11-03-2019, 03:00 PM
मोहे रंग दे ,
मोहे रंग दे ,
रंग की यह कहानी साजन के रंग में सजनी के रंगने की है ,
सजनी के रंग में साजन के रंगने की है ,
और होली की है , ...और होली की नहीं भी है ,...
मन और तन दोनों रंगने की है ,
नेह के रंग की , देह के रंग की ,... एक ऐसी कहानी जो सिर्फ इस देस में हो सकती है ,
वो रंग जो चढ़ता है सिर्फ उतरता नहीं
जो पद्माकर ने कहा था
एरी! मेरी बीर जैसे तैसे इन आँखिन सोँ,
कढिगो अबीर पै अहीर को कढै नहीँ ।
वो रंग जो कभी उतरता नहीं
जो खुसरो ने कहा ,
आज रंग है री मां रंग है री , मेरे महबूब के घर आज रंग है री
मोरे ख्वाजा के घर रंग है री ,
अबकी बहार चुनर मोरी रंग दे ,... रखिये लाज हमारी
आज रंग है री मां रंग है री , मेरे महबूब के घर आज रंग है री
.....
खुसरो रैन सुहाग की जागी पी के संग ,
तन मोरा मन प्रीतम का , दोनों एक ही रंग ,...
कैसे चढ़ा प्रीतम का रंग प्यारी के ऊपर ,
कैसे छाया , मन भाया प्यारी का रंग प्रीतम को ,...
एक थोड़ी सी अलग कहानी ,... मैं कोशिश की थी एक नन्ही मुन्नी सी होली की कहानी लिखने को पर मेरी कहानियां भी मेरी कहानी की किशोरियों की तरह किसी के काबू में नहीं आतीं , मेरे तो तो एकदम नहीं ,... तो बस यह कहानी भी छिटक कर ,
यह जोरू का गुलाम या फागुन के दिन चार की तरह लम्बी नहीं पर छोटी भी नहीं ,
इसलिए आप का साथ भी चाहिए , धैर्य भी ,...
मोहे रंग बसंती रंग दे ख्वाजा जी ,... मोहे अपने ही रंग में रंग ले ,...
जो तू मांगे रंग की रंगाई , जो तू मांगे रंग की रंगाई ,...
मोरा जोबन गिरवी रख ले ,...
कोमल