11-09-2020, 10:37 PM
(This post was last modified: 11-09-2020, 11:04 PM by sanskari_shikha. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
अन्दर जाकर मैंने और अंशिका ने किटी मेम को विश किया, उन्होंने गोल्डन कलर की साडी पहनी हुई थी, जो नेट वाली थी, जिसके अन्दर से उनका सिल्वर कलर का लो कट ब्लाउस साफ़ दिखाई दे रहा था और उसमे कैद मोटे-मोटे मुम्मे और जैसा अंशिका ने कहा था, उनके ऊपर चमकता हुआ लाल निशान भी साफ़ दिखाई दे रहा था, वैसे वो बताती ना तो मैं ज्यादा ध्यान नहीं देता, पर उसके बताने के बाद उसे देखने में बड़ी उत्तेजना फील हो रही थी, खेर उन्होंने अपने पति से मिलवाया, जो किसी सरकारी ऑफिस में काम करते थे, वो बिलकुल बुड्ढे थे, मुझे लगा की शायद वो किटी मेम के ससुर हैं, क्योंकि उनके बाल बिलकुल सफ़ेद थे. घर पर सभी लोग एक दुसरे से बाते करने में लगे थे. उनके कई करीबी रिश्तेदार और उनके बच्चे ही थे पार्टी में, किटी मेम ने अंशिका के कपड़ो की तारीफ की और फिर वो उसे लेकर किचन में चली गयी.
मैंने किटी मेम से स्नेहा, जिसका बर्थडे था, के बारे में पूछा, उन्होंने कहा की शायद ऊपर टेरिस पर गयी है, अपने दोस्तों के साथ, मैं भी ऊपर चल दिया, इतनी दोस्ती तो हो ही चुकी थी उसके साथ, कॉलेज फेस्ट के दोरान, इसलिए मैं भी उसके लिए अपनी पॉकेट में एक छोटा सा गिफ्ट लाया था, ईअर रिंग, पर ये बात मैंने अंशिका को नहीं बताई थी, वो मेरे बारे में बड़ी पोसेसिव है, ये मैं जानता था, इसलिए..
मैं सीडियों से ऊपर गया, ऊपर से दो तीन दोस्त नीचे आते दिखाई दिए, पर स्नेहा उनमे नहीं थी, मैं ऊपर गया, पर वहां कोई नहीं था, घुप्प अँधेरा था, पर वहां की ऊँचाई से पूरा शहर साफ़ दिखाई दे रहा था, बड़ा ही सुन्दर दृश्य था, मैंने सोचा चलो एक चक्कर मार लेता हूँ, मैं आगे गया तो मुझे लगा की कोने में कोई खड़ा हुआ है. मैं झट से एक बड़ी सी टंकी के पीछे छुप गया और धीरे-धीरे उस तरफ गया, मेरा अंदाजा सही निकला, वहां स्नेहा खड़ी थी शायद अपने बॉय फ्रेंड के साथ, और वो दोनों किस कर रहे थे
स्नेहा: अह्ह्ह्ह पुच पुच...बस करो अंकित...नीचे सब इन्तजार कर रहे होंगे...चलो न..
अंकित: पुच पुच...बस थोड़ी देर और...आज तुम कितनी सुन्दर लग रही हो...बर्थडे किस तो करने दो, पुच पुच...मेरा तो मन ही नहीं कर रहा तुम्हे छोड़ने का...पुच पुच..
स्नेहा: अह्ह्ह्ह मन तो मेरा भी नहीं कर रहा....पर जाना पड़ेगा न नीचे, मम्मी इन्तजार कर रही होनी, केक भी काटना है...चलो न...
अंकित :अच्छा, एक बार इन्हें बाहर निकालो न, प्लीस...मुझे इनपर भी किस करनी है..
स्नेहा : पागल हो क्या, ये पोसिबल नहीं है.. तुम नीचे चलो न...प्लीस...
अंकित :ओके बाबा...जैसा तुम कहो...
स्नेहा :तुम पहले जाओ, मैं बाद में आती हूँ, कोई हमें एक साथ नीचे जाते ना देख ले..
हे भगवान्, इन कॉलेज जाने वाले बच्चो को भी पर लगे है, किस करने में लगे हैं. और फिर अंकित उसे एक बार और जोर से चूम कर नीचे की और चल दिया, स्नेहा ने जल्दी से अपने बाल और कपडे ठीक किये और नीचे जाने लगी, मैंने पीछे से उसे आवाज लगायी
मैं: हे स्नेहा, हैप्पी बर्थडे...
स्नेहा मेरी आवाज सुनकर एकदम से पीछे मुड़ी और मुझे देखकर चोंक गयी,
स्नेहा: तुम्म....विशाल, तुम कब ऊपर आये....
