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Adultery लवली फ़ोन सेक्स चैट
#30
रात को अंशिका का फ़ोन आया

अंशिका: हाय... क्या कर रहे हो.
मैं: मुठ मार रहा हूँ

अंशिका (गुस्से में): तुम फिर शुरू हो गए... मैंने कहा था न की ये काम सिर्फ मेरे साथ करना, या सिर्फ मेरे सामने
मैं: यार, तुम्हारे सामने जो किया था उसे ही याद करके मेरा लंड तो अब पूरा दिन खड़ा रहता है, वो तुम्हारे फ़ोन ने सब गड़बड़ कर दिया

अंशिका:  जो होता है अच्छे के लिए ही होता है
मैं: अच्छा सच बताना, उस दिन मैं अगर तुम्हे चोदने की जिद्द करता तो क्या तुम मुझे अपनी चूत मारने देती ?

अंशिका: ओहो...तुम्हारी सुई उसी दिन पर अटकी पड़ी है..मैंने तुमसे कल भी कहा था की सही समय और जगह मिलते ही मैं तुम्हे खुश कर दूंगी. और वो दिन और समय सही नहीं था
मैं: पर मैंने जो तुम्हारी आँखों में देखा था और जैसा तुम बीहेव कर रही थी मुझे लगा शायद तुम पूरी तैयार थी चुदने के लिए

अंशिका:  तुम अपने ताने बुनते रहा करो..अच्छा सुनो, कल मैं क्या पहनू बर्थडे पार्टी में ?
मैं: कुछ नहीं...

अंशिका: बताओ न..प्लीस..तुम जानते हो जब से तुम मिले हो, मैंने तुमसे पूछे बिना कुछ नहीं पहना है बाहर ..

मैं ये सुनकर खुश हो गया, बात तो सही कह रही थी वो, हमेशा मुझसे पूछती है और वोही पहनती भी है.

मैं: अच्छा, तुम्हारे पास कोई वेस्टर्न ड्रेस है क्या
अंशिका: है तो पर मेरी ब्रेस्ट काफी हेवी है न, इसलिए मैं वेस्टर्न ड्रेस अवोइड करती हूँ... वैसे मेरे पास टी शर्ट और जींस है, और दो शर्ट भी हैं.

मैं: वंडरफुल ..तो एक काम करो, तुम शर्ट और जींस पहनो, साथ में हाई हील्स के सेंडिल ..
अंशिका:  ये कोई ऑफिस पार्टी नहीं है, जिसमे इतने फोर्मल से होकर जाओ..प्लीस कुछ और बोलो न..

मैं: नहीं..मैंने जो कह दिया, वर्ना तुम्हारी मर्जी.
अंशिका: तुम न हमेशा अपनी जिद्द मनवाते हो..ठीक है..मेरे पास दो शर्ट हैं, सफ़ेद और दूसरी प्रिंट वाली..कोनसी पहनू,

मैं: सफ़ेद पहनो, ब्लेक जींस के ऊपर और नीचे व्हाईट सेंडल
अंशिका:  ओके बॉस....और कुछ

मैं: और नीचे, ब्लेक ब्रा..
अंशिका:  पागल हो क्या, व्हाईट शर्ट के नीचे ब्लेक कलर की ब्रा साफ़ दिखेगी.

मैं: हाँ, तभी कह रहा हूँ..सेक्सी भी तो लगोगी न..
अंशिका: मेरी मम्मी नहीं पहनने देगी, ऐसे कपडे.

मैं: तुम ऊपर जेकेट पहन लेना, बाद में उतार देना वहां जाकर.
अंशिका: उस्ताद हो तुम पुरे..ठीक है..जैसा आप कहो.

मैं: अच्छा, अब इस पप्पू का क्या करूँ, ये तो कब से खड़ा है तुम्हारे नाम की मुठ मारने के लिए.
अंशिका: उसे कहो की कल तक का वेट करे, मैं उसे संभाल लुंगी.

मैं: पक्का..
अंशिका: हाँ, बाबा हाँ..पक्का., अच्छा अब तुम सो जाओ, मुझे भी नींद आ रही है, पुच..बाय..

मैं: पुच..पुच...बाय जान...

