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Misc. Erotica ये कहाँ आ गए हम - पूनम का रूपांतरण
#91
"आह मेरी जान...कितना अच्छा लगा। फिर से बोल न" गुड्डू बोला तो पूनम पे और खुमार चढ़ने लगा। वो अपनी चुत पे ऊँगली फेरने लगी और चुत के अंदर डालते हुए बोली "तुम्हारा लण्ड टाइट हो जाता है।" गुड्डू बोला "इसे कहाँ डाला जाता है?" पूनम मदहोश होने लगी थी। आह भरते हुए बोली "अम्म.... चुत में...."

गुड्डू भी उसी तरह वासना के नशे में डूबता हुआ बोला "फिर क्या होता है?" पूनम अब पूरी गर्म थी। बोली "चुदाई होती है।" गुड्डू एक टीचर की तरह सवाल कर रहा था और पूनम अच्छे शिष्य की तरह जवाब दे रही थी। गुड्डू बोला "कैसे चुदवाओगी तुम मेरे से?" पूनम सवाल को ठीक से सुनी नहीं और समझी नहीं, या फिर वासना के नशे में उसपे बिना ध्यान दिए बोली "तुम लण्ड को चुत में डालकर धक्का मारकर चुदाई करोगे।"

गुड्डू बोला "अच्छे से चुदवाएगी न?" पूनम बोली का मन न बोलने का था, लेकिन अभी वो ना बोलने की हालत में नहीं थी। उसी तरह वासना के नशे में बोली "ह्म्म्म" गुड्डू बोला "बोल न, चोदो मुझे, बोल न मेरी गांड मारो।" पूनम को अब कोई होश नहीं था। बोली "चोदो न मुझे, मेरी गांड मार लो।"

गुड्डू बोला "गेट खोल न, आता हूँ।" अब पूनम का नशा टुटा। अब उसे होश आया की वो ये क्या बोल रही थी। लेकिन गीले चुत का नशा इतनी जल्दी कहाँ टूटने वाला था। वो उसी तरह नशे में बोली "नहीं... अभी नहीं।"

गुड्डू बोला "कुछ नहीं करूँगा, बस एन्वेलोप दूँगा और देखूँगा तुझे। खोल न।" पूनम का दिल कह रहा था कि गुड्डू को अंदर आने दे, लेकिन उसका दिमाग उसे रोक रहा था। पूनम बोली "नहीं... कोई देख लेगा।" गुड्डू इतना अच्छा मौका जाने नहीं देना चाहता था। बोला "कोई नहीं देखेगा जान, बस मैं अपनी जान को देखूँगा।"

अब पूनम हार गयी। बोली "सामने के गेट से नहीं, पीछे के गेट की तरफ आओ।" उसके मन में ये आया की अगर मम्मी पापा आ गए और गुड्डू को देख लिया, तो गजब हो जायेगा। पीछे के गेट तरफ ये खतरा तो नहीं था। गुड्डू खुश हो गया। बोला "आ रहा हूँ जान।"

पूनम हड़बड़ा कर बेड से उठी। गुड्डू तुरंत पीछे के गेट की तरफ पहुँच जाता और वो इस हालत में गुड्डू को नहीं दिखना चाहती थी। वो तुरंत अपनी पैंटी और ट्राउजर को ऊपर की और चुचियों को ब्रा में कास कर टॉप भी ठीक की। उसे लगा की उसकी चुत काफी गीली है तो वो तुरंत एक तौलिया से अपनी चुत को पोछ ली और फिर आईने में अपना चेहरा ठीक करने लगी।

उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो ये ठीक कर रही है या नहीं। लेकिन अब वो पीछे नहीं हो सकती थी। उसके दिमाग में चल रहा था कि गुड्डू उसके साथ क्या क्या कर सकता है और वो उसे क्या क्या करने देगी। उसने खुद को हालात के हिसाब से छोड़ दिया और होठों पे वेसेलिन लगाने लगी। इतने में फ़ोन पे गुड्डू की आवाज़ सुनाई दी "गेट खोल, आ गया हूँ।" पूनम जल्दी जल्दी अपने बाल ठीक करती हुई बोली "आ रही हूँ, एक मिनट।"

पूनम हॉल में आयी और पीछे की तरफ खुलने वाले गेट के सामने आ गयी। वो एक गहरी साँस ली और हिम्मत करके गेट खोल दी। गुड्डू सामने खड़ा था और पूनम पर नज़र पड़ते ही वो उसे निहार रहा था। उसे इस तरह निहारता देख पूनम शर्मा गयी। अभी एक मिनट पहले वो गुड्डू को क्या क्या बोल रही थी और गुड्डू के साथ वो क्या क्या बात की है, सोंच कर उसकी शर्म और बढ़ गयी और उसकी चुत फिर से गीली हो गयी।