मैं: जब अंकित तुम्हे बर्थडे विश कर रहा था..
स्नेहा मेरी बात सुनकर डर गयी, और मेरे पास आकर बोली प्लीस विशाल, किसी को कुछ मत बताना, मेरी मम्मी मेरा घर से निकलना बंद करा देगी...प्लीस...
मैं: ओह्ह..चिल्ल यार, परेशान मत हो, ये सब तो होता है, सभी करते हैं, मैंने भी किया है और करता हूँ, टेक ईट इसी ...डोंट वोरी... मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा..वो तो तुम्हारी मम्मी ने कहा की तुम शायद ऊपर हो, इसलिए मैं आया और तुम्हे देखा और मैं तुम्हे ये गिफ्ट भी देना चाहता था, सभी से छुपा कर, इसलिए
और फिर मैंने उसे अपनी जेब से उसका गिफ्ट निकल कर दिया, उसने मुस्कुराते हुए वो लिया और मेरे से हाथ मिला कर थेंक यू कहा. मैंने भी मौके का फायदा उठा कर उसके हाथ को पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया और गले से लगा लिया,...बॉस....क्या नरम शरीर था उसका, और उसके छोटे-छोटे बूब्स जो मेरी छाती से टकराए तो मेरा लंड फिर से अंगडाई लेने लगा, मैंने उसे थोड़ी देर तक गले से लगाये रखा और फिर उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए उसे अलग किया, उसका चेहरा देखने लायक था, उसने शायद सोचा नहीं होगा की मैं उसे गले लगा लूँगा..
मैं: चले नीचे...
स्नेहा: हमम...हाँ...चलो...चलो नीचे चलते हैं, केक भी काटना है.
और वो नीचे की तरफ चल दी.
मैं और स्नेहा जब वापिस अन्दर गए तो उसकी मम्मी केक को फ्रिज में से निकाल कर टेबल पर लगा रही थी, अंशिका ने मुझे स्नेहा के साथ अन्दर आते देखा तो मुझे एक कोने में लेजाकर बोली कहाँ थे तुम, और क्या कर रहे थे स्नेहा के साथ?
मैं: अरे तुम तो ऐसे नाराज हो रही हो, जैसे मैं उसके साथ डेट पर गया था, उसकी मम्मी ने बताया की वो ऊपर है तो मैं उसे बुला लाया और उसे विश भी तो करना था न.
अंशिका (आँखे निकलते हुए): शर्म नहीं आती, उस छोटी सी बच्ची के साथ डेट पर जाने की बात करते हो,
मैं: वो बच्ची अब उतनी छोटी भी नहीं रही..
अंशिका: क्या मतलब..?
मैं: मतलब, आज उसका बर्थडे है न, यानी वो एक साल और बड़ी हो गयी..
अंशिका: हाँ ठीक है, पर तुमसे कई साल छोटी है, उसपर नजरे मत लगाओ..
मैं: वैसे, मैं भी तो तुमसे कई साल छोटा हूँ, फिर तुम क्यों मुझपर नजर रखती हो..
अंशिका: हमारी बात कुछ और है, खेर मैं तुमसे इस बारे में ज्यादा बहस नहीं करना चाहती, चलो वहां केक कट रहा है.
उसके बाद स्नेहा ने केक काटा, अपने मम्मी और पापा को खिलाया, फिर एक दो रिश्तेदारों को भी और फिर अपने बॉय फ्रेंड अंकित को भी, वो दोनों मंद मंद मुस्कुरा रहे थे, और फिर वो मेरे और अंशिका के पास आई और एक ही टुकड़े से दोनों को खिलाया, मुहे खिलते हुए भी वो मंद ही मंद मुस्कुरा रही थी, मैंने गोर से देखा तो पता चला की उसने मेरे दिए हुए इअर रिंग पहने हुए हैं, नीचे आकर उसने ये कब किया, मुझे भी नहीं मालुम, उसके बाद सभी ने उसे गिफ्ट दिए और अंत में उसकी मम्मी ने एक डब्बा, जिसे उसने जल्दी से खोला, उसमे मोबाइल था, वो ख़ुशी से चिल्लाई और किटी मेम के गले लग गयी. बाद में थोडा बहुत डांस हुआ, मैं एक बहुत अच्छा डांसर हूँ, मैंने जब एक गाने पर डांस करना शुरू किया तो सबने ताड़ी मारकर खूब तारीफ की, मैंने नाचते हुए, बर्थडे गर्ल को भी अपने साथ नचाया , वो भी झूम कर नाची मेरे साथ, बाद में सबने खाना खाया और हम वापिस जाने लगे.
