09-03-2019, 04:32 PM
आर्डर कैंसिल करने के लिए यूजर प्रोफाइल के आर्डर लाग में भी गयी लेकिन बार बार कैंसिल बटन पर जाकर उसके हाथ रुक जाते | उसे बड़ा अजीब लग रहा था वो आर्डर कैंसिल भी करना चाहती थी लेकिन रोहित ने अगर आर्डर किया है तो शायद कुछ सोच समझ कर ही किया होगा, यही सोचकर वो रुक गयी |
उधर प्रियम का सारा प्लान फ़ैल हो गया क्योंकि जिस चिप में उसने रीमा के लंड चुसाई की रिकॉर्डिंग रखी थी, वो कही गिर गयी | अब उसका रीमा चाची को पाने का सपना सपना ही रह गया | ऊपर से रोहित ने उसकी गांड फाड़ दी, कि अगर वो रीमा के घर के आस पास भी दिखा तो उसकी हड्डी पसली एक कर देगें | रोहित की निगाह से बचकर जाना प्रियम के टेढ़ी खीर हो गया | ऊपर से आजकल काम ज्यादा होने ही वजह से रीमा भी शाम तक ही घर आ पाती | प्रियम के दोस्त भी रीमा को लेकर बहुत उत्सुक थे लेकिन अब उन सका प्लान चौपट हो गया | इधर रोहित ने प्रियम पर निगरानी रखने के लिए उसे एक अच्छा स्मार्टफोन खरीद कर दिया जिसमे उसने खुद ही २ स्पाई अप्प इंस्टाल कर दिए | ताकि प्रियम की हर हरकत पर नजर रखी जा सके | रोहित के पास अपना भी काफी काम होता है इसलिए इससे बेहतर कोई तरीका उसे नहीं मिला |
रीमा रोहित की डायरी के कुछ पन्ने रोज पढ़ती | उसमे अकेली औरत के सेक्सुअल फैंटसी से ज्यादा मनोविज्ञान के चैप्टर थे | रीमा के सभी कुल मिलाकर काफी मतलब के थे | रीमा के एक एक चैप्टर ध्यान से पढ़ा और उसे कही न कही ऐसा लगा जैसे वो डायरी उसी के लिए लिखी गयी है | जितना वो डायरी पढ़ती उतनी ही उसकी दिलचस्पी बढती जाती | उसने भी अपने बचपने से जवानी तक ब्लू फिल्मे देखि थी और फिर पोर्न भी देखा, लेकिन सेक्स को इस तरह से शायद ही कही दिखाया गया हो | एक औरत अपने आप में एक सम्पूर्ण पैकेज है, उसे कुछ भी बाहर से नहीं चाहिए, सिवाय बच्चा पैदा करने के लिए एक बीज के | रीमा की फैंटसी तो porn से भी इतर थी लेकिन न तो उसे तरीका मालूम था और न ही सलीका | सबसे बड़ी बात उन फैंटसी को पूरा करने का आत्मविस्वास कहाँ से लाती | एक अच्छे मनोवैज्ञानिक की तरह रोहित की इस डायरी ने रीमा के हजारो अनसुलझे सवालो के जवाब दे डाले | वो डायरी पढ़कर निश्चिंत हो गयी, अब उसके अन्दर भी कुछ कर गुजरने की चाहत थी | जो भी उसे करना था गोपनीय रूप से ही करना था | उसका एडल्ट टॉयज का आर्डर भी आ चूका था लेकिन उन्हें इस्तेमाल करने में रीमा की बहुत ज्यादा रूचि थी नहीं इसलिए उसे पैक करके बेड के नीचे डाल दिया | डायरी पढ़कर जो सबसे पहली बात उसने सीखी थी वो थी बॉडी लैंग्वेज और उसका कॉन्फिडेंस | उसके खुद को कई बार ऊपर से नीचे तक पूरा नंगा देखा था लेकिन तब नजरिया कुछ था और मकसद भी कुछ और ही था | अब उसका अपने बदन को देखने का नजरिया बदल गया था, अब वो खुद को एक खूबसूरत औरत के जिस्म के रूप