09-03-2019, 11:21 AM
// मम्मी ने बीच में कहा- हाँ बेटा, जैसे डाक्टर साहब ने कहा है, वैसे करो ! मैं हूँ ना तुम्हारे साथ।
// फिर मैं डाक्टर साहब के लिंग को वैसे ही चूसने लगी जैसे कि डाक्टर साहब ने बताया था। मुझे इस इलाज में बड़ा मजा आ रहा था, मैं डाक्टर साहब के लिंग को चूसे जा रही थी, डाक्टर सहब का लिंग और कड़ा होता जा रहा था डाक्टर साहब अपने लिंग को मेरे मुँह के और अन्दर तक घुसेड़ने में लगे थे। कभी कभी मुझे उबकाई जैसे लग रही थी लेकिन मुझे तो पूरी लड़की बनना था इसलिये इसकी परवाह किये बगैर डाक्टर साहब का लिंग चूसे जा रही थी।
// इतने में डाक्टर साहब ने अपनी कमर को मेरे मुँह की तरफ ठेला और उनके लिंग से कुछ नमकीन-2 गोंद सा मेरे मुँह में निकलने लगा। मैंने अपना मुँह लिंग से हटाना चाहा लेकिन डाक्टर साहब ने तुरन्त मेरे सर को पकड़ कर अपने लिंग को मेरे मुँह में गहराई तक घुसेड़ दिया। मेरा मुँह उस गोंद से भर गया। डाक्टर साहब ने धीरे से अपना लिंग मेरे मुँह से निकाला और बोले- इसे पी लो। यही वीर्य है जिसे तुम्हें रोज पीना है, चाहे तुम्हे अच्छा लगे या ना लगे ! और आपकी मम्मी आप को सेक्स करने का तरीका यानि कि चुदवाने का तरीका सिखा देंगी।
// यह कहते हुए उन्होंने अपने कपड़े ठीक किये और केबिन में चले गये।
// मम्मी ने मुझसे पूछा- कोई तकलीफ तो नहीं हुई?
// मैंने नकारात्मक सर हिलाया, कहा- नहीं !
// मम्मी डाक्टर साहब के इलाज से काफी संतुष्ट लग रही थी फिर हम लोग डाक्टर साहब के केबिन की तरफ बढ़ गये। डाक्टर साहब अपनी कुर्सी पर बैठे थे, हम लोगों को देख कर मम्मी से बोले- देखिये, संध्या को मैंने स्पर्म थैरेपी के बेसिक्स बता दिये हैं, शुरू में थोड़ी दिक्कत आ सकती है पर धीरे-2 सब ठीक हो जायेगा। यदि कोई दिक्कत हो तो आप मुझे फोन कर सकती हैं। विश यू आल द बैस्ट ! डाक्टर साहब बोले।
// शाम को हम लोगों का रिजर्वेशन था हम लोग वापस लखनऊ आ गये। अब मम्मी के सामने यह समस्या थी कि वीर्य के लिए किससे कहे, जोकि रोज ताज़ा वीर्य मुझे पिला सके। ऐसे किसी से कह नहीं सकते, समाज का भय था। इसी चिंता में मम्मी थी कि तभी फ़ूफा जी कानपुर से आ गए। फ़ूफा जी अक्सर ही आया करते थे और एक दो हफ्ते रहते थे। हम लोगों की सभी जरूरतें पूरी किया करते थे।
// मम्मी ने मेरे फूफा जी से इस सन्दर्भ में बात की। फ़ूफा जी अक्सर मेरी मम्मी को चोदा करते थे। मैंने छुप कर कई बार देखा था, उनका लंड बहुत मोटा और लम्बा था जो कि मेरी मम्मी को बहुत पसन्द था और मुझे भी !
// मम्मी को चुदते देख कर अच्छा लगता था, मन में मैं सोचा करती थी कि काश ऐसे ही कोई मुझे चोदे, लेकिन मेरी तरफ तो कोई लड़का देखता ही नहीं था।
// खैर मम्मी ने फ़ूफा जी को मेरे लिये तैयार कर लिया। रात को खाना खाने के बाद मम्मी ने मुझे अपने कमरे में बुलाया और कहा- तुम्हारे फूफा तैयार हैं, फिलहाल तुम अपने फूफा का लन्ड चूस कर जितना वीर्य निकले उसे पी जाओ।
// मैंने पूछा- यह लन्ड क्या है ?
