29-09-2020, 08:53 PM
(This post was last modified: 29-09-2020, 09:49 PM by sanskari_shikha. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
मैं और स्नेहा एक कोने में जाकर टेबल पर बैठ गए और कुछ स्नेक्स खाने लगे. तभी उसकी फ्रेंड वहां आई - हाय...आई एम् हिनल...स्नेहा ने बताया था कल तुम्हारे बारे में.
मैं: हाय हिनल..एंड हैप्पी बर्थडे...यु आरे लूकिंग रेअल्ली गुड एंड सॉरी मैं बिन बुलाये यहाँ आ गया...
हिनल: अरे कोई बात नहीं. ..तुम मेरी सबसे अच्छी फ्रेंड के फ्रेंड हो...और इसने बुलाया या मैंने बुलाया एक ही बात है..एंड थैंक्स फॉर यूर विश एंड कॉम्प्लीमेंट...
हिनल अब मेरे सामने खड़ी थी, इसलिए उसका पूरा ढांचा मैं अच्छी तरह से देख पा रहा था. उसने लम्बी गाउन वाली व्हाईट कलर की ड्रेस पहनी हुई थी..जिसपर चमकीले सितारे लगे थे...और ऊपर से उसने लम्बा सा जुड़ा पार्लर से बनवाया था और कुछ मेकअप भी करवाया था. उसकी ब्रेस्ट का साईज काफी बड़ा था...अंशिका के जितना होगा शायद...ये मुझे क्या हो गया है..आजकल हर लड़की को अपनी आँखों से तोलकर देखने लगा हूँ. मैंने स्नेहा की तरफ देखा, वो मुझे ही घूर रही थी.
स्नेहा: ये ज्यादा पसंद आ रही है...बात करवा दूँ इसके साथ तुम्हारी...बोलो..
उसकी बात सुनकर हिनल हंस पड़ी...
मैं: क्या...क्या कह रही हो?
स्नेहा: घूर तो ऐसे रहे हो इसे...वैसे हमारी क्लास में भी उसके बड़े दीवाने है...और कुछ तो यहीं घूम रहे हैं..हे हे..
ये कहते हुए स्नेहा और हिनल ने अपने हाथ एक दुसरे की तरफ बड़ा दिए...और ताड़ी मारी..
हिनल : और स्नेहा के पीछे भी काफी भँवरे हैं...पर आज तुम्हे यहाँ देखकर ना जाने कितनो के दिल टूट गए होंगे...हा हा...
और फिर से उन दोनों ने एक दुसरे की तरफ हाई फाईव वाले स्टाईल में ताड़ी मारी. उन दोनों की दोस्ती देखकर मैं भी मजे लेने लगा. तभी हिनल को उसकी मम्मी ने बुलाया और वो चली गयी..
स्नेहा: वैसे..तुम हो तो बड़े चालु...
मैं: कैसे...
स्नेहा: हर लड़की का एक्स्सरे करने लग जाते हो तुम तो...वैसे एक बात बताऊँ...ये हिनल ने आज ब्रा नहीं पहनी हुई अन्दर...हे हे..
मैं: उसकी बात सुनकर चोंक गया.
स्नेहा: वो इसकी ड्रेस ही ऐसी थी...पीछे से स्ट्रेप्स दिखाई दे रहे थे..तुमने उसका गला नहीं देखा क्या..पीछे से..
मैंने नजर घुमा कर हिनल की तरफ देखा...माय गोड...उसके पीछे का गला पीठ तक जा रहा था...और उसके साथ ब्रा पहनने का तो कोई सवाल ही नहीं था. काश इसने ये बात पहले बताई होती जब वो मेरे सामने खड़ी थी...तो शायद मैं उसकी ड्रेस में से उसके निप्पल ढूँढने की कोशिश करता..
मैं: और तुमने पहनी हुई है क्या ब्रा...?
स्नेहा (मेरी आँखों में देखते हुए): तुम ही बताओ...
मैंने उसकी छाती पर नजरें जमा दी...वो हलके से मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखती रही...मुझे सच में पता नहीं चल पा रहा था की उसने अन्दर ब्रा पहनी है या नहीं...
मैं: मुझे इस तरह से पाता नहीं चल पायेगा...हाथ से चेक करना पड़ेगा...
स्नेहा (उसी अंदाज में ): तो कर लो...मैंने कहाँ मना किया है..
मैं: चेक कर लूँ....पर कैसे?
स्नेहा: वो तो तुम जानो...एक काम करो तुम जरा सोचो, तब तक मैं अपनी दूसरी फ्रेंड्स से मिलकर आती हूँ..
वो चली गयी और मैं सोचने लगा...
