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Non-erotic चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger'
#16
चक्रव्यहू (8th Part)


        "क्या हुआ हर्षित, तुम कुछ बोल क्यूँ नहीं रहे हो ?" निहारिका ने सोफे पर अपने बगल में गुमसुम बैठे हर्षित से पूछा।

        "कुछ नहीं हुआ बुआ, मैं आज काॅलेज के बाद अपने क्लब की टीम के साथ कल के एक इम्पाॅर्टेंट मैच की प्रैक्टिश करने चला गया था, इसलिए थोड़ा-सा थका हुआ हूँ और इस वजह से हीं आपको ऐसा लग रहा होगा कि मैं परेशान हूँ बट ऐसी कोई बात नहीं हैं।" हर्षित ने अनमने ढंग से जवाब दिया।

        "बेटा, तुम आठ साल के थे, तबसे तुम्हारी एक्टीविटिज नोट कर रही हूँ इसलिए मैं तुम्हारा चेहरा देखकर जान जाती हूँ कि तुम खुश हो या दुखी। साथ हीं ये भी जान जाती हूँ कि तुम सच बोल रहे हो या झूठ। जानते हो कैसे ?"

        "नहीं।"

        "तुम खुश होते हो तो सामनेवाले के चेहरे की ओर देखकर बातें करते हो और दुखी होते हो तो बात करते समय तुम्हारी नजरें कहीं और होती हैं। अब मैं तुम्हें बताती हूँ कि तुम सच बोल रहे हो या झूठ, ये मैं कैसे जान लेती हूँ। एक्चुअली, तुम जब सच बोलते हो तो सामनेवाले की आँखों में आँखें डालकर बातें करते हो और तुम्हारी बातों में सेल्फ-काॅन्फिडेंस भी झलकता हैं जबकि तुम झूठ बोलते हो तो दाएँ-बाएँ देखकर बातें करते हो और तुम्हारी बातों में काॅन्फिडेंस बिलकुल भी नजर नहीं आता। एम आई राइट ?"

       "बुआ, ये आपका कोश्चन बिल्कुल नाॅनसेंस हैं क्योंकि आप कभी कोई रांग बात बोलती हीं हैं। मैंने आपके जैसी ग्रेट पर्सन अपनी पूरी लाइफ में नहीं देखी। अरे, आप तो मेरे लिए बचपन में सुनी गई कहानी की उस परी की तरह हैं जो एक बच्चे को दुखी देखकर अपना परीलोक छोड़ देती हैं और अपना पूरा जीवन उस बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए समर्पित कर देती हैं। मुझे आपका साथ बिलकुल उस परी की तरह ही लगा। बचपन में मुझे आपके साथ की जरूरत थीं जो युवावस्था तक पहुँचते-पहुँचते आदत में बदल चुकी हैं, इसलिए मैं आज दिनभर से सोच-सोचकर पागल हो गया हूँ कि मैं आपके साथ के बिना कैसे जी पाऊँगा ?"

         "ऐसा क्यूँ बोल रहे हो ? तुम मेरा साथ छोड़कर कहीं जा रहे हो क्या ?"

          "हाँ बुआ।"

          "व्हाट ?"

          "मैं समझ सकता हूँ कि ये बात सुनकर आपको कितना गहरा शाॅक लगा होगा। मुझे भी आपसे ये कहते हुए अच्छा नहीं लगा और न हीं आपका साथ छोड़ना मुझे अच्छा लग रहा हैं, बट मुझे जाना हीं होगा।"

          "हर्षित, ये तुम कैसी बहकी-बहकी बातें कर रहे हो ? अरे, तुम्हें इस तरह अचानक कहाँ जाने की जरूरत पड़ गई ?"

           "मैं आर्मी ज्वाइन करना चाहता हूँ।"

           "ये अचानक आर्मी ज्वाइन करने का फितुर तुम्हारे दिमाग में कहाँ से आया ?"

