10-09-2020, 12:15 PM
(This post was last modified: 10-09-2020, 12:35 PM by sanskari_shikha. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
सुबह 6 बजे मेरा फ़ोन बजा, इतनी सुबह कोन परेशान कर रहा है, मैंने फ़ोन उठाया तो अंशिका का था, मैं हैरान था क्योंकि उसने इतनी सुबह कभी फ़ोन नहीं किया था.
मैं: हेल्लो...गुड मोर्निंग
अंशिका: (हँसते हुए) गुड मोर्निंग मेरी जान, उठ गए
मैं: तुम्हारे फ़ोन ने उठाया है, वर्ना तुम जानती हो की मैं किस समय उठता हूँ.
अंशिका: हाँ...मुझे मालुम है..पर क्या करूँ, तुम्हारी याद ही ऐसे टाइम पर आई की मैंने सोचा फ़ोन कर ही लेना चाहिए
मैं: क्यों ...ऐसा क्या हुआ सुबह-सुबह, की मेरी याद आ गयी
अंशिका: मैं बाथरूम में हूँ, और नहा रही हूँ और मैंने सोचा की मैं नीचे की शेव कर लूं. तुम्हे पसंद है न क्लीन शेव.
मेरा तो लंड खड़ा हो गया उसकी बात सुनकर... साली कितना तडपाती है, इस तरह की बाते सुनाकर..
मैं: वाव...मतलब तुम अपनी चूत के बाल साफ़ कर रही हो....
अंशिका (शरारती हंसी में): हाँ बाबा हाँ... सिर्फ तुम्हारे लिए.
मैं: काश मैं भी वहां होता...अच्छा सुनो क्या पहना हुआ है तुमने इस समय.
अंशिका (हलके गुस्से में): क्या पहना है का क्या मतलब... अभी बोला न, नहा रही हूँ, तो क्या कुछ पहनकर नहाउंगी.
मैं: ओ तेरी... मतलब पूरी नंगी हो..
अंशिका कुछ न बोली
मैं: अच्छा तो काट लिए क्या... तुमने अपनी चूत के बाल
अंशिका: नहीं, पहले ट्रिमिंग करी और अब हेयर रेमोविंग क्रीम लगायी है वहां... पांच मिनट बाद अपने आप साफ़ हो जायेंगे.
मैं: म्मम्मम मेरे तो मुंह में पानी आ रहा है तुम्हारी चिकनी चूत के बारे में सोचकर
अंशिका: ज्यादा पानी लाने की जरुरत नहीं है, तुम अपने घर हो और मैं अपने, कुछ होने वाला तो है नहीं.
मैं: तो फिर फ़ोन क्यों किया, मेरी सुलगाने के लिए क्या?
अंशिका: अरे तुम तो बुरा मान गए..मैंने सोचा तुम्हे अच्छा लगेगा ये जानकार..इसलिए किया इतनी सुबह फ़ोन, जानते हो, जब मैंने क्रीम लगा ली तो मैंने सोचा की तुम्हे फ़ोन करा जाए, और मैं बिना कपड़ो के बाहर गयी अपने कमरे में और फ़ोन उठा कर वापिस आई.
मैं: अच्छा, बड़ा बहादुरी का काम किया है तुमने तो..
अंशिका: अच्छा चलो, अब मैं रखती हूँ, पांच मिनट हो चुके हैं, मुझे नहाना भी है और कॉलेज भी जाना है, तुम सो जाओ.
मैं: नहीं... पहले नीचे साफ़ करो और मुझे बताओ की कैसी लग रही है तुम्हारी चूत इस समय.
अंशिका: तुम सुबह-सुबह अपनी जिद करनी शुरू कर देते हो...रुको, अभी बताती हूँ.
थोड़ी देर तक सिर्फ पानी की आवाज आई और उसके बाद अंशिका की
अंशिका: हाँ हो गयी, एकदम साफ़, अब कोई भी बाल नहीं है, लाल हो रही है अभी तो, क्रीम लगाने की वजह से.
मैं: यानी मेरे चूसने के लिए बिलकुल तैयार है तुम्हारी चूत, कब आऊ मैं.
अंशिका: ज्यादा उड़ने की जरुरत नहीं है. जब मौका मिलेगा तब देखेंगे. अब मैं रखु क्या?