स्नेहा चलती जा रही थी और उसकी मटकती हुई गांड देखकर मेरा लंड तेजी से उछलने लगा था.. मैं मन ही मन सोच रहा था की एक तरफ ये मुझे देने को तैयार है और दूसरी तरफ मेरी किस्मत मेरा साथ नहीं दे रही है, पर अभी के लिए तो जितना मिले उसे समेट लो. स्नेहा जाकर अपनी सहेलियों के बीच खड़ी हो गयी..उसकी क्लास की सारी लड़कियां बड़ी ही सेक्सी ड्रेस्सेस में वहां आई हुई थी, एक ने तो मिनी स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था और उसके शरीर का हर कसाव उसमे से साफ़ दिखाई दे रहा था, नीचे मोटी-मोटी टाँगे और ऊपर लटकते हुए रसीले आम. पर मुझे तो सबसे पहले स्नेहा के साथ मजे लेने के लिए कोई जगह देखनी थी..मैं उठकर फार्म हॉउस के पीछे की तरफ चल दिया, खाने की टेबल्स के पीछे वाली जगह पर अँधेरा था, और उसके पीछे काफी ऊँची दिवार थी, ये जगह सही है...मैं जल्दी से वापिस आया और स्नेहा को ढून्ढने लगा, वो बर्थडे गर्ल हिनल के साथ खड़ी थी और उनके साथ स्नेहा का वो पुराने वाला बॉय फ्रेंड भी था...मैं उनके पास गया.
स्नेहा: कहाँ चले गए थे तुम...मैं कब से तुम्हे ढूंढ रही थी..
मैं: वो मैं... जरा लू गया था..
अंकित ने मेरी तरफ हाथ बड़ा दिया...
अंकित: हाय...आई एम् अंकित...
मैं: हाय..आई एम् विशाल..हाउ आर यु..
स्नेहा: तुम अंकित से मिल ही चुके हो न, मेरे बर्थडे पर...
मैं: हाँ...तुम्हारे घर की छत्त पर..
अंकित सकपका गया...और उसका चेहरा देखकर हिनल और स्नेहा ने फिर से एक दुसरे के हाथ पर ताड़ी मारी और हंसने लगी..
स्नेहा: विशाल...मैंने तुमसे कुछ नहीं छुपाया...ये मेरा एक्स बॉय फ्रेंड है...और मालुम है इसको लेकर मुझमे और हिनल में कितनी लडाई होती थी...हिनल का ये पहला क्रुष था...पर इसे मैंने पहले हथिया लिया...पर अब जबसे तुम मेरी जिन्दगी में आये हो, सो..यु नो..मैंने इसे डंप कर दिया...और आज जब मैंने ये बात हिनल को बताई तो इसने मुझे अंकित के साथ......फ्रेंड शिप करने के लिए कहा, इसलिए मैंने अभी अंकित को बुलाया था और मैं इन्हें एक दुसरे से मिलवा रही थी...सो...हिनल, ये रहा मेरी तरफ से तुम्हारा बर्थडे गिफ्ट...एन्जॉय...
और ये कहते हुए स्नेहा ने अंकित का हाथ पकड़कर हिनल के हाथ में दे दिया. अंकित तो बेचारा भोला सा चेहरा बना कर खड़ा हुआ था, मानो उसे बकरी की तरह बाजार में बेचा जा रहा हो...पर हिनल उसका हाथ पकड़कर फूली न समायी...और वो अंकित के साथ लगभग चिपक कर खड़ी हो गयी..इतना गर्म माल पाकर कोई पागल ही होगा जो खुश न हो...हिनल के शरीर की गर्मी मिलते ही अंकित का मूड भी चेंज होने लगा...और वो हिनल से हंस कर बाते करने लगा. पर मेरा ध्यान तो हिनल की ड्रेस में से उसके निप्पलस ढून्ढ रहा था..और आखिर मेरी तेज नजरों ने उन्हें पा ही लिया, सफ़ेद ड्रेस जो उसकी ब्रेस्ट से चिपक कर नीचे की और आ रही थी और जिसपर हलके फुल्के सितारे लगे हुए थे, उसके निप्पल वाली जगह पर आकर एक स्पीड ब्रेकर जैसी हालत में उसके निप्पल्स तन कर खड़े हुए थे, शायद अंकित को अपने इतने पास पाकर वो गरमा रही थी...
स्नेहा मुझे लेकर थोडा दूर चली गयी..
स्नेहा: तुम्हे बुरा तो नहीं लगा न...दरअसल, हमारे फ्रेंड सर्कल में ये सब चलता है, एक दुसरे के बॉय फ्रेंड को हम सभी आपस में युस कर लेते हैं...तभी तो मजा बना रहता है...ये अंकित काफी बड़े घर का लड़का है..इसे सबसे पहले मैंने अपना बॉय फ्रेंड बनाया..ये मुझे छोड़ना तो नहीं चाहता था, पर तुम्हारे आगे मुझे ये कुछ भी नहीं लगता...पर मैंने इसके साथ हद से ज्यादा कुछ नहीं किया..वैसे हमारे ग्रुप की कई लड़कियों ने तो सब तरह के मजे कर लिए है...पर अभी भी कई हैं जो वर्जिन है..जिनमे से मैं और हिनल भी हैं..पर हमने दुसरे मजे बहुत लिए हैं...
