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Non-erotic चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger'
#21
  "तुम लोग हम लोगों से बहुत अमीर हो, इसलिए मुझे तेरे घर आने में झिझक होतीं हैं।"

          "तेरा मेरे घर आने के लिए झिझकना बिल्कुल वाजिब हैं, बट तूने इस झिझक का रिजन गलत बता दिया, क्योंकि तेरे और तेरे जैसे कुछ और दोस्तों के मेरे घर न आने का एक्चुअल रिजन ये हैं कि हम लोग अपने गेस्ट के साथ वैसी इन्टीमेसी नहीं दिखा पाते, जैसे तुम मिडिल क्लास वाले लोग अपने गेस्ट के साथ दिखाते हो। मैं पहली बार जब रागिनी दी के साथ तुझे लेने तेरे घर आई थीं, तब तेरी मम्मी मुझे जानती भी नहीं थीं, लेकिन वे मेरे और रागिनी दी के साथ ऐसी आत्मीयता से पेश आयी, जैसे हम लोग उनके कोई क्लोज रिलेटिव्ज हैं जबकि तेरे घर आने से पहले रागिनी दी मुझे लेने मेरे घर गई थीं तो मेरी माॅम ने उनके साथ इस तरह रूखापन दिखाया, जैसे उन्हें रागिनी दी का मुझे लेने मेरे घर आना बहुत बुरा लगा हो। मेरा घर तेरे घर से काफी बड़ा हैं, लेकिन मेरे घर में रहनेवाले लोगों का दिल इस घर में रहनेवाले लोगों की तुलना में काफी छोटा हैं।

          अब बात निकल हीं गई हैं तो तुझे अपनी सारी व्यथा बता हीं देती हूँ ताकि मेरे मन का बोझ कुछ हल्का हो जाए। एक्चुअली, मुझे करीब डेढ़ साल पहले तक उस फेमिली में पैदा होने का कोई अफसोस नहीं था, लेकिन करीब डेढ़ साल पहले जब मुझे उस फेमिली की मेंबर होने की वजह से हर्षित का प्यार हमेशा के लिए खोना पड़ा तो मुझे उस फेमिली में पैदा होने का इतना ज्यादा अफसोस हुआ कि उसे एक्सप्रेस करने के लिए मेरे पास वर्ड नहीं हैं। तू ये सोच रही हैं कि हर्षित के साथ तो मैंने एक मिसअंडरस्टैंडिंग का शिकार होकर डिस्टेंस बना लिया था और तूने इस गोल्डन चांस का फायदा उठाकर उसके दिल में अपना डेरा जमा लिया, लेकिन इस स्टोरी एक पहलू ये भी हैं कि मैंने हर्षित को अपने दूर और तुम्हारे करीब जाने पर ज्यादा हाय-तौबा इसलिए नहीं मचाई, क्योंकि हर्षित की तरह मुझे भी इस बात का अहसास हो गया था कि मेरी फेमिली के अमीर होने का अभिशाप हम दोनों के प्यार को कभी न कभी निगल हीं लेगा, इसलिए ऐसे किसी मोड़ पर जाकर जहाँ हर्षित को सहारा देने वाला कोई न हो, उसका साथ छोड़ने से बेटर हैं कि ऐसे मोड़ पर हीं एज द लवर उसे गुड बाय कह दूँ जब उसे आलरेडी मेरा अल्टरनेट मिल चुका हैं। आई थिंक, अब तेरी समझ में ये बात आ गई होगी कि मेरे और हर्षित के पर्मानेन्ट ब्रेक-अप के मैटर में मेरी फेमिली कहाँ से आ गई होंगी।
         
