09-03-2019, 05:11 PM
रीमा अपनी एक और फंतासी पूरी कर रही थी | वो जिसके बारे में सोचा करती थी अब वो कर रही थी | हर स्ट्रोक के साथ उसकी हाथ की उंगलिया उसके चूत दाने को बुरी तरह रगड़ने लगी | तेज सांसो के साथ उसके मुहँ से आअहाआअहाआह्ह ऊऊऊऊउह्ह्ह्हह भी निकलने लगा | केले को जड़ से कसकर पकडे थी और ऊपर छिले हुए हिस्से को उसने हलके हाथो से उंगलियों का छल्ला बनाकर जकड लिया और चूसते समय उसके चारों ओर उंगलियो का छल्ला फिराने लगी जैसे लंड चूसते समय एक हाथ से लंड को जड़ से पकड़ लेते है और दुसरे हाथ की उंगलियों का छल्ला बनाकर नीचे से लेकर लंड के सुपाडे तक रगड़ते है और लंड को मुहँ के अन्दर लेकर चूसते चले जाते है | रीमा जैसी औरत ने भले ही बहुत ज्यादा सेक्स एडवेंचर न किये हो लेकिन उसने सेक्स वीडियो में देखा सब था और उसे क्या कैसे करना होता है ये भी अच्छे से पता था | पति के देहांत के बाद सेक्स वीडियो ही थे जिन्हें देखकर वो खुद को थोड़ा शांत रखती थी | अभी इसलिए बिलकुल वैसे ही अंदाज में रीमा केले को चूस रही थी, जैसा उसने एक वीडियो में देखा था | रीमा को केले को लंड समझकर चूसते और अपने चूत दाने को रगड़ते समय हो गया था | सख्त केले की ऊपर परत लार से गीले तो पहले ही थी अब नरम होने लगी थी, केला लंड जैसे सख्त तो होता है लेकिन लंड नहीं होता, केले की सख्ती रीमा के हाथो की सख्त पकड़ और उसके रसीले गुलाबी ओंठो की कसी चुसाई से कम होने लगी थी | रीमा की गीली चूत में तरंगे उठ रही थी | रीमा ने केला किनारे रखकर अपनी पैंटी उतार दी | उसने दुसरे साबुत केले को दुसरे हाथ से उठाया और अपनी चिकनी जांघो के चूत त्रिकोण पर फिराने लगी | जबकि दुसरे केले को मुहँ में लेकर फिर से चूसने लगी | दोनों जांघो के बीच स्थित रीमा की गुलाबी गरम चूत पूरी तरह से बंद थी | उसके गुलाबी ओंठ पूरी तरह आपस में चिपके हुए थे और रीमा चूत के आपस में सटे गुलाबी ओंठो को दुसरे केले से सहलाने लगी | केले में लंड जैसी गरमी तो थी लेकिन फिर भी उसे वो लंड से कम नहीं लग रहा था | हालाँकि केले का साइज़ रोहित के लंड के बराबर नहीं था फिर भी रीमा कल्पनाओं में देख रही थी की ये रोहित का ही लंड है |
उसने चूत की दरार पर रगड़ते केले पर दबाव बढ़ा दिया, चूत के ओंठ खुलने लगे, ऊपर उसके मुहँ में लगातार नरम हो रहा लार से सना छिला केला मुहँ में अन्दर बाहर हो रहा था | रीमा ने चूत को खोलना शुरू कर दिया और अपने साबुत केले का एक सिरा चूत में घुसाने की कोशिश करने लगी | मुहँ से मादक कराहे निकल रही थी छिले केले का चुसना जारी था | नीचे साबुत केले को पूरी कोशिश से चूत में घुसाने में लगी थी लेकिन सफल नहीं हो पा रही थी, सुखा केला के लिए चूत अपना मुहँ खोलने को तैयार ही नहीं थी | चूत गीली थी लेकिन उसमे इतना गीलापन नहीं था की सूखे साबुत केले को आराम से अन्दर ले ले | रीमा के छिले केले को अलग रख दिया और एक हाथ से अपनी गुलाबी गरम चूत के ओंठ फैला दिए और केले को हैंडल की तरफ से अच्छे से पकड़कर चूत दाने पर रगड़ने लगी | और कुछ देर तक बिना रुके रगड़ती रही, रगड़ती रही जब तक उसकी जांघे नहीं कांपने लगी |