किटी मेम: थेंक यू अंशिका एंड विशाल, तुम दोनों आये मुझे बड़ा अच्छा लगा
वो दोनों कुछ बातें करने लगे, मैंने पीछे देखा तो पाया की स्नेहा बार-बार मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रही है, मैं उसके पास गया और उसे बाय बोला, उसने धीरे से कहा प्लीस अपना नंबर दो. मैंने बिना कोई सवाल पूछे उसे अपना नंबर बता दिया, उसने उसे अपने मोबाइल में सेव करा और फिर मैं वापिस नीचे चल दिया. वापसी में काफी ठण्ड हो रही थी, अंशिका मुझसे चिपक कर बैठी थी, उसे जैसे घर पहुँचने की कोई जल्दी नहीं थी आज.
मैं: क्या सोच रही हो..
अंशिका: कुछ नहीं, पता है, किटी मेम तुम्हारे बारे में पूछ रही थी आज, मुझे तो लगा की शायद उन्हें शक हो गया है की तुम मेरे कसन हो या नहीं, पर मैंने बात संभाल ली.
फिर हमने इधर उधर की बाते की और मैंने उसे पूछा जल्दी तो नहीं है ना आज..
अंशिका: क्यों ?
मैं: तुम्हे आइसक्रीम खिलानी है...और मुझे भी कुल्फी खाने का मन है.
अंशिका मेरा इशारा समझ गयी, वो कुछ न बोली... दरअसल आज उसे जल्दी जाने की कोई चिंता नहीं थी, अभी दस बजे थे, और उसकी मम्मी भी जानती थी की मैं उसे वापिस घर छोड़कर जाऊंगा, इसलिए मम्मी के फ़ोन आने का भी सवाल नहीं था, चिंता थी तो सिर्फ, जगह की, मैंने सोचा की उसी जगह पर जाकर दोबारा ट्राई करना चाहिए... मैंने बाईक वहीँ मोड़ दी,
अंशिका: इतनी रात को वहां कोई और ना आ जाए, चोकीदार भी हो सकता है न..
मैं: नहीं होगा..देखते हैं.
मैं बाईक अन्दर ले गया. वहां कोई भी नहीं था, मैंने चैन की सांस ली.
बाईक वहीँ खड़ी की और फिर उसे लेकर उसी कोने में जाकर खड़ा हो गया. मेरा लंड फिर से टाईट हो चूका था, पर मै अब पहले अंशिका को मजे देना चाहता था.मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और उसे गले लगाकर उसे चूमने लगा. मैंने अपने हाथ उसकी फेली हुई गांड पर टिकाये और उन्हें मसलने लगा, जींस में कैद उसके चुतड बड़े गजब के लग रहे थे. मैंने हाथ अन्दर करके अपनी उँगलियाँ उसके नंगे नितम्बो पर टिका दी और उन्हें मसलने लगा. अंशिका मेरे मुंह को किसी भूखी शेरनी की तरह से चूसने में लगी थी, उसे भी मालुम था की ऐसे मौके बार-बार नहीं मिलेंगे.मैंने हाथ नीचे करके उसकी जींस के बटन खोले, और उसे नीचे खिसका दिया, शर्ट के बटन उसने खुद ही खोल दिए, मैंने उसे टेबल पर बिठाया और उसकी जींस उसके घुटनों तक नीचे उतार दी, नीचे उसने ब्लेक कलर की पेंटी पहनी हुई थी, मैंने उसपर हाथ लगाया, वो पूरी गीली थी..
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल.....मैं जल रही हूँ....प्लीस कुछ करो..
मैंने उसकी पेंटी भी उतार दी, और फिर धीमी रौशनी में उसकी चिकनी चूत उजागर हो गयी, उसने कल ही अपने बाल साफ़ किये थे, इसलिए उसकी चूत से निकलते रस की वजह से उसकी चिकनी चूत बड़ी ही कमाल की लग रही थी.मैंने उसकी पेंटी भी घुटनों से नीचे कर दी, पुरे कपडे उतरना वहां मुश्किल था, किसी के आने का भी डर था. उसकी ब्रा से झांकते हुए उसके मुम्मे देखकर तो मैं पागल ही हो गया, मैंने उसकी ब्रा को ऊपर किया और उसके खरबूजे नीचे से निकल कर मेरी आँखों के सामने आ गए, अब मैंने उसे मुम्मो से लेकर चूत तक देखा, मलाई जैसी त्वचा देखकर मैंने अपनी जीभ निकली और उसके मुम्मो से लेकर नीचे तक उसे चाटना शुरू कर दिया. उसके निप्पल, पेट, नाभि और फिर जैसे ही उसकी चूत मेरे मुंह के सामने आई, उसने मेरे सर को पकड़कर अपनी चूत पर दबा सा दिया..
