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Thriller कामुक अर्धांगनी
विरजु का लड़ का स्वाद मेरे मुँह मैं घुलने लगा और मैं रोमांचित होती मधु से जलती सोची उफ्फ्फ ये कितना मज़ा लेती है और मैं ना जाने क्यों बरसों से तड़पती रही पहले अगर किसी का लड़ चूस ली होती तोह न जाने कब की जान जाती ये लड़ कितना स्वादिस्ट होता है और चूस के कितनी बिजली कौंधती है जिस्म पर ।


मैं बडे चाव से विरजु का लड़ चुस्ती मुँह से निकाल कर खुद के चेहरे पर रगड़ती और जीभ से चाट फिर चुसने लगती और विरजु मेरी झाघो को सहलाता गुदगुदी देता और मैं भावविभोर हो और ज़्यादा लड़ मुँह मे डालती ।


मुझे यू आँखे मुंद लड़ चुसते देख मधु बोली हाये री अनु तू तोह बड़ी चुदासी निकली उफ्फ्फ कितने मज़े से चूस रही जैसे तेरी मनपसंद मिठाई हो और वो मेरे गालो को सहलाते कालू से बोलती देख कालू हुँ न मैं भाग्यशाली जो मुझे ऐसी बहन मिली और कालू हँसते बोलता जी मालकिन तू तोह बड़ी सौभाग्यशाली है पति मिला तोह खुले मन का बहन मिली तो खुले योवन की ।



मैं तत्परता से बस लिंग पान करती रही और विरजु मेरी झाघो को सहलाता मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी गाँड सहलाते बोलता चूस मेरी जान आज विरजु तेरी गाँड फाड़ तुझे अपनी कुतिया बना लेगा और तू विरजु के लिए दरवाज़े पर बैठ गाँड सहलायेगी,  मैं विरजु की बातों से उतेजित होती उसके लड़ को और प्यार से चुस्ती चाटती और चेहरे पर रगड़ती ।



मधु मुझे देख बोली कालू तू भी लेट जा मैं भी अपनी अनु के साथ तेरा लड़ चुसुंगी और हम दोनों साथ साथ तुम दोनों की कुतिया बन जाएंगे और कालू बोला मालकिन चूस लो आप बाकी कुतिया तोह आप दोनों पहले से बन चुके हो और अब हम दोनों मिल के आप दोनों को ऐसे रगड़ देंगे कि दरवाज़े तक चलने लायक न रहोगी,  आप दोनों बस दिन वो रात हम दोनों के लिए तड़पी रहेंगी ।



मैं विरजु के लड़ के ऊपर दाँत रगड़ती उसके लड़ को ब्रश की तरह आपने मुँह मैं चलाने लगी और विरजु मेरी साड़ी खिंचते बोला उफ्फ्फ कुतिया तू तोह ऐसे चूस रही जैसे न जाने कितने लौड़े चूसी हो अठहठहठहठहठहठह करता मेरी साड़ी पेटीकोट के डोरी से अलग कर बोला हाये मेरी खिंचा जवानी तेरी ये छोटी गाँड कमाल की है उफ्फ्फ ।



विरजु ने हाथों को गाँड पर फेरता पैंटी के किनारों को खिंचता मेरे अण्डों को दबाते बोला कुतिया ये आंड न होती तोह तू मधु मालकिन की तरह न जाने कितनों की रांड होती और वो मेरे अण्डों को खींच हाथों मे दबाते मुझे चीख़ने पर मजबूर कर दिया और मैं लड़ पकड़ चीख़ने लगी और वो बेरहम की तरह मेरी गोटियों को आपस मे मिला ऐसे दबाने लगा कि मैं छटपटाने लगी और उसने अपने टाँगों को मेरे ऊपर रख मेरे सर को दबाते बोला चूस मेरी जान और मैं लड़ गले तक लेती रोती सिहर गई और वो मेरी अण्डों को खिलौना समझ खेलता दर्द देता रहा और बोला कल से इसे बांध कर रख वैसे भी बेकार का लटकता रहता है ना इसमें मलाई हैं ना ही कुछ कहते विरजु ने मेरी लुल्ली को खिंचा और सर पर पाव दबाते अपना लड़ गले मे फसाये बोला ये चमड़ा है बस की तू मुतें और कोई काम का नहीं और उँगली से पीछे दबाते उसने मेरी लुल्ली को लुल्ली के अंदर गायब कर बोला देखो मालकिन कैसे अनु की लुल्ली गायब हो गई और मधु हँसते बोली कल से ही बांध के रखूंगी अनु की लुल्ली और अण्डों को की मेरी बहन भूल जाये कि वो कभी मर्द समझ मुझे विहा लाई थी ।



