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Adultery लवली फ़ोन सेक्स चैट
#42
बाहर निकलकर मेरे दिमाग में बस एक ही बात घूम रही थी की अब किसी भी तरह से मुझे अंशिका की चूत मारनी ही पड़ेगी...क्योंकि मैं हर बार तो अपने पर कण्ट्रोल नहीं कर सकता न..आखिर हूँ तो मैं एक इंसान ही न. एक तरफ अंशिका है और दूसरी तरफ स्नेहा, किटी मैम और अगर मैं कुछ कोशिश करूँ तो कनिष्का भी शायद कुछ करवाने को तैयार हो जाए..मुझे जल्दी ही कुछ करना होगा. मैंने जल्दी से अंशिका को फ़ोन मिलाया पर उसका फ़ोन भी बंद था...शायद उसने अभी तक चार्ज नहीं किया होगा..

मैं सोच ही रहा था की क्या करूँ की तभी स्नेह का फोन आया मेरे सेल पर..मैं कुछ देर तक सोचता रहा और फिर फोन उठा लिया..

मैं: हाय...डार्लिंग ... कैसी हो ?

उधर से स्नेहा का गुस्से से भरा स्वर आया : भाड़ में गयी डार्लिंग...तुम्हारा फोन दोपहर से बंद आ रहा था..पता है, मैंने कितनी बार ट्राई किया..तुम्हे बताना था की मैं आज घर पर नहीं हूँ...

मैं: मालुम है...मैं अभी तुम्हारे घर से ही बाहर आ रहा हूँ...दरअसल मेरे सेल की बेटरी ख़त्म हो गयी थी...इसलिए तुमसे बात नहीं हो पायी...तुम्हारे घर गया तो किटी मैम से पता चला की तुम तो आज कॉलेज से ही अपनी फ्रेंड के घर चली गयी हो...उसके बर्थडे पर..और किटी मैम ने ही बताया की तुम मेरा फोन शायद काफी देर तक ट्राई कर रही थी..

स्नेहा मेरी बात सुनकर कुछ शांत हुई..

स्नेहा: और नहीं तो क्या...पता है, मुझे कितनी फ़िक्र हो रही थी तुम्हारी...तुम चाहे एक और सेल ले लो पर आगे से तुम्हारा सेल बंद नहीं होना चाहिए...समझे न..

उसकी प्यार से भरी बात सुनकर मैं भी मुस्कुरा दिया..

मैं: ठीक है जी...जैसा आप कहो ...तुम कहाँ पर हो..कैसी चल रही है पार्टी...
स्नेहा: यार क्या बताऊँ...मेरी बेस्ट फ्रेंड के पापा दुबई में काम करते हैं, और कल ही वो आये और अपनी बेटी के लिए आज पार्टी अर्रंज कर दी..फार्म हॉउस पर...अभी तो मैं उसके ही घर पर हूँ, थोड़ी ही देर में निकलेंगे वहां..पर दोपहर से मेरा ध्यान तुम्हारी तरफ ही था...जानते हो..मुझे बार-बार वही सब बातें याद आने लग गयी थी...कल वाली...आज कॉलेज में भी, पढाई करते हुए भी..बुक्स में भी मुझे वोही तस्वीरे दिखाई दे रही थी...और मैंने फिर कॉलेज की टॉयलेट में जाकर...पहली बार...वहां...मास्टरबेट किया...यु नो...

उसकी बातें सुनते हुए मेरे लंड महाराज ने भी उठना शुरू कर दिया था....जिसे अभी कुछ देर पहले ही उसकी मम्मी ने ही शांत किया था...

मैं: वाव....फिर..अब क्या?
स्नेहा (बड़े ही धीमे स्वर में): अब सबर नहीं होता विशाल...आई एम् डाईंग टु फक बाय यु...प्लीस...कुछ करो...मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा...

उसकी तेज साँसों की आवाज मुझे साफ़ सुनाई पड़ रही थी...

