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Non-erotic चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger'
#20
  "थैंक यू सो मच हर्षित, थैंक्स मानसी एंड थैंक यू पंकज फाॅर हेल्प मी।" निधि ने बारी-बारी से हर्षित, मानसी और पंकज की ओर कृतज्ञ निगाहों से देखकर आभार व्यक्त किया।

        "निधि, सिर्फ थैंक्स बोलने से काम नहीं चलेगा।" जवाब में मानसी कहा।

        "तो और क्या करना होगा मुझे ?"

        "इसे कप काॅफी पिलानी पड़ेगी और पंकज को एक कप चाय। मुझे छोड़कर मेरी कम्पनी का कोई भी शख्स किसी भी तरह की कोई सर्विस फ्री आफ कास्ट नहीं देता हैं।" निधि की बात का मानसी से पहले हर्षित ने हीं जवाब दे दिया।

         "ओ गाॅड ! मैं तो उस कमीने के चंगुल से आजाद होने और उसकी जमकर धुलाई करने की खुशी में तुम लोगों से चाय-काॅफी के लिए पूछना हीं भूल गई, आई एम सो साॅरी। तुम लोगों ने ये जरूर सोचा होगा कि ये लड़की भी कितनी सेल्फिस हैं, हम लोगों की इतनी बड़ी हेल्प के बदले सिर्फ थैंक्स बोलकर खिसका रही थीं। तुम लोग पाँच मिनट बैठों, मैं सबके लिए चाय-काॅफी लेकर आती हूँ। हर्षित, तुम भी अपनी च्वाइस बता दो।"

          "जो तुम अपने लिए लेकर आओगी, वही मेरे लिए भी ले आना। और सुनो ...।"

           "बोलो ...?"

          "क्या मैं इस हाल में लगे कैमरे में हुई रिकॉर्डिंग एक दिन के लिए अपने पास रख सकता हूँ ? एक्चुअली, मैं ये रिकार्डिंग बबलू की गर्लफ्रेंड रवीना को दिखाना चाहता हूँ ताकि वो बबलू की असलियत जान ले और उसके चंगुल से खुद भी निकल जाएँ और अपने ग्रुप की दूसरी लड़कियों को उससे अलर्ट रहने के लिए कह दे।"

          "हर्षित, तुम सबके बारे कितना सोचते हो। यू आर रियली ग्रेट पर्सन। तुम्हें ये रिकार्डिंग जितने दिनों के लिए अपने पास रखनी हैं, रख लो। हाँ, इसकी एक काॅपी मेरे लैपटाप में डाल देना, ताकि मुझे कभी उस कमीने चेतन के साथ बिताए वक्त को लेकर अपराधबोध या शर्मिन्दगी महसूस हो तो मैं उसकी सैंडिल से की गई धुलाई वाला स्केन देखकर खुद को तसल्ली दे दिया करूँगी।"

         "ठीक हैं, तुम मुझे अपना लैपटाप लाकर दे दो, मैं अभी एक काॅपी उसमें डाल देता हूँ।"

        "पहले मैं तुम लोगों के लिए चाय-काॅफी ले आती हूँ फिर लाकर दे दूँगी।"

       "ओके।" हर्षित का जवाब सुनने के बाद निधि अपने घर के किचन में चली गई।

                             ...............

         "हर्षित, तुमने क्लासरूम में जाने से पहले जो निधि के घर की कल की रिकार्डिंग रवीना को दिखाई थीं, उसका इतना जबर्दस्त रिसपांस मिला हैं कि सुनकर तुम भी हैरान हो जाओगे।" अपने काॅलेज के कैम्पस में एक पेड़ के नीचे खड़े हर्षित के पास आकर मानसी ने बताया तो हर्षित उत्सुकता से उसके चेहरे की ओर सवालिया निगाहों से देखना लगा।

          "रवीना ने सौ-डेढ़ सौ स्टूडेंट्स के सामने बबलू की अपनी सैंडिल से वैसी हीं जबर्दस्त धुलाई की, जैसी कल निधि ने अपने घर पर चेतन की थीं। इस धुलाई के बाद से अभी तक बबलू इस काॅलेज में कहीं नजर आया। मुझे लगता हैं कि अब वो या काॅलेज चेंज कर लेगा या फिर सिर्फ एग्जाम देने आएगा।"

         "यानि, तुम्हारा स्टूडेंट यूनियन का प्रेसीडेंट बनना तय हो गया ?"

