10-03-2019, 07:12 PM
साली सलहज संग , होली के रंग
और दरवाजा खुलते ही भाभियों का हुजूम अंदर ,
कम से कम दर्जन भर , और सबसे आगे रीतू भाभी , उम्र में सबसे कम लेकिन बदमाशी में अव्वल।
मुझसे सिर्फ दो साल बड़ी , अभी २१ वां लगा है।
( गद्दर जोबन रीतू भाभी के )
रीतू भाभी , पे गजब का का जोबन था।
गोरी चिट्टी , भरे भरे देह की , लम्बी तडंगी , छरहरी लेकिन 'उन ' जगहों पे कुछ ज्यादा ही कटाव , भराव था और ऊपर से जोबन उनका चोली से छलकता ही रहता था , 36 डी डी साइज , और उनकी २८ की पतली कमर पे जोबन और गद्दर लगता था।
चोली भी हमेशा लो कट , खूब टाइट और आलमोस्ट बैकलेस लेकिन उससे भी खतरनाक थे उनके हिप्स ,
कसर मसर कसर मसर करते , और बाजार में चलती तो और चूतड़ मटकाती , लौंडो का दिल लूटती।
साइज भी 38 से ऊपर ही रही होगी। और साडी भी इतनी कस के, नाभी से कम से कम एक बालिश्त नीचे बाँध के पहनती की हिप्स का कटाव तो दिखता ही , पिछवाड़े की दरार भी दिख जाती।
पर रीतू भाभी का जो अंदाज था , असली चीज वो थी।
मेरी भाभी होने के साथ ही मेरी पक्की सहेली भी थी। जब मेरी शादी तय हुयी तो मम्मी ने उनके हवाले कर दिया ,
" तेरी छोटी ननद है , तू जरा उसको सब बात खोल के सिखा दे वरना कही शादी के बाद ,… "
और रीतू भाभी ने क्या क्या नहीं सिखाया , सिर्फ बता के या किताब में दिखा के नहीं ,
बल्कि कई बार तो प्रैक्टिस भी करा के ( वो कन्या प्रेमी भी गजब की थी ).
इसलिए शादी के बाद इतनी जबरदस्त ससुराल होने पे भी मुझे कोई 'परेशानी ' नहीं हुयी।
ऐन शादी वाले दिन 'सब कुछ ' खोल के उन्होंने ने सिर्फ चेक किया ,
बल्कि अपने हाथ से 'वहाँ के ' सब बाल साफ किये और ये भी बोला कि
सुहाग रात के पहले मैं खुद थोड़ी सी वैसलीन अपने अंदर लगा लूँ , की कई बार मर्द इतने जल्दी में होते हैं ,…
और सिर्फ मुझसे ही नहीं , वो छुटकी और मझली से भी उतनी ही खुली हुयी थीं।
लेकिन भाभियों की इस मंडली की कप्तान थीं , मिश्राइन भौजी।
करीब ३३-३४ की होंगी , मम्मी से एक ही दो साल छोटी। उनकी लड़की भी छुटकी के साथ पढ़ती थी।
लेकिन ननद भाभी के रिश्ते में , वो रीतू भाभी से एक कदम पीछे नहीं थी और चाहे कुँवारी हो या शादी शुदा सब उन से पनाह मांगती थी।
और मुझे सबसे पहले पकड़ा रीतू भाभी ने।
जोर से अंकवार में भरा, आँचल मेरा हटाया और हाथ सीधे ब्लाउज पे ,
" देखूं इतने दिन में ससुराल में ननदोई से दबवा दबवा के चूंचिया कितनी और बड़ी हो गयी है "
भाभियो का हमला कभी अकेले नहीं होता। रानू भाभी ( जो मेर्रे घर के सामने रहती थीं ) ने पीछे से पकड़ा और बोलीं ,
" अरे ननद के जोबन की नाप जोख क्या सिर्फ ब्लाउज के उपर से करोगी "
और पल में सारे बटन खुल गए।
और एक जोबन रीतू भाभी के और दूसरा रानू भाभी के कब्जे में , फिर वो रगड़ाई मसलाई हुयी की,…
और साथ में रंग पेंट भी ,
लेकिन मैं क्यों पीछे रहती , आखिर रीतू भाभी की ही सिखायी पढ़ाई ननद थी।
मैंने भी रीतू भाभी के ब्लाउज पे झपट्टा मारा और उनके बड़े बड़े गदराये उभार मेरे हाथ में ,
और थोड़ी देर में हाथ अलग हो गए. सीधे चूंचियों से चूंचियां होली खेल रही , रंग लगा रही थीं।