अभी गुड्डू की नज़र उसकी चुचियों पर रुकी हुई थी जो जल्दी जल्दी साँस लेने की वजह से ऊपर नीचे हो रही थी। चूचियाँ टॉप के अंदर तनी हुई थी। पूनम नज़रें नीची कर ली। कोई दुपट्टा या कुछ और तो था नहीं, जिससे वो टॉप को ढक भी नहीं सकती थी। उसे पता था कि गुड्डू क्या देख रहा है और क्या क्या सोच रहा होगा। उसकी हालत बिगड़ रही थी।

पूनम हाथ बढ़ा कर बोली "दो एन्वेलोप।" गुड्डू बोला "अच्छे से देखने तो दो। बहुत टँच माल है तू तो। पहली बार इतने आराम से तेरी चूचियाँ देख रहा हूँ। क्या मस्त गोल गोल और बड़ी बड़ी हैं।" पूनम की शर्म और चुत की आग बढ़ गयी। कोई लड़का उसके सामने पहली बार इस तरह खुलकर बोल रहा था।

गुड्डू फिर बोला "एकदम कसा हुआ बदन है तेरा। क्या कटाव है। क्या मस्त कमर है, और क्या मस्त मांसल गांड है।" पूनम को अब डर लग रहा था। कहीं कोई उसे देख न ले और कहीं कोई गुड्डू की बातें न सुन ले। बोली "तुम जाओ यहाँ से जल्दी।" गुड्डू जाने के लिए नहीं आया था। बोला "ठीक से देखने तो दे, अंदर नहीं बुलाओगी।"

पूनम गेट से साइड हो गयी और गुड्डू अंदर आ गया। पूनम गेट को सटा दी, लेकिन बंद नहीं की। गुड्डू अंदर ही अंदर खुश हो रहा था कि मंजिल अब बस कुछ कदम दूर है और पूनम की हालत खराब हो रही थी। वो गुड्डू के साथ अकेली थी। उसकी धड़कन तेज़ हो गयी थी।

गुड्डू बोला "तेरी चूचियाँ मसलने में मज़ा आएगा।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसकी साँसे और तेज़ हो गयी थी। गुड्डू उसकी तरफ एक कदम आगे बढ़ा और उसके हाथ को पकड़ कर एन्वेलोप देता हुआ बोला "लो, मज़ा आएगा पढ़ कर और पिक्स देख कर।" पूनम के हाथों की कोमलता और ठंढक ने गुड्डू के लण्ड को एक झटके से खड़ा कर दिया। यही हालत पूनम की थी। गुड्डू के छूते ही जैसे उसे करंट लगा था। वो चुदी चुदाई लड़की थी और गुड्डू के साथ बहुत कुछ बात कर चुकी थी, लेकिन उसका बदन हिलने लगा था।

गुड्डू ने हलके से पूनम को अपनी तरफ खिंचा तो वो खिंचती चली आयी और गुड्डू के बदन के करीब आ गयी। गुड्डू ने एक हाथ पूनम की पीठ पे रखा और उसे अपने से और सटा लिया और उसके गर्दन पे चूमने लगा। पूनम विरोध करने की हालत में नहीं थी। गुड्डू ने एक हाथ पूनम की गर्दन पर रखा और उसके नर्म मुलायम रसीले सुर्ख गुलाबी होठों पर अपने होठों को रख दिया और उस कली का रसपान करने लगा।
[Image: 99346146_472818_02.jpg]

पूनम की मुलायम चूचियाँ गुड्डू के सीने से दब रही थी और उसका बदन हिल रहा था। गुड्डू का एक हाथ पूनम की गर्दन पे था और दूसरा हाथ पीठ को सहला रहा था। उसने टॉप को कमर तक ऊपर कर दिया था और नंगी कमर को सहलाता हुआ तुरंत ही गुड्डू का हाथ ट्रोउजर और पैंटी को भी नीचे करता हुआ पूनम की नर्म गुदाज गांड को सहला रहा था।

गुड्डू गर्दन वाले हाथ को नंगी गांड पे ले आया और मसलते हुए उसके बदन को अपने से चिपका लिया। उसका दूसरा हाथ अब सामने था और पल भर में ही टॉप के अंदर चुचियों पर था। तुरंत ही उसने ब्रा को ऊपर उठा दिया और उफ़्फ़... वो तनी हुई चूचियाँ अब गुड्डू के हाथों से मसली जा रही थी।

गुड्डू पूनम के होठों को चूस रहा था, चुच्ची और गांड को नंगी कर मसल रहा था। उसकी दोनों चूचियाँ ब्रा से आज़ाद थी और गुड्डू दोनों को मसल रहा था। दोनों निप्पल पुरे टाइट होकर तने हुए थे। गुड्डू हाथ नीचे ले आया और ट्रोउजर को सामने से भी नीचे कर दिया और अगले ही पल उसका हाथ पूनम की नंगी चुत पर था। चुत पर हल्के हल्के बाल उग आए थे।