हाल तो मेरा भी बुरा हो चला था..आज तक अंशिका ने भी इतनी रिकुएस्त नहीं की थी अपनी मरवाने के लिए..उसकी हालत देखकर मुझे अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था..अगर मैंने अंशिका की चूत मार ली होती तो कल ये भी चुद चुकी होती...पर अंशिका को दिए वादे की वजह से मैं स्नेहा की चूत नहीं मार पाया...और अब आलम ये है की उसकी चूत की आग काफी भड़क चुकी थी...इसे अगर मैंने शांत नहीं किया तो वो किसी और से करवा लेगी....नहीं..नहीं..मुझे जल्दी ही कुछ सोचना होगा..जब तक उसकी चूत ना मार लूँ मुझे उसकी आग को थोडा बहुत शांत तो करना ही होगा..

मैं: ऊओह स्नेहा...मैं भी तो यही चाहता हूँ...बस सही समय का वेट करो..फिर देखना मैं तुम्हारी चूत के अन्दर अपना लंड डालकर तुम्हे ऐसे मजे दूंगा की तुम पूरी जिन्दगी अपनी पहली चुदाई को भूल नहीं पाओगी..
स्नेहा: ऊओह्ह्ह विशाल्ल्ल....तुम ऐसी बातें न करो प्लीस...मुझे कुछ हो रहा है....
मैं: तुम कहाँ हो अभी..
स्नेहा: मैं: अभी तैयार हो रही हूँ...बाथरूम में हूँ...अभी नहाकर हटी हूँ.
मैं (शरारती लहजे में): मतलब..तुम पूरी नंगी हो...
स्नेहा: हाँ..हूँ...आ जाओ फिर..हुंह..बात करते हो...
मैं: सच बताना...अभी मुझसे बात करते हुए तुम फिंगरिंग कर रही थी न...
स्नेहा: तुम्हे...तुम्हे कैसे पता चला..

अब मैं उसे क्या बताता..अंशिका से फ़ोन पर इतनी बार सेक्स भरी बातें हो चुकी हैं की दूसरी तरफ वो क्या कर रही है या क्या फील कर रही है..इन सबमे तो मैं पूरा उस्ताद हो चूका हूँ..

मैं: वो...वो तुम्हारी आवाज सुनकर मुझे लगा...
स्नेहा: ओह्ह्ह विशाल...मैं मर जाउंगी...काश तुम अभी यहाँ होते तो मैं यहीं तुमसे..तुमसे...
मैं: हाँ ..हाँ...बोलो..मुझसे क्या ?
स्नेहा: तुमसे चूत मरवा लेती...
मैं: अरे वाह..तुम भी लडको वाली भाषा बोलने लगी हो...
स्नेहा: ये सब तो हमारी क्लास में आम बात है...सभी लड़के-लड़कियां ऐसे वर्ड्स युस करते हैं...
मैं: तो ठीक है..तुम मेरे साथ भी ऐसे ही बात किया करो...
स्नेहा: वो तो ठीक है...पर अब मैं क्या करूँ...तुमने मेरा बुरा हाल कर दिया है..जानते हो मेरा कितना डिस्चार्ज हो रहा है नीचे से...तुम्हारी बातें सुनकर..
मैं: मेरा भी यही हाल है...पर तुम फिकर मत करो..मैं जल्दी ही कुछ करता हूँ...अच्छा सुनो..तुम्हारी ये पार्टी तो फार्म हॉउस पर है न...
स्नेहा: हाँ...तो..
मैं: क्या मैं भी वहां आ सकता हूँ...तुम्हारा फ्रेंड बनकर..

स्नेहा ख़ुशी के मारे चिल्ला उठी..

स्नेहा: वाव..ये तो मेरे दिमाग में आया ही नहीं था...क्या तुम यहाँ आ सकते हो..आई मीन...तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा न...मैं अपनी फ्रेंड को समझा दूंगी...और वैसे भी उसको मैंने तुम्हारे बारे में कुछ-कुछ बताया भी है...वाव....तुम यहाँ आओगे और पूरी शाम मेरे साथ रहोगे...मजा आएगा...प्लीस..प्लीस...आ जाओ न...मेरे लिए...प्लीस...

वो बाथरूम में नंगी खड़ी हुई चिल्लाती जा रही थी...