          "इस इलेक्शन में सिर्फ मेरा हीं जीतना तय नहीं हुआ, बल्कि हमारी पैनल से चेतन को छोड़कर बाकि सभी कैंडिडेट्स का जीतना तय हो गया हैं क्योंकि रवीना उसके सारे सपोर्टर्स से उसकी पोस्ट को छोड़कर बाकि सारी पोस्ट के लिए हमारी पैनल के फेवर में क्राॅस वोटिंग कराने के लिए तैयार हो गई हैं, पर उसकी एक शर्त हैं कि हमें भी उसके फेवर में अपने सपोर्टर्स से क्राॅस वोटिंग करानी पड़ेगी। बताओ कि हमें उसका ऑफर एक्सेप्ट करना हैं या नहीं ?"

          "नहीं।"

          "अरे, वो ऑफ्टर इलेक्शन अपनी पेनल के करीब सिक्स्टी परसेन्ट मेम्बर्स के साथ हमारी पेनल में शामिल होने के लिए भी एग्री हैं। यदि ऐसा हुआ तो हमारे कन्ट्री को तोड़ने का ख्वाब पालने वाले लोगों के हाथ का कठपुतली बन चुकी उनकी पेनल की जड़ें इस काॅलेज से हमेशा के लिए उखड़ जाएगी और तुम्हारा काॅलेज की पाॅलिटिक्स में शामिल होने का पर्पस पूरा हो जाएगा।"

          "तुम्हारा कहना बिल्कुल सही हैं, लेकिन इसमें प्राॅब्लम ये हैं कि हम अपने इस पर्पस को अचिव करने के लिए अपनी पैनल के किसी कैंडिडेट का दिल नहीं तोड़ सकते।"

          "चेतन का भी नहीं ?"

           "यू मीन, रवीना के अपोजिट हमारी पैनल से चेतन खड़ा हैं ?"

           "हाँ, तभी तो रवीना इतनी ज्यादा भड़की। उसे बबलू और चेतन की जुगलबंदी के बारे में मालूम होते ही ये बात बिना समझाए हीं समझ में आ गई कि बबलू अपनी अय्याशी के लिए उसकी सीट का सौदा चेतन के साथ कर चुका था।"

           "ऐसा हैं तो रवीना का ऑफर एक्सेप्ट कर लो।"

           "कर लो मतलब, तुम रवीना के साथ बात नहीं करोगे ?"

           "नहीं।"

          "क्यों ?"

          "आठ-दस माह पहले बबलू के ग्रुप में शामिल होने के बाद से वो मुझे रेग्युलरली क्रीटिसाइज कर रहीं और मैं भी इस इलेक्शन में अपनी पेनल के लिए कैम्पेनिंग के दौरान उसे जमकर अपने निशाने पर ले चुका हूँ, इसलिए मुझे उसके साथ डायरेक्ट हाथ मिलाना ठीक नहीं लग रहा हैं।"

         "तो फिर उसके साथ डील भी फाइनल नहीं हो पाएगी क्योंकि उसने एक कंडीशन ये भी रखी हैं कि वो ये डील अपनी ओर से तभी फाइनल करेगी, जब हमारी पैनल की ओर से तुम उससे इस डील के लिए डन करोगे ?"

        "क्यों ?"

        "उसे तुम्हारे अलावा हमारी पेनल के किसी भी मेम्बर पर भरोसा नहीं हैं।"

         "ऐसा हैं तो मैं उससे मिलने के लिए तैयार हूँ बट हम लोगों की मीटिंग सीक्रेट रहना चाहिए।"

          "डोंट वरी, मैं उसे ये बात पहले ही बता चुकी हूँ कि तुम उससे तब तक पब्लिकली मिलने के लिए एग्री नहीं होंगे, जब तक वो ऑफिसियली हमारे संगठन में शामिल नहीं हो जाती।"

         "इस बात पर उसने क्या कहा ?"

         "उसे इस बात से कोई मतलब नहीं हैं कि तुम उससे कहाँ मीटिंग करते हो, उसे तो बस तुम्हारे मुँह से इस डील के लिए डन सुनना हैं।"

         "तो ऐसा करों, फोन पर ही उसकी मुझसे बात करा दो।"

         "ठीक हैं, बट एक-डेढ़ घंटे बाद कराऊँगी क्योंकि अभी हमारे लिए निक्की के घर जाना ज्यादा जरूरी हैं।"

          "किसलिए ?"

          "उसकी तबीयत काफी सीरियस हैं।"

          "ये बात उसने काॅल करके तुम्हें बताई ?"