           "अचानक नहीं बुआ, मेरी बचपन से हीं आर्मी ज्वाइन करके देश की सेवा करने की तमन्ना हैं।"

           "पर तुमने मुझे तो कभी अपनी इस तमन्ना के बारे में बताया हीं नहीं।"

           "आपको नहीं बताया, बट बचपन से हीं मैं आर्मी ज्वाइन करना चाहता हूँ ।"

           "ठीक हैं, मैं मान लेती हूँ कि तुम्हारी बचपन से हीं आर्मी ज्वाइन करने की तमन्ना हैं, लेकिन अब तुम भी ये मान लो कि तुम्हारी ये तमन्ना कभी पूरी नहीं होगी।"

          "क्यों, क्या मैं आपको आर्मी ज्वाइन करने के लिए फिजिकली या मेंटली अनफिट लगता हूँ।"

          "नो बेटा, मुझे तुम्हारी फिटनेस पर कोई डाऊट नहीं हैं।"

          "तो फिर आपने ऐसा क्यों कहा कि मेरी आर्मी ज्वाइन करने की तमन्ना कभी पूरी नहीं होगी ?"

          "क्योंकि मैं तुम्हें आर्मी ज्वाइन करने की परमिशन किसी कीमत पर नहीं दूँगी।"

           "क्यों ?"

           "क्योंकि आर्मी ज्वाइन करने का मतलब हैं, अपनी जान जोखिम में डालना और तुम जानते हो कि मैं तुम्हें ऐसा कोई काम करने की परमिशन किसी कीमत पर नहीं दे सकती, जिसमें तुम्हारी लाइफ को कोई भी नुकसान पहुँचने की आशंका हो।"

           "बुआ, आपकी इस बात ने मुझे काफी हर्ट किया, क्योंकि मैं ऐसा कभी सोच भी नहीं सकता था कि आप इतनी सेल्फिस होगी। आप सोचिए कि इस तरह हर कोई अपने फेमिली मेम्बर्स को ये सोचकर आर्मी ज्वाइन करने नहीं देगा कि इसमें जान का जोखिम हैं तो हमारी कन्ट्री की हिफाजत कैसे होगी ?"

            "बेटा, तुम ये लेक्चर मुझे तो न हीं दो तो अच्छा होगा, क्योंकि मैं एक शहीद फौजी की विडो हूँ। मैंने अपनी मैरिज से लेकर अपने पति के दुनिया छोड़ते तक उन्हें यही सोचकर एक बार भी आर्मी छोड़ने के लिए नहीं कहा कि इसी तरह हर महिला अपने स्वार्थ या अपनी खुशी के लिए अपने पति को आर्मी छोड़ने लगा देगी तो कन्ट्री की हिफाजत कौन करेगा। चूँकि मैंने अपने पति को उनके लाइफ टाइम तक आर्मी की सर्विस करने से नहीं रोका, इसलिए मेरे पास तुम्हें आर्मी ज्वाइन करने से रोकने का राइट रिजर्व हैं, क्योंकि हर फेमिली अपनी दो पीढ़ियों में से केवल अपने एक फेमिली मेम्बर को कन्ट्री की हिफाजत के लिए आर्मी को समर्पित कर दे तो भी देश की सुरक्षा को कभी कोई आँच नहीं आएगी।"

          "आपका कहना बिल्कुल सही हैं, बट मामा तो मेरे फेमिली मेम्बर नहीं थे और ......।"

          "हाँ, पर वे मेरी फेमिली की मेम्बर थे और तुम भी मेरी फेमिली के मेम्बर हो, इसलिए वे और तुम एज द मेम्बर्स आॅफ वन फेमिली काउंट किए जाएँगे। हाँ, मेरा तुम्हारे साथ ब्लड रिलेशन न होने की वजह से तुम खुद को मेरी फेमिली का मेम्बर नहीं मानते हो तो .....।"