कालू ने मधु के मुँह मे लड़ डाल गले मे उतार दिया और मेरे सर को दबाते बोला देखु कौन सी कुतिया पहले छटपटाती है ।


करिब पाँच मिनट बाद कालू खुद हम बहनों को छोड़ते बोला साली दोनों एक से बढ़ एक कुतिया है फिर मधु के ऊपर सवार हो होंठो को चुसने लगा और विरजु पलट मेरे ऊपर चढ़ बोला जान अब तेरी गाँड को प्यार करूँगा ।


विरजु मेरे होंठो को चुसते मेरी पेटीकोट उठा कर पैंटी अपने पाव से नीचे करते मेरी लुल्ली रगड़ता बोला चुत लगवा ले जान तुझे ओर मज़ा दूँगा और मैं विरजु को बाहों मैं दबोच गाँड उठा पैंटी नीचे करवाती सोचने लगी उफ्फ्फ न जाने कैसे झेल पाऊँगी ऐसे मर्द को जो इतना बेरहम है और मेरी पैंटी मेरे टाँगों से दूर हो गई और मेरी टाँगे खुद चुदासी रंडी की तरह खुल गई और विरजु का लड़ मेरे अण्डों पर दबने लगा ।



विरजु उठकर मेरी टाँगों को ऊपर करते बोला अनु पकड़ अपनी टाँगे और मैं टाँगों को पकड़ी गाँड के छेद पर विरजु के उँगलियों को महसूस करती सिशकिया लेने लगी और बिरजू मेरी गाँड के ऊपर थूक कर लड़ घिसते बोला देख जान दर्द तोह होगा बस तू नख़रे मत करना तेरा दूल्हा हुँ दर्द सह कर मज़ा दे देना अपने पति को और विरजु ने लड़ का सूपाड़ा मेरी खुजाती मचलती गाँड पर रख मेरे झाघो को दबोच एक झटका मारा और मैं टांग छोड़ती चिलाने लगी और रोती विरजु को धकलने लगी कि मधु मेरे हाथों को विरजु के जिस्म से हटा पकड़ती बोली बस अनु दो और झटके फिर तू औरत बन जाएगी और मैं बिस्तर पर बिलखती चीखते रही और विरजु ने लड़ खिंच झटका मारा और मेरी जान अटक गई और लगा मेरी गाँड किसी ने काट दी हो धारदार हथियार से ।



विरजु रुक मुझे देखते बोला उफ्फ्फ अनु मेरा लोडा छील गया क्या जवानी है तेरी तू तोह पक्की खिंचा माल निकली कैसे दिखाऊ तुझे की तेरी झिल्ली टूट गई और तेरी गाँड ने खून फेकना शूरू कर दिया ।



मैं बस चीख़ती रोती रही , दर्द से मरी जा रही थी और विरजु ने एक झटका मार पूरा लड़ मेरी गाँड की गहराईयों मे उतार मेरे ऊपर सवार हो गया और मेरी हाथों को सर के ऊपर दबा मेरे होंठो को चुसने लगा और बोला बस जान हो गया अब तू विरजु की कुतिया बन गई फाड़ दी मैंने तेरी गाँड खोल दिया अब तुझे चुत नही बस लड़ खोजेगी मधु की तरह हर पल ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 14-09-2020, 11:08 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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