15-09-2020, 11:06 PM
मेरी गाँड के चारों तरफ़ एक अजीब जलन और दर्द सुगबुगति रही और विरजु मेरे होंठो को चुसता रहा और ऐसे मैं भी मैं अपनी टाँगे खोली रही और विरजु कमर उठा मेरी गाँड मारने लगा और हौले हौले मेरी अकड़ कामुक्ता मे बदलने लगी और मे सिशकिया भरने लगी थी । विरजु मेरे होंठो को दाँतो से खींच संपूर्ण औरत का सुख देता रहा ।
मधु ठीक मेरे बगल मैं घोड़ी बन कालू से चुदने लगी , कालू ने मधु के चुतरो को तेज चाटो से गरम किया और मधु मदमस्त होती बोली विरजु तू उठ जा मुझे चुसने दे अनु के लबो को तू झटके मार के मेरी बहन के गाँड के मज़ा ले ।
विरजु मुझे कस के चुम मेरी टैंगो को उठा कर रुक गया और मधु मेरे होंठो से होठों को मिला कर चुसने लगी और मैं चाह के भी आहे न भर पा रही थी और विरजु मेरी झाघो पर चाटे मरता मेरी गाँड फाड़ने लगा और मैं मधु के बालों को खीच अपनी बेदना दरसाने लगी पर मधु खुद कालू के मदमस्त लड़ से उतेजित उसके चाटो से भावविभोर होती मेरी बेदना को अनदेखी करती बस मुझे चूमते रही ।
विरजु ने लड़ खीच के निकाला और मेरी गाँड दर्द से करहाने लगी कि झटके से विरजु ने पूरा लड़ एक वार मे मेरी गाँड के गहराईयों मे पेल दिया और मैं मधु के जीभ को खींच रोती रही ।
हाये क्या अजीब सुख है मर्द के लड़ का मेरी जवानी लड़ से तड़प रही थी पर मेरा मन झटकों से मचल रहा था ।
मैं खुद मे इठलाती कमर उठाने लगी और विरजु मेरी गाँड को सहलाते बोला वाह कुतिया तू तोह मालकिन की तरह मज़ा ले रहीं लगता हैं विरजु के लौड़े की दीवानी बन गई तू मेरी एक रात की बीवी और मैं हाँफते आहे भरते बोली विरजु एक क्या तू हर रात मेरी गाँड ऐसे रौंद दे क्या सुख है लौड़े का उफ्फ्फ दर्द से आँखे भारी है पर गाँड झटके मांग रहा इतना सुनते विरजु ने अपनी गति बढ़ा दी और मधु को खींच मेरे ऊपर से हटा कर मेरी चुचियों को रगड़ने लगा और बेताहाशा मेरी गाँड मारने लगा उफ्फफग विरजु मेरे राजा कहती मे मरवाती रही ।
विरजु ने मुझे एक थपड़ मारा और मेरी गालो को दबाते बोला साली क्या मस्त गाँड है तेरी और फिर थपड़ मार झटके देता मुझे बेदर्दी से चोदते बोला साली तू मेरी रखेल बनेगी और तुझे बीच बाजार लौंडिया बना घूमूंगा और जहाँ मन करे चोदुगा साली ।
ओह विरजु और तेज़ उफ्फफगफ साली रंडी कहते विरजु ने लड़ निकाल के मुझे कुतिया बना दिया और मेरी गाँड पर थपड़ मारते अपना लड़ झटके से पेल गाँड मारने लगा और मेरी लुल्ली अब सन्सानने लगी जैसे एक औरत मर्द के चुदाई से गर्म होती वैसे मैं भी अब गर्म हो गयी थी कि तभी विरजु मेरी लुल्ली खिंचते बोला कुतिया तेरी लुल्ली गरमा रही हैं झाड़ेगी क्या तू ।
