25-09-2020, 12:24 AM
पत्नी का सरप्राइज
बीते सात सालों से अनुराग और मधु वैवाहिक बंधन मे बंधे हँसी खुशी जीवन यापन कर रहे थे । मधु एक गदरायी गोरी जिस्म की बेहद आकर्षक और हँसमुख औरत है और अपने पति की बेहद चहिती ओर हो भी क्यों न बीते इतने बरसों मे उसने अनुराग के साथ कदम से कदम मिला कर परिवार को सम्हाली हुई है । संयुक्त परिवार मे घुल मिल कर रहने से मधु को समस्त परिवार से बेहद स्नेह और प्यार मिलता ।
मधु अक्सर देर तक घर के सारे काम खत्म कर बैडरूम मे आती और अनुराग बेसब्र की तरह मधु की राह तकता , मधु आते है दरवाज़े को बंद कर अपने चेहरे को फेसवाश से धोती और अनुराग के सामने वो साड़ी उतार फर्श पर फेंक देती और अनुराग के करीब खड़ी हो पीठ दिखा कर ब्लाउज के डोरी को खोलने बोलती ओर अनुराग बड़े मज़े से मधु की ब्लाउज पीछे से खोलता और उसके पसिने से भीगे बदन को सहलाता और मधु कामुक्ता के बसीभूत होने लगती और झट पट ब्लाउज उतार अपनी ब्रा खोल अनुराग को देख मुश्कुराते अपनी पेटिकोट खोल के अलमारी मैं पड़ी हल्के लाल रंग की पारदर्शी वस्त्र पहन लेती है और दिन भर की कामकाज से गंदी हुई पैंटी उतार कर अनुराग के पास उछाल देती है और अनुराग पैंटी सूँघता है और मधु अनुराग के पास बैठ जाती है ।
अनुराग रसिया पति के साथ साथ अजीबोगरीब शौक वाला मर्द है जो मधु को अपने कामुक्ता की आग मे तपा कर इतने बरसों मे संस्कारी औरत से मनचली बना चुका है और मधु हर रात अनुराग के लिए वो सब करती है जो उसे चाहिए होता ।
अनुराग गहरी सासों से मधु की पैंटी सूँघता उसके झाघो को सहलाता है और मधु झुक कर अनुराग को अपने स्तनों के दर्शन करवाते खुद अपनी हाथों से दबाती है और अनुराग को हवस भरी आँखों से देखती है और मधु खड़ी हो कर मुड़ जाती है और अनुराग के आँखों के सामने आगे को झुक कर अपनी गाँड दिखाती और हाथों से गाँड के गोलाइ खिंच कर अपनी अवस्ता मे रहती है और अनुराग उँगलियों को फेरता मधु के गाँड की दरारों पर अपने स्पर्श करता चुत तक जाता है और उसके चुत की फूली हुई होंठो को दबाता और पैंटी से चुत की खुशबू लेता एक उँगली डाल मधु के बेताब चुत को सहलाता और चिप चिप करती चुत से निकली मधु के तपते योवन का रस उँगली से चूस गाँड के छेद मे डाल देता है और मधु की आह फुट पड़ती है और वो अपनी आँखों को मूंदे अनुराग के लिंग को मचल सी जाती है ।
अनुराग थोड़ी देर मधु से खेलता है और गाँड के अंदर से उँगली निकाल चुसने लगता है और मधु खड़े हो के अनुराग को देखते अपनी पारदर्शी वस्त्र के ऊपर से अपनी कड़क निपल्लों को सहलाती होंठो को दाँतो तले दबाती अनुराग को रिझाती है और अनुराग बिस्तर पर मधु के चुत की खुशबू का नशा करता अपने लड़ के उभार को सहलता है ।