          "बुआ, ये कैसी बात कर रही हैं आप ? मैं पलभर के लिए अपनी उस फेमिली का मेम्बर होने से इनकार कर सकता हूँ जिसमें मेरा जन्म हुआ, लेकिन आपकी फेमिली का मेम्बर होने से इनकार करने की तो मैं इमेजिनेशन भी नहीं कर सकता हूँ। आपको मैं भले हीं बुआ कहता हूँ बट इन फेक्ट आप मेरी लिए ठीक वैसी हीं माँ हैं, जैसी भगवान कृष्ण के लिए यशोदा मैया उनकी माँ थी।"

          "थैंक्स, बट यशोदा मैया ने जैसे भगवान कृष्ण को उन्हें छोड़कर जाने की परमिशन दे दीं थीं, वैसी परमिशन मैं तुम्हें कभी नहीं दूँगी, इसलिए अच्छे बच्चे की तरह मेरी बात मान लो और अपनी स्टडी पर काॅन्संस्ट्रेट करों, ओके ?"

         "नो बुआ, आपको मुझे आर्मी ज्वाइन करने की परमिशन देनी हीं पड़ेगी।"

          "मम्मा, आप भैया को आर्मी ज्वाइन करने की परमिशन मत देना।" दस-ग्यारह साल की आयु की रिंकी ने अंदरवाले कमरे से निकलकर उन दोनों के करीब आते हुए कहा।

          "बेटा, तुम सोई नहीं अभी तक ?" निहारिका ने उसकी ओर ममताभरी निगाहों से देखते हुए सवाल किया।

         "आप जानती हैं कि भैया से कहानी सुने बिना मुझे नींद नहीं आती और आज भैया ने मुझे कहानी नहीं सुनाई तो मुझे नींद कैसे आ सकती हैं ?"

         "बेटा, तुमसे कह चुकी हूँ कि आज भैया काफी परेशान हैं, इसलिए आज तुम बिना कहानी सुने हीं सोने की कोशिश करों, लेकिन तुम्हारा चेहरा देखकर लगता हैं कि तुमने सोने की कोशिश ही नहीं की।"

         "मम्मा, जब मुझे पता हैं कि मुझे भैया से कहानी सुने बिना नींद नहीं आएँगी तो मैं ट्राई करके अपनी एनर्जी वेस्ट क्यूँ करूँ ?"

         "बेटा, अब तुम धीरे-धीरे बड़ी हो रही हो, इसलिए भैया से कहानी सुनते-सुनते सोने की अपनी हैबिट चेंज करने की कोशिश करों। मान लो, भैया ने दो-तीन साल बाद शादी कर लीं और इसकी वाइफ भी कहानी सुनते-सुनते सोने की हैबिट वाली निकल गई तो ये तुम्हें कहानी सुनाकर सुलाने आएगा या उसे कहानी सुनाकर सुलाएगा ?"

         "मैं भैया को ऐसी लड़की से शादी करने ही नहीं दूँगी, जिसे कहानी सुनते-सुनते सोने की हैबिट हो, क्योंकि भैया से कहानी सुनने का राइट सिर्फ मेरा हैं। एम आई राइट भैया ?"

         "डेफिनेटली, दिस इज योर रिजर्व राइट। अब तुम वापस अपने कमरे में जाओं, मैं पाँच मिनट बाद आकर तुम्हें कहानी सुनाऊँगा।" हर्षित ने रिंकी की बात का जवाब देते हुए कहा।

            "प्राॅमिश ?"

            "प्राॅमिश।"

            "आपको मुझसे एक और प्राॅमिश करना होगा।"

            "बोलो, और कौन-सा प्राॅमिश करना हैं मुझे ?"

             "आप आर्मी ज्वाइन नहीं करेंगे।"

             "रिंकी,  तुम मुझे आर्मी ज्वाइन करने से सिर्फ इसलिए रोकना चाहती हो न कि मैं आर्मी ज्वाइन कर लूँगा तो मैं तुम्हें सुलाने के लिए कहानी नहीं सुना पाऊँगा ?"

