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Adultery रीमा की दबी वासना
इसलिए उसने पहले कुछ खाने की सोची | वो फ्रूट बकेट में फल ढूंढ रही थी तभी उसे केला दिखाई दिए |  उसने दो बड़े केले टोकरी से निकाले, जो लगभग लगभग रोहित के लंड जितने लम्बे मोटे थे  | उसने एक केले को आधा छील दिया, केला छीलते ही उसके दिमाग में कुछ और ही तैर गया |  उसके दिमाग में केले को छीलकर उसे लंड की तरह चूसती लड़की की तस्वीर याद गयी |  उसके दिमाग में लंड चुसाई की तस्वीरे आने लगी |  वह रोहित के साथ बिताये जादुई चुदाई के बेहतरीन पलो से बाहर नहीं आ पाई थी | केला सामने आते ही उसके दिमाग के कोने में दबी शरारत बाहर आ गयी | उसने बहुत पहले, जब वो वासना की आग में तड़पती थी तब उसने ब्लू फिल्म में एक नंगी लड़की को केले से खेलते देखा था | आज मौका था मूड था और सबसे बड़ी बात आज हिम्मत थी कुछ कर गुजरने की, उस डायरी का असर था  जो लाज शर्म की दीवारे और बंधन उसे रोकते थे उन्हें वो कब का वो तोड़ चुकी थी | अब उसके लिए खुद को एन्जॉय करना कोई शर्म की बात नहीं थी | उसने बरसो से संजोयी किचन सेक्स फैंटसी आज पूरा करने का मन बनाया | उसने चारो तरफ के परदे देखे फिर वो निश्चिन्त होकर छिले केले पर अपनी गीली गुलाबी जीभ फिराने लगी | उसे चाटने लगी | ये सब देखकर प्रियम के दिमाग का फ्यूज उड़ गया | ये तो उसकी सोच के आस पास भी नहीं था, न ही उसके दिमाग में ऐसा कुछ कभी आ सकता था |


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उसे भूख लगी थी और कोई सामान्य समय होता तो अब तक वो दो केले खाकर उनका छिलका कूड़ेदान में फेंक चुकी होती लेकिन अभी वो वासना की  मस्ती में मस्त होना चाहती थी | समाज या व्यक्तिगत नैतिकता के बन्धनों का कोई डर नहीं | उसे डायरी पढकर  पता चल गया था कि बंद दीवारों के बीच में खुद की सेक्सुअल डिजायर को पूरा करना किसी तरह का पाप नहीं है | खुद को खुद के द्वारा एन्जॉय करना कोई गुनाह नहीं है | उसने कमर के  ऊपर कुछ नहीं पहना था, कमर के ऊपर वो बिलकुल नंगी थी, उसकी तनी सुडौल छातियाँ और उस पर विराजमान चुचियाँ बिलकुल प्राकृतिक अवस्था में निर्वस्त्र थी | वो  सिर्फ पैंटी में थी, क्योंकि वो निश्चिन्त थी की यहाँ कोई नहीं सिवाय उसके खुद  के, और अब खुद से शर्माना उसने छोड़ दिया था, पहले खुद को नंगा देखते ही झेंप जाई थी, कुछ न कुछ शरीर पर डाल लेती थी   | उसने आराम से केले को चाटने के बाद मुहँ में लेना शुरू कर दिया | पहले धीरे धीरे मुहँ के अन्दर छिले केले को ले गयी और उसे दोनों तरफ से अपने गुलाबी रसीले ओंठो से जकड लिया | प्रियम ने अपने प्लान  के अनुसार पहले खिड़की हल्की सी खोली, फिर आराम से मतलब भर की खोल दी और  पहले से ही परदे में हुक की गयी डोर हाथ में थाम थी जैसे ही रीमा की चूसने चटाने की आवाजे उसके कानो तक पंहुची उसने हल्का सा पर्दा डोर के सहारे हटाया,   पर्दा खिसकते की उसने जो देखा तो जैसे ४४० वोल्ट का करंट लगा हो | ये उसकी सोच की सीमाओं से बाहर था | एक औरत केले से कैसे अपनी सेक्स की भूख मिटा सकती है, अब उसके लिए ये किसी सस्पेंस थ्रिलर की तरह से हो गया | उसकी दिलचस्पी रीमा के दमकते गुलाबी नंगे बदन को देखने में कम और उसकी हरकतों में ज्यादा हो गयी | रीमा का इस तरह से केले को चुसना और  रीमा के कमर के ऊपर के दमकते गोरे नंगे जिस्म को देखकर प्रियम की दिलचस्पी और लालसा और बढ़ती जा रही थी | उसके लंड में भी हरकत होने लगी | 
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अब प्रियम ने अपने दिमाग में ये पहेली सुलझा ली थी की आखिरकार रीमा चाची ने उसका लंड इतनी अच्छी तरीके से कैसे चूसा, पूरा गले तक घोंट गयी बिना चोक हुए, क्योंकि अलसी लंड तो उन्हें मिलता नहीं होगा तो वे केले के साथ इसकी प्रैक्टिस करती रही होगी | उसके दिमाग के सारे तार झनझना गए | उसने रीमा को क्या समझा था और वो उन्हें क्या करते देख रहा है | इसका मतलब रीमा चाची और भी बहुत कुछ करती होगी, मुझे तो यहाँ रोज आने का प्लान बनाना पड़ेगा | 