         अब मैं तुम्हें उससे ब्रेक-अप के बाद तुम्हारे साथ और फिर उसके साथ मेरी फ्रेंडशीप करने की असली वजह बता रही हूँ। एक्चुअली, मुझे उसके साथ फर्स्ट टाइम डिस्टेंस बनाने के बाद से ही इस बात का अहसास हो गया था कि मैं उसके प्यार के बिना तो जी सकती हूँ पर उसे देखे और उससे बात किए बिना नहीं जी पाऊँगी, इसलिए पहले मैंने कैंटिन वाले पर झूठा ब्लैम लगाकर उसे मुझसे बात करने किया मजबूर किया और फिर हमारे काॅलेज के स्पोटर्स टीचर अभिजीत सर के सस्पेंशन का फायदा उठाकर उसे काॅलेज का टेम्परेरी स्पोटर्स कोच बनवाया, ताकि वो कुछ दिन मेरे साथ रह सके। इसके बाद मैंने क्या-क्या किया, ये तो तुझे पता हैं ही। ये सब जानने के बाद तू यही सोच रही हैं न कि तू मुझे जैसी सीधी-साधी और इनोसेंट गर्ल समझ रही हैं, मैं वैसी न होकर एक नम्बर की सेल्फिस लड़की हूँ ?"

         "नहीं।"

         "अरे, कितनी बेवकूफ लड़की हैं तू ? मैं तेरे साथ फ्रेंडशीप सिर्फ इसलिए निभाती रही कि तू मेरे और हर्षित के एक-दूसरे के साथ फ्रेंडशीप रखने पर कभी कोई ऑब्जेक्शन न ले सकें और तेरे साथ सिम्पैथी दिखाकर हर्षित के साथ तेरा डिस्पुट खत्म करने में हेल्प भी इसी पर्पस से की और तू ये जानने के बाद भी कह रही हैं कि तू मुझे सेल्फिस गर्ल नहीं मान रही हैं। क्या हुआ, अचानक तेरा चेहरा क्यों उतर गया ?" निक्की ने काफी देर तक मानसी की बात का कोई जवाब नहीं दिया तो मानसी हैरान-परेशान निगाहों से उसे देखते हुए कहा- "निक्की, प्लीज कुछ बोल न यार। तुझे मेरी बात सुनकर गुस्सा आ रहा हैं तो मेरे साथ झगड़ा कर, लेकिन प्लीज ऐसे चुपचाप मुँह लटकाकर मत बैठ यार।"

         "क्या बोलू यार, तेरी बातें सुनने के बाद मुझे समझ हीं नहीं आ रहा हैं कि तुझसे क्या कहू।"

         "मुझे पता था कि तू मेरी बात सुनने के बाद मुझसे गुस्सा हो जाएगी, पर मैं तुझे अंधेरे में नहीं रखना चाहती थीं, इसलिए तुझे ये सब बताना जरूरी था। मैं काॅलेज छोड़ने से पहले हीं तुझे ये सब बताना चाह रही थीं, लेकिन तेरी और हर्षित की फ्रेंडशीप खो देने के डर से मेरी कभी हिम्मत नहीं हुई। आज भी मेरी फेमिली की चर्चा नहीं निकलती तो मैं ये सब शायद हीं तुझे बता पातीं। तूने मेरी बातें बुरी लगने के बावजूद इतने धैर्य के साथ सुनी, इसके लिए तेरा तहे-दिल से शुक्रिया। अब मैं .......।"

          "तुझसे ये किसने कह दिया कि मुझे तेरी बातें बुरी लगी ?"

           "इट मीन्स, ......?"

           "मुझे न तेरी बातें बुरी लगी और न तेरी बातें सुनकर गुस्सा आया। मैं तो इसलिए तेरी बात का जवाब नहीं दे पा रही थीं, क्योंकि मुझे तुझसे सहानुभूति जताने के लिए कोई वर्ड हीं नहीं मिल रहा था।"

         "अब तो मुझे पूरा यकीन हो गया हैं कि तेरी मेंटली कंडीशन ठीक नही हैं, क्योंकि कोई भी नार्मल लड़की उस लड़की के साथ कभी कोई सिम्पैथी रख हीं नहीं सकतीं जो उसके प्रजेंट लवर और होनेवाले लाइफ-पार्टनर को देखे और उससे बात किए बिना नहीं रह सकती।"

          "ठीक हैं, मैंने तेरी बात मान लीं। अब तू मुझे ये बता कि तू हर्षित को देखे और उससे बात किए बिना नहीं रह सकती, इसलिए उसके साथ फ्रेंडशीप रखना चाहती हैं, इसमें गलत क्या हैं ? चल, छोड़ इस कोश्चन को और ये बता कि तू हम लोगों की तरह मिडिल क्लास फेमिली की लड़की होतीं और तू हर्षित से शादी कर लेती और मैं उसकी बचपन की फ्रेंड होने के नाते उसके साथ फ्रेंडशीप रखती तो तू हम दोनों की फ्रेंडशीप पर कोई ऑब्जेक्ट करतीं ?"