में देखती थी, तब खुद को जवान देखकर खुश होती थी अब जवानी की चमक के आत्मविश्वास पर इतराती है | पहले घर हो या बाहर, पुरे कपडे पहने रहना उसकी आदत थी | उसने शुरुआत कपड़ो से ही करी, उसने घर में कपड़े पहनने कम कर दिए या कई बार बिलकुल उतार देती | और सीसों के सामने से नंगी चलती हुई गुजरती | किचन में पैंटी ब्रा में खाना बनाती, या सिर्फ अप्रोन पहन कर खाना बनाती और पीछे लगे शीशे में बार बार अपने उठे चूतड़ घूम घूम कर देखती | कई बार सिर्फ पैंटी पहने पहने ही पूरा घर साफ़ कर डालती | हालाँकि ऐसे टाइम ये जरुर ध्यान रखती थी घर के चारो तरफ के सारे परदे पड़े हो | उसे खुद को नंगा देखना और नंगा रहन अच्छा लगने लगा | कई बार वाइब्रेटर भी उसे करती | सफाई के वक्त उसे अपनी चूत में घुसाकर रिमोट ऑन कर देती और फिर पुरे घर में वो रायता फैलता की दो घंटे लग जाते समेटने में | रोहित को वक्त नहीं मिलता था, ऊपर से बाप बेटे अब एक दुसरे पर निगाह रखते थे | अगर किसी को रीमा के घर आना होता तो साथ साथ ही आते और साथ साथ ही वापस चले जात्ते | रोहित बस रीमा को देखकर मुस्कुराकर रह जाता | ऐसे ही एक दिन शाम को रीमा किचन में बिलकुल नंग धढंग कुछ काम कर रही थी |
उसने सिर्फ पैंटी पहन रखी थी, जब दूर बेल बजी तो उसने देखा रोहित आया है | फट से कपड़े पहनने भागी लेकिन उसने दुसरे कैमरे से देखा तो रोहित अकेला था, उसने परदे के पीछे खड़े होकर दरवाजा खोल दिया | रोहित रीमा को सिर्फ पैंटी में देखकर हैरान कर गया | उसने बहार दबी आवाज में आँखों से इशारा किया - प्रियम है | रीमा कुछ समझी नहीं - उसने दरवाजे की ओंट से झांककर बाहर देखा, तो प्रियम गार्डन गेट से अन्दर आ चूका था |
रीमा के पैरो तरह से जैसे जमीं खिसक गयी, वो तेजी से भागी बेडरूम की तरफ | असल में प्रियम रास्ते में आते समय कुछ ठेले पर खरीदने लगा था, इसलिए पीछे रह गया और कैमरे में नहीं दिख रहा था | लेकिन जब रीमा बेदरूम की तरफ भागी थी तो प्रियम को उसकी नंगी पीठ और चुताड़ो पर नाममात्र की पैंटी की झलक मिल गयी थी |
अन्दर जाकर रीमा ने बाद गाउन डाल दिया, उसके स्तनों की नुकीली चुंचियां गाउन के सिल्की कपडे से आराम से नुमाया हो रही थी | रोहित के लिए भी अजीब स्थिति थी वो बस गुना भाग लगा रहा था की प्रियम ने देखा या नहीं देखा | देखा तो कितना देखा | बाप बेटे ने एक बार एक दुसरे से नज़रे मिलायी और तब तक रीमा बाहर आ गयी थी | रीमा खुद ही बिना शर्म संकोच के सफाई देने लगी - वो क्या है न मै नहा रही थी तो जल्दी जल्दी में ............|
प्रियम किचन की तरफ बढ़ता हुआ - मुझे लगा था की आप खाना बना रही होगी | वैसे सूखे सूखे नहाने की टेकनिक हमें भी बता दो न चाची | प्रियम की यह टोन न तो रोहित को अच्छी लगी, न ही रीमा |