उस पर पसीने की बुँदे नहीं छलक आई, उसकी चूत गीली होकर पानी बहाने लगी और मौका देखकर रीमा ने केले की निचली टिप अपनी गीली गरम गुलाबी चूत में घुसा दी | उसके मुहँ से आह निकल गयी | फिर से केले को अच्छे से पकड़कर चूत दाना रगड़ने लगी | उसे पता था मोटा साबुत केला अन्दर चूत में लेना है तो उसे चूत को पूरी तरह से गरम करना होगा, तभी चूत की गरम गीली दीवारे उसके केले को अन्दर लेंगी और चूत दाने को मसलने से बेहतर कोई औजार नहीं था चूत को आग की भट्ठी बनाने का |
चूत दाने के साथ साथ अब वो नीचे गुलाबी छेद के छोर तक चूत को केले से रगड़ रही थी | उंगलियों से उसने चूत के गुलाबी ओंठो को पूरी तरह खोल रखा था, चूत रस से सराबोर उसकी गुलाबी चूत पूरी तरह खुली हुई थी जिसमे ऊपर की तरफ चूत दाना साफ़ साफ़ दिख रहा था और नीचे की तरफ रीमा की मखमली गरम चूत के अन्दर जाने के रास्ते का छेद उसके गुलाबी मांस से ढका हुआ था | प्रियम को रीमा की गुलाबी चूत के बमुश्किल ही दर्शन हो पा रहे थे लेकिन उसकी गोरी जांघे और भरे भरे भारी से गोल गोल सुडौल मांसल चूतड़ देखकर प्रियम से रहा नहीं गया | उसने लंड को बाहर निकल लिया और मुठीयाने लगा | अब उसका भी अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं था, आया था रीमा के राज पता करने लेकिन उसके बेपर्दा हुस्न के सामने सारे तिकड़म फ़ैल थे, जैसे ही उसके नंगे जिस्म के दर्शन हुआ, प्रियम का लंड लोहे की गरम राड बन गया | अब एक बार लंड खड़ा हो गया फिर तो उसे बिना झाड़े बैठाना, किसी सिद्ध पुरुष के बस का ही है | प्रियम की मुट्ठी में जकड़ा लंड पर और तेज हाथ हिलाने शुरू कर दिए |
जैसा रीमा का हुस्न था वैसे ही कमाल उसकी छोटी सी लेकिन जादुई तिलिस्मी गुलाबी थी, जो भी देखे दीवाना हो जाये | बार बार देखे और बस देखता ही रहे | ऐसी चूत देखकर किसी का भी मन करेगा की उस पर ढेर सारा मक्खन लगाकर दिन भर चूसता रहे |
रीमा ने आइस्ते से केले का सिरा अपनी चूत में घुसा दिया | केले का सिरा अभी भी सुखा था, लेकिन गीली चूत ने उसे भिगो दिया | रीमा के मुहँ से फिर आह निकल गयी | चूत कितनी भी गीली हो, चुदाई के बाद उसकी दीवारे कितनी भी नरम हो लेकिन वो कुछ भी आसानी से बिना औरत की आहे कराहे निकाले बिना अपने अन्दर नहीं लेती | रीमा को भी अपनी चूत में केला पेलने के लिए जोर लागना पड़ रहा था | अब तक बेहद सावधानी और नाजुकता से वो अपनी चूत से खेल रही थी लेकिन अब सख्ती से चूत में केला ठेलने का समय आ गया था |
