09-03-2019, 11:25 AM
लेकिन थोड़ी ही देर में मेरा दर्द कम हो गया क्योंकि अब प्रदीप का सुपारा मेरी चूत में थोड़ा थोड़ा अन्दर बाहर हो रहा था और बीच बीच में प्रदीप अपने लंड को मेरी चूत की थोड़ी गहराई में झटके से पेल देता था, फिर जल्दी से पूरा लंड बाहर निकाल लेता था। वह मुझे बड़े आहिस्ता आहिस्ता चोद रहा था अब मुझे धीरे-धीरे मजा आने लगा था। साथ ही साथ मैं विशाल के लंड को भी चूस रही थी। मैंने विशाल के लंड से अपना मुँह हटाया और प्रदीप से बोली- प्रदीप ! मुझे दर्द नहीं हो रहा है अब तुम अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल सकते हो।
यह सुनते ही प्रदीप ने एक झटके में अपना पूरा 8 इन्ची लंड मेरी चूत में पेल दिया। एक पल के लिए मुझे हल्का सा दर्द महसूस हुआ। इसके बाद तो चुदाई का मजा आने लगा। प्रदीप लगातार पूरी गति से मुझे चोद रहा था और उसी गति से मैं अपनी गाण्ड आगे-पीछे कर के उसका साथ दे रही थी। दोनों लोग मुझको कस कर चोदते रहे, एक मुँह को, और दूसरा मेरी चूत को। इस बीच मैं कम से कम कम 7-8 बार झड़ चुकी थी।
करीब 30 मिनट के बाद विशाल ऐंठने लगा और वह मेरे मुँह के अन्दर ही झड़ गया। मैंने उसका वीर्य पी लिया। इधर प्रदीप ने भी अपनी स्पीड और बढ़ा दी। फिर एक झटके से अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल कर बोले- मैं झड़ने वाला हूँ ! मेरे लंड को अपने मुँह में ले लो।
मैं बिल्कुल उल्टा घूम कर अपनी चूत विशाल की तरफ कर के प्रदीप का लंड, जोकि चुदाई के बाद और भी ज्यादा मोटा हो गया था, अपने मुँह में लेने का प्रयास किया लेकिन सुपाड़ा चुदाई के बाद इतना बड़ा हो गया था कि मैं उसको अपने मुँह में नहीं ले सकी सिर्फ चाट चाट कर वीर्य पीना पड़ा।
उधर जैसे ही विशाल ने मेरी चूत को देखा तो चिल्लाया- अबे प्रदीप, तूने तो संध्या की चूत को भोसड़ा बना दिया। देखो तो इसकी चूत बिलकुल कमल की तरह खिल गई है।
प्रदीप मुस्कराने लगे और बोले- यार मैं जिसकी एक बार ले लेता हूँ उसकी बुर जिन्दगी भर के लिए भोसड़ा बन जाती है। इसमें मेरा कोई दोष नहीं है यार ! मेरा लंड ही ऐसा है, मैं क्या करूं।
मैंने सोचा- देखें ! मेरी चूत प्रदीप की एक चुदाई से भोसड़ा कैसे बन गई।
मैं तुरन्त बेड से उतर कर ड्रेसिंग मिरर के सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गई और अपनी दोनों टागें ऊपर उठा कर अपनी चूत को शीशे में देखते ही मेरे मुँह से निकला- ओह माई गॉड ! यह तो वाकई एक खूबसूरत भोसड़ा बन गई है।
अभी भी इसके दोनों लब दरवाजे की तरह दाएँ बाएँ खुले हुए थे और बीच में एक बड़ा सा दो इन्ची व्यास का छेद नजर आ रहा था। मैंने अपनी दो उंगलियों को उसमें डाला। मुझे कुछ पता ही नहीं चला कि मेरी भोसड़े में दो उंगलियां हैं !