रोहित डाँटते हुए - कम से इतना तो सीख ले की अपने बड़ो से बात कैसे करते है, हर जगह अपनी नाक कटाता रहता है | एक दूगां खीचकर सारा व्योमकेश बख्सी बाहर आ जायेगा |
रीमा रोहित को टोकती हुई - अरे क्या कर रहे हो ? सही तो सवाल पूछ रहा है, मै नहाने जा रही थी, टॉयलेट साफ़ कर रही थी, इसलिए कपड़े उतार दिए थे | नहाने के बाद खाना बनाना है, तुम लोग अब आ गए हो तो खाकर जाना | मरती क्या न करती | इतना कहकर मजबूरी में उसे नहाने जाना पड़ा | रोहित टीवी ऑन करके बैठ गया और प्रियम किचन में कुछ खाने को ढूढ़ने लगा | असल में जब से उसने रीमा की पैंटी में झलक देखि थी तब से ही उसके दिमाग में कीड़े काट रहे थे | वो समझ गया था, गर्मी के कारन रीमा चाची किचन में नंगी होकर खाना बना रही थी | ये महज इतीफाक था या रोज ऐसा ही करती है इसी का उसे पता लगाना था | इसके लिए जरुरी था की किचन की विंडो पर पड़े परदे हटाये जाये | वैसे भी किचन की विंडो का कांच ऐसा था बाहर से कुछ दिखेगा ही नहीं | किचन की विंडो हमेशा बंद ही रहती थी और उस पर पर्दा भी पड़ा था इसलिए बाहर से कोई कुछ पता लगा पाए ये मुनकिन ही नहीं था | प्रियम ने आइस्ते से खिड़की की सिटकनी खोल दी और चूँकि खिड़की ग्रिल के बाहर की तरफ लगी थी इसलिए बाहर की तरह ही खुलेगी | लेकिन खिड़की से किचन का पर्दा इतनी दूर था की बाहर से कोई हाथ डालकर हटाना चाहे तो उसे मिलना मुश्किल है | प्रियम को कुछ नहीं सूझा तो एक पिन उठा लाया और अपने एअर फ़ोन की लीड को परदे में बाहर की तरफ को टांक दिया और लीड बाहर की तरफ खिड़की के हैंडल में फंसा दी | दिन में अगर कोई खिड़की परदे को खोलेगा तो अन्दर के आदमी को बाहर से आने वाली रौशनी से आसानी से पता चल जायेगा | लेकिन अगर कोई अँधेरा होने के बाद बाहर से खिड़की खोलकर और पर्दा खीच कर किचन की झलक लेना चाहे तो, किचन में काम कर रहे आदमी के लिए बिना गौर किये उसे नोटिस करना मुश्किल है | रीमा नहाकर आई, खाना बनाया | तीनो ने मिलकर खाया और बाप बेटे वापस घर चले गए |
अगले दो दिन रीमा ऑफिस से ही सात बजे लौटी | इसलिए प्रियम के पास कोई मौका नहीं था, लेकिन उसके अगले दिन रीमा ठीक 6 बजे घर आ गयी, अब रोहित के पास रीमा का अपडेट रहता था इसलिए प्रियम को भी पता चल जाता था | प्रियम की किस्मत अच्छी थी की शाम को रोहित को क्लाइंट के साथ एक पार्टी में जाना था, इसका मतलब था की रोहित अब १२ बजे से पहले वापस नहीं आएगा | रीमा के आने के बाद रोइट पार्टी के लिए निकल गया | प्रियम के लिए इसके बाद भी cctv से बचकर निकालना टेढ़ी खीर थी | प्रियम भी अपने बाप का ही बेटा था, जब चारो तरफ अँधेरा चा गया प्रियम ने मोबाइल घर भी ही छोड़ दिया और छत पर जाकर, अपने पडोसी की छत से होते हुए बिना किसी के जाने, उनके बैक डोर से निकल गया | जाकर अपने तय सुदा अड्डे पर किचन की खिड़की के पास छिप गया | घर के अन्दर की जलती लाइट से पता चल गया था की रीमा आ चुकी है | आते ही उसने कुछ देर आराम किया फिर कुछ खाना बनाने की सोची लेकिन उसे बहुत तेज भूख लगी थी |