झाड़वा दे विरजु और चोद न कहती मे चीख़ने लगी और विरजु अण्डों समेत मेरी लुल्ली मुठी मे भर दबाते झटके पेलता रहा और उधर मधु कालू के ताबड़तोड़ चुदाई से पस्त होती बोली कालू ज़रा अनु के मुँह मे लड़ डाल इसको मेरी चुत के पानी का मज़ा दो न कालू हँसते बोला मालकिन जैसा आप कहो और वो मेरे बालो को पकड़ अपना लड़ मेरी हलक मे डालता बोला भाई विरजु और झटके दे । सोच रहा अनु की गले मे मुठ निकाल दु साली बड़ी मस्त माल निकली कहते कालू ने मुझे स्वस्रहित कर दिया और मैं छटपटाने लगी और विरजु बोला देख कालू शाली कैसे लहरा रही है और कालू ने लड़ खिंच बोला अनु आदत बना ले वैसे भी गांडू से मर्द ज़्यादा चुसवाते है क्योंकि उन सब की बीवियां चुस्ती नहीं और तू तोह पक्की छमिया बन गई तुझे तोह बूढ़े और जवान सब चोदेगे वो भी पटक के क्योंकि गांडू मतलब पूरी आज़ादी चाहे जैसे मज़े लो क्योंकि औरतें नख़रे करती पर गांडू बस मज़ा देते है । इतना कहते ही कालू ने मेरे हलक मे लड़ डाल दिया और मैं सोचने लगी हाये कितने लड़ लुंगी मे अब मज़े से बस ये कालू बता तो देता कहाँ मिलेंगे लौड़े जो मेहनत न करनी पड़े ये सोचते मैं विरजु के दबाये अपनी लुल्ली से पानी छोड़ती काँपने लगी और विरजु हँसते बोला झड़ गई कुतिया और अपने हाथों पर लगा वीर्य मेरे आँखों पर रगड़ बोला कालू देख अनु पहली बार झड़ी लग रहा अब ये बिना लौड़े जी नहीं पाएगी ।
कालू मेरी मुँह चोदने लगा और विरजु गाँड अब मैं संपूर्ण सुख लेने लगी और वीर्य त्याग के बाद पसिने से तरबतर दोनों मर्दों को मज़ा देने लगी और मधु बोली वाह रे अनु पहली ही रात मेरे दोनों मर्दो को फास ली तू साली बड़ी कुत्ती बहन निकली ।
मधु ठीक मेरे बगल मैं घोड़ी बन कालू से चुदने लगी , कालू ने मधु के चुतरो को तेज चाटो से गरम किया और मधु मदमस्त होती बोली विरजु तू उठ जा मुझे चुसने दे अनु के लबो को तू झटके मार के मेरी बहन के गाँड के मज़ा ले ।
विरजु मुझे कस के चुम मेरी टैंगो को उठा कर रुक गया और मधु मेरे होंठो से होठों को मिला कर चुसने लगी और मैं चाह के भी आहे न भर पा रही थी और विरजु मेरी झाघो पर चाटे मरता मेरी गाँड फाड़ने लगा और मैं मधु के बालों को खीच अपनी बेदना दरसाने लगी पर मधु खुद कालू के मदमस्त लड़ से उतेजित उसके चाटो से भावविभोर होती मेरी बेदना को अनदेखी करती बस मुझे चूमते रही ।
विरजु ने लड़ खीच के निकाला और मेरी गाँड दर्द से करहाने लगी कि झटके से विरजु ने पूरा लड़ एक वार मे मेरी गाँड के गहराईयों मे पेल दिया और मैं मधु के जीभ को खींच रोती रही ।
हाये क्या अजीब सुख है मर्द के लड़ का मेरी जवानी लड़ से तड़प रही थी पर मेरा मन झटकों से मचल रहा था ।