उसके खुले विचार सुनकर मुझे बड़ी ख़ुशी हो रही थी, एक वजह तो ये थी की अगर उसे मेरे दुसरे संबंधो के बारे में पता चला तो वो शायद उतना बुरा नहीं मानेगी और दूसरी वजह ये की शायद मुझे उसकी दूसरी सहेलियों के साथ कुछ मजे करने को मिल जाए...खासकर हिनल के साथ..
मैं: नहीं, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है...वैसे मैंने एक जगह देखी है, जहाँ मैं ये चेक कर सकता हूँ की तुमने ब्रा पहनी हुई है या नहीं...
स्नेहा का चेहरा मेरी बात सुनकर मानो आग की तरह जलने लगा...
स्नेहा: क्या...सच...कहाँ है...चले क्या...?
मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे टेंट के पीछे की तरफ ले जाने लगा. वो बार-बार मुड़कर पीछे देख रही थी, की कोई हमें देख तो नहीं रहा है न. पीछे जाकर जब मैंने एक अँधेरे वाली जगह पर उसे खड़ा किया तो मुझे सिर्फ उसकी आँखें ही चमकती हुई दिखाई दे रही थी. मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ लिए, इतना करने की देर थी की उसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे सीने से लग गयी..
स्नेहा: ओह्ह्ह...विशाल...तुमने तो मुझे पागल कर दिया है....हर समय मैं तुम्हारे बारे में ही सोचती रहती हूँ...
उसने मुंह ऊपर किया और मेरे तपते हुए होंठो को अपने मुंह में लेकर उन्हें चूसने लगी. उसके मुंह का गीलापन देखकर मुझे उसके अन्दर जल रही आग का अनुमान हो रहा था. मैंने उसके दोनों मुम्मो पर हाथ रख दिए और उन्हें दबाने लगा...हाथ पीछे लेजाकर मैंने उसके सूट के पीछे लगी जिप खोल दी और उसके सूट को कंधे से खिसका कर नीचे कर दिया...मेरे सामने उसकी नंगी चूचियां थी...
मैं: तो तुमने भी ब्रा नहीं पहनी...हूँ..
स्नेहा: वो क्या है न, आज मैंने और हिनल ने डीसाइड किया था की हम दोनों ब्रा नहीं पहनेगी..उस पागल की वजह से मुझे भी अपनी ब्रा उतारनी पड़ी आज...
मैं: अच्छा है ना...हम दीवानों का काम आसान हो गया...
स्नेहा: मेरा बस चलता तो मैं तुम्हारे सामने कुछ भी न पहनू...
उसकी इतनी गर्म बात सुनकर मैंने उसे किसी जंगली की तरह से बालों से पकड़ा और अपने होंठो पर दे मारा...
स्नेहा: अह्ह्ह्ह.....जंगली....
उसकी इस बात ने आग में घी जैसा काम किया...फिर तो मैंने उसे जंगली की तरह से चूमना और चाटना शुरू कर दिया. उसने मेरा चेहरा पकड़कर नीचे किया और अपनी एक ब्रेस्ट पकड़कर मेरे मुंह में ठूस दिया...और जब मैंने उसी जंगलीपन में उसके निप्पल पर दांत से काटा तो उसने अपना सर पीछे करके एक तेज आवाज निकाली. अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह........उफफ्फ्फ्फ़......विशाल्लल्ल्ल......म्मम्मम्म.. मैंने एक एक करके उसके दोनों चुचे चूसने शुरू कर दिए...उसका सूट ऊपर से नीचे की और आकर कमर में अटका हुआ था. मैंने हाथ नीचे लेजाकर उसकी चूत के ऊपर रखा, वहां तो मानो बाड़ सी आई हुई थी..पूरी तरह से गीली हो चुकी थी उसकी पेंटी और पय्जामी...मैंने हाथ वापिस ऊपर लाकर अपने मुंह में डाला और उसके रस का स्वाद लेने लगा. उसने भी मेरे लंड के ऊपर हाथ मारने शुरू कर दिए थे. वो अचानक मेरे सामने नीचे बैठ गयी और मेरी पेंट की जिप खोलने लगी. अब अँधेरे में काफी देर तक रहने की वजह से मुझे वो साफ़ दिखाई दे रही थी...ऊपर से नंगी होकर वो मेरी आँखों में देखती हुई मेरी पेंट को नीचे कर रही थी..और फिर मेरे जोकी को भी नीचे करने के बाद उसने मेरे खड़े हुए लंड को जब चुसना शुरू किया तो मेरी टांगो में एक कंपकंपी सी छूट गयी...और मेरे मुंह से एक लम्बी सी हुंकार निकल गयी....