मैं: ओके..ओके...मैं आ सकता हूँ, तभी तुमसे ये पूछा...कुछ कर न पाए तो क्या..थोडा टाइम साथ तो रह ही लेंगे न...
स्नेहा: तुम आओ तो सही..कुछ करने का जुगाड़ मैं कर लुंगी...

उसकी बात सुनते ही मेरे लंड ने एक और तेज झटका मारा ..

मैं: मतलब...
स्नेहा: वो तुम मुझपर छोड़ दो...तुम बस जल्दी से यहाँ आ जाओ..

और उसने मुझे वहां का एड्रेस समझा दिया. अभी 6 :45 बजे थे..मैंने उसे कह दिया की मैं: 7 :30 तक सीधा वहां पहुँच जाऊंगा. मैंने जल्दी से घर गया और एक पार्टी ड्रेस निकाल कर पहन ली...और घर पर मम्मी को बोल दिया की एक दोस्त की बर्थडे पार्टी में जा रहा हूँ. मैं पुरे 7 :25 पर फार्म हॉउस में पहुँच गया..बड़े ही शानदार तरीके से सजाया गया था पूरा फार्म हॉउस ..अभी ज्यादा लोग आये नहीं थे..मैं एक कोने में जाकर बैठ गया और कोल्ड ड्रिंक पीने लगा. लगभर 8 बजे तक ज्यादातर लोग आ चुके थे.....मैं स्नेहा को तीन-चार बार फ़ोन कर चूका था...वो अपनी फ्रेंड के साथ ब्यूटी पार्लर में बैठी हुई थी..ये आजकल की लड़कियां भी न...अभी जवानी की देहलीज पर पैर रखा नहीं की ब्यूटी पार्लर में जाकर तैयार होने लगती है..किसी भी फंक्शन के लिए...अरे भाई इनको जरा बताओ की इस उम्र में जवानी को सादगी में देखने में जो मजा है वो ऊपर की तड़क भड़क में नहीं...उनका हुस्न ही काफी है हम जैसो का होश उड़ाने के लिए. उसके मम्मी पापा सभी मेहमानों का ध्यान रख रहे थे...मैंने उसके फ्रेंड अंकित को भी देखा, जो उस दिन छत्त पर स्नेहा के साथ किस्सिंग कर रहा था.., वो भी आया था अपने कुछ और दोस्तों के साथ पार्टी में...शायद स्नेहा की क्लास के ही होंगे वो भी और कुछ ही देर में स्नेहा अपनी फ्रेंड के साथ अन्दर आई...अन्दर आते ही उसकी फ्रेंड को सभी ने विश करना शुरू कर दिया...स्नेहा भाग कर मेरी तरफ आई..और मुझसे लगभग लिपट सी गयी आकर..उसके पुरे शरीर से भीनी सी खुशबू आ रही थी...उसने बड़ा ही सुन्दर सा फ्रोक्क स्टाईल का सूट पहना हुआ था. मैंने भी उसे गले से लगाकर भींच सा लिया..मेरी नजर सामने गयी तो उसकी क्लास का वो फ्रेंड अंकित हमें ही घूर रहा था...मैं उसकी हालत देखकर हंस दिया.

स्नेहा: आई एम् सो हैप्पी ....अगर तुम नहीं आते तो मैं आज पूरी शाम बोर हो जाती यहाँ पर...
मैं: अब तो मैं आ गया हूँ न...अब तुम्हे बोर नहीं होने दूंगा.

तभी मेरा फोन बज उठा..ये अंशिका का फोन था. मैंने स्नेहा को एक्स्कुस मी कहा और एक कोने में जाकर उससे बात करने लगा.

अंशिका: हाय...कहाँ हो...बड़ा शोर आ रहा है...
मैं: वो..वो एक पार्टी में आया था...एक दोस्त के बर्थडे पर ..
अंशिका: अच्छा जी..पहले तो तुमने ये बात बताई ही नहीं मुझे...अब एकदम से पार्टी में पहुँच गए..कहीं ये वैसी पार्टी तो नहीं है न..जैसी पार्टी में जाना बोलकर तुम मेरे साथ गए थे..