अनुराग अपने जीभ से मधु के पैंटी को चाट मुँह मैं पैंटी फ़सा कर अपने हाथों को बिस्तर के ऊपर कर लेता है और मधु झुक के अनुराग के बनयान मैं हाथ डाल उसके सीने के बालों को सहलाती है और बगल मे बैठ उसके बनयान को ऊपर उठा कर अनुराग के निप्पलों को उँगलियों से मसलने लगती है और अनुराग आँखे बूंद आहे भरने लगता है और मधु उसके निप्पल्स को मुँह मे ले चुसने लगती है और अपने दूसरे हाथ को उसके उभारो पर फेरती रहती है ।
दोनों बिना बोले एक दूसरे की इच्छा को भलीभांति जानते है और नित्य क्रिया करती मधु अपने सुहाग की वासना के इच्छा अनुसार हर वो चीज़ करती है जो अनुराग को पसंद होता है और इतने बरसों के साथ कि वज़ह से मधु खुद को समर्पित भाव से अनुराग की बिस्तर की इच्छा पूरी करती है ।
मधु पैंट के इलास्टिक के अंदर अपने कोमल हाथों से अनुराग के सख्त लिंग को पकड़ सहलाने लगती है और अनुराग के निप्पलों को बड़े प्यार से चुस्ती है और थोड़ी देर के बाद बिस्तर पर उठ अनुराग के जिस्म के ऊपर टाँगे खोल खड़ी हो जाती है और उसके चेहरे पर अपनी चुत लगा कर दीवार पर हाथों को लगा देती है और अनुराग जीभ फेरता मधु के चुत को चाटने लगता है और तेज़ सासों से मधु की झांटो से उसके योवन का नशा करने लगता है और धीरे से मधु के स्तनों को जालीदार वस्त्र के ऊपर से सहलाने लगता है , मधु की जवानी मेहकने लगती है और उसके होंठ सूखने लगते है आँखे कमुक हो लाल हो जाती है और वो कमर हिला कर अनुराग के होंठो पर अपनी चुत रगड़ने लगती है ।
बड़े शौक से अनुराग अपनी पत्नी के चुत को योवन और हवस का आग से गीला कर देता है और मधु की सासों को बेकाबू करते उसके स्तनों को बड़े जोर से दबाता और मधु हल्के हल्के कामुक्ता के स्वर से कमरे को वासना बिभोर कर देती है और अनुराग के चेहरे पर अपनी चुत के रस को बिखेर देती है । अनुराग उसके स्तनों पर चिट्कोरी लगता है और मधु पलट कर अनुराग के चेहरे पर बैठ जाती है और आपने हाथों को अनुराग के पेट पर दबाती चुत ऊपर कर लेती है और अनुराग जीभ हिलाता मधु के चुत का रस चाट खाने लगता है और वो मधु के लंबे बालों के जुड़े को खोल अपने चेहरे पर फैला लेता है और मधु झुक कर अनुराग के उभार पर होंठो को रख उसके पैंट को नीचे सरकाती है और उसके कड़क लिंग को चूम जीभ से चाटने लगती है ।
मधु लड़ के चमड़े को खींच नीचे उतार कर बस लड़ के गुलाबी हिस्से को चुस्ती है और आपने हाथों से अनुराग के सख्त अण्डों को सहलाती है । अनुराग आनन्दमयी अवस्ता पर पहुँच जाता है और धीरे से बोलता है मेरी जान कब मुझे अपनी इस चुत से किसी गैर मर्द का रस चटवाओगी और मधु उसके लड़ को हाथों मैं पकड़ सिसकी लेती कहती है कब तक आप यू मुझे गंदे काम करने को बोलते रहोगे और अनुराग अपनी बीवी को अपने गंदे बातों से उकसाता बोलता है बस एक बार किसी का वीर्य चटवा दो मधु अपने इस चुत से फिर और कोई इच्छा न रहेगी ।