मैं: नहीं, अब तुमने सुबह-सुबह मेरा लंड खड़ा कर दिया है, मुझे मास्टरबेट करना होगा और तुम भी करो मेरे साथ
अंशिका: क्या....इतनी सुबह, मुझे कॉलेज में जाने में देर हो जायेगी.
मैं: तुम उसकी फिकर मत करो, अब तुमने मुझे उठा ही दिया है तो मैं ही तुम्हे कॉलेज छोड़ आऊंगा, बाईक पर, जितनी देर में तुम तैयार होगी, मैं वहां आ जाऊंगा.
अंशिका: तुम न...अच्छा बोलो, क्या करूँ मैं.
मैं: एक मिनट, मैं अपने लंड को तो बाहर निकाल लूँ... हाँ... अब मेरे लंड पर एक किस्स करो.
अंशिका: लो..पुच..
मैं: गुस्से में नहीं मेरी जान...प्यार से..
अंशिका: ओके बाबा...पुच पुच..अब ठीक है
मैं: हाँ, अब शावर चलाओ नहाना शुरू करो, अपना सर बचाकर और मोबाइल भी, ताकि मुझसे बात भी करती रहो साथ ही साथ..
शावर चलने की आवाज आई
अंशिका: ठीक है, अब बोलो..
मैं: अब साबुन उठाओ और अपने शारीर पर लगाओ..और ये समझो की मैं लगा रहा हूँ, और खासकर अपनी ब्रेस्ट को अच्छी तरह से साबुन लगाना, वो मुझे सबसे प्यारी लगती हैं...तुम्हे मालुम है न.
अंशिका: हाँ बाबा...मालुम है, मेरी तो कोई वेल्यु ही नहीं है.
मैं: अब अपनी चूत पर भी काफी सारा झाग लगाओ और उसे अच्छी तरह से साफ़ करो.
अंशिका: ये तो मैं रोज ही करती हूँ, इसमें नया क्या है.
मैं: आज मैं: ये सब कर रहा हूँ, भूल गयी क्या..
अंशिका: ओह..हाँ..लो कर लिया, अब..
मैं: अब अपनी दो उँगलियाँ अन्दर डालो..
अंशिका: डाल ली..अब..
मैं: अब धीरे-धीरे अपनी क्लिट की मसाज करो..
अंशिका: उफ्फ्फ्फ़ .... क्या करवा रहे हो सुबह-२
मैं: अब एक और ऊँगली डालो अन्दर
अंशिका: नहीं जायेगी...दर्द होगा..
मैं: डालो न...कुछ नहीं होगा..
उसने ऊँगली अन्दर डाली.
अंशिका: अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ...थोडा दर्द हो रहा है..
मैं: तीन उँगलियाँ नहीं डाली जा रही, जब मेरा लंड जाएगा अन्दर तो क्या करोगी.
अंशिका: मुझे उसका ही डर लग रहा है..पता नहीं तब क्या होगा.
मैं: अच्छा वहां कोई हेयर ब्रुश रखा है क्या.
अंशिका: हाँ...है, क्यों.
मैं: उसे उठाओ और उसके पीछे वाले हिस्से को अपनी चूत के अन्दर डालो.
अंशिका: तुम न मुझे मरवाओगे..वो कहाँ जाएगा अन्दर, काफी मोटा है..
मैं: अरे बाबा , पूरा मत डालना, सिर्फ आगे का हिस्सा डालो.
अंशिका: रुको...हाँ..डाल लिया..ओह्ह्ह्ह ये तो बड़ा हो मोटा है.
मैं: अब उसे धीरे-धीरे अन्दर बाहर करो, और सोचो की ये मेरा लंड है जो तुम्हारी चूत के अन्दर जा रहा है, अन्दर का गीलापन समेट कर बाहर निकाल रहा है..और अपने अन्दर से ढेर सारा रस जब ये तुम्हारी चिकनी चूत के अन्दर निकलेगा तो वो अन्दर जाकर तुम्हे प्रेग्नेंट कर देगा...
अंशिका: ओफ्फ्फ्फ़ विशाल्ल्ल.....क्या कर रहे हो...अह्ह्हह्ह ....मुझे कुछ हो रहा है...अह्ह्ह्हह्ह ....ओह्ह्ह विशाल्ल्ल...आई एम् कमिंग...अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह
उसके ये कहते ही मेरे लंड ने भी पिचकारियाँ मारनी शुरू कर दी, हम दोनों कुछ देर तक हाँफते रहे और फिर अंशिका की आवाज आई
अंशिका: सात बजे स्टेंड पर आ जाना.