अह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल....चाटो न...प्लीस....सक मी ...सक मी....विशाल...सक्क माय कंट...विशाल....इट्स बर्निंग ...प्लीस....
मैंने उसे तद्पाने के लिए, अपनी जीभ निकली और उसकी चूत के चारों तरफ फेले गीलेपन पर फिराने लगा, उसकी चूत से बड़ी तीखी सी स्मेल आ रही थी, जो मुझे मदहोश सा कर रही थी, ये मेरा पहला अवसर था की मैं किसी की चूत चाट रहा था, पर मुझे बड़ा मजा आ रहा था, मैंने अपनी जीभ निकाली और उसे अंशिका की चूत के बीचो बीच लगा दिया.
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल.....स्स्स्सस्स्स्स....
उसने मेरे सर को अपनी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया, उसे भी काफी मजा आ रहा था, मैंने हाथ उसकी जांघो के नीचे रखे और उसकी चूत को थोडा और ऊपर किया, वो टेडी होकर लेट सी गयी टेबल पर, अब मैंने अपने हाथो से उसकी चूत के फेलाया और उसपर दांतों से, होंठो से और जीभ से हमले करने शुरू कर दिए...वो मेरे हर हमले से सिसकारी मारती और मेरे बालों को पकड़कर उन्हें अपनी चूत पर घिसने लगती. जल्दी ही उसकी चूत के अन्दर से लावा निकलने का टाइम आ गया, वो चिल्लाने लगी..
ओह्ह्ह विशाल...ओम्म्म्म ...ओह्ह्ह मायय,.....गाद...अह्ह्ह्ह आई एम् कमिंग......अह्ह्हह्ह या.....अह्ह्हह्ह्ह्ह और अगले ही पल उसकी चूत में से हलकी सी गर्म पानी की बाड़ आई और मेरे मुंह से आ टकराई , मेरा पूरा मुंह भीग गया, मैंने सपद-२ करके उसका सारा पानी पी डाला. मैं अब जल्दी से उठा और अपनी पेंट से पर्स में से कंडोम निकाला, वो समझ गयी की मैं क्या करने वाला हूँ, उसने मुझे कहा
अंशिका: सुनो, विशाल... प्लीस मेरी बात मानो, मैं भी ये सब करना चाहती हूँ, पर मैं चाहती हूँ की जब पहली बार तुम मुझे प्यार करो तो ऐसी जगह नहीं, प्रोपर बिस्तर पर, आराम से, बिना किसी डर के..
मैंने उसकी बात सुनी, बात तो वो सही कह रही थी, मैं ही था जो अपना उतावलापन दिखाकर उसकी चूत मारने के चक्कर में ये भी नहीं देख पा रहा था की हम एक बिजली घर की पार्किंग में खड़े हैं, और मैं उसे एक टूटे हुए से टेबल पर चोदने की सच रहा हूँ, मैंने उसकी बात मान ली और अपना कंडोम वापिस पर्स में रख लिया..
मैं: पर इसका क्या करूँ...
मैंने लंड की तरफ इशारा किया.
अंशिका: ये तुम मुझपर छोड़ दो...
उसने लेटे हुए ही मेरे लंड को पकड़ा और अपनी तरफ खींच कर अपनी चूत के ऊपर लगाया, उसकी चूत का एहसास मेरे लंड पर होते ही मेरे लंड ने एक दो बार जर्क किया...उसकी चूत से निकलता रस उसने मेरे लंड पर अच्छी तरह से मल दिया,और फिर वो उठी और मुझे टेबल पर बैठने को कहा, और खुद मेरे सामने खड़ी होकर , अपने मुम्मो को मेरे लंड पर रगड़ने लगी, उसका तरीका पड़ा ही कामुक था, उसके निप्पल खड़े होकर मेरे लंड पर तीर की तरह चुभ रहे थे, मैंने उसके चेहरे पर आते बालों को हटाया और उसने मेरी आँखों में देखते हुए नीचे झुककर मेरे लंड को निगल लिया, और जोरों से चूसने लगी..
अह्ह्हह्ह अंशिका.....अह्ह्हह्ह क्या चुस्ती हो यार.....अह्ह्ह्हह्ह हां और जोर से चुसो....म्मम्मम्म मेरी बातें सुनकर उसने मेरे लंड पर चूसने की गति थोड़ी बड़ा दी, और जल्दी ही मेरे लंड से निकलने वाली पिचकारियाँ उसके गले को गीला करने में लग गयी, और हर बार की तरह उसने सारा रस पी लिया. उसके बाद वो ऊपर आई और पिछली बार की तरह ही इस बार भी मेरे मुंह पर अपने होंठ लगा कर मुझे फ्रेंच किस किया और अपने शरीर को मेरे शरीर से रगड़ने लगी. अब रात काफी हो चुकी थी, मैंने घडी देखी तो साड़े दस बज रहे थे, वो भी जल्दी से उठी, कपडे ठीक किये, लिपस्टिक लगायी और फिर हम वापिस चल दिए, मैंने उसके घर पर उसे ड्रॉप किया, उसकी मम्मी ने दरवाजा खोला, मुझे अन्दर आने को कहा, पर मैंने ये कहकर की अभी रात काफी हो चुकी है, फिर कभी आऊंगा और मैं अपने घर वापिस आ गया.