उधर प्रियम का सारा प्लान फ़ैल हो गया क्योंकि जिस चिप में उसने रीमा के लंड चुसाई की रिकॉर्डिंग रखी थी, वो कही गिर गयी | अब उसका रीमा चाची को पाने का सपना सपना ही रह गया | ऊपर से रोहित ने उसकी गांड फाड़ दी, कि अगर वो रीमा के घर के आस पास भी दिखा तो उसकी हड्डी पसली एक कर देगें | रोहित की निगाह से बचकर जाना प्रियम के टेढ़ी खीर हो गया | ऊपर से आजकल काम ज्यादा होने ही वजह से रीमा भी शाम तक ही घर आ पाती | प्रियम के दोस्त भी रीमा को लेकर बहुत उत्सुक थे लेकिन अब उन सका प्लान चौपट हो गया | इधर रोहित ने प्रियम पर निगरानी रखने के लिए उसे एक अच्छा स्मार्टफोन खरीद कर दिया जिसमे उसने खुद ही २ स्पाई अप्प इंस्टाल कर दिए | ताकि प्रियम की हर हरकत पर नजर रखी जा सके | रोहित के पास अपना भी काफी काम होता है इसलिए इससे बेहतर कोई तरीका उसे नहीं मिला |
रीमा रोहित की डायरी के कुछ पन्ने रोज पढ़ती | उसमे अकेली औरत के सेक्सुअल फैंटसी से ज्यादा मनोविज्ञान के चैप्टर थे | रीमा के सभी कुल मिलाकर काफी मतलब के थे | रीमा के एक एक चैप्टर ध्यान से पढ़ा और उसे कही न कही ऐसा लगा जैसे वो डायरी उसी के लिए लिखी गयी है | जितना वो डायरी पढ़ती उतनी ही उसकी दिलचस्पी बढती जाती | उसने भी अपने बचपने से जवानी तक ब्लू फिल्मे देखि थी और फिर पोर्न भी देखा, लेकिन सेक्स को इस तरह से शायद ही कही दिखाया गया हो | एक औरत अपने आप में एक सम्पूर्ण पैकेज है, उसे कुछ भी बाहर से नहीं चाहिए, सिवाय बच्चा पैदा करने के लिए एक बीज के | रीमा की फैंटसी तो porn से भी इतर थी लेकिन न तो उसे तरीका मालूम था और न ही सलीका | सबसे बड़ी बात उन फैंटसी को पूरा करने का आत्मविस्वास कहाँ से लाती | एक अच्छे मनोवैज्ञानिक की तरह रोहित की इस डायरी ने रीमा के हजारो अनसुलझे सवालो के जवाब दे डाले | वो डायरी पढ़कर निश्चिंत हो गयी, अब उसके अन्दर भी कुछ कर गुजरने की चाहत थी | जो भी उसे करना था गोपनीय रूप से ही करना था | उसका एडल्ट टॉयज का आर्डर भी आ चूका था लेकिन उन्हें इस्तेमाल करने में रीमा की बहुत ज्यादा रूचि थी नहीं इसलिए उसे पैक करके बेड के नीचे डाल दिया | डायरी पढ़कर जो सबसे पहली बात उसने सीखी थी वो थी बॉडी लैंग्वेज और उसका कॉन्फिडेंस | उसके खुद को कई बार ऊपर से नीचे तक पूरा नंगा देखा था लेकिन तब नजरिया कुछ था और मकसद भी कुछ और ही था | अब उसका अपने बदन को देखने का नजरिया बदल गया था, अब वो खुद को एक खूबसूरत औरत के जिस्म के रूप में देखती थी, तब खुद को जवान देखकर खुश होती थी अब जवानी की चमक के आत्मविश्वास पर इतराती है | पहले घर हो या बाहर, पुरे कपडे पहने रहना उसकी आदत