और फिर मैं सो गया. अगले दिन, हमेशा की तरह उसने सुबह मेसेज किया, दोपहर को लंच के समय बात की और शाम को सात बजे घर आने को कहा. मैं सफ़ेद शर्ट और ब्लेक जींस पहन कर उसके घर गया, मैंने जान बुझकर उसके जैसे कपडे पहने थे. मैंने बेल बजायी और उसकी नौकरानी ने दरवाजा खोला , मैं अन्दर जाकर सोफे पर बैठ गया. उसकी माँ अन्दर से आई, मैंने उठकर उनके पाँव छुए ... वो खुश हो गयी मेरे संस्कार देखकर, और नौकरानी को चाय बनाने को कहा

मम्मी : वो ऊपर तैयार हो रही है, अच्छा किया बेटा जो तुम अंशिका के साथ जा रहे हो, वर्ना मैं तो इसे रात को बाहर भेजने में हमेशा डरती रहती हूँ, पता नहीं कैसे जायेगी और वापिस आएगी, जब इसने कहा की किटी मेडम ने तुम्हे भी बुलाया है और तुम इसे लेकर और वापिस छोड़कर जाओगे तो मुझे थोड़ी राहत मिली..

मैंने मन ही मन सोचा , अरे आंटी, आप फिकर मत करो, मेरे साथ ही रहेगी ये, इसकी और इसके शरीर की पूरी रक्षा करूँगा मैं...

मैं: अरे आंटी, आप तो मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं, मुझे भी मेम की चिंता रहती है, आप फिकर मत करो.

उसके बाद वो मेरे घर के बारे में, कोन -२ है, क्या करते है, वगेरह-२ पूछने लगी, जैसे मुझे अपना जंवाई बनाएगी...
मैंने चाय पी, और तब तक ऊपर से अंशिका भी आ गयी, यार...क्या माल लग रही थी साली. ब्लेक जींस के ऊपर क्रीम कलर की जेकेट, नीचे उसकी शर्ट के कोलोर भी दिख रहे थे. उसने मेरे कपडे देखे और मुस्कुरा दी, पर कुछ न बोली, मैंने भी आँखों ही आँखों में उसकी तारीफ की और फिर हम चल दिए.

बाहर आते ही उसने अपनी जेकेट उतारी और मुझे दे दी, मैंने उसे डिक्की में दाल दिया, मैंने बाईक स्टार्ट की और वो मेरे पीछे बैठ गयी, दोनों तरफ टाँगे करके और थोडा दूर जाने पर उसने अपने दोनों हाथ मेरी बगलों में डाले और अपने पंजो से मेरे कंधे पकड़ लिए, आगे की तरफ से, और इसकी वजह से उसके दोनों गद्देदार मुम्मे, मेरी पीठ पर पिस कर आमलेट जैसी हालत में हो गए, उसने मेरी गर्दन पर पीछे से किस किया और बोली

अंशिका: आज मैं बहुत खुश हूँ, मैंने सुबह मम्मी को जब कहा की मैं तुम्हारे साथ जा रही हूँ, जो बताने में मुझे बड़ा डर लग रहा था, पर उनके रीअक्शन से मुझे बड़ा ताज्जुब हुआ, वो बड़ी खुश हो गयी थी, उन्होंने ये भी कहा था की ये लड़का भले घर का है..
मैं: देखा, मेरा इम्प्रेशन...अब तो मैं कभी भी तुम्हारे घर पर आ सकता हूँ, और ऊपर तुम्हारे कमरे में भी, मम्मी ने तो पास कर दिया है मुझे..