वापिस आकर मैंने अपने मोबाइल पर उसका मेसेज देखा..
गुड नाईट स्वीट हार्ट. थेंक्स फॉर टुडे.
मैंने किटी मेम से स्नेहा, जिसका बर्थडे था, के बारे में पूछा, उन्होंने कहा की शायद ऊपर टेरिस पर गयी है, अपने दोस्तों के साथ, मैं भी ऊपर चल दिया, इतनी दोस्ती तो हो ही चुकी थी उसके साथ, कॉलेज फेस्ट के दोरान, इसलिए मैं भी उसके लिए अपनी पॉकेट में एक छोटा सा गिफ्ट लाया था, ईअर रिंग, पर ये बात मैंने अंशिका को नहीं बताई थी, वो मेरे बारे में बड़ी पोसेसिव है, ये मैं जानता था, इसलिए..
मैं सीडियों से ऊपर गया, ऊपर से दो तीन दोस्त नीचे आते दिखाई दिए, पर स्नेहा उनमे नहीं थी, मैं ऊपर गया, पर वहां कोई नहीं था, घुप्प अँधेरा था, पर वहां की ऊँचाई से पूरा शहर साफ़ दिखाई दे रहा था, बड़ा ही सुन्दर दृश्य था, मैंने सोचा चलो एक चक्कर मार लेता हूँ, मैं आगे गया तो मुझे लगा की कोने में कोई खड़ा हुआ है. मैं झट से एक बड़ी सी टंकी के पीछे छुप गया और धीरे-धीरे उस तरफ गया, मेरा अंदाजा सही निकला, वहां स्नेहा खड़ी थी शायद अपने बॉय फ्रेंड के साथ, और वो दोनों किस कर रहे थे
स्नेहा: अह्ह्ह्ह पुच पुच...बस करो अंकित...नीचे सब इन्तजार कर रहे होंगे...चलो न..
अंकित: पुच पुच...बस थोड़ी देर और...आज तुम कितनी सुन्दर लग रही हो...बर्थडे किस तो करने दो, पुच पुच...मेरा तो मन ही नहीं कर रहा तुम्हे छोड़ने का...पुच पुच..
स्नेहा: अह्ह्ह्ह मन तो मेरा भी नहीं कर रहा....पर जाना पड़ेगा न नीचे, मम्मी इन्तजार कर रही होनी, केक भी काटना है...चलो न...
अंकित :अच्छा, एक बार इन्हें बाहर निकालो न, प्लीस...मुझे इनपर भी किस करनी है..
स्नेहा : पागल हो क्या, ये पोसिबल नहीं है.. तुम नीचे चलो न...प्लीस...
अंकित :ओके बाबा...जैसा तुम कहो...
स्नेहा :तुम पहले जाओ, मैं बाद में आती हूँ, कोई हमें एक साथ नीचे जाते ना देख ले..
हे भगवान्, इन कॉलेज जाने वाले बच्चो को भी पर लगे है, किस करने में लगे हैं. और फिर अंकित उसे एक बार और जोर से चूम कर नीचे की और चल दिया, स्नेहा ने जल्दी से अपने बाल और कपडे ठीक किये और नीचे जाने लगी, मैंने पीछे से उसे आवाज लगायी
मैं: हे स्नेहा, हैप्पी बर्थडे...
स्नेहा मेरी आवाज सुनकर एकदम से पीछे मुड़ी और मुझे देखकर चोंक गयी,
स्नेहा: तुम्म....विशाल, तुम कब ऊपर आये....
मैं: जब अंकित तुम्हे बर्थडे विश कर रहा था..
स्नेहा मेरी बात सुनकर डर गयी, और मेरे पास आकर बोली प्लीस विशाल, किसी को कुछ मत बताना, मेरी मम्मी मेरा घर से निकलना बंद करा देगी...प्लीस...