          "नहीं।"

          "तो फिर तू मुझसे ये क्यूँ एक्सपेक्ट कर रही हैं कि मैं तुम दोनों की फ्रेंडशीप पर ऑब्जेक्ट करूँगी ?"

          "क्योंकि हम दोनों एक-दूसरे के बीच फ्रेंडशीप होने से पहले अफेयर था।"

           "अब तो नहीं हैं न ?"

           "नहीं।"

           "रखना भी मत, नहीं तो मारूँगी कम और घसीटूँगी ज्यादा, डू यू अंडरस्टैंड ?"

            "हाँ, पर तू ......।"

            "यार मानसी, कितना बोलती हैं तू ? तेरी बातें सुन-सुनकर मेरे कान पक गए लेकिन तेरी बातें खत्म नहीं हुई। अब मैं तेरी कोई भी बात नहीं सुनूँगी।"

             "ठीक हैं, मत सुन, पर तू वो बात तो बता दे जिसके लिए तूने मुझे बुलाया था।"

             "जरूर बताऊँगी, लेकिन टी-ब्रेक के बाद। फिलहाल तो मैं किचन में जा रही हूँ।"

             "क्या मैं भी तेरे साथ आ सकती हूँ ?"

             "व्हाय नाॅट, तेरा हीं घर हैं। जहाँ तेरा आने-जाने का मन करें, बिना पूछे आ-जा सकती हैं।"

             "क्या तू अपने ससुराल जाएगी और मैं वहाँ तुझसे मिलने आऊँगी, तब भी यही बात मेरे लिए कहेगी ?"

             "ऐसा ख्वाब में भी मत सोचना।"

             "क्यों, तेरा ये घर मेरा हो सकता हैं तो वो घर तेरे साथ मेरा क्यों हो सकता ?"

              "इसलिए, क्योंकि मेरी बहन जैसी दोस्त होने की वजह से तू भी मेरे जैसी इस घर की बेटी हैं लेकिन मेरी बहन या दोस्त होने की वजह से तू उस घर की मेरी तरह बहू नहीं हो सकती।"

              "अरे, लेकिन .....।"

              "मानसी, नो मोर कोश्चन। जस्ट साइलेंट्ली फाॅलो मी।" कहकर निक्की उठी और अपने घर के किचन में चली गई। मानसी उठकर उसके पीछे-पीछे किचन में चली गईं।

                             ...................

         "एक्चुअली, बात ये हैं कि जबसे मैंने काॅलेज छोड़ा हैं, मेरी फेमिली के काफी रिलेटिव्ज मेरे पेरेन्ट्स पर अपने-अपने टच के लड़कों के साथ मेरा रिश्ता तय करने के लिए परेशान कर रहे हैं, इसलिए मेरे पेरेन्ट्स चाह रहे हैं कि वे मेरी हर्षित के साथ जल्दी से जल्दी से शादी कर दे और आए दिन अपने रिलेटिव्ज से नए-नए बहाने बनाकर पीछा छुड़ाने की प्राॅब्लम से हमेशा के लिए छुटकारा पा लें।" काफी का प्याला हाथ में लेकर इत्मीनान से बैठने के बाद निक्की ने अपनी बात शुरू की।

         "तो इसमें प्राॅब्लम क्या हैं ? हर्षित भी तो तेरे साथ कभी भी करने के लिए तैयार है।" मानसी ने काॅफी की चुस्कियो के बीच उसकी बात का जवाब दिया।