मधु बरसों से अनुराग की ये बातें सुन आज भी बोलती है मेरे लिए बस आपका लड़ काफी है और ज़ोर से चुसने लगती है और अनुराग अपने गंदे बातो को सिसकी लेता बकते रहता और मधु उठ कर अनुराग के लिंग पर बैठ जाती है और झुक कर होंठो को मिला चूमने लगती है और अनुराग बड़े गर्म अंदाज़ मे मधु की गाँड पकड़ नीचे से धक्कों की बारिश करने लगता है और दोनों एक दुज़े से चिपक हवस की आंधी मे खोने लगते है और मधु तृप्त हो अनुराग के लिंग को अपने योवन के रस से सराबोर कर देती है और अनुराग अपनी बीवी को बिस्तर पर पटक ऊपर चढ़ लिंग को योनि पर रगड़ते बोलता है बस मेरी जान एक बार मुझे अपने इस चुत से वीर्य पान करा दे कहता वो मधु के टाँगों को हाथों से फैला चोदने लगता है और मधु आँखे मूंदे योन सुख लेती झटकों के साथ अपनी बड़ी बडी स्तनों को हिलते महसूस करती वापस चर्मसुख को प्राप्त कर लेती है और थोड़े पल बाद अनुराग अपने वीर्य से मधु की चुत सराबोर कर उसके बदन से चिपक हाँफने लगता है और मधु अपने हाथों से अपने पति को पकड़ कर संतुष्ट भाव से सहलाती है और दोनों थक हार निन्द्रा के आगोश मे चले जाते है ।
हर रात दोनो यू ही योवन का रसपान करते सहवास का सुख लेते गन्दी बातों से उतेजित होते रहते पर साल के इस माह मधु मायके जाती और अनुराग एक माह मुरझाये फूलों सा समय बिताता ठीक वैसे ही जैसे बीते सात बरसों से बिता रहा होता । इस वर्ष भी अनुराग अपनी धर्मपत्नी को मायके पहुँचा दुखी मन लिए वापस आ गया था और घंटो मधु से गन्दी बातें करते किसी तरह अपने लिंग से वीर्य निकाल जी रहा था । मधु भी बेहाल ही रहती बिना अनुराग के क्योंकि अनुराग ने मधु को अपने हिसाब से ऐसा बना दिया था कि मधु लड़ लिए बिना सो नहीं पाती और अनुराग गंदी बाते कर मधु को हर रात अपनी चुत सहलाने को उकसा गैर मर्दों की बातें कर शान्त करता और मधु झड़ कर सुकून से सोती ।
बरसात के मौसम मे यू पति पत्नी की जुदाई बड़ी घातक होती है और एक दुज़े के बिना बिस्तर काटे के समान जान पड़ता ।
मधु को गए एक हफ्ता ही बिता था कि आम दिन की तरह अनुराग मायूस ऑफिस मे बैठा काम कर रहा था और तभी मधु का कॉल आया यू बेवक्त मधु के कॉल से अनुराग चिंतित हो गया और घबराए स्वर मे बोला सब ठीक है ना, मधु हँसते हुए बोली जी सब बढ़िया है आप खा मखा डरते रहते और अनुराग के डर को शान्त करने के पश्चात बोलती है आप क्या मिलने आ सकते है और अनुराग कहता कुछ बिशेष बात तभी मधु हँसते बोलती है बस आ जाईये न प्लीज और अनुराग हाँ बोल देता है और अपने मालिक से अनुमति ले घर पहुँच नाहा धो कर दो जोड़ी कपड़े ले बाइक स्टार्ट कर ससुराल की और निकल पड़ता है जो पूरे तीन घंटे की लंबी राह है ।
अनुराग मन है मन सहवास और मधु के बारे मे सोचता बड़े आराम से चलता रहता और बीच बीच मैं रुक अपनी कमर सीधे करता और जब महज़ ससुराल और मधु से दूरी आधे घंटे की बाकी रहती वो रुक कर अपना मोबाइल देखने लगता है जिसमें मधु ने लोकेशन शेयर करी होती है और अनुराग गूगल मैप पर वो लोकेशन डाल चल पड़ता है ।