ऊऊऊऊऊऊऊऊह्ह्ह्ह ........ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह.......स्नेहा.......म्मम्म....यस बेबी......सक मी.....सक मी हार्ड.....वो तो मेरे लंड की पहले से ही दीवानी थी, उसने उसे अपने मुंह के अन्दर लेजाकर चूसना शुरू कर दिया...
तभी हमें अपनी तरफ कोई आता हुआ दिखाई दिया. मैंने जल्दी से अपना लंड स्नेहा के मुंह से निकाला और एक झाडी की आड़ में हो गया...ताकि जो भी आ रहा है उसे हम दिखाई न दे. थोडा पास आने पर पता चला की ये तो एक और जोड़ा है...और गोर से देखा तो पाया की ये तो हिनल और अंकित हैं...
वो दोनों एक दुसरे को बुरी तरह से चूमने चाटने में लगे हुए थे...अंकित ने तो पीछे आते ही हिनल की ब्रालेस ड्रेस को साईड में खिसका कर उसे टोपलेस कर दिया था...और उसके दोनों रसीले आमो को हाथों से दबाकर उसके होंठ चूसने में लगा हुआ था. उन्हें देखते ही स्नेहा उठ खड़ी हुई और उनकी तरफ जाने लगी...मैं उसे रोकने के लिए हाथ आगे किया पर तब तक वो उनके सामने आ चुकी थी. उसने अपने सूट को ऊपर करके, बिना पहने, अपनी ब्रेस्ट को छुपा लिया था. स्नेहा को देखते ही अंकित चोंक गया और उसने हिनल को छोड़ दिया...पर हिनल स्नेहा को देखकर हैरान नहीं हुई और वो अंकित से चिपक कर खड़ी हो गयी...
हिनल : ओहो...तो तुम यहाँ पर हो...तुम्हे भी यही जगह मिली थी...
उसने मुझे पीछे खड़े हुए देख लिया, अब मेरा भी छुपना बेकार था...मैंने अपने लंड अन्दर किया और उनकी तरफ आ गया...और स्नेहा की कमर में हाथ डालकर खड़ा हो गया..
स्नेहा: क्या यार...इतने बड़े फार्म हॉउस में तुझे भी यही जगह मिली थी क्या...और अंकित , तुम्हे तो मानना पड़ेगा,...मेरे बर्थडे पर मेरे साथ और अब हिनल के बर्थडे पर इसके साथ...मजे हैं तुम्हारे...
अंकित: तुम अगर मुझे न छोडती तो मैं अभी भी तुम्हारे पास होता...वहां...
उसका इशारा मेरी तरफ था. पर मेरा सारा ध्यान तो हिनल की खुली हुई ब्रेस्ट के ऊपर था...क्या माल था यार...उसकी ब्रेस्ट तो अंशिका से भी बड़ी थी...और उसके निप्पल स्नेहा से काफी बड़े थे. हिनल ने अपनी ब्रेस्ट पर मेरी नज़रों के तीर चलते पाकर मुझसे कहा : डू यु लाईक वाट यु सी...
मैं: उसकी बात सुनकर सकपका गया...और वो दोनों सहेलियां फिर से एक दुसरे के हाथ पर ताली पारकर हंसने लगी...
स्नेहा: यार हिनल...ये गलत है...मैंने तुझे अपना एक्स दिया न...तू उसके साथ मजे ले, मेरे वाले को क्यों अपनी तरफ खींच रही है..
हिनल :मैंने क्या किया, वो ही मुझे घूर रहा है, तुने अपने तो छिपा रखे हैं, वो बेचारा तभी तो मेरे देख रहा है...
हिनल की बात सुनकर स्नेहा ने अपने सूट को वापिस नीचे कर दिया...मानो वो कम्पीटीशन में उतर आई हो..
स्नेहा: विशाल...लुक हियर.....एंड सक देम ....
मैं: किस रोबोट की तरह उसकी बात को मानकर अपने मुंह को उसकी ब्रेस्ट तक ले गया ....और हिनल की आँखों में देखते हुए ही उसके निप्पल को चूसने लगा...
हिनल की नजरे भी मेरी आँखों से अलग नहीं हो रही थी...उसने भी अंकित को किसी बेजान चीज की तरह अपनी तरफ खींचा और अपनी ब्रेस्ट पर उसका मुंह लगाकर उसे अपने आम चुस्वाने लगी...और वो बेचारा भी स्नेहा के नंगे स्तनों को देखकर अपनी आँखे सकने में लगा हुआ था...शायद वो पहली बार ही देख रहा था उन्हें. वो दोनों सहेलियां एक दुसरे के सामने मजे लेने में लगी हुई थी. दोनों सहेलियों की सिस्कारियां गूँज रही थी मेरे कानो में. फिर स्नेहा ने मेरे लंड पर हाथ रखकर उसे फिर से बाहर निकाल लिया...और नीचे बैठकर उसे फिर से चूसने लगी. हिनल भी अंकित की पेंट से उसके लंड को बाहर निकाल कर उसके सामने बैठ गयी...वो अब अंकित के लंड को अपने हाथ में लेकर उसकी लम्बाई तय करने में लगी हुई थी..और फिर मेरे लंड की तरफ देखकर वो स्नेहा से बोली
हिनल : अब मालुम चला की तुने इस बेचारे को क्यों छोड़ दिया...