और उसने फ़ोन कट कर दिया.
मैंने थोड़ी देर लेटा रहा, और फिर उठा और नहाने चल दिया, नहाकर आया तो देखा की सात बजने में दस मिनट है, मैंने बाईक उठाई और सीधा स्टेंड पर पहुंचा, अंशिका आई और मैंने उसे कॉलेज के पास उतारा. पुरे रास्ते वो मुझे कस कर पकडे रही और कुछ न बोली.
वो उतरी और अन्दर चली गयी, उसके जाते ही मेरे पास एक कार आकर रुकी. वो किटी मैम की थी.
किटी: हेल्लो विशाल, कैसे हो.
मैं: आई एम् फाईन मेम... थेंक्स.
किटी: तो आज भी तुम अंशिका को छोड़ने आये हो, हूँ..
मैं: हाँ मेम..वो दरअसल उसे लेट हो रहा था, इसलिए..
किटी: मैं देख रही हूँ की वो तुम्हे कितना परेशान करती है, अच्छा सुनो, मेरी बेटी का बर्थडे है कल सन्डे को, तुम भी आ जाना अंशिका के साथ..मुझे अच्छा लगेगा.
मैं: स्योर मैम... मैं आ जाऊंगा... पर वो अंशिका को...
किटी: उसे मैं बोल दूंगी, वैसे भी वो तुम्हे ही बोलेगी मेरे घर पर छोड़ने के लिए और वापिस ले जाने के लिए, तो क्यों न तुम भी पार्टी के मजे लो.. ठीक है.. आना जरुर.
और ये कहकर वो चली गयी कॉलेज के अन्दर
मेरी तो मन मांगी मुराद पूरी हो गयी.
दोपहर को अंशिका का फ़ोन आया
मैं: हाय...क्या कर रही हो..
अंशिका: वाल्क..खाना खाने के बाद वाली...अच्छा सुनो, आज तुम्हे किटी मेम मिली थी क्या सुबह.
मैं: हाँ...और उन्होंने मुझे अपने घर पर भी बुलाया है...बर्थडे पर.
अंशिका: और तुमने हां कर दी..
मैं: और क्या करता, इतने प्यार से जो बुला रही थी वो..तुम्हे क्यों जलन हो रही है. तुमने भी तो कहा था की तुम बात करोगी उनसे, मेरे वहां आने के लिए, और अब जब उन्होंने सीधा मुझे कह दिया है तो ये तो और भी अच्छी बात है न.
अंशिका: नहीं मेरा मतलब वो नहीं था...खेर..अब उन्होंने बोल ही दिया है तो..ठीक है..कल आ जाना मेरे घर, वहीँ से चलेंगे एक साथ.
मैं: ठीक है, और सुनाओ, आज सुबह मजा आया के नहीं..
अंशिका: तुम न उसके बारे में मुझसे बात न ही करो तो अच्छा है, सुबह-सुबह मुझसे पता नहीं क्या-क्या करवा दिया, मैंने इतनी सुबह आज तक फिंगरिंग नहीं की अपनी लाईफ में और तुमने तो नाजाने क्या क्या...वो ब्रुश भी... कहाँ से आते हैं ये सब खयालात तुम्हारे दिमाग में..
मैं: अरे, मेरा दिमाग तो तरह-तरह से सेक्स करने के लिए तरीके बनाने वाली फेक्टरी है, तुम देखना अभी और क्या-तरह निकलता है इस सेक्स के कारखाने से..
अंशिका: हाँ, और कुछ तो आता है नहीं तुम्हे, इतना ध्यान पढाई में भी लगा लिया करो...
मैं: तुम फिर टीचर की तरह शुरू हो गयी..
अंशिका: टीचर हूँ , तभी ऐसा कह रही हूँ.. अच्छा रखती हूँ अभी, लंच टाइम ओवर, शाम को बात करती हूँ. बाय..
मैं: बाय..
अब तो मैं कल का इन्तजार कर रहा था, कल उसने मुझे अपने घर पर दोबारा बुलाया है, और फिर किटी मेम के घर जाना और वापिस आना, यानि इस सबमे कुछ तो मौका मिलेगा ही, क्या पता चूत मारने को भी मिल जाए और मेरी जेब में पड़े हुए कंडोम की बारी भी आ जाए... मैं फिर से अपने ख्याली पुलाव बनाने लगा.