रीमा किसी तरह की जल्दबाजी नहीं करना चाहती थी वो आराम आराम से चूत में पूरा केला घुसेड़ कर अपनी चूत चोदना चाहती थी | लेकिन छुईमुई बनकर भी तो चूत नहीं चोदी जा सकती थी थोड़ी मेहनत तो करनी पड़ेगी और थोड़ा सा मीठा दर्द भी झेलना पड़ेगा | रीमा ने खुद को मजबूत किया और केले के निचले सिरे को दो इंच ठेलकर अपनी चूत की दीवारों का रिएक्शन महसूस करने लगी | उसे पता था की अब उसकी चूत का मुहँ खुल गया है अब केले के चूत के मुहँ पर फिसलने का कोई चांस नहीं है एक हाथ से भी वो केला अपनी चूत में ठेल सकती है | इसलिए उसने अपना छिला केला उठा लिया और उसे फिर से मुहँ में ले लिया |
अब एक साबुत केला उसकी चूत में था और छिला केला उसके मुहँ में | ये बिलकुल वैसा था जैसे दो लंड किसी औरत को एक साथ चोद रहे हो | एक लंड मुहँ में ठेला जा रहा हो और दूसरा चूत रौंद रहा हो | रीमा शायद यही फंतासी केले की जरिये पूरी कर रही थी | शायद उसकी दो लंड एक साथ लेने की कोई दबी कामना हो, शायद वो मुहँ में प्रियम का चिकना लंड और चूत में रोहित का मुसल मोटा लंड सोच के इस समय केलो को अपने अन्दर ले रही हो | किसी को नहीं पता था की रीमा के दिमाग में क्या है, कई बार तो रीमा को भी नहीं पता होता की उसके इस छिपे चरित्र के हिस्से में क्या क्या छिपा है क्या क्या दबा है | फिलहाल रीमा के दोनों हाथ और उसका सर, अपनी अपनी जगह हिल रहे थे और बीच में मादक कराह उसके मुहँ से निकल रही थी | ऊऊऊह्ह्ह आआआह्ह्ह की आवाजे किचन में गूंज रही थी | आवाजे बेडरूम तक भी जा रही होंगे लेकिन इससे बेखबर रीमा खुद को दो सख्त मोटे केलो से चोदने में लगी थी |
उसने चिली केले को और ज्यादा नीचे तक छील दिया | अब केले का 80 प्रतिशत हिस्सा खुल गया था और पूरा का पूरा छिला केला रीमा मुहँ में घोंट जा रही थी | रोहित का लंड गले के नीचे तक उतारने के बाद रीमा को केले को गले के नीचे तक लेने में कोई बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही थी | प्रियम के लंड से बड़ा केला पलक झपकते ही रीमा में मुहँ में गायब हो जाता और फिर बाहर आ जाता | केले को मुहँ में तेजी से ले रही थी, जैसे लंड को चरम की तरफ बढ़ते देख औरते उसे जोर जोर से चूसने लगती है, पूरा का पूरा मुहँ के अन्दर घोंट लेती है वैसे ही रीमा भी कर रही थी |
उधर प्रियम के लंड ने जवाब दे दिया और इतनी देर से मुठियाते हुए अब उसका काम तमाम हो गया था | प्रियम ने एक हल्की कराह के साथ अपनी चकारी छोड़ दी | और हांफता हुआ अपनी सांसे काबू करने लगा | प्रियम के सफ़ेद गाढे रस से उसका सुपाडा सन गया था |