पर स्नेहा ने कोई जवाब नहीं दिया और मेरे लंड को चूसने में लगी रही...अंकित ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया...मेरे लंड के सामने उसका लगभग 2 इंच छोटा था. फिर भी हिनल अपने हाथ आई चीज को छोड़ना नहीं चाहती थी...उसने भी अपने जीभ निकाल कर उसके पांच इंच ले लंड को चुसना और चाटना शुरू कर दिया. अंकित की नजर मेरे सामने बैठी हुई स्नेहा पर थी और मेरी नजरे हिनल के हिलते हुए मुम्मो पर. जल्दी ही अंकित के चेहरे के भाव बदलने लगे और अगले ही पल उसके लंड ने हिनल के मुंह में पानी छोड़ दिया. हिनल ने सारा रस पिया और अपने होंठ साफ़ करती हुई उठ खड़ी हुई. मेरा लंड तो झड़ने के काफी दूर था अभी...
हिनल ने अंकित को घूर कर देखा मानो उसके जल्दी झड़ने पर गुस्सा दिखा रही हो. फिर उसने अपनी ड्रेस को ऊपर की तरफ करना शुरू कर दिया...और उसकी नंगी टाँगे मेरे और अंकित के सामने आने लगी...उसने उस ड्रेस को पूरा ऊपर करने के बाद अपनी पेंटी से भी ऊपर उठा लिया और फिर उसने अपनी पेंटी को नीचे की और खिसका दिया. मेरी तो हवा ही टाईट हो गयी उसकी सफाचट चूत को देखकर...और उसमे से निकलता पानी देखकर. उसने मेरी तरफ ही देखते हुए अंकित को नीचे की और जाने का इशारा किया...और वो किसी पालतू कुत्ते की तरह नीचे घांस पर उसकी टांगो के बीच बैठ गया. हिनल ने अपनी एक टांग उठा कर उसके कंधे पर रखी और उसकी रस टपकाती चूत अब सीधा अंकित के मुंह के ऊपर ही थी...और फिर हिनल अंकित के मुंह के ऊपर बैठ गयी...
अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह .......ऊऊऊ माय गोड.......सक मी......सक मी.अंकित.........संक मीईईईई...........अह्ह्हह्ह ... अंकित ने उसकी चूत को चुसना शुरू कर दिया था....
स्नेहा भी बैठी हुई थक सी गयी थी....मेरे लंड से पानी निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था....मुझे आज अपने लंड पर बड़ा नाज हो रहा था...
अंकित के मुंह के ऊपर एक पैर नीचे जमीन पर और दूसरा हवा में उठाकर बैठी हुई हिनल का बेलेंस अचानक बिगड़ा और उसने मेरी तरफ हाथ बढाकर मुझे पकड़ लिया....मेरे कंधे का सहारा पाकर वो गिरने से बची. उसके दोनों चुचे मेरी बाजुओं से टक्कर खा रहे थे....और वो मेरी तरफ देखती हुई अपनी चूत को अंकित से चुसवा रही थी...
अह्ह्ह्ह.....ओह्ह्हह्ह......ओह्ह्हह्ह....येस्स.......म्मम्मम... उसकी आँहो के साथ निकल रही तेज साँसे मेरे चेहरे पर पड़ रही थी...
स्नेहा ने जब ऊपर मुंह करके हिनल को मुझसे चिपक कर खड़े देखा तो उसने मेरा लंड अपने मुंह से बाहर निकाल दिया और उससे बोली
स्नेहा: ऐ हिनल...थोडा दूर तो हो जा....इतने पास आकर खड़ी होगी तो इसका ईमान तो डोल ही जाएगा न....
हिनल : मैं....अह्ह्ह.....मैं तो....तेरी हेल्प कर रही हूँ....अह्ह्ह....
स्नेहा: मेरी हेल्प....कैसे...
हिनल : अरे...तुने सुना नहीं....एक से भले दो.....तू इतनी देर से इसके पेनिस को चूस रही है....पर इसका निकल ही नहीं रहा.....क्या पता, मुझे इतने पास देखकर ये जल्दी डाउन हो जाए....है के नहीं....
बेचारी स्नेहा उसकी चालाक सी बातों में आ गयी...
स्नेहा: वाव....थेंक्स यार...जल्दी कर फिर तो....मैं भी थक गयी हूँ..इतनी देर से इसके पेनिस को सक करते हुए....मुझे भी यहाँ कुछ हो रहा है....