मुझे बहुत खुशी हुई। इसके बाद मैं उठ कर बेड पर दोनों के साथ लेट गई। उस रात उन दोनों ने मेरी दो बार और चुदाई की। करीब तीन बजे हम सब थक कर वैसे ही नंगे सो गए।
सुबह मम्मी ने हम लोगों को करीब नौ बजे जगाया।
हम लोग हड़बड़ा कर उठे और अपने अपने कपड़े को खोजने लगे। हम लोगों की हालत देख कर मम्मी बड़ी प्रसन्ता से बोली- मैं तुम लोगों के लिए चाय नाश्ता बना रही हूँ, फ्रेश हो कर डाइनिंग टेबल पर आ जाना।
यह कहते हुए मम्मी रसोई की तरफ चली गई। हम सभी लोग थोड़ी ही देर में डाइनिंग टेबल पर आ गए। चाय नाश्ता मेज़ पर लगा था।
मम्मी रसोई से आते हुए मुस्कराते हुए बोली- लगता है तुम लोगों ने संध्या को रात भर कस कर चोदा है। इस बात पर प्रदीप और विशाल बगैर कुछ बोले मुस्कराने लगे। नाश्ता करने के बाद प्रदीप और विशाल एक साथ कॉलेज के लिए निकल गए।
पाँच दिनों तक विशाल और प्रदीप मुझे सुबह और रात में दो दो बार चोदते रहे। उसके बाद विशाल दिल्ली चला गया और प्रदीप अपने घर चला गया। लेकिन रोज शाम को आकर मुझे चोदता था और वीर्य पिलाता था। कभी कभी प्रदीप के दोस्त भी मुझे चोदते और वीर्य पिलाते थे।
एक दिन प्रदीप के साथ उसका दोस्त मोहन त्रिपाठी आया। मैं समझ गई कि आज यह भी मुझे चोदेगा और वीर्य पिलाएगा।
खैर प्रदीप ने मोहन त्रिपाठी का परिचय मेरी मम्मी से कराया ये मेरे बड़े भाई के और मेरे भी दोस्त हैं ये ज्योतिष और हस्त रेखा के विशेषज्ञ है ये जो भी बात बताते हैं वो बिल्कुल सही निकलती है।
यह सुन कर मेरी मम्मी तुरन्त मेरे बारे में पूछने लगीं- मेरी बेटी संध्या का बदन एक जवान लड़की की तरह होगा या नहीं और इसकी शादी कब होगी?
इस पर मोहन त्रिपाठी ने मेरी कुन्डली मांगी। मम्मी ने मोहन त्रिपाठी को कुन्डली ला कर दे दी। उन्होंने बड़े ध्यान से कुन्डली को पाँच मिनट तक देखा फिर मुझसे बोले- अपना बायाँ हाथ दिखाओ।
मेरा हाथ उलट पलट कर देखते रहे, फिर मम्मी से बोले- आपकी बेटी का हार्मोनल सिस्टम बिगड़ा है अगर एक चीज आपकी बेटी के शरीर में होगी तो वो बिलकुल ठीक हो जायेगी।
वोह क्या... मम्मी बोलीं।
इस पर पंडित जी ने प्रदीप के कान में कुछ कहा। फिर प्रदीप ने मम्मी को इशारे से अन्दर आने को कहा। प्रदीप और मम्मी अन्दर चले गए। प्रदीप ने मम्मी से कहा कि पंडित जी संध्या की बुर का निरीक्षण करना चाहते हैं।
मम्मी ने अनुमति दे दी। फिर प्रदीप ने आकर पंडित जी से कहा कि आप देख सकते हैं ! और मुझसे कहा कि सलवार उतार कर तुम अपनी बुर पंडित जी को दिखाओ। मैंने वैसा ही किया जैसे प्रदीप ने कहा। मुझे अब किसी के सामने कपड़े उतारने में कोई संकोच नही होता था।
पंडित जी ने मेरी चूत को बारीकी से देखा और मुस्कराकर मम्मी से बोले- आपकी लड़की बिल्कुल सही हो जायेगी क्योंकि इसकी योनि पर काला तिल है, आपकी लड़की इतनी सेक्सी है कि कोई साधारण लड़का इसको संतुष्ट नहीं कर पायेगा, वही लड़का इसको संतुष्ट कर सकता है, जिसके लिंग पर काला तिल होगा। आप इसकी शादी उसी लड़के से करियेगा। और जहाँ तक इसकी शादी की बात है वह 28-29 वर्ष में हो जायेगी। आप की लड़की तो सुन्दरता का प्रयाय बनेगी। आप देखती जाइये। क्योंकि इसकी कुन्डली में पिछले तीन महीने से शुक्र की महादशा चल रही है आप बिलकुल निश्चिंत रहिए। फिर प्रदीप और पंडित बाहर चले गए। मैं और मम्मी, पंडित जी की भविष्यवाणी सुन कर बहुत प्रसन्न हुए।
इसके बाद यह थैरेपी करीब तीन महीने तक चली लेकिन कोई खास परिवर्तन मेरे बदन में नही दिखा। लेकिन मेरी मम्मी ने कहा- तुम लगातार वीर्य पान करती रहो।