// मम्मी ने बताया- लिंग को ही आम भाषा में लन्ड कहते हैं। चलो, जल्दी से पी जाओ।
// मैं फूफा के पास गई। फूफा अपने बिस्तर पर बिल्कुल नंगे लेटे थे। मम्मी ने पहले से ही उनके लन्ड को तैयार कर दिया था बस मुझे चूस कर वीर्य पीना था।
// मैंने फूफा का लन्ड अपने कोमल हाथों से पकड़ा और ठीक वैसे ही चूसने लगी जैसे डाक्टर साहब ने बताया था।
// फूफा को मजा आने लगा। फूफा ने मम्मी से कहा- यह तो बहुत मस्त तरीके से चूस रही है !
// मम्मी ने मुस्कराकर कहा- ट्रेनिंग जो ली है, इसीलिये मस्त चूस रही है।
// इतने में फूफा ने हाथ बढ़ा कर मम्मी को अपनी तरफ खींच लिया और लगे उनकी चूची दबाने...
// मम्मी ने विरोध करते हुए कहा- क्या करते हो? बेटी है।
// अब बेटी से क्या पर्दा...? फूफा बड़े प्यार से बोले- आओ हम सब आज मौज मस्ती करें ! बेटी का इलाज का इलाज हो जयेगा और मस्ती भी।
// फूफा ने मम्मी का ब्लाउज खोल दिया। मम्मी की बड़ी-2 चूचियाँ बाहर आ गई।
// फिर फूफा मुझसे बोले- बेटा, तुम भी अपने सारे कपड़े उतार दो।
// मैंने फूफा की आज्ञा का पालन किया। उधर फूफा ने मम्मी को बिलकुल नंगा कर दिया। अब हम सब लोग एक ही बिस्तर पर नंगे थे। मैं फूफा का लन्ड फिर से चूसने लगी, फूफा मम्मी की चूचियाँ चूस रहे थे और एक हाथ से मम्मी कि बुर में उंगली कर रहे थे और दूसरे हाथ से मेरी बुर सहला रहे थे। मुझे कुछ कुछ होने लगा और बुर से कुछ लसलसा पदर्थ निकल रहा था।
फूफा मम्मी से बोले- अरे, संध्या की चूत से पानी निकल रहा है !
// मम्मी ने तुरन्त मेरी टांगें फैला कर देखा और चूत पर उंगलियों से टटोला, फिर एक उंगली चूत में घुसेड़ कर अन्दर-बाहर करने लगीं और फूफा से बोली- संध्या अब चुदने लायक हो गई है क्योंकि इसके हल्की-2 झाटें भी आ गई हैं और चूत का छेद भी बड़ा लग रहा है। आप ही इसकी बुर का उदघाटन करिये, ठीक रहेगा।
// फूफा ने मम्मी की आज्ञा का पालन किया और उठ कर मेरी चूत को बड़े गौर से देखा... यार इसकी चूत तो बहुत छोटी है मेरा लन्ड झेल पायेगी... मम्मी से बोले।
// आप कोशिश तो करिये ! एक बार में न सही, दो तीन बार में तो हो ही जायेगा।
// मैं यह सब सुन कर बहुत उत्साहित थी कि आज से मेरी चुदाई शुरू हो जायेगी।
// फिर मम्मी ने मेरी दोनों टांगें फैलाते हुए ऊपर उठा लिया और फूफा से बोलीं- चलिये, अब आप इसे चोदिये !