वो अपनी चूत को मसलती हुई बोली
हिनल : तू एक काम कर....जल्दी से अपने पय्जामी उतार दे...
उसकी बात सुनकर स्नेहा उठी और एक ही बार में अपनी पय्जामी उतार कर झाडी के ऊपर रख दी...और फिर से बैठ कर मेरे लंड को चूसने लगी...
हिनल : अंकित....तुम क्या अपनी पुरानी फ्रेंड की हेल्प नहीं करोगे....
अंकित उसकी बात सुनकर थोड़ी देर तक चूत चुसना भूल गया...उसे शायद अपने कानो पर विशवास नहीं हो रहा था की हिनल उसे क्या करने को कह रही है...फिर मुझे और स्नेहा को देखकर...धीरे से अपना हाथ आगे करके, स्नेहा की चूत के ऊपर लगा दिया. स्नेहा की चूत तो पहले से ही टंकी की तरह से बह रही थी....उसे भी शायद झड़ने की जल्दी थी और मेरे लंड को झाड़ने की भी...और इसके लिए कौन क्या कर रहा है इसके बारे में सोचने का अब वक़्त नहीं था....उसने भी अपनी टाँगे चोडी करके अंकित के हाथो पर अपनी चूत को रगडा और जब अंकित ने उसकी रसीली चूत के अन्दर उँगलियाँ दाल कर हिलाना शुरू किया तो उसके मुंह से अजीब तरह की आवाजें निकलने लगी...
ओग्गग्ग्ग्ग ...ओह्ह्ह्ह.....म्मम्मम....मूऊउ ......
उधर हिनल भी स्नेहा की हाँ पाकर और भी ज्यादा उत्तेजित हो गयी और अपनी चूत को अंकित के मुंह पर और तेजी से रगडती हुई वो मेरे से और जोर से चिपक कर खड़ी हो गयी ....और अगले ही पल मेरे हाथ अपने आप उसकी गोल गोल छातियों पर जाकर चिपक गए...और उसने भी बिना किसी बात की देरी किये बिना आने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिए और मुझे बुरी तरह से चूसने लगी. वहां खड़े-खड़े ही मुझे लगा की जैसे ग्रुप सेक्स हो रहा है. मेरी छाती से चिपकी हुई हिनल मुझे किसी कुल्फी की तरह से चूस रही थी और नीचे बैठी हुई स्नेहा मेरे लंड को लोलोपोप की तरह. हिनल अपनी चूत को अंकित के मुंह पर रगड़ रही थी और अंकित अपनी उँगलियों का कमाल स्नेहा की चूत के अन्दर दिखा रहा था और फिर जल्दी ही मेरे मुंह को चूसते हुए हिनल ने झड़ना शुरू कर दिया...
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह.......आई .....एम्....कमिंग.......अह्ह्ह्हह्ह.......
मुझे उसके होंठों के नमपन से उसकी चूत से निकलते रस का पता चल गया. उसके होंठों की मिठास को महसूस करते हुए मेरे लंड ने भी जवाब दे दिया और जल्दी ही मेरे लंड की पिचकारियाँ स्नेहा के मुंह के अन्दर जाने लगी. अपने मुंह में मेरे रस को पाकर वो जल्दी से अपनी चूत को अंकित के हाथों पर और तेजी से रगड़ने लगी और मेरे लंड की आखिरी बूँद चूसते हुए उसकी चूत ने भी अपना प्यार बाहर की और फेंकना शुरू कर दिया...जिसे अंकित ने हाथों में समेत कर चाटना शुरू कर दिया....
स्नेहा तो निढाल सी होकर वहीँ पसर गयी. अंकित भी अपने कपडे ठीक करता हुआ उठ खड़ा हुआ. हिनल अभी भी ऊपर और नीचे से नंगी सी होअर मुझसे चिपकी खड़ी थी....
स्नेहा और अंकित हैरानी भरी नजरों से मुझे और हिनल को देख रहे थे...मानो कह रहे हो, भाई अब तो छोड़ दो एक दुसरे को. सच में...ऐसा बर्थडे किसी-किसी को ही नसीब होता है..
मैं: हैप्पी बर्थडे हिनल..
हिनल (खुश होते हुए): थैंक्स..एंड ये सब ...इसके लिए भी..
और फिर उसने स्नेहा के सामने ही मेरे लंड को पकड़ा और उसे निचोड़ सा दिया...मेरे मुंह से आह सी निकल गयी. पर आश्चर्य की बात ये थी की स्नेहा ने कुछ नहीं कहा..शायद इस वजह से की उसने भी तो अपने पुराने यार अंकित से मजे लिए थे अभी मेरे सामने. अब काफी देर हो चुकी थी, बर्थडे गर्ल हमारे साथ थी, शायद उसे लोग ढूंढ भी रहे होंगे..
हिनल : स्नेहा, तू बाहर निकल और जाकर देखा जरा मम्मी कहीं मुझे न ढूंढ रही हो..अगर मेरे बारे में पूछे तो कहना की मैं तेरे साथ ही थी, बाथरूम गयी थी..