मैं अपने जोबन में लगा रंग , रीतू भाभी के जोबन पे जोर जोर से रगड़ रही थी और वो भी जैसे कोई मर्द अपने चौड़े चकले सीने से नयी बहुरिया के उभार कुचले मसले , बस उसी तरह।
एक दो और भाभियाँ मेरे पीछे पड़ गयीं एक ने साया , उठा के कमर तक कर दिया
और दूसरे ने सीधे चूतड़ो पे रंग लगाने शुरू कर दिए।
मैं क्यों पीछे रहती मैंने रीतू भाभी का साया उठा दिया और अब चूंची के बाद हम दोनों कि बुर ,… चूत पे घिस्सा देना मैंने उन्ही से सिखा था।
जोर जोर से हम दोनों एक दूसरे की चूत पे चूत रगड़ रहे थे।
एकदम फ्री फार आल हो रहा था।
रीतू भाभी साथ में मेरे चूतड़ पे अब रंग लगा रही थी और दोनों तरबूज की फांको को फैला के पूछ रही थीं ,
" क्यों बिन्नो , पिछवाड़े का बाजा बजा "
मैंने बोला " भाभी , आपके नंदोई इत्ते सीधे नहीं है जो छोड़ देंगे "
तो मिश्राइन भाभी ने और आग लगायी ,
"रीतू , कैसी भौजाई हो जो पूछ रही हो।
अरे ननद ससुराल से पहली बार आयी है , भौजाई को सब चीज चेक करके देखना चाहिए।'
बस फिर क्या था , मेरे गांड तो उन्होंने पहले से ही फैला रही थी ,बस गचाक से दो ऊँगली एक साथ घुसेड़ दी और अपना फैसला भी सूना दिया दिया सारी भौजाइयों को ,
" हचक के मारी गयी है गांड , वहाँ ननदोई से बिना नागा मरवाती थी ,
और यहाँ हम भाभियों की ऊँगली पे नखड़ा दिखा रही हो "
रीतू भाभी की दो एक्सपर्ट उंगलिया मेरी गांड में गोल गोल घूम रही थीं और एक दूसरी भाभी ने चूत में सेंध लगा दी।
आगे भी दो ऊँगली घुस गयी और साथ साथ सटासट गांड और बुर दोनों भाभियों की उंगलियो से चुद रही थी।
लेकिन तभी एक गड़बड़ हो गयी। मुझे बचाने मेरी छोटी बहन छुटकी आ गयी और वो पकड़ ली गयी।
और दरवाजा खुलते ही भाभियों का हुजूम अंदर ,
कम से कम दर्जन भर , और सबसे आगे रीतू भाभी , उम्र में सबसे कम लेकिन बदमाशी में अव्वल।
मुझसे सिर्फ दो साल बड़ी , अभी २१ वां लगा है।
( गद्दर जोबन रीतू भाभी के )
रीतू भाभी , पे गजब का का जोबन था।
गोरी चिट्टी , भरे भरे देह की , लम्बी तडंगी , छरहरी लेकिन 'उन ' जगहों पे कुछ ज्यादा ही कटाव , भराव था और ऊपर से जोबन उनका चोली से छलकता ही रहता था , 36 डी डी साइज , और उनकी २८ की पतली कमर पे जोबन और गद्दर लगता था।
चोली भी हमेशा लो कट , खूब टाइट और आलमोस्ट बैकलेस लेकिन उससे भी खतरनाक थे उनके हिप्स ,
कसर मसर कसर मसर करते , और बाजार में चलती तो और चूतड़ मटकाती , लौंडो का दिल लूटती।
साइज भी 38 से ऊपर ही रही होगी। और साडी भी इतनी कस के, नाभी से कम से कम एक बालिश्त नीचे बाँध के पहनती की हिप्स का कटाव तो दिखता ही , पिछवाड़े की दरार भी दिख जाती।
पर रीतू भाभी का जो अंदाज था , असली चीज वो थी।
मेरी भाभी होने के साथ ही मेरी पक्की सहेली भी थी। जब मेरी शादी तय हुयी तो मम्मी ने उनके हवाले कर दिया ,
" तेरी छोटी ननद है , तू जरा उसको सब बात खोल के सिखा दे वरना कही शादी के बाद ,… "
और रीतू भाभी ने क्या क्या नहीं सिखाया , सिर्फ बता के या किताब में दिखा के नहीं ,
बल्कि कई बार तो प्रैक्टिस भी करा के ( वो कन्या प्रेमी भी गजब की थी ).