// फूफा ने मेरी गीली चूर पर अपना हलब्बी लन्ड रखा और हलके से चूत में घुसेड़ा, मेरे मुँह से अचानक चीख निकल गई।
// क्या हुआ बेटा... मम्मी ने पूछा।
// बहुत दर्द हो रहा है... मैंने कहा।
// तब तक फूफा अपना लन्ड निकाल चुके थे और मम्मी से बोले- पहले संध्या को किसी पतले लन्ड से चुदवाना पड़ेगा फिर ये मेरा लन्ड सह सकेगी।
// ठीक है ! विशाल पाँच दिनों की छुट्टी में कल आ रहा है, उसका लन्ड अभी पतला ही होगा, पहले उसी से इसको चुदवाती हूँ, दो चार बार चुदेगी तो इसकी बुर रवां हो जायेगी, फिर आप चोदियेगा। फिल हाल बेटा तुम फूफा का रस पी लो। कम से कम आज की डोज तो मिल ही जाय... मम्मी मुझसे बोली।
// (विशाल मेरा ममेरा भाई, जो गाजियाबाद से बीटेक कर रहा था)
// मैंने फिर से फूफा का लन्ड चूसना चालू किया। फूफा का लन्ड फिर से टाईट हो गया और वो अपना लन्ड मेरे मुँह में बड़े जोरों से पेलने लगे, उन्हें बड़ा मजा आ रहा था। थोड़ी ही देर में मेरा मुँह उनके वीर्य से भर गया, मम्मी ने हमसे मुँह खोल कर दिखाने के लिए कहा। मैंने मुँह में जितना वीर्य था उसको दिखाया।
// मम्मी बोली- यह तो बहुत कम है ! ऐसे कैसे काम चलेगा? क्योंकि 50 एम एल वीर्य रोज चाहिए। खैर इसको तो तुम पी ही जाओ, कल देखेंगे।
// फिर मैं कपड़े पहन कर अपने कमरे में सोने चली गई। बाद में फूफा ने मम्मी की भी चुदाई की, क्योंकि उनके कमरे से भचा भच की आवाजें आ रही थी। मैं बहुत थक गई थी थोड़ी ही देर में मुझे नींद आ गई।
// अगले दिन रविवार था। सभी लोग जल्दी ही उठ गए थे क्योंकि विशाल भैया लखनऊ मेल से सुबह आठ बजे ही आ गये थे। हम लोग विशाल भैया से कोई एक साल के बाद मिल रहे थे। विशाल भैया को मेरे इलाज के बारे में कुछ पता नहीं था। सभी लोग खुश थे, चाय नाश्ते के साथ हंसी मजाक चल रहा था। मैं कुछ जादा ही उत्साहित थी, यह सोच कर कि आज विशाल भैया मुझे चोदेंगे।
// अचानक विशाल भैया मेरी तरफ देखते हुए मम्मी से बोले- लगता है संध्या छोटी की छोटी ही रह जाएगी, बढ़ेगी नहीं।
// इस पर मम्मी ने मेरे इलाज के बारे में विशाल भैया को विस्तार से, गम्भीरता से बताया।
// ठीक है ! मैंने भी डाक्टर लाल का नाम सुना है काफी मशहूर हैं, उन्होंने जो राय दी है वह ठीक है। जब तक मैं यहाँ हूँ। मैं ही अपना वीर्य पिला दूंगा !
// और फिर हंसी मजाक चलने, होने लगा।
// विशाल भैया चाय नाश्ता करने के बाद मम्मी से बोले- बुआ जी ! मुझे नींद आ रही है मैं रात को सो नहीं पाया।
// मम्मी बोलीं- ठीक है, तुम स्लीपिंग सूट पहन कर कुछ देर आराम कर लो, जब खाना तैयार हो जाएगा, तब मैं तुमको उठा दूंगी। इसके बाद मेरे फूफा अपने काम से बाहर चले गए, मम्मी और मैं खाने की तैयारी में लग गए।
खाना एक बजे तैयार हो गया। मम्मी ने मुझ से कहा- जाकर विशाल को जगा कर खाने के लिए बुला लो।
// मैं भैया को उठाने के लिए उनके कमरे में गई। विशाल भैया सो रहे थे लेकिन उसका लंड पजामे के अन्दर पूरी तरह से खड़ा दिख रहा था। तभी मेरे दिमाग में सुबह की डोज लेने का खयाल आया और मैं उनके लंड को पजामे के ऊपर से ही पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी। इतने में भैया की आँख खुल गई हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ सामान्य तरीके से देखा।
// मैंने अपना हाथ लंड पर से हटा लिया और बोली- आप जब सोए हुए थे तो आप का लंड पूरी तरह से खड़ा था, देखिए अभी भी खड़ा है ! यह बताइये कि आप सपने में किसको चोद रहे थे? इतने में मम्मी भी कमरे में आ गईं, उन्होंने मेरी बातें सुन ली और भैया के पजामे की तरफ देखने लगी जिसमें भैया का लंड अभी भी ठुनकी मार रहा था और भैया उसको बैठाने की कोशिश कर रहा था ...