            "नहीं भैया, इसका रिजन ये नहीं हैं। कहानी तो मैं आपके आर्मी ज्वाइन करने पर भी आपसे वीडियो काॅलिंग करके सुन सकती हूँ। एक्चुअली, मैं अपने पापा की तरह आपको खोना नहीं चाहती हूँ इसलिए ......।"

            "रिंकी, प्लीज रोना नहीं, अदरवाइज मेरा तुम्हारी आँखों में कभी आँसू न आने देने का वो प्राॅमिश टूट जाएगा जो मैंने पहली बार तुमसे राखी बँधवाने पर तुमसे किया था।" कहने के साथ हीं हर्षित ने रिंकी को अपनी ओर खींचकर गोद में बिठा लिया।

             "तो फिर जल्दी से ...।"

             "आई प्राॅमिश टू यू कि मैं आर्मी ज्वाइन नहीं करूँगा। अब जल्दी से मुस्कुरा दो।" हर्षित की बात सुनते हीं रिंकी के मासूम चेहरे पर प्यारी-सी मुस्कुराहट उभर आयी। जिसे देखने के बाद हर्षित का चेहरा खिल उठा, जबकि निहारिका की आँखों में संवेदनशील भावनाओं की अधिकता की वजह से आँसू आ गए।

                                         ..............

            "हम लोग सोने चले या कुछ और सुनना हैं ?" निहारिका, हर्षित और रिंकी जिस कमरे में बातें कर रहे थे, उसके बगलवाले कमरे में दोनों कमरों के बीच मौजूद बंद गेट के पास चेयर लगाकर बैठी रागिनी ने अपने सामने खड़ी निक्की और मानसी से धीमे स्वर में पूछा।

           "दी, मेरे दिमाग से तो इन लोगों की इतनी बातें सुनकर डाऊट पूरी तरह से निकल गया, लेकिन मुझे इन लोगों की बातचीत बहुत प्यारी लग रहीं हैं, इसलिए मैं इन लोगों की बातें एंड तक सुनूँगी। आपको नींद आ रही होंगी तो आप जाकर सो जाइए।" मानसी ने रागिनी की बात का जवाब दिया।

           "ओके, मैं अंदर जाकर सो रही हूँ। तुम लोगों का जब मन हो, आकर सो जाना।"

           "निक्की, तुम्हें नींद आ रही होंगी तो तुम भी जाकर सो जाओ।" रागिनी के अंदरवाले कमरे में जाने के बाद मानसी ने निक्की से कहा।

           "क्या हुआ ?" कोई जवाब नहीं मिलने पर मानसी ने गौर से निक्की का चेहरा देखते हुए पूछा।

           "कुछ नहीं।"

           "अरे, तुम तो रो रहीं हो।"

           "रोना तो आएगा ही यार, क्योंकि मैंने कारनामा हीं ऐसा किया हैं कि उसके लिए जिंदगी भर रोना और पछताना पड़ेगा।"

           "डोंट वरी, सब ठीक हो जाएगा। आई होप कि हम लोग हर्षित से मिलकर माफी माँगेंगे तो वो तुम्हें जरूर माफ कर देगा।"

           "हो सकता हैं कि वो मुझे माफ कर दे, बट मुझे लगता हैं कि मैंने जो थर्ड क्लास एलिगेशन उस पर लगाया हैं, उसकी वजह से मैं उससे कभी नजर मिला पाऊँगी। ये तो अच्छा हुआ कि उसने निहारिका मैम को इसके बारे में नहीं बताया, अदरवाइज वे मेरे बारे ......।"