चालीस मिनट चलने के बाद शाम शाम को वो मधु के दिये लिकाशन पर रुकता है जो एक नदी के किनारे बड़े से बरगद पेड़ के पास की रहती है और वो गाड़ी से उतर मधु को फ़ोन मिलाता है और मधु कहती है रुकिए दस मिनट मे आई और अनुराग नज़रे घुमा चारों और देखता है तोह बस घने जंगल और सन्नाटे के सिवा बस चिड़ियों की चहचहाट के सिवा और कुछ नही दिखता ।
अनुराग बड़े शान्त मन से मधु की राह तकते रहता और बार बार चारों तरफ नज़रे दौड़ाता रहता पर हर बार उसे सन्नाटे के सिवा कुछ नज़र नही आता और अचानक उसे पीले साड़ी मे मधु नज़र आती है और वो चैन की सास लेता मधु को घूरता रहता और मधु पास आते ही अनुराग के हाथो को पकड़ उसे पेड़ के बड़े जड़ पर बिठा देती है और अपनी साड़ी उठा कर उसके मुँह को अपनी चुत पर चिपका कहती है चख कर बताइए न कैसा है और अनुराग अशमंजस मैं पड़ मधु के चुत को चाटने लगता है और उसे एहसास होते पल भर नही लगता कि मधु की चुत वीर्य से भरी पड़ी है और वो मधु के कमर को ज़ोर से पकड़ बड़े चाव से वीर्य चाटने लगता है और मधु अपने हाथों से अनुराग के बालो को पकड़ चुत चटवाती रहती है और आधे घंटे तक दोनों बस चुप चाप से रहते है और अनुराग चुत की गहराई तक जीभ डाल मधु के चुत से एक एक बूँद वीर्य चट कर उसके झाघो पर बहे वीर्य के बूंदों को चाट साड़ी के नीचे से निकल उठ खड़ा होता है और मधु को चूमने लगता है और मधु अपने पति को बाहों मैं जकड़ लिपट जाती है और अनुराग बड़े मासूम अंदाज़ मे बोलता हैं आखिर मेरी बीवी ने मेरी मुराद पूर्ण कर दी और मधु शर्मा के कहती है बस आप यही रुकिए मैं आती हु और वो वापस जंगल के झाड़ियों मे अंधेरे मे खो जाती है और अनुराग सख्त लड़ लिए वहीं खड़ा विचारहीन हो जाता है ।
करीब घंटे भर से अनुराग राह तकता एक जैसा खड़ा रहता है और उसके मस्तिष्क मे कोई ख्याल नहीं न कोई चिंता न कोई सवाल बस वो उस रास्ते को घूरता जहाँ मधु गई और गायब हो गई थी ।
दो घंटे के बाद मधु धीरे धीरे आती दिखती है ,चारों और अंधेरा फैला हुआ होता है पर अनुराग पीले साड़ी की परछाई को देख समझता है कि मधु आ गई है और वो पहले से पेड़ की जड़ पर आ बैठ जाता है और मधु करिब आ कर साड़ी उठा देती है और अनुराग भूखे कुत्ते की तरह लप लप करता मधु के चुत से वीर्य चाट खाने लगता है और मधु हल्की आहे भर्ती अपनी वीर्य से भरी चुत चटवाती थोड़ी कमुक हो जाती है और हल्के सिसकियों को भरने लगती है और एक लंबे मेहनत के बाद अनुराग वापस से मधु के चुत से वीर्य चट कर उठ खड़ा होता है और मधु के होंठो को बेताहाशा चूमने लगता है और मधु उसके लिंग को सहलाने लगती है और नीचे बैठ अनुराग की पैंट खोल लड़ को चुसने के लिए जैसे ही मुँह मे डालती है अनुराग का वीर्य बह उठता हैं और वो मधु के सर को पकड़ हल्के झटके मार ठंडा पड़ जाता है और मधु अपने पति के वीर्य को गटक कर उसके लबों को चूम कहती है क्या आपको इतना मज़ा आया जी और अनुराग हाँ बोलता मधु के साथ ससुराल की ओर चल पड़ता है ।