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फिर धीरे से अन्दर बाहर करने लगी | जैसे मुहँ में लंड ठेलते समय लंड को अन्दर बाहर करते है वैसे ही वो छिले हुए केले को अन्दर बाहर करने लगी | वो कर तो केला अन्दर बाहर रही थी लेकिन बार बार उसे रोहित  का मोटा तगड़ा मुसल लंड याद आ रहा था | चूसा तो उसने लालीपॉप की तरह प्रियम का भी लंड था, लेकिन रोहित की हिदायत और शायद अपनी गलती के अहसास के बाद उसकी सेक्स फंतासी में प्रियम के लिए कोई जगह नहीं थी | इसीलिए किसी और के काल्पनिक लंड की जगह रियल में अपने मुहँ में ले चुकी  रोहित के लंड की कल्पना करने लगती | उसकी कल्पना भी सामान्य औरत की सोच से परे थी , जैसे ही उसने केले का छिलका आधा उतारा था उसे छिले केले के अन्दर से तना सख्त लंड जैसा ठोस दिखाई दे रहा था मस्तिष्क में वो कल्पना करना सिर्फ रीमा जैसी कामुक खूबसूरत औरत ही कर सकती है | इसलिए उसे लंड मानकर ही चूस रही थी | 

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प्रियम की पेंट में उसके लंड ने तम्बू बना दिया था लेकिन प्रियम का सारा ध्यान रीमा की किचन सेक्स फैंटसी देखने में ज्यादा था | इसीलिए तने लंड को केवल ऊपर से ही सहलाता रहा |
धीरे से केले का छिला हिस्सा अन्दर ले जाती और फिर ओंठो से रगड़ते हुए बाहर ले आती | बार बार अन्दर बाहर करने से केले का उपरी हिस्सा लार के साथ मिलकर चिकना हो गया था | फिर केले को छिले हिस्से की जड़ से लेकर ऊपर तक जीभ से चाटती चली जाती | रीमा को चूसने से ज्यादा चटाने में मजा आ रहा था |

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 कभी बायीं तरफ से तिरछा करके मुहँ में ठेलती कभी दाई तरफ से | कभी अपने गुलाबी रसीले ओंठो से जकड़ लेती और दोनों हाथो से अपने सुडौल उभरे स्तन मसलने लगती | प्रियम के चेरे पर हवाइयां उड़ने लगी, उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और उसका बदन गरम होने लगा | उसका लंड भी पूरी तरह से पेंट के अन्दर ही अकड़ गया | 

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धीरे धीरे रीमा ने केले को अन्दर बाहर करने की गति बढ़ा दी | उसने केले पर ओंठो का दबाव भी बढ़ा दिया, दबाव बढ़ते ही नरम केले की परत उधड़ने लगी और लार के साथ मिलकर ओंठो को सानने लगी | रीमा केले के लिसलिसे हिस्से को चाट कर सफाचट कर देती, अपने ओंठो पर जीभ फेरती और फिर  से केले को मुहँ में अन्दर बाहर करने लगती |

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उसका एक हाथ उसकी पैंटी में पंहुच गया वो अपनी चूत पर उंगलियाँ फिराने लगी | जैसे जैसे वो केले को अन्दर बाहर करती, उसकी उंगलियाँ भी उसकी चूत पर उतनी ही तेजी से रिदम के साथ फिसल रही थी | उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी थी, शरीर गरम होने लगा और चूत गीली होने लगी थी | उसे बार बार रोहित  का लंड चूसना याद आ रहा था | वो धीरे धीरे गहराई तक केले को चूसने लगी थी | केला का साइज़ भी रोहित के लंड से कुछ कम नहीं था, इसलिए आधे से ज्यादा ही केला रीमा अभी मुहँ में ले पा रही थी और केला जाकर रीमा के गले को छु रहा था | असल में रीमा केले को लंड समझ के ही मुहँ में ले रही थी, उसके दिलो दिमाग में रोहित का लंड चुसना ही छाया हुआ था, वो उसी अंदाज में केले को नीचे से पकड़ कर उस पर अपना सर नीचे ऊपर कर रही थी और केले को लंड की तरह मुहँ में ले रही थी |


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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 09-03-2019, 05:10 PM



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