चौथे महीने के एक दिन जब सुबह उठी, तो मुझे लगा कि मेरी बुर के पास की सलवार गीली है। मैंने हाथ लगा कर देखा कि मेरी बुर से खून रिस रहा था। मैंने भाग कर मम्मी को बताया। मम्मी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और सलवार उतार कर मेरी बुर के होठों को फैला कर देखते ही बोली- चलो, तुम्हारे पीरियड शुरू हो गये हैं अब सब ठीक हो जायेगा। इसके बाद तो चुदाई में मुझे और मजा आने लगा। मेरी चुदाई से अब मेरे शरीर में परिवर्तन आने लगा था। पांचवे महीने मेरी चूचियाँ सन्तरे के बराबर हो चुकी थी और मेरा रंग भी पहले से ज्यादा साफ हो रहा था।
एक साल के बाद तो कोई मुझे पहचान ही नही सकता था। मैं एक सम्पूर्ण खूबसूरत लड़की हो चुकी थी। जहाँ भी जाती, लोग मुझे देखते ही रहते। अब तो मैं महफ़िलों की शान थी। जो भी लड़का मुझे देखता, वो चोदने के फिराक में आ जाता था। लेकिन मैं सबसे तो चुदवा नहीं सकती थी।
समय बीतता गया, बीच बीच में मेरे रिश्ते के मामा ने भी मेरी खूब चुदाई की। मुझे उनकी चुदाई में मजा भी आता था।
मम्मी अक्सर कहती थी कि तुम्हारी शादी इन्हीं से करवा दे ! लेकिन वो कभी भी मुझे पूर्ण संतिष्टि नहीं दे पाये। इसलिए मैंने उनसे शादी के लिए मना कर दिया। इसीलिए मैंने अपने कई ब्वाय फ्रेन्ड्स के साथ सेक्स किया लेकिन सर... ! मैंने किसी के लण्ड पर काला तिल नहीं देखा। मेरी उम्र बढ़ती जा रही थी। फिर मेरे पापा के जानने वाले ने मेरी शादी एक सी.ए. से तय करा दी। वो सी ए साधारण लड़का था। मैंने भी सोचा कि चलो इसी से कर लेते हैं। शादी हमारे समाज में आवश्यक है। जब कोई आदमी, जिसके लन्ड पर काला तिल होगा, मिलेगा, तो उससे अपनी चूत की आग बुझवा लिया करूगीं।
यह सुनते ही प्रदीप ने एक झटके में अपना पूरा 8 इन्ची लंड मेरी चूत में पेल दिया। एक पल के लिए मुझे हल्का सा दर्द महसूस हुआ। इसके बाद तो चुदाई का मजा आने लगा। प्रदीप लगातार पूरी गति से मुझे चोद रहा था और उसी गति से मैं अपनी गाण्ड आगे-पीछे कर के उसका साथ दे रही थी। दोनों लोग मुझको कस कर चोदते रहे, एक मुँह को, और दूसरा मेरी चूत को। इस बीच मैं कम से कम कम 7-8 बार झड़ चुकी थी।
करीब 30 मिनट के बाद विशाल ऐंठने लगा और वह मेरे मुँह के अन्दर ही झड़ गया। मैंने उसका वीर्य पी लिया। इधर प्रदीप ने भी अपनी स्पीड और बढ़ा दी। फिर एक झटके से अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल कर बोले- मैं झड़ने वाला हूँ ! मेरे लंड को अपने मुँह में ले लो।
मैं बिल्कुल उल्टा घूम कर अपनी चूत विशाल की तरफ कर के प्रदीप का लंड, जोकि चुदाई के बाद और भी ज्यादा मोटा हो गया था, अपने मुँह में लेने का प्रयास किया लेकिन सुपाड़ा चुदाई के बाद इतना बड़ा हो गया था कि मैं उसको अपने मुँह में नहीं ले सकी सिर्फ चाट चाट कर वीर्य पीना पड़ा।
उधर जैसे ही विशाल ने मेरी चूत को देखा तो चिल्लाया- अबे प्रदीप, तूने तो संध्या की चूत को भोसड़ा बना दिया। देखो तो इसकी चूत बिलकुल कमल की तरह खिल गई है।
प्रदीप मुस्कराने लगे और बोले- यार मैं जिसकी एक बार ले लेता हूँ उसकी बुर जिन्दगी भर के लिए भोसड़ा बन जाती है। इसमें मेरा कोई दोष नहीं है यार ! मेरा लंड ही ऐसा है, मैं क्या करूं।
मैंने सोचा- देखें ! मेरी चूत प्रदीप की एक चुदाई से भोसड़ा कैसे बन गई।
मैं तुरन्त बेड से उतर कर ड्रेसिंग मिरर के सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गई और अपनी दोनों टागें ऊपर उठा कर अपनी चूत को शीशे में देखते ही मेरे मुँह से निकला- ओह माई गॉड ! यह तो वाकई एक खूबसूरत भोसड़ा बन गई है।
अभी भी इसके दोनों लब दरवाजे की तरह दाएँ बाएँ खुले हुए थे और बीच में एक बड़ा सा दो इन्ची व्यास का छेद नजर आ रहा था। मैंने अपनी दो उंगलियों को उसमें डाला। मुझे कुछ पता ही नहीं चला कि मेरी भोसड़े में दो उंगलियां हैं !