समाप्त
बीते सात सालों से अनुराग और मधु वैवाहिक बंधन मे बंधे हँसी खुशी जीवन यापन कर रहे थे । मधु एक गदरायी गोरी जिस्म की बेहद आकर्षक और हँसमुख औरत है और अपने पति की बेहद चहिती ओर हो भी क्यों न बीते इतने बरसों मे उसने अनुराग के साथ कदम से कदम मिला कर परिवार को सम्हाली हुई है । संयुक्त परिवार मे घुल मिल कर रहने से मधु को समस्त परिवार से बेहद स्नेह और प्यार मिलता ।
मधु अक्सर देर तक घर के सारे काम खत्म कर बैडरूम मे आती और अनुराग बेसब्र की तरह मधु की राह तकता , मधु आते है दरवाज़े को बंद कर अपने चेहरे को फेसवाश से धोती और अनुराग के सामने वो साड़ी उतार फर्श पर फेंक देती और अनुराग के करीब खड़ी हो पीठ दिखा कर ब्लाउज के डोरी को खोलने बोलती ओर अनुराग बड़े मज़े से मधु की ब्लाउज पीछे से खोलता और उसके पसिने से भीगे बदन को सहलाता और मधु कामुक्ता के बसीभूत होने लगती और झट पट ब्लाउज उतार अपनी ब्रा खोल अनुराग को देख मुश्कुराते अपनी पेटिकोट खोल के अलमारी मैं पड़ी हल्के लाल रंग की पारदर्शी वस्त्र पहन लेती है और दिन भर की कामकाज से गंदी हुई पैंटी उतार कर अनुराग के पास उछाल देती है और अनुराग पैंटी सूँघता है और मधु अनुराग के पास बैठ जाती है ।
अनुराग रसिया पति के साथ साथ अजीबोगरीब शौक वाला मर्द है जो मधु को अपने कामुक्ता की आग मे तपा कर इतने बरसों मे संस्कारी औरत से मनचली बना चुका है और मधु हर रात अनुराग के लिए वो सब करती है जो उसे चाहिए होता ।
अनुराग गहरी सासों से मधु की पैंटी सूँघता उसके झाघो को सहलाता है और मधु झुक कर अनुराग को अपने स्तनों के दर्शन करवाते खुद अपनी हाथों से दबाती है और अनुराग को हवस भरी आँखों से देखती है और मधु खड़ी हो कर मुड़ जाती है और अनुराग के आँखों के सामने आगे को झुक कर अपनी गाँड दिखाती और हाथों से गाँड के गोलाइ खिंच कर अपनी अवस्ता मे रहती है और अनुराग उँगलियों को फेरता मधु के गाँड की दरारों पर अपने स्पर्श करता चुत तक जाता है और उसके चुत की फूली हुई होंठो को दबाता और पैंटी से चुत की खुशबू लेता एक उँगली डाल मधु के बेताब चुत को सहलाता और चिप चिप करती चुत से निकली मधु के तपते योवन का रस उँगली से चूस गाँड के छेद मे डाल देता है और मधु की आह फुट पड़ती है और वो अपनी आँखों को मूंदे अनुराग के लिंग को मचल सी जाती है ।
अनुराग थोड़ी देर मधु से खेलता है और गाँड के अंदर से उँगली निकाल चुसने लगता है और मधु खड़े हो के अनुराग को देखते अपनी पारदर्शी वस्त्र के ऊपर से अपनी कड़क निपल्लों को सहलाती होंठो को दाँतो तले दबाती अनुराग को रिझाती है और अनुराग बिस्तर पर मधु के चुत की खुशबू का नशा करता अपने लड़ के उभार को सहलता है ।