इसलिए शादी के बाद इतनी जबरदस्त ससुराल होने पे भी मुझे कोई 'परेशानी ' नहीं हुयी।
ऐन शादी वाले दिन 'सब कुछ ' खोल के उन्होंने ने सिर्फ चेक किया ,
बल्कि अपने हाथ से 'वहाँ के ' सब बाल साफ किये और ये भी बोला कि
सुहाग रात के पहले मैं खुद थोड़ी सी वैसलीन अपने अंदर लगा लूँ , की कई बार मर्द इतने जल्दी में होते हैं ,…
और सिर्फ मुझसे ही नहीं , वो छुटकी और मझली से भी उतनी ही खुली हुयी थीं।
लेकिन भाभियों की इस मंडली की कप्तान थीं , मिश्राइन भौजी।
करीब ३३-३४ की होंगी , मम्मी से एक ही दो साल छोटी। उनकी लड़की भी छुटकी के साथ पढ़ती थी।
लेकिन ननद भाभी के रिश्ते में , वो रीतू भाभी से एक कदम पीछे नहीं थी और चाहे कुँवारी हो या शादी शुदा सब उन से पनाह मांगती थी।
और मुझे सबसे पहले पकड़ा रीतू भाभी ने।
जोर से अंकवार में भरा, आँचल मेरा हटाया और हाथ सीधे ब्लाउज पे ,
" देखूं इतने दिन में ससुराल में ननदोई से दबवा दबवा के चूंचिया कितनी और बड़ी हो गयी है "
भाभियो का हमला कभी अकेले नहीं होता। रानू भाभी ( जो मेर्रे घर के सामने रहती थीं ) ने पीछे से पकड़ा और बोलीं ,
" अरे ननद के जोबन की नाप जोख क्या सिर्फ ब्लाउज के उपर से करोगी "
और पल में सारे बटन खुल गए।
और एक जोबन रीतू भाभी के और दूसरा रानू भाभी के कब्जे में , फिर वो रगड़ाई मसलाई हुयी की,…
और साथ में रंग पेंट भी ,
लेकिन मैं क्यों पीछे रहती , आखिर रीतू भाभी की ही सिखायी पढ़ाई ननद थी।
मैंने भी रीतू भाभी के ब्लाउज पे झपट्टा मारा और उनके बड़े बड़े गदराये उभार मेरे हाथ में ,
और थोड़ी देर में हाथ अलग हो गए. सीधे चूंचियों से चूंचियां होली खेल रही , रंग लगा रही थीं।
मैं अपने जोबन में लगा रंग , रीतू भाभी के जोबन पे जोर जोर से रगड़ रही थी और वो भी जैसे कोई मर्द अपने चौड़े चकले सीने से नयी बहुरिया के उभार कुचले मसले , बस उसी तरह।
एक दो और भाभियाँ मेरे पीछे पड़ गयीं एक ने साया , उठा के कमर तक कर दिया
और दूसरे ने सीधे चूतड़ो पे रंग लगाने शुरू कर दिए।
मैं क्यों पीछे रहती मैंने रीतू भाभी का साया उठा दिया और अब चूंची के बाद हम दोनों कि बुर ,… चूत पे घिस्सा देना मैंने उन्ही से सिखा था।
जोर जोर से हम दोनों एक दूसरे की चूत पे चूत रगड़ रहे थे।
एकदम फ्री फार आल हो रहा था।
रीतू भाभी साथ में मेरे चूतड़ पे अब रंग लगा रही थी और दोनों तरबूज की फांको को फैला के पूछ रही थीं ,
" क्यों बिन्नो , पिछवाड़े का बाजा बजा "
मैंने बोला " भाभी , आपके नंदोई इत्ते सीधे नहीं है जो छोड़ देंगे "
तो मिश्राइन भाभी ने और आग लगायी ,
"रीतू , कैसी भौजाई हो जो पूछ रही हो।
अरे ननद ससुराल से पहली बार आयी है , भौजाई को सब चीज चेक करके देखना चाहिए।'
बस फिर क्या था , मेरे गांड तो उन्होंने पहले से ही फैला रही थी ,बस गचाक से दो ऊँगली एक साथ घुसेड़ दी और अपना फैसला भी सूना दिया दिया सारी भौजाइयों को ,
" हचक के मारी गयी है गांड , वहाँ ननदोई से बिना नागा मरवाती थी ,
और यहाँ हम भाभियों की ऊँगली पे नखड़ा दिखा रही हो "
रीतू भाभी की दो एक्सपर्ट उंगलिया मेरी गांड में गोल गोल घूम रही थीं और एक दूसरी भाभी ने चूत में सेंध लगा दी।
आगे भी दो ऊँगली घुस गयी और साथ साथ सटासट गांड और बुर दोनों भाभियों की उंगलियो से चुद रही थी।
लेकिन तभी एक गड़बड़ हो गयी। मुझे बचाने मेरी छोटी बहन छुटकी आ गयी और वो पकड़ ली गयी।