          "नहीं, वो आज काॅलेज नहीं आयी, इसलिए से मैंने ही उसके काॅलेज न आने की वजह जानने के लिए उसे काॅल की थीं। बताओ, हम लोग उसके घर अभी जा रहे या कुछ देर बाद ?"

           "यार, तुम किसी और को लेकर उसके घर चली जाओं, मैं .........।"

          "हर्षित, मैंने तुमसे एडवाइज नहीं माँगी, उसके घर जाने के लिए टाइम पूछा हैं।"

          "अरे, लेकिन मैं उसके घर जाकर क्या करूँगा ?"

          "तुम्हें उसका हालचाल पूछना हैं और उसके साथ ऑनेस्टली अपने रिलेशन पहले की तरह ठीक करना हैं।"

          "मानसी, दिस इज नाॅट पाॅसिबल।"

          "तुम्हें ये करना पड़ेगा क्योंकि तुम्हारी नेग्लीजेंसी की वजह से वो अंदर से पूरी तरह से टूट चुकी हैं और तुमने उसे जल्दी से सहारा नहीं दिया तो हो सकता हैं कि .....।"

          "ऐसा हैं तो मैं तुम्हारे साथ उसके घर चलने के लिए तैयार हूँ बट आर यू श्योर कि वो बीमार होने का नाटक नहीं कर रही हैं ?"

           "आई एम एब्सॅल्यूटली श्योर कि वो नाटक नहीं कर रही हैं, क्योंकि उसे नाटक करना होता तो उस समय से हीं स्टार्ट कर देती, जिस समय हम दोनों को रागिनी दी के अंकल के घर पर उस एलीगेशन के फाॅल्स होने का अहसास हुआ था जो उसने तुम्हारी कजिन के बहकावे में आकर तुम पर लगाया था, क्योंकि उस समय उसे रोते देखकर मैंने उससे कहा था कि वो बेहोश हो जाने की एक्टिंग करेगी तो मैं तुम्हें बुलाकर उसे तुमसे बड़ी आसानी से माफी दिला दूँगी, लेकिन उसने साफ शब्दों में ऐसा करने से इनकार कर दिया। सो आई थिंक, शी इज सो ऑनेस्ट गर्ल।"

          "उसकी ऑनेस्टी पर मुझे भी कोई डाऊट नहीं हैं, बट ....।"

           "हर्षित, मैं आज तुम्हारा कोई बट-वट नहीं सुनूँगी, डू यू अंडरस्टैंड ?"

            "यस मैडम।"

            "तो अब ऑर्गुमेंट एंड करों और सीधे मेरे साथ चलो।"

            "जी मैडम, आइए।" कहकर हर्षित काॅलेज की पाॅर्किंग की ओर चल पड़ा।
                          ....................

          "अरे, तू गेट पर क्यूँ खड़ी हैं, मेरे पास आ न। मैं कब से तेरा इंतजार कर रही हूँ ?" मानसी पर नजर पड़ते हीं निक्की ने उससे आत्मीयता के साथ डाँटते हुए कहा। साथ हीं पलभर पहले तक उसके चेहरे पर नजर आ रहें गहरी पीड़ा के चिन्ह अचानक गायब हो गए।

         "अरे, लेकिन मैंने तो तुझे फोन पर ये बताया ही नहीं था कि मैं तुझसे मिलने आ रही हूँ, फिर भी तू मेरा इंतजार कर थीं ?" मानसी ने अपने हाथ का फलों का थैला कमरे में मौजूद टेबल पर रखने के बाद पलंग पर लेटी निक्की के करीब आते हुए आश्चर्य व्यक्त किया।

        "तूने बताया नहीं था, फिर मैं जान गई थीं कि तू मुझसे मिलने आनेवाली हैं। अरे, तू खड़ी क्यूँ हैं, बैठ न।"

         "कैसी हैं तू ?" निक्की के आग्रह मानसी ने पलंग पर उसके साइड में बैठकर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा।

         "तेरे आने से पहले तक तन और मन दोनों में काफी दर्द महसूस हो रहा था, पर तुझे देखने के बाद से काफी रिलीफ महसूस हो रहा हैं।"

         "कुछ पलों के बाद तेरे तन और मन का बचा हुआ पेन पूरी तरह से गायब हो जाएगा।"

        "क्यूँ, तू मेरी लिए कोई जादुई बूटी लेकर आयी हैं क्या ?"

