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Thriller कामुक अर्धांगनी
मधु के होठो का रस पीते खुद के होंठो का रस पिलाते विरजु मधु के चुत को हौले हौले चोद रहा था और मधु विरजु को खींच खुद पर दबाती जा रही थी और मधु की गदराई बड़ी बड़ी चुचिया विरजु के तगड़े छाती से दब चुकी थी और इधर कालू मेरे गालो को चूमने लगा था और मेरी गाँड मारते जा रहा था , मेरी लुल्ली कालू के दबाब से दबती मचल रही थी और कालू अपने अंदर जोश भरता बोला मेरी गांडू बीवी तेरी गाँड को अपने रस से सरोबार कर दूँगा और वो मेरे होंठो को ज़ोर से दाँतो तले ताबते खिंच उठ मेरी झाघो को सहलाते मेरी टाँगों को पूरा खोल तगड़े झटके मारने लगा और मैं चीख़ने लगी और कालू के बेपनाह प्यार से सराबोर हो गई थी ।



इधर मेरी चीख सुन विरजु भी मधु की टाँगों को खोल झटके मारने लगा और मधु भी मादकता भरी सिशकिया लेने लगी और दोनों मर्दो ने दोनों रंडियो को बेदर्द मोहबत से लबरेज करते पसिने से भीग चुका था ।



कालू और विरजु दोनों मिल हम दो लड़ की प्यासी कुतियों को चोद चोद ऐसा बना चुके थे कि हम दोनों आँखे बूंदे बस लड़ के झटकों पर आहे भरने लगी थी और बदन हवस की गर्मी से पूरी तरह तरबतर हो चुका था और फिर दोनों मर्दो ने एक साथ हम दोनों के प्यासे छेदों मे लावे का रस भर दिया और हमारे जिस्मों पर गिर पड़े ।



कालू ने तेज़ सासों से मेरे चेहरे को मंदमुक़द कर दिया और लड़ के हल्के हल्के झोंके से मेरी गाँड उसके वीर्य से डूब गई और विरजु मधु के चुचियों पर सर रखे हाँफते मधु के प्यार से केसों को सहलाते निढ़ाल पड़ा हुआ था ।



बड़ी लंबी चुदाई की आंधी शान्त हो कमरे मे अजीब खामोसी समा चुकी थी और बस चार प्यासे तृप्त इंसानों की सासों की बेताबी कानों पर रस के समान गूँज उठी थी ।




मधु की टाँगे वापस विरजु के कमर को जकड़ चुकी थी और मैं कालू के बालों को सहलाती उसके चेहरे पर उँगलियी फेरती उसके थके भाव को निहारे जा रही थी ।


एक औरत की तरह अपने मर्द को स्पर्श दुलार देती मैं एक नई ऊर्जा महसूस कर रही थी और आहिस्ता से कालू के लिंग को ढीला पड़ते महसूस करती जा रही थी जो धीमे धीमे मेरी गाँड से फिसल बाहर आ रहा था ।



विरजु और कालू दोनों हम दोनों औरतों के जिस्म से अलग बिस्तर पर लेट गए और मेरी मधु उठ मेरे बदन पर लेटी और मेरे हाथों मैं अपनी उँगलियों को फ़साती मुझे चूमने लगी और मधु के चुत से विरजु का वीर्य मेरे लुल्ली पर टपकने लगा और वो संतुष्ट आँखों से मुझे घूरते बोली मेरी जान कैसी लगी तुम्हें दो मर्दो की बीवी बन के और मैं मधु के होंठो ओर हल्के चुम्बन करती बोली दीदी अब बिना लड़ लिए कैसे रहूँगी ये मेरी जवानी तोह अब आपकी तरह मर्दो की प्यासी हो चुकी और मधु हँसती बोली जान ये दोनों है अब हम दोनों की आग बुझाएंगे वो भी रोज बाकी सुनीता भाभी तोह है ही ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 21-09-2020, 10:15 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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