मैं: हेल्लो...गुड मोर्निंग
अंशिका: (हँसते हुए) गुड मोर्निंग मेरी जान, उठ गए
मैं: तुम्हारे फ़ोन ने उठाया है, वर्ना तुम जानती हो की मैं किस समय उठता हूँ.
अंशिका: हाँ...मुझे मालुम है..पर क्या करूँ, तुम्हारी याद ही ऐसे टाइम पर आई की मैंने सोचा फ़ोन कर ही लेना चाहिए
मैं: क्यों ...ऐसा क्या हुआ सुबह-सुबह, की मेरी याद आ गयी
अंशिका: मैं बाथरूम में हूँ, और नहा रही हूँ और मैंने सोचा की मैं नीचे की शेव कर लूं. तुम्हे पसंद है न क्लीन शेव.
मेरा तो लंड खड़ा हो गया उसकी बात सुनकर... साली कितना तडपाती है, इस तरह की बाते सुनाकर..
मैं: वाव...मतलब तुम अपनी चूत के बाल साफ़ कर रही हो....
अंशिका (शरारती हंसी में): हाँ बाबा हाँ... सिर्फ तुम्हारे लिए.
मैं: काश मैं भी वहां होता...अच्छा सुनो क्या पहना हुआ है तुमने इस समय.
अंशिका (हलके गुस्से में): क्या पहना है का क्या मतलब... अभी बोला न, नहा रही हूँ, तो क्या कुछ पहनकर नहाउंगी.
मैं: ओ तेरी... मतलब पूरी नंगी हो..
अंशिका कुछ न बोली
मैं: अच्छा तो काट लिए क्या... तुमने अपनी चूत के बाल
अंशिका: नहीं, पहले ट्रिमिंग करी और अब हेयर रेमोविंग क्रीम लगायी है वहां... पांच मिनट बाद अपने आप साफ़ हो जायेंगे.
मैं: म्मम्मम मेरे तो मुंह में पानी आ रहा है तुम्हारी चिकनी चूत के बारे में सोचकर
अंशिका: ज्यादा पानी लाने की जरुरत नहीं है, तुम अपने घर हो और मैं अपने, कुछ होने वाला तो है नहीं.
मैं: तो फिर फ़ोन क्यों किया, मेरी सुलगाने के लिए क्या?
अंशिका: अरे तुम तो बुरा मान गए..मैंने सोचा तुम्हे अच्छा लगेगा ये जानकार..इसलिए किया इतनी सुबह फ़ोन, जानते हो, जब मैंने क्रीम लगा ली तो मैंने सोचा की तुम्हे फ़ोन करा जाए, और मैं बिना कपड़ो के बाहर गयी अपने कमरे में और फ़ोन उठा कर वापिस आई.
मैं: अच्छा, बड़ा बहादुरी का काम किया है तुमने तो..
अंशिका: अच्छा चलो, अब मैं रखती हूँ, पांच मिनट हो चुके हैं, मुझे नहाना भी है और कॉलेज भी जाना है, तुम सो जाओ.
मैं: नहीं... पहले नीचे साफ़ करो और मुझे बताओ की कैसी लग रही है तुम्हारी चूत इस समय.
अंशिका: तुम सुबह-सुबह अपनी जिद करनी शुरू कर देते हो...रुको, अभी बताती हूँ.
थोड़ी देर तक सिर्फ पानी की आवाज आई और उसके बाद अंशिका की
अंशिका: हाँ हो गयी, एकदम साफ़, अब कोई भी बाल नहीं है, लाल हो रही है अभी तो, क्रीम लगाने की वजह से.
मैं: यानी मेरे चूसने के लिए बिलकुल तैयार है तुम्हारी चूत, कब आऊ मैं.
अंशिका: ज्यादा उड़ने की जरुरत नहीं है. जब मौका मिलेगा तब देखेंगे. अब मैं रखु क्या?
मैं: नहीं, अब तुमने सुबह-सुबह मेरा लंड खड़ा कर दिया है, मुझे मास्टरबेट करना होगा और तुम भी करो मेरे साथ
अंशिका: क्या....इतनी सुबह, मुझे कॉलेज में जाने में देर हो जायेगी.