ये लडकिया भी न..कई बार मजाक में ही सही..पर सही बात कह जाती है..जिससे हम जैसो की गांड फट जाती है..

मैं: अरे नहीं बाबा...तुम भी न..
अंशिका (हँसते हुए): अरे मैं तो मजाक कर रही थी...वैसे मैंने फ़ोन इसलिए किया था की तुम्हे थेंक्स बोलना था...आज पूरा दिन तुमने हमारे साथ कॉलेजेस में जाकर जो हेल्प की है ..उसके लिए थेंक्स..कन्नू भी बड़ा इम्प्रेस हुई तुमसे...ये लो..वो भी तुमसे बात करना चाहती है..

मैं: कुछ कह पाता इससे पहले ही अंशिका ने फोन अपनी बहन कनिष्का को दे दिया...

कनिष्का: हाय....कैसे हो..
मैं: मैं ठीक हूँ...बस अभी एक पार्टी में आया था..
कनिष्का: ओह्ह..तब तो तुम्हे ज्यादा परेशान नहीं करना चाहिए...तुम एन्जॉय करो..और मेरी और दीदी की तरफ से बहुत-बहुत थेंक्स..आज के लिए..और..और.
मैं: और क्या ?
कनिष्का (बड़ी ही धीमी आवाज में): कभी मौका मिला तो मिलकर थेंक्स बोल दूंगी..
मैं: उसकी बात का मतलब समझ कर मस्ती में अपने लंड को रगड़ने लगा..
कनिष्का (फिर से तेज आवाज में): अच्छा लो...दीदी से बात करो...

अंशिका शायद थोडा दूर खड़ी थी उससे..उसने फोन जाकर अंशिका को दे दिया..

अंशिका: हाँ जी...अब बोलो...तो ये किसकी पार्टी है...
मैं: वो..मेरा एक फ्रेंड है..निखिल, उसकी बर्थडे पार्टी है...

अंशिका: चलो फिर ..तुम एन्जॉय करो...मैं रात को फोन करुँगी..
मैं: ठीक है.

और मैं फोन रखकर वापिस स्नेहा के पास आ गया.

स्नेहा: कौन थी...
मैं: वो..वो ..मेरी मम्मी..
स्नेहा: ओहो..मुझे लगा ..तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है...जिससे बात करने के लिए तुम कोने में जा रहे हो..
मैं: तुम भी न...मैंने तुम्हे कहा था न की मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है...
स्नेहा (मेरे होंठों पर अपनी नर्म ऊँगली रखते हुए): अब ये बात मत बोलो...अब है..

वो अपनी बात कर रही थी. मैं भी उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया और उसकी ऊँगली को चूम लिया..उसने शर्माते हुए अपना हाथ खींच लिया. तभी माईक पर उसकी फ्रेंड के पापा ने सभी मेहमानों को वहां आने के लिए थेंक्स कहा और फिर उन्होंने केक मंगवाया ..वेटर एक बड़ा सा केक ट्रोली में लेकर आये और फिर उन सभी ने मिलकर केक काटा...स्नेहा मेरा हाथ पकड़कर मुझे सबसे आगे ले गयी...उसकी फ्रेंड ने केक काटा और अपने मम्मी पापा को खिलाने के बाद उसने एक बड़ा सा टुकड़ा स्नेहा को दिया..स्नेहा ने थोडा सा केक खाकर वही टुकड़ा मेरी तरफ बड़ा दिया...अब वहां के लोगो को क्या मालुम की मैं स्नेहा का क्या लगता हूँ...वो शायद मुझे उसका भाई या कोई करीबी समझ रहे होंगे...पर उसकी फ्रेंड ने जब स्नेहा को मुझे केक खिलते देखा तो उसने स्नेहा से आँखों ही आँखों में मेरी तारीफ कर दी...

उसके बाद सभी लोग खाना खाने लगे..
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RE: लवली फ़ोन सेक्स चैट - by playboy131 - 19-03-2020, 10:40 PM
RE: लवली फ़ोन सेक्स चैट - by sanskari_shikha - 28-09-2020, 12:14 PM



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