अनुराग अपने जीभ से मधु के पैंटी को चाट मुँह मैं पैंटी फ़सा कर अपने हाथों को बिस्तर के ऊपर कर लेता है और मधु झुक के अनुराग के बनयान मैं हाथ डाल उसके सीने के बालों को सहलाती है और बगल मे बैठ उसके बनयान को ऊपर उठा कर अनुराग के निप्पलों को उँगलियों से मसलने लगती है और अनुराग आँखे बूंद आहे भरने लगता है और मधु उसके निप्पल्स को मुँह मे ले चुसने लगती है और अपने दूसरे हाथ को उसके उभारो पर फेरती रहती है ।
दोनों बिना बोले एक दूसरे की इच्छा को भलीभांति जानते है और नित्य क्रिया करती मधु अपने सुहाग की वासना के इच्छा अनुसार हर वो चीज़ करती है जो अनुराग को पसंद होता है और इतने बरसों के साथ कि वज़ह से मधु खुद को समर्पित भाव से अनुराग की बिस्तर की इच्छा पूरी करती है ।
मधु पैंट के इलास्टिक के अंदर अपने कोमल हाथों से अनुराग के सख्त लिंग को पकड़ सहलाने लगती है और अनुराग के निप्पलों को बड़े प्यार से चुस्ती है और थोड़ी देर के बाद बिस्तर पर उठ अनुराग के जिस्म के ऊपर टाँगे खोल खड़ी हो जाती है और उसके चेहरे पर अपनी चुत लगा कर दीवार पर हाथों को लगा देती है और अनुराग जीभ फेरता मधु के चुत को चाटने लगता है और तेज़ सासों से मधु की झांटो से उसके योवन का नशा करने लगता है और धीरे से मधु के स्तनों को जालीदार वस्त्र के ऊपर से सहलाने लगता है , मधु की जवानी मेहकने लगती है और उसके होंठ सूखने लगते है आँखे कमुक हो लाल हो जाती है और वो कमर हिला कर अनुराग के होंठो पर अपनी चुत रगड़ने लगती है ।
बड़े शौक से अनुराग अपनी पत्नी के चुत को योवन और हवस का आग से गीला कर देता है और मधु की सासों को बेकाबू करते उसके स्तनों को बड़े जोर से दबाता और मधु हल्के हल्के कामुक्ता के स्वर से कमरे को वासना बिभोर कर देती है और अनुराग के चेहरे पर अपनी चुत के रस को बिखेर देती है । अनुराग उसके स्तनों पर चिट्कोरी लगता है और मधु पलट कर अनुराग के चेहरे पर बैठ जाती है और आपने हाथों को अनुराग के पेट पर दबाती चुत ऊपर कर लेती है और अनुराग जीभ हिलाता मधु के चुत का रस चाट खाने लगता है और वो मधु के लंबे बालों के जुड़े को खोल अपने चेहरे पर फैला लेता है और मधु झुक कर अनुराग के उभार पर होंठो को रख उसके पैंट को नीचे सरकाती है और उसके कड़क लिंग को चूम जीभ से चाटने लगती है ।
मधु लड़ के चमड़े को खींच नीचे उतार कर बस लड़ के गुलाबी हिस्से को चुस्ती है और आपने हाथों से अनुराग के सख्त अण्डों को सहलाती है । अनुराग आनन्दमयी अवस्ता पर पहुँच जाता है और धीरे से बोलता है मेरी जान कब मुझे अपनी इस चुत से किसी गैर मर्द का रस चटवाओगी और मधु उसके लड़ को हाथों मैं पकड़ सिसकी लेती कहती है कब तक आप यू मुझे गंदे काम करने को बोलते रहोगे और अनुराग अपनी बीवी को अपने गंदे बातों से उकसाता बोलता है बस एक बार किसी का वीर्य चटवा दो मधु अपने इस चुत से फिर और कोई इच्छा न रहेगी ।