         "हाँ।"

         "अरे, तू खड़ी क्यूँ हो गई, चार-पाँच किलोमीटर का सफर करके मुझसे मिलने आयी हैं तो दस-पंद्रह मिनट तो मेरे पास बैठकर बातें कर।"

          "सिर्फ दस-पंद्रह मिनट नहीं, मैं तेरे पास पूरे एक घंटे तक बैठकर बातें करूँगी, लेकिन उस जादुई बूटी से तेरा इलाज करने के बाद, जिसे मैं अपने साथ लेकर आयी हूँ। मैं एक मिनट के अंदर वो बूटी तेरे पास भेज रही हूँ।"

          "अरे, तू मुझे पहले बता तो दे कि ......?" निक्की की बात पर ध्यान न देकर मानसी कमरे से बाहर निकल गई तो निक्की अपनी बात अधूरी छोड़कर कमरे के गेट की ओर उत्सुक निगाहों से देखने लगी।

           चंद पलों के बाद उसे गेट पर हर्षित नजर आया तो उसके चेहरे पर आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता के भाव उभर आएँ।

          "कैसी हो ?" हर्षित ने निक्की के करीब आकर सवाल किया तो निक्की के चेहरे पर एकाएक खुशी की जगह ढेर सारा दर्द नजर आने लगा।

          उसने अजीब-सी निगाहों से हर्षित के चेहरे को देखते हुए अपने हाथ पलंग पर टेककर उठने का प्रयास किया तो हर्षित ने 'लेटी रहो' कहकर उसे रोक दिया और उसके पास बैठकर उसे देखते हुए कहा- "निक्की, ये क्या हालत बना रखी हैं यार ?"

         निक्की ने उस इस सवाल का भी कोई जवाब नहीं दिया। बस पूर्ववत अजीब-सी नजरों बिना पलके झपकाए उसे देखती रही।

         "मुझसे नाराज हो ?" कुछ क्षणों तक उसके जवाब इंतजार करने बाद हर्षित ने उससे एक और सवाल किया, जिसका उसने सिर हिलाकर 'ना' में जवाब दिया। इसके बाद हर्षित ने उससे एक और सवाल किया- "तो फिर मेरे साथ बात क्यों नहीं कर रही हो ?"

        "हर्षित, प्लीज मुझे माफ कर दो।" उसके इस सवाल पर निक्की ने उसका हाथ थामकर बेहद गमगीन स्वर में उससे आग्रह किया।

        "मैं तुम्हें पहले हीं माफ कर चुका हूँ।"

        "तो फिर तुम मुझे लगातार इग्नोर क्यूँ कर रहे हो ? कोई उस लड़की के साथ ऐसा करता हैं क्या, जो उसे अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती हैं ? मुझसे जो गलती हुई हैं  उसकी मुझे चाहो, वो सजा दो, लेकिन प्लीज इस तरह से इग्नोर मत किया करों क्योंकि मैं सबकुछ सह सकती हूँ लेकिन मैं तुम्हारी इग्नोरेंस बर्दाश्त नहीं कर सकती। यदि तुम मेरे साथ अफेयर कन्टिन्यु नहीं रखना चाहते तो मुझे कोई प्राॅब्लम नहीं हैं, पर तुम मेरे साथ ठीक से बात भी नहीं करोगे तो मेरे पास अपनी लाइफ खत्म कर देने के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं बचेगा।" 

          निक्की कीं बातें सुनने के बाद हर्षित गम्भीर स्वर में बोला- "तुम तो कहती थीं कि तुम्हारी जिंदगी अब तुम्हारी नहीं रहीं, मेरी हो चुकी हैं, फिर तुम अपनी कौन-सी जिंदगी को खत्म करने की बात कर रही हो ?"

         "उस जिंदगी की, जिसे तुम उसकी एक गलती की वजह से अपने दिल से पूरी तरह से दूर चुके हो।"

         "मैं उस जिंदगी को वाकई अपने दिल से दूर कर चुका होता तो आज उसका हालचाल जानने क्यों आता ?"

         "इट मीन्स, तुमने मुझे अपने दिल से हमेशा के लिए दूर नहीं किया हैं ?"

        "कोई अपनी परछाई को खुद से दूर कर सकता हैं क्या ?"

        "थैंक यू सो मच हर्षित। तुम्हारे इस एक सेन्टेंस के जवाब ने मुझे इतनी खुशी दी कि तुम इमेजिन भी नहीं कर सकते। तुम्हारे मुँह से यही बात सुनने के लिए हीं तो मेरे कान कब से तरस रहे थे। थैंक यू सो मच वन्स अगेन।"

         "अब मैं जाऊँ ?"

