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Thriller कामुक अर्धांगनी
विरजु थक हार चूर होके बिस्तर पर लेट गया और कालू ने मधु के कमर को पकड़ चुचियो को चुस रहा था और मधु की गाँड से विरजु के वीर्य चुत से बह कालू के लड़ को बिगोता उसके आडो पर पहुँच चुका था और मधु हल्के हल्के अपनी कमर हिलाते कालू के लड़ को चुत की दीवारों पर घिसते अपना स्तपान करा रहा थी और उसकी कामुक्ता जवान सी दिख रही थी ।


कालू एक मंझे मर्द की तरह थोड़ा रुक खुद को वापस मधु के लिए तैयार करता नीचे लेटा था और कोई जल्दबाज़ी न दिखाते हुए बस मधु को ये एहसास दिलाये था की विरजु भले ही निढ़ाल हो गया हो पर कुत्ता अभी अपनी कुतिया के लिए खड़ा है ।


करिब थोड़ी देर कालू ने मधु के स्तनों को अच्छे से चूसा और फिर मधु के सुर्ख़ गुलाबी होंठो को चुसते मधु के जीभ को बड़े चाव से खींच चूस बोला मालकिन अब आएगा मज़ा जब तुझे कुतिया बना तेरी आग बुझाऊंगा और कहते मधु को अपने जिस्म से नीचे कर खड़ा हो के मधु के बालों को खींच उसका मुँह अपने गीले लौड़े पर रख बोला चूस मेरी कुतिया दिखा तू कितनी प्यासी है कालू के लिए और मधु मुँह खोल के लड़ को चुसने लगी कि कालू ने हलक तक लड़ डाल बोला तू पक्की रांड है मालकिन ज़रा भी नखरा नही तेरे योवन मैं और वो वापस लड़ निकाल मधु से लड़ चुसवाते उसके बालो को खिंचे करहाते अपना लड़ चुसवाने लगा और मधु एक प्यासे अर्धागनी की तरह कालू के लड़ को बड़े चाव से चुस्ती नागिन की तरह अपने जिस्म को बिस्तर पर इठलाती रही ।


कालू के लड़ की चमड़ी मधु के होठो से खुल बंद होती उसके गुलाबी सुपरारे को चमकदार बना रही थी और थूक की बूंदे हीरे सी चमक रही थी और कालू बस मधु मेरी कुतिया मेरी मालकिन क्या चुस्ती है रे तू बोलता सुखी खड़ा था ।



मधु ने कालू के लड़ को हाथों से पकड़ अण्डों को चाटने लगी और कालू प्रसंचित मुद्रा धारण किये आँखे मूंद स्वर्ग का सुख लेने लगा और मधु एक प्यासी औरत की तरह कालू के लड़ को स्वामी मान पूर्ण समर्पण भावना से सेवा करती रही और एक समय ऐसा आया कि कालू का रोम रोम रोमांचित हो उठा और वो मधु को खींच कर घुटनों के बल बिस्तर पर खड़ा कर उसके होंठो को बेताहाशा चुसने लगा और पागल की तरह उसके चुचियों को मसलते अपने लड़ को मधु के नाभि पर धकेले पड़ा था ।



कालू ने मधु के गाँड की गोलाई को हाथों से जकड़ दबाते मधु को पलट के बिस्तर पर कुतिया बना दिया और मधु की चुदासी सूरत मेरे सामने आ गयी , मधु की आँखे लड़ को तरसती जान पड़ रही थी और उसका योवन पसिने से चमक रहा था और वो मुड़ कालू को देख रही थी और कालू अपने हाथ से मधु की चुत छुवे अपने लड़ को चुत पर घिसते मधु के सिसकियों को हवा दे रहा था और फिर वो मधु के केसों को हाथों से जकड़ झटके से अपने लड़ को चुत की गहराईयों मे पहुँचा चुका था ।

मधु आँखे मूंद सर को खिंचाव से ऊपर उठा होंठो से फड़फड़ाती हहह उफ्फ्फ करती बड़ी सुंदर लग रही थी और ये देख मुझे आनंद हो रहा था और कालू ने धीरे धीरे अपनी कुतिया की सवारी शूरू कर दी और घर्षण से मेरी अर्धांगनी रोमांचित हो कालू के नाम की माला जपने लगी और कालू ने बालों को छोड़ मधु के कंधों को पकड़ रफ्तार बढ़ा दिया था और मधु के योवन के लिए वो रफ्तार चर्मसुख पर पहुँचने का मार्ग बन गया था जो कुछ है देर मे मधु को कपकपवाते अकड़ देता बह उठा था और कालू के लड़ को भिगो कालू के लिए सुगम चिकनी राह बना दिया था जिसपर कालू अपने लड़ को बड़े आराम से दौड़ाने लगा था और मधु पसीने से तरबतर होती गाँड पीछे कर अपने आनंद कर इज़हार कर रही थी ।


मधु की दमकती योवन को देख मैंने लेटे लेटे उसके होंठो को चूमा ओर वो बोली अपने मुझे जो ये मर्दों के सुख दिया ये एहसान सदा मान रखूंगी, आपके कारण आज मेरा रोम रोम खुशी से झूम रहा है और ये सुन कालू हँसते बोला मालकिन आप मालिक की जोरू है मालिक ने तोह बस पति धर्म निभाया है ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 10-09-2020, 11:14 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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