रहा था..वो अपनी बहन के बॉय फ्रेंड पर डाका डाल रही थी, उसे शेयर करने की बात कर रही थी, अंशिका और मेरे बीच क्या चल रहा है, सब पता है इसे, पर फिर भी वो मेरे पीछे पड़ी हुई थी..ऐसा न हो की इसकी वजह से अंशिका भी मेरे हाथ से निकल जाए.
मैं: देखो कनिष्का..ये सब तो ठीक है...पर अगर अंशिका को पता चल गया तो वो मुझसे कभी बात नहीं करेगी..
कनिष्का : अरे तो घबराते क्यों हो..मैं हु न..तुम्हे मैं संभाल लुंगी..और फिर देखना, दीदी से भी ज्यादा मजे ना दिए तो बात है..
मैं उसकी बात सुनकर हैरान रह गया, कहाँ तो अंशिका अपनी इस छोटी बहन को इतने प्रोटेक्टिव तरीके से रखती है और दूसरी तरफ उसकी बहन चालू किस्म की लडकियों की तरह बाते कर रही है.
मैं: पर तुम ये सब क्यों कर रही हो, और भी तो लड़के है, अगर तुम कहो तो मैं अपने एक दोस्त से तुम्हे मिलवा दू.
कनिष्का (गुस्से में): देखो, अब कुछ ज्यादा ही हो रहा है...एक लड़की तुमसे खुले तरीके से मजे लेने के लिए कह रही है और तुम हो की ना नुकुर कर रहे हो..मुझे कोई प्रोब्लम नहीं है की तुम दुनिया में किसी के भी साथ मजे लो, चाहे मेरी बहन या फिर कोई और, पर जो कुछ भी हम करेंगे वो तुम्हारे और मेरे बीच की बात रहेगी, अगर तुम्हे ये मंजूर है तो बोलो, वर्ना आज के बाद मैं न तो तुमसे इस बारे में बात करुँगी और ना ही कुछ और
मैं: उसकी बात सुनकर घबरा गया, मेरे दिल के अन्दर तो वैसे भी अंशिका के बाद इसको भी चोदने के प्लान बनने लगे थे और अगर मैंने ज्यादा नखरे दिखाए तो ये मेरे हाथ से निकल न जाए, वैसे भी अंशिका ने कहा था की उसे चोदने के बाद मैं किसी को भी चोद सकता हु.
मैं: अरे यार, तुम और अंशिका एक जैसी हो, दोनों को जल्दी ही गुस्सा आ जाता है..ठीक है..पर ध्यान रहे, अंशिका को कुछ पता न चल पाए..
कनिष्का : अब आये न रास्ते पर..वैसे मैं तुम्हे देखते ही समझ गयी थी की तुम चालू किस्म के लड़के हो..
मैं: फिर क्यों इस चालू लड़के के पीछे पड़ी हो..
कनिष्का : क्योंकि मैंने ये भी नोट किया की तुम बेड पर एक जंगली की तरह से पेश आओगे..
मैं उसकी बात सुनते ही उठकर बैठ गया.
मैं: तुमने...तुमने ये कैसे पता किया..मैंने तो..