अंशिका: ज्यादा खुश मत हो... जितनी छूट मिली है, उतने में ही रहो

मैंने उससे ज्यादा बहस करना उचित नहीं समझा उस समय, वैसे भी उसके मुम्मे जो मेरी कमर में चुभ रहे थे, उसकी वजह से मेरी जींस में फंसा हुआ मेरा लंड ठीक से सांस भी नहीं ले पा रहा था, मुझे उसका कुछ करना होगा, मैं सोचने लगा, फिर आगे जाकर मैंने देखा की हमारे इलाके का बिजली घर आया है , जिसके पीछे की तरफ काफी बड़े-२ ट्रांसफार्मर लगे हैं, रात के समय वो बिजली घर बिलकुल सुनसान सा था, मैं कई बार बिल जमा करने यहाँ आया था, यहाँ की पार्किंग ऑफिस और उस ट्रांसफार्मर वाली जगह के बीच है, और अन्दर जाने के लिए कोई गेट भी नहीं है, मैंने बाईक अन्दर की तरफ मोड़ ली, वो समझ तो गयी थी की मैं वहां क्यों जा रहा हूँ, पर उसने कुछ कहा नहीं, शायद वो भी मेरी तरह जल सी रही थी, मैंने वहां पीछे पार्किंग वाली जगह पर जाकर बाईक रोकी, ऑफिस तो बंद था, वहां घुप्प अँधेरा था, और पीछे वाली जगह, जहाँ ट्रांसफार्मर लगे थे, वहां थोड़ी रौशनी थी, वहां अन्दर जाने के लिए जाली का दरवाजा था जिसपर ताला लगा था, ऑफिस वाली दिवार की तरफ एक टेबल और कुर्सी रखी थी, जो शायद पार्किंग वाले के लिए थी, वहां भी हल्का सा अँधेरा था.

अंशिका: ये कहाँ ले आये, कोई आ ना जाए यहाँ, चलो न, पार्टी के लिए देर हो रही है..
मैं: ये बिजली घर है, यहाँ रात को कोई नहीं आएगा, तुम इसकी चिंता मत करो..आओ वहां उस कोने में चलते हैं. 

मैं उसे लेकर कोने में गया, और उसे टेबल के पास लेजाकर खड़ा कर दिया. जैसे ही मैं उसकी तरफ मुड़ा उसने मुझे एक दम से गले से लगा लिया. उसका उतावलापन देखकर मुझे भी ताज्जुब हुआ, जो काम मुझे करना था वो आज खुद कर रही थी.

मैं: क्या बात है, बड़ा प्यार आ रहा है आज..
अंशिका: मैंने कहा था न की मैं आज बड़ी खुश हूँ, और तुमने आज मेरे जैसे कपडे भी पहने हैं, मुझे अच्छा लगा.

मैं: अच्छा लगने से क्या होता है, इनाम भी तो मिलना चाहिए न..

मेरे कहने की देर थी, उसके लरजते हुए होंठ मेरे होंठों से आ टकराए..वो इतने गीले थे की मुझे उसके मुंह से निकलती लार को अपने मुंह में भरकर अन्दर तक ले जाने में काफी मुश्किल हुई, उसकी लिपस्टिक का स्वाद बड़ा मीठा सा था शायद किसी फ्रूट जैसा, मैंने उसके दोनों मुम्मे पकडे और उन्हें दबाना शुरू कर दिया, शर्ट के ऊपर से दबाने में उसकी छातियाँ बड़ी कड़क सी लग रही थी, मैंने उसके बटन खोलने शुरू किये, मुझे लगा की वो मना करेगी, पर उसने कोई विरोध नहीं किया, मैंने उसकी शर्ट को जींस से बाहर निकल दिया और उसके सारे बटन भी खोल दिए, नीचे उसकी ब्लेक कलर की ब्रा देखकर मेरे मुंह में और भी ज्यादा पानी आ गया, मैंने अपना मुंह उसकी दोनों छातियों के बीच झोंक दिया और उसके शरीर से निकलने वाली भीनी सी खुशबू को सूंघते हुए वह पर अपनी जीभ से चाटने लगा.

अंशिका के मुंह से आआआह्ह ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ की आवाजें निकल रही थी. मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके मुम्मे दबाने और काटने शुरू कर दिए, उसने अपनी शर्ट को उतारा और मेरी बाईक के ऊपर टांग दिया और  बोली ये ख़राब न हो जाए. मैंने उसकी ब्रा के हूक भी खोल दिए और उसे भी उतार दिया और कहा ये भी उतारो, इसके भी खराब होने का डर है. उसने मुस्कुराते हुए अपनी ब्रा भी उतार दी. मैंने ये नोट किया की आज वो कुछ कम डर रही है उस दिन पार्क वाली जगह के मुकाबले.