         "अरे, तुम ऐसे कैसे जा सकते हो ? इस बार तुम्हें कुछ खाने-पीने के बाद हीं जाने की परमिशन मिलेगी।"

         "कौन कुछ खिलाएगा-पिलाएगा ? तुम यहाँ बीमार पड़ी हो और आंटी बाहर परेशान बैठी हुई हैं।"

         "डोंट वरी, इस घर में इन दोनों बीमार बेटी और परेशान माँ के अलावा मानसी नाम की एक बेहद क्यूट लड़की भी मौजूद हैं जो न तो बीमार हैं और न परेशान। आज वही तुम्हारी खातिरदारी करेगी, बस बदले में तुम्हें मेरी इस बीमार फ्रेंड को बाथरूम तक ले जाने में मेरी हेल्प करनी पड़ेगी।" एक ट्रे में तीन गिलास जूस लेकर दाखिल हुई मानसी ने ये कहने के बाद अपने हाथ में पकड़ा ट्रे टेबल पर रख दिया और उन दोनो के करीब आकर मानसी से पूछा- "आर यू एग्री फार इट ?"

         "यार, तुमने बिना कोई सर्विस चार्ज लिए किसी को कोई भी सर्विस न देने की कसम खा रखी हैं क्या ?" हर्षित ने उसके सवाल के जवाब में काउंटर कोश्चन किया।

        "हाँ, बट आज अपनी कसम तोड़ रही हूँ क्योंकि मैं इस वक्त अपनी सर्विस के बदले तुम्हारी हेल्प लेकर तुम्हारे लैक्चर्स सुनने के मूड बिल्कुल भी नहीं हूँ। अब सामने से हटो, मुझे इसे फ्रेश कराने के लिए बाथरूम लेकर जाना हैं।" मानसी की बात सुनकर हर्षित पलंग से उठकर खड़ा हो गया।
                           .....................

          "मानसी, अपने मोबाइल पर गेम खेलकर टाइम पास कर, मैं तेरे लिए काॅफी बनाकर लाती हूँ।" कहकर निक्की खड़ी हुई और अपने घर के किचन की ओर मुड़ी, लेकिन एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पायी, क्योंकि पीछे से मानसी ने उसका हाथ पकड़ लिया।

         "तू काॅफी बनाने बाद में जाना, पहले वो जरूरी बात बता जिसके लिए तूने मुझे काॅल करके बुलाया हैं।" मानसी ने उसे वापस उसकी जगह पर बिठाते हुए कहा।

         "अरे यार, मैं सोच रही थी कि तुझे काॅफी पिलाकर तेरा मूड बनाने के बाद तुझसे वो बात कहूँगी तो तुझे ज्यादा अच्छी तरह से समझ में आएगी।"

         "तू मेरा मूड बनाने की टेंशन छोड़कर अपनी बात स्टार्ट कर, क्योंकि तुझसे इतने लांग इंटरवल के बाद मुलाकात होने की वजह से तुझे देखते ही आज मेरा मूड अपने आप हीं बन गया हैं।"

        "मानसी, एक्चुअली मैं एक प्राॅब्लम में फँस गई हूँ जिसका साॅलुशन तेरे पास हैं।"

        "अच्छा तो इस वजह से तूने मुझे मिलने बुलाया हैं। मुझे लगा कि काॅलेज छोड़ने के बाद से हम लोगों की एक भी बार मुलाकात नहीं हुई, इसलिए तूने मुझसे जरूरी बात करने का बहाना बनाकर ऐसे हीं बुलाया हैं। कितनी बेवकूफ हूँ न मैं ?"

        "मानसी, तुझे मेरे बेवजह नहीं बुलाने की बात पर तंज कसना बहुत भारी पड़ेगा, क्योंकि अब मैं तुझे डेली मुझसे मिलने बुलाया करूँगी।"

         "लेकिन अब मैं तुझसे मिलने तेरे घर कभी नहीं आऊँगी।"

         "क्यूँ , मेरे घर में एसी नहीं हैं, इसलिए ?"

         "नहीं, तेरे दिल में मेरी फ्रेंडशीप के लिए कोई रिस्पेक्ट नहीं हैं, इसलिए।"

         "तुझे ऐसा क्यूँ लगता हैं ?"

         "तू मेरे बार-बार बुलाने पर एक बार भी मेरे घर नहीं आयी और बड़ी मासूमियत से पूछ रही हैं कि मुझे ऐसा क्यूँ लगता हैं।"

         "साॅरी यार, मेरा तेरे घर आने का मन तो बहुत करता हैं बट ....।"

          "बट ?"

        
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RE: चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger' - by pastispresent - 10-03-2019, 12:15 AM



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