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Adultery संध्या की स्पर्म थेरेपी एक लंबी कहानी // raviram69
#6
// भैया ने कहा- तुम तो बहुत जबरदस्त झड़ती हो ! लगता है तुम्हारी चूत अब चुदने के लिए तैयार है।

मैंने कहा- जी भैया... !

// और फिर विशाल उठ कर बैठ गया और मेरी टांगें फैलाकर अपना फनफनाता हुआ मोटा लंबा लंड मेरी चूत के मुँह पर रख कर धीरे से अन्दर की तरफ ठेला। हालांकि भैया का लंड थोड़ा पतला था लेकिन लम्बा था। फिर भी सुपारा घुसते ही मेरा चेहरा दर्द के मारे लाल हो गया। भैया ने मेरी तरफ देखा और बोले- दर्द हो रहा है?

// मैंने कहा- हाँ... बहुत दर्द हो रहा है।
// भैया बोले- बस थोड़ा सा सह लो ! अभी यह दर्द मस्ती में बदल जएगा।

// और भैया लगा कस कर पेलने। भैया ने सही कहा था ! करीब 5 मिनट के बाद मेरा सारा दर्द गायब हो गया था और मैं भैया से चिपटने लगी। विशाल मुझे कस कर चोदे जा रहा था !

// मेरे मुँह से अनायास ही निकलने लगा- ... ओह्ह्ह्ह्ह......आह्ह्ह्ह्... और कस कर चोदो मेरे अच्छे भैया... ओह माई गॉड प्लीज और अन्दर तक पेलो, मेरी बुर को चोद चोद कर भक्काड़ा कर दो प्लीज भैया... प्लीजऽऽऽ !

// इस अलौकिक आनन्द से जैसे मैं पागल हुई जा रही थी और कई बार मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरे बुर से पानी का फव्वारा निकला हो। इतने में भैया ने झट से अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और मुझसे बोले- ले मेरे लंड को जल्दी से चूस ले ! माल निकलने वाला है !

// मैंने तुरन्त उनका लन्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। थोड़ी ही देर में भैया का ढ़ेर सारा वीर्य मेरे मुँह में भर गया, मैं तुरन्त वीर्य को गटक गई भैया का वीर्य काफी स्वादिष्ट था। इसके बाद हम लोग खाना खाने चले गए। लंच के बाद विशाल भैया अपने किसी दोस्त से मिलने चले गए और मैं मम्मी के साथ घर के काम में लग गई।

// शाम को विशाल भैया अपने दोस्त प्रदीप के साथ आये जो यहीं लखनऊ में रहते थे। वह भी बीबीडी से बी टेक कर रहे थे और साथ ही प्रईवेट फर्म में नौकरी करते थे। वह बहुत स्मार्ट थे, गोरा रंग, सुगठित बदन खिलाड़ियों जैसा, कद 5'7" कुल मिलाकर वह बिल्कुल मॉडल लगते थे। हम लोग उनसे पहले भी कई बार मिल चुके थे हम लोगों में शिष्टाचार का अदान प्रदान हुआ। फिर मम्मी ने प्रदीप से शिकायत भरे अन्दाज़ में कहा- जब विशाल आता है, तभी तुम भी आते हो, ऐसे भी कभी-2 आ जाया करो...।

// प्रदीप भैया ने तिरछी नज़र से मेरी तरफ देखा और सेक्सी मुस्कराहट के साथ बड़े नाटकीय ढंग से मम्मी को सम्बोधित किया- आज के बाद आप को शिकायत का मौका नहीं मिलेगा आंटी जी ! जब भी मुझे छुट्टी मिलेगी, मैं आप लोगों से मिलने अवश्य आऊंगा।

// इस पर सभी लोग ठहाका लगाते हुए ड्राइंग रूम में बैठ गए और इधर उधर की बातें करने लगे। मैं उठ कर सबके लिए चाय बनाने किचन चली गई। जब मैं चाय ले कर वापस ड्राइंग रूम आई, वहाँ पर सब लोग शांत बैठे थे और प्रदीप भैया गौर से मुझे देखने लगे।

// मैं समझ गई कि इस बीच मम्मी और विशाल भैया ने मेरे बारे में सब कुछ प्रदीप भैया को बता दिया होगा। और शायद मुझे वीर्य पिलाने के लिए प्रदीप भैया से आग्रह किया हो। इसीलिए प्रदीप भैया मेरी अविकसित चूचियों की तरफ बड़े गौर से देख रहे थे। खैर मैंने सबको चाय एवं नाश्ता दिया। प्रदीप भैया चाय पीते हुए बोले- यार संध्या , तुम चाय बहुत बढ़िया बनाती हो !