           "निक्की, एक मिनट रूको। मुझे लगता हैं कि हमें इमिजेटली हर्षित को काॅल करके उससे रिक्वेस्ट करनी चाहिए कि वो निहारिका आंटी को इस एलिगेशन के बारे में कुछ न बताएँ, क्योंकि हो सकता हैं कि वो रिंकी को सुलाने के बाद अभी या कल सुबह उन्हें इसके बारे में बता दे।"

           "हाँ, लेकिन उसे काॅल मत करों, क्योंकि काॅल करके इस बारे में उससे बात करने पर मैम को पता चल सकता हैं। तुम एक काम करों, उससे इंस्टा या व्हाट्स-एप पर काॅन्टेक्ट करों।"

            "ठीक हैं, मैं उसे इन्स्टा पर मैसज करती हूँ।" कहकर मानसी ने एक चेयर पर पड़ा अपना मोबाइल उठा लिया।

                                        ............

             "तुम्हारी गुड़िया रानी सो गई ?" हर्षित अंदरवाले कमरे से निकलकर ड्राइंगरूम में आया तो निहारिका ने टीवी स्क्रीन से नजर हटाकर उससे पूछा।

            "जी बुआ।" हर्षित ने जवाब दिया।

            "तुम भी कभी-कभी परेशान हो जाते होंगे न, ये बिना सैलरी की ड्यूटी करते-करते ?"

             "नहीं बुआ, ये ड्यूटी करते हुए मैं कभी परेशान नहीं होता हूँ बल्कि मैं तो ये ड्यूटी करते हुए ये सोचकर संतुष्ट होता हूँ कि आपने और मामा ने करीब तेरह साल पहले मेरी और मेरी मम्मा की जान बचाकर हम लोगों पर जो अहसान किया था, उसके बदले में आप लोगों की इकलौती बेटी के चेहरे पर थोड़ी मुस्कान लाने का मौका देकर आप मुझ पर एक और अहसान कर रही हैं।"

           "देखो हर्षित, यदि तुम ये ड्यूटी तुम पर और तुम्हारी मम्मा पर मेरे और रिंकी के पापा के किए गए किसी अहसान का बदला चुकाने के लिए कर रहे हो तो तुम्हें कल से आने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि मुझे ऐसा कोई अहसान याद नहीं हैं। मैं तो ये सोचकर तुम्हें ये ड्यूटी करने दे रही थीं कि तुम मेरी बेटी को अपनी छोटी बहन मानने की वजह से ये अपना फर्ज समझकर रहें हो, पर तुम तो ......।"

            "साॅरी बुआ, अब कभी मुझसे ऐसी गलती नहीं होंगी।"

             "इट्स ओके, बैठो।"

             "नहीं बुआ, रात के दस बज चुके हैं इसलिए मुझे अब घर जाना चाहिए।"

            "ठीक हैं जाओ, लेकिन जाने से पहले ये बता दो कि कहीं तुम उस लव ट्राइंगल में फँसे हुए होने की वजह से तो आर्मी ज्वाइन करके यहाँ से खिसकना नहीं चाहते थे न, जिसके बारे में तुमने मुझे दो दिन पहले बताया था ?"

             "नहीं।"

             "तो फिर और कौन-सी नई वजह आ गई ?"

             "साॅरी, मैं वो वजह आपको नहीं बता सकता।"

             "ठीक हैं, मत बताओ लेकिन ये तो बता दो कि तुम फिलहाल मानसी और निक्की को एक हीं कैम्पस में एक साथ कैसे हैंडल कर रहे हो ? एक्चुअली, तुमने बताया था न कि तुम अपने काॅलेज में स्टूडेंट यूनियन का इलेक्शन होते तक मानसी को महसूस नहीं होंने देना चाहते हो कि तुम्हारी लाइफ में अब निक्की आ चुकी हैं क्योंकि उसे ऐसा महसूस हो गया तो इलेक्शन में ठीक से कन्टेस्ट नहीं कर पाएगी और तुम उसे ये महसूस नहीं कराते हो तो वो तुमसे नजदीकियाँ बढ़ाने की कोशिश करेगी और इससे निक्की तुमसे रूठ जाएगी, मैं ये इसलिए पूछ रही हूँ।"

          "बुआ, आप इस बात लेकर टेंशन लेना बंद कर दीजिए क्योंकि मैं लव ट्राइंगल से भी बाहर निकल चुका हूँ और नाइंटी डिग्री के प्लेन एंगल से भी बाहर निकल चुका हूँ।"

          "मतलब ?"