          "हाँ, वो तैयार हैं, बट उसकी मम्मा उसे किसी भी लड़की से शादी करने की परमिशन देने के लिए तैयार नहीं हैं, पर ये हम लोगों प्राॅब्लम नहीं हैं क्योंकि उसकी मम्मा को तैयार करने का बर्डन हम लोगों ने उसकी बुआ पर डाल दिया हैं। हम लोगों की प्राॅब्लम ये हैं कि मेरे पेरेन्ट्स तब तक हर्षित के साथ मेरी शादी करने के लिए तैयार नहीं होंगे, जब तक कि उसे कोई अच्छी सैलरी वाला जाॅब नहीं मिल जाता। फिलहाल वो एक पब्लिक स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर का जाॅब कर रहा हैं जिससे मिलनेवाली सैलरी से मेरे पेरेन्ट्स बिलकुल भी संतुष्ट नहीं हैं। उन्हें लगता हैं कि इतनी सैलरी में हम दोनों का मेंटेनेन्स नहीं हो पाएगा। मैंने उन्हें काफी समझाया कि मैं मैनेज कर लूँगी या इनसफिएंट लगेगी तो खुद भी कोई जाॅब करके ये प्राॅब्लम साॅल्व कर लूँगी, लेकिन मेरे पेरेन्ट्स और खासतौर पर मेरी मम्मी अपनी कंडीशन हटाने के लिए तैयार नहीं हैं।"

          "तो हर्षित से कहो कि कोई अट्रेक्टिव सैलरी वाला जाॅब ढूँढ ले।"

          "अरे यार, तू तो जानती हैं न उसे, फिर ......।"

          "समझ गई। वो अक्सर कहता था कि इंसान को जाॅब सिर्फ अपनी जरूरतों को पूरा करने लिए नहीं बल्कि समाज के व्यापक हितों की पूर्ति के लिए या कम से कम कुछ लोगों के हितों की पूर्ति के लिए जनसेवा टाइप का कोई जाॅब करना चाहिए और अपनी इसी सोच को अमल में लाते हुए कुछ बच्चों का फ्यूचर ब्राइट करने के लिए ये जाॅब कर रहा हैं और इसे तब तक छोड़कर कोई और जाॅब ऑफर एक्सेप्ट नहीं करेगा, जब तक उसे ये न लगे कि उसकी जरूरत दूसरी जगह ज्यादा हैं, एम आई राइट ?"

            "राइट।"

           "डोंट वॅरी, मैं तुझे हर्षित के उसूलों और अपने पेरेन्ट्स की महत्वाकांक्षाओं की चक्की के दो पाटो के बीच नहीं पिसने दूँगी। तू ये समझ ले कि तेरी प्राॅब्लम साॅल्व हो गई।"

           "अरे, बट हर्षित .......।"

           "उसे मेरे डैड अपने हिसाब से हैंडल कर लेंगे। डैड को हर्षित जैसे हीं एक एम्प्लाई की जरूरत हैं, इसलिए वे हर्षित को अपनी कम्पनी में जाॅब करने के लिए कन्वेंस करने में खुद हीं इन्ट्रेस्ट दिखाएँगे, बस मुझे उन्हें हर्षित के कैरेक्टर और उसकी क्वालिटिज के बारे में बताना हैं। अब मैं जा रही हूँ। थैंक्स फाॅर नाइस काॅफी।"

            "थैंक यू सो मच टू फाॅर योर सो वेल्युबल हेल्प।" निक्की का जवाब सुनने के बाद मानसी ने 'बाय' कहकर अपनी जगह छोड़ दीं।
                            ..................

        "हर्षित ?" गेट पुश करके कैबिन के अंदर दाखिल होते हीं हर्षित से अंदर बैठे पचपन-छप्पन वर्षीय शख्स ने सवाल किया।

        "जी हाँ।" हर्षित ने विनम्र लहजे में जवाब दिया।

        "आओ, बैठों।"

        "थैंक्स।" कहकर हर्षित कैबिन में बैठे शख्स के सामने बैठ गया और उस शख्स की ओर जिज्ञासाभरी निगाहों से देखने लगा।

         "मैंने तुम्हे मेरी बेटी मानसी की जिंदगी से दूर हो जाने की मुँह माँगी कीमत देने के लिए बुलाया हैं। बोलो, मेरी बेटी की जिंदगी से हमेशा के लिए निकल जाने की क्या कीमत लोगे ?" कुछ पलों के इंतज़ार के बाद विकास की जिज्ञासा का समाधान हो गया।

        "सिर्फ बीस लाख।" हर्षित ने सामने बैठे शख्स के सवाल का कुछ देर तक सोच-विचार करने के बाद जवाब दिया।

        "तुम्हारा एकाउंट किस बैंक में हैं ?"