// हाँ विशाल ! बताओ... कोई लड़की है जिसकी तुम लेते हो? विशाल भैया थोड़ा सा शरमाते हुए बोले- रेनू ! मेरी क्लास-मेट है !
// अच्छा तो तुम उसी को नींद में चोद रहे थे... मम्मी ने व्यंग्य में कहा। भैया मुस्कराने लगा।
// फिर मम्मी ने कहा- चलो, अभी तुम्हारा मूड है ! रेनू समझ कर अपनी फुफेरी बहन को सुबह की डोज दे दो फिर आकर खाना खा लेना।
// यह कहते हुए मम्मी कमरे से बाहर निकल गई।
// विशाल अभी भी लेटा था उसने मेरी तरफ सेक्सी निगाहों से देखा और बोला- चल संध्या पहली बार चुदने के लिए तैयार हो जा।
// मैं बोली- मैं तो सुबह से ही तैयार हूँ...
// तो आ जा ! मेरा लंड पजामे के बाहर निकाल ! इसने भी बहुत दिनों से चूत के दर्शन नहीं किये हैं, तेरी अनचुदी चूत को चोद कर यह मस्त हो जाएगा। फिर मैने विशाल का पजामा पूरा उतार दिया. उसका लंड अभी भी खड़ा था, मैं गप्प से मुँह में ले कर चूसने लगी। भैया का लंड और कड़ा हो गया। मैं लंड के सुपारे को कस कर चूस रही थी, भैया मेरे मुँह को कायदे से चोद रहा था।
// पांच मिनट के बाद वह बोला- तुम अपने सारे कपड़े उतार दो ! अब मैं तुम्हारी चूत को चोदूँगा।
मैंने सारे कपड़े उतार दिए। फिर भैया ने मुझे बिस्तर पर लिटाया, मेरी टांगें फैलाई और फिर 69 की अवस्था में मेरी चूत को चाटने लगा। मैं उसके लंड को कस कर चूसने लगी। जैसे जैसे भैया मेरी चूत को चूस रहा था, वैसे-वैसे मेरी चूत में चुदाई की चाहत बढ़ती जा रही थी, मेरी चूत ने पानी का फव्वारा छोड़ना शुरू कर दिया था। भैया का पूरा चेहरा मेरी चूत के पानी से भीग गया था।
// फिर मैं डाक्टर साहब के लिंग को वैसे ही चूसने लगी जैसे कि डाक्टर साहब ने बताया था। मुझे इस इलाज में बड़ा मजा आ रहा था, मैं डाक्टर साहब के लिंग को चूसे जा रही थी, डाक्टर सहब का लिंग और कड़ा होता जा रहा था डाक्टर साहब अपने लिंग को मेरे मुँह के और अन्दर तक घुसेड़ने में लगे थे। कभी कभी मुझे उबकाई जैसे लग रही थी लेकिन मुझे तो पूरी लड़की बनना था इसलिये इसकी परवाह किये बगैर डाक्टर साहब का लिंग चूसे जा रही थी।
// इतने में डाक्टर साहब ने अपनी कमर को मेरे मुँह की तरफ ठेला और उनके लिंग से कुछ नमकीन-2 गोंद सा मेरे मुँह में निकलने लगा। मैंने अपना मुँह लिंग से हटाना चाहा लेकिन डाक्टर साहब ने तुरन्त मेरे सर को पकड़ कर अपने लिंग को मेरे मुँह में गहराई तक घुसेड़ दिया। मेरा मुँह उस गोंद से भर गया। डाक्टर साहब ने धीरे से अपना लिंग मेरे मुँह से निकाला और बोले- इसे पी लो। यही वीर्य है जिसे तुम्हें रोज पीना है, चाहे तुम्हे अच्छा लगे या ना लगे ! और आपकी मम्मी आप को सेक्स करने का तरीका यानि कि चुदवाने का तरीका सिखा देंगी।
// यह कहते हुए उन्होंने अपने कपड़े ठीक किये और केबिन में चले गये।
// मम्मी ने मुझसे पूछा- कोई तकलीफ तो नहीं हुई?
// मैंने नकारात्मक सर हिलाया, कहा- नहीं !