// इस पर मम्मी बोली- यह खाना भी बहुत अछा बनाती है ! आज तुम संध्या के हाथ का बना खाना खा कर ही जाना...! बीच में विशाल भैया बोले- हाँ यार ! चलो मुर्गा ले कर आते हैं ! बहुत दिनों से घर का बना मुर्गा नहीं खाया है। मम्मी बोली- हाँ ठीक है ! जाओ, तुम लोग मुर्गा ले कर आओ, हम लोग खाने की तैयारी करते हैं।

// भैया लोग मार्केट चले गए, थोड़ी ही देर में मुर्गा ले कर आ गए। मैं और मम्मी खाना बनाने में लग गए और भैया लोग ड्राईंग रूम में बैठ कर गप्प लड़ाने लगे। थोड़ी ही देर में फूफा जी भी आ गए, फ़ूफा जी अक्सर शाम को ड्रिंक किया करते थे। इसलिए वो अपने साथ एक बोतल व्हिस्की भी ले आए और मुझे आवाज दे कर पुकारा- संध्या ... जरा तीन ग्लास और कुछ नम्कीन ले आना।

// मैं समझ गई कि आज भैया लोगों को भी फूफा जी पिलायेंगे। खैर मैं तीन ग्लास, नमकीन और पानी का जग ले कर ड्राइंग रूम पहुचीं। वहाँ पर फ़ूफा जी बोतल खोल रहे थे और भाइयों से बोल रहे थे- तुम लोग अब बड़े हो गए हो, शरमाना छोड़ो और हमारे साथ पियो।

जी फूफा जी... !

भाइयों को जैसे उनकी मन की मुराद पूरी हो गई। इसके बाद ये सब लोग ड्रिंक करते रहे और हम लोग खाना बनाने में लगे रहे। थोड़ी ही देर बाद जब खान तैयार हो गया, मम्मी ने किचान से ही आवाज लगाई- आप लोगों की ड्रिंक अगर खत्म हो गई हो तो खाना लगाया जाये...? जवाब में फ़ूफा जी की आवाज आई- हाँ भाई... खाना लगाओ ... बहुत भूख लगी है। फिर सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठ गए। मैंने सबको खाना परोसा। प्रदीप भैया पहला कौर खाते ही बोले- तुमने मुर्गा बहुत अछा बनाया है !

फिर सभी लोग खाने की तारीफ करने लगे। खाना खाने के बाद प्रदीप भैया बोले- यार विशाल मैं चल रहा हूँ ! वरना मकान मालिक दरवाजा नहीं खोलेगा।

विशाल भैया बोले- यार आज तुम यहीं रुक जाओ, कल सुबह यहीं से कॉलेज चले जाना।

// इस पर मम्मी बोली- हाँ ! यहीं रुक जाओ, इतनी रात में कहां जाओगे? प्रदीप भैया कुछ रुक कर बोले- ठीक है आँटी !
इसी बीच फूफा जी मम्मी के बेडरूम में सोने चाले गए क्योंकि उनको कुछ ज्यादा ही चढ़ गई थी। वो जब भी आते थे वहीं मम्मी के साथ सोते थे। फिर विशाल भैया बोले- ऐसा है कि हम लोग ड्राइंग रूम में सो जाते हैं...। //

मम्मी बोली- नहीं ! तुम तीनों संध्या के कमरे में सो जाओ... यहां ड्राइंग रूम में परेशानी होगी। मम्मी यह कहते हुए अपने बेडरूम की तरफ बढ़ गई।

मम्मी की बात सुन कर मैं बहुत उत्साहित हो गई और सोचने लगी कि आज तो प्रदीप भैया का भी लंड देखने को मिलेगा। खैर मैं विकास भैया से बोली- आप लोग मेरे कमरे में चलिए, मैं मेन-गेट लॉक करके आती हूँ। मैंने बाहर के सारे दरवाजे बन्द किए और फिर मम्मी के बेडरूम की तरफ से अपने कमरे जाने लगी। इतने में मम्मी के कमरे से कुछ अजीब सी, पर जानी पहचानी आवाजें आने लगी। मैंने खिड़की से झांक कर देखा- फूफा जी बेड पर सीधे नंगे लेटे हुए थे और मम्मी की चूत चाट रहे थे और मम्मी फूफा जी का लंड को लॉलीपाप की तरह चूस रही थी। दोनों 69 पोजीशन में थे और दुनिया से बेखबर सेक्स का पूरा मजा ले रहे थे।

यह देखकर मेरा हाथ अनायास ही बुर को सहलाने लगा, थोड़ी देर तक मैं उन लोगों की चुदाई देखती रही, मेरी बुर पानी छोड़ने लगी जिससे मेरी सलवार भीगने लगी। फिर मुझसे रहा नहीं गया और भाग कर अपने कमरे में आ गई जहाँ पहले से ही भैया लोग बिस्तर पर लेटे थे। मुझे देखकर विशाल भैया बोले- कोई लुंगी हो तो प्रदीप को दे दो ताकि वह अपने कपड़े बदल सके। कल फिर यही पहन लेगा।
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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RE: // raviram69 : संध्या की स्पर्म थेरेपी एक लंबी कहानी // - by suneeellpandit - 09-03-2019, 11:23 AM



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