मधु बरसों से अनुराग की ये बातें सुन आज भी बोलती है मेरे लिए बस आपका लड़ काफी है और ज़ोर से चुसने लगती है और अनुराग अपने गंदे बातो को सिसकी लेता बकते रहता और मधु उठ कर अनुराग के लिंग पर बैठ जाती है और झुक कर होंठो को मिला चूमने लगती है और अनुराग बड़े गर्म अंदाज़ मे मधु की गाँड पकड़ नीचे से धक्कों की बारिश करने लगता है और दोनों एक दुज़े से चिपक हवस की आंधी मे खोने लगते है और मधु तृप्त हो अनुराग के लिंग को अपने योवन के रस से सराबोर कर देती है और अनुराग अपनी बीवी को बिस्तर पर पटक ऊपर चढ़ लिंग को योनि पर रगड़ते बोलता है बस मेरी जान एक बार मुझे अपने इस चुत से वीर्य पान करा दे कहता वो मधु के टाँगों को हाथों से फैला चोदने लगता है और मधु आँखे मूंदे योन सुख लेती झटकों के साथ अपनी बड़ी बडी स्तनों को हिलते महसूस करती वापस चर्मसुख को प्राप्त कर लेती है और थोड़े पल बाद अनुराग अपने वीर्य से मधु की चुत सराबोर कर उसके बदन से चिपक हाँफने लगता है और मधु अपने हाथों से अपने पति को पकड़ कर संतुष्ट भाव से सहलाती है और दोनों थक हार निन्द्रा के आगोश मे चले जाते है ।
हर रात दोनो यू ही योवन का रसपान करते सहवास का सुख लेते गन्दी बातों से उतेजित होते रहते पर साल के इस माह मधु मायके जाती और अनुराग एक माह मुरझाये फूलों सा समय बिताता ठीक वैसे ही जैसे बीते सात बरसों से बिता रहा होता । इस वर्ष भी अनुराग अपनी धर्मपत्नी को मायके पहुँचा दुखी मन लिए वापस आ गया था और घंटो मधु से गन्दी बातें करते किसी तरह अपने लिंग से वीर्य निकाल जी रहा था । मधु भी बेहाल ही रहती बिना अनुराग के क्योंकि अनुराग ने मधु को अपने हिसाब से ऐसा बना दिया था कि मधु लड़ लिए बिना सो नहीं पाती और अनुराग गंदी बाते कर मधु को हर रात अपनी चुत सहलाने को उकसा गैर मर्दों की बातें कर शान्त करता और मधु झड़ कर सुकून से सोती ।
बरसात के मौसम मे यू पति पत्नी की जुदाई बड़ी घातक होती है और एक दुज़े के बिना बिस्तर काटे के समान जान पड़ता ।
मधु को गए एक हफ्ता ही बिता था कि आम दिन की तरह अनुराग मायूस ऑफिस मे बैठा काम कर रहा था और तभी मधु का कॉल आया यू बेवक्त मधु के कॉल से अनुराग चिंतित हो गया और घबराए स्वर मे बोला सब ठीक है ना, मधु हँसते हुए बोली जी सब बढ़िया है आप खा मखा डरते रहते और अनुराग के डर को शान्त करने के पश्चात बोलती है आप क्या मिलने आ सकते है और अनुराग कहता कुछ बिशेष बात तभी मधु हँसते बोलती है बस आ जाईये न प्लीज और अनुराग हाँ बोल देता है और अपने मालिक से अनुमति ले घर पहुँच नाहा धो कर दो जोड़ी कपड़े ले बाइक स्टार्ट कर ससुराल की और निकल पड़ता है जो पूरे तीन घंटे की लंबी राह है ।
अनुराग मन है मन सहवास और मधु के बारे मे सोचता बड़े आराम से चलता रहता और बीच बीच मैं रुक अपनी कमर सीधे करता और जब महज़ ससुराल और मधु से दूरी आधे घंटे की बाकी रहती वो रुक कर अपना मोबाइल देखने लगता है जिसमें मधु ने लोकेशन शेयर करी होती है और अनुराग गूगल मैप पर वो लोकेशन डाल चल पड़ता है ।