मुझे बहुत खुशी हुई। इसके बाद मैं उठ कर बेड पर दोनों के साथ लेट गई। उस रात उन दोनों ने मेरी दो बार और चुदाई की। करीब तीन बजे हम सब थक कर वैसे ही नंगे सो गए।
सुबह मम्मी ने हम लोगों को करीब नौ बजे जगाया।
हम लोग हड़बड़ा कर उठे और अपने अपने कपड़े को खोजने लगे। हम लोगों की हालत देख कर मम्मी बड़ी प्रसन्ता से बोली- मैं तुम लोगों के लिए चाय नाश्ता बना रही हूँ, फ्रेश हो कर डाइनिंग टेबल पर आ जाना।
यह कहते हुए मम्मी रसोई की तरफ चली गई। हम सभी लोग थोड़ी ही देर में डाइनिंग टेबल पर आ गए। चाय नाश्ता मेज़ पर लगा था।
मम्मी रसोई से आते हुए मुस्कराते हुए बोली- लगता है तुम लोगों ने संध्या को रात भर कस कर चोदा है। इस बात पर प्रदीप और विशाल बगैर कुछ बोले मुस्कराने लगे। नाश्ता करने के बाद प्रदीप और विशाल एक साथ कॉलेज के लिए निकल गए।
पाँच दिनों तक विशाल और प्रदीप मुझे सुबह और रात में दो दो बार चोदते रहे। उसके बाद विशाल दिल्ली चला गया और प्रदीप अपने घर चला गया। लेकिन रोज शाम को आकर मुझे चोदता था और वीर्य पिलाता था। कभी कभी प्रदीप के दोस्त भी मुझे चोदते और वीर्य पिलाते थे।
एक दिन प्रदीप के साथ उसका दोस्त मोहन त्रिपाठी आया। मैं समझ गई कि आज यह भी मुझे चोदेगा और वीर्य पिलाएगा।
खैर प्रदीप ने मोहन त्रिपाठी का परिचय मेरी मम्मी से कराया ये मेरे बड़े भाई के और मेरे भी दोस्त हैं ये ज्योतिष और हस्त रेखा के विशेषज्ञ है ये जो भी बात बताते हैं वो बिल्कुल सही निकलती है।
यह सुन कर मेरी मम्मी तुरन्त मेरे बारे में पूछने लगीं- मेरी बेटी संध्या का बदन एक जवान लड़की की तरह होगा या नहीं और इसकी शादी कब होगी?