// मम्मी डाक्टर साहब के इलाज से काफी संतुष्ट लग रही थी फिर हम लोग डाक्टर साहब के केबिन की तरफ बढ़ गये। डाक्टर साहब अपनी कुर्सी पर बैठे थे, हम लोगों को देख कर मम्मी से बोले- देखिये, संध्या को मैंने स्पर्म थैरेपी के बेसिक्स बता दिये हैं, शुरू में थोड़ी दिक्कत आ सकती है पर धीरे-2 सब ठीक हो जायेगा। यदि कोई दिक्कत हो तो आप मुझे फोन कर सकती हैं। विश यू आल द बैस्ट ! डाक्टर साहब बोले।
// शाम को हम लोगों का रिजर्वेशन था हम लोग वापस लखनऊ आ गये। अब मम्मी के सामने यह समस्या थी कि वीर्य के लिए किससे कहे, जोकि रोज ताज़ा वीर्य मुझे पिला सके। ऐसे किसी से कह नहीं सकते, समाज का भय था। इसी चिंता में मम्मी थी कि तभी फ़ूफा जी कानपुर से आ गए। फ़ूफा जी अक्सर ही आया करते थे और एक दो हफ्ते रहते थे। हम लोगों की सभी जरूरतें पूरी किया करते थे।
// मम्मी ने मेरे फूफा जी से इस सन्दर्भ में बात की। फ़ूफा जी अक्सर मेरी मम्मी को चोदा करते थे। मैंने छुप कर कई बार देखा था, उनका लंड बहुत मोटा और लम्बा था जो कि मेरी मम्मी को बहुत पसन्द था और मुझे भी !
// मम्मी को चुदते देख कर अच्छा लगता था, मन में मैं सोचा करती थी कि काश ऐसे ही कोई मुझे चोदे, लेकिन मेरी तरफ तो कोई लड़का देखता ही नहीं था।
// खैर मम्मी ने फ़ूफा जी को मेरे लिये तैयार कर लिया। रात को खाना खाने के बाद मम्मी ने मुझे अपने कमरे में बुलाया और कहा- तुम्हारे फूफा तैयार हैं, फिलहाल तुम अपने फूफा का लन्ड चूस कर जितना वीर्य निकले उसे पी जाओ।
// मैंने पूछा- यह लन्ड क्या है ?
// मम्मी ने बताया- लिंग को ही आम भाषा में लन्ड कहते हैं। चलो, जल्दी से पी जाओ।
// मैं फूफा के पास गई। फूफा अपने बिस्तर पर बिल्कुल नंगे लेटे थे। मम्मी ने पहले से ही उनके लन्ड को तैयार कर दिया था बस मुझे चूस कर वीर्य पीना था।
// मैंने फूफा का लन्ड अपने कोमल हाथों से पकड़ा और ठीक वैसे ही चूसने लगी जैसे डाक्टर साहब ने बताया था।
// फूफा को मजा आने लगा। फूफा ने मम्मी से कहा- यह तो बहुत मस्त तरीके से चूस रही है !
// मम्मी ने मुस्कराकर कहा- ट्रेनिंग जो ली है, इसीलिये मस्त चूस रही है।
// इतने में फूफा ने हाथ बढ़ा कर मम्मी को अपनी तरफ खींच लिया और लगे उनकी चूची दबाने...
// मम्मी ने विरोध करते हुए कहा- क्या करते हो? बेटी है।
// अब बेटी से क्या पर्दा...? फूफा बड़े प्यार से बोले- आओ हम सब आज मौज मस्ती करें ! बेटी का इलाज का इलाज हो जयेगा और मस्ती भी।
// फूफा ने मम्मी का ब्लाउज खोल दिया। मम्मी की बड़ी-2 चूचियाँ बाहर आ गई।
// फिर फूफा मुझसे बोले- बेटा, तुम भी अपने सारे कपड़े उतार दो।
// मैंने फूफा की आज्ञा का पालन किया। उधर फूफा ने मम्मी को बिलकुल नंगा कर दिया। अब हम सब लोग एक ही बिस्तर पर नंगे थे। मैं फूफा का लन्ड फिर से चूसने लगी, फूफा मम्मी की चूचियाँ चूस रहे थे और एक हाथ से मम्मी कि बुर में उंगली कर रहे थे और दूसरे हाथ से मेरी बुर सहला रहे थे। मुझे कुछ कुछ होने लगा और बुर से कुछ लसलसा पदर्थ निकल रहा था।
फूफा मम्मी से बोले- अरे, संध्या की चूत से पानी निकल रहा है !
