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?अन्छुआ प्यार का एहसास स्पर्श? By ?Nitya?
#10
तू महक बन कर मुझ से गुलाबों में मिला कर;
जिसे छू कर मैं महसूस कर सकूँ;
तू मस्ती की तरह मुझ से शराबों में मिला कर;
मैं भी इंसान हूँ, डर मुझ को भी है बहक जाने का;
इस वास्ते तू मुझ से हिजाबों में मिला कर।

[Image: 3-117.jpg]
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RE: ?अन्छुआ प्यार का एहसास स्पर्श? By ?Nitya? - by nitya.bansal3 - 28-09-2020, 06:08 PM



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