मैं: तुम उसकी फिकर मत करो, अब तुमने मुझे उठा ही दिया है तो मैं ही तुम्हे कॉलेज छोड़ आऊंगा, बाईक पर, जितनी देर में तुम तैयार होगी, मैं वहां आ जाऊंगा.
अंशिका: तुम न...अच्छा बोलो, क्या करूँ मैं.
मैं: एक मिनट, मैं अपने लंड को तो बाहर निकाल लूँ... हाँ... अब मेरे लंड पर एक किस्स करो.
अंशिका: लो..पुच..
मैं: गुस्से में नहीं मेरी जान...प्यार से..
अंशिका: ओके बाबा...पुच पुच..अब ठीक है
मैं: हाँ, अब शावर चलाओ नहाना शुरू करो, अपना सर बचाकर और मोबाइल भी, ताकि मुझसे बात भी करती रहो साथ ही साथ..
शावर चलने की आवाज आई
अंशिका: ठीक है, अब बोलो..
मैं: अब साबुन उठाओ और अपने शारीर पर लगाओ..और ये समझो की मैं लगा रहा हूँ, और खासकर अपनी ब्रेस्ट को अच्छी तरह से साबुन लगाना, वो मुझे सबसे प्यारी लगती हैं...तुम्हे मालुम है न.
अंशिका: हाँ बाबा...मालुम है, मेरी तो कोई वेल्यु ही नहीं है.
मैं: अब अपनी चूत पर भी काफी सारा झाग लगाओ और उसे अच्छी तरह से साफ़ करो.
अंशिका: ये तो मैं रोज ही करती हूँ, इसमें नया क्या है.
मैं: आज मैं: ये सब कर रहा हूँ, भूल गयी क्या..
अंशिका: ओह..हाँ..लो कर लिया, अब..
मैं: अब अपनी दो उँगलियाँ अन्दर डालो..
अंशिका: डाल ली..अब..
मैं: अब धीरे-धीरे अपनी क्लिट की मसाज करो..
अंशिका: उफ्फ्फ्फ़ .... क्या करवा रहे हो सुबह-२
मैं: अब एक और ऊँगली डालो अन्दर
अंशिका: नहीं जायेगी...दर्द होगा..
मैं: डालो न...कुछ नहीं होगा..
उसने ऊँगली अन्दर डाली.
अंशिका: अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ...थोडा दर्द हो रहा है..
मैं: तीन उँगलियाँ नहीं डाली जा रही, जब मेरा लंड जाएगा अन्दर तो क्या करोगी.
अंशिका: मुझे उसका ही डर लग रहा है..पता नहीं तब क्या होगा.
मैं: अच्छा वहां कोई हेयर ब्रुश रखा है क्या.
अंशिका: हाँ...है, क्यों.
मैं: उसे उठाओ और उसके पीछे वाले हिस्से को अपनी चूत के अन्दर डालो.
अंशिका: तुम न मुझे मरवाओगे..वो कहाँ जाएगा अन्दर, काफी मोटा है..
मैं: अरे बाबा , पूरा मत डालना, सिर्फ आगे का हिस्सा डालो.
अंशिका: रुको...हाँ..डाल लिया..ओह्ह्ह्ह ये तो बड़ा हो मोटा है.
मैं: अब उसे धीरे-धीरे अन्दर बाहर करो, और सोचो की ये मेरा लंड है जो तुम्हारी चूत के अन्दर जा रहा है, अन्दर का गीलापन समेट कर बाहर निकाल रहा है..और अपने अन्दर से ढेर सारा रस जब ये तुम्हारी चिकनी चूत के अन्दर निकलेगा तो वो अन्दर जाकर तुम्हे प्रेग्नेंट कर देगा...
अंशिका: ओफ्फ्फ्फ़ विशाल्ल्ल.....क्या कर रहे हो...अह्ह्हह्ह ....मुझे कुछ हो रहा है...अह्ह्ह्हह्ह ....ओह्ह्ह विशाल्ल्ल...आई एम् कमिंग...अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह
उसके ये कहते ही मेरे लंड ने भी पिचकारियाँ मारनी शुरू कर दी, हम दोनों कुछ देर तक हाँफते रहे और फिर अंशिका की आवाज आई
अंशिका: सात बजे स्टेंड पर आ जाना.