// मम्मी ने तुरन्त मेरी टांगें फैला कर देखा और चूत पर उंगलियों से टटोला, फिर एक उंगली चूत में घुसेड़ कर अन्दर-बाहर करने लगीं और फूफा से बोली- संध्या अब चुदने लायक हो गई है क्योंकि इसके हल्की-2 झाटें भी आ गई हैं और चूत का छेद भी बड़ा लग रहा है। आप ही इसकी बुर का उदघाटन करिये, ठीक रहेगा।
// फूफा ने मम्मी की आज्ञा का पालन किया और उठ कर मेरी चूत को बड़े गौर से देखा... यार इसकी चूत तो बहुत छोटी है मेरा लन्ड झेल पायेगी... मम्मी से बोले।
// आप कोशिश तो करिये ! एक बार में न सही, दो तीन बार में तो हो ही जायेगा।
// मैं यह सब सुन कर बहुत उत्साहित थी कि आज से मेरी चुदाई शुरू हो जायेगी।
// फिर मम्मी ने मेरी दोनों टांगें फैलाते हुए ऊपर उठा लिया और फूफा से बोलीं- चलिये, अब आप इसे चोदिये !
// फूफा ने मेरी गीली चूर पर अपना हलब्बी लन्ड रखा और हलके से चूत में घुसेड़ा, मेरे मुँह से अचानक चीख निकल गई।
// क्या हुआ बेटा... मम्मी ने पूछा।
// बहुत दर्द हो रहा है... मैंने कहा।
// तब तक फूफा अपना लन्ड निकाल चुके थे और मम्मी से बोले- पहले संध्या को किसी पतले लन्ड से चुदवाना पड़ेगा फिर ये मेरा लन्ड सह सकेगी।
// ठीक है ! विशाल पाँच दिनों की छुट्टी में कल आ रहा है, उसका लन्ड अभी पतला ही होगा, पहले उसी से इसको चुदवाती हूँ, दो चार बार चुदेगी तो इसकी बुर रवां हो जायेगी, फिर आप चोदियेगा। फिल हाल बेटा तुम फूफा का रस पी लो। कम से कम आज की डोज तो मिल ही जाय... मम्मी मुझसे बोली।
// (विशाल मेरा ममेरा भाई, जो गाजियाबाद से बीटेक कर रहा था)
// मैंने फिर से फूफा का लन्ड चूसना चालू किया। फूफा का लन्ड फिर से टाईट हो गया और वो अपना लन्ड मेरे मुँह में बड़े जोरों से पेलने लगे, उन्हें बड़ा मजा आ रहा था। थोड़ी ही देर में मेरा मुँह उनके वीर्य से भर गया, मम्मी ने हमसे मुँह खोल कर दिखाने के लिए कहा। मैंने मुँह में जितना वीर्य था उसको दिखाया।
// मम्मी बोली- यह तो बहुत कम है ! ऐसे कैसे काम चलेगा? क्योंकि 50 एम एल वीर्य रोज चाहिए। खैर इसको तो तुम पी ही जाओ, कल देखेंगे।
// फिर मैं कपड़े पहन कर अपने कमरे में सोने चली गई। बाद में फूफा ने मम्मी की भी चुदाई की, क्योंकि उनके कमरे से भचा भच की आवाजें आ रही थी। मैं बहुत थक गई थी थोड़ी ही देर में मुझे नींद आ गई।
// अगले दिन रविवार था। सभी लोग जल्दी ही उठ गए थे क्योंकि विशाल भैया लखनऊ मेल से सुबह आठ बजे ही आ गये थे। हम लोग विशाल भैया से कोई एक साल के बाद मिल रहे थे। विशाल भैया को मेरे इलाज के बारे में कुछ पता नहीं था। सभी लोग खुश थे, चाय नाश्ते के साथ हंसी मजाक चल रहा था। मैं कुछ जादा ही उत्साहित थी, यह सोच कर कि आज विशाल भैया मुझे चोदेंगे।
// अचानक विशाल भैया मेरी तरफ देखते हुए मम्मी से बोले- लगता है संध्या छोटी की छोटी ही रह जाएगी, बढ़ेगी नहीं।
// इस पर मम्मी ने मेरे इलाज के बारे में विशाल भैया को विस्तार से, गम्भीरता से बताया।
// ठीक है ! मैंने भी डाक्टर लाल का नाम सुना है काफी मशहूर हैं, उन्होंने जो राय दी है वह ठीक है। जब तक मैं यहाँ हूँ। मैं ही अपना वीर्य पिला दूंगा !