इस पर मोहन त्रिपाठी ने मेरी कुन्डली मांगी। मम्मी ने मोहन त्रिपाठी को कुन्डली ला कर दे दी। उन्होंने बड़े ध्यान से कुन्डली को पाँच मिनट तक देखा फिर मुझसे बोले- अपना बायाँ हाथ दिखाओ।
मेरा हाथ उलट पलट कर देखते रहे, फिर मम्मी से बोले- आपकी बेटी का हार्मोनल सिस्टम बिगड़ा है अगर एक चीज आपकी बेटी के शरीर में होगी तो वो बिलकुल ठीक हो जायेगी।
वोह क्या... मम्मी बोलीं।
इस पर पंडित जी ने प्रदीप के कान में कुछ कहा। फिर प्रदीप ने मम्मी को इशारे से अन्दर आने को कहा। प्रदीप और मम्मी अन्दर चले गए। प्रदीप ने मम्मी से कहा कि पंडित जी संध्या की बुर का निरीक्षण करना चाहते हैं।
मम्मी ने अनुमति दे दी। फिर प्रदीप ने आकर पंडित जी से कहा कि आप देख सकते हैं ! और मुझसे कहा कि सलवार उतार कर तुम अपनी बुर पंडित जी को दिखाओ। मैंने वैसा ही किया जैसे प्रदीप ने कहा। मुझे अब किसी के सामने कपड़े उतारने में कोई संकोच नही होता था।
पंडित जी ने मेरी चूत को बारीकी से देखा और मुस्कराकर मम्मी से बोले- आपकी लड़की बिल्कुल सही हो जायेगी क्योंकि इसकी योनि पर काला तिल है, आपकी लड़की इतनी सेक्सी है कि कोई साधारण लड़का इसको संतुष्ट नहीं कर पायेगा, वही लड़का इसको संतुष्ट कर सकता है, जिसके लिंग पर काला तिल होगा। आप इसकी शादी उसी लड़के से करियेगा। और जहाँ तक इसकी शादी की बात है वह 28-29 वर्ष में हो जायेगी। आप की लड़की तो सुन्दरता का प्रयाय बनेगी। आप देखती जाइये। क्योंकि इसकी कुन्डली में पिछले तीन महीने से शुक्र की महादशा चल रही है आप बिलकुल निश्चिंत रहिए। फिर प्रदीप और पंडित बाहर चले गए। मैं और मम्मी, पंडित जी की भविष्यवाणी सुन कर बहुत प्रसन्न हुए।
इसके बाद यह थैरेपी करीब तीन महीने तक चली लेकिन कोई खास परिवर्तन मेरे बदन में नही दिखा। लेकिन मेरी मम्मी ने कहा- तुम लगातार वीर्य पान करती रहो।
चौथे महीने के एक दिन जब सुबह उठी, तो मुझे लगा कि मेरी बुर के पास की सलवार गीली है। मैंने हाथ लगा कर देखा कि मेरी बुर से खून रिस रहा था। मैंने भाग कर मम्मी को बताया। मम्मी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और सलवार उतार कर मेरी बुर के होठों को फैला कर देखते ही बोली- चलो, तुम्हारे पीरियड शुरू हो गये हैं अब सब ठीक हो जायेगा। इसके बाद तो चुदाई में मुझे और मजा आने लगा। मेरी चुदाई से अब मेरे शरीर में परिवर्तन आने लगा था। पांचवे महीने मेरी चूचियाँ सन्तरे के बराबर हो चुकी थी और मेरा रंग भी पहले से ज्यादा साफ हो रहा था।
एक साल के बाद तो कोई मुझे पहचान ही नही सकता था। मैं एक सम्पूर्ण खूबसूरत लड़की हो चुकी थी। जहाँ भी जाती, लोग मुझे देखते ही रहते। अब तो मैं महफ़िलों की शान थी। जो भी लड़का मुझे देखता, वो चोदने के फिराक में आ जाता था। लेकिन मैं सबसे तो चुदवा नहीं सकती थी।
समय बीतता गया, बीच बीच में मेरे रिश्ते के मामा ने भी मेरी खूब चुदाई की। मुझे उनकी चुदाई में मजा भी आता था।
मम्मी अक्सर कहती थी कि तुम्हारी शादी इन्हीं से करवा दे ! लेकिन वो कभी भी मुझे पूर्ण संतिष्टि नहीं दे पाये। इसलिए मैंने उनसे शादी के लिए मना कर दिया। इसीलिए मैंने अपने कई ब्वाय फ्रेन्ड्स के साथ सेक्स किया लेकिन सर... ! मैंने किसी के लण्ड पर काला तिल नहीं देखा। मेरी उम्र बढ़ती जा रही थी। फिर मेरे पापा के जानने वाले ने मेरी शादी एक सी.ए. से तय करा दी। वो सी ए साधारण लड़का था। मैंने भी सोचा कि चलो इसी से कर लेते हैं। शादी हमारे समाज में आवश्यक है। जब कोई आदमी, जिसके लन्ड पर काला तिल होगा, मिलेगा, तो उससे अपनी चूत की आग बुझवा लिया करूगीं।
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!