और उसने फ़ोन कट कर दिया.
मैंने थोड़ी देर लेटा रहा, और फिर उठा और नहाने चल दिया, नहाकर आया तो देखा की सात बजने में दस मिनट है, मैंने बाईक उठाई और सीधा स्टेंड पर पहुंचा, अंशिका आई और मैंने उसे कॉलेज के पास उतारा. पुरे रास्ते वो मुझे कस कर पकडे रही और कुछ न बोली.
वो उतरी और अन्दर चली गयी, उसके जाते ही मेरे पास एक कार आकर रुकी. वो किटी मैम की थी.
किटी: हेल्लो विशाल, कैसे हो.
मैं: आई एम् फाईन मेम... थेंक्स.
किटी: तो आज भी तुम अंशिका को छोड़ने आये हो, हूँ..
मैं: हाँ मेम..वो दरअसल उसे लेट हो रहा था, इसलिए..
किटी: मैं देख रही हूँ की वो तुम्हे कितना परेशान करती है, अच्छा सुनो, मेरी बेटी का बर्थडे है कल सन्डे को, तुम भी आ जाना अंशिका के साथ..मुझे अच्छा लगेगा.
मैं: स्योर मैम... मैं आ जाऊंगा... पर वो अंशिका को...
किटी: उसे मैं बोल दूंगी, वैसे भी वो तुम्हे ही बोलेगी मेरे घर पर छोड़ने के लिए और वापिस ले जाने के लिए, तो क्यों न तुम भी पार्टी के मजे लो.. ठीक है.. आना जरुर.
और ये कहकर वो चली गयी कॉलेज के अन्दर
मेरी तो मन मांगी मुराद पूरी हो गयी.
दोपहर को अंशिका का फ़ोन आया
मैं: हाय...क्या कर रही हो..
अंशिका: वाल्क..खाना खाने के बाद वाली...अच्छा सुनो, आज तुम्हे किटी मेम मिली थी क्या सुबह.
मैं: हाँ...और उन्होंने मुझे अपने घर पर भी बुलाया है...बर्थडे पर.
अंशिका: और तुमने हां कर दी..
मैं: और क्या करता, इतने प्यार से जो बुला रही थी वो..तुम्हे क्यों जलन हो रही है. तुमने भी तो कहा था की तुम बात करोगी उनसे, मेरे वहां आने के लिए, और अब जब उन्होंने सीधा मुझे कह दिया है तो ये तो और भी अच्छी बात है न.
अंशिका: नहीं मेरा मतलब वो नहीं था...खेर..अब उन्होंने बोल ही दिया है तो..ठीक है..कल आ जाना मेरे घर, वहीँ से चलेंगे एक साथ.
मैं: ठीक है, और सुनाओ, आज सुबह मजा आया के नहीं..
अंशिका: तुम न उसके बारे में मुझसे बात न ही करो तो अच्छा है, सुबह-सुबह मुझसे पता नहीं क्या-क्या करवा दिया, मैंने इतनी सुबह आज तक फिंगरिंग नहीं की अपनी लाईफ में और तुमने तो नाजाने क्या क्या...वो ब्रुश भी... कहाँ से आते हैं ये सब खयालात तुम्हारे दिमाग में..
मैं: अरे, मेरा दिमाग तो तरह-तरह से सेक्स करने के लिए तरीके बनाने वाली फेक्टरी है, तुम देखना अभी और क्या-तरह निकलता है इस सेक्स के कारखाने से..
अंशिका: हाँ, और कुछ तो आता है नहीं तुम्हे, इतना ध्यान पढाई में भी लगा लिया करो...
मैं: तुम फिर टीचर की तरह शुरू हो गयी..
अंशिका: टीचर हूँ , तभी ऐसा कह रही हूँ.. अच्छा रखती हूँ अभी, लंच टाइम ओवर, शाम को बात करती हूँ. बाय..
मैं: बाय..
अब तो मैं कल का इन्तजार कर रहा था, कल उसने मुझे अपने घर पर दोबारा बुलाया है, और फिर किटी मेम के घर जाना और वापिस आना, यानि इस सबमे कुछ तो मौका मिलेगा ही, क्या पता चूत मारने को भी मिल जाए और मेरी जेब में पड़े हुए कंडोम की बारी भी आ जाए... मैं फिर से अपने ख्याली पुलाव बनाने लगा.