// और फिर हंसी मजाक चलने, होने लगा।
// विशाल भैया चाय नाश्ता करने के बाद मम्मी से बोले- बुआ जी ! मुझे नींद आ रही है मैं रात को सो नहीं पाया।
// मम्मी बोलीं- ठीक है, तुम स्लीपिंग सूट पहन कर कुछ देर आराम कर लो, जब खाना तैयार हो जाएगा, तब मैं तुमको उठा दूंगी। इसके बाद मेरे फूफा अपने काम से बाहर चले गए, मम्मी और मैं खाने की तैयारी में लग गए।
खाना एक बजे तैयार हो गया। मम्मी ने मुझ से कहा- जाकर विशाल को जगा कर खाने के लिए बुला लो।
// मैं भैया को उठाने के लिए उनके कमरे में गई। विशाल भैया सो रहे थे लेकिन उसका लंड पजामे के अन्दर पूरी तरह से खड़ा दिख रहा था। तभी मेरे दिमाग में सुबह की डोज लेने का खयाल आया और मैं उनके लंड को पजामे के ऊपर से ही पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी। इतने में भैया की आँख खुल गई हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ सामान्य तरीके से देखा।
// मैंने अपना हाथ लंड पर से हटा लिया और बोली- आप जब सोए हुए थे तो आप का लंड पूरी तरह से खड़ा था, देखिए अभी भी खड़ा है ! यह बताइये कि आप सपने में किसको चोद रहे थे? इतने में मम्मी भी कमरे में आ गईं, उन्होंने मेरी बातें सुन ली और भैया के पजामे की तरफ देखने लगी जिसमें भैया का लंड अभी भी ठुनकी मार रहा था और भैया उसको बैठाने की कोशिश कर रहा था ...
// हाँ विशाल ! बताओ... कोई लड़की है जिसकी तुम लेते हो? विशाल भैया थोड़ा सा शरमाते हुए बोले- रेनू ! मेरी क्लास-मेट है !
// अच्छा तो तुम उसी को नींद में चोद रहे थे... मम्मी ने व्यंग्य में कहा। भैया मुस्कराने लगा।
// फिर मम्मी ने कहा- चलो, अभी तुम्हारा मूड है ! रेनू समझ कर अपनी फुफेरी बहन को सुबह की डोज दे दो फिर आकर खाना खा लेना।
// यह कहते हुए मम्मी कमरे से बाहर निकल गई।
// विशाल अभी भी लेटा था उसने मेरी तरफ सेक्सी निगाहों से देखा और बोला- चल संध्या पहली बार चुदने के लिए तैयार हो जा।
// मैं बोली- मैं तो सुबह से ही तैयार हूँ...
// तो आ जा ! मेरा लंड पजामे के बाहर निकाल ! इसने भी बहुत दिनों से चूत के दर्शन नहीं किये हैं, तेरी अनचुदी चूत को चोद कर यह मस्त हो जाएगा। फिर मैने विशाल का पजामा पूरा उतार दिया. उसका लंड अभी भी खड़ा था, मैं गप्प से मुँह में ले कर चूसने लगी। भैया का लंड और कड़ा हो गया। मैं लंड के सुपारे को कस कर चूस रही थी, भैया मेरे मुँह को कायदे से चोद रहा था।
// पांच मिनट के बाद वह बोला- तुम अपने सारे कपड़े उतार दो ! अब मैं तुम्हारी चूत को चोदूँगा।
मैंने सारे कपड़े उतार दिए। फिर भैया ने मुझे बिस्तर पर लिटाया, मेरी टांगें फैलाई और फिर 69 की अवस्था में मेरी चूत को चाटने लगा। मैं उसके लंड को कस कर चूसने लगी। जैसे जैसे भैया मेरी चूत को चूस रहा था, वैसे-वैसे मेरी चूत में चुदाई की चाहत बढ़ती जा रही थी, मेरी चूत ने पानी का फव्वारा छोड़ना शुरू कर दिया था। भैया का पूरा चेहरा मेरी चूत के पानी से भीग गया था।
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!