उसने चूत की दरार पर रगड़ते केले पर दबाव बढ़ा दिया, चूत के ओंठ खुलने लगे, ऊपर उसके मुहँ में लगातार नरम हो रहा लार से सना छिला केला मुहँ में अन्दर बाहर हो रहा था | रीमा ने चूत को खोलना शुरू कर दिया और अपने साबुत केले का एक सिरा चूत में घुसाने की कोशिश करने लगी | मुहँ से मादक कराहे निकल रही थी छिले केले का चुसना जारी था | नीचे साबुत केले को पूरी कोशिश से चूत में घुसाने में लगी थी लेकिन सफल नहीं हो पा रही थी, सुखा केला के लिए चूत अपना मुहँ खोलने को तैयार ही नहीं थी | चूत गीली थी लेकिन उसमे इतना गीलापन नहीं था की सूखे साबुत केले को आराम से अन्दर ले ले | रीमा के छिले केले को अलग रख दिया और एक हाथ से अपनी गुलाबी गरम चूत के ओंठ फैला दिए और केले को हैंडल की तरफ से अच्छे से पकड़कर चूत दाने पर रगड़ने लगी | और कुछ देर तक बिना रुके रगड़ती रही, रगड़ती रही जब तक उसकी जांघे नहीं कांपने लगी |
उस पर पसीने की बुँदे नहीं छलक आई, उसकी चूत गीली होकर पानी बहाने लगी और मौका देखकर रीमा ने केले की निचली टिप अपनी गीली गरम गुलाबी चूत में घुसा दी | उसके मुहँ से आह निकल गयी | फिर से केले को अच्छे से पकड़कर चूत दाना रगड़ने लगी | उसे पता था मोटा साबुत केला अन्दर चूत में लेना है तो उसे चूत को पूरी तरह से गरम करना होगा, तभी चूत की गरम गीली दीवारे उसके केले को अन्दर लेंगी और चूत दाने को मसलने से बेहतर कोई औजार नहीं था चूत को आग की भट्ठी बनाने का |
चूत दाने के साथ साथ अब वो नीचे गुलाबी छेद के छोर तक चूत को केले से रगड़ रही थी | उंगलियों से उसने चूत के गुलाबी ओंठो को पूरी तरह खोल रखा था, चूत रस से सराबोर उसकी गुलाबी चूत पूरी तरह खुली हुई थी जिसमे ऊपर की तरफ चूत दाना साफ़ साफ़ दिख रहा था और नीचे की तरफ रीमा की मखमली गरम चूत के अन्दर जाने के रास्ते का छेद उसके गुलाबी मांस से ढका हुआ था | प्रियम को रीमा की गुलाबी चूत के बमुश्किल ही दर्शन हो पा रहे थे लेकिन उसकी गोरी जांघे और भरे भरे भारी से गोल गोल सुडौल मांसल चूतड़ देखकर प्रियम से रहा नहीं गया | उसने लंड को बाहर निकल लिया और मुठीयाने लगा | अब उसका भी अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं था, आया था रीमा के राज पता करने लेकिन उसके बेपर्दा हुस्न के सामने सारे तिकड़म फ़ैल थे, जैसे ही उसके नंगे जिस्म के दर्शन हुआ, प्रियम का लंड लोहे की गरम राड बन गया | अब एक बार लंड खड़ा हो गया फिर तो उसे बिना झाड़े बैठाना, किसी सिद्ध पुरुष के बस का ही है | प्रियम की मुट्ठी में जकड़ा लंड पर और तेज हाथ हिलाने शुरू कर दिए |
जैसा रीमा का हुस्न था वैसे ही कमाल उसकी छोटी सी लेकिन जादुई तिलिस्मी गुलाबी थी, जो भी देखे दीवाना हो जाये | बार बार देखे और बस देखता ही रहे | ऐसी चूत देखकर किसी का भी मन करेगा की उस पर ढेर सारा मक्खन लगाकर दिन भर चूसता रहे |
रीमा ने आइस्ते से केले का सिरा अपनी चूत में घुसा दिया | केले का सिरा अभी भी सुखा था, लेकिन गीली चूत ने उसे भिगो दिया | रीमा के मुहँ से फिर आह निकल गयी | चूत कितनी भी गीली हो, चुदाई के बाद उसकी दीवारे कितनी भी नरम हो लेकिन वो कुछ भी आसानी से बिना औरत की आहे कराहे निकाले बिना अपने अन्दर नहीं लेती | रीमा को भी अपनी चूत में केला पेलने के लिए जोर लागना पड़ रहा था | अब तक बेहद सावधानी और नाजुकता से वो अपनी चूत से खेल रही थी लेकिन अब सख्ती से चूत में केला ठेलने का समय आ गया था |
