07-09-2020, 10:33 PM
मधु पूरी तरह लज्जित हो मुँह फेर लेटी रही पर कालू ने निप्पलों को खेंच मधु को उतेजित करते बोला मालकिन हमसे कैसी शर्म हम तोह वैसे भी आपकी बजाने आए है और मधु के गोरे गालों पर शर्म की लाली कौंध गयी और वो आँखे बंद मुँह फेरे लेटी रही और कालू के बेरहम हाथों से अपनी निप्पलों को खिंचते सहती रही तभी विरजु ने मधु के टाँगों को खोल थापक कर चुत पर चाँटा मार बोला मालकिन बड़ी लजाती है लगता है इनको बेशरम बनाए कुतिया बनाना संभव नहीं और वो दोनों हँसते मधु के जिस्म पर अनोखे ढंग से आग लगाने लगे और मधु तपती मोन पड़ी रही ।
विरजु ने बोला साहब एक कैची दीजेए न ,मैंने संदेहास्पद ढंग से विरजु की और देखने लगा और वो इसारे से बोला ,मधु के जीन्स को काटने के लिए मांग रहा अब मैं तोह मनोरंजन देखने को उत्सुख था तो फौरन कैची विरजु को दे दिया और वो आराम से हौले हौले मधु के झाघो पर फेरते जीन्स को काटने लगा और उसने नीचे से जीन्स यू काटी की आधी उठ कमर के ऊपर चली गई आधी गाँड के नीचे दबी रही और विरजु अपने हाथ को मधु के पैंटी पर फेरते कालू से बोला भाई मालकिन की चुत तोह बहुते गरम है क्या बोलता है पेल दे का और कालू बोला नहीं बे अभी मालकिन को और नशा चढ़ा की खुद मालकिन कुतिया बन के हम दोनों का लेगी तभी न अच्छे से पेलेंगे देखता नहीं लजाई मुँह छुपा रही है बताती है नहीं किस मर्दवा से पेलवा के बैठी है और विरजु पैंटी के ऊपर से है मधु के तड़पते चुत को सहलाने लगा और हल्के थपेड़े मार गरमाने लगा कि कालू ने मधु के चुचियों पर अपने छाती को रख रगड़ते बोला मालकिन अपने कुत्तों से क्या शर्मा रही देखिये न इधर कुत्ते बावले हुए पड़े है कि मालकिन कुतिया बन लुंड चुत मे फ़सा ले ।
मधु बड़े सब्र से खुद को चुप रखे हुए थी पर कालू ने जैसे ही मधु के काँखों को सहलाना शुरू किया और तेल की गर्माहट ने जो आग लगाया मधु न चाहते हुए करहाने लगी और कालू जीभ लगा चाटने लगा और विरजु बोला भाई ये तोह मेमसाहब की तरह गंदी जगह चटवा के गर्म होती है तू चाट देख मुतेंगी मालकिन ,कालू हँसते बोला मुतेंगी तोह मुतवा देता हूँ और मधु हाथों को झटकने लगी और चीखते बोली मत कर मादरचोद बस कर उफ्फ्फ ,कालू ने मधु की तड़प को ओर बढ़ाते चाटता रहा और विरजु थप थप करते मधु के मचलते चुत को उकसाता रहा और मधु तेज़ स्वर मे इठलाती रही ।
कालू ने मधु को आखिर तोड़ दिया और वो मूतने लगी और विरजु थाप मरता मधु के मुत को चारों और छिटकाने लगा और मधु पूर्ण कमुक होती बोली चोद मादरचोदों मैं तुम दोनों की कुतिया हुँ ।
कालू बिना जबाब दिए लगा रहा और विरजु आँखों मे चमक लिए बड़े मजे से मधु के चुत पर थपड़ मार आनंद लेता रहा और मधु एक स्वर मे न जाने कितनी बार खुद को दोनों की कुतिया बता कसकती रही और निढ़ाल हो हाँफने लगी ,मेरी बीवी ने खुद को दोनों के सामने झुका के अपना चर्मसुख भोगा और कालू उठ कर मधु के होंठो को चुसने लगा और हाथों से चुचियों को मसलते बड़े हक से बोला मालकिन हम तोह जानते है आप कुतिया हो तभी हम दो कुत्ते आये है वरना साहब के रहते आप जैसी मालकिन को हम जैसों की क्या ज़रूरत ।