मैं: ओह्ह..चिल्ल यार, परेशान मत हो, ये सब तो होता है, सभी करते हैं, मैंने भी किया है और करता हूँ, टेक ईट इसी ...डोंट वोरी... मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा..वो तो तुम्हारी मम्मी ने कहा की तुम शायद ऊपर हो, इसलिए मैं आया और तुम्हे देखा और मैं तुम्हे ये गिफ्ट भी देना चाहता था, सभी से छुपा कर, इसलिए
और फिर मैंने उसे अपनी जेब से उसका गिफ्ट निकल कर दिया, उसने मुस्कुराते हुए वो लिया और मेरे से हाथ मिला कर थेंक यू कहा. मैंने भी मौके का फायदा उठा कर उसके हाथ को पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया और गले से लगा लिया,...बॉस....क्या नरम शरीर था उसका, और उसके छोटे-छोटे बूब्स जो मेरी छाती से टकराए तो मेरा लंड फिर से अंगडाई लेने लगा, मैंने उसे थोड़ी देर तक गले से लगाये रखा और फिर उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए उसे अलग किया, उसका चेहरा देखने लायक था, उसने शायद सोचा नहीं होगा की मैं उसे गले लगा लूँगा..
मैं: चले नीचे...
स्नेहा: हमम...हाँ...चलो...चलो नीचे चलते हैं, केक भी काटना है.
और वो नीचे की तरफ चल दी.
मैं और स्नेहा जब वापिस अन्दर गए तो उसकी मम्मी केक को फ्रिज में से निकाल कर टेबल पर लगा रही थी, अंशिका ने मुझे स्नेहा के साथ अन्दर आते देखा तो मुझे एक कोने में लेजाकर बोली कहाँ थे तुम, और क्या कर रहे थे स्नेहा के साथ?
मैं: अरे तुम तो ऐसे नाराज हो रही हो, जैसे मैं उसके साथ डेट पर गया था, उसकी मम्मी ने बताया की वो ऊपर है तो मैं उसे बुला लाया और उसे विश भी तो करना था न.
अंशिका (आँखे निकलते हुए): शर्म नहीं आती, उस छोटी सी बच्ची के साथ डेट पर जाने की बात करते हो,
मैं: वो बच्ची अब उतनी छोटी भी नहीं रही..
अंशिका: क्या मतलब..?
मैं: मतलब, आज उसका बर्थडे है न, यानी वो एक साल और बड़ी हो गयी..
अंशिका: हाँ ठीक है, पर तुमसे कई साल छोटी है, उसपर नजरे मत लगाओ..
मैं: वैसे, मैं भी तो तुमसे कई साल छोटा हूँ, फिर तुम क्यों मुझपर नजर रखती हो..
अंशिका: हमारी बात कुछ और है, खेर मैं तुमसे इस बारे में ज्यादा बहस नहीं करना चाहती, चलो वहां केक कट रहा है.
उसके बाद स्नेहा ने केक काटा, अपने मम्मी और पापा को खिलाया, फिर एक दो रिश्तेदारों को भी और फिर अपने बॉय फ्रेंड अंकित को भी, वो दोनों मंद मंद मुस्कुरा रहे थे, और फिर वो मेरे और अंशिका के पास आई और एक ही टुकड़े से दोनों को खिलाया, मुहे खिलते हुए भी वो मंद ही मंद मुस्कुरा रही थी, मैंने गोर से देखा तो पता चला की उसने मेरे दिए हुए इअर रिंग पहने हुए हैं, नीचे आकर उसने ये कब किया, मुझे भी नहीं मालुम, उसके बाद सभी ने उसे गिफ्ट दिए और अंत में उसकी मम्मी ने एक डब्बा, जिसे उसने जल्दी से खोला, उसमे मोबाइल था, वो ख़ुशी से चिल्लाई और किटी मेम के गले लग गयी. बाद में थोडा बहुत डांस हुआ, मैं एक बहुत अच्छा डांसर हूँ, मैंने जब एक गाने पर डांस करना शुरू किया तो सबने ताड़ी मारकर खूब तारीफ की, मैंने नाचते हुए, बर्थडे गर्ल को भी अपने साथ नचाया , वो भी झूम कर नाची मेरे साथ, बाद में सबने खाना खाया और हम वापिस जाने लगे.
किटी मेम: थेंक यू अंशिका एंड विशाल, तुम दोनों आये मुझे बड़ा अच्छा लगा
वो दोनों कुछ बातें करने लगे, मैंने पीछे देखा तो पाया की स्नेहा बार-बार मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रही है, मैं उसके पास गया और उसे बाय बोला, उसने धीरे से कहा प्लीस अपना नंबर दो. मैंने बिना कोई सवाल पूछे उसे अपना नंबर बता दिया, उसने उसे अपने मोबाइल में सेव करा और फिर मैं वापिस नीचे चल दिया. वापसी में काफी ठण्ड हो रही थी, अंशिका मुझसे चिपक कर बैठी थी, उसे जैसे घर पहुँचने की कोई जल्दी नहीं थी आज.
मैं: क्या सोच रही हो..
अंशिका: कुछ नहीं, पता है, किटी मेम तुम्हारे बारे में पूछ रही थी आज, मुझे तो लगा की शायद उन्हें शक हो गया है की तुम मेरे कसन हो या नहीं, पर मैंने बात संभाल ली.
फिर हमने इधर उधर की बाते की और मैंने उसे पूछा जल्दी तो नहीं है ना आज..
अंशिका: क्यों ?
मैं: तुम्हे आइसक्रीम खिलानी है...और मुझे भी कुल्फी खाने का मन है.
अंशिका मेरा इशारा समझ गयी, वो कुछ न बोली... दरअसल आज उसे जल्दी जाने की कोई चिंता नहीं थी, अभी दस बजे थे, और उसकी मम्मी भी जानती थी की मैं उसे वापिस घर छोड़कर जाऊंगा, इसलिए मम्मी के फ़ोन आने का भी सवाल नहीं था, चिंता थी तो सिर्फ, जगह की, मैंने सोचा की उसी जगह पर जाकर दोबारा ट्राई करना चाहिए... मैंने बाईक वहीँ मोड़ दी,
अंशिका: इतनी रात को वहां कोई और ना आ जाए, चोकीदार भी हो सकता है न..
मैं: नहीं होगा..देखते हैं.
मैं बाईक अन्दर ले गया. वहां कोई भी नहीं था, मैंने चैन की सांस ली.
बाईक वहीँ खड़ी की और फिर उसे लेकर उसी कोने में जाकर खड़ा हो गया. मेरा लंड फिर से टाईट हो चूका था, पर मै अब पहले अंशिका को मजे देना चाहता था.मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और उसे गले लगाकर उसे चूमने लगा. मैंने अपने हाथ उसकी फेली हुई गांड पर टिकाये और उन्हें मसलने लगा, जींस में कैद उसके चुतड बड़े गजब के लग रहे थे. मैंने हाथ अन्दर करके अपनी उँगलियाँ उसके नंगे नितम्बो पर टिका दी और उन्हें मसलने लगा. अंशिका मेरे मुंह को किसी भूखी शेरनी की तरह से चूसने में लगी थी, उसे भी मालुम था की ऐसे मौके बार-बार नहीं मिलेंगे.मैंने हाथ नीचे करके उसकी जींस के बटन खोले, और उसे नीचे खिसका दिया, शर्ट के बटन उसने खुद ही खोल दिए, मैंने उसे टेबल पर बिठाया और उसकी जींस उसके घुटनों तक नीचे उतार दी, नीचे उसने ब्लेक कलर की पेंटी पहनी हुई थी, मैंने उसपर हाथ लगाया, वो पूरी गीली थी..
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल.....मैं जल रही हूँ....प्लीस कुछ करो..
मैंने उसकी पेंटी भी उतार दी, और फिर धीमी रौशनी में उसकी चिकनी चूत उजागर हो गयी, उसने कल ही अपने बाल साफ़ किये थे, इसलिए उसकी चूत से निकलते रस की वजह से उसकी चिकनी चूत बड़ी ही कमाल की लग रही थी.मैंने उसकी पेंटी भी घुटनों से नीचे कर दी, पुरे कपडे उतरना वहां मुश्किल था, किसी के आने का भी डर था. उसकी ब्रा से झांकते हुए उसके मुम्मे देखकर तो मैं पागल ही हो गया, मैंने उसकी ब्रा को ऊपर किया और उसके खरबूजे नीचे से निकल कर मेरी आँखों के सामने आ गए, अब मैंने उसे मुम्मो से लेकर चूत तक देखा, मलाई जैसी त्वचा देखकर मैंने अपनी जीभ निकली और उसके मुम्मो से लेकर नीचे तक उसे चाटना शुरू कर दिया. उसके निप्पल, पेट, नाभि और फिर जैसे ही उसकी चूत मेरे मुंह के सामने आई, उसने मेरे सर को पकड़कर अपनी चूत पर दबा सा दिया..
अह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल....चाटो न...प्लीस....सक मी ...सक मी....विशाल...सक्क माय कंट...विशाल....इट्स बर्निंग ...प्लीस....
मैंने उसे तद्पाने के लिए, अपनी जीभ निकली और उसकी चूत के चारों तरफ फेले गीलेपन पर फिराने लगा, उसकी चूत से बड़ी तीखी सी स्मेल आ रही थी, जो मुझे मदहोश सा कर रही थी, ये मेरा पहला अवसर था की मैं किसी की चूत चाट रहा था, पर मुझे बड़ा मजा आ रहा था, मैंने अपनी जीभ निकाली और उसे अंशिका की चूत के बीचो बीच लगा दिया.
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल.....स्स्स्सस्स्स्स....
उसने मेरे सर को अपनी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया, उसे भी काफी मजा आ रहा था, मैंने हाथ उसकी जांघो के नीचे रखे और उसकी चूत को थोडा और ऊपर किया, वो टेडी होकर लेट सी गयी टेबल पर, अब मैंने अपने हाथो से उसकी चूत के फेलाया और उसपर दांतों से, होंठो से और जीभ से हमले करने शुरू कर दिए...वो मेरे हर हमले से सिसकारी मारती और मेरे बालों को पकड़कर उन्हें अपनी चूत पर घिसने लगती. जल्दी ही उसकी चूत के अन्दर से लावा निकलने का टाइम आ गया, वो चिल्लाने लगी..
ओह्ह्ह विशाल...ओम्म्म्म ...ओह्ह्ह मायय,.....गाद...अह्ह्ह्ह आई एम् कमिंग......अह्ह्हह्ह या.....अह्ह्हह्ह्ह्ह और अगले ही पल उसकी चूत में से हलकी सी गर्म पानी की बाड़ आई और मेरे मुंह से आ टकराई , मेरा पूरा मुंह भीग गया, मैंने सपद-२ करके उसका सारा पानी पी डाला. मैं अब जल्दी से उठा और अपनी पेंट से पर्स में से कंडोम निकाला, वो समझ गयी की मैं क्या करने वाला हूँ, उसने मुझे कहा
अंशिका: सुनो, विशाल... प्लीस मेरी बात मानो, मैं भी ये सब करना चाहती हूँ, पर मैं चाहती हूँ की जब पहली बार तुम मुझे प्यार करो तो ऐसी जगह नहीं, प्रोपर बिस्तर पर, आराम से, बिना किसी डर के..
मैंने उसकी बात सुनी, बात तो वो सही कह रही थी, मैं ही था जो अपना उतावलापन दिखाकर उसकी चूत मारने के चक्कर में ये भी नहीं देख पा रहा था की हम एक बिजली घर की पार्किंग में खड़े हैं, और मैं उसे एक टूटे हुए से टेबल पर चोदने की सच रहा हूँ, मैंने उसकी बात मान ली और अपना कंडोम वापिस पर्स में रख लिया..
मैं: पर इसका क्या करूँ...
मैंने लंड की तरफ इशारा किया.
अंशिका: ये तुम मुझपर छोड़ दो...
उसने लेटे हुए ही मेरे लंड को पकड़ा और अपनी तरफ खींच कर अपनी चूत के ऊपर लगाया, उसकी चूत का एहसास मेरे लंड पर होते ही मेरे लंड ने एक दो बार जर्क किया...उसकी चूत से निकलता रस उसने मेरे लंड पर अच्छी तरह से मल दिया,और फिर वो उठी और मुझे टेबल पर बैठने को कहा, और खुद मेरे सामने खड़ी होकर , अपने मुम्मो को मेरे लंड पर रगड़ने लगी, उसका तरीका पड़ा ही कामुक था, उसके निप्पल खड़े होकर मेरे लंड पर तीर की तरह चुभ रहे थे, मैंने उसके चेहरे पर आते बालों को हटाया और उसने मेरी आँखों में देखते हुए नीचे झुककर मेरे लंड को निगल लिया, और जोरों से चूसने लगी..
अह्ह्हह्ह अंशिका.....अह्ह्हह्ह क्या चुस्ती हो यार.....अह्ह्ह्हह्ह हां और जोर से चुसो....म्मम्मम्म मेरी बातें सुनकर उसने मेरे लंड पर चूसने की गति थोड़ी बड़ा दी, और जल्दी ही मेरे लंड से निकलने वाली पिचकारियाँ उसके गले को गीला करने में लग गयी, और हर बार की तरह उसने सारा रस पी लिया. उसके बाद वो ऊपर आई और पिछली बार की तरह ही इस बार भी मेरे मुंह पर अपने होंठ लगा कर मुझे फ्रेंच किस किया और अपने शरीर को मेरे शरीर से रगड़ने लगी. अब रात काफी हो चुकी थी, मैंने घडी देखी तो साड़े दस बज रहे थे, वो भी जल्दी से उठी, कपडे ठीक किये, लिपस्टिक लगायी और फिर हम वापिस चल दिए, मैंने उसके घर पर उसे ड्रॉप किया, उसकी मम्मी ने दरवाजा खोला, मुझे अन्दर आने को कहा, पर मैंने ये कहकर की अभी रात काफी हो चुकी है, फिर कभी आऊंगा और मैं अपने घर वापिस आ गया.
वापिस आकर मैंने अपने मोबाइल पर उसका मेसेज देखा..
गुड नाईट स्वीट हार्ट. थेंक्स फॉर टुडे.