          "मतलब ये हैं कि कल मानसी ने बिना बताए हीं वो सबकुछ रियलाइज कर लिया, जो मैं उसे इलेक्शन की प्रोसीजर कम्प्लिट होते तक नहीं बताना चाहता था और उसने कल हीं मुझे गुड बाय भी कह दिया था। उसके बाद आज निक्की ने भी गुड बाय कह दिया।"

          "मानसी के तुम्हें गुड बाय कहने की वजह मुझे समझ आ गई लेकिन निक्की ने तुम्हें क्यूँ गुड बाय कहा, ये मेरी समझ में नहीं आ रहा हैं ?"

          "आपको समझकर क्या करना हैं ?"

          "कुछ नहीं। मेरे लिए इतना हीं जानना काफी हैं कि तुम टेंशन भरी सिच्युएशन से बाहर निकल गए हो। तुम्हारी लाइफ में कौन आयी थीं, कौन चली गई और कौन आनेवाली हैं, इन बातों में मुझे कोई इन्ट्रेस्ट नहीं हैं। बस तुम मेरी एडवाइज हमेशा याद रखना कि किसी को खुश करने या किसी को मानसिक तनाव झेलने से बचाने के लिए खुद को फिर कभी इस टाइप की सिच्युएशन में मत फँसाना और हो सके तो अफेयर जैसी नाॅनसेंस चीजों से दूर रहना, क्योंकि इस टाइप की चीजें तुम्हें बिल्कुल भी सूट नहीं करतीं। तुम्हारे लिए अच्छा यही हैं कि तुम अपनी पढ़ाई पर काॅन्संस्ट्रेट करों और फिर अपनी सारी एनर्जी करियर बनाने में लगा दो। उसके बाद अपने जैसी एक सौम्य, खूबसूरत और समझदार लड़की देखकर शादी कर लेना।"

           "एडवाइज के लिए थैंक्स बुआ। मैं खुद भी ऐसा हीं कुछ सोच रहा था। अफेयर को लेकर मेरा अब तक का एक्सपीरियंस इतना खराब रहा हैं कि मैं अब कभी दुबारा किसी से दिल लगाने की बात सोच भी नहीं सकता। अब मुझे घर जाने की परमिशन दीजिए, गुड नाइट।"

          "गुड नाइट माइ स्वीट चाइल्ड।" निहारिका के मुँह से जवाब सुनने के बाद हर्षित घर से बाहर निकल गया।

                            ...............

           "मैंने काॅलेज का चप्पा-चप्पा छान मारा, लेकिन हर्षित कहीं भी नजर नहीं आया।" काॅलेज-कैम्पस में खड़ी निक्की और मानसी के पास आकर चेतन ने जानकारी दी तो उन दोनों के चेहरे पर छाए परेशानी के बादल और गहरा गए।"

            "कहाँ चला गया यार ये ? कैसे पता लगाए कि ये जनाब हैं कहाँ ? उसने मोबाइल भी स्वीच्ड ऑफ कर रखा हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि .......।"

            "मानसी, वो जरूर अपने क्लब की टीम के लिए मैच खेलने गया होगा। तुम्हें याद हैं, वो निहारिका मैम से कल ....।" मानसी ने आँखों के इशारे से निक्की को चेतन की उपस्थिति का अहसास दिलाया तो निक्की ने अपना वाक्य अधूरा छोड़ दिया।

          
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RE: चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger' - by pastispresent - 10-03-2019, 12:11 AM



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