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Thriller कामुक अर्धांगनी
(03-09-2020, 11:01 PM)kaushik02493 Wrote: कालू ने गर्म तेल अपने हथेली पर मलते मधु के कोमल पाओ पर मलने लगा ओर मधु उसके स्पर्श से भावविभोर हो उसको टकटकी नज़र से देखती खुद के होंठो को दबाती बड़े आराम से अपने योवन को तेल से चमकते देख बोली कालू सुना मैंने तेरी जोरू से तू खुश नहीं ,कालू थोड़ा झिझक आनाकानी करते बोला क्या बताऊँ मेमसाहब बड़ा किचकिच करती है ,घर पर कभी शान्ति नहीं रहने देती और हर वकत लड़ाई झगड़े होते रहते ,मैं तोह परेशान हो गया हूँ मेमसाहब ।


ऐसा क्यों करती वो कालू तुम तोह बड़े नेकदिल और अच्छे इंसान हो ,क्या बताऊँ मेमसाहब वो ऐसी ही है अब तोह महीनों घर नहीं जाता जहाँ काम करता हुँ वहीं सो जाता हूँ कि उसकी किचकिच न सुननी पड़े ,अरे कोई अपनी बीवी को छोड़ ऐसा करता है क्या बहुत गलत बात है ये कालू और मधु विरजु की और मुँह करती बोली तुम भी कालू की तरह करते क्या ,विरजु न न मेमसाहब मैं तोह ऐसा नही करता मेरी घरवाली बड़ी लड़ाकू है अगर घर न जाऊ तोह बड़ी लड़ाई करती है सो मैं चला जाता हूँ कि कौन लड़े बाकी वो प्यार भी करती है कालू के जोरू की तरह नहीं है ।


ओह विरजु मतलब तेरी वाली मज़ा देती तुझे ,विरजु झेंपते शर्मा गया और बोला हाँ मेमसाहब खूब मजा देती है बाकी कालू भी कभी कभी साथ मैं मज़ा मार लेता है , मधु ने कालू की और देखा और वो बोल पड़ा क्या करूँ मेमसाहब विरजु महीनों मजदूरी करने बाहर चला जाता था तोह ऐसे है एक बरसाती रात मे इसकी जोरू गईया की तरह गर्म हो गई मैं सामान देने पहुँचा था पर उसकी हालत देख रोक नही पाया और वो भी कुंडी बंद करके मुझसे चिपक गई ।

विरजु तुझे बुरा नहीं लगा कालू ने तेरी बीवी सेक दी ,विरजु हँसते बोला बुरा क्या है मेमसाहब इसने तोह मेरी जोरू को ठंडा कर दिया बाकी कही किसी और के चक्कर पे पड़ जाती तोह दिक़त होता न ।


ओह ओर तुमसब कब से हम जैसे प्यासी औरतों के लिए काम कर रहे , जी मेमसाहब सालों से ,सालों पहले एक साहब के यहाँ हम पुताई कर रहे थे वहीं उनकी चिकनी गोरी मेमसाहब हम दोनों को देख न जाने क्या साहब से बोलते रहती , एक हफ्ते बाद साहब रात को कमरे मे आये और बोले चलो दोनों, हम दोनों तोह डर गए पर साहब हमें अपने आलीशान बैडरूम मे ला के बोले मेहनत करोगें और चुप रहोगे तोह पैसे मिलेंगे ,हम दोनों गवार क्या समझेंगे ,तभी मेमसाहब जालीदार कपड़े मे आ कर बिस्तर पर लेट गई और उनके जिस्म के गोर गोर अंगों को देख हम दोनों पसिने से तरबतर हो गए ।



साहब हमें बोले तुम दोनों मेमसाहब की सेवा करो और खुद कहीं काम से चले गए और मेमसाहब बोली कालू तुझे पसिने क्यों आ रहे कभी औरत नहीं देखी क्या ,मैं डर कर बोला नहीं मेमसाहब वो हँसते बोली खिंचा हो क्या , कुछ समझ नहीं आया तोह मैं विरजु की और देखने लगा और वो विरजु से बोली तू भी खिंचा है क्या ,हम दोनों एक दूसरे को देखते रहे तभी मेमसाहब बोली चलो दोनो कपड़े उतारो जल्दी ,हमें सच मे डर लगने लगा पर मेमसाहब की बात टाल भी नही सकते थे तोह हम दोनों नंगे हो गए पर दोनों का खड़ा था मेमसाहब हम दोनों का लड़ देख बोली वाह अब दोनों मेरे पास आओ और हम दोनों बिस्तर पर चढ़ने लगे ,मेमसाहब क्या बताऊँ इतना मखमली गदा हमें तोह मेमसाहब से ज़्यादा गदा पसंद आ रहा था क्योंकि हम दोनों कभी औरतों की और ध्यान ही नहीं देते थे ।


मेमसाहब हम दोनों का लड़ पकड़ के सहलाने लगी और बोली चोदने सीखोगे न , अब हम्हे पता नहीं चोदना होता क्या है तोह हम बोले हाँ मेमसाहब और वो अपने निप्पलों को सहलाते बोली इस जगह फाड़ कर दूध पियो और हम मेमसाहब के दूध जैसे बदन को काँपते छूने लगे तोह वो बोली अच्छी तरह खिंच के फाड़ो और हमने खिंचा और जालीदार कपड़ा फट गया और मेमसाहब हम दोनों को निप्पल चुसवाने लगी ,सच कहूँ मालकिन बड़ा मजा आया चुसने मे ,मेमसाहब अहह हहह करती चुसवाई और बोली दाँत लगा कर काटो ,हम दोनों ज़ोर से काट लिए वो हम दोनों को एक एक थपड़ लगा के बोली कुत्ते धीरे से काट और हम धीरे धीरे काटने लगे और मेमसाहब ने पूरे चुचियों पर कटवाया और फिर बोली विरजु को नीचे जा के तलवे चाट कुत्ते और विरजु तलवे चाटने लगा और मुझे अपने काँख पर मुँह लगा के चाटने बोली , बड़ी अजीब हरकत करते मेमसाहब हम दोनों को कुत्ते की तरह चटवाती और बोलने लगी जहाँ जहाँ चाट रहे दाँत भी काटो ,हम्हे तोह बड़ा अटपटा लग रहा था पर मेमसाहब बड़ी खुश आहे भर रही थी ।
बीच में लटक गया बाबा जी का घन्टा 
भाई एक सीन तो पूरा करो
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Messages In This Thread
RE: कामुक अर्धांगनी - by ajinohase - 04-09-2020, 08:22 AM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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