मधु लड़ के लिए तड़पती बोली कालू चोद अपनी कुतिया फाड़ दे मेरी चुत ,बड़ी आग लगी है बुझा दे ,कालू हँसते बोला मालकिन अभी तोह ये आग कुछ नहीं ज़रा और तड़पाने दे मुझे आपके योवन को फिर जो जोश बनेगी आपके जिस्म पर वहीं जोश ठंडा करूँगा ये तोह बस ऊपरी आग है इसे चोद के क्या फायदा ।
मधु बोली अब देख जैसा कहती कर पर कालू ने एक न सुनी और ब्रा को बीच से खींच के वापस मधु के जिस्म पर छोड़ दिया और चटाक कर मधु के जिस्म से ब्रा टकराई और वो रूवासी हो चीख़ने लगी और उधर विरजु ने पैंटी को ऊपर खीच मधु की चुत पर वार किया और मधु चिलाते बोली मादरचोदों तुम दोनों की माँ चोद दूँगी सालों और चीख़ती रही ,विरजु ने जैसे पैंटी ऊपर की और खिंची मधु की चुत के बीच पैंटी फ़स के उसके चुत के होठ फूल कर उभर आए और विरजु बड़े मजे से उभारों को खींच खेलने लगा और कालू ब्रा खिंच मधु के चुचियों को लाल करने लगा और मधु आंखों मैं आँसू लिए उन दोनों के खेल मे बस एक बेबस खिलौना बन मचलती रही ।
कालू ने इतना खिंचावा दिया कि ब्रा की डोरिया तनाव से बिखर गई पर बिखरने से पहले मधु से टकरा कर उसके कंधे पर अपने निसान बनाना न भूली और मधु खुद को छूने के लिए अपने हाथों को पूरी ताकत से खिंचने लगी पर विफल हो कालू से बोली अब तोह चोद, खेल लिया न और कालु ने बड़े आराम से चुचियों को मसाज करते बोला मालकिन न जाने कितनी औरतें मेरे नीचे चुदवा के जन्नत देख चुकी है पर न जाने क्यों मेरा दिल आपको इतनी आसानी से पाने को मचल नही रहा ,मेरा दिल आपको और तड़पाने को बोल रहा ओर अब दिल का कहा सुनुँगा तोह न मालकिन आपको मज़ा दे पाऊँगा कहते वो मधु के दोनों चुचियो को रगड़ के तेल मिलाते खेलने लगा और विरजु मधु के चुत के बगल नाक लगा के सुरसुरी करते मधु के हिलते कमर पर इठलाने लगा और बोला मालकिन मेरी नाक इधर है उधर नहीं और मधु हवस मैं अंधी विरजु के नाक को चुत पर लेने के लिए विरजु के खेल को खेलने लगी ।
विरजु ने बोला साहब एक कैची दीजेए न ,मैंने संदेहास्पद ढंग से विरजु की और देखने लगा और वो इसारे से बोला ,मधु के जीन्स को काटने के लिए मांग रहा अब मैं तोह मनोरंजन देखने को उत्सुख था तो फौरन कैची विरजु को दे दिया और वो आराम से हौले हौले मधु के झाघो पर फेरते जीन्स को काटने लगा और उसने नीचे से जीन्स यू काटी की आधी उठ कमर के ऊपर चली गई आधी गाँड के नीचे दबी रही और विरजु अपने हाथ को मधु के पैंटी पर फेरते कालू से बोला भाई मालकिन की चुत तोह बहुते गरम है क्या बोलता है पेल दे का और कालू बोला नहीं बे अभी मालकिन को और नशा चढ़ा की खुद मालकिन कुतिया बन के हम दोनों का लेगी तभी न अच्छे से पेलेंगे देखता नहीं लजाई मुँह छुपा रही है बताती है नहीं किस मर्दवा से पेलवा के बैठी है और विरजु पैंटी के ऊपर से है मधु के तड़पते चुत को सहलाने लगा और हल्के थपेड़े मार गरमाने लगा कि कालू ने मधु के चुचियों पर अपने छाती को रख रगड़ते बोला मालकिन अपने कुत्तों से क्या शर्मा रही देखिये न इधर कुत्ते बावले हुए पड़े है कि मालकिन कुतिया बन लुंड चुत मे फ़सा ले ।