थी | उसने शुरुआत कपड़ो से ही करी, उसने घर में कपड़े पहनने कम कर दिए या कई बार बिलकुल उतार देती | और सीसों के सामने से नंगी चलती हुई गुजरती | किचन में पैंटी ब्रा में खाना बनाती, या सिर्फ अप्रोन पहन कर खाना बनाती और पीछे लगे शीशे में बार बार अपने उठे चूतड़ घूम घूम कर देखती | कई बार सिर्फ पैंटी पहने पहने ही पूरा घर साफ़ कर डालती | हालाँकि ऐसे टाइम ये जरुर ध्यान रखती थी घर के चारो तरफ के सारे परदे पड़े हो | उसे खुद को नंगा देखना और नंगा रहन अच्छा लगने लगा | कई बार वाइब्रेटर भी उसे करती | सफाई के वक्त उसे अपनी चूत में घुसाकर रिमोट ऑन कर देती और फिर पुरे घर में वो रायता फैलता की दो घंटे लग जाते समेटने में | रोहित को वक्त नहीं मिलता था, ऊपर से बाप बेटे अब एक दुसरे पर निगाह रखते थे | अगर किसी को रीमा के घर आना होता तो साथ साथ ही आते और साथ साथ ही वापस चले जात्ते | रोहित बस रीमा को देखकर मुस्कुराकर रह जाता | ऐसे ही एक दिन शाम को रीमा किचन में बिलकुल नंग धढंग कुछ काम कर रही थी |
उसने सिर्फ पैंटी पहन रखी थी, जब दूर बेल बजी तो उसने देखा रोहित आया है | फट से कपड़े पहनने भागी लेकिन उसने दुसरे कैमरे से देखा तो रोहित अकेला था, उसने परदे के पीछे खड़े होकर दरवाजा खोल दिया | रोहित रीमा को सिर्फ पैंटी में देखकर हैरान कर गया | उसने बहार दबी आवाज में आँखों से इशारा किया - प्रियम है | रीमा कुछ समझी नहीं - उसने दरवाजे की ओंट से झांककर बाहर देखा, तो प्रियम गार्डन गेट से अन्दर आ चूका था |
रीमा के पैरो तरह से जैसे जमीं खिसक गयी, वो तेजी से भागी बेडरूम की तरफ | असल में प्रियम रास्ते में आते समय कुछ ठेले पर खरीदने लगा था, इसलिए पीछे रह गया और कैमरे में नहीं दिख रहा था | लेकिन जब रीमा बेदरूम की तरफ भागी थी तो प्रियम को उसकी नंगी पीठ और चुताड़ो पर नाममात्र की पैंटी की झलक मिल गयी थी |
अन्दर जाकर रीमा ने बाद गाउन डाल दिया, उसके स्तनों की नुकीली चुंचियां गाउन के सिल्की कपडे से आराम से नुमाया हो रही थी | रोहित के लिए भी अजीब स्थिति थी वो बस गुना भाग लगा रहा था की प्रियम ने देखा या नहीं देखा | देखा तो कितना देखा | बाप बेटे ने एक बार एक दुसरे से नज़रे मिलायी और तब तक रीमा बाहर आ गयी थी | रीमा खुद ही बिना शर्म संकोच के सफाई देने लगी - वो क्या है न मै नहा रही थी तो जल्दी जल्दी में ............|
प्रियम किचन की तरफ बढ़ता हुआ - मुझे लगा था की आप खाना बना रही होगी | वैसे सूखे सूखे नहाने की टेकनिक हमें भी बता दो न चाची | प्रियम की यह टोन न तो रोहित को अच्छी लगी, न ही रीमा |
रोहित डाँटते हुए - कम से इतना तो सीख ले की अपने बड़ो से बात कैसे करते है, हर जगह अपनी नाक कटाता रहता है | एक दूगां खीचकर सारा व्योमकेश बख्सी बाहर आ जायेगा |