हिनल की बात सुनकर वो बाहर निकल गयी.
हिनल (अंकित को देखते हुए): अब तुम भी जाओ..एक साथ सबका बाहर निकलना ठीक नहीं है.
और अंकित भी निकल गया.
अंकित के बाहर जाते ही हिनल ने मेरी तरफ मुंह किया और मुझसे बुरी तरह से लिपट गयी...मुझे लगा की उसने जान बुझकर दोनों को पहले भेज दिया है और अब ये मेरा "बलात्कार" करेगी..पर वो चाहकर भी कुछ और नहीं कर सकती थी, क्योंकि उसकी ही पार्टी थी इसलिए उसका जल्दी बाहर निकलना जरुरी था.
हिनल : तुम्हारा ये बर्थडे गिफ्ट मुझे हमेशा याद रहेगा..स्नेहा बड़ी लक्की है, जिसे तुम जैसा बीऍफ़ मिला..
और ये कहते हुए उसने मेरे होंठो पर एक और गीली वाली पप्पी कर दी और मेरे लंड को भी पकड़कर मसल दिया.
मैं: तुम अपनी बेस्ट फ्रेंड के बॉय फ्रेंड के साथ जो कर रही हो...स्नेहा क्या सोचेगी?
हिनल (हँसते हुए): हा हा...स्नेहा...अरे उसके और मेरे बीच कोई फर्क नहीं है...पता है, पहली बार स्नेहा को मैंने अपने फ्रेंड का पेनिस सक करने को दिया था...मैंने और स्नेहा ने एक साथ काफी मजे लिए हैं...वो कुछ नहीं कहेगी..
मैं: पर इसका मतलब ये नहीं की मैं भी कुछ नहीं कहूँगा...
हिनल (कामुक अंदाज में, अपनी जीभ से मेरे होंठो को चाटते हुए): अच्छा जी...तुम मुझे ना कह सकते हो क्या...
अब मैं क्या करूँ, अगर कोई लड़की इस तरह से पेश आये तो अपने पर तो काबू पाना मुश्किल है,पर लंड महाराज को कौन समझाए..सो उसके खड़े होते ही मेरी बात का वजन अपने आप हल्का हो गया और वो मुस्कुराने लगी...
हिनल : जल्दी ही मिलेंगे...दोबारा...जब टाईम ही टाईम होगा..
और ये कहकर वो मुझे अँधेरे में खड़े लंड के साथ अकेला छोड़कर बाहर निकल गयी. मैं कभी उसकी मटकती हुई गांड को और कभी अपने फुफकारते हुए लंड को देख रहा था.
मैं भी अपने कपडे ठीक करके बाहर निकल गया. मैंने बाहर जाकर देखा की अंकित अपने दोस्तों के साथ कोने में जाकर बैठा हुआ है और खाना खा रहा है और हिनल अपने मम्मी पापा के साथ खड़ी हुई है..मुझे स्नेहा कही दिखाई नहीं दी.
मैं: हिनल के पास गया : एक्स्कुस मी हिनल...वो, स्नेहा कहा है?
हिनल : अरे विशाल...आओ..मोम डेड..ये विशाल है, इसके बारे में ही बता रही थी मैं अभी.
हिनल की मम्मी : अच्छा...तो तुम भी इनके ग्रुप में ही हो..और बेटा..कहाँ रहते हो..कौन-कौन है तुम्हारे घर पर.. वगेरह-वगेरह
मैं हैरान था की हिनल ने क्या बोला है अपने मम्मी पापा को और वो ऐसे क्यों ये सब मुझसे पूछ रहे हैं...शादी करनी है क्या इसकी मेरे साथ. खेर मैंने उनकी बातों का जवाब दिया और फिर मैं अलग होकर खड़ा हो गया और स्नेहा का इन्तजार करने लगा. हिनल अपने मम्मी पापा से अलग होकर मेरे पास आई.
हिनल : क्यों घबरा रहे थे तुम?
वो शायद अपने मम्मी पापा के सामने मेरी पतली हालत को देखकर बोल रही थी.
मैं: वो तुमने क्या कहा अपने मम्मी पापा को मेरे बारे में जो वो इतना कुछ पूछ रहे थे..
हिनल : दरअसल मेरी मम्मी, पापा के साथ दो महीने के लिए दुबई जा रही है, अगले महीने..और स्नेहा को तो वो जानते ही हैं..सो मुझसे पूछ रहे थे की स्नेहा के साथ ये कौन लड़का आया है, मैंने कह दिया की हमारे ग्रुप में ही है, और स्नेहा का अच्छा दोस्त है, स्नेहा अक्सर मेरे साथ मेरे घर पर भी रहती है..और मम्मी पापा के जाने के बाद भी वो कभी मेरे घर या फिर मैं उसके घर जाकर रहूंगी..और तुम तो जानते ही हो की जवान लड़की के मम्मी पापा कितने फिकरमंद होते हैं, तभी वो तुम्हारे बारे में पूछ रहे थे..की कहीं उनके जाने के बाद तुम भी किसी दिन हमारे घर न आ जाओ, स्नेहा के साथ...समझे..
