10-03-2019, 10:29 PM
छुटकी
लेकिन तभी एक गड़बड़ हो गयी। मुझे बचाने मेरी छोटी बहन छुटकी आ गयी और वो पकड़ ली गयी।
दी तीन भाभियों ने उसे ले जा के आंगन में जहाँ खूब रंग बह रहा था वहाँ लिटा दिया और सबसे पह्ले मिश्राइन भाभी ने नंबर लगाया।
जीजा तो तब भी कुँवारी सालियों से कुछ झिझकते हैं , सोचते हैं ,
लेकिन भाभियाँ तो कुँवारी रसभीनी ननदों को देख के और बौरा जाती हैं , और इस बार भी वही हुआ।
तीन तीन भाभियाँ एक साथ छुटकी पे ,
कुछ ही देर में उसके दोनों टिकोरे , और गुलाबी परी फ्राक से बाहर थे और भाभियों के हाथ में ,
लेकिन मिश्राइन भाभी , जो भाभियों में सबसे प्रौढ़ा थीं , उन्होंने असली मोर्चा खोला ,
" अरे होलियों के दिन ननद को बुर का स्वाद न चखाया तो क्या मजा। "
उन्होंने साडी साया , अपना उठाया , कमर में लपेटा और सीधे छुटकी के ऊपर ,
मुझे अपनी ससुराल की होली याद आगयी ,
मेरी जेठानी ने एक कच्ची कली का , जो छुटकी से भी छोटी लग रही थी , न सिर्फ चूत चटवाई थी बल्कि 'सुनहला शरबत 'भी पिलाया था , और ऩीने खुद अपनी सगी छोटी ननद को जो इस छुटकी की ही समौरिया ही होगी , को चूत चटाई थी और , ' सुनहला शरबत ' भी पिलाया था।
छुटकी थोडा इधर उधर कर रही थी , लेकन एक भाभी ने दोनों हाथो से उसका सर जोर से पकड़ लिया और अब वो मिश्राइन भाभी कि जाँघों के बीच फँसी , दबी , किकिया रही थी।
लेकिन वो अभी भी मुंह खोलने में नखड़े कर रही थी। बस , मिश्राइन भाभी ने जोर से उसके नथुने दबा दिए ,
" बोल छिनार खोलेगी मुंह की नहीं , खोल साली , "
और थोड़ी देर में जैसे ही उसने मुंह खोला अपनि रसीली खेली खायी बुर उन्होंने छुटकी के खुले मुंह पे चिपका दी और लगी रगड़ने।
किसी और भाभी ने कुछ बोला कि अकेले अकेले नयी बछेड़ी पे सवारी कर रही हो तो वो हंस के बोली ,
" अरे तब तक तुम इसकी रस् मलायी का रस निकालो , मेरे बाद तुम भी चटवा लेना। "
वो भाभी बस अपनी गदोरियों से छुटकी की चूत जोर जोर से रगड़ने लगी। और छुटकी की चूत भी थोड़ी देर में पानी फेंकने लगी।
कुछ देर छुटकी के मुंह पे अपनी बुर रगड़ के , मिश्राइन भाभी शांत हो के बैठ गयी और छुटकी से बोलीं
" सन मैं ननदो को बस पांच मिनट का टाइम देती हूँ पानी निकालने के लिए , तू नयी है चल छह मिनट ले ले। लेकिन एक मिनट भी ज्यादा लगा न , तो कुहनी तक हाथ गांड में पेल दूंगी , चाहे फटे चाहे जो हो। और अब मैं कुछ नहीं करुँगी , तू चाट चूस , चाहे जो कर।
थोड़ी ही देर में छुटकी , लप लप भाभी की बुर चाट रही थी , जीभ पूरी ऊपर से नीचे तक सपड़ सपड़, और दोनों होंठो को बुर में लगा के पूरी ताकत से चूसने लगी।
मैं तारीफ से उसे देख रही थी , और छः नहीं बल्कि पांच मिनट में ही मिश्राइन भाभी को झाड़ दिया।
लेकिन उससे भी उसे छुट्टी नहीं मिली।
अब मिश्राइन भाभी उचक के थोड़ी और सरक गयी थीं और उससे अपनी गांड चटवा रही थीं।
मेरी हालत भी ख़राब थी , मेरी छिनार भौजाइयां , मुझे झाड़ने के कगार पे ले जा के छोड़ दे रही थीं , रीतू भाभी तो क्या कोई मर्द गांड मारेगा , जिस तरहसे उनकी उंगलिया अंदर बाहर हो रही थीं।
मिश्राइन भाभी ने छुटकी को गांड चटाते , वहीँ से आवाज लगायी ,
" अरे रीतू , ननद को मन्जन कराया की नहीं "
बस इशारा बहुत था , रीतू भाभी की उंगलिया अब मेरी गांड में , करोचते हुए चम्मच की तरह ,
गांड की सारी भीतरी दिवालो पे और जब उन्होंने ऊँगली निकाली , बाकी दोनों भाभियों ने जोर से मेरे गाल दबाये और मेरा मुंह खुल गया।
रीतू भाभी की उंगली सीधे मुंह के अंदर , दांतो पे, ऊपर नीचे।
और चार पांच मिनट 'मन्जन ' कराने के बाद जो बचा खुचा था , सीधे मेरे गालों पे और बोलीं
" रूप निखार आया है मेरी ननद का , हल्दी और चन्दन से "
तीन चार भाभियाँ मेरे साथ थी , तीन छुटकी के साथ ,
और बाकी की मम्मी के पास ,… आखिर सास बहु की होली भी तो ,… (और मैं अपने ससुराल में देख ही चुकी थी , मेरी मम्मी कौन सी कम थी। )
देर तक ये होली चलती रही , बस मुझे ये लगा रहा था की इन का ध्यान मेरी और छुटकी के चक्कर में ,
अभी ' इनकी ' ओर नहीं गया।
लेकिन रानू को याद आ गया और वो बोल पड़ी ,
" हे नंदोई को कही अपने बुर में छिपा रखा है क्या "
तो दूसरी जो छुटकी के पास थी बोली ,
"अरे पहले उनकी साली कि बुर चेक करो ,"
लेकिन तब तक वो सीढ़ियों से आ गए और , मुझे और छुटकी को छोड़ सारी भाभियाँ बस उनके पीछे ,... और उनकी जम के रगड़ाई शुरू हो गयी।