रीमा रोहित को टोकती हुई - अरे क्या कर रहे हो ? सही तो सवाल पूछ रहा है, मै नहाने जा रही थी, टॉयलेट साफ़ कर रही थी, इसलिए कपड़े उतार दिए थे | नहाने के बाद खाना बनाना है, तुम लोग अब आ गए हो तो खाकर जाना | मरती क्या न करती | इतना कहकर मजबूरी में उसे नहाने जाना पड़ा | रोहित टीवी ऑन करके बैठ गया और प्रियम किचन में कुछ खाने को ढूढ़ने लगा | असल में जब से उसने रीमा की पैंटी में झलक देखि थी तब से ही उसके दिमाग में कीड़े काट रहे थे | वो समझ गया था, गर्मी के कारन रीमा चाची किचन में नंगी होकर खाना बना रही थी | ये महज इतीफाक था या रोज ऐसा ही करती है इसी का उसे पता लगाना था | इसके लिए जरुरी था की किचन की विंडो पर पड़े परदे हटाये जाये | वैसे भी किचन की विंडो का कांच ऐसा था बाहर से कुछ दिखेगा ही नहीं | किचन की विंडो हमेशा बंद ही रहती थी और उस पर पर्दा भी पड़ा था इसलिए बाहर से कोई कुछ पता लगा पाए ये मुनकिन ही नहीं था | प्रियम ने आइस्ते से खिड़की की सिटकनी खोल दी और चूँकि खिड़की ग्रिल के बाहर की तरफ लगी थी इसलिए बाहर की तरह ही खुलेगी | लेकिन खिड़की से किचन का पर्दा इतनी दूर था की बाहर से कोई हाथ डालकर हटाना चाहे तो उसे मिलना मुश्किल है | प्रियम को कुछ नहीं सूझा तो एक पिन उठा लाया और अपने एअर फ़ोन की लीड को परदे में बाहर की तरफ को टांक दिया और लीड बाहर की तरफ खिड़की के हैंडल में फंसा दी | दिन में अगर कोई खिड़की परदे को खोलेगा तो अन्दर के आदमी को बाहर से आने वाली रौशनी से आसानी से पता चल जायेगा | लेकिन अगर कोई अँधेरा होने के बाद बाहर से खिड़की खोलकर और पर्दा खीच कर किचन की झलक लेना चाहे तो, किचन में काम कर रहे आदमी के लिए बिना गौर किये उसे नोटिस करना मुश्किल है | रीमा नहाकर आई, खाना बनाया | तीनो ने मिलकर खाया और बाप बेटे वापस घर चले गए |
अगले दो दिन रीमा ऑफिस से ही सात बजे लौटी | इसलिए प्रियम के पास कोई मौका नहीं था, लेकिन उसके अगले दिन रीमा ठीक 6 बजे घर आ गयी, अब रोहित के पास रीमा का अपडेट रहता था इसलिए प्रियम को भी पता चल जाता था | प्रियम की किस्मत अच्छी थी की शाम को रोहित को क्लाइंट के साथ एक पार्टी में जाना था, इसका मतलब था की रोहित अब १२ बजे से पहले वापस नहीं आएगा | रीमा के आने के बाद रोइट पार्टी के लिए निकल गया | प्रियम के लिए इसके बाद भी cctv से बचकर निकालना टेढ़ी खीर थी | प्रियम भी अपने बाप का ही बेटा था, जब चारो तरफ अँधेरा चा गया प्रियम ने मोबाइल घर भी ही छोड़ दिया और छत पर जाकर, अपने पडोसी की छत से होते हुए बिना किसी के जाने, उनके बैक डोर से निकल गया | जाकर अपने तय सुदा अड्डे पर किचन की खिड़की के पास छिप गया | घर के अन्दर की जलती लाइट से पता चल गया था की रीमा आ चुकी है | आते ही उसने कुछ देर आराम किया फिर कुछ खाना बनाने की सोची लेकिन उसे बहुत तेज भूख लगी थी |