मैं: समझा..पर तुम फिकर मत करो...नहीं आऊंगा..मैं.
हिनल (मेरे और पास आते हुए): उन्हें एक बार जाने तो दो तुम...फिर मैं देखती हूँ की तुम अपने घर से जाते कैसे हो ..समझ गए न..
मैं: उसकी प्लानिंग सुनकर ही सुन्न सा हो गया..मेरे जहाँ में वाईल्ड इमेजेस आने लगी, जिसमे मैं, स्नेहा और हिनल नंगे एक ही बिस्तर में, चुदाई करने में लगे हुए हैं...और भाग भागकर एक दुसरे को पकड़ रहे हैं...हिनल के मोटे मुम्मे भागने की वजह से हवा में उचल रहे हैं...और और...
हिनल : ऐ मिस्टर...कहाँ खो गए...अगले महीने की प्लानिंग बनानी शुरू कर दी है क्या...हे हे..
तभी स्नेहा आ गयी - किस बात की प्लानिंग बन रही है भाई..हमें भी तो बताओ. हिनल कड़ी हुई मुस्कुराती रही और मेरा लाल चेहरा देखकर स्नेहा बोली : हे हिनल...देख तू मेरे विशाल को ज्यादा तंग मत कर...तुझे अब अंकित मिल गया है न..तू उसके साथ मजे कर...जा, वो तुझे ही देख रहा है. हम सबने देखा, अंकित हमें ही बैठा हुआ देख रहा था. हिनल ने हंस कर उसकी तरफ इशारा किया..और उसे थोडा वेट करने का इशारा किया,
हिनल :यार, तू कबसे इतनी पोसेसिव हो गयी, खेर, मैं विशाल से कह रही थी की अगले महीने मम्मी और पापा दुबई जा रहे हैं..और उसकी ही प्लानिंग करने की बात कह रही थी मैं..
स्नेहा: वाव...तब तो मजा आ जाएगा, तू अंकित को बुला लेना और मैं: विशाल के साथ आ जाउंगी...पूरी ऐश करेंगे...वैसे कितने दिन के लिए जा रही है आंटी..
हिनल : पुरे दस दिनों के लिए.
स्नेहा: वाव...मजा आएगा...है न विशाल..
मैंने भी हंस कर उसकी ख़ुशी में इजहार किया...मैं तो पहले से ही आने वाले दिनों की तस्वीर अपने दिमाग में बना चूका था. उसके बाद स्नेहा और मैंने खाना खाया और वापिस चल दिए. किटी मैम का दो बार फोन आ चूका था..पर स्नेहा ने बताया नहीं की मैं भी उसके साथ हूँ.
स्नेहा को मैंने घर छोड़ा..वो पुरे रास्ते मुझसे चिपक कर बैठी रही. स्नेहा का घर आने वाला था तो वो बोली : विशाल, वो मेरी बिल्डिंग से पहले वो पेड़ है न..उसके पीछे रोक लेना. मैंने वैसा ही किया. वो मेरी बाईक के पीछे से उतरी और आगे आकर वो उचक कर मेरी तरफ मुंह करके, बाईक के पेट्रोल टेंक के ऊपर बैठ गयी, दोनों तरफ पैर करके और अगले ही पल मैं और स्नेहा एक दुसरे को बुरी तरह से चूमने और चूसने में लगे हुए थे..मेरा खड़ा हुआ लंड सीधा उसकी चूत पर ठोकर मार रहा था..
स्नेहा: ओह्ह्ह्ह..विशाल.....आज तो तुम मेरी जान लेकर रहोगे...कितना सताते हो तुम...पूच पूच...
उसने तो मेरे चेहरे पर अपने होंठो के निशान छोड़ने शुरू कर दिए..
तभी स्नेहा का फोन बज उठा , उसने झल्लाते हुए फोन उठाया : या मोम...क्या है...आ गयी बस...बोला न...नीचे ही हूँ मैं...आ रही हूँ ऊपर...ओके..बाय...
उसके चेहरे पर गुस्सा साफ़ दिखाई दे रहा था..
मैं: स्नेहा , कोई बात नहीं , तुम जाओ...ये सब तो होता ही रहेगा अब..
स्नेहा: यस ...ठीक है...गुड नाईट...स्वीट ड्रीम...और वो हिनल से ज्यादा मेल जोल बढाने की जरुरत नहीं है...समझे न...चल बाय...घर जाकर फोन करना.
और वो मुझे एक और बार चूम कर अपने घर की तरफ निकल गयी.
मैंने भी बाईक जल्दी से चलायी और अपने घर पहुँच गया.