        "सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में।"

        "ये लो।" मेज के ड्रावर से चेकबुक निकालकर एक चेक में जरूरी प्रविष्ठियों फिल-अप करने के बाद हर्षित की ओर बढ़ाते हुए कहा।

        "थैंक्स।" हर्षित ने चेक लेते हुए भावहीन स्वर में कहा और चेक को बिना देखे हीं फोल्ड करके अपनी शर्ट के जेब के हवाले कर दिया।

       "अब तुम जा सकते हो।" हर्षित को जाने की अनुमति मिलते हीं वह भावहीन चेहरा लिए बाहर निकल गया।

        "बेटा, ये तो हमारे पिछले जीएम से भी बड़ा खिलाड़ी निकले ? बीस लाख जैसे हेवी एमाउंट का चेक ऐसे लेकर रख लिया, जैसे कोई कोई मामूली कागज का टुकड़ा हो। अब क्या कहना हैं तुम्हारा इसके बारे में ?" हर्षित के बाहर निकलने के कुछ क्षणों के बाद कैबिन में बैठे शख्स ने अपने सामने मौजूद कम्प्यूटर स्क्रीन की ओर देखकर कहा।

         "बस इतना हीं कहूँगी कि आप उसे जितना बड़ा खिलाड़ी समझ रहें हैं, वो उससे कई गुना ज्यादा बड़ा खिलाड़ी हैं।" कम्प्यूटर स्क्रीन पर नजर आ रही मानसी ने जवाब में मुस्कराते हुए कहा।

       "क्या मैं तुम्हारे कहने का मतलब जान सकता हूँ ?"

       "आपने जो चेक हर्षित को दिया, उसकी वैलिडिटी तीन माह की हैं न ?"

        "हाँ, लेकिन मैंने उसे दो माह तेईस दिन पीछे की डेट डालकर दिया हैं, इसलिए अगले वन वीक तक हीं वैलिड रहेगा।"

        "तो आपको मेरी बात का मतलब जानने के लिए वन वीक तक इंतजार करना पड़ेगा।"

        "मैं तुम्हारी बात का मतलब समझ गया। तुम ये सोच रही हो कि वो मेरा दिया हुआ चेक यूज नहीं करेगा, हैं न ?"

        "हाँ।"

        "अब मैं एस के गुप्ता तुम्हें अपना अनुमान बताता हूँ। मेरा अनुमान हैं कि वो आज अपने एकाउंट में मेरा दिया हुआ चेक जमा करके आज हीं चेक का एमाउंट विड्राल कर लेगा। मुझे उसका कैरेक्टर के टेस्ट का रिजल्ट जानने का बेसब्री से इंतजार हैं, इसलिए मैंने उसे उसी बैंक का चेक दिया हैं, जिसमें उसका एकाउंट हैं, नहीं तो मैं उसे अपनी सुविधा अनुसार किसी भी बैंक का चेक दे सकता था। हाँ, लेकिन तुम उसे ये मत बताना कि मैंने इतनी बड़ी रकम उसके कैरेक्टर का टेस्ट लेने के लिए दाँव पर लगाई हैं ?"

         "डोंट वरी डैड, मैं आपसे किया हुआ प्राॅमिश नहीं तोड़ूँगी। मैं उसे ये बताना तो दूर की बात हैं, उससे कोई भी बात नहीं करूँगी एंड आई रिक्वेस्ट टू यू कि आप अपने दिए चेक एमाउंट के लिए बिल्कुल भी टेंशन मत लीजिए, क्योंकि वो उस चेक को विड्राल नहीं करेगा और बाइ चांस किसी वजह से उसने विड्राल कर भी लिया तो मैं उससे वो एमाउंट इमिजेटली आपको वापस दिला दूँगी।"

          "ओके बेटा, मैं तुमसे थोड़ी देर बाद बात करता हूँ। अभी मुझे अपने किसी दूसरे एकाउंट से कुछ एमाउंट उस एकाउंट में ट्रांसफर करना हैं, जिसका चेक उसे दिया हैं क्योंकि उस एकाउंट में चेक के एमाउंट जितना एमाउंट नहीं होगा।"

           "ओके डैड।" कहने के बाद मानसी स्क्रीन से गायब हो गई।
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RE: चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger' - by pastispresent - 10-03-2019, 12:16 AM



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