चुत पर गुड्डू का हाथ पड़ते ही पूनम का बदन मचल उठा। वो गुड्डू से अलग होने के लिए छटपटा उठी, लेकिन गुड्डू उसे छोड़ने वाला कहाँ था। गुड्डू का हाथ चुत सहला रहा था और वो चुत की गर्मी और गीलेपन को महसूस कर रहा था। गुड्डू का हाथ चुत की दरारों पर था और अब पूनम अपना बदन ढीला छोड़ दी।

गुड्डू अब थोड़ा नीचे झुका और एक निप्पल को मुँह में भरकर चूसने लगा और एक हाथ से गांड और दूसरे हाथ से चुत सहलाने लगा। पूनम के पैर अपने आप फ़ैल गए और गुड्डू का हाथ चुत के मुहाने पर जा पहुँचा। गुड्डू की एक ऊँगली पूनम की गर्म गीली चुत के छेद पर रगड़ खाने लगी और पूनम आह भरती हुई अपने जिस्म को और ढीला कर दी और पैर फैला दी।

गुड्डू चुत को सहलाता हुआ बोला "ये क्या है जान?" पूनम का बदन उत्तेजना से ऐंठ रहा था। वो पुरे नशे में थी। बोली "आम्म्म... चुत...." गुड्डू की ऊँगली अब चुत के अंदर थी। पूनम होश खोने लगी थी। उसकी पैंटी और ट्राउजर उसके एड़ी के पास थी। गुड्डू का हाथ पीठ पे आया और ब्रा का हुक खोल दिया।

बोला "इसमें क्या डालूँगा क्या जान?" पूनम बोली "आह लण्ड...." गुड्डू ने टॉप और ब्रा को सामने अच्छे से ऊपर कर दिया और अच्छे से चुच्ची को पूरी तरह मुँह में भरकर चूसने लगा और चुत में ऊँगली अंदर बाहर करने लगा।

बोला "फिर क्या करूँगा?" पूनम बोली "म्म्म.... चोदोगे।" गुड्डू बोला "कैसे?" पूनम मदहोश आवाज़ में ही बोली "लण्ड को चुत में डालकर।" गुड्डू अब दूसरी ऊँगली को चुत में डाल रहा था। बोला "किसका... म्म्म... अच्छे से बोल न" पूनम बोली "अपने लण्ड को मेरी चुत में डालकर चोदोगे।"

गुड्डू बोला "आह... तो बोल न।" पूनम उसी नशे में बोली "क्या?" गुड्डू बोला "बोल न चोदो मुझे।" पूनम को हँसी आ गयी। बोली "मैं बोलूँगी तब चोदोगे।" गुड्डू भी मुस्कुरा दिया। बोला "बोल न।"

पूनम बोली "तो चोद लो न। आह..." गुड्डू ने पूनम को हॉल में ही रखे सोफे पे लिटा दिया और उसकी पैंटी और ट्राउजर को पैर से निकाल कर अलग अलग रख दिया और उसके पैरों को फैलाकर चुत पे किस करता हुआ बोला "अच्छे से बोल न।"
[Image: 99346267_307224_04.jpg]

चुत पर जीभ लगते ही पूनम का रोम रोम सिहर उठा। बोली "आह... चोदो न, डाल दो अपना लण्ड मेरी चुत में... आह चोदो मुझे... मम्मम।" गुड्डू पुरे चुत को मुँह में भरकर चूसता हुआ बोला "आह... हाँ मेरी डार्लिंग.... "

दोनों वासना में डूबे हुए थे की अचानक गेट पर नॉक करने की आवाज़ आयी। पूनम की तो जैसे जान ही निकल गयी। वो हड़बड़ा कर उठ बैठी और अपने कपड़े ठीक करने लगी और पागलों की तरह बोलने लगी "मम्मी पापा आ गए होंगे। तुम जल्दी जाओ। ओह... हे भगवान...तुम जाओ जल्दी.... उफ़्फ़...." वो ब्रा का हुक बंद कर रही थी लेकिन हो नहीं रहा था।

गुड्डू का भी मूड खराब हो गया था। वो उठा और जाने लगा। जाते जाते उसने पूनम की पैंटी को उठा लिया और जेब में रखकर बाहर निकल गया। पूनम से ब्रा का हुक नहीं लगा और वो इसी तरह कप में चुच्ची डालकर टॉप ठीक कर ली और गेट को बंद कर दी। फिर वो पैंटी ढूंढने लगी तो उसे पैंटी मिल नहीं रहा था।

उसे खुद पे गुस्सा आ रहा था। वो इधर उधर देखी और जब पैंटी नहीं मिला तो ट्राउजर पहन ली। फिर वो एन्वेलोप उठायी और उसे अपने रूम में गद्दे के नीचे छिपा दी। फिर वो ऐसे आवाज़ दी जैसे गहरी नींद में हो और फिर हॉल में आकर एक नज़र डाली की शायद पैंटी दिख जाए और सबकुछ ठीक से है कि नहीं। उसे पैंटी नहीं दिखा तो वो ऐसे ही गेट खोलने चल दी।
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RE: ये कहाँ आ गए हम - पूनम का रूपांतरण - by Bunty4g - 09-03-2019, 11:30 AM



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