मधु बड़े सब्र से खुद को चुप रखे हुए थी पर कालू ने जैसे ही मधु के काँखों को सहलाना शुरू किया और तेल की गर्माहट ने जो आग लगाया मधु न चाहते हुए करहाने लगी और कालू जीभ लगा चाटने लगा और विरजु बोला भाई ये तोह मेमसाहब की तरह गंदी जगह चटवा के गर्म होती है तू चाट देख मुतेंगी मालकिन ,कालू हँसते बोला मुतेंगी तोह मुतवा देता हूँ और मधु हाथों को झटकने लगी और चीखते बोली मत कर मादरचोद बस कर उफ्फ्फ ,कालू ने मधु की तड़प को ओर बढ़ाते चाटता रहा और विरजु थप थप करते मधु के मचलते चुत को उकसाता रहा और मधु तेज़ स्वर मे इठलाती रही ।
कालू ने मधु को आखिर तोड़ दिया और वो मूतने लगी और विरजु थाप मरता मधु के मुत को चारों और छिटकाने लगा और मधु पूर्ण कमुक होती बोली चोद मादरचोदों मैं तुम दोनों की कुतिया हुँ ।
कालू बिना जबाब दिए लगा रहा और विरजु आँखों मे चमक लिए बड़े मजे से मधु के चुत पर थपड़ मार आनंद लेता रहा और मधु एक स्वर मे न जाने कितनी बार खुद को दोनों की कुतिया बता कसकती रही और निढ़ाल हो हाँफने लगी ,मेरी बीवी ने खुद को दोनों के सामने झुका के अपना चर्मसुख भोगा और कालू उठ कर मधु के होंठो को चुसने लगा और हाथों से चुचियों को मसलते बड़े हक से बोला मालकिन हम तोह जानते है आप कुतिया हो तभी हम दो कुत्ते आये है वरना साहब के रहते आप जैसी मालकिन को हम जैसों की क्या ज़रूरत ।
मधु लड़ के लिए तड़पती बोली कालू चोद अपनी कुतिया फाड़ दे मेरी चुत ,बड़ी आग लगी है बुझा दे ,कालू हँसते बोला मालकिन अभी तोह ये आग कुछ नहीं ज़रा और तड़पाने दे मुझे आपके योवन को फिर जो जोश बनेगी आपके जिस्म पर वहीं जोश ठंडा करूँगा ये तोह बस ऊपरी आग है इसे चोद के क्या फायदा ।
मधु बोली अब देख जैसा कहती कर पर कालू ने एक न सुनी और ब्रा को बीच से खींच के वापस मधु के जिस्म पर छोड़ दिया और चटाक कर मधु के जिस्म से ब्रा टकराई और वो रूवासी हो चीख़ने लगी और उधर विरजु ने पैंटी को ऊपर खीच मधु की चुत पर वार किया और मधु चिलाते बोली मादरचोदों तुम दोनों की माँ चोद दूँगी सालों और चीख़ती रही ,विरजु ने जैसे पैंटी ऊपर की और खिंची मधु की चुत के बीच पैंटी फ़स के उसके चुत के होठ फूल कर उभर आए और विरजु बड़े मजे से उभारों को खींच खेलने लगा और कालू ब्रा खिंच मधु के चुचियों को लाल करने लगा और मधु आंखों मैं आँसू लिए उन दोनों के खेल मे बस एक बेबस खिलौना बन मचलती रही ।
कालू ने इतना खिंचावा दिया कि ब्रा की डोरिया तनाव से बिखर गई पर बिखरने से पहले मधु से टकरा कर उसके कंधे पर अपने निसान बनाना न भूली और मधु खुद को छूने के लिए अपने हाथों को पूरी ताकत से खिंचने लगी पर विफल हो कालू से बोली अब तोह चोद, खेल लिया न और कालु ने बड़े आराम से चुचियों को मसाज करते बोला मालकिन न जाने कितनी औरतें मेरे नीचे चुदवा के जन्नत देख चुकी है पर न जाने क्यों मेरा दिल आपको इतनी आसानी से पाने को मचल नही रहा ,मेरा दिल आपको और तड़पाने को बोल रहा ओर अब दिल का कहा सुनुँगा तोह न मालकिन आपको मज़ा दे पाऊँगा कहते वो मधु के दोनों चुचियो को रगड़ के तेल मिलाते खेलने लगा और विरजु मधु के चुत के बगल नाक लगा के सुरसुरी करते मधु के हिलते कमर पर इठलाने लगा और बोला मालकिन मेरी नाक इधर है उधर नहीं और मधु हवस मैं अंधी विरजु के नाक को चुत पर लेने के लिए विरजु के खेल को खेलने लगी ।