चालीस मिनट चलने के बाद शाम शाम को वो मधु के दिये लिकाशन पर रुकता है जो एक नदी के किनारे बड़े से बरगद पेड़ के पास की रहती है और वो गाड़ी से उतर मधु को फ़ोन मिलाता है और मधु कहती है रुकिए दस मिनट मे आई और अनुराग नज़रे घुमा चारों और देखता है तोह बस घने जंगल और सन्नाटे के सिवा बस चिड़ियों की चहचहाट के सिवा और कुछ नही दिखता ।
अनुराग बड़े शान्त मन से मधु की राह तकते रहता और बार बार चारों तरफ नज़रे दौड़ाता रहता पर हर बार उसे सन्नाटे के सिवा कुछ नज़र नही आता और अचानक उसे पीले साड़ी मे मधु नज़र आती है और वो चैन की सास लेता मधु को घूरता रहता और मधु पास आते ही अनुराग के हाथो को पकड़ उसे पेड़ के बड़े जड़ पर बिठा देती है और अपनी साड़ी उठा कर उसके मुँह को अपनी चुत पर चिपका कहती है चख कर बताइए न कैसा है और अनुराग अशमंजस मैं पड़ मधु के चुत को चाटने लगता है और उसे एहसास होते पल भर नही लगता कि मधु की चुत वीर्य से भरी पड़ी है और वो मधु के कमर को ज़ोर से पकड़ बड़े चाव से वीर्य चाटने लगता है और मधु अपने हाथों से अनुराग के बालो को पकड़ चुत चटवाती रहती है और आधे घंटे तक दोनों बस चुप चाप से रहते है और अनुराग चुत की गहराई तक जीभ डाल मधु के चुत से एक एक बूँद वीर्य चट कर उसके झाघो पर बहे वीर्य के बूंदों को चाट साड़ी के नीचे से निकल उठ खड़ा होता है और मधु को चूमने लगता है और मधु अपने पति को बाहों मैं जकड़ लिपट जाती है और अनुराग बड़े मासूम अंदाज़ मे बोलता हैं आखिर मेरी बीवी ने मेरी मुराद पूर्ण कर दी और मधु शर्मा के कहती है बस आप यही रुकिए मैं आती हु और वो वापस जंगल के झाड़ियों मे अंधेरे मे खो जाती है और अनुराग सख्त लड़ लिए वहीं खड़ा विचारहीन हो जाता है ।
करीब घंटे भर से अनुराग राह तकता एक जैसा खड़ा रहता है और उसके मस्तिष्क मे कोई ख्याल नहीं न कोई चिंता न कोई सवाल बस वो उस रास्ते को घूरता जहाँ मधु गई और गायब हो गई थी ।
दो घंटे के बाद मधु धीरे धीरे आती दिखती है ,चारों और अंधेरा फैला हुआ होता है पर अनुराग पीले साड़ी की परछाई को देख समझता है कि मधु आ गई है और वो पहले से पेड़ की जड़ पर आ बैठ जाता है और मधु करिब आ कर साड़ी उठा देती है और अनुराग भूखे कुत्ते की तरह लप लप करता मधु के चुत से वीर्य चाट खाने लगता है और मधु हल्की आहे भर्ती अपनी वीर्य से भरी चुत चटवाती थोड़ी कमुक हो जाती है और हल्के सिसकियों को भरने लगती है और एक लंबे मेहनत के बाद अनुराग वापस से मधु के चुत से वीर्य चट कर उठ खड़ा होता है और मधु के होंठो को बेताहाशा चूमने लगता है और मधु उसके लिंग को सहलाने लगती है और नीचे बैठ अनुराग की पैंट खोल लड़ को चुसने के लिए जैसे ही मुँह मे डालती है अनुराग का वीर्य बह उठता हैं और वो मधु के सर को पकड़ हल्के झटके मार ठंडा पड़ जाता है और मधु अपने पति के वीर्य को गटक कर उसके लबों को चूम कहती है क्या आपको इतना मज़ा आया जी और अनुराग हाँ बोलता मधु के साथ ससुराल की ओर चल पड़ता है ।
समाप्त