रीमा किसी तरह की जल्दबाजी नहीं करना चाहती थी वो आराम आराम से चूत में पूरा केला घुसेड़ कर अपनी चूत चोदना चाहती थी | लेकिन छुईमुई बनकर भी तो चूत नहीं चोदी जा सकती थी थोड़ी मेहनत तो करनी पड़ेगी और थोड़ा सा मीठा दर्द भी झेलना पड़ेगा | रीमा ने खुद को मजबूत किया और केले के निचले सिरे को दो इंच ठेलकर अपनी चूत की दीवारों का रिएक्शन महसूस करने लगी | उसे पता था की अब उसकी चूत का मुहँ खुल गया है अब केले के चूत के मुहँ पर फिसलने का कोई चांस नहीं है एक हाथ से भी वो केला अपनी चूत में ठेल सकती है | इसलिए उसने अपना छिला केला उठा लिया और उसे फिर से मुहँ में ले लिया |
अब एक साबुत केला उसकी चूत में था और छिला केला उसके मुहँ में | ये बिलकुल वैसा था जैसे दो लंड किसी औरत को एक साथ चोद रहे हो | एक लंड मुहँ में ठेला जा रहा हो और दूसरा चूत रौंद रहा हो | रीमा शायद यही फंतासी केले की जरिये पूरी कर रही थी | शायद उसकी दो लंड एक साथ लेने की कोई दबी कामना हो, शायद वो मुहँ में प्रियम का चिकना लंड और चूत में रोहित का मुसल मोटा लंड सोच के इस समय केलो को अपने अन्दर ले रही हो | किसी को नहीं पता था की रीमा के दिमाग में क्या है, कई बार तो रीमा को भी नहीं पता होता की उसके इस छिपे चरित्र के हिस्से में क्या क्या छिपा है क्या क्या दबा है | फिलहाल रीमा के दोनों हाथ और उसका सर, अपनी अपनी जगह हिल रहे थे और बीच में मादक कराह उसके मुहँ से निकल रही थी | ऊऊऊह्ह्ह आआआह्ह्ह की आवाजे किचन में गूंज रही थी | आवाजे बेडरूम तक भी जा रही होंगे लेकिन इससे बेखबर रीमा खुद को दो सख्त मोटे केलो से चोदने में लगी थी |
उसने चिली केले को और ज्यादा नीचे तक छील दिया | अब केले का 80 प्रतिशत हिस्सा खुल गया था और पूरा का पूरा छिला केला रीमा मुहँ में घोंट जा रही थी | रोहित का लंड गले के नीचे तक उतारने के बाद रीमा को केले को गले के नीचे तक लेने में कोई बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही थी | प्रियम के लंड से बड़ा केला पलक झपकते ही रीमा में मुहँ में गायब हो जाता और फिर बाहर आ जाता | केले को मुहँ में तेजी से ले रही थी, जैसे लंड को चरम की तरफ बढ़ते देख औरते उसे जोर जोर से चूसने लगती है, पूरा का पूरा मुहँ के अन्दर घोंट लेती है वैसे ही रीमा भी कर रही थी |
उधर प्रियम के लंड ने जवाब दे दिया और इतनी देर से मुठियाते हुए अब उसका काम तमाम हो गया था | प्रियम ने एक हल्की कराह के साथ अपनी चकारी छोड़ दी | और हांफता हुआ अपनी सांसे काबू करने लगा | प्रियम के सफ़ेद गाढे रस से उसका सुपाडा सन गया था |