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Adultery चुदाई के दिन चुदाई की रातें
#9
दूसरे कमरे में पापा ने मौसी को घोड़ी बना दिया. मौसी अपने घुटने और हाथों के बल झुक चुकी थी और पापा उसस्के चूतड़ को थाम कर अपना लंड उसस्की चूत पर पीच्छे से धकेलने लगे.” रानी, मुझे घोड़ी बना कर चुदाई करने में बहुत मज़ा आता है. तुझे कैसा लगता है उषा मेरी रानी. तेरे चूतड़ बहुत सेक्सी लगते हैं मुझे. एक दिन तेरी गांद ज़रूर चोदुन्गा. वह कितनी सेक्सी हो तुम मेरी साली.” उषा मौसी नी चे से बोल रही थी,” जिज़्जु तुम चोदना शुरू करो. मुझे बहुत अच्छा लगता है जब मुझे मेरे जिज़्जु चोद्ते हैं. तुम मुझे घोड़ी बनाओ या कुतिया, मुझे बस अपने जिज़्जु का लंड अपनी चूत में चाहिए….चोदो मुझे जिज़्जु राजा….थोक्दो अपना लोड्‍ा मेरी चूत में….चोद लेना मेरी गांद भी जिज़्जु….पेल मुझे” 

मेरे बिस्तर पर नामिता ने अब मुझे पीठ के बल लिटा दिया और मेरी टाँगों को खोल दिया. मेरी बेहन मेरे उप्पेर चढ़ि हुई थी. उसस्की चुचि मेरे वक्ष स्थल पर रगड़ रही थी. मुझे किस करते हुए उसस्के होंठ मेरे निपल्स से होते हुए पेट पर और आख़िर मेरी चूत की त्रिकोण की तरफ बढ़ने लगे. उसस्के होंठ आख़िर मेरी चूत की फांकों को खोलते हुए अपने निशाने पर जा पहुँचे. उसस्की जीभ मेरे क्लाइटॉरिस को चाटने लगी और फिर उससने मेरी चूत में अपनी ज़ुबान घुसा दी. मुझे उसस्की ज़ुबान क़िस्सी लंड जैसी लग रही थी. नामिता नेमेरी जांघों को कस कर पकड़ रखा था. उसस्की ज़ुबान मेरी चूत को चोद रही थी. पापा के कमरे में अब मैं देख नहीं सकती थी लेकिन उनकी आवाज़ें सुनाई पड़ रही थी. मुझे नहीं मालूम था की औरत भी दूसरी औरत की जब चूत चाटती है तो इतना मज़ा आता होगा. “हे भगवान, मुझे अपनी बेहन के चूमने चाटने से इतना मज़ा मिल रहा था तो असली लंड से मेरी हालत क्या होगी? 

मेरी चूत से लगातार रस टपक रहा था और मेरी बेहन मज़े से उस्स्को चाट रही थी. मुझे लगा कि मेरी चूत झड़ने लगी है. मैने अपने चूतड़ उप्पेर उठाने शुरू कर दिए ता कि मैं नामिता की पूरी ज़ुबान को अपनी चूत में घुस्सा कर और मज़ा ले सकूँ,’ आआआअ……ऊऊऊऊ…..आअगग्घह ……हाईईईई….उससिईईईई,,,नामिताआअ….चूस मेरी चूत….मैं गइई,….मेरी चूत से पानी जा रहा है….या मुझे क्या हो गया मेरी बहना…डाल दे अपनी जीभ मेरी फुदी में मैं झदीए” 

मैं ना जाने कितनी देर तक बिस्तर पर शरीर एन्थ कर तड़पती रही, मेरी चूत रो रो कर रस छ्चोड़ती रही और मेरी बेहन मेरी चूत का रस चाटती रही. जब नामिता ने चेहरा उठाया तो उसस्के होंठों से चूतरस टपक रहा था. नामिता मेरी बेहन बहुत खूबसूरत लग रही थी. जब उससने मुझे होंठों पर किस किया तो उसस्के मूह से मुझे अपनी चूत के रस का स्वाद मिला. नामिता की आँखें लाल हो चुकी थी और फिर उससने मेरे कानो को चूमा. मैने भी अपनी बेहन को मज़ा देने की सोच ली. मैने भी उस्स्को वैसे ही किस करना शुरू कर दिया जैसे उससने मुझे किया था.. मुझे हैरानी थी कि जो मैं कर रही थी वो लेज़्बीयन सेक्स था लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. नामिता का जिस्म बहुत नमकीन लग रहा था मुझे. मैने उसस्की मस्त चुचि को जब अपने मूह में लिया तो मुझे जन्नत मिल रही थी. नामिता के चुचक बहुत कड़े हो चुके थे. मैने नामिता को पेट के बल उल्टा दिया और फिर उस्स्को गर्दन से चूमना शुरू कर दिया. मेरी बेहन की गांद का उभार बहुत कामुक लग रहा था.
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RE: चुदाई के दिन चुदाई की रातें - by nitya.bansal3 - 26-09-2020, 01:30 PM



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