मैं खुद मे इठलाती कमर उठाने लगी और विरजु मेरी गाँड को सहलाते बोला वाह कुतिया तू तोह मालकिन की तरह मज़ा ले रहीं लगता हैं विरजु के लौड़े की दीवानी बन गई तू मेरी एक रात की बीवी और मैं हाँफते आहे भरते बोली विरजु एक क्या तू हर रात मेरी गाँड ऐसे रौंद दे क्या सुख है लौड़े का उफ्फ्फ दर्द से आँखे भारी है पर गाँड झटके मांग रहा इतना सुनते विरजु ने अपनी गति बढ़ा दी और मधु को खींच मेरे ऊपर से हटा कर मेरी चुचियों को रगड़ने लगा और बेताहाशा मेरी गाँड मारने लगा उफ्फफग विरजु मेरे राजा कहती मे मरवाती रही ।
विरजु ने मुझे एक थपड़ मारा और मेरी गालो को दबाते बोला साली क्या मस्त गाँड है तेरी और फिर थपड़ मार झटके देता मुझे बेदर्दी से चोदते बोला साली तू मेरी रखेल बनेगी और तुझे बीच बाजार लौंडिया बना घूमूंगा और जहाँ मन करे चोदुगा साली ।
ओह विरजु और तेज़ उफ्फफगफ साली रंडी कहते विरजु ने लड़ निकाल के मुझे कुतिया बना दिया और मेरी गाँड पर थपड़ मारते अपना लड़ झटके से पेल गाँड मारने लगा और मेरी लुल्ली अब सन्सानने लगी जैसे एक औरत मर्द के चुदाई से गर्म होती वैसे मैं भी अब गर्म हो गयी थी कि तभी विरजु मेरी लुल्ली खिंचते बोला कुतिया तेरी लुल्ली गरमा रही हैं झाड़ेगी क्या तू ।
झाड़वा दे विरजु और चोद न कहती मे चीख़ने लगी और विरजु अण्डों समेत मेरी लुल्ली मुठी मे भर दबाते झटके पेलता रहा और उधर मधु कालू के ताबड़तोड़ चुदाई से पस्त होती बोली कालू ज़रा अनु के मुँह मे लड़ डाल इसको मेरी चुत के पानी का मज़ा दो न कालू हँसते बोला मालकिन जैसा आप कहो और वो मेरे बालो को पकड़ अपना लड़ मेरी हलक मे डालता बोला भाई विरजु और झटके दे । सोच रहा अनु की गले मे मुठ निकाल दु साली बड़ी मस्त माल निकली कहते कालू ने मुझे स्वस्रहित कर दिया और मैं छटपटाने लगी और विरजु बोला देख कालू शाली कैसे लहरा रही है और कालू ने लड़ खिंच बोला अनु आदत बना ले वैसे भी गांडू से मर्द ज़्यादा चुसवाते है क्योंकि उन सब की बीवियां चुस्ती नहीं और तू तोह पक्की छमिया बन गई तुझे तोह बूढ़े और जवान सब चोदेगे वो भी पटक के क्योंकि गांडू मतलब पूरी आज़ादी चाहे जैसे मज़े लो क्योंकि औरतें नख़रे करती पर गांडू बस मज़ा देते है । इतना कहते ही कालू ने मेरे हलक मे लड़ डाल दिया और मैं सोचने लगी हाये कितने लड़ लुंगी मे अब मज़े से बस ये कालू बता तो देता कहाँ मिलेंगे लौड़े जो मेहनत न करनी पड़े ये सोचते मैं विरजु के दबाये अपनी लुल्ली से पानी छोड़ती काँपने लगी और विरजु हँसते बोला झड़ गई कुतिया और अपने हाथों पर लगा वीर्य मेरे आँखों पर रगड़ बोला कालू देख अनु पहली बार झड़ी लग रहा अब ये बिना लौड़े जी नहीं पाएगी ।
कालू मेरी मुँह चोदने लगा और विरजु गाँड अब मैं संपूर्ण सुख लेने लगी और वीर्य त्याग के बाद पसिने से तरबतर दोनों मर्दों को मज़ा देने लगी और मधु बोली वाह रे अनु पहली ही रात मेरे दोनों मर्दो को फास ली तू साली बड़ी कुत्ती बहन निकली ।