उसकी ब्रा के उतरते ही उसका हुस्न जब बेपर्दा हुआ तो मैं उसकी सुन्दरता देखता रह गया, ऊपर से नंगी, टोपलेस, वो सिर्फ अपनी जींस और हाई हील में खड़ी हुई बड़ी ही सेक्सी लग रही थी, उसने अपने बाल खुले रखे हुए थे, उसके बालों का स्टाईल बिलकुल आयेशा टाकिया जैसा है, स्ट्रेट बाल है उसके नीचे की और आते हुए और लम्बे भी..वो खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी,

अंशिका: अब देखते ही रहोगे क्या...

मैंने जल्दी से अपने होंठ लगा दिए उसकी मदर डायरी के बूथ पर और दूध पीने लगा. वो मेरे सर पर हाथ फेरती हुई हलके-हलके से बुदबुदाने लगी

अह्ह्ह्हह्ह मेरा बच्चा....पी ले...सारा तेरा...सारा तेरा...अह्ह्हह्ह्ह्ह म्मम्मम्म ओह्ह्ह्हह्ह धीरे काटो न प्लीस...

मैंने आँखें खोलकर उसकी तरफ देखा, उसका दांया निप्पल मेरे मुंह में था, वो बड़े प्यार से मेरी आँखों में देख रही थी... उसने मुझे कहा

अंशिका: क्या मेरी बात मानोगे..
मैं: क्या ?

अंशिका: वो...क्या तुम मेरे यहाँ एक निशान बना सकते हो अपने दांतों से..

उसने अपने निप्पल के थोडा ऊपर ऊँगली लगा कर कहा.

मैं: या..श्योर..

और मैंने अपने दांतों से उसके निप्पल के ऊपर का हिस्सा अन्दर की तरफ भींचा और उसे जोर से सक करते हुए , अपनी जीभ से उस जगह को कुदेरते हुए,अपने प्यार का "टैटू" बनाने में जूट गया..

अह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल्ल्ल....अह्ह्ह्हह्ह दर्द हो रहा है....अह्ह्ह्हह्ह धीरे बाबा...ओह्ह्हह्ह......

मुझे मालुम था की उसे दर्द हो रहा होगा, पर दर्द के बिना तो वो मार्क नहीं बन सकता था, इसलिए मैंने उसे सक करना चालु रखा..और थोड़ी देर बाद जब मैंने उसे छोड़ा तो उसकी आँखों में हलके से आंसू थे, मैंने उसके मुम्मे को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसे दिखाया

मैं: ये लो, बना दिया... ठीक बना है... नहीं तो दूसरा बनाऊ.
अंशिका: अरे...नहीं..ये बिलकुल ठीक है...दरअसल, आज सुबह जब मैं और किटी मेम बाथरूम में थे और वो साडी ठीक कर रही थी तब मैंने उनके ब्लाउस के ऊपर वाले हिस्से में एक निशान देखा, और तब उन्होंने मुस्कुरा कर कहा की ये तो उनके शरारती पति की मेहरबानी है..लव बाईट और भी हैं, जो वो दिखा नहीं सकती उसे... बस, तभी से मुझे भी वैसा ही निशान बनवाना था, वो कह रही थी की जब भी वो नहाते हुए या कपडे पहनते हुए वो निशान देखती है तो उन्हें अपनी पति की शरारते याद आती है, मन भी येही चाहती हूँ की मैं जब भी ये निशान देखूं तो तुम मुझे याद आओ और ये पल जो मैं तुम्हारे साथ बिता रही हूँ...

उसकी बात सुनकर मुझे उसपर बड़ा प्यार आया

मैं: अगर कहो तो तुम्हारे पुरे शरीर पर ऐसे ही निशान बना दूं, फिर उन्हें देखकर खुश होती रहना और मुझे याद करती रहना.
अंशिका: नहीं बाबा...ये ही ठीक है, पता है कितना दर्द हुआ , पर जो भी था, मीठा दर्द था.

मैंने हँसते हुए उसके दोनों मुम्मो को थामा और उसके होंठो को चुसना शुरू कर दिया. उसने मेरी जींस की जिप पर हाथ लगाया और मेरे लंड को ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया. मैंने घडी देखी, साड़े सात बज चुके थे, आठ बजे का टाइम था केक काटने का, अभी थोडा टाइम था हमारे पास. वो मेरे सामने नीचे जमीं पर बैठ गयी और मेरी जिप खोलने लगी. उसने मेरी जींस नीचे करी और अब मेरा लंड, जो फ्रेंची में फंसा हुआ फुंफकार रहा था, उसके सामने था. उसने दोनों तरफ हाथ फंसा कर मेरी फ्रेंची नीचे करनी शुरू की, धीरे-२ उसे नीचे किया और मेरा लंड उछल कर उसकी आँखों के सामने आ गया.

अंशिका: म्मम्मम....कितना गुस्से में है ये आज...
मैं: तुम जानती हो की मेरा पप्पू गुस्से में क्यों है, तुमने इसे अभी तक अपनी पिंकी से नहीं मिलवाया न इसलिए...

अंशिका (हँसते हुए) :ओले ओले...मेरा बच्चा...पिंकी से मिलना है...जल्दी ही मिलेगी पप्पू को उसकी पिंकी...

और फिर उसने मेरे लंड के सिरे से निकलते प्रीकम को अपनी जीभ से चाट लिया..और चटखारा लेकर अगले ही पल मेरे पुरे लंड को निगल लिया अपने गरमा गरम मुंह में..

अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्हह्ह अंशु....अह्ह्ह्हह्ह मेरी जान.......क्या चुस्ती हो....अह्ह्ह्हह्ह ......तभी तो कहता हूँ...तू मेरी रंडी है....मेरी पर्सनल रंडी....अह्ह्ह्हह्ह.....चूस इसे....और जोर से.....

और उसने आवाजें निकलते हुए मेरे लंड को चुसना और निगलना शुरू कर दिया. उसे नीचे जमीन पर अपने सेंडल के बल पर बैठने में बड़ी तकलीफ हो रही थी, वो ऊपर उठी और घोड़ी बनकर नीचे झुककर, मेरे लंड को चूसने लगी... मैं समझ गया, मैंने उसे कुर्सी पर बैठने को कहा और खुद उसके सामने पड़े टेबल के ऊपर बैठ गया,अब वो बड़े आराम से मेरे लंड को सामने पड़े खाने की तरह, खाने में मशगुल हो गयी, अपने एक हाथ से वो मेरी गोटियाँ मसल रही थी और दुसरे हाथ से अपने माथे पर आये बालों को ठीक कर रही थी. मैंने अपने हाथ पीछे लेजाकर, टेबल पर टिका दिए और अपने लंड को चुस्वाने के मजे लेने लगा. तभी उसका मोबाइल बजने लगा. उसने अपनी जींस की पॉकेट से मोबाइल निकला और मुझे दिखाया, वो किटी मेम का था, फिर उसने मेरा लंड अपने मुंह से बाहर निकाला और फ़ोन उठाया

अंशिका: येस मेम...कहिये..
किटी: अरे भाई..कहाँ रह गयी, सब तुम्हारा ही इन्तजार कर रहे हैं.

अंशिका मेरा लंड अब अपने हाथ से ऊपर नीचे कर रही थी और फ़ोन पर बात भी कर रही थी.

अंशिका: वो मेम..दरअसल..रास्ते में, मैं और विशाल रुक गए और आइसक्रीम खाने लगे, बस आ रहे हैं..

और फिर उसने जीभ निकाल कर मेरे लंड पर ऐसे फेराई जैसे वो उसकी आइसक्रीम हो. मैं उसकी बात सुनकर और हरकत देखकर मुस्कुराने लगा.

किटी: तुम भी न, बच्चो जैसी हरकत करती हो, आइसक्रीम तो यहाँ भी खा सकती थी न, चलो अब जल्दी आओ, आई एम् वेटिंग.
अंशिका: ओ मेम...वी आर कमिंग...

और फिर उसने फ़ोन वापिस अपनी जेब में ठूस लिया और मेरे लंड को अपने मुंह में ठूस कर उसे फिर से आइसक्रीम की तरह चूसने लगी. मुझे मालुम था की यहाँ अभी चुदाई संभव नहीं है, इसलिए मैंने उसे कुछ नहीं कहा और जो कुछ मिल रहा था, उसी में संतुष्ट रहना ही उचित समझा. वो जिस तरह से अपने दांतों और जीभ का इस्तेमाल करते हुए मेरा लंड चूस रही थी, और दुसरे हाथ से मेरी बाल्स को भी मसल हलके से सहला रही थी, मुझे बड़ा मजा आ रहा था..जल्दी ही मेरे अन्दर ओर्गास्म बनने लगा, मैंने उसके सर को पकड़ा और अपनी तरफ से भी धक्के मारने शुरू कर दिए, मैं अब नीचे खड़ा होकर उसके मुंह में धक्के मार रहा था..मेरे हर झटके से उसके खुले हुए मुम्मे बुरी तरह से हिल रहे थे..और मेरी जांघो से टकरा रहे थे..जल्दी ही मेरे लंड ने झाड़ना शुरू कर दिया.

अह्ह्हह्ह्ह्ह अंशी....अह्ह्हह्ह मैं: आया.....आयी एम् कमिंग.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्हह्ह उफ्फ्फ्फ़ .......

और उसके मुंह में जैसे कोई मशीन लगी थी, सारा रस उसने जल्दी से अपने गले के नीचे उतार लिया, और अंत में एक लम्बा सा चुपा मारकर मेरे लंड को अपने मुंह से बाहर निकाला और फिर अपनी उँगलियों से , होंठों के चारों तरफ जमा हुए, रस की कुछ बूंदों को भी इकठ्ठा किया और उन्हें भी चाट लिया..और एक चटखारा मारकर बोली "टेस्टी.....म्मम्मम "

मैंने नीचे मुंह करके उसके होंठो को चूम लिया, उसके मुंह से मेरे रस की खुशबू आ रही थी..मैं पीछे होने लगा तो उसने एक दम से मुझे फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया, मुझे मजबूरन उसका साथ देते हुए, उसके मुंह से निकलता अपने रस का स्वाद चखना पड़ा. थोड़ी देर बाद हम अलग हुए और मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर लगाया, वो जगह बिलकुल गीली सी थी, पर ब्लेक जींस की वजह से गीलापन दिखाई नहीं दे रहा था. उसने मेरा हाथ हटाया और बोली

अंशिका: अभी और टाइम नहीं है, हमें जल्दी वहां जाना चाहिए..वो लोग हमारा ही वेट कर रहे हैं..

मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया, और अपने कपडे ठीक करने लगा उसने भी जल्दी से अपनी ब्लेक ब्रा पहनी और फिर मेरी तरफ मुड़ी

अंशिका: एंड ...थेंक्स फॉर दिस.....

और उसने अपनी ब्रा को हटा कर नीचे से वो निशान दिखाया. अब वो बिलकुल लाल सुर्ख हो चूका था.शायद अगले एक हफ्ते तक वो वहां रहे...

मैं: यु आर वेल्कम, वैसे जब ये मिट जाए तो बता देना, एक और बना दूंगा और वैसे भी तुमने ये थोडा नीचे बनवाया है, अगली बार ऊपर बनाऊंगा ताकि सूट या ब्लाउस के गले से भी दिखाई देता रहे..
अंशिका: वेरी फन्नी और मैं लोगो को क्या बोलूंगी, की ये किसने बनाया है,मेरी शादी थोडा न हुई है, किटी मेम की तरह, यहीं ठीक है, जो सिर्फ मैं देख सकू ना की कोई और.

और फिर उसने अपनी शर्ट पहनी, कपडे ठीक किये, और अपनी जींस की जेब से लिपस्टिक निकाल कर लगाने लगी मेरी बाईक के शीशे में देखकर, पूरी तय्यारी के साथ आई थी, जैसे उसे मालुम था की मैं उसे चूमुंगा जरुर. फिर हम चल दिए, लगभग दस मिनट में हम किटी मेम के घर पहुँच गए, वो एक सोसाइटी फ्लेट में रहती थी, उनके फ्लेट के बाहर काफी चहलकदमी थी, हम अन्दर गए.
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RE: लवली फ़ोन सेक्स चैट - by playboy131 - 19-03-2020, 10:40 PM
RE: लवली फ़ोन सेक्स चैट - by sanskari